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दक्षिण-पूर्व एशिया में दो तेज भूकंप के झटकों से जमकर तबाही, थाइलैंड की राजधानी बैंकॉक में एक निर्माणाधीन उंची इमारत हुई धराशायी

डेस्क : दक्षिण-पूर्व एशिया में आज शुक्रवार को आए दो तेज भूकंप के झटकों से जमकर तबाही हुई। थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में कई इमारतें हिल गईं। इस दौरान एक निर्माणाधीन ऊंची इमारत देखते ही देखते धराशायी हो गई। बैंकॉक में ऊंची-ऊंची छतों वाले पूलों से पानी बहकर सड़कों पर आ गया और कई इमारतों से मलबा गिरने लगा। इसके अलावा शहर के साथ-साथ पड़ोसी म्यांमार में भी लोग दहशत में देखे गए।

प्रारंभिक रिपोर्टों के मुताबिक, अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण और जर्मनी के जीएफजेड भूविज्ञान केंद्र ने बताया कि दोपहर के भूकंप का केंद्र म्यांमार में 10 किलोमीटर (6.2 मील) की गहराई में था। इस भूकंप से तेज झटके महसूस किए गए और करीब 2 घंटे पहले एक हल्का झटका भी दोनों देशों में महसूस किया गया था। बैंकॉक में स्थानीय समय के अनुसार, भूकंप दोपहर करीब 1:30 बजे आया, जिसके बाद इमारतों में अलार्म बजने लगे। घनी आबादी वाले क्षेत्रों की ऊंची इमारतों और होटलों से लोगों को बाहर निकाला गया।

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, भूकंप के तुरंत बाद सोशल मीडिया पर कई वीडियो वायरल होने लगे। इसमें निर्माणाधीन इमारत ढहती हुई दिखाई दे रही थी। हालांकि, इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है। अब तक किसी के हताहत होने की तत्काल कोई सूचना नहीं है।

यूएई के जेलों में बंद भारतीय कैदियों के लिए बड़ी खुशखबरी, रमजान के पवित्र महीने में यूएई राष्ट्रपति ने दिया यह बड़ा तोहफा

डेस्क : संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के जेलों में सजा काट रहे भारतीय नागरिकों को लिए एक बड़ी खुशखबरी है। उन्हे क्षमा करने का एलान यूएई के सरकार द्वारा किया गया है। दरअसल रमजान के पवित्र महीने के दौरान संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने कैदियों के लिए बड़े पैमाने पर क्षमा की घोषणा की है, जिसमें 500 से अधिक भारतीय नागरिक भी शामिल हैं। फरवरी के अंत में लागू इस फैसले के तहत राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान ने 1,295 कैदियों की रिहाई का आदेश दिया। इसके साथ ही, प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम ने 1,518 कैदियों को क्षमादान दिया।

शेख मोहम्मद बिन राशिद की तरफ से दी गई क्षमा अलग-अलग राष्ट्रीयताओं के कैदियों पर लागू होती है, जो दुबई की सुधारात्मक और दंडात्मक सुविधाओं में बंद थे। इस कदम का मुख्य मकसद कैदियों को उनके परिवारों के साथ फिर से जोड़ना और उन्हें समाज में दोबारा शामिल होने का अवसर प्रदान करना है।

शेख मोहम्मद बिन जायद की पहल केवल क्षमादान तक सीमित नहीं रही, बल्कि उन्होंने रिहा किए गए कैदियों के वित्तीय दायित्वों को भी निपटाने का वादा किया है। इसका उद्देश्य कैदियों और उनके परिवारों पर पड़ने वाले आर्थिक बोझ को कम करना, घरों में स्थिरता को बढ़ावा देना और यह सुनिश्चित करना है कि वे वित्तीय बाधाओं के बिना नए सिरे से जीवन की शुरुआत कर सकें।

रमजान के दौरान कैदियों को क्षमा करने की यह वार्षिक परंपरा न्याय, करुणा और भारत के साथ मजबूत राजनयिक संबंध बनाए रखने के लिए यूएई की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। यह पहल रमजान के दया और मेल-मिलाप की भावना का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है।

संसद का बजट सत्र : राणा सांगा को लेकर दिए गए बयान पर भारी हंगामे के बीच राज्यसभा की कार्यवाही स्थगित, संसद में कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने कही यह

डेस्क : संसद का बजट सत्र अपने आखिरी सप्ताह में प्रवेश करने जा रहा है। संसद के बजट सत्र का दूसरा भाग 10 मार्च को शुरू हुआ और 4 अप्रैल तक चलेगा। संसद के दोनों सदनों राज्य सभा और लोक सभा में आज शुक्रवार को सुबह 11 बजे से कार्यवाही शुरू हुई। संसद ने वित्त विधेयक, 2025 को मंजूरी दे दी है, जिसे राज्यसभा ने लोकसभा को वापस कर दिया है। राज्यसभा ने विनियोग विधेयक (3) को भी वापस कर दिया है।

इधर रामजीलाल सुमन के राणा सांगा को लेकर दिए गए बयान पर हंगामा जारी है। आज इस मुद्दे पर राज्यसभा में भारी हंगामा हुआ। सत्ता पक्ष ने बयान को लेकर माफी की मांग की। हालांकि रामजीलाल सुमन बयान पर माफी मांगने से इनकार कर चुके हैं। हंगामे के चलते दोपहर 12 बजे तक राज्यसभा की कार्यवाही स्थगित कर दी गई है।

वहीं इस बयान के बाद रामजी लाल सुमन के घर पर हुए हमले को लेकर नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने नाराजगी जताई और कहा कि संविधान इसकी इजाजत नहीं देता है। उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप, राणा सांगा और देश के अन्य हिस्सों में जिन लोगों ने देश के लिए अपनी जान दी, हम उनका सम्मान करते हैं।

सपा सांसद रामजी लाल सुमन के बयान पर चर्चा के दौरान संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने कहा था कि इस सदन में अगर देश के हीरो को कोई बेइज्जत करता है। मैं नहीं मानता हूं कि ये मुद्दा सिर्फ हमारे सुमन जी का है। वो काफी सीनियर नेता हैं, लेकिन जो राणा सांगा को लेकर उन्होंने वक्तव्य दिया है। भले ही उसे सदन की कार्यवाही से निकाल दिया गया है, लेकिन वो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। उनके इस बयान को कैसे कोई मंजूर करेगा। इसलिए मैं कहता हूं कि इंडिया गठबंधन और कांग्रेस के नेता इस बयान को खारिज करें।

संसदीय कार्यमंत्री के बयान पर नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, 'आपने जो बातें रखी हैं, हम उसका स्वागत करते हैं। इस देश में जो भी देशभक्त हैं। देश के लिए लड़े हैं, उनका मैं सम्मान करता हूं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि कानून अपने हाथ में लेकर कोई अगर किसी के घर पर जाकर तोड़फोड़ करता है, अगर कोई उसकी संपत्ति को तोड़ता है। ये हम कभी नहीं मानेंगे। इसकी मैं निंदा करता हूं। सभापति जी आपकी बात से हम सहमत हैं, लेकिन इन्होंने वो मुद्दा उठाकर घर पर तोड़फोड़ की, उसकी गाड़ी तोड़ते हैं। ये अपमानजनक दलितों के खिलाफ जो हो रहा है, उसको हम कभी सहन नहीं करेंगे।'

गौरतलब है कि सपा सांसद ने 21 मार्च को राज्यसभा में राणा सांगा को लेकर टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा कि राणा सांगा ने इब्राहिम लोदी को हराने के लिए बाबर को भारत में आमंत्रित किया था। उन्होंने कहा, 'ये तो बीजेपी के लोगों का तकिया कलाम हो गया है कि मुसलमानों में बाबर का डीएनए है, लेकिन हिंदुस्तान का मुसलमान तो बाबर को अपना आदर्श मानता नहीं है, वे तो मोहम्मद साहब को अपना आदर्श मानते हैं। इब्राहिम लोदी को हराने के लिए राणा सांगा ने बाबर को भारत बुलाया था तो मुसलमान तो बाबर की औलाद हैं और तुम गद्दार राणा सांगा की औलाद हो।'

ट्रंप ने विदेशी वाहनों पर लगाया 25 टैरिफ, भारत समेत इन देशों के वाहन क्षेत्र होंगे प्रभावित

डेस्क : अमेरिका के राष्ट्रपति का पद संभालने के बाद से ट्रंप ने विदेश नीति में कई बदलाव किये है। उन्होंने आयात होने वाले वाहनों और वाहन कलपुर्जों पर आयात शुल्क के तौर पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। बीते बुधवार देर रात अपने आदेश में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने दो अप्रैल से टैरिफ लागू करने का आदेश दिया। इस फैसले से भारत, यूरोप, जापान, दक्षिण कोरिया और चीन के वाहन क्षेत्र प्रभावित होने की आशंका है।

ट्रंप के इस फैसले के बाद अमेरिका में उन कंपनियों की कारें, बाइक व कलपुर्जे महंगे होंगे जो अमेरिकी बाजार में उत्पाद भेज रही थीं। भारत में वाहन उद्योग ज्यादा प्रभावित नहीं होगा, लेकिन कलपुर्जे बनाने वाली कंपनियों का कारोबार प्रभावित हो सकता है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2024 में भारत से अमेरिका को केवल 89 लाख डॉलर की यात्री कारों का निर्यात किया गया, जो कुल 6.98 अरब डॉलर के निर्यात का छोटा हिस्सा है। भारत ने वर्ष 2024 में अमेरिका को 1.25 करोड़ डॉलर के ट्रक निर्यात किए, जो 0.89 फीसदी है।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय से जुड़े आंकड़ों को देखा जाए तो वर्ष 2024 में भारत से अमेरिका को केवल 89 लाख डॉलर की यात्री कारों का निर्यात किया गया, जो भारत द्वारा किए गए कुल 6.98 अरब डॉलर के निर्यात का एक छोटा हिस्सा है। ऐसे में कहा जा सकता है कि नए टैरिफ से भारत के बढ़ते कार निर्यात उद्योग पर व्यापक प्रभाव नहीं पड़ेगा। वैश्विक व्यापार अनुसंधान पहल (जीटीआरआई) की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रक निर्यात पर भी अमेरिकी टैरिफ का असर सीमित होगा।

भारत ने वर्ष 2024 में अमेरिका को 1.25 करोड़ डॉलर के ट्रक निर्यात किए, जो उसके वैश्विक ट्रक निर्यात का केवल 0.89 फीसदी है। हालांकि, भारत का वाहन कलपुर्जा क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित हो सकता है। भारत ने वर्ष 2024 में अमेरिका को 2.2 अरब डॉलर के कलपुर्जों का निर्यात किया था जो भारत के वैश्विक कलपुर्जा निर्यात का 29.1 फीसदी है। भारत ने वर्ष 2023 में अमेरिका को केवल 3.71 करोड़ डॉलर के वाहन निर्यात किए। यह आंकड़ा वर्ष 2024 में बढ़कर करीब 4 करोड़ डॉलर के आसपास रहा।

हर साल बढ़ेगा सूर्य तिलक का समय रामजन्मोत्सव पर छह अप्रैल को दोपहर 12 बजे होगा रामलला का सूर्य अभिषेक


रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव

राम जन्मोत्सव के दिन रामलला के सूर्य तिलक की व्यवस्था स्थायी हो गई है। इस रामनवमी से लगातार 20 सालों तक रामजन्मोत्सव पर सूर्य की किरणें रामलला का अभिषेक करेंगी। मंदिर के शिखर से सूर्य की किरणों को गर्भगृह तक लाया जाएगा। इसके लिए खास तरह के मिरर और लेंस लगाए जा रहे हैं। रुड़की के वैज्ञानिकों की टीम अयोध्या पहुंच गई है और सूर्य तिलक के लिए उपकरण लगाने का काम शुरू कर दिया है। वैज्ञानिकों के अनुसार अगले 19 सालों तक सूर्य तिलक का समय हर साल बढ़ता जाएगा। वैज्ञानिकों की टीम ने इसके लिए एक प्रोग्राम विकसित कर कम्प्यूटर में फीड कर दिया है। इस बार रामजन्मोत्सव का पर्व छह अप्रैल को मनाया जाएगा। इस दिन ठीक दोपहर 12:00 बजे रामलला का सूर्य तिलक होगा। रामलला के माथे पर यह विशेष सूर्य तिलक प्रत्येक रामनवमी यानी भगवान राम के जन्मदिन पर उनके माथे पर सजेगा। वैज्ञानिकों ने इसे ''सूर्य तिलक मैकेनिज्म'' नाम दिया है। सीबीआरआई (केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान) रुड़की के वैज्ञानिकों की एक टीम ने सूर्य तिलक मैकेनिज्म को इस तरह से डिजाइन किया है कि हर रामनवमी को दोपहर 12 बजे 75 मिमी के गोलाकार रूप में करीब तीन से चार मिनट तक सूर्य की किरणें भगवान राम की मूर्ति के माथे पर पड़ेंगी। गियर-बेस्ड सूर्य तिलक मैकेनिज्म में बिजली, बैटरी या लोहे का उपयोग नहीं किया जाएगा।

इस तरह होगा सूर्य तिलक

सूर्य तिलक के लिए आईआईटी रुड़की ने एक खास ऑप्टो मैकेनिकल सिस्टम तैयार किया है। इसमें मंदिर के तीसरे तल पर लगे दर्पण पर सूर्य की किरणें पड़ेंगी। दर्पण से 90 डिग्री पर परावर्तित होकर ये किरणें एक पीतल के पाइप में जाएंगी। पाइप के छोर पर एक दूसरे दर्पण से सूर्य किरणें एक बार फिर से परावर्तित होंगी और पीतल की पाइप के साथ 90 डिग्री पर मुड़ जाएंगी। दूसरी बार परावर्तित होने के बाद सूर्य किरणें लंबवत दिशा में नीचे की ओर चलेंगी। किरणों के इस रास्ते में एक के बाद एक तीन लेंस पड़ेंगे, जिनसे इनकी तीव्रता और बढ़ जाएगी। इसके बाद लंबवत पाइप के दूसरे छोर पर लगे दर्पण पर किरणें पड़ेंगी और दोबारा 90 डिग्री पर मुड़ जाएंगी। 90 डिग्री पर मुड़ी ये किरणें सीधे रामलला के मस्तक पर पड़ेंगी। इस तरह से रामलला का सूर्य तिलक पूरा होगा।

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के मौसम का मिजाज : अगले दो दिनों में तेज हवा के कारण तापमान में होगी हल्की गिरावट, खराब श्रेणी में पहुंची हवा

डेस्क : राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में मार्च महीने मे ही गर्मी ने अपना प्रचंड रुप दिखाना शुरु कर दिया है। वैसे अगले दो दिनों के बीच हवा की गति तेज रहने की संभावना है। इससे तापमान में हल्की गिरावट दर्ज की जाएगी। हालांकि, फिर गर्मी बढ़ने के आसार हैं। इस बीच, गुरुवार को दिल्ली का अधिकतम तापमान सामान्य से 3.8 डिग्री सेल्सियस ज्यादा रहा।

मौसम विभाग का अनुमान है कि शुक्रवार को दिल्ली में हवा की रफ्तार 15 से 25 किलोमीटर तक रहेगी। बीच-बीच में हवा की गति 35 किलोमीटर तक भी पहुंच सकती है। इन कारणों से दिल्ली के अधिकतम तापमान में गिरावट आएगी। शुक्रवार को अधिकतम तापमान 32 से 34 डिग्री सेल्सियस तक रहने की संभावना है।

मौसम के इन कारकों के चलते दिल्ली की हवा लगातार खराब बनी हुई है। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक शुक्रवार को दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 259 अंक पर रहा। इस स्तर की हवा को खराब श्रेणी में रखा जाता है। अगले दो दिनों के बीच वायु गुणवत्ता का स्तर इसी के आसपास रहने के आसार हैं।

दिल्ली के ज्यादातर हिस्सों में गुरुवार को तेज धूप निकली रही। इस दौरान दिल्ली की मानक वेधशाला सफदरजंग में दिन का अधिकतम तापमान 36.4 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया, जो कि सामान्य से 3.8 डिग्री सेल्सियस ज्यादा है। न्यूनतम तापमान 19.5 डिग्री सेल्सियस रहा, जो कि सामान्य से 1.4 डिग्री सेल्सियस ज्यादा है। यहां पर आर्द्रता का स्तर 80 से 20 फीसदी तक रहा। एक दिन पहले की तुलना में अधिकतम तापमान लगभग ढाई डिग्री सेल्सियस की गिरावट आई है।

बड़ी खबर : जम्मू-कश्मीर के कठुआ मुठभेड़ में 3 आतंकी ढेर 3 पुलिसकर्मी शहीद, इस आतंकी संगठन ने पुलिस पर हमले की ली जिम्मेवारी

डेस्क : जम्मू-कश्मीर एक बड़ी खबर सामने आई है। जहां कठुआ जिले के जंगलों में दिनभर चली भीषण मुठभेड़ में अबतक तीन आतंकवादी मारे गए है, जबकि तीन पुलिसकर्मी भी शहीद हो गए। मुठभेड़ में एक पुलिस उपाधीक्षक समेत सात अन्य घायल हो गए है।

अधिकारियों ने बताया कि मुठभेड़ गुरुवार को सुबह करीब आठ बजे शुरू हुई, जब जम्मू-कश्मीर पुलिस ने हाल ही में घुसपैठ करने वाले आतंकवादियों के एक समूह के खिलाफ अभियान तेज कर दिया। माना जा रहा है कि ये आतंकवादी पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद संगठन के सदस्य हैं।

अधिकारियों ने बताया कि राजबाग के घाटी जूथाना क्षेत्र में जखोले गांव के पास हुई मुठभेड़ में लगभग पांच आतंकवादी शामिल थे। जम्मू-कश्मीर पुलिस के विशेष अभियान समूह, सेना और सीआरपीएफ की संयुक्त टीम की गोलीबारी में तीन आतंकी मारे गए।

उन्होंने बताया कि जम्मू-कश्मीर पुलिस के विशेष अभियान समूह (एसओजी) के नेतृत्व में सेना और सीआरपीएफ की सहायता से की गई कार्रवाई में तीन आतंकवादी ढेर हो गए। इस दौरान एक उप-विभागीय पुलिस अधिकारी (एसडीपीओ) समेत तीन सुरक्षाकर्मी कथित तौर पर मुठभेड़ स्थल के पास फंस गए, जो घने पेड़ों से घिरे एक नाले के पास है। हालांकि, आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि एसडीपीओ (डीएसपी रैंक के अधिकारी) को देर शाम घटनास्थल से निकाल लिया गया, जबकि उनके तीन निजी सुरक्षा अधिकारी मृत पाए गए। उन्होंने बताया कि एक अन्य लापता पुलिसकर्मी के बारे में तत्काल पता नहीं चल पाया है। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने पुलिसकर्मियों की मौत की न तो पुष्टि की है और न ही खंडन किया है। पुलिस ने कहा है कि शुक्रवार सुबह घटनास्थल पर पहुंचने के बाद ही स्पष्ट तस्वीर सामने आएगी।

अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षा बलों ने रात में अभियान रोक दिया है, इसलिए अभी तक आतंकवादियों के शव बरामद नहीं किए जा सके हैं। उन्होंने कहा कि शुक्रवार सुबह अभियान फिर से शुरू किया जाएगा, क्योंकि माना जा रहा है कि इलाके में दो और आतंकवादी घिरे हुए हैं। अधिकारियों ने बताया कि माना जा रहा है कि वे भी मारे गए हैं, लेकिन ड्रोन से उनके शव नहीं मिल पाए हैं। एसडीपीओ के अलावा दो और पुलिसकर्मियों को कठुआ अस्पताल में भर्ती कराया गया है और उनकी हालत स्थिर बताई गई है। सेना के दो जवान भी घायल हुए हैं और उन्हें सैन्य अस्पताल में भर्ती कराया गया है। अधिकारियों ने बताया कि इलाके की घेराबंदी को और मजबूत करने के लिए शाम को मुठभेड़ स्थल पर सेना के विशेष जवानों को हवाई मार्ग से उतारा गया। उन्होंने बताया कि ड्रोन से दो आतंकवादियों के शव देखे गए हैं और शुक्रवार सुबह उन्हें बरामद कर लिया जाएगा। इस बीच, जैश-ए-मोहम्मद के छद्म संगठन ‘पीपुल्स एंटी-फासीस्ट फ्रंट' ने पुलिस दल पर गोलीबारी की जिम्मेदारी ली है।

लोकसभा में इमिग्रेशन और फॉरेनर्स बिल पास, गृह मंत्री बोले-यह देश धर्मशाला नहीं

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केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने गुरुवार को लोकसभा में इमिग्रेशन रिफॉर्म बिल पेश क‍िया। लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने विधेयक पारित होने का एलान किया। पहले स्पीकर बिरला ने विधेयक में प्रस्तावित संशोधनों पर मतदान की औरचारिकताएं पूरी कीं। विपक्षी सांसदों की तरफ से परेश अधिकांश संशोधन खारिज हो गए।

इससे पहले गृह मंत्री अमित शाह ने बिल के प्रावधानों पर विस्तार से जवाब दिया। उन्होंने कहा कि भारत में आने के लिए वैध पासपोर्ट, वैध वीजा अनिवार्य होगा। बिना कागजात के भारत में प्रवेश करने पर कानून सम्मत तरीके से सख्त कार्रवाई की जाएगी। हमारे देश में कौन आता है कितने समय तक आता है, किस लिए आता है ये जानना जरूरी है। हरेक विदेशी नागरिक का अपडेट इस बिल के बाद होगा।

इमीग्रेशन आइसोलेटेड मुद्दा नहीं-शाह

शाह ने कहा, इमीग्रेशन, एक प्रकार से आइसोलेटेड मुद्दा नहीं है। देश के कई मुद्दे इसके साथ जुड़े हुए हैं। हमारे देश की सीमा में कौन आता है? कब आता है? कितनी अवधि के लिए आता है? और किस उद्देश्य के लिए आता है? ये जानने का अधिकार इस देश की सुरक्षा के लिए बहुत जरूरी है। यह बिल इसके बारे में सुन‍िश्च‍ित करेगा। क्‍योंक‍ि अब भारत में आने वाले सभी विदेशी नागरिकों का लेखा-जोखा रखा जाएगा। जो लोग भारत में आ रहे हैं उनका ऑटोमेटेकली डाटाबेस बन जाएगा। गृह मंत्री ने सख्ती से कहा, जाली दस्तावेजों के लिए कड़ी सजा के प्रावधान किए गए हैं। उन्होंने कहा कि वीजा की अवधि खत्म होने पर भी देश में रहने वालों को ट्रैक किया जाएगा।

रोहिंग्या हो या बांग्लादेशी शांति भंग करने पर होगी सख्‍ती

शाह ने कहा, जो लोग भारत की व्यवस्था को कंट्रीब्यूट करने आते हैं उनका स्वागत है। लेकिन रोहिंग्या हो या बांग्लादेश के लोग हों, भारत की शांति को भंग करते हैं तो उनपर सख्‍ती होगी। मेरा संदेश साफ और कड़ा है अगर कोई भी हमारे देश की कानून-व्यवस्था और शांति को भंग करने की कोशिश करेगा तो हम उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे। चाहे वो रोहिंग्या हो या बांग्लादेशी। यह बिल देश के सुरक्षा को लेकर सजग करने के लिए एक पुख्ता नीति है।

घुसपैठ मामले में पश्चिम बंगाल सरकार को घेरा

पश्चिम बंगाल में 2026 का विधानसभा चुनाव जीतने का दावा करते हुए गृह मंत्री शाह ने कहा कि 450 किलोमीटर की सीमा राज्य सरकार की कृपादृष्टि के कारण अभी तक असुरक्षित है, लेकिन ऐसा लंबे समय तक नहीं चलेगा। शाह ने कहा कि वे खुद 10 बार पत्र भेजकर राज्य सरकार से अपील कर चुके हैं, लेकिन सहयोग नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार घुसपैठ करने वाले रोहिंग्या और बांग्लादेशी लोगों के प्रति सहानुभूति रखती है, उन्हें आधार कार्ड दिए जाते हैं। इन कारणों से देश की सुरक्षा पर सवाल खड़े होते हैं।

सरकार के पास जांच करने का पूरा अधिकार

शाह ने विपक्ष को आड़े हाथों लिया और कहा कि जिस तरह के सवाल पूछे गए हैं, उनसे काफी हैरानी होती है। उन्होंने कहा कि देश की जनता ने भाजपा को वोट दिया। हमने बहुमत की सरकार बनाई है। ऐसे में सरकार के पास विदेशी लोगों की घुसपैठ, भारत आने वाले लोगों के पास वैध कागजात हैं या नहीं, इसकी जांच करने का पूरा अधिकार है। उन्होंने कहा कि यह देश धर्मशाला नहीं है। जो चाहे जिस तरीके से आएगा और रह जाएगा। ऐसा नहीं होगा। सुरक्षा के लिए खतरा है, तो उसे रोकने का संसद का अधिकार है।

पारसियों का किया जिक्र

दूसरे देशों से आने वाले लोगों पर कानूनी कार्रवाई का जिक्र करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, भारत का शरणार्थियों के प्रति एक समृद्ध और गौरवशाली इतिहास रहा है। पारसी समुदाय हमारे देश में शरण लेने आये और आज वे पूर्णतः सुरक्षित हैं। दुनिया की सबसे सूक्ष्म अल्पसंख्यक आबादी आज भारत में सुरक्षित और सम्मान से जीवन जी रही है।

कितना अहम है मोहम्मद यूनुस का चीन दौरा, बांग्लादेश को क्या उम्मीदें?

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राजधानी ढाका में सेना की तैनाती, सैन्य अधिकारियों की इमरजेंसी बैठक, छात्रों का विरोध सहित कई अन्य कारणों से बांग्लादेश में फिर से तख्तापलट की चर्चा शुरू हो गई है। इस बीच बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस चीन के दौरे पर हैं। मोहम्मद यूनुस 26 मार्च को चीन पहुंचे हैं। इस दौरान वो हैनान प्रांत में होने वाले बोआओ फोरम में हिस्सा लेंगे, जिसमें एशिया के कई देश हिस्सा ले रहे हैं। इस फोरम में भाग लेने के बाद वो चीन सरकार से मिले आधिकारिक निमंत्रण पर बीजिंग का दौरा करेंगे और 28 मार्च को राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ उनकी द्विपक्षीय बैठक होगी।

जिनपिंग और मोहम्मद यूनुस के बीच की द्विपक्षीय बैठक करीब 30 मिनट तक चलेगी। इस दौरान दोनों नेताओं के बीच आमने-सामने की बातचीत होगी। वहीं इस द्विपक्षीय बैठक को वजन देने के लिए अब दोनों ही पक्षों की तरफ से 12-12 अधिकारियों का डेलीगेशन इसमें मौजूद रहेगा। यानि इस द्विपक्षीय बैठक में दोनों राष्ट्राध्यक्षों को मिलाकर 13-13 लोग शामिल होंगे। इस बैठक का मतलब ये है कि चीन, बांग्लादेश को काफी महत्वपूर्ण देश की तरह भाव दे रहा है। जाहिर तौर पर वो भारत के ऊपर बांग्लादेश में कूटनीतिक बढ़त हासिल करना चाहता है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि बैठक को औपचारिक रूप देकर चीन ने इसके महत्व को बढ़ा दिया है।

दोनों देशों के बीच होने वाली द्विपक्षीय बैठक से बांग्लादेश और चीन के संबंध ना सिर्फ काफी मजबूत होने की संभावना है, बल्कि दोनों देशों के बीच नये अवसरों के भी खुलने की संभावना होगी। बांग्लादेशी एक्सपर्ट्स इस बात पर जोर दे रहे हैं कि चीन के साथ संबंध मजबूत होने से वैश्विक संतुलन बनाए रखने में मदद मिलेगी। जाहिर तौर पर उनका इशारा भारत को लेकर है।

भू-राजनीति संतुलन

अंतरराष्ट्रीय संबंध विश्लेषकों का कहना है कि खासतौर पर अंतरिम सरकार के उच्चतम स्तर का पहला द्विपक्षीय दौरा होने की वजह से यह बैठक बेहद महत्वपूर्ण हो गई है। विश्लेषकों का मानना है कि मुख्य सलाहकार की यात्रा से भू-राजनीति को संतुलित करने में मदद मिल सकती है।

अवामी लीग के सत्ता से बेदखल होने के बाद से बांग्लादेश के पड़ोसी भारत के साथ राजनयिक संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं। दूसरी ओर, अमेरिका के पिछले बाइडन प्रशासन के साथ तो अंतरिम सरकार का मैत्रीपूर्ण संबंध देखने को मिला था। लेकिन इस बारे में मौजूदा ट्रंप प्रशासन की नीति अब भी स्पष्ट नहीं हो सकी है।

विश्लेषकों का कहना है कि एक ओर भारत और चीन के बीच क्षेत्रीय प्रभुत्व के सवाल पर तनातनी चल रही है। दूसरी ओर, वैश्विक स्तर पर चीन और अमेरिका के बीच की खींचतान किसी से छिपी नहीं है। डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आने के बाद दोनों देशों के संबंधों में कड़वाहट और बढ़ी है। इन वजहों से इस मुद्दे पर भी चर्चा हो रही है कि मोहम्मद यूनुस की चीन यात्रा से बांग्लादेश के पड़ोसी भारत और अमेरिका के साथ संबंधों पर असर पड़ेगा।

आर्थिक और व्यापारिक क्षेत्र में उम्मीद

वहीं, विश्लेषकों का ये भी मानना है कि मुख्य सलाहकार के इस दौरे से बांग्लादेश को आर्थिक और व्यापारिक क्षेत्र में फायदा मिलने की संभावना ही ज़्यादा है। इस दौरे के दौरान विशेष रूप से व्यापार, निवेश और क्षेत्रीय विकास के क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत करने के उद्देश्य से उच्च स्तरीय चर्चा की उम्मीद है।

प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस ने ऐसे समय में बांग्लादेश की बागडोर संभाली है जब देश की अर्थव्यवस्था कई किस्म के दबावों से जूझ रही है। ऐसे में आर्थिक स्थिति को सुधारना ही उनकी सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरा है। विश्लेषकों का कहना है कि देश की मौजूदा आर्थिक परिस्थिति में चीन जैसे बड़े और स्थिर आर्थिक साझेदार के सकारात्मक समर्थन की जरूरत है।

विदेश मंत्रालय के सलाहकार तौहीद अहमद ने बीते रविवार को पत्रकारों को बताया कि मुख्य सलाहकार के इस दौरे के दौरान चीन के साथ किसी समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किए जाएंगे। लेकिन कुछ सहमति पत्रों (एमओयू) पर हस्ताक्षर ज़रूर किए जा सकते हैं।तौहीद अहमद ने स्थानीय पत्रकारों से कहा था कि चीन के साथ आपसी संबंधों में बांग्लादेश वाणिज्य और निवेश को ही सबसे ज़्यादा अहमियत देगा।

चीन ने वर्ष 1975 में बांग्लादेश को मान्यता देकर राजनयिक संबंध कायम किया था। इस साल दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों के 50 साल पूरे होने जा रहे हैं। ढाका में चीन के राजदूत याओ वेन के मुताबिक, राजनयिक संबंधों को 50 साल पूरे होने के संदर्भ में प्रोफ़ेसर यूनुस का चीन दौरा मील का पत्थर साबित होगा।

लिबरल पार्टी ने सांसद चंद्र आर्य को चुनाव लड़ने से रोका, भारत से करीबी संबंध की सजा

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कनाडा की लिबरल पार्टी ने भारतीय मूल के सांसद चंद्र आर्य के पार्टी नेतृत्व के लिए चुनाव लड़ने के आवेदन को तथा उनके अपने ओटावा नेपियन निर्वाचन क्षेत्र में उनके नामांकन को रद्द कर दिया। यह फैसला उन पर भारत सरकार से करीबी संबंध रखने के आरोपों के बीच आया है। चंद्र पिछले साल भारत दौरे पर आए थे और पीएम मोदी से मिले थे। उस वक्त कनाडा और भारत के रिश्तों में तनाव था, आर्य ने कनाडा सरकार को भारत की अपनी यात्रा के बारे में सूचित नहीं किया था।

'ग्लोब एंड मेल डेल' अखबार ने एक शीर्ष सूत्र के हवाले से कहा, चंद्र आर्य पिछले साल अगस्त में भारत आए थे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले थे। उन्होंने इस यात्रा की जानकारी कनाडा सरकार को नहीं दी, जबकि कनाडा और भारत के संबंध उस समय तनावपूर्ण थे।

सूत्रों के मुताबिक कनाडियन सिक्योरिटी इंटेलिजेंस सर्विस (सीएसआईएस) ने भारत सरकार के साथ आर्य के कथित करीबी संबंधों को लेकर कनाडा सरकार को जानकारी दी थी।

आरोपों पर क्या बोले चंद्र आर्य ?

चंद्र आर्य ने इन आरोपों को खारिज किया है। भारतीय मूल के सांसद चंद्र आर्य ने कहा, मेरा टिकट भारत से करीबी संबंध रखने की वजह से नहीं कटा। एक सांसद होने के नाते मैं कई राजनयिकों और राष्ट्र प्रमुखों से मिलता रहता हूं। ऐसी किसी भी मुलाकात के लिए उन्होंने सरकार से कभी भी अनुमति नहीं ली।

आर्य ने कहा कि लिबरल पार्टी की लीडरशिप और नेपियन से उनका हटाए जाने की वजह उनका खालिस्तानी आंदोलन का लगातार विरोध करना है। उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि मुझे इसलिए निशाना बनाया गया क्योंकि मैंने कनाडा में खालिस्तानी चरमपंथ के खिलाफ खुलकर बोला है। मैंने कनाडा में रहने वाले हिंदी समुदाय के मुद्दों पर भी जोर दिया है।

आर्य कनाडा में खालिस्तानी तत्वों के खिलाफ लगातार आवाज उठाते रहे हैं। दरअसल, चंद्र आर्य ने 22 जून 2024 को कनाडा की संसद में खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की याद में मौन रखने पर ट्रूडो सरकार की आलोचना भी की थी।

खालिस्तानी पन्नू ने ट्रूडो से शिकायत की थी

आर्य ने कनाडा में खालिस्तानी तत्वों के खिलाफ जोरदार तरीके से आवाज उठाई है। आर्य की आलोचना से चिढ़े खालिस्तानी समूहों ने अतीत में उन्हें निशाना बनाया है। अक्टूबर में अमेरिका स्थित खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने तत्कालीन प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो से आर्य के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया था।

चंद्र पहले जस्टिन ट्रूडो के करीबी माने जाते थे, लेकिन खालिस्तानी आतंकवाद और चरमपंथ को लेकर ट्रूडो के रुख के बाद आर्य उनके धुर विरोधी बन गए।

क्या है चंद्र आर्य का भारत कनेक्शन

चंद्र आर्य का जुड़ाव भारत के कर्नाटक से है। उनका जन्म कर्नाटक के तुमकुर जिले के द्वारलू गांव में हुआ। उन्होंने धारवाड़ के कर्नाटक विश्वविद्यालय से एमबीए किया। 2006 में कनाडा जाने के बाद उन्होंने पहले इंडो-कनाडा ओटावा बिजनेस चैंबर के अध्यक्ष के रूप में काम किया और बाद में 2015 के कनाडाई संघीय चुनाव में नेपियन राइडिंग से सांसद बने। उन्हें 2019 और 2021 में भी दोबारा चुना गया।