नवाचारों की नर्सरी बनी उत्तरांचल यूनिवर्सिटी, बौद्धिक संपदा पर राष्ट्रीय कार्यशाला में उमड़ा जोश
विभु मिश्रा
देहरादून। विज्ञान और तकनीक की नई सोच को आकार देने का मंच बना उत्तरांचल विश्वविद्यालय, जहां शनिवार को बौद्धिक संपदा दिवस के मौके पर एक खास राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन हुआ। विषय था ‘महत्वपूर्ण बौद्धिक संपदा और नवाचारों का विकास’। आयोजन ने न केवल छात्रों को पेटेंट और कॉपीराइट की बारीकियों से रूबरू कराया, बल्कि नवाचार की दिशा में सोचने की प्रेरणा भी दी।
कार्यशाला की शुरुआत एक गरिमामयी उद्घाटन सत्र से हुई, जिसमें विश्वविद्यालय की उपाध्यक्ष सुश्री अंकिता जोशी, कुलपति प्रो. धर्म बुद्धि, प्रो. अजय सिंह, डॉ. मनमोहन रावत, हिमांशु गोयल, आशीष शर्मा और डॉ. अनिल सिंह जैसी शख्सियतों ने ज्ञान और अनुभव की रोशनी बिखेरी। प्रो. अजय सिंह ने कार्यशाला की रूपरेखा रखते हुए बताया कि कैसे बौद्धिक संपदा केवल एक अधिकार नहीं, बल्कि विचारों की सुरक्षा का माध्यम है।
तकनीकी सत्रों में एक के बाद एक विशेषज्ञों ने मंच संभाला। किसी ने बताया कि पेटेंट कैसे फाइल होता है, किसी ने कॉपीराइट के कायदे-कानून समझाए, तो किसी ने वैश्विक संधियों और WIPO की जटिलताओं को आसान भाषा में समझाया। डॉ. मनमोहन रावत और प्रो. जी. के. ढींगरा ने उदाहरणों से यह बताया कि बौद्धिक संपदा का सही इस्तेमाल किस तरह से नए उद्योग और तकनीकी खोजों की नींव रख सकता है। श्री आशीष शर्मा और डॉ. हिमांशु गोयल के सत्र युवाओं के लिए खास आकर्षण रहे, जहां उन्होंने केस स्टडीज़ के ज़रिए जमीनी स्तर पर IP फाइलिंग की प्रक्रिया बताई। उपाध्यक्ष सुश्री अंकिता जोशी ने कार्यशाला की टीम को बधाई देते हुए युवाओं से कहा, “यह समय है सोच को अधिकार में बदलने का।”
करीब 200 प्रतिभागियों ने इस राष्ट्रीय कार्यशाला में हिस्सा लिया। मंच के पीछे की टीम भी उतनी ही सक्रिय रही। डॉ. निशेष शर्मा के नेतृत्व में डॉ. साधना अवस्थी, डॉ. पूजा यादव, श्री राहुल गौड़, सुश्री शिवांगी, रूबी पोखरियाल, डॉ. वी.के. श्रीवास्तव, डॉ. शिवम पांडे और डॉ. इंद्रा रौतेला ने आयोजन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
Apr 27 2025, 22:05