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श्रीलंका में पीएम मोदी को मिला ‘मित्र विभूषण’, ऐसा ग्रैंड वेलकम देख चिढ़ जाएगा चीन!

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी श्रीलंका के दौरे पर हैं। पीएम मोदी तीन दिन तक श्रीलंका में रहेंगे। खास बात है कि श्रीलंका पहुंचने पर पीएम मोदी की 5 मंत्रियों ने उनकी अगुवाई की। पीएम मोदी को कोलंबो में सेरेमोनियल गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया गया। श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके ने पीएम मोदी को बड़ा सरप्राइज दिया है। राष्ट्रपति ने कोलंबो के इंडिपेंडेंस स्क्वायर पर आज शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विशेष औपचारिक स्वागत किया। पीएम मोदी को गॉर्ड ऑफ ऑनर देकर स्वागत किया गया। यह पहली बार हुआ है, जब श्रीलंका ने किसी अतिथि का इस तरह से स्वागत किया है। श्रीलंका पहुंचने पर पीएम मोदी का जिस तरह से स्वागत हुआ उससे चीन को मिर्ची लगनी तय है।

वहीं, दूसरी ओर श्रीलंका दौरे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘मित्र विभूषण’ मेडल से सम्मानित किया गया। श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके ने प्रधानमंत्री मोदी को 'मित्र विभूषण सम्मान' का मेडल पहनाकर सम्मानत किया। प्रधानमंत्री मोदी को यह सम्मान द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और दोनों देशों की साझा सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को बढ़ावा देने के उनके असाधारण प्रयासों के लिए दिया गया है। यह किसी विदेशी राष्ट्र द्वारा प्रधानमंत्री मोदी को दिया गया 22वां अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार है।

श्रीलंकाई ‘मित्र विभूषण’ मेडल को लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि श्रीलंका मित्र विभूषण से सम्मानित किया जाना मेरे लिए गौरव की बात है। यह पदक भारत-श्रीलंका संबंधों की गहराई और गर्मजोशी को दर्शाता है। ये सम्मान केवल मेरा सम्मान नहीं, बल्कि यह 140 करोड़ भारतीयों का सम्मान है। यह भारत और श्रीलंका के बीच ऐतिहासिक संबंधों और गहरी मित्रता का सम्मान है।

पीएम मोदी ने की प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता

कोलंबो में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके के बीच कुछ देर पहले प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता हुई। इस दौरान भारत और श्रीलंका ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिसानायके की उपस्थिति में समझौता ज्ञापनों का आदान-प्रदान किया। इस दौरान भारत और श्रीलंका के बीच श्रीलंका को बहु-क्षेत्रीय अनुदान सहायता पर सहमति बनी। इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति दिसानायके के बीच वार्ता के बाद भारत एवं श्रीलंका ने त्रिंकोमाली को ऊर्जा केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए।

पीएम मोदी के स्वागत के लिए पांच शीर्ष मंत्री पहुंचे

इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन दिवसीय यात्रा पर शुक्रवार (4 अप्रैल) शाम को श्रीलंका पहुंचे। जहां पीएम मोदी का भव्य स्वागत किया गया। ग्रैंड वेलकम का अंदाजा आप इस बात से भी लगा सकते हैं कि श्रीलंका के राष्ट्रपति ने उन्हें रिसीव करने के लिए अपने 5 मंत्रियों को एक साथ शुक्रवार को एयरपोर्ट पर भेजा। प्रधानमंत्री मोदी का विशेष स्वागत करने के लिए श्रीलंका के विदेश मंत्री विजिता हेराथ, स्वास्थ्य मंत्री नलिंदा जयतिस्सा और मत्स्य पालन मंत्री रामलिंगम चंद्रशेखर सहित पांच शीर्ष मंत्री हवाई अड्डे पर मौजूद रहे। इसके बाद राष्ट्रपति ने खुद पीएम मोदी का इंडिपेंडेंस स्क्वायर में गार्ड ऑफ ऑनर के साथ स्वागत कराया।

वक्फ बिल पर गरमायी राजनीति, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने राष्ट्रपति मुर्मू से मांगा तत्काल मिलने का वक्त

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वक्‍फ संशोधन बिल संसद के दोनों सदनों से पास हो गया है। लोकसभा और राज्‍यसभा दोनों सदनों की मंजूरी के बाद अब यह बिल राष्‍ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पास जाएगा। उनकी मंजूरी के बाद यह कानून की शक्‍ल ले लेगा। इससे पहले वक्फ संशोधन बिल को लेकर देश में सियासत तेज हो गई है। विपक्षी दल और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड समेत कई मुस्लिम संगठन इस बिल का लगातार विरोध कर रहे हैं। शुक्रवार को देश के कई बड़े शहरों में वक्फ बिल के विरोध में प्रदर्शन हुए हैं। वहीं, अब मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से तत्काल मुलाकात का समय मांगा है।

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की तरफ से राष्ट्रपति को एक पत्र लिखा गया है। बोर्ड के महासचिव मौलाना फजलुर रहीम मुजद्द्दीदी ने राष्ट्रपति को पत्र लिखा है। चिट्ठी के मुताबिक लोकसभा और राज्यसभा से वक्फ संशोधन बिल के पास होने के बाद संगठन ने तुरंत राष्ट्रपति से मिलने का समय मांगा है। बिल पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर से पहले बोर्ड ने राष्ट्रपति से मिलने का समय मांगा है। राष्ट्रपति को लिखी चिट्ठी में बोर्ड ने कहा कि यह अधिनियम पूरी तरह से असंवैधानिक है और देश के मुसलमानों पर हमला है।

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा, “हमारा मानना है कि अधिनियम के प्रावधानों पर गंभीरता से पुनर्विचार की आवश्यकता है क्योंकि वे भारत के संविधान के तहत गारंटीकृत मौलिक अधिकारों के साथ असंगत हैं, विशेष रूप से धार्मिक स्वतंत्रता, समानता और धार्मिक संस्थानों की सुरक्षा के संबंध में। मुस्लिम संगठन ने कहा, मामले की गंभीरता को देखते हुए, हम आपसे विनम्र अनुरोध करते हैं कि कृपया हमें आपके लिए सुविधाजनक समय पर शीघ्र नियुक्ति प्रदान करें ताकि हम अपनी चिंताओं को प्रस्तुत कर सकें और संवैधानिक ढांचे के भीतर संभावित समाधानों पर चर्चा कर सकें।

वक्फ बिल के खिलाफ दूसरी याचिका

इधर, वक्फ बोर्ड से जुड़ा मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट में इस संबंध में दूसरी याचिका दायर भी हो गई है। कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद के बाद अब ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन या एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने वक्फ बिल को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। वक्फ संशोधन कानून पर यह सुप्रीम कोर्ट में दाखिल होने वाली दूसरी याचिका है।

कांग्रेस सांसद ने दी बिल को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

इससे एक दिन पहले ही संसद से पारित हुए वक्फ संशोधन बिल को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद ने शीर्ष अदालत में एक याचिका दायर कर वक्फ संशोधन विधेयक को मुस्लिम समुदाय के प्रति भेदभावपूर्ण और उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करने वाला बताते हुए चुनौती दी है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा जल्द ही इस मामले में सुनवाई के लिए वक्त तय किया जाएगा।

UPI से जुड़ेंगे बिम्सटेक देश, पीएम मोदी ने दिया खास प्रस्ताव

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भारत के यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस यानी यूपीआई का डंका पूरी दुनिया में बज रहा है। इस समय सात देशों में यूपीआई का इस्तेमाल हो रहा है। इनमें भूटान, मॉरीशस, नेपाल, सिंगापुर, श्रीलंका, और फ्रांस शामिल हैं। अब जल्द ही बिम्सटेक मे शामिल देश भी इससे जुड़ सकते हैं। दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आपसी सहयोग को बढ़ाने के लिए यूपीआई को बिम्सटेक देशों की भुगतान प्रणालियों के साथ जोड़ने की अपील की है। इसके अलावा पीएम मोदी ने भारत में बिम्सटेक चैंबर ऑफ कॉमर्स स्थापित करने समेत 21 सूत्री कार्ययोजना पेश की है।

हाल ही में थाईलैंड में संपन्न हुए छठवें बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में पीएम नरेंद्र मोदी ने सदस्य देशों को यूपीआई से जुड़ने का प्रस्ताव दिया। उन्होंने कहा कि इससे क्षेत्र में व्यापार, कारोबार और पर्यटन को बढ़ावा मिल सकता है। इसके अलावा प्रधानमंत्री ने बिम्सटेक चैंबर ऑफ कॉमर्स की स्थापना करने, वार्षिक व्यापार शिखर सम्मेलन आयोजित करने और क्षेत्र में स्थानीय मुद्राओं में व्यापार को बढ़ावा देने की संभावनाएं तलाशने का भी प्रस्ताव रखा।

बिम्सटेक को मजबूत करने और आपसी सहयोग बढ़ाना पर बल

मोदी ने एक्स पर पोस्ट किया, ‘बिम्सटेक को मजबूत करना और आपसी सहयोग बढ़ाना बेहद जरूरी है। इस संदर्भ में मैंने विभिन्न पहलुओं को शामिल करते हुए 21 सूत्रीय कार्ययोजना का प्रस्ताव रखा है।’

मोदी ने बेंगलूरु में नवनिर्मित बिम्सटेक एनर्जी सेंटर का भी जिक्र किया, जो ऊर्जा क्षेत्र में युवाओं को प्रशिक्षित करेगा। उन्होंने पूरे क्षेत्र में इलेक्ट्रिक ग्रिड इंटरकनेक्शन पर तेजी से काम करने का भी आग्रह किया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘इसके अतिरिक्त, मैं बिम्सटेक क्षेत्र में भुगतान प्रणालियों के साथ यूपीआई को जोड़ने का प्रस्ताव रखता हूं। इससे सभी स्तरों पर व्यापार, उद्योग और पर्यटन को लाभ होगा। पीएम मोदी ने कहा कि मैं बिम्सटेक क्षेत्र में स्थानीय मुद्राओं में व्यापार को बढ़ावा देने के लिए व्यवहार्यता अध्ययन कराने का भी सुझाव देता हूं।’

बिम्सटेक के दायरे और क्षमताओं को बढ़ाने पर जोर

प्रधानमंत्री ने कहा कि बिम्सटेक दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया को जोड़ने वाले पुल का कार्य करता है। यह क्षेत्रीय संपर्क, सहयोग और समृद्धि के नए रास्ते खोलने के लिए प्रभावी मंच के रूप में उभर रहा है। पीएम मोदी ने बिम्सटेक समूह के दायरे और क्षमताओं को बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने गृह मंत्रियों के तंत्र को संस्थागत बनाने की पहल की सराहना की। साथ ही भारत में पहली बैठक आयोजित करने का प्रस्ताव रखा।

बिम्सटेक में गठन के बाद से प्रगती ना के बराबर

बिम्सटेक ने 1997 में अपने गठन के बाद से आर्थिक सहयोग या सीधे आपसी संपर्क में बहुत अधिक प्रगति नहीं की है। मौजूदा शिखर सम्मेलन में समूह में गतिशीलता लाने के तरीकों पर भी जोर दिया गया। सदस्य देशों के नेताओं ने क्षेत्र की सामूहिक समृद्धि के लिए रोड मैप वाले बैंकॉक विजन 2030 दस्तावेज को अपनाया।

बिम्सटेक भारत के नेतृत्व पर निर्भर

बिम्सटेक देशों में भारत का दबदबा कायम है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस समूह को पीएम मोदी की नीतियों और सोच ने बड़ा आकार दिया है। बिम्सटेक समूह अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए भारत के नेतृत्व पर निर्भर है। भारत के नेतृत्व में प्रधानमंत्री का पड़ोस पहले नीति, एक्ट ईस्ट नीति, महासागर विजन और इंडो-पैसिफिक के लिए विजन पर ध्यान समूह को गतिशीलता प्रदान करता है। भारत ने बहुपक्षीय कार्य का व्यापक अनुभव रखने वाले राजनयिक इंद्र मणि पांडे को महासचिव नियुक्त किया है। भारत ने बिम्सटेक सचिवालय को एक मिलियन अमेरिकी डॉलर दिए हैं।

इसके अलावा भारत के नेतृत्व में बिम्सटेक का एजेंडा कई गुना फैला है। बिम्सटेक कार्य क्षेत्र को सात भागों में बांटा गया है। इसमें प्रत्येक देश एक भाग का नेतृत्व करता है - भारत सुरक्षा क्षेत्र का नेतृत्व करता है। अन्य खंड व्यापार, निवेश और विकास (बांग्लादेश), पर्यावरण और जलवायु (भूटान), कृषि और खाद्य सुरक्षा (म्यांमार), लोगों से लोगों का संपर्क (नेपाल), अंतरिक्ष और प्रौद्योगिकी और नवाचार (श्रीलंका), और कनेक्टिविटी (थाईलैंड) पर है।

थाईलैंड के बाद श्रीलंका पहुंचे पीएम नरेंद्र मोदी, जानें भारत के लिए कितना अहम है ये दौरा?

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन दिवसीय यात्रा पर शुक्रवार (4 अप्रैल) शाम को श्रीलंका पहुंचे। पीएम मोदी थाइलैंड की यात्रा खत्म करने के बाद कोलंबो पहुंचे। कोलंबो के भंडारनायके अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर प्रधानमंत्री मोदी का शानदार स्वागत किया गया। प्रधानमंत्री मोदी का विशेष स्वागत करने के लिए श्रीलंका के विदेश मंत्री विजिता हेराथ, स्वास्थ्य मंत्री नलिंदा जयतिस्सा और मत्स्य पालन मंत्री रामलिंगम चंद्रशेखर सहित पांच शीर्ष मंत्री हवाई अड्डे पर मौजूद रहे। इसके अलावा सैकड़ों स्थानीय लोगों और भारतीय प्रवासी समुदाय के सदस्यों ने भारी बारिश के बावजूद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का कोलंबो में भव्य स्वागत किया। श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके के निमंत्रण पर पीएम मोदी बैंकॉक से राजकीय यात्रा पर यहां पहुंचे हैं।

10 क्षेत्रों में समझौते होने की उम्मीद

पीएम मोदी का दौरा भारत और श्रीलंका के बीच रक्षा संबंधों को मजबूत करने के साथ-साथ ऊर्जा, व्यापार और कनेक्टिविटी में सहयोग बढ़ाने के लिए है। प्रधानमंत्री मोदी शनिवार को श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके के साथ बैठक करेंगे। इस दौरान भारत और श्रीलंका में 10 क्षेत्रों में समझौते होने की उम्मीद है। इस दौरान रक्षा सहयोग समझौते समेत सात समझौतों को अंतिम रूप दिए जाने की संभावना है। इसके अलावा तीन और समझौतों पर भी बात हो सकती है। इनमें खासतौर से रक्षा समझौते पर नजर है।

हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव रक्षा समझौता अहम

भारत और श्रीलंका के बीच पहली बार रक्षा समझौता होने जा रहा है।यही कारण है पूरी दुनिया की निगाहें दोनों के बीच होने वाली डील पर टिकी हुई है।भारत और श्रीलंका के बीच रक्षा समझौते पर माना जा रहा है कि चीन की हिंद महासागर क्षेत्र में बढ़ती सैन्य ताकत को देखते हुए यह महत्वपूर्ण है।

हंबनटोटा, हिंद महासागर के महत्वपूर्ण समुद्री व्यापार मार्गों के पास स्थित है। ये बंदरगाह दुनिया के सबसे व्यस्त बंदरगाहों में से एक है। 150 करोड़ डॉलर की लागत से बनाए गए हंबनटोटा बंदरगाह का निर्माण चीन से कर्ज लेकर किया गया था। लेकिन कर्ज चुकाने में नाकाम होने के बाद, श्रीलंका ने इसे 99 साल के लीज पर चीन को सौंप दिया। यह वही बंदरगाह है जिसे चीन अब अपनी रणनीतिक गतिविधियों के लिए इस्तेमाल कर रहा है।

इसके कारण भारत और श्रीलंका के रिश्तों में तल्खी देखने को मिली थी। अब ऐसे में भारत की इस डील के जरिए कोशिश है कि श्रीलंका में चीन के प्रभाव को कम किया जाए। इसके लिए जो भी काम करने होंगे वो किए जाएंगे।

श्रीलंका का भरोसेमंद साझेदार बनाना चाहता है भारत

भारत श्रीलंका को चीन के कर्ज के जाल से बाहर निकालकर एक भरोसेमंद साझेदार बनाना चाहता है। डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देने के लिए दोनों देशों के बीच एक डील होने संभावना है। दोनों नेताओं के बीच ऊर्जा संपर्क, डिजिटलीकरण, रक्षा, स्वास्थ्य और बहुक्षेत्रीय अनुदान सहायता से संबंधित कई समझौतों का आदान-प्रदान भी होगा। अपनी चर्चाओं के दौरान दोनों नेता मछुआरों से संबंधित सभी मुद्दों पर भी चर्चा करेंगे, जिसमें भारतीय मछुआरों और मछली पकड़ने वाली नौकाओं की शीघ्र रिहाई और प्रत्यावर्तन भी शामिल है।

पीएम मोदी संग मुलाकात में मोहम्मद यूनुस ने उठाया शेख हसीना के प्रत्यर्पण का मुद्दा, क्या करेगा भारत

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भारत-बांग्लादेश के रिश्तों में तल्खी के बीच बैंकॉक की धरती पर पीएम मोदी और मोहम्मद यूनुस के बीच मुलाकात हुई। थाईलैंड में बिम्सटेक सम्मेलन के इतर पीएम मोदी और मोहम्मद यूनुस के बीच द्विपक्षीय बैठक हुई। यह बैठक इसलिए खास है, क्योंकि शेख हसीना सरकार के जाने के बाद यह दोनों देशों के बीच पहली द्विपक्षीय बैठक है। दोनों नेताओं के बीच कई कई मु्द्दों पर चर्चा हुई। इस दौरान यूनुस ने शेख हसीना के प्रत्यर्पण का भी मु्द्दा उठाया।

पीएम मोदी की थाईलैंड यात्रा पर ब्रीफ्रिंग देते हुए मिसरी ने कहा, 'पीएम मोदी और मोहम्मद यूनुस के बीच शेख हसीना के प्रत्यर्पण पर बातचीत हुई। इस बारे में मैं और कुछ नहीं कह सकता।'

बता दें कि मोहम्मद यूनुस ने पहले भारत से शेख हसीना की प्रत्यर्पण की मांग कर चुके हैं। यूनुस का कहना है कि भारत में रहकर शेख हसीना बांग्लादेश की राजनीति को अस्थिर कर रही है, जिससे वहां के लोकतंत्र को खतरा हो गया है।

वहीं, बांग्लादेशी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बैठक के दौरान मोहम्मद यूनुस ने बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण का मुद्दा भारत के सामने उठाया है। मोहम्मद यूनुस और पीएम मोदी की बैठक के बारे में पूछे जाने पर बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार के प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने इस बात की पुष्टि की है। उन्होंने दोनों नेताओं के बीच की इस बैठक को "बहुत उपयोगी और रचनात्मक" बताया है।

शफीकुल आलम ने कहा है कि "हमने भारत के साथ आपसी हितों के सभी मामलों पर चर्चा की है।" बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि "मुख्य सलाहकार ने बांग्लादेश के लिए महत्वपूर्ण सभी मुद्दों को उठाया। चर्चा में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण, भारत में रहते हुए उनकी तरफ से दिए जाने वाले भड़काऊ बयान, सीमा पर हत्याओं का मुद्दा, गंगा जल संधि का नवीनीकरण और लंबे समय से लंबित तीस्ता संधि पर चर्चा की गई।" उन्होंने आगे कहा कि "दोनों शीर्ष नेताओं के बीच बातचीत सकारात्मक और उत्पादक रही।"

बता दें कि शेख हसीना पिछले साल अगस्त में बांग्लादेश में हुए एक हिंसक प्रदर्शन के बाद भागकर भारत आ गई थीं। उन्हें फिलहाल नई दिल्ली ने शरण दे रखा है। उनके खिलाफ बांग्लादेश में दर्जनों मुकदमें दर्ज किए गये हैं, जिनमें उनके ऊपर हत्या के मुकदमें भी दर्ज हैं। बांग्लादेश कई बार औपचारिक तौर पर शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग कर चुका है।

वक्फ संशोधन बिल का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, कांग्रेस सांसद ने दी चुनौती

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वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर देश की राजनीतिक गर्म होती जा रही है। संसद के दोनों सदनों से पास होने के बाद भी वक्फ संशोधन बिल को लेकर विरोध बढ़ता जा रहा है। अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद ने वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। बिहार के किशनगंज से कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद ने यह याचिका लगाई है। वक्फ बिल के खिलाफ यह पहली याचिका पेश की गई है।

याचिका दायर कर लगाए ये आरोप

कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद ने वक्फ संशोधन अधिनियम को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। उनका दावा है कि यह मुस्लिम समुदाय के प्रति भेदभावपूर्ण है और उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। याचिका में कहा गया है, इस्लामी कानून, रीति-रिवाज या मिसाल में इस तरह की सीमा निराधार है और यह अनुच्छेद 25 के तहत धर्म को मानने और उसका पालन करने के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करती है। इसके अतिरिक्त, यह प्रतिबंध उन व्यक्तियों के साथ भेदभाव करता है, जिन्होंने हाल ही में इस्लाम धर्म अपनाया है और धार्मिक या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए संपत्ति समर्पित करना चाहते हैं, जिससे अनुच्छेद 15 का उल्लंघन होता है।

याचिका में यह भी कहा गया है कि वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद की संरचना में संशोधन करके वक्फ प्रशासनिक निकायों में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करना धार्मिक शासन में एक अनुचित हस्तक्षेप है, जबकि हिंदू धार्मिक बंदोबस्तों का प्रबंधन विभिन्न राज्य अधिनियमों के तहत विशेष रूप से हिंदुओं द्वारा किया जाता है।

जयराम रमेश ने भी कही सुप्रीम कोर्ट जाने की बात

इससे पहले कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने कहा था कि कांग्रेस हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। जयराम रमेश ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस बहुत जल्द ही वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 की संवैधानिकता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी। कांग्रेस पहले से ही कई कानूनों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रही है। इनमें सीएए 2019, आरटीआई एक्ट 2005 में संशोधन और चुनाव नियमों में संशोधन शामिल हैं। इसके अलावा कांग्रेस पार्टी पूजा स्थल अधिनियम-1991 को बरकरार रखने के लिए अदालत में हस्तक्षेप कर रही है। कांग्रेस के सीएए-2019 को चुनौती देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है। साथ ही आरटीआई अधिनियम, 2005 में 2019 के संशोधनों को चुनौती देने के मामले में भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है।जयराम रमेश ने कहा, हमें पूरा भरोसा है और हम भारत के संविधान में निहित सिद्धांतों, प्रावधानों और प्रथाओं पर मोदी सरकार के सभी हमलों का विरोध करना जारी रखेंगे।

डीएमके भी देगी चुनौती

इससे पहले तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने भी ऐलान किया है कि डीएमके वक्फ (संशोधन) बिल को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी। स्टालिन ने कहा कि तमिलनाडु लड़ेगा और इस लड़ाई में उसे सफलता मिलेगी। उन्होंने याद दिलाया कि 27 मार्च को तमिलनाडु विधानसभा ने वक्फ संशोधन विधेयक को वापस लेने का आग्रह करते हुए प्रस्ताव पारित किया था। इसमें कहा गया था कि यह धार्मिक सद्भाव को कमजोर करता है और अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय पर उल्टा प्रभाव डालता है।

चीन-अमेरिका में ट्रैरिफ वार, अब ड्रैगन ने अमेरिकी उत्पादों पर लगाया 34 फीसदी जवाबी टैक्स

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अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ वार शुरू हो गया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर लगाए गए टैरिफ के बाद बिजिंग और वाशिंगटन से भिड़ंत हो गयी है। ट्रंप ने 2 अप्रैल को चीन सहित कई देशों पर रेसीप्रोकल टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। ट्रंप के इस फैसले का चीन ने विरोध भी किया था। अब चीन ने अमेरिका को उसकी की भाषा में जवाब दिया है। दरअसल, चीन ने सभी अमेरिकी उत्पादों पर 34 फीसदी का अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी है।

चीन ने शुक्रवार को सभी अमेरिकी वस्तुओं पर 10 अप्रैल से एक्स्ट्रा टैरिफ बढ़ाने का ऐलान किया है। इतना ही नहीं चीन ने यह भी कहा कि वे अमेरिका से आने वाले मेडिकल सीटी एक्स-रे ट्यूबों की जांच शुरू करेंगे और दो अमेरिकी कंपनियों से पोल्ट्री उत्पादों के आयात पर रोक लगाएंगे।

गैडोलीनियम और यिट्रियम जैसी धातुओं के निर्यात पर भी सख्ती

इसके अलावा चीन ने कहा कि वह 11 अमेरिकी कंपनियों को अपनी “अविश्वसनीय संस्थाओं” की लिस्ट में शामिल कर रहा है। जो उन्हें चीन में या चीनी कंपनियों के साथ व्यापार करने से रोकती हैं। इतना ही नहीं, चीन ने बेशकीमती गैडोलीनियम और यिट्रियम समेत कुछ अन्य धातुओं के निर्यात पर भी सख्ती बरतने का संकेत दिया है। खास बात यह है कि इन सभी धातुओं का खनन चीन में सबसे ज्यादा किया जाता है। इनका इस्तेमाल इलेक्ट्रिक कारों से लेकर स्मार्ट बमों तक हर चीज में होता है।

पहले अमेरिका ने चलाया टैरिफ वाला चाबुक

अमेरिका ने चीन द्वारा जवाबी टैक्स का ऐलान करने से पहले भारत और चीन समेत अन्य देशों पर 2 अप्रैल से भारी-भरकम टैरिफ लागू किया था। इसमें चीन से आने वाले सामान पर 34% आयात कर लगाने का ऐलान किया था। वहीं यूरोपीय यूनियन से आयात पर 20 फीसदी, दक्षिण कोरियाई के उत्पादों पर 25 फीसदी,ताइवान के उत्पादों पर 32 फीसदी और जापानी उत्पादों पर 24 फीसदी टैक्स लागू करने का ऐलान किया था। इसके अलावा सभी विदेशी ऑटोमोबाइल पर 25 फीसदी का टैरिफ लगाया है। इसके पीछे ट्रंप का तर्क था कि हम सभी देशों के व्यापार और उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत करने को कदम उठाते हैं। उनकी सेना समेत अन्य कामों के लिए खर्चा देते हैं, लेकिन वह हम पर भारी टैरिफ लगाते हैं। अब ऐसा नहीं चलेगा। हम किसी के लिए इतना सब कुछ क्यों करेंगे।

मुलाकात पर मानें पर लगा दी क्लासःपीएम मोदी ने यूनुस को दी हिंदुओं की सुरक्षा और बयानबाजी से बचने की सलाह

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थाइलैंड की राजधानी बैंकॉक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्‍लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्‍मद यूनुस के बीच अहम मुलाकात हुई।शेख हसीना की सरकार के सत्ता से बाहर होने के बाद दोनों नेताओं की यह पहली मुलाकात थी। दोनों नेता बिम्सटेक सम्मेलन से इतर मिले। दोनों नेताओं के बीच करीब 40 मिनट बातचीत हुई।बैठक में पीएम मोदी ने बांग्लादेश के अंदर हिंदुओं सहित अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर भारत की चिंताओं पर जोर दिया। पीएम मोदी ने साथ ही बांग्लादेश को बयानबाजी बंद करने की नसीहत भी दे दी। भारत ने साथ ही बांग्लादेश को पूर्ण सहयोग और समर्थन देने का अपना वादा दोहराया।

मुहम्मद यूनुस के साथ पीएम मोदी की मुलाकात पर विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने जानकारी दी। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा कि बैठक के दौरान पीएम नरेन्द्र मोदी ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षा की चिंता का खास तौर पर जिक्र किया। मिसरी ने कहा कि पीएम मोदी ने बैठक के दौरान हिंदुओं समेत अल्पसंख्यकों के मुद्दे को उठाया।

मिसरी ने कहा कि भारत ने साथ ही लोकतांत्रिक, स्थायी, शांतिपूर्ण, प्रगतिशील और समावेशी बांग्लादेश का समर्थन का वादा किया। पीएम मोदी ने इसके अलावा मोहम्मद यूनुस को तनावपूर्ण स्थिति से बचने की भी सलाह दी। प्रधानमंत्री ने अपील की कि माहौल खराब करने वाली बयानबाजी से बचा जाए। सीमा पर सख्ती से अवैध घुसपैठ को रोका जा सकता है और सीमा सुरक्षा को कायम रखा जा सकता है।

बीते साल अगस्त में बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार को सत्ता से बेदखल होना पड़ा था। उसके बाद से मोहम्मद यूनुस ही बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं। हालांकि मोहम्मद यूनुस का कार्यकाल विवादों में घिरा रहा है और उनके कार्यकाल में बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों खासकर हिंदुओं पर अत्याचार की घटनाएं बढ़ीं। इसके चलते भारत और बांग्लादेश के रिश्तों में भी खटास आई है। बीते हफ्ते ही चीन के दौरे पर मोहम्मद यूनुस ने भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों को लेकर विवादित बयान दिया था, जिसके बाद दोनों देशों के रिश्तों में और तल्खी आई है।

वक्फ बिल पर नीतीश-नायडू ने भी निभाई यारी, क्या मुस्लिम वोटबैंक खिसकने का खौफ खत्म हुआ?

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वक्फ संशोधन बिल संसद के दोनों सदनों से पास हो गया है। वक्फ संशोधन बिल को पास कराना बीजेपी के लिए एक बड़ी अग्निपरीक्षा थी। हालांकि, बीजेपी पूरे जोश में नजर आई। ऐसा इसलिए है क्योंकि बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन में शामिल सभी पार्टियां सरकार के साथ दिया। वो वक्फ बिल पर सपोर्ट करते रहे। सबसे ज्यादा चर्चा नीतीश कुमार की जेडीयू और चंद्रबाबू नायडू की तेलुगु देशम पार्टी को लेकर थी। सभी के मन में सवाल था कि क्या वो वक्फ संशोधन बिल का सपोर्ट करेंगे? आखिरकार दोनों ही पार्टियों ने बिल पेश होने से पहले वक्फ बिल के समर्थन का ऐलान कर दिया था। ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि बिल के समर्थन के पीछे की वजह क्या है?

नीतीश-नायडू टस से मस नहीं हुए

वक्फ संसोधन बिल 2025 को संसद से पास कराना मोदी सरकार के लिए आसान नहीं था। बिल पास कराने में बड़ी अड़चन थी। मुस्लिमों से जुड़ा बिल होने के चलते मिल्ली तंजीमों और विपक्षी दलों ने बीजेपी के अगुवाई वाले एनडीए के सहयोगी दलों पर दबाव बनाने की कवायद सड़क से संसद तक की। रमजान के महीने में मुस्लिम संगठन ने बीजेपी के सहयोगी दलों की रोजा इफ्तार पार्टी का बॉयकाट तक करके दबाव बनाने की कोशिश की। इसके अलावा बिहार और आंध्र प्रदेश में बड़ी जनसभाएं करके भी प्रेशर पॉलिटिक्स करने की स्ट्रैटेजी अपनाई। लेकिन बीजेपी के सहयोगी खासकर नीतीश कुमार, चंद्रबाबू नायडू टस से मस नहीं हुए।

जेडीडू-टीडीपी में मुस्‍ल‍िम वोट ख‍िसकने का डर खत्‍म हो गया?

बीजेपी के नीतीश और नायडू ने मुस्लिम वोटबैंक की परवाह किए बगैर वक्फ संशोधन बिल पर मोदी सरकार के साथ मजबूती से खड़ी रही। शायद नीतीश और नायडू को भरोसा है कि मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण उनके खिलाफ उतना प्रभावी नहीं होगा। बिहार में मुस्लिम आबादी करीब 17% है और आंध्र प्रदेश में यह 9% से अधिक है। दोनों राज्यों में मुस्लिम वोट चुनावी नतीजों को प्रभावित कर सकते हैं। फिर भी, दोनों नेताओं ने बिल का समर्थन किया, जिससे लगता है कि वे इस जोखिम को उठाने को तैयार थे।

बीजेपी के साथ से राह होगी आसान?

बिहार में नीतीश का मुकाबला तेजस्वी यादव की आरजेडी से है, जो मुस्लिम-यादव (MY) समीकरण पर निर्भर है। नीतीश शायद मानते हैं कि उनका विकास का ट्रैक रिकॉर्ड और बीजेपी के साथ गठबंधन उन्हें गैर-मुस्लिम वोटों का बड़ा हिस्सा दिलाएगा, जो मुस्लिम वोटों के नुकसान की भरपाई कर देगा। नायडू के लिए भी आंध्र में वाईएसआरसीपी और कांग्रेस के खिलाफ बीजेपी का साथ उनकी स्थिति को मजबूत करता है।

अल्पसंख्यक कल्याण कार्यक्रमों पर ज्यादा भरोसा

नीतीश कुमार ने बिहार में मुस्लिम समुदाय के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं चलाई हैं, जैसे मदरसों का आधुनिकीकरण और अल्पसंख्यक कल्याण कार्यक्रम। इसी तरह, नायडू ने आंध्र प्रदेश में मुस्लिम समुदाय के लिए स्कॉलरशिप और अन्य योजनाओं को बढ़ावा दिया है। दोनों को लगता होगा कि ये कदम उनके मुस्लिम वोट बैंक को बनाए रखने में मदद करेंगे, भले ही वक्फ बिल पर उनका रुख विवादास्पद हो। दूसरा, वक्‍फ बोर्ड के फैसलों से तमाम मुस्‍लि‍म ही खफा हैं। जो नुकसान के बजाय फायदेमंद होने वाला है।

आखिर पूरी हुई मुरादः बैंकॉक में पीएम मोदी से मिले मोहम्मद यूनुस, जानें क्या हुई बात?

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बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में मुलाकात हुई है। पिछले साल अगस्त में प्रधानमंत्री शेख हसीना को हटाए जाने के बाद यह उनकी पहली मुलाकात थी। बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का प्रशासक नियुक्त किया गया था। ऐसे में दोनों नेताओं की यह बैठक काफी अहम मानी जा रही है।

पीएम मोदी और यूनुस बिम्सटेक के शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने बैंकॉक पहुंचे हैं। इसी दौरान विम्सटेक से इतर दोनों नेताओं ने मुलाकात की। हालांकि, दोनों नेताओं के बीच की मुलाकात में वो बात नजर नहीं आई, जैसे मोदी के दूसरे वैश्विक नेताओं के साथ मुलाकात के दौरान देखी जाती है। पीएम मोदी अक्सर वैश्विक नेताओं से गर्मजोशी से मिलते हैं। लेकिन मोहम्मद यूनुस के साथ बैठक के दौरान ये गर्मजोशी नहीं दिख रही थी।

पीएम मोदी और मोहम्मद यूनुस के मुलाकात के वीडियो में दिख रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी से मिलने के लिए जब मोहम्मद यूनुस आ रहे होते हैं, तो पीएम मोदी पहले भारतीय परंपरा को दर्शाते हुए हाथ जोड़कर अभिनंदन करते हैं और मोहम्मद यूनुस के पहुंचने के बाद उनसे हाथ मिलाते हैं।

वहीं, दूसरे विदेशी नेताओं से मुलाकात के वक्त प्रधानमंत्री मोदी का हावभाव काफी अलग रहता है। किसी दूसरे नेता से मिलते वक्त प्रधानमंत्री मोदी को खुद आगे बढ़कर उनका स्वागत करते हुए देखा गया है। इस दौरान वो उनसे गले भी मिलते हैं और भारी मुस्कुराहट के साथ उनका स्वागत करते हैं। लेकिन मोहम्मद यूनुस के साथ मुलाकात के दौरान ऐसा कुछ नहीं दिखा।

यूनुस और मोदी के बीच मुलाकात के दौरान क्या बातचीत हुई है, इसकी जानकारी अभी तक सामने नहीं आई है। इस मुलाकात में दोनों देशों के शीर्ष राजनयिक भी मौजूद थे। ऐसे में माना जा रहा है कि ये बातचीत समसमायिक मुद्दे और दोनों देशों के व्यापार समझौते को लेकर हो सकता है।

दरअसल, शेख हसीना सरकार के सत्ता से बाहर हो जाने के बाद भारत और बांग्लादेश के रिश्तों में काफी कड़वाहट आ चुकी है। मोहम्मद यूनुस के शासन में बांग्लादेश में रह रहे अल्पसंख्यकों (हिंदुओं) पर अत्याचार के कई मामले सामने आ चुके हैं। बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमले को लेकर खुद पीएम मोदी ने चिंता जताई है।

वहीं, बांग्लादेश ने भारत को दरकिनार कर पाकिस्तान और चीन से रिश्तों को प्रगाढ़ किया है। पिछले हफ्ते ही जब मोहम्मद यूनुस बीजिंग में थे तो उन्होंने एंटी-इंडिया बात करते हुए खुद को बंगाल की खाड़ी का गार्जियन बताया था। पिछले हफ्ते चीन की अपनी यात्रा के दौरान यूनुस ने बीजिंग से बांग्लादेश में अपना आर्थिक प्रभाव बढ़ाने का आग्रह किया और विवादास्पद रूप से उल्लेख किया कि भारत के पूर्वोत्तर राज्यों का भूमि से घिरा होना एक अवसर साबित हो सकता है।