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नवा रायपुर में फोटोग्राफर्स की मास्टरक्लास, युवाओं ने सीखा फोटोग्राफी का अनोखा नजरिया

रायपुर- फोटोग्राफी को एक तस्वीर में हजार शब्द कहने की कला माना जाता है, और इस कला को निखारने के लिए नवा रायपुर अटल नगर विकास प्राधिकरण ने स्ट्रीट फोटोग्राफर विनीत वोहरा के साथ मिलकर 11 से 13 अप्रैल तक तीन दिवसीय मास्टरक्लास का आयोजन किया. इस आयोजन में छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों से आए युवा फोटोग्राफरों ने न केवल फोटोग्राफी की बारीकियां सीखीं, बल्कि दुनिया को नए नजरिए से देखने का हुनर भी हासिल किया.

लगभग तीन दशकों के अनुभव के साथ विनीत विश्व के शीर्ष 20 स्ट्रीट फोटोग्राफरों में शुमार हैं. उनकी तस्वीरें आम लोगों और रोजमर्रा की जिंदगी को असाधारण ढंग से पेश करती हैं. वोहरा के अनुसार, “स्ट्रीट फोटोग्राफी एक दर्शन है,” और उनका यही अनोखा नजरिया उन्हें वैश्विक स्तर पर लोकप्रिय बनाता है.

क्यों चुना गया नवा रायपुर?

नवा रायपुर, विश्व की पहली एकीकृत योजनाबद्ध शहर (Integrated City) है, जिसका इन्फ्रास्ट्रक्चर, आर्किटेक्चर, हरियाली और लैंडस्केप इसे अन्य शहरों से अलग बनाता है. इस मास्टरक्लास का उद्देश्य शहर की इन खूबियों को वैश्विक मंच पर प्रदर्शित करना था.

मास्टरक्लास की खासियत

11 और 12 अप्रैल को आयोजित वर्कशॉप और फोटोवॉक में युवा फोटोग्राफरों को तकनीकी कौशल के साथ-साथ रचनात्मक दृष्टिकोण विकसित करना सिखाया गया. 13 अप्रैल को संवाद ऑडिटोरियम में उन्होंने 50 से अधिक लोगों के साथ ओपन टॉक में अपने अनुभव साझा किए और फोटोग्राफी की गहराइयों को समझाया.

ओपन एयर प्रदर्शनी ने बटोरी सराहना

इस मास्टरक्लास ने छत्तीसगढ़ के युवा फोटोग्राफरों को एक मंच प्रदान किया और एक ऐसी कम्युनिटी का निर्माण किया, जो भविष्य में अपने अनोखे नजरिए से शहर और राज्य की कहानियों को दुनिया तक पहुंचाएगी.

छत्तीसगढ़: नगर निगम की लापरवाही से बड़ा हादसा, सीवरेज गड्ढे में गिरे 3 मासूम, एक बच्चे की मौत

रायपुर- राजधानी रायपुर के गुढ़ियारी थाना क्षेत्र अंतर्गत रामनगर चौकी इलाके में रविवार को एक दर्दनाक हादसा हुआ. गुलमोहर पार्क कॉलोनी में नगर निगम द्वारा सीवरेज टैंक निर्माण के लिए खोदे गए गहरे गड्ढे में तीन मासूम बच्चे खेलते-खेलते गिर गए. हादसे में एक बच्चे की मौत हो गई, जबकि दो बच्चों को स्थानीय लोगों की मदद से सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया.

जानकारी के मुताबिक, यह गड्ढा निगम की ओर से खोदा गया था, जिसे खुला ही छोड़ दिया गया था. बारिश या पाइपलाइन लीकेज के चलते इसमें पानी भर गया था. प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, बच्चों के खेलने के दौरान अचानक उनका संतुलन बिगड़ा और वे गहरे गड्ढे में जा गिरे.

घटना के तुरंत बाद इलाके में हड़कंप मच गया. स्थानीय लोगों ने बिना देरी किए बचाव कार्य शुरू किया और दो बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया, लेकिन तीसरे मासूम की डूबने से मौके पर ही मौत हो गई. मृतक की उम्र लगभग 6 वर्ष बताई जा रही है.

घटना के तुरंत बाद इलाके में हड़कंप मच गया. स्थानीय लोगों ने बिना देरी किए बचाव कार्य शुरू किया और दो बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया, लेकिन तीसरे मासूम की डूबने से मौके पर ही मौत हो गई.

घटना के बाद पुलिस और राहत दल मौके पर पहुंचे और स्थिति को संभाला. वहीं नगर निगम की लापरवाही को लेकर स्थानीय लोगों में जबरदस्त आक्रोश है. कॉलोनीवासियों ने नारेबाजी कर निगम प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई और पीड़ित परिवार को मुआवजा देने की मांग की है.

रायपुर प्रेस क्लब में गोविंद लाल वोरा लाइब्रेरी का किया गया शुभारंभ

रायपुर-  स्व. मधुकर खेर स्मृति रायपुर प्रेस क्लब परिसर में रविवार को गोविंद लाल वोरा लाइब्रेरी का शुभारंभ हुआ। गोविंद लाल वोरा फाउंडेशन और रायपुर प्रेस क्लब के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए। डॉ. सिंह और ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित प्रख्यात साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल ने लाइब्रेरी का उद्घाटन किया। इस मौके पर दुर्ग के पूर्व विधायक और वोरा परिवार के सदस्य अरुण वोरा ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। विशिष्ट अतिथि के रूप में मध्यप्रदेश से उमेश त्रिवेदी, रायपुर उत्तर विधायक पुरंदर मिश्रा, अमृत संदेश अखबार के प्रधान संपादक गिरीश वोरा, वरिष्ठ पत्रकार अरुण पटेल विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहे।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने लाइब्रेरी में किताबों के लिए स्वनिधि से 1 लाख रुपए देने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि 30 दिन के भीतर किताबों के लिए राशि हस्तांतरित कर दी जाएगी। स्व गोविंद लाल वोरा को याद करते हुए डॉ. रमन सिंह ने उनकी शालीनता और जीवन पर्यंत पत्रकारिता करते रहने की बातें साझा की। उन्होंने कहा, मेरे मुख्यमंत्री रहते और उससे पहले भी कभी भी वोरा जी ने मुझसे किसी काम के लिए नहीं कहा। उन्होंने याद करते बताया कि मजाक में वे वोरा जी को संपादकों का देवानंद कहते थे। उन्होंने रायपुर प्रेस क्लब के प्रयास की तारीफ की और कहा कि लाइब्रेरी के माध्यम से पत्रकारों को पढ़ने की अच्छी सुविधा मिलेगी।

विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ पत्रकार उमेश त्रिवेदी ने कहा, भले ही वे मध्यप्रदेश से हैं, लेकिन दोनों प्रदेशों में पत्रकारिता का डीएनए एक ही रहा है। उन्होंने रायपुर प्रेस क्लब के प्रयासों की तारीफ की। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे पूर्व विधायक अरुण वोरा ने भी लाइब्रेरी की उपयोगिता पर प्रकाश डाला और प्रेस क्लब के प्रयासों की सराहना की।

इस मौके पर ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित विख्यात साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल ने किताबों और पढ़ने-लिखने के महत्व के अनुभव साझा किए, राजनांदगांव की लाइब्रेरी में किताब पढ़ने की शुरुआत के प्रसंग साझा करते हुए, उन्होंने पत्रकारों को पढ़ने-लिखने के लिए प्रेरित किया।

रायपुर प्रेस क्लब अध्यक्ष प्रफुल्ल ठाकुर ने आगामी दिनों में प्रेस क्लब में वीडियो प्रोडक्शन स्टूडियो, फोटो गैलरी बनाने के योजना साझा की। साथ ही पत्रकारों से, विशेषकर नए पत्रकारों से आग्रह किया कि वे रायपुर प्रेस क्लब की लाइब्रेरी का सदुपयोग करें। इस अवसर पर उन्होंने पत्रकारों द्वारा किताब लिखने पर प्रति वर्ष दो किताबों के प्रकाशन की जिम्मेदारी प्रेस क्लब द्वारा उठाने की घोषणा की। उन्होंने पत्रकारों के लिए फेलोशिप और पत्रकारिता पुरस्कार दिए जाने सम्बन्धी योजनाओं की भी जानकारी दी।

रायपुर प्रेस क्लब के महासचिव वैभव शिव पांडे ने भी पत्रकारों को पुस्तकालय में किताब पठन के लिए प्रेरित किया, साथ ही बहुत ही जल्द लाइब्रेरी में हर प्रकार की किताबों के संकलन होने की बात कही। इस मौके पर रायपुर प्रेस क्लब के उपाध्यक्ष संदीप शुक्ला, कोषाध्यक्ष रमन हलवाई, संयुक्त सचिव तृप्ति सोनी एवं अरविंद सोनवानी समेत बड़ी संख्या में वरिष्ठ पत्रकार और प्रेस क्लब सदस्य उपस्थित रहे।

हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला, संविदा कर्मियों को मातृत्व अवकाश का देना होगा वेतन

बिलासपुर-  संविदा कर्मियों के लिए हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला दिया है. कोर्ट ने आदेश दिया कि केवल संविदा कर्मचारी होने के आधार पर मातृत्व अवकाश (Maternity leave) का वेतन देने से इनकार नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने स्टाफ नर्स को अवकाश अवधि का वेतन देने के निर्देश दिए हैं. न्यायमूर्ति अमितेन्द्र किशोर प्रसाद की एकल पीठ ने राज्य प्राधिकरणों को निर्देश दिया कि वे याचिकाकर्ता द्वारा दायर मातृत्व अवकाश के वेतन संबंधी दावा पर तीन माह के भीतर नियमानुसार निर्णय लें.

न्यायालय ने कहा कि मातृत्व और शिशु की गरिमा के अधिकार को संवैधानिक संरक्षण प्राप्त है. इसे प्रशासनिक अधिकारियों की इच्छा पर निर्भर नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने राज्य के अधिकारियों को निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता द्वारा मातृत्व अवकाश वेतन की मांग पर नियमानुसार तीन माह के माह के भीतर निर्णय लिया जाए.

याचिकाकर्ता राखी वर्मा, जिला अस्पताल कबीरधाम में स्टाफ नर्स के रूप में संविदा पर कार्यरत हैं. उन्होंने 16 जनवरी 2024 से 16 जुलाई 2024 तक मातृत्व अवकाश के लिए आवेदन किया था. इसे स्वीकृत कर लिया गया. उन्होंने 21 जनवरी 2024 को एक कन्या को जन्म दिया और 14 जुलाई 2024 को पुनः ड्यूटी ज्वाइन की. इसके बावजूद, उन्हें मातृत्व अवधि का वेतन नहीं दिया गया. इससे उन्हें और उनके नवजात को आर्थिक कठिनाई का सामना करना पड़ा. उन्होंने 25 फरवरी 2025 को मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को वेतन की मांग का आवेदन प्रस्तुत किया. कार्रवाई न होने पर उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की.

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता श्रीकांत कौशिक ने तर्क दिया कि छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (अवकाश) नियम, 2010 के नियम 38 के अंतर्गत मातृत्व अवकाश एक विधिक अधिकार है, जो संविदा कर्मचारियों पर भी समान रूप से लागू होता है.

याचिकाकर्ता की ओर से पूर्व में दिए गए कोर्ट के निर्णय का हवाला दिया, जिसमें संविदा कर्मचारियों को मातृत्व लाभ दिये जाने की पुष्टि की गई थी. उन्होंने यह भी तर्क रखा कि वेतन न देना अनुच्छेद 14 और 16 के तहत समानता के अधिकार का उल्लंघन है, क्योंकि यह स्थायी व अस्थायी कर्मचारियों के मध्य अनुचित भेदभाव को जन्म देता है. राज्य की ओर से महाधिवक्ता ने तर्क प्रस्तुत किया कि याचिकाकर्ता संविदा पर नियुक्त थीं और उन्हें स्थायी कर्मचारियों की भांति लाभ प्राप्त करने का अधिकार नहीं है.

कोर्ट ने कहा कि मातृत्व अवकाश का उद्देश्य मातृत्व की गरिमा की रक्षा करना है, ताकि महिला व उसके बच्चे का पूर्ण व स्वस्थ विकास हो सके. संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत जीवन के अधिकार में मातृत्व का अधिकार और प्रत्येक बच्चे के पूर्ण विकास का अधिकार भी सम्मिलित है. सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का उल्लेख करते हुए जस्टिस एके प्रसाद की सिंगल बेंच ने कहा कि मातृत्व लाभ अधिनियम एक कल्याणकारी कानून है. और इसे केवल नियमित कर्मचारियों तक सीमित नहीं रखा जा सकता. कोर्ट ने छत्तीसगढ़ सिविल सेवा अवकाश नियम, 2010 के नियम 38 एवं अन्य लागू दिशा-निर्देशों के अनुसार शासन को विचार करने और आदेश की प्रति प्राप्त होने की तिथि से तीन माह के भीतर इस संबन्ध में उपयुक्त निर्णय पारित करने के निर्देश दिए.

राजधानी की सुरक्षा पर चिंता: सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र, पुलिस बल बढ़ाने की मांग

रायपुर-  राजधानी रायपुर में लगातार बढ़ते अपराध, यातायात की गंभीर समस्याओं और पुलिस बल की भारी कमी को लेकर सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय को पत्र लिखकर राजधानी और जिले की कानून व्यवस्था को सुदृढ़ करने हेतु तत्काल रिक्त पदों की भर्ती एवं अतिरिक्त पुलिस बल स्वीकृत करने की मांग की है।

सांसद श्री अग्रवाल ने पत्र में उल्लेख किया है कि राजधानी रायपुर की जनसंख्या आज 16 लाख से अधिक हो चुकी है, वहीं रायपुर, बिरगांव, माना, मंदिरहसौद जैसे नगरीय क्षेत्रों को जोड़ दें तो यह आंकड़ा 30 लाख से ऊपर पहुंचता है। साथ ही लगातार हो रहे वीवीआईपी मूवमेंट, साइबर अपराधों में वृद्धि और बढ़ते ट्रैफिक दबाव के कारण पुलिस बल पर अत्यधिक भार पड़ा है।

वर्तमान में रायपुर जिले में 3805 पुलिस पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 796 पद रिक्त हैं। आरक्षकों के 2738 स्वीकृत पदों के विरुद्ध केवल 2007 पद ही भरे हुए हैं, जिससे आमजन को असुविधा और पुलिस बल को कार्य संचालन में कठिनाई हो रही है।

यातायात व्यवस्था को लेकर श्री अग्रवाल ने पत्र में उल्लेख किया कि रायपुर में पंजीकृत वाहनों की संख्या 17 लाख से अधिक हो चुकी है, जबकि बीपीआर एंड डी के मानकों के अनुसार 2388 बल की आवश्यकता है, लेकिन वर्तमान में मात्र 416 यातायात कर्मी उपलब्ध हैं।

सांसद ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि रायपुर जिले में रिक्त पुलिस पदों की शीघ्र भर्ती कराई जाए तथा राजधानी के बढ़ते स्वरूप के अनुसार अतिरिक्त पुलिस बल की स्वीकृति दी जाए, ताकि अपराध नियंत्रण, ट्रैफिक प्रबंधन और आम नागरिकों की सुरक्षा को प्रभावी बनाया जा सके।

न्यायधानी में फिर सुलगा धर्मांतरण का मुद्दा, हिंदू संगठनों के विरोध के बाद पुलिस ने दो को लिया हिरासत में, पूछताछ जारी …

बिलासपुर-  बिलासपुर में लगातार धर्मांतरण के मामले सामने आ रहा हैं. इस बार तोरवा थाना क्षेत्र के साईं भूमि परिसर में प्रार्थना सभा के नाम पर धर्मांतरण की गतिविधियों का मामला सामने आया है. हिंदूवादी संगठनों की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची और दो लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है.

जानकारी के अनुसार, रविवार को साईं भूमि परिसर में ईसाई समाज के कुछ लोगों द्वारा प्रार्थना सभा आयोजित की जा रही थी, जिसमें हिंदू धर्मावलंबियों को धर्मांतरण के लिए प्रेरित किया जा रहा था. इसकी सूचना मिलते ही हिंदू संगठनों ने मौके पर पहुंचकर विरोध जताया और पूरे मामले की जानकारी पुलिस को दी. तोरवा पुलिस ने कार्रवाई करते हुए दो लोगों को हिरासत में लिया है. फिलहाल, सभी से पूछताछ की जा रही है.

पहले भी सामने आ चुके हैं धर्मांतरण के मामले

बता दें कि बिलासपुर जिले में धर्मांतरण से जुड़े मामलों में पिछले कुछ महीनों से लगातार वृद्धि देखी जा रही है. इससे पहले भी सरकंडा और मोपका क्षेत्रों में इसी तरह की शिकायतों पर कार्रवाई हो चुकी है.

बीते 6 अप्रैल को सरकंडा थाना अंतर्गत अटल आवास में दो अलग-अलग स्थानों पर धर्मांतरण की गतिविधियों की शिकायत पर पुलिस ने दो पास्टर समेत करीब आधा दर्जन लोगों को हिरासत में लिया था.

वहीं 23 मार्च को भी मोपका क्षेत्र में हिंदू संगठन की शिकायत पर पुलिस ने दो घरों में दबिश देकर प्रार्थना सभा की आड़ में चल रहे धर्मांतरण के प्रयास को रोका था. इस दौरान पुलिस ने चार लोगों को हिरासत में लिया था और धर्म विशेष से जुड़ी किताबें व साहित्य जब्त किए थे. सरकंडा पुलिस को सूचना मिली थी कि कुछ लोग गुप्त रूप से प्रार्थना सभाओं के जरिए लोगों को धर्म बदलने के लिए प्रेरित कर रहे थे.

धरने पर बैठी बर्खास्त बीएड शिक्षिका को बिच्छू ने मारा डंक, हालत गंभीर

रायपुर- बीएड डिग्री धारी बर्खास्त शिक्षकों की समस्या कम होने का नाम नहीं ले रही है. एक तरफ सरकार सुध नहीं ले रही है, तो दूसरी ओर नवा रायपुर धरना स्थल पर परेशानी अलग है. ऐसे में धरने पर बैठी एक शिक्षिका को बीती रात बिच्छू ने काट लिया, जिसके बाद उसकी हालत गंभीर है.

नवा रायपुर के तूता धरनास्थल में चार महीनों से धरना दे रहे हैं. इन्हीं में से एक महिला शिक्षिका प्रिया मंडावी को बीती रात करीब डेढ़ बजे बैस भवन में सोते समय बिच्छू ने डंक मार दिया. चीख-पुकार सुनकर बाकी शिक्षकों ने 112 को कॉल किया. लेकिन कोई रिस्पांस नहीं मिलने पर साथी सहायक शिक्षक उन्हें मोटरसाइकिल में बिठाकर अभनपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र ले गए. महिला की स्थिति गंभीर देखते हुए उन्हें अंबेडकर अस्पताल में दाखिल कराया गया है, जहां उनकी हालत गंभीर बनी हुई है.

बताया गया कि पहले भी धरना स्थल और विश्राम भवन में साँप, बिच्छू निकलते रहा है, जिससे धरने पर बैठे शिक्षकों की जान को खतरा बना रहता है. आंदोलनरत प्रदेश भर से विशेषकर बस्तर और सरगुजा संभाग से आई 150 से ज्यादा शिक्षिका इस भवन के चार कमरों में विपरीत स्थिति में रहने पर मजबूर है.

तूता धरना स्थल में अव्यवस्था

शिक्षकों की शिकायत है कि धरनास्थल पर पेयजल और शौचालय की व्यवस्था अत्यंत खराब है. इसकी शिकायत कई बार प्रशासन से की जा चुकी है, पर अब तक कोई समाधान नहीं निकला है. इसके बावजूद शिक्षकों का कहना है कि, जब तक सरकार उनका समायोजन नहीं करती, वे हर परिस्थिति का सामना करते हुए धरना स्थल पर डटे रहेंगे.

उपमुख्यमंत्री श्री शर्मा ने सुकमा में आत्मसमर्पित नक्सलियों से की चर्चा: राज्य शासन की समस्त योजनाओं के लाभ दिलाने के दिए निर्देश

रायपुर-  उपमुख्यमंत्री एवं गृहमंत्री विजय शर्मा शनिवार को सुकमा के एकदिवसीय दौरे पर पहुँचे। इस दौरान उन्होंने नक्सल पुनर्वास केंद्र का निरीक्षण किया और आत्मसमर्पित नक्सलियों से मुलाकात कर उनके वर्तमान हालात, सरकार की पुनर्वास नीति तथा उनके अनुभवों के बारे में जानकारी ली।

उपमुख्यमंत्री श्री शर्मा ने स्पष्ट किया कि छत्तीसगढ़ सरकार राज्य में शांति स्थापना और सामाजिक समावेश की दिशा में गंभीरता से कार्य कर रही है। उन्होंने आत्मसमर्पित नक्सलियों से संवाद करते हुए उनके पुनर्वास, शिक्षा, रोजगार और समावेशन की योजनाओं की समीक्षा की। उन्होंने सभी को आश्वस्त किया कि सरकार उनके समुचित पुनर्वास हेतु प्रतिबद्ध है। शासन की ओर से सभी ज़रूरी दस्तावेज – राशन कार्ड, आधार कार्ड, आयुष्मान कार्ड, बैंक पासबुक, वोटर आईडी और राजस्व संबंधी प्रमाणपत्र – बनाए जाएंगे।

उपमुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि आत्मसमर्पित नक्सलियों को लघुवनोपज आधारित प्रसंस्करण एवं कृषि संबंधित रोजगारमूलक प्रशिक्षण से जोड़ा जाए। उन्होंने पुनर्वास केंद्र में एक नियमित प्रशिक्षक (रेगुलर इंस्ट्रक्टर) की नियुक्ति तथा कौशल उन्नयन हेतु प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित करने के निर्देश कलेक्टर को दिए। साथ ही केंद्र में एक देवस्थली की स्थापना कर नियमित पूजा-अर्चना की व्यवस्था करने को भी कहा।

उपमुख्यमंत्री श्री शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार पुनर्वास और विकास को लेकर पूरी संवेदनशीलता के साथ कार्य कर रही है। आत्मसमर्पण करने वालों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए हरसंभव सहयोग दिया जाएगा।

इस अवसर पर बस्तर सांसद महेश कश्यप, महिला आयोग की सदस्य दीपिका सोरी, बस्तर रेंज के आईजी सुंदरराज पी., पंचायत विभाग के विशेष सचिव तारण प्रकाश सिन्हा, डीआईजी कमलोचन कश्यप, सुकमा कलेक्टर देवेश कुमार ध्रुव, एसपी किरण चव्हाण, जनप्रतिनिधि धनीराम बारसे, जिला पंचायत सदस्य हुंगाराम मरकाम सहित अनेक स्थानीय जनप्रतिनिधि और अधिकारी उपस्थित थे।

छत्तीसगढ़ कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा संघ का प्रांतीय सम्मेलन 2025: गरिमामय चर्चा, निंदा प्रस्ताव और नव कार्यकारिणी गठन के साथ संगठन को मिली नई दिशा

रायपुर- छत्तीसगढ़ कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा संघ का प्रांतीय सम्मेलन 2025 राजधानी रायपुर में भव्य एवं सफलतापूर्वक संपन्न हुआ. इस सम्मेलन में राज्य भर से आए तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों ने प्रशासनिक गरिमा, संगठनात्मक मजबूती और भावी कार्यदिशा को लेकर महत्वपूर्ण विचार साझा किए.

सम्मेलन के दौरान कोरबा तहसीलदार सत्यपाल राय के विरुद्ध, उनके पूर्व कार्यकाल (उपपंजीयक, भरतपुर) में भूमि रजिस्ट्री प्रकरण को लेकर पुलिस द्वारा की गई कार्यवाही की संघ ने तीव्र निंदा की. संघ ने इस मामले को शासन के समक्ष तथ्यों सहित प्रस्तुत कर न्याय की मांग का निर्णय लिया है.

इस अवसर पर वर्तमान कार्यकारिणी को भंग कर संघ के पूर्व अध्यक्ष एवं वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी कृष्ण कुमार लहरें को सर्वसम्मति से प्रदेश अध्यक्ष के रूप में मनोनीत किया गया. उन्होंने आगामी प्रदेश कार्यकारिणी का गठन निम्नानुसार किया:

प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष: विक्रांत राठौर

प्रदेश संयोजक: संजय राठौर, गुरुदत्त पंचभाये, वसुमित्र दीवान

प्रदेश सचिव: प्रशांत पटेल

प्रदेश प्रवक्ता: शशिभूषण सोनी

प्रदेश मीडिया प्रभारी: ओमप्रकाश चंद्रवंशी

प्रदेश सह मीडिया प्रभारी: तृप्ति चंद्राकर

इसके अतिरिक्त, प्रत्येक संभाग के लिए प्रदेश उपाध्यक्ष एवं प्रत्येक संभाग से एक-एक कार्यकारिणी सदस्य को भी मनोनीत किया गया, ताकि संगठनात्मक गतिविधियों में समावेशिता और संरचना को सुदृढ़ किया जा सके.

सम्मेलन में उपस्थित तहसीलदारों एवं नायब तहसीलदारों द्वारा निम्नलिखित 5 प्रमुख विषयों पर चर्चा की गई और संघ के आगामी कार्यदिशा हेतु सुझाव पारित किए गए:

  1. एकता और सहभागिता

प्रत्येक संभाग से संभागीय सलाहकार समितियों का गठन.

साप्ताहिक “संघ समाधान समूह” की बैठकें, जहाँ सभी सदस्य खुलकर अपने सुझाव व समस्याएं साझा कर सकें.

मासिक “संघ संवाद” बुलेटिन के माध्यम से संघीय कार्यों और प्रगति की पारदर्शी प्रस्तुति.

  1. प्रशासनिक एवं विधिक संरक्षण

मानक संचालन प्रक्रिया (SOPs) का निर्माण.

नोटिस/जांच उत्तरों हेतु प्रारूपों की व्यवस्था.

विधिक सहायता प्रकोष्ठ का गठन, जो विभागीय/कानूनी मुद्दों में सदस्यों को सहयोग प्रदान करेगा.

  1. व्यक्तिगत एवं पारिवारिक सहयोग

“सहयोग मंच” की स्थापना, जो सदस्यों और उनके परिवारों की स्वास्थ्य, शिक्षा एवं आपात स्थितियों में सहायता करेगा.

सेवानिवृत्त अधिकारियों के साथ संवाद एवं मार्गदर्शन की योजना.

  1. क्षमता विकास एवं सम्मान

“राजस्व प्रशासन कार्यशालाएं” वर्ष में दो बार आयोजित कर नवीनतम प्रशासनिक जानकारियाँ, तकनीकी दक्षता और प्रशिक्षण सुनिश्चित किया जाएगा.

उत्कृष्ट कार्य करने वाले सदस्यों को सम्मान पत्र/प्रमाण पत्र प्रदान कर संघीय स्तर पर सम्मानित किया जाएगा.

  1. पारदर्शी नेतृत्व एवं चुनाव सुधार

आगामी संघीय चुनावों के लिए ई-वोटिंग प्रणाली लागू की जाएगी.

नव निर्वाचित पदाधिकारी कार्यकाल आरंभ होने से पूर्व लक्ष्य घोषणाएं प्रस्तुत करेंगे तथा पूर्व पदाधिकारी अपना विवरणात्मक कार्य प्रतिवेदन सौंपेंगे.

संघ ने पुनः यह दोहराया कि वह प्रशासनिक सेवा की मर्यादा, स्वायत्तता और निष्पक्षता के लिए सदैव प्रतिबद्ध है, और किसी भी प्रकार की अनुचित कार्रवाई अथवा मानहानिक व्यवहार का संवैधानिक ढंग से विरोध करता रहेगा.

बस्तर को माओवाद से मुक्त करने के संकल्प के साथ सुकमा पहुँचे उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा

रायपुर-  प्रदेश के उपमुख्यमंत्री एवं गृहमंत्री विजय शर्मा ने शनिवार को अपने एक दिवसीय सुकमा प्रवास के दौरान कलेक्ट्रेट कार्यालय में नक्सल प्रभावित संवेदनशील क्षेत्रों के सरपंचों, जनपद सदस्यों और जिला पंचायत प्रतिनिधियों के साथ माओवाद मुक्त बस्तर के निर्माण को लेकर व्यापक चर्चा की।

बैठक की शुरुआत में उपमुख्यमंत्री श्री शर्मा ने सभी पंचायत प्रतिनिधियों से परिचय प्राप्त किया और उनके क्षेत्रों की भौगोलिक स्थिति एवं मूलभूत सुविधाओं की उपलब्धता की जानकारी ली। उन्होंने कहा कि बस्तर में विकास की अपार संभावनाएँ हैं और यहाँ के बच्चे अत्यंत प्रतिभाशाली हैं। माओवाद के कारण विकास की प्रक्रिया बाधित होती है, जिसे समाप्त करने के लिए सभी को मिलकर कार्य करना होगा।

उपमुख्यमंत्री श्री शर्मा ने पंचायत प्रतिनिधियों से आह्वान करते हुए कहा कि जो माओवाद की राह छोड़कर समाज की मुख्यधारा में आना चाहें, उनका पुनर्वास राज्य शासन द्वारा सुनिश्चित किया जाएगा। आत्मसमर्पित नक्सलियों को तत्काल 50 हजार रुपये की सहायता राशि दी जाएगी तथा उन्हें 4-5 महीने के आवासीय कौशल प्रशिक्षण में शामिल किया जाएगा, जिसमें रहने-खाने की सुविधा के साथ-साथ 10 हजार रुपये की आर्थिक सहायता भी दी जाएगी।

उन्होंने बताया कि माओवाद मुक्त पंचायत घोषित होते ही संबंधित ग्राम पंचायत को 1 करोड़ रुपये की विकास निधि स्वीकृत की जाएगी। जनपद एवं जिला पंचायत सदस्यों को भी पृथक से विकास कार्यों के लिए राशि दी जाएगी। साथ ही संबंधित गाँवों को बस सेवा, मोबाइल नेटवर्क और बिजली कनेक्टिविटी से भी जोड़ा जाएगा।

उन्होंने पंचायत पदाधिकारियों से प्रधानमंत्री आवास प्लस योजना के तहत अधिक से अधिक पात्र हितग्राहियों के पंजीयन हेतु जागरूक करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा स्पष्ट है – जनता के मन की बात को समझते हुए बस्तर को माओवाद से पूर्णतः मुक्त करना।

उपमुख्यमंत्री श्री शर्मा ने कहा कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में हम सभी मिलकर जल्द ही माओवाद मुक्त छत्तीसगढ़ का सपना साकार करेंगे।

इस अवसर पर महिला आयोग की सदस्य दीपिका सोरी, आईजी सुंदरराज पी., डीआईजी कमलोचन कश्यप, कलेक्टर देवेश कुमार ध्रुव, एसपी किरण चव्हाण, जनप्रतिनिधिगण धनीराम बारसे, जिला पंचायत अध्यक्ष व सदस्यगण, जनपद अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सरपंचगण एवं अन्य अधिकारीगण उपस्थित थे।