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मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन की बढ़ी मुश्किल, क्लासरूम-घोटाले में मामला दर्ज

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आम आदमी पार्टी नेता और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और दिल्ली के पूर्व पीडब्ल्यूडी मंत्री सत्येंद्र जैन की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। अब इन दोनों आप नेताओं के खिलाफ करप्शन का मामला दर्ज किया गया है। करप्शन का यह मामला क्लासरूम और स्कूल बिल्डिंग के निर्माण से जुड़ा है। सिसोदिया और सत्येंद्र जैन के खिलाफ 2 हजार करोड़ के बड़े घोटाले का मामला दर्ज हुआ है। एंटी करप्शन ब्रांच (एसीबी) ने एफआईआर दर्ज की गई है।

2000 करोड़ रुपये का घोटाला

भ्रष्टाचार निरोधक शाखा ने आप नेता और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, दिल्ली के पूर्व पीडब्ल्यूडी मंत्री सत्येंद्र जैन के खिलाफ अत्यधिक लागत पर कक्षाओं के निर्माण में भ्रष्टाचार के संबंध में मामला दर्ज किया है। 12,748 क्लासरूम और भवनों के निर्माण में कथित 2000 करोड़ रुपये के घोटाले से जुड़ा यह मामला है। एंटी करप्शन ब्रांच की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि दिल्ली में आप सरकार के शासनकाल में 12,748 कक्षाओं और भवनों के निर्माण में 2,000 करोड़ का भारी घोटाला सामने आया है।

एक क्लासरूप बनाने में पांच गुना ज्यादा पैसे दिए गए

एंटी करप्शन ब्रांच का कहना है कि क्लासरूम बनाने के लिए बहुत ज्यादा पैसे दिए गए। एक क्लासरूम बनाने में 24.86 लाख रुपये खर्च किए गए। एसीबी के अनुसार, आमतौर पर दिल्ली में एक क्लासरूम 5 लाख रुपये में बन जाता है। मतलब लगभग पांच गुना ज्यादा पैसे दिए गए। आरोप पत्र के अनुसार, इन कक्षाओं के निर्माण में घटिया गुणवत्ता की सामग्री का उपयोग किया गया, लेकिन इसका पैसा बेहतर आरसीसी निर्माण तकनीकी की दर से वसूल किया गया। एजेंसी का आरोप है कि इस मामले में भारी वित्तीय गड़बड़ी की गई है।

कंसलटेंट-आर्किटेक्ट की नियुक्ति मनमाने ढंग से

एंटी करप्शन ब्रांच की जांच में पता चला है कि क्लासरूम/बिल्डिंग के निर्माण की लागत बढ़ाकर दर्शाई गई थी। इसके अलावा निर्धारित अवधि के भीतर एक भी काम पूरा नहीं हुआ था। निर्माण कार्य के लिए कंसलटेंट और आर्किटेक्ट की नियुक्ति भी मनमाने ढंग से की गई थी। एंटी करप्शन ब्यूरो ने यह भी आरोप लगाया है कि इन कक्षाओं के निर्माण में जिन 34 ठेकेदारों को निर्माण का ठेका दिया गया था, उनमें से ज्यादातर आम आदमी पार्टी से जुड़े हुए लोग शामिल थे। इन्हीं के जरिए निर्माण की लागत बढ़ाई गई।

मनोज तिवारी ने लगाया था आरोप

बता दें कि भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने भी 2019 में जोन 23, 24 और 28 के सरकारी स्कूलों में अतिरिक्त कक्षाओं के निर्माण में करप्शन का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई थी। बीजेपी सांसद ने अपनी शिकायत में कहा था कि सरकार ने एक क्लासरूम में 28 लाख रुपए खर्च किए, जबकि एक क्लासरूम के निर्माण में 5 लाख रुपए ही लगते हैं।

बांग्लादेश के हिंदू संत चिन्मय दास को मिली जमानत, देशद्रोह के आरोप में जेल में थे बंद*

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बांग्लादेश के ढाका हाईकोर्ट ने जेल में बंद हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास को बुधवार को जमानत दे दी। चिन्मय दास पिछले 5 महीनों से देशद्रोह के आरोप में जेल में बंद हैं। बांग्लादेशी अखबार द डेली स्टार ने इसकी पुष्टि की है। द डेली स्टार ने चिन्मय दास के वकील के हवाले से बताया है कि अभी चिन्मय की रिहाई तय नहीं हुई है। अगर बांग्लादेशी सुप्रीम कोर्ट इस फैसले पर रोक नहीं लगाता है तो चिन्मय को रिहा कर दिया जाएगा।

हिंदुओं के खिलाफ अत्याचारों के विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व

इस्कॉन के पूर्व नेता चिन्मय कृष्ण दास को 25 नवंबर 2024 को बांग्लादेश में गिरफ्तार किया गया था। बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ अत्याचारों के खिलाफ कई विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व करने वाले साधु चिन्मय कृष्ण दास को ढाका पुलिस की जासूसी शाखा ने 25 नवंबर को ढाका हवाई अड्डे पर गिरफ्तार किया था। उन पर देशद्रोह जैसे गंभीर आरोप लगे थे। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इसे "न्यायिक उत्पीड़न" करार दिया था। भारत ने भी चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी पर बांग्लादेश के सामने कड़ा विरोध दर्ज कराया था।

चिन्मय पर देशद्रोह का मामला क्यों दर्ज हुआ?

25 अक्टूबर को चटगांव के लालदीघी मैदान में नातन जागरण मंच ने 8 सूत्री मांगों को लेकर एक रैली की थी। इसे चिन्मय कृष्ण दास ने भी संबोधित किया था। इस दौरान न्यू मार्केट चौक पर कुछ लोगों ने आजादी स्तंभ पर भगवा ध्वज फहराया था। इस ध्वज पर आमी सनातनी लिखा हुआ था।

रैली के बाद 31 अक्टूबर को बेगम खालिदा जिया की बीएनपी पार्टी के नेता फिरोज खान ने चिन्मय कृष्ण दास समेत 19 लोगों के खिलाफ चटगांव में राजद्रोह का केस दर्ज कराया था। उन पर राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने का आरोप है

जेल में बीमार और पीड़ित थे

इस्कॉन और अन्य हिंदू संगठनों द्वारा उनकी गिरफ्तारी की व्यापक निंदा किए जाने के बाद उनकी जमानत याचिका कई बार खारिज की गई। उन्हें 26 नवंबर को जेल भेज दिया गया और 11 दिसंबर को उनकी याचिका खारिज कर दी गई। ऐसी भी खबरें थीं कि वह गंभीर रूप से बीमार थे और जेल में उनका उचित इलाज नहीं किया गया।चिन्मय दास के वकील अपूर्व कुमार भट्टाचार्य ने आरोप लगाया था कि उनके मुवक्किल बिना किसी सुनवाई के कारावास के दौरान बीमार और पीड़ित थे।

सेना को फ्री हैंड देकर जिम्मेदारी से नहीं बच सकती सरकार, संजय राउत बोले- पहलगाम का असली बदला तो...

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जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की जान चली गई। इस घटना से पूरे देश में गम और गुस्से का माहौल है। इस बीच केन्द्र की मोदी सरकार ने पाकिस्तान खिलाफ एक्शन के लिए सेना को फ्री हैंड दिया है। मंगलवार को भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक उच्च स्तरीय सुरक्षा बैठक की। बैठक के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय सेना को अपने हिसाब से पाकिस्तान के खिलाफ एक्शन लेने की आजादी दे दी है। इसके बाद उद्धव ठाकरे गुट के सांसद संजय राउत ने सरकार पर जोरदार हमला बोला है।

आप जिम्मेदारी से भाग नहीं सकते-राउत

संजय राउत ने पहलगाम हमले पर केंद्र सरकार की जवाबदेही बताते हुए कहा, आर्मी तो कश्मीर में है, फिर भी पहलगाम हमला हुआ। आर्मी के ऊपर छोड़कर आप जिम्मेदारी से भाग नहीं सकते। अगर बदला लेना है और असली श्रद्धांजलि देनी है, तो गृह मंत्रालय पर एक्शन लिया जाना चाहिए। इंटेलिजेंस क्यों फेल हुआ और आप क्या कर रहे थे? अगर सरकार किसी और की होती और हममें से कोई गृहमंत्री होता तो बीजेपी पूरे देश में हंगामा कर देती।

विपक्ष का काम ही सवाल उठाना है-राउत

संजय राउत ने कहा कि सरकार की गलतियों का समर्थन नहीं किया जाएगा। सरकार बार-बार गलतियां कर रही है, यह नहीं चलेगा। उन्होंने अमित शाह का इस्तीफा मांगा है। उन्होंने कहा कि अगर उनकी जगह उनका कोई मंत्री होता तो वे भी इस्तीफा मांगते। राउत ने कहा कि विपक्ष का काम ही सवाल उठाना है, इसमें गलत क्या है?

27 लोग सरकार की लापरवाही के शिकार-राउत

संजय राउत ने सर्वदलीय बैठक को बेकार बताते हुए कहा कि कश्मीर पर चर्चा के लिए विशेष सत्र बुलाया जाना चाहिए। राउत ने कहा कि सर्वदलीय बैठक में सिर्फ ताली बजाने से कुछ नहीं होगा। उन्होंने मांग की कि विशेष सत्र बुलाया जाए और दो दिन कश्मीर पर चर्चा हो। राउत ने कहा कि 27 लोग सरकार की लापरवाही के शिकार हुए हैं। उन्होंने इसे सरकार की ओर से नरबलि बताया। उनके अनुसार, सरकार की लापरवाही के कारण इतने लोगों की जान गई।

पाकिस्तान के साथ तनाव के बीच राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड का पुनर्गठन, पूर्व रॉ चीफ जोशी बने चेयरमैन*

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जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध जैसे हालात बनते जा रहे हैं। जिसका असर देश की राजधानी में साफ दिख रहा है। बैठकों का दौर जारी है। इसी क्रम में प्रधानमंत्री आवास पर सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी (सीसीएस) की बैठक हुई। इसमें गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी शामिल हुए। बैठक में क्या फैसला लिया गया, यह अभी नहीं बताया गया है। इस बीच सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड का पुनर्गठन किया है।

पूर्व रॉ प्रमुख आलोक जोशी बने अध्यक्ष

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड में अब सात सदस्य होंगे। ये सातों अपने-अपने क्षेत्र के विशेषज्ञ होंगे। इसमें तीन सैन्य पृष्ठभूमि के रिटायर अफसर होंगे। दो रिटायर आईपीएस अधिकारी होंगे। एक भारतीय विदेश सेवा से रिटायर अधिकारी होंगे। पूर्व रॉ प्रमुख आलोक जोशी को इसका अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। पूर्व पश्चिमी एयर कमांडर एयर मार्शल पीएम सिन्हा, पूर्व दक्षिणी सेना कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एके सिंह और रियर एडमिरल मोंटी खन्ना सैन्य सेवाओं से सेवानिवृत्त अधिकारी इस बोर्ड का हिस्सा होंगे। राजीव रंजन वर्मा और मनमोहन सिंह भारतीय पुलिस सेवा से सेवानिवृत्त दो सदस्य हैं। सात सदस्यीय बोर्ड में बी वेंकटेश वर्मा सेवानिवृत्त आईएफएस हैं।

पहलगाम हमलों के बाद सीसीएस की दूसरी बैठक

सुरक्षा पर कैबिनेट समिति (सीसीएस) की पिछली बैठक 23 अप्रैल को हुई थी और पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई थी, जिसमें 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक मारे गए थे। सीसीएस ने हमले की कड़े शब्दों में निंदा की और पीड़ितों के परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की आशा व्यक्त की।

भारतीय सेना को मिली एक्शन लेने की आजादी को शहबाज के “छूटे पसीने”, संयुक्त राष्ट्र से लगाई गुहार

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पहले आतंकी हमला कराया उसके बाद पाकिस्तान के नेता भारत को चुनौती देने से भी बाज नहीं आ रहे हैं। हालांकि, ये सब उनका डर ही है कि वे अपने से ज्यादा ताकतवर देश को आंखों दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। यही कारण है कि पाकिस्तान की सरकार भारत के हमले से डरकर यूनाइटेड नेशंस की शरण में आई है। पाकिस्तान की सरकार ने भारत के हमले से डरकर संयुक्त राष्ट्र से गुहार लगाई है।

भारत को संयम बरतने की सलाह देने की अपील

एक तरफ पाकिस्तान आतंक को पाल रहा है कि तो दूसरी तरफ भारत ने अपनी सेना को 'आतंकवाद को कुचलने’ के लिए पूरी तरह से खुली छूट दे दी है। इस हालात में पाकिस्तान का खौफ में आना लाजमी है। तभी तो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस से पहलगाम में हुए घातक आतंकवादी हमले के बाद 'भारत को सलाह' देने की अपील की है।

मंगलवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से जारी किए गये एक बयान में कहा गया है कि "शहबाज शरीफ ने पहलगाम आतंकी हमले में पाकिस्तान का हाथ होने से इनकार कर दिया है।" इसके अलावा शहबाज शरीफ के कार्यालय ने कहा है कि "प्रधानमंत्री इस बात पर जोर देते हुए, कि भारत द्वारा किसी भी दुस्साहस की स्थिति में पाकिस्तान अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की पूरी ताकत से रक्षा करेगा, प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव को भारत को जिम्मेदारी से काम करने और संयम बरतने की सलाह देने की अपील की है।"

यूएन का तनाव को बढ़ने से रोकने का आग्रह

इसके बाद यूनाइटेड नेशंस के सेक्रेटरी टोनियो गुटेरेस ने भारतीय विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को फोन करके दोनों पक्षों से तनाव कम करने और तनाव को बढ़ने से रोकने का आग्रह किया। संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने एक बयान में कहा है कि "उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव पर गहरी चिंता व्यक्त की और टकराव से बचने की आवश्यकता पर जोर दिया, जिसके दुखद परिणाम हो सकते हैं।" इसके अलावा उन्होंने दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने के लिए अपने ऑफिस से मदद का ऑफर दिया है।

सेना को मिली खुली छूट

ये सब उस वक्त हुआ जब मंगलवार को भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक उच्च स्तरीय सुरक्षा बैठक की। बैठक के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय सेना को अपने हिसाब से पाकिस्तान के खिलाफ एक्शन लेने की आजादी दे दी है। समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय सशस्त्र बलों की पेशेवर क्षमताओं में पूर्ण विश्वास और भरोसा जताया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें हमारी प्रतिक्रिया के तरीके, लक्ष्य और समय पर फैसला लेने का पूरा ऑपरेशनल फ्रीडम है। उन्होंने भारतीय सेना के सामने भारत के 'आतंकवाद को कुचलने के लिए राष्ट्रीय संकल्प' बताया है।

पीएम मोदी से मिलने पहली बार पीएम आवास पहुंचे थे संघ प्रमुख, क्यों खास है ये मुलाकात?

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जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव की स्थिति बनी हुई है। इस हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कई कड़े फैसले लिए। वहीं लगातार हाई लेवल बैठकों का दौर जारी है। मंगलवार को पीएम मोदी ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, एनएसए अजीत डोभाल और तीनों सेना प्रमुखों के साथ एक हाई लेवल बैठक की। इस बैठक के बाद आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत पीएम मोदी से मिलने उनके आवास पहुंचे।

क्या महज शिष्टाचार भेंट थी?

ये बैठक इसलिए भी अहम माना जी रही है क्योंकि 2014 में बीजेपी की सरकार बनने के बाद यह पहला मौका था, जा संघ प्रमुख पीएम के सरकारी आवास पहुंचे थे। यह मुलाकात करीब एक घंटे तक चली और इसे बेहद असामान्य माना जा रहा है, क्योंकि आरएसएस प्रमुख शायद ही कभी राजनीतिक नेताओं से उनके आवास पर मिलने जाते हैं। ऐसे में सवाल है कि क्या मोहन भागवत की पीएम मोदी से यह मुलाकात महज शिष्टाचार भेंट थी?

हिंदू समुदाय में बढ़ते गुस्से के बीच मुलाकात

यह मुलाकात पहलगाम में हुए आतंकी हमले के तुरंत बाद हुई है, जहां निहत्थे नागरिकों और पर्यटकों को निशाना बनाकर मार डाला गया था। उस आतंकी घटना से देश भर में गुस्सा है। मुलाकात से जुड़े सूत्रों के अनुसार, मोहन भागवत ने इस घटना पर संघ परिवार की गहरी पीड़ा और हिंदू समुदाय में बढ़ते गुस्से और असुरक्षा की भावना से अवगत कराया। उन्होंने आतंकी हमले का जवाब देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी और सरकार के प्रयासों के प्रति संघ का समर्थन भी दिया।

‘जनता की भावनाओं को जिम्मेदारी से संभाला जाए’

एक वरिष्ठ आरएसएस कार्यकर्ता ने नाम ना बताने की शर्त पर बताया, जमीन पर माहौल बहुत तनावपूर्ण है। हिंदू समुदाय दुखी और गुस्से में है। संघ का मानना है कि इस समय सरकार के साथ खड़ा होना जरूरी है, लेकिन यह भी सुनिश्चित करना होगा कि जनता की भावनाओं को समझा जाए और उसे जिम्मेदारी के साथ संभाला जाए। यह एक आपातकालीन स्थिति है, और इसलिए भागवत जी ने स्वयं प्रधानमंत्री से मुलाकात की।

आज तो पाकिस्तान की खैर नहीं! दिल्ली में हाई-लेवल बैठकों का दौर, हो सकता है बड़ा फैसला?

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पहलगाम हमले के बाद भारत आतंकवाद पर बड़े एक्शन की तैयारी में है। 22 अप्रैल को हुई इस आतंकी घटना में 26 लोगों की मौत हुई थी। इसके बाद से भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है। दोनों देशों ने एक-दूसरे पर कई सख्त फैसले लिए हैं। इधर राजधानी दिल्ली में हाईलेवल बैठकों का दौर जारी है। मंगलवार को एक के बाद एक तीन बड़ी बैठकें हुईं। बैठकों का यह दौर बुधवार को भी जारी रहेगा। आज दिल्ली में 4 अहम बैठकें होने जा रही हैं। इन बैठकों में पाकिस्तान पर सैन्य, कूटनीतिक और आर्थिक कार्रवाई का खाका तैयार किया जा सकता है।

दिल्ली में आज चार हाई-लेवल बैठकें

दक्षिण कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले को लेकर पूरा देश गुस्से में है। सभी एकजुट होकर पाकिस्तान को इस नापाक हरकत के लिए कठोर सजा देने की मांग कर रहे हैं। वहीं, पहलगाम हमले के बाद से आतंकियों के खिलाफ एक्शन को लेकर दिल्ली में बैठकों का दौर जारी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र ने मंगलवार को तीनों सेना प्रमुख, एनएसए अजित डोभाल, सीडीएस अनिल चौहान और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ उच्च स्तरीय बैठक की। वहीं, आज यानी बुधवार को पीएम मोदी हमले के बाद पहली बार कैबिनेट मीटिंग करने वाले हैं, जबकि इससे पहले वह तीन अहम समितियों की बैठक की भी अध्यक्षता करेंगे।

पीएम मोदी की अध्यक्षता में सीसीएस की दूसरी बैठक

यह पहलगाम हमले के बाद सीसीएस की दूसरी बैठक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुबह 11 बजे होने वाली इस बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस. जयशंकर और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण शामिल होंगे। बैठक का मुख्य उद्देश्य पहलगाम हमले के बाद सुरक्षा तैयारियों की समीक्षा करना और पाकिस्तान के खिलाफ संभावित सैन्य कार्रवाई की रणनीति पर चर्चा करना है। सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में सशस्त्र बलों को कार्रवाई का तरीका, लक्ष्य और समय तय करने की पूरी छूट देने पर विचार किया जाएगा।

कैबिनेट कमेटी ऑन पॉलिटिकल अफेयर्स की बैठक

सीसीएस की बैठ के बाद कैबिनेट कमेटी ऑन पॉलिटिकल अफेयर्स यानी कि सीसीपीए की बैठक होनी है। ये बैठक भी प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में होगी। इसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल सहित कई अन्य वरिष्ठ मंत्री शामिल होंगे। इस बैठक में भारत की कार्रवाई के क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रभावों पर विचार-विमर्श होगा

कैबिनेट कमेटी ऑन इकोनॉमिक अफेयर्स की बैठक

तीसरी बैठक आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी की होगी, जिसमें पाकिस्तान पर आर्थिक दबाव बढ़ाने की रणनीति पर चर्चा होगी। भारत पहले ही उरी और पुलवामा हमलों के बाद पाकिस्तान को आर्थिक रूप से कमजोर करने में सफल रहा है। इस बैठक में प्रधानमंत्री मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस. जयशंकर, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और अन्य मंत्री शामिल होंगे। बैठक में पाकिस्तान के खिलाफ नए आर्थिक प्रतिबंधों और व्यापारिक उपायों पर विचार किया जाएगा।

केंद्रीय कैबिनेट की बैठक

दिन की आखिरी बैठक केंद्रीय कैबिनेट की होगी, जिसमें पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई का अंतिम ब्लू प्रिंट तैयार किया जाएगा। इस बैठक में सभी मंत्रियों की मौजूदगी में सैन्य, कूटनीतिक और आर्थिक रणनीतियों को मंजूरी दी जाएगी।

कनाडा में लिबरल पार्टी की जीत, मार्क कार्नी बनेंगे पीएम, भारत के लिए क्या मायने?


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कनाडा में एक बार फिर से लिबरल पार्टी ने जीत हासिल की है। कनाडा में सोमवार को हुए संघीय चुनाव में पीएम मार्क कार्नी के नेतृत्व में लिबरल पार्टी ने जीत हासिल की है। इस नतीजे के साथ ही लिबरल पार्टी के नेता और मौजूदा प्रधानमंत्री मार्क कार्नी अपने पद पर बने रहेंगे। साथ ही नई कैबिनेट के साथ नई सरकार बनाएंगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कार्नी को जीत की बधाई दी है। उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया, मार्क कार्नी और लिबरल पार्टी को चुनाव में जीत की बहुत-बहुत बधाई। हम साझेदारी को मजबूत करने के लिए उत्सुक हैं। पीएम मोदी ने कहा कि भारत और कनाडा साझा लोकतांत्रिक मूल्यों, कानून के शासन के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता और लोगों के बीच जीवंत संबंधों से बंधे हैं। हम साझेदारी को मजबूत करने और लोगों के लिए अधिक से अधिक अवसरों को खोलने के लिए आपके साथ काम करने के लिए उत्सुक हैं।

मजबूत होंगे भारत-कनाडा द्विपक्षीय संबंध?

कनाडा में एक बार फिर से लिबरल पार्टी की सरकार बनी है। ऐसे में सवाल उठ रहे है कि क्या भारत के साथ संबंध सुधर पाएंगे? विश्व स्तर पर प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री तथा बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक ऑफ कनाडा के पूर्व गवर्नर रहे कार्नी के प्रधानमंत्री बनने के बाद कनाडा के भारत के साथ द्विपक्षीय संबंध फिर से मजबूत होने की संभवना जताई जा रही है। उनके विदेश नीति के प्रति व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाने की उम्मीद है।

दरअसल, मार्क कार्नी ने पिछले दिनों भारत के साथ तनावपूर्ण संबंधों कहा था कि "मैं संकट के समय सबसे उपयोगी होता हूं।" उनके इस बयान को इस तरह से देखा गया है कि उनकी जीत नई दिल्ली और ओटावा के बीच द्विपक्षीय संबंधों में संभावित सुधार ला सकती है, जो पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के कार्यकाल में काफी हद तक खराब हो गए थे। 

भारत के साथ संबंधों को सुधारने के दिए संकेत

मार्क कार्नी ने इलेक्शन कैम्पेन के दौरान कहा था कि "कनाडा जो करने की कोशिश कर रहा है, वह समान विचारधारा वाले देशों के साथ हमारे व्यापारिक संबंधों में विविधता लाना है, और भारत के साथ संबंधों को फिर से बनाने के अवसर हैं। उस वाणिज्यिक संबंध के इर्द-गिर्द मूल्यों की साझा भावना होनी चाहिए, और अगर मैं प्रधानमंत्री होता, तो मैं इसे बनाने के अवसर की तरह देखता।" मार्क कार्नी ने चुनाव अभियान के दौरान भारत को एक महत्वपूर्ण देश बताया था। इसके अलावा उन्होंने संकेत दिया था कि उनकी मंशा भारत के साथ संबंधों को सुधारने की है, खासकर कारोबारी संबंध को, क्योंकि कनाडा डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ युद्ध का नुकसान उठा रहा है। इसके अलावा मार्क कार्नी ने चुनावी कैम्पेन में अमेरिका के ऊपर से अपनी निर्भरता कम करने की बात कही थी, ऐसे में कनाडा के पास एक बड़े बाजार के तौर पर भारत ही बचता है, क्योंकि चीन के साथ उसके पहले से ही खराब संबंध हैं।

कनाडा- भारत के बीच बढ़ सकता है व्यापार

कार्नी के प्रधानमंत्री बनने से भारत को व्यापार के क्षेत्र में बड़ा लाभ होने की उम्मीद है। कार्नी ने व्यापार के क्षेत्र में भारत को बड़ा खिलाड़ी भी करार दिया है। ऐसे में भारत और कनाडा के बीच Comprehensive Economic Partnership Agreement (CEPA) पर फिर से बातचीत शुरू होने की संभावना बढ़ी है। ये एक ट्रेड डील है, जिसे ट्रूडो ने भारत से विवाद के बाद रोक दिया था।

भारत और कनाडा के बीच व्यापार

भारत और कनाडा के बीच द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2023-24 में 8.4 अरब डॉलर (72,240 करोड़ रुपये) का था, जिसमें भारत से कनाडा को 3.8 अरब डॉलर (32,680 करोड़ रुपये) का निर्यात और कनाडा से भारत को 4.6 अरब डॉलर (39,560 करोड़ रुपये) का आयात शामिल था।

हालांकि, 2024-25 में इसमें गिरावट देखने को मिली है, लेकिन अब कार्नी के प्रधानमंत्री बनने के बाद इस द्विपक्षीय व्यापार में और बढ़ोतरी होने की उम्मीद है।

पेगासस रिपोर्ट सार्वजनिक करने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, कहा-देश में स्पाईवेयर का उपयोग गलत नहीं


#supremecourtonpegasusissue 

पेगासस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की है। पेगासस जासूसी रिपोर्ट को सार्वजनिक करने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि सुरक्षा उद्देश्यों के लिए किसी भी देश का स्पाईवेयर रखना गलत नहीं है। अगर देश अपनी सिक्योरिटी के लिए स्पाइवेयर का यूज कर रहा तो इसमें क्या गलत है? चिंता की बात ये है कि इसका इस्तेमाल किसके खिलाफ हो रहा है?

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटेश्वर सिंह की बेंच ने मंगलवार को कहा कि देश की सुरक्षा और संप्रभुता से जुड़ी किसी भी रिपोर्ट का खुलासा नहीं किया जाएगा। बेंच ने कहा- व्यक्तिगत आशंकाओं का समाधान किया जा सकता है, लेकिन टेक्निकल पैनल की रिपोर्ट सड़कों पर चर्चा के लिए नहीं हो सकती। इस बात की जांच करनी होगी कि जानकारी किस हद तक साझा की जा सकती है। 

रिपोर्ट को छुआ नहीं जाएगा- कोर्ट

कोर्ट ने कहा कि देश की सुरक्षा और संप्रभुता को प्रभावित करने वाली किसी भी रिपोर्ट को नहीं छुआ जाएगा, लेकिन जो व्यक्ति यह जानना चाहते हैं कि क्या उन्हें इसमें शामिल किया गया है, उन्हें सूचित किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा, हां, व्यक्तिगत आशंकाओं को संबोधित किया जाना चाहिए, लेकिन इसे सड़कों पर चर्चा के लिए दस्तावेज नहीं बनाया जा सकता है। इस मामले में अगली सुनवाई 30 जुलाई को होगी।

क्या है मामला?

2021 में एक पोर्टल ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि केंद्र सरकार ने 2017 से 2019 के दौरान करीब 300 भारतीयों की पेगासस स्पाइवेयर के जरिए जासूसी की। इनमें पत्रकार, वकील, सामाजिक कार्यकर्ता, विपक्ष के नेता और बिजनेसमैन शामिल थे। अगस्त 2021 में मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। कोर्ट ने अक्टूबर 2021 में जांच के लिए रिटायर्ड जस्टिस आरवी रवींद्रन की अध्यक्षता में कमेटी बनाई। अगस्त 2022 में इसकी रिपोर्ट आई। इसमें कहा गया कि 29 फोन की जांच की गई, उनमें पेगासस का कोई सबूत नहीं मिला, लेकिन उनमें से 5 में मैलवेयर पाया गया।

क्या है पेगासस?

पेगासस सबसे उन्नत जासूसी सॉफ्टवेयर्स में से एक है, जिसे इजराइल की साइबर सिक्योरिटी कंपनी एनएसओ ग्रुप ने तैयार किया। ये केवल फोन नंबर से फोन हैक कर सकता है। कंपनी केवल सरकारों को ही ये सॉफ्टवेयर बेचती है और 10 से ज्यादा देशों की सरकारें पेगासस का इस्तेमाल कर रही हैं।भारत सरकार ने 2017 में इजरायल से एक रक्षा सौदे में पेगासस खरीदा था, जिसका खुलासा अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने किया था।

पीएम मोदी की बिना सिर वाले पोस्टर देख भड़की बीजेपी, कहा- कांग्रेस और आतंकियों की सोच एक जैसी


#narendramodiposterwithouthead 

पहलगाम में आतंकी हमले के बाद कांग्रेस प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हमलावर है। कांग्रेस लगातार सुरक्षा व्यवस्था के लिए सरकार पर निशाना साध रही है। अब कांग्रेस ने बिना कोई नाम लिए बिना सिर वाला एक पोस्टर सोशल मीडिया पर साझा किया है, जिसके बाद सियासी विवाद बढ़ गया है। भाजपा ने कांग्रेस को निशाने पर लेते हुए आतंकियों से उसकी तुलना की है।

दरअशल, कांग्रेस पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम लिए बिना निशाना साधा है। कांग्रेस ने अपने ऑफिशियल एक्स हैंडल पर एक तस्वीर पोस्ट की, जिसमें कुर्ता-पायजामा पहने शख्स का सिर कटा हुआ है और उसके हाथ-पैर गायब है। इसके कैप्शन में लिखा है- जिम्मेदारी के समय Gayab (गायब)।

मुस्लिम वोट बैंक को ध्यान में रखकर की गई टिप्पणी- मालवीय

इस पोस्ट पर बीजेपी ने भी जोरदार पलटवार करते हुए कांग्रेस को घेरा है। कांग्रेस की पोस्ट पर भाजपा नेता अमित मालवीय ने कहा, कांग्रेस ने सिर तन से जुदा जैसी भाषा के इस्तेमाल से एक बार फिर साबित कर दिया है कि यह मुस्लिम वोट बैंक को ध्यान में रखकर की गई टिप्पणी है। मालवीय ने कहा कि अगर कहावत के तौर पर देखें, तो असल में गर्दन तो कांग्रेस की कटी है। जो अब बिना दिशा वाला एक बेकाबू संगठन बन गई है।

कांग्रेस भारत के साथ या पाकिस्तान के-अनुराग ठाकुर 

बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस और उनके नेताओं की क्या मजबूरी है कि पाकिस्तान के बोल बोलने जरूरी हैं? वे पाकिस्तान का समर्थन क्यों कर रहे हैं? जब भारतीयों का खून बहता है तो क्या उन्हें यह देखकर गुस्सा नहीं आता? कांग्रेस किसके साथ खड़ी है, भारत के या पाकिस्तान के?

लश्कर-ए-पाकिस्तान कांग्रेस- गौरव भाटिया

भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने एक्स पर लिखा कि कांग्रेस हैंडल से पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया गया है कि भारत में मीर जाफर के समर्थक मौजूद हैं। भाटिया ने एक्स पर लिखा, 'एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल है जो हमारे बीच रहता है, लेकिन अगर हम उन्हें लश्कर-ए-पाकिस्तान कांग्रेस कहें तो गलत नहीं होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह तस्वीर कांग्रेस के सोशल मीडिया हैंडल से ट्वीट की गई है। पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया गया है कि भारत में मीर जाफर के समर्थक मौजूद हैं... 'सर तन से जुदा' आज लश्कर-ए-पाकिस्तान कांग्रेस की विचारधारा बन गई है।'

भाजपा ने कांग्रेस को मुस्लिम लीग 2.0 बताया है।