कितना अहम है मोहम्मद यूनुस का चीन दौरा, बांग्लादेश को क्या उम्मीदें?
#mohammad_yunus_china_china

राजधानी ढाका में सेना की तैनाती, सैन्य अधिकारियों की इमरजेंसी बैठक, छात्रों का विरोध सहित कई अन्य कारणों से बांग्लादेश में फिर से तख्तापलट की चर्चा शुरू हो गई है। इस बीच बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस चीन के दौरे पर हैं। मोहम्मद यूनुस 26 मार्च को चीन पहुंचे हैं। इस दौरान वो हैनान प्रांत में होने वाले बोआओ फोरम में हिस्सा लेंगे, जिसमें एशिया के कई देश हिस्सा ले रहे हैं। इस फोरम में भाग लेने के बाद वो चीन सरकार से मिले आधिकारिक निमंत्रण पर बीजिंग का दौरा करेंगे और 28 मार्च को राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ उनकी द्विपक्षीय बैठक होगी।
जिनपिंग और मोहम्मद यूनुस के बीच की द्विपक्षीय बैठक करीब 30 मिनट तक चलेगी। इस दौरान दोनों नेताओं के बीच आमने-सामने की बातचीत होगी। वहीं इस द्विपक्षीय बैठक को वजन देने के लिए अब दोनों ही पक्षों की तरफ से 12-12 अधिकारियों का डेलीगेशन इसमें मौजूद रहेगा। यानि इस द्विपक्षीय बैठक में दोनों राष्ट्राध्यक्षों को मिलाकर 13-13 लोग शामिल होंगे। इस बैठक का मतलब ये है कि चीन, बांग्लादेश को काफी महत्वपूर्ण देश की तरह भाव दे रहा है। जाहिर तौर पर वो भारत के ऊपर बांग्लादेश में कूटनीतिक बढ़त हासिल करना चाहता है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि बैठक को औपचारिक रूप देकर चीन ने इसके महत्व को बढ़ा दिया है।
दोनों देशों के बीच होने वाली द्विपक्षीय बैठक से बांग्लादेश और चीन के संबंध ना सिर्फ काफी मजबूत होने की संभावना है, बल्कि दोनों देशों के बीच नये अवसरों के भी खुलने की संभावना होगी। बांग्लादेशी एक्सपर्ट्स इस बात पर जोर दे रहे हैं कि चीन के साथ संबंध मजबूत होने से वैश्विक संतुलन बनाए रखने में मदद मिलेगी। जाहिर तौर पर उनका इशारा भारत को लेकर है।
भू-राजनीति संतुलन
अंतरराष्ट्रीय संबंध विश्लेषकों का कहना है कि खासतौर पर अंतरिम सरकार के उच्चतम स्तर का पहला द्विपक्षीय दौरा होने की वजह से यह बैठक बेहद महत्वपूर्ण हो गई है। विश्लेषकों का मानना है कि मुख्य सलाहकार की यात्रा से भू-राजनीति को संतुलित करने में मदद मिल सकती है।
अवामी लीग के सत्ता से बेदखल होने के बाद से बांग्लादेश के पड़ोसी भारत के साथ राजनयिक संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं। दूसरी ओर, अमेरिका के पिछले बाइडन प्रशासन के साथ तो अंतरिम सरकार का मैत्रीपूर्ण संबंध देखने को मिला था। लेकिन इस बारे में मौजूदा ट्रंप प्रशासन की नीति अब भी स्पष्ट नहीं हो सकी है।
विश्लेषकों का कहना है कि एक ओर भारत और चीन के बीच क्षेत्रीय प्रभुत्व के सवाल पर तनातनी चल रही है। दूसरी ओर, वैश्विक स्तर पर चीन और अमेरिका के बीच की खींचतान किसी से छिपी नहीं है। डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आने के बाद दोनों देशों के संबंधों में कड़वाहट और बढ़ी है। इन वजहों से इस मुद्दे पर भी चर्चा हो रही है कि मोहम्मद यूनुस की चीन यात्रा से बांग्लादेश के पड़ोसी भारत और अमेरिका के साथ संबंधों पर असर पड़ेगा।
आर्थिक और व्यापारिक क्षेत्र में उम्मीद
वहीं, विश्लेषकों का ये भी मानना है कि मुख्य सलाहकार के इस दौरे से बांग्लादेश को आर्थिक और व्यापारिक क्षेत्र में फायदा मिलने की संभावना ही ज़्यादा है। इस दौरे के दौरान विशेष रूप से व्यापार, निवेश और क्षेत्रीय विकास के क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत करने के उद्देश्य से उच्च स्तरीय चर्चा की उम्मीद है।
प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस ने ऐसे समय में बांग्लादेश की बागडोर संभाली है जब देश की अर्थव्यवस्था कई किस्म के दबावों से जूझ रही है। ऐसे में आर्थिक स्थिति को सुधारना ही उनकी सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरा है। विश्लेषकों का कहना है कि देश की मौजूदा आर्थिक परिस्थिति में चीन जैसे बड़े और स्थिर आर्थिक साझेदार के सकारात्मक समर्थन की जरूरत है।
विदेश मंत्रालय के सलाहकार तौहीद अहमद ने बीते रविवार को पत्रकारों को बताया कि मुख्य सलाहकार के इस दौरे के दौरान चीन के साथ किसी समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किए जाएंगे। लेकिन कुछ सहमति पत्रों (एमओयू) पर हस्ताक्षर ज़रूर किए जा सकते हैं।तौहीद अहमद ने स्थानीय पत्रकारों से कहा था कि चीन के साथ आपसी संबंधों में बांग्लादेश वाणिज्य और निवेश को ही सबसे ज़्यादा अहमियत देगा।
चीन ने वर्ष 1975 में बांग्लादेश को मान्यता देकर राजनयिक संबंध कायम किया था। इस साल दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों के 50 साल पूरे होने जा रहे हैं। ढाका में चीन के राजदूत याओ वेन के मुताबिक, राजनयिक संबंधों को 50 साल पूरे होने के संदर्भ में प्रोफ़ेसर यूनुस का चीन दौरा मील का पत्थर साबित होगा।
Mar 28 2025, 12:29