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रूस के 3 दिवसीय दौरे पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, पुतिन से हो सकती है बातचीत, जाने क्यों अहम है ये दौरा?

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केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह रूस दौरे पर हैं। राजनाथ सिंह 10 दिसंबर तक रूस की यात्रा पर रहेंगे। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आईएनएस तुशील के कमिशनिंग में हिस्सा लेने के लिए रूस की राजधानी मॉस्को पहुंचे हैं। इस दौरान वो अपने समकक्ष आंद्रे बेलौसोव के साथ-साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी बातचीत करेंगे। इसके साथ ही वो सैन्य और सैन्य तकनीकी सहयोग पर भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग की 21वीं बैठक की सह-अध्यक्षता भी करेंगे। इस दौरान कई वैश्विक मुद्दों पर चर्चा होगी।

रविवार (8 दिसंबर) देर रात मास्को पहुंचने पर भारतीय राजदूत विनय कुमार और रूसी उप रक्षा मंत्री अलेक्जेंडर फोमिन ने उनका स्वागत किया। राजनाथ सिंह ने मास्को में 'टॉम्ब ऑफ द अननोन सोल्जर' पर जाकर द्वितीय विश्व युद्ध में शहीद हुए सोवियत सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की। ये श्रद्धांजलि भारत और रूस के बीच मजबूत ऐतिहासिक और सामरिक संबंधों को दर्शाती है। इसके साथ ही मंत्री ने भारतीय समुदाय के सदस्यों से बातचीत कर उनके अनुभवों और योगदानों को भी सराहा।

हिंद महासागर में भारतीय नौसेना की बढ़ेगी ताकत

रक्षा मंत्री इस दौरे के दौरान भारतीय नौसेना के नवीनतम मल्टी-रोल स्टेल्थ गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट 'आईएनएस तुशील' के कमीशनिंग समारोह में भी हिस्सा लेंगे। सोमवार को रूस निर्मित स्टील्थ युद्धपोत आईएनएस तुशिल का कलिनिनग्राद के यंत्र शिपयार्ड में जलावतरण होगा। इस दौरान रक्षा मंत्री के साथ भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी भी होंगे। इस बहुउद्देशीय स्टील्थ-गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट को तकनीक से मामले में दुनियाभर में अधिक उन्नत युद्धपोतों में से एक माना जाता है। इसकी मदद से हिंद महासागर में भारतीय नौसेना की परिचालन क्षमता में काफी अधिक वृद्धि होने की संभावना है।

मंगलवार को बैठक में होंगे कई समझौते

मंगलवार को मॉस्को में सैन्य और सैन्य तकनीकी सहयोग को लेकर होने वाली भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग(IRIGC-M&MTC) बैठक में भारतीय-रूसी रक्षा मंत्री दोनों देशों में रक्षा के क्षेत्र में बहुआयामी संबंधों की शृंखला की समीक्षा करेंगे। बैठक में चर्चा का मुख्य केंद्र रूसी S-400 ट्रायम्फ वायु रक्षा प्रणाली की शेष 2 इकाइयों की डिलीवरी होगी, जो सबसे उन्नत है। S-400 वायु रक्षा प्रणाली की 5 इकाइयों की खरीद 2018 में अंतिम रूप दी गई थी।इसके बाद सिंह सोवियत सैनिकों को श्रद्धांजलि देंगे।

रूसी राष्ट्रपति के 2025 में भारत आने की उम्मीद

विदेश मंत्रालय के मुताबिक, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के अगले साल वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए भारत आने की उम्मीद है। इस यात्रा की तारीखें राजनयिक बातचीत से तय की जाएंगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन को भारत आने का निमंत्रण दिया है, और उनकी यात्रा का ब्योरा 2025 की शुरुआत में तय किया जाएगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल का कहना है कि रूस के साथ हमारी वार्षिक शिखर वार्ता की व्यवस्था है। मास्को में हुए पिछले वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए प्रधानमंत्री मास्को गए थे। अगला शिखर सम्मेलन 2025 में भारत में होने वाला है, और इसके लिए तारीखें राजनयिक चैनलों के जरिये तय की जाएंगी। क्रेमलिन के सहयोगी यूरी उशाकोव ने 2 दिसंबर को कहा था कि राष्ट्रपति पुतिन को पीएम मोदी से भारत आने का निमंत्रण मिला है और उनकी यात्रा की तारीखें 2025 के शुरुआत में तय की जाएंगी।

साउथ कोरिया के रक्षा मंत्री ने इस्तीफा दिया, मार्शल लॉ लगाने की जिम्मेदारी ली, कहा- मैंने संसद में सेना भेजी

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साउथ कोरिया के राष्ट्रपति ने मंगलवार को देश में मार्शल लॉ लगाने का ऐलान किया था। हालांकि नेशनल असेंबली में हुई वोटिंग के बाद उन्हें कुछ ही घंटों में अपना फैसला पलटना पड़ा।देश के मुख्य विपक्षी दल ने बुधवार को राष्ट्रपति से तत्काल पद छोड़ने की मांग की, विपक्ष ने चेतावनी दी है कि अगर यून सुक अपना पद नहीं छोड़ते हैं तो महाभियोग का सामना करना पड़ेगा। इस बीच साउथ कोरिया के रक्षा मंत्री किम योंग-ह्यून ने जनता से माफी मांगते हुए अपने इस्तीफे का ऐलान कर दिया। बता दें कि रक्षामंत्री किम की सलाह पर ही राष्ट्रपति ने मार्शल लॉ लगाने की घोषणा की थी।

कोरियाई न्यूज एजेंसी योनहाप के मुताबिक किम योंग ने कहा कि वे देश में हुई भारी उथल-पुथल की जिम्मेदारी ले रहे हैं। राष्ट्रपति कार्यालय ने कहा कि राष्ट्रपति यून सुक योल ने रक्षा मंत्री का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है।किम योंग की जगह अब चोई ब्युंग-ह्यूक को साउथ कोरिया का नया रक्षा मंत्री बनाया गया है। वे सेना में फोर स्टार जनरल रह चुके हैं और फिलहाल सऊदी अरब में साउथ कोरिया के राजदूत के पद पर हैं।

गुरुवार को मीडिया ब्रीफिंग में उप-रक्षा मंत्री ने इसकी पुष्टि की। उन्होंने कहा कि किम योंग के आदेश पर ही सेना संसद में घुसी थी। उप-रक्षा मंत्री ने यह भी कहा उन्हें मार्शल लॉ के बारे में कुछ भी नहीं पता था। इसकी जानकारी उन्हें टीवी पर मिली। वे इस बात से दुखी हैं कि उन्हें कुछ पता नहीं था और इस वजह से सही समय पर इस घटना को रोक नहीं सके।

72 घंटे में मतदान जरूरी

इससे पहले मुख्य विपक्षी दल डेमोक्रेटिक पार्टी और अन्य छोटे विपक्षी दलों ने बुधवार को राष्ट्रपति यून सुक येओल के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पेश किया जो मंगलवार रात उनके द्वारा घोषित मार्शल लॉ’ के विरोध में पेश किया गया था। यून के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव गुरुवार को संसद में पेश किया गया, जिसका मतलब है कि इस पर शुक्रवार और रविवार के बीच मतदान हो सकता है। नेशनल असेंबली के अधिकारियों के अनुसार, अगर संसद में पेश किए जाने के 72 घंटों के भीतर इस पर मतदान नहीं होता है तो इसे रद्द कर दिया जाएगा, लेकिन अगर मौजूदा प्रस्ताव को रद्द कर दिया जाता है या मत विभाजन के जरिए खारिज कर दिया जाता है तो नया प्रस्ताव पेश किया जा सकता है।

मार्शल लॉ की साजिश रचने के आरोप लग रहा

विपक्षी पार्टी के सांसद किम मिन सोक ने आरोप लगाया है कि देश में मार्शल लॉ लगाने के पीछे ‘चुंगम गुट’ का हाथ है। चुंगम राजधानी सियोल में एक हाई स्कूल है जहां से राष्ट्रपति और उनके दोस्तों ने पढ़ाई की है। राष्ट्रपति बनने के बाद यून ने अपने दोस्तों को अहम पदों पर नियुक्त कर दिया। इन सभी के पास मार्शल लॉ लागू करने को लेकर कई अधिकार थे और ये कई महीने से इसकी तैयारी कर रहे थे। रक्षा मंत्री किम भी चुंगम से ही पढ़ चुके हैं और राष्ट्रपति के पुराने दोस्त हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रपति ने मार्शल लॉ लगाने से 3 घंटे पहले एक कैबिनेट मीटिंग बुलाई थी, जिसमें उनके अलावा 4 लोग शामिल थे। प्रधानमंत्री के अलावा, वित्त और विदेश मंत्री ने मार्शल लॉ लगाए जाने का विरोध किया था। हालांकि, राष्ट्रपति ने उनकी सलाह को नजरअंदाज कर दिया।

दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक योल ने मंगलवार को देश के विपक्ष पर संसद को नियंत्रित करने, उत्तर कोरिया के साथ सहानुभूति रखने और सरकार को राज्य विरोधी गतिविधियों से पंगु बनाने का आरोप लगाते हुए साउथ कोरिया में आपातकालीन मार्शल लॉ की घोषणा की थी। हालांकि, कुछ ही घंटों के भीतर मार्शन लॉ हटा लिया गया। यह फैसला संसद के भारी विरोध और वोटिंग के बाद लिया गया। वोटिंग में 300 में से 190 सांसदों ने सर्वसम्मति से मार्शल लॉ को स्वीकार करने के लिए मना कर दिया। मार्शल लॉ के ऐलान के बाद वहां की जनता भी सड़को पर उतर आई। आर्मी के टैंक सियोल की गलियों में घूमने लगे। हालांकि कि बिगड़ते हालातों और लगातार बढ़ते विरोध के कारण राष्ट्रपति ने अपना फैसला वापस ले लिया।

जंग के बीच नेतन्याहू ने अपने रक्षा मंत्री गैलेंट को क्यों हटाया, क्या इजराइल में सब ठीक नहीं?

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गाजा में हमास और लेबनान में हिजबुल्लाह सहित एक साथ कई मोर्चों पर इजराइल युद्ध लड़ रहा है। जंग के इस मुश्किल हालात के बीच इजरायल से चौंकाने वाली खबर आई है। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने देश के रक्षा मंत्री योआव गैलेंट को बर्खास्त कर दिया है। उनकी जगह पूर्व विदेश मंत्री इजरायल काट्ज को रक्षा मंत्री बनाया गया है। नेतन्याहू ने याव गैलेंट को हटाने के लिए 'विश्वास के संकट' को वजह बताई जो 'धीरे-धीरे गहराता जा रहा था।' इसके पीछे पीएमओ की ओर से तर्क दिया गया है कि युद्ध प्रबंधन को लेकर दोनों नेताओं के बीच लगातार मतभेद बढ़ रहे थे।

बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा, “इजरायल के प्रधानमंत्री के रूप में मेरी सबसे बड़ी जिम्मेदारी इजरायल की सुरक्षा को सुनिश्चित करना और हमें निर्णायक जीत की ओर ले जाना है। युद्ध के समय में, प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री के बीच पूर्ण विश्वास होना बेहद जरूरी है। दुर्भाग्यवश, जबकि शुरुआती महीनों में हमारे बीच यह विश्वास था और हमने बहुत कुछ हासिल किया, हाल के महीनों में मेरे और रक्षा मंत्री के बीच यह विश्वास कम हो गया है।”

बेंजामिन नेतन्याहू ने आगे कहा, “गैलेंट और मेरे बीच ऑपरेशन के मैनेजमेंट को लेकर गंभीर मतभेद उत्पन्न हो गए। ये मतभेद सरकार और कैबिनेट के फैसलों के विपरीत बयानों और कार्यों के साथ सामने आए। मैंने इन मतभेदों को सुलझाने के लिए कई बार प्रयास किए, लेकिन ये और बढ़ते गए। ये मुद्दे सार्वजनिक रूप से सामने आए, जो कहीं से भी मंजूर नहीं था, और इससे भी बुरा यह कि हमारे दुश्मनों को इसका फायदा मिला और उन्होंने इसके मजे लिए।

योआव गैलेंट पूर्व इजरायली जनरल हैं, जिन्हें सुरक्षा के प्रति उनके व्यवहारिक और सीधे नजरिए के लिए जाना जाता है। गैलेंट की इजरायल के 13 महीने के गाजा अभियान के दौरान भूमिका के लिए तारीफ की जाती रही है। उन्होंने अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन समेत अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों के साथ मजबूत संबंध बनाए। गैलेंट के रक्षा मंत्री रहते इजरायली सेना ने ईरान पर सफल हमला किया, जिसमें उसकी मिसाइल सुविधाओं को निशाना बनाया गया।

गाजा में जारी युद्ध के दौरान नेतन्याहू और गैलेंट के बीच कई बार मतभेद उभरे हैं। हालांकि, बेंजामिन नेतन्याहू ने उन्हें बर्खास्त करने से परहेज किया। लेकिन इस बार उन्होंने ऐसा नहीं किया। नेतन्याहू ने पिछले साल मार्च में जब गैलेंट को बर्खास्त करने की कोशिश की थी, तो उनके इस कदम के खिलाफ देश में प्रर्दशन हुआ था। इस बार भी नेतन्याहू के इस फैसले का विरोध शुरू हो गया है। लोग सड़कों पर उतर आए हैं। नारेबाजी कर रहे हैं। इजराइल के पीएम और उनके घर के आसपास सभी सड़कें बंद कर दी गई हैं।

अमेरिका ने भारत की 19 कंपनियों पर लगाया प्रतिबंध, भारत के रक्षा क्षेत्र में इन प्रतिबंधों का कितना होगा असर?

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अमेरिका ने रूस की मदद करने के आरोप में हाल ही में दुनियाभर की करीब 400 कंपनियों पर बैन लगाया था। इनमें कुछ भारतीय कंपनियां भी शामिल हैं। इनमें 19 भारतीय कंपनियां और दो व्‍यक्ति भी शामिल हैं। अमेरिका का आरोप है कि ये कंपनियां फरवरी 2022 में यूक्रेन पर हमले के बाद से रूस को ऐसा साजो-सामान उपलब्ध करवा रही हैं, जिनका इस्तेमाल रूस युद्ध में कर रहा है।अमेरिकी प्रतिबंध के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्‍या भारत-अमेरिका के रिश्‍ते बिगड़ेंगे? सवाल ये भी है कि कंपनियों पर बैन लगाने से क्या इसका भारत पर कोई असर पड़ेगा?

इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ कंपनियों में तो रजिस्टर्ड डायरेक्टर और शेयरधारक रूसी नागरिक भी हैं। उदाहरण के लिए, डेन्‍वास सर्विसेज मुख्य रूप से अलग-अलग सेवाओं के लिए डिजिटल कियोस्क सप्लाई करती है। इस कंपनी में रूसी नागरिकों की हिस्सेदारी है। भारतीय कानून के मुताबिक, भारतीय कंपनियों में विदेशी नागरिकों का डायरेक्टर होना कानूनी है और रूसी संस्थाओं के साथ काम करने पर कोई रोक नहीं है। इस कंपनी पर आरोप है कि यह अमेरिका में बने माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण रूस को उसके आधुनिक हथियारों में इस्तेमाल करने के लिए दे रही थी।

इन भारतीय कंपनियों पर प्रतिबंध

सबसे पहले हम उन कं‍पनियों के बारे में जान लेते हैं, जिन पर रूस को ऐसी सामग्री मुहैया कराने का आरोप है, जिसका इस्‍तेमाल वह युद्ध के लिए हथियार बनाने में कर रहा है। अमेरिका ने आभार टेक्नोलॉजीज एंड सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, डेनवास सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, एमसिस्टेक, गैलेक्सी बियरिंग्स लिमिटेड, ऑर्बिट फिनट्रेड एलएलपी, इनोवियो वेंचर्स, केडीजी इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड, खुशबू होनिंग प्राइवेट लिमिटेड, लोकेश मशीन्स लिमिटेड, पॉइंटर इलेक्ट्रॉनिक्स, आरआरजी इंजीनियरिंग टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड, शार्पलाइन ऑटोमेशन प्राइवेट लिमिटेड, शौर्य एयरोनॉटिक्स प्राइवेट लिमिटेड, श्रीजी इम्पेक्स प्राइवेट लिमिटेड और श्रेया लाइफ साइंसेज प्राइवेट लिमिटेड को प्रतिबंधित सूची में रखा है।

भारतीय कंपनियों पर क्‍या होगा असर?

अमेरिका के प्रतिबंध के जरिए इन कंपनियों को स्विफ्ट बैंकिंग सिस्टम में ब्लैकलिस्ट कर दिया जाता है। इससे कंपनियां उन देशों से लेन-देन नहीं कर पाती हैं, जो रूस-यूक्रेन युद्ध में रूस के खिलाफ हैं। जिन कंपनियों पर प्रतिबंध लगा है, उनकी संपत्तियां भी उन देशों में फ्रीज हो सकती हैं, जो इस बैन के पक्ष में हैं। लेकिन, जानकारों का कहना है कि प्रतिबंधों से भारतीय कंपनियों पर ज्‍यादा असर नहीं होगा।

किसी कानून का उल्लंघन नहीं

इकनॉमिक टाइम्स के अनुसार जिन कंपनियों पर बैन लगाया गया है उनमें से किसी के पास न तो अमेरिकी बिजनस अकाउंट हैं और न ही किसी अंतरराष्ट्रीय निर्यात नियंत्रण संधि का उल्लंघन किया है। सूत्रों के मुताबिक विदेश व्यापार महानिदेशालय के सख्त नियम हैं और उन नियमों का उल्लंघन नहीं किया गया है। जिन भारत कंपनियों पर अमेरिका ने बैन लगाया है, वे गैर-डॉलर और गैर-यूरो पेमेंट मैकेनिज्म के माध्यम से तीसरे देशों के जरिए काम कर सकती हैं। यानी कह सकते हैं कि अमेरिका की ओर से बैन लगाने पर भी इस कंपनियों पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा।

इन 19 कंपनियों में से सिर्फ आरआरजी इंजीनियरिंग ही ऐसी कंपनी है जो भारतीय रक्षा क्षेत्र के साथ थोड़ा-बहुत काम करती है। इसने आरआरजी के साथ काम किया है और कुछ सैन्य यूनिट को जरूरी सामान सप्लाई किए हैं। इस कंपनी पर आरोप है कि इसने अमेरिका द्वारा प्रतिबंधित रूसी कंपनी आर्टेक्स लिमिटेड कंपनी को माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स की 100 से ज्यादा खेप भेजी हैं। रिकॉर्ड के मुताबिक, आरआरजी ने पहले आरआरजी की कुछ प्रयोगशालाओं में डेटा सेंटर और आईटी नेटवर्क बनाने के लिए कर्मचारी भी मुहैया कराए थे। इसने अलग-अलग सैन्य यूनिट को सीमित संख्या में परमाणु, जैविक और रासायनिक हमले का पता लगाने वाले उपकरण भी सप्लाई किए हैं। कंपनी का दावा है कि इसने सैटकॉम स्टेशन बनाने में भी काम किया है। उद्योग के जानकारों का कहना है कि ऐसे उपकरण भारत में आसानी से मिल जाते हैं और जरूरत पड़ने पर इन्हें आसानी से खरीदा जा सकता है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सैनिकों के साथ मनाएंगे दिवाली, लद्दाख में एलएसी पर चीन के साथ समझौते के बाद पहला दौरा

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चीन के साथ पिछले दिनों पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर विवाद सुलझा लिया गया है। दोनों तरफ से सेना के पीछे हटने का काम लगभग पूरा हो चुका है। अब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने अरुणाचल प्रदेश के सीमाई इलाके तवांग में दिवाली मनाने का फैसला किया है। इसके लिए वे अरुणाचल प्रदेश के तवांग के लिए रवाना हो गए हैं।

अपने दौरे को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, अरुणाचल प्रदेश की दो दिवसीय यात्रा पर नई दिल्ली से तवांग के लिए रवाना हो रहा हूं। सशस्त्र बलों के कर्मियों के साथ बातचीत करने और बहादुर भारतीय सेना अधिकारी मेजर रालेंगनाओ बॉब खातिंग को समर्पित एक संग्रहालय के उद्घाटन समारोह में भाग लेने के लिए उत्सुक हूं।

रक्षामंत्री के दौरे के दौरान प्रदेश के मुख्‍यमंत्री पेमा खांडू भी मौजूद रहेंगे। अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू और उपमुख्यमंत्री चोवना मेन ने 30 अक्टूबर को तवांग में भारतीय वायुसेना की उत्तराखंड युद्ध स्मारक कार रैली का स्वागत करेंगे। रक्षा मंत्री का यह दौरा सीमाओं की सुरक्षा में लगे सैनिकों का मनोबल बढ़ाने के लिए है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इससे पहले अक्‍टूबर 2023 में भी तवांग गए थे। उस दौरान उन्‍होंने सैनिकों के साथ शस्‍त्र पूजा की थी। डिफेंस मिनिस्‍टर ने वास्‍तविक नियंत्रण रेखा पर तैनात सैनिकों के साथ बातचीत की थी और दशहरा का उत्‍सव मनाया था। इससे पहले उसी साल लेह में उन्‍होंने सेना के जवानों के साथ होली भी मनायी थी। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सीमा पर तैनात जवानों के साथ उत्‍सव मनाते रहे हैं।

बता दें कि तवांग पर चीन अक्‍सर ही अपना दावा ठोकता रहता है। चीन इसे दक्षिणी तिब्‍बत का हिस्‍सा मानता है। भारत पड़ोसी देश चीन के इसके दावे को सिरे से खारिज करता रहा है। अरूणाचल प्रदेश में तवांग का यांग्त्से क्षेत्र दोनों देशों के बीच तनाव का एक प्रमुख केंद्र है। 2022 में इस क्षेत्र में भारतीय सेना और चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी के बीच टकराव हुआ था, जिसमें दोनों पक्षों के सैनिकों को चोटें आई थीं। भारतीय सेना ने यांग्त्से क्षेत्र में चीनी सैनिकों की गश्त को रोका, जिससे भारत की क्षेत्र में पकड़ मजबूत हुई। बताया जा रहा है कि दोनों देश एक प्रस्ताव पर विचार कर रहे हैं, जिसके तहत चीनी सेना को नामित क्षेत्रों में गश्त की अनुमति दी जा सकती है। इसका उद्देश्य विवादित क्षेत्र में तनाव को कम करना और दोनों देशों की संतुलित उपस्थिति सुनिश्चित करना है।

अनुच्छेद 370 पर उमर अब्‍दुल्‍ला-कांग्रेस गठबंधन के साथ पाकिस्तान, पाकिस्तानी रक्षा मंत्री का बड़ा बयान

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पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि उनका देश जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 को लेकर कांग्रेस गठबंधन के रुख से सहमत है।जियो न्यूज पर बातचीत में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35A बहाल करने के लिए पाकिस्तान और नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन एक साथ हैं।

बता दें कि जम्मू-कश्मीर में होने वाले विधानसभा चुनाव की चर्चा पाकिस्तान में भी है। बुधवार को जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए मतदान हुआ। मतदान के दौरान बड़ी संख्या में लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। इस बीच पाकिस्तान के एक टीवी कार्यक्रम में वहां के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ शामिल हुए। इस दौरान एंकर ने जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव को लेकर सवाल किया और कहा कि 'जम्मू कश्मीर चुनाव में कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस साथ मिलकर चुनाव लड़ रही हैं। जम्मू कश्मीर में आर्टिकल 370 और 35ए जब लागू किया गया था तो उस वक्त केंद्र में कांग्रेस क पंडित नेहरू और जम्मू कश्मीर में शेख अब्दुल्ला सत्ता में थे। अब एक बार फिर दोनों साथ आए हैं और दोनों ने कश्मीर में आर्टिकल 370 और 35ए लागू करने का वादा किया है।' इसे लेकर ख्वाजा आसिफ की प्रतिक्रिया मांगी गई। जिस पर ख्वाजा आसिफ ने कहा कि 'अगर ऐसा होता है तो बहुत अच्छा होगा और हम आर्टिकल 370 और 35ए पर कांग्रेस और उसके सहयोगियों के रुख के साथ हैं।'

बता दें कि जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद हो रहे चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन में हैं। हालांकि इस चुनाव में कांग्रेस अनुच्छेद 370 को लेकर बिल्कुल चुप है। अपने घोषणा पत्र में भी इसका जिक्र नहीं किया है। कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने से जुड़ी बात कही है। हालांकि कांग्रेस के साथ गठबंधन के साथी फारूक अब्दुल्ला की नेशनल कॉन्फ्रेंस अनुच्छेद 370 की बहाली और जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने का जोर-शोर से वादा कर रही है। इसे लेकर बीजेपी की ओर से लगातार कांग्रेस गठबंधन पर निशाना साधा जा रहा है। अब, ख्वाजा आसिफ के इस बयान के बाद बीजेपी ने कांग्रेस पर क बार फिर हमला बोला है।

बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने कहा है कि कांग्रेस हमेशा देशविरोधियों के साथ रही है। पाकिस्तान 370 पर कांग्रेस-एनसी के रुख का समर्थन कर रहा है। मालवीय ने कहा कि ऐसा कैसे कि पन्नू से लेकर पाकिस्तान तक, राहुल गांधी और उनकी कांग्रेस, हमेशा भारत के हितों के प्रतिकूल लोगों के पक्ष में दिखाई देती है?

40 साल पुराना विमान हाईजैक: एस जयशंकर ने बताई अपने पिता की मौजूदगी की कहानी

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने करीब 40 साल पहले एक विमान हाईजैक से जुड़े उस वाकये का जिक्र किया जिसमें वह समस्या से निपटने वाली टीम का हिस्सा थे. हालांकि तब उनकी स्थिति ज्यादा विकट हो गई जब उन्हें पता चला कि जिस विमान को हाईजैक किया गया है, उसमें उनके पिता भी सवार हैं. विदेश मंत्री के इस खुलासे के बाद 4 दशक पुराने उस हाईजैक की कहानी फिर से चर्चा में आ गई है.

जयशंकर ने स्विटजरलैंड में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान बताया, “1984 में, बतौर अधिकारी मैं हाईजैक हुए विमान से निपटने वाली टीम का हिस्सा था. फिर कुछ घंटों बाद, जब मैंने अपनी मां को फोन किया कि विमान के हाइजैक होने की वजह से मैं घर नहीं आ सकता, तब मुझे पता चला कि मेरे पिता भी उसी विमान में सवार थे.” विदेश मंत्री के पिता के. सुब्रह्मण्यम, जो अंतरराष्ट्रीय रणनीतिक मामलों के विश्लेषक और पत्रकार थे. हाइजैकर्स विमान को अमेरिका ले जाना चाहते थे, लेकिन यह लाहौर, कराची और दुबई तक का चक्कर लगाता रहा.

चंडीगढ़ से निकलते ही हाइजैक हुआ प्लेन

बात 24 अगस्त 1984 के तड़के सुबह की है. जब इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC- 421 (बोइंग 737-2A8) में सवार ऑल इंडिया स्टुडेंट्स फेडरेशन (AISSF) से जुड़े कुछ सिख लोगों ने विमान में टाइम बम रखे होने की बात करते हुए उसे हाईजैक कर लिया. विमान में कुल 122 लोग सवार थे. जिसमें से 67 यात्री चंडीगढ़ उतर गए और 31 यात्री श्रीनगर जाने के लिए सवार हुए. ये हाइजैकर्स सिख थे, जिनकी उम्र 20 साल के आसपास थी. वे कॉकपिट में घुस गए और कैप्टन वीके मेहता से विमान का कंट्रोल छीन लिया.

विमान को चंडीगढ़ से उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद सुबह 7.30 बजे हाईजैक कर लिया गया. यह विमान दिल्ली के पालम से चंडीगढ़ होते हुए श्रीनगर के लिए रवाना हुआ था. इस विमान में सिविल सर्वेंट के सुब्रह्मण्यम भी सवार थे जो वर्तमान में विदेश मंत्री एस जयशंकर के पिता थे.

अमेरिका ले जाना चाहते थे विमान

हाइजैकर्स ने शुरुआत में विमान को भारत से बहुत दूर संयुक्त राज्य अमेरिका ले जाने की मांग की. बाद में उन्होंने विमान को पाकिस्तान के लाहौर में उतरवाया. लाहौर में विमान करीब 80 मिनट तक आसमान में चक्कर लगाता रहा, लेकिन विमान में फ्यूल कम होने के बाद पाकिस्तानी अधिकारियों ने सुबह 9:50 बजे लाहौर एयरपोर्ट पर उतरने की अनुमति दी.

इस दौरान हाइजैकर्स ने यह भी दावा किया कि उनके पास विमान को उड़ाने के लिए पर्याप्त विस्फोटक हैं. साथ ही उनकी ओर से विमान में फ्यूल भरे जाने तक हर 15 मिनट में 74 यात्रियों में से एक-एक को मारने की धमकी भी दी गई.

लाहौर में 5 यात्रियों को छोड़ा गया

विमान में सवार 5 यात्रियों को शाम 7 बजे लाहौर में छोड़ दिया गया, फिर पाकिस्तानी अधिकारियों की ओर से विमान में ईंधन भरने और फिर उड़ान भरने की अनुमति दी गई. इसके बाद अपहृत विमान ने लाहौर से कराची के लिए उड़ान भरी, जहां हाईजैक ने ब्रिटिश पासपोर्ट वाली 2 महिलाओं को इसलिए छोड़ दिया क्योंकि वो बीमार हो गई थीं.

हालांकि हाइजैकर्स कराची की जगह बहरीन जाना चाहते थे लेकिन मौसम की वजह से विमान को कराची ले जाना पड़ा. कराची पहुंचे विमान में पाकिस्तानी अधिकारियों ने हाइजैकर्स की मांग पर और फ्यूल भरा. फिर हाइजैकर्स इस विमान को दुबई ले गए.

बातचीत को एयरपोर्ट पहुंचे UAE के रक्षा मंत्री

एयर इंडिया का यह विमान अब दुबई में था. अगले दिन सुबह 8 बजे संयुक्त अरब अमीरात के रक्षा मंत्री मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम दुबई एयरपोर्ट पहुंचे. उन्होंने यात्रियों की सकुशल रिहाई और सभी हाइजैकर्स को यूएई अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण करने के लिए बातचीत की. दोपहर 1:45 बजे, रक्षा मंत्री शेख रशीद के बार-बार अनुरोध के बाद, हाइजैकर्स ने अंततः बंधकों के लिए भोजन और पानी की व्यवस्था करने की अनुमति दी. इससे पहले हाइजैकर्स ने खाना और पानी लौटा दिया था.

यूएई अधिकारियों के साथ बातचीत के दौरान, हाइजैकर्स ने सुरक्षित अमेरिका पहुंचने और उन्हें राजनीतिक शरण दिए जाने की मांग की. लेकिन दुबई स्थित अमेरिकी दूतावास की ओर से कहा गया कि अगर वे अमेरिका जाते हैं, तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा. इस बीच दुबई के अधिकारी भारतीय अधिकारियों के साथ हाइजैकर्स से बातचीत में लगे हुए थे. इस बीच हाइजैकर्स ने सुब्रह्मण्यम के जरिए यह बताने को मजबूर किया कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं तो वे हर आधे घंटे में एक बंधक को मारना शुरू कर देंगे.

इंसुलिन के प्लेन से बाहर निकले सुब्रह्मण्यम

हाइजैकर्स के साथ बातचीत के दौरान दोपहर साढ़े 12 बजे विमान में 2 एंबुलेंस भी भेजी गई क्योंकि दिल्ली स्थित रक्षा अध्ययन और विश्लेषण संस्थान (Institute for Defence Studies and Analysis) के निदेशक के. सुब्रह्मण्यम ने शिकायत की कि उन्हें डायबटीज के लिए इंसुलिन इंजेक्शन की जरुरत है. एंबुलेंस में इंसुलिन की खुराक दिए जाने के बाद सुब्रह्मण्यम और उनके साथ मौजूद हाइजैकर विमान में लौट आए.

विमान के हाईजैक हुए 36 घंटे बीत चुके थे. हाइजैकर्स और भारतीय अधिकारियों के बीच यात्रियों को सुरक्षित छोड़े जाने को लेकर लगातार बातचीत हो रही थी. कई दौर की बातचीत के बाद देर शाम 6.50 दुबई पुलिस के चीफ ने घोषणा की कि हाइजैकर्स ने बिना शर्त आत्मसमर्पण कर दिया. उन्हें हिरासत में ले लिया गया. अपहरण के करीब 36 घंटे बाद दुबई में सभी शेष यात्रियों और चालक दल को सुरक्षित रिहा कर दिया गया.

हाइजैकर्स को अमेरिका भेजने का वादा

वहीं बातचीत के दौरान दुबई के अधिकारियों ने हाइजैकर्स को संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए भेजे जाने से पहले सात दिन की शरण देने का वादा किया था. लेकिन बाद में उनके सामने 2 विकल्प रखे गए. पहला, भारत प्रत्यर्पित किया जाना. दूसरा यूएई कानून के तहत हवाई चोरी के लिए मुकदमा चलाना. बाद में हाइजैकर्स को भारत भेज दिया गया.

इन सिख आतंकवादियों को 3 सितंबर, 1984 को नई दिल्ली लाया गया. मामले की सुनवाई राजस्थान के अजमेर शहर में हुई और यह 9 साल तक चली. अजमेर की एक जेल के अंदर बनाए गए स्पेशल कोर्ट में अप्रैल, 1993 में सातों आरोपियों को सजा सुनाई गई. इन्हें दोषी ठहराए जाने के एक महीने के अंदर ही आजीवन कारावास की सजा भी सुना दी गई.

आजीवन कारावास की सजा पाने वालों में हाइजैकर्स कमलजीत सिंह संधू, देवेंद्र सिंह, अमरेंद्र सिंह, अवतार सिंह, तजिंदर सिंह, मान सिंह और सुरेंद्र सिंह थे.

*ISL 2024-25 Media Day*

Sports 

ISL 2024-25 Media Day: “Trophies in the past don’t matter; you are only as good as your last game”, says NorthEast United FC head coach Juan Pedro Benali

KKNB: The Indian Super League (ISL) 2024-25 Media Day began in Kolkata with representatives from seven clubs, i.e. Mohun Bagan Super Giant, East Bengal FC, Mohammedan SC, Odisha FC, Jamshedpur FC, Punjab FC and NorthEast United FC previewing the upcoming season.

The event saw a blend of new and familiar faces, with Mohun Bagan's Jose Molina and Punjab FC's Panagiotis Dilmperis making their ISL debuts as head coaches, while veterans like Sergio Lobera, Khalid Jamil, Juan Pedro Benali, and Carles Cuadrat discussed their strategies for the campaign.

The discussions, however, began with the newly-promoted Mohammedan SC head coach Andrey Chernyshov expressing his pleasure at joining the ISL, with his captain Samad Ali Mallick underlining their ambitions to challenge for the playoffs straightaway.

“It’s a nice feeling to be a part of the ISL family. We did a great job last year by winning the I-League. I am thrilled about our supporters. They had been expecting this for many years. I can’t wait to get started with the league,” Chernyshov said.

The two other Kolkata heavyweights are on their desired track ahead of the coming ISL campaign. Whilst the Mariners embark on the coveted title defence, East Bengal FC are bolstered by solid reinforcements to their squad in the summer.

“It’s a process to prepare the team for the ISL. We have been working together for a month and there are still a few things to improve upon. We are confident in our players and the way we have trained until now,” Jose Molina said.

East Bengal FC tactician Cuadrat overlooked comparisons from their sluggish start last year to insist confidently that his team will hit the ground running from their opening fixture this time around.

“It’s a different season with different players, and hence I wouldn’t like to compare to the last campaign, because every team is in a different situation as they were last time around. We have the complete squad with us and we will have to be competitive from day one,” Cuadrat said.

 Lobera eyes ISL title with Odisha FC 

Odisha FC, who finished fourth last season, are basking on their storied run across multiple competitions in 2023-24 to produce similarly impressive outings this year too.

“It’s been six years in India for me now. We had an amazing season last year, finishing at the top of the group in the AFC Cup. We were close to winning the Super Cup and we reached the ISL semi-finals for the first time in the club’s history. It was an amazing run and we want to replicate that this year to put a smile on the faces of the fans,” Lobera said.

 Challengers for the playoffs spots 

The trio of Punjab FC, NorthEast United, and Jamshedpur FC had ignited an exciting late challenge for the playoffs last season, falling short at the final hurdle. Since then, the Highlanders have gone from strength to strength, winning the club’s first trophy with the Durand Cup last month.

“We are now starting to realise with what we did in the Durand Cup! But, now, we look forward to the ISL and there’s another story that’s waiting for us in the coming season. Trophies in the past don’t make you play better. You are only as good as your last game,” Benali mentioned.

Jamshedpur FC’s Khalid Jamil praised the ISL for bringing in new rules, such as the introduction of the concussion substitute, mandating an AFC Pro License holding (or equivalent) Indian assistant coach, amongst others. Considering that he is one of the two Indian head coaches in the ISL along with Thangboi Singto of Hyderabad FC, Jamil said, “These new rules will help in the development of Indian football. We shall study it in detail and see how they could help us benefit during the course of the season as well.”

For Punjab FC, they have a new coach at helm in Greek tactician Panagiotis Dilmperis. The team has made some smart acquisitions in the transfer window and Dimperis expressed satisfaction at the same, whereas skipper Luka Majcen stressed upon the importance of a positive start.

“I am really lucky with all the players we have got in the Punjab FC roster. They are all great personalities and our aim is to achieve greater heights than we did last year,” Dimperis said.

 Pic Courtesy by: ISL

अमेरिकी संसद में भारत को नाटो सहयोगियों जैसा दर्जा देने की मांग, जानें क्या होगा फायदा?
#us_india_defence_partnership_bill अमेरिकी संसद में गुरुवार को भारत को नाटो सहयोगियों के स्तर का दर्जा देने की मांग उठाई गई। इसके अलावा पाकिस्तान अगर भारत के खिलाफ आतंकवाद फैलाता है तो उसके लिए सुरक्षा सहायता बंद करने की भी अपील की गई है। यह बिल अमेरिकी सांसद मार्को रुबियो ने पेश किया है। बिल में मांग की गई है कि अमेरिका अपने सहयोगियों जापान, इस्राइल, कोरिया और नाटो सहयोगी देशों की तरह ही भारत को भी अपना शीर्ष सहयोगी माने और उसे अहम तकनीक का ट्रांसफर करे, भारत की क्षेत्रीय संप्रभुता के लिए बढ़ते खतरे के बीच उसे अपना समर्थन दे और पाकिस्तान से आयातित आतंकवाद के खिलाफ उसके खिलाफ कार्रवाई करे। प्रस्ताव पेश करने के बाद अमेरिकी सांसद ने कहा, "कम्युनिस्ट चीन इंडो-पैसेफिक क्षेत्र में अपना दबदबा बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। साथ ही वह हमारे क्षेत्रीय सहयोगियों की संप्रभुता का भी उल्लंघन करता रहता है। ऐसे में यह जरूरी है कि अमेरिका भारत जैसे अपने सहयोगियों को चीन से निपटने में मदद करे।" सीनेटर रुबियो ने भारत की चिंताओं को रेखांकित करते हुए अपने विधेयक में भारत की क्षेत्रीय अखंडता का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि भारत की क्षेत्रीय अखंडता को लेकर बढ़ते खतरों को देखते हुए भारत का हर स्तर पर समर्थन किया जाना चाहिए। सीनेटर मार्को रुबियो ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर अपनी बातें रखीं। फ्लोरिडा के सीनेटर मार्को रुबियो ने कहा, “मैंने यूएस-इंडिया डिफेंस कोऑपरेशन एक्ट बिल पेश किया है। भारत के साथ अपनी साझेदारी को मजबूत करने के लिए, यह जरूरी है कि हम नई दिल्ली के साथ अपने रणनीतिक संबंधों को बढ़ाएँ। कम्युनिस्ट चीन की आक्रामकता का सामना कर रहे भारत को सर्वश्रेष्ठ समर्थन देने के लिए एक बिल पेश किया गया है।” हालांकि अमेरिका में जल्द ही राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होने हैं और ऐसे समय में जब अमेरिकी कांग्रेस में दोनों पार्टियों के सांसदों में मतभेद चल रहे हैं तो इस बिल के पारित होने की संभावना कम ही है, लेकिन अमेरिका में भारत को मिल रहे समर्थन को देखते हुए नई सरकार के गठन के बाद इस बिल के फिर से कांग्रेस में पेश होने की उम्मीद है। *भारत को क्या होगा फायद?* अमेरिकी सीनेट में भारत को नाटो सहयोगी का दर्जा देने वाला प्रस्‍ताव पारित होने के बाद यह विधेयक कानून बन जाएगा। इस प्रस्‍ताव के पास होने से भारत को निश्चित तौर पर फायदा होगा। इसके अलावा दोनों देशों की सामरिक भागीदारी को बढ़ावा देने में भी यह फायदेमंद साबित होगा। ये प्रस्‍ताव पारित होने के बाद भारत का दर्जा इजरायल और दक्षिण कोरिया के समान हो जाएगा। इसका सबसे बड़ा फायदा होगा कि हम जिस तरह की रक्षा तकनीक की अपेक्षा अमेरिका से मिलने की बात करते हैं वह हमें हासिल हो सकेंगी। इस प्रस्‍ताव के पास होने से पहले जब भारत तकनीक ट्रांसफर की बात करता था तो सबसे बड़ी बाधा यही थी कि हम नाटो के सहयोगी देश नहीं थे। इसलिए अमेरिका को तकनीक देने में हमेशा झिझक बनी रहती थी। इतना ही नहीं वहां के मिलिट्री इंडस्‍ट्रीयल कांप्‍लैक्‍स को भी रक्षा तकनीक भारत को देने में परेशानी बनी रहती थी। लेकिन, अब जबकि नाटो सहयोगी का दर्जा देने का प्रस्‍ताव पास हो गया है तो ऐसी दिक्‍कत नहीं आएगी। *भारत को 'नाटो प्लस' का दर्जा देने की उठी थी मांग* इससे पहले पिछले साल अमेरिकी संसद में भारत को 'नाटो प्लस' का दर्जा देने की भी मांग उठी थी। अमेरिकी संसद की सिलेक्ट कमेटी ने इसकी सिफारिश की थी। भारत को हथियार और टेक्नोलॉजी ट्रासंफर करने में तेजी को उद्देश्य बताकर ‘नाटो प्लस’ का दर्जा देने की कवायद शुरू की गई थी। कमेटी का मानना था कि चीन ताइवान पर हमला करता है तो सामरिक तौर पर कड़ा जवाब देने के साथ-साथ क्वॉड को भी अपनी भूमिका बढ़ानी होगी। हालांकि, भारत ने स्पष्ट संकेत दिया था कि वह ‘नाटो प्लस’ में शामिल नहीं होना चाहता है। विदेश मंत्री जयशंकर ने साफ किया था कि ‘नाटो प्लस’ के दर्जे के प्रति भारत ज्यादा उत्सुक नहीं है।
जानिए बजट में डिफेंस को क्या मिला, अंतरिम बजट की तुलना में रक्षा क्षेत्र के आवंटन में 1.67 लाख करोड़ की कटौती

#budget2024defence_budget 

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश किया। इस बजट में कई बड़े ऐलान किए गए हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर डिजिटल टेक्नोलॉजी तक सरकार का खास ध्यान है। सरकार ने बजट में किसान, युवाओं और मिडिल क्लास पर तो फोकस किया ही है साथ ही रक्षा क्षेत्र का भी पूरा ध्यान रखा है। वित्त मंत्री ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए रक्षा सेक्टर के लिए 4.54 लाख करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया है, जो कि पिछले आवंटन 4.55 लाख करोड़ रुपये से कम है। डिफेंस बजट का 67.7% हिस्सा रेवेन्यू और पेंशन बजट को मिला है, जिसका ज्यादातर हिस्सा सैलरी-पेंशन बांटने में खर्च होता है।

अंतरिम बजट की तुलना में रक्षा क्षेत्र का आवंटन 1.67 लाख करोड़ रुपये कम

वित्त वर्ष 2024-25 के पूर्ण बजट में रक्षा क्षेत्र के लिए 4.54 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इससे पहले फरवरी में आए अंतरिम बजट में रक्षा क्षेत्र को 6.21 लाख करोड़ रुपये देने का ऐलान किया गया था। यानी चार महीने पहले आए अंतरिम बजट की तुलना में अब पूर्ण बजट में रक्षा क्षेत्र का आवंटन 1.67 लाख करोड़ रुपये कम हो गया है।

रक्षा बजट को 4 भागों में बांटा गया

रक्षा बजट को 4 भागों में बांटा गया है, इनमें पहला पार्ट है सिविल का, दूसरा हिस्सा है रेवेन्यू, तीसरा कैपिटल एक्सपैंडीचर और चौथा पेंशन। इसमें सिविल से बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन, ट्रिब्यूनल समेत सड़क व अन्य डेवलपमेंट के काम होते हैं, इसके लिए 25 हजार 963 करोड़ रुपये रखे गए हैं। रेवेन्यू बजट से रक्षा क्षेत्र में सैलरी बांटी जाती है। इसके लिए 2 लाख 82 हजार 772 करोड़ रुपये रखे गए हैं। इसके अलावा कैपिटल एक्सपैंडीचर से हथियार और अन्य जरूरी उपकरण खरीदे जाते हैं, जिसके लिए बजट में 1 लाख 72 हजार करोड़ रुपये रखे गए हैं। तीसरा और सबसे जरूरी हिस्सा होता है पेंशन, इसके लिए बजट में 1लाख 41 हजार 205 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।

हथियार-उपकरण खरीद के लिए 1 लाख 72 हजार करोड़

किसी भी देश की सेना की सबसे बड़ी ताकत उसके हथियार, फाइटर प्लेन और गोला बारूद होते हैं। रक्षा बजट में हथियार और उपकरण खरीदने के लिए सरकार ने 1 लाख 72 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। इस पैसे से एयरक्राफ्ट और एयरोइंजन उपकरण खरीदे जाएंगे। इसके अलावा हैवी और मीडियम व्हीकल, अन्य हथियार और गोला बारूद खरीदे जाएंगे। इसके अलावा अन्य तकनीकी उपकरणों से भी सेना को सुसज्जित किए जाने की योजना है। सेना के लिए स्पेशल रेलवे वैगन खरीदे जाएंगे।

6 लाख करोड़ से ज्यादा की थी उम्मीद

पिछले साल आए बजट तक देखें तो बीते 4 साल के दौरान रक्षा क्षेत्र के बजट में 6.5 फीसदी की सालाना दर (सीएजीआर) से बढ़ोतरी हो रही थी. मोदी सरकार रक्षा क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने की महात्वाकांक्षी योजना पर काम कर रही है. सरकार चाहती है कि भारत अपनी रक्षा जरूरतों का ज्यादा से ज्यादा सामान खुद तैयार करे और आयात पर निर्भरता कम हो. इसके साथ ही सरकार का जोर सेनाओं के आधुनिकीकरण पर है. ऐसे में लोग रक्षा क्षेत्र का बजट 6 लाख करोड़ रुपये से तो ऊपर ही रहने की उम्मीद कर रहे थे

यूपीए सरकार में 162% तो एनडीए सरकार में 172% बढ़ा डिफेंस बजट

बता दें कि मनमोहन सिंह ने 2004 में जब पहला बजट पेश किया, तब डिफेंस को 77 हजार करोड़ रुपए मिले थे। 2013 में मनमोहन सिंह ने आखिरी बजट पेश किया, तब डिफेंस बजट 2.03 लाख करोड़ रुपए था। यानी, 10 साल में 163% का इजाफा और एवरेज ग्रोथ रेट 16.3%। 

नरेंद्र मोदी ने 2014 में जब पहला बजट पेश किया, तब डिफेंस को 2.18 लाख करोड़ रुपए मिले थे। 2023 में मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल का जब आखिरी बजट पेश किया, तब डिफेंस बजट 5.93 लाख करोड़ रुपए था। यानी, 10 साल में 172% की बढ़ोतरी और ग्रोथ रेट 17.2%। यानी, UPA के मुकाबले 0.9% ज्यादा।

रूस के 3 दिवसीय दौरे पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, पुतिन से हो सकती है बातचीत, जाने क्यों अहम है ये दौरा?

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केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह रूस दौरे पर हैं। राजनाथ सिंह 10 दिसंबर तक रूस की यात्रा पर रहेंगे। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आईएनएस तुशील के कमिशनिंग में हिस्सा लेने के लिए रूस की राजधानी मॉस्को पहुंचे हैं। इस दौरान वो अपने समकक्ष आंद्रे बेलौसोव के साथ-साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी बातचीत करेंगे। इसके साथ ही वो सैन्य और सैन्य तकनीकी सहयोग पर भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग की 21वीं बैठक की सह-अध्यक्षता भी करेंगे। इस दौरान कई वैश्विक मुद्दों पर चर्चा होगी।

रविवार (8 दिसंबर) देर रात मास्को पहुंचने पर भारतीय राजदूत विनय कुमार और रूसी उप रक्षा मंत्री अलेक्जेंडर फोमिन ने उनका स्वागत किया। राजनाथ सिंह ने मास्को में 'टॉम्ब ऑफ द अननोन सोल्जर' पर जाकर द्वितीय विश्व युद्ध में शहीद हुए सोवियत सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की। ये श्रद्धांजलि भारत और रूस के बीच मजबूत ऐतिहासिक और सामरिक संबंधों को दर्शाती है। इसके साथ ही मंत्री ने भारतीय समुदाय के सदस्यों से बातचीत कर उनके अनुभवों और योगदानों को भी सराहा।

हिंद महासागर में भारतीय नौसेना की बढ़ेगी ताकत

रक्षा मंत्री इस दौरे के दौरान भारतीय नौसेना के नवीनतम मल्टी-रोल स्टेल्थ गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट 'आईएनएस तुशील' के कमीशनिंग समारोह में भी हिस्सा लेंगे। सोमवार को रूस निर्मित स्टील्थ युद्धपोत आईएनएस तुशिल का कलिनिनग्राद के यंत्र शिपयार्ड में जलावतरण होगा। इस दौरान रक्षा मंत्री के साथ भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी भी होंगे। इस बहुउद्देशीय स्टील्थ-गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट को तकनीक से मामले में दुनियाभर में अधिक उन्नत युद्धपोतों में से एक माना जाता है। इसकी मदद से हिंद महासागर में भारतीय नौसेना की परिचालन क्षमता में काफी अधिक वृद्धि होने की संभावना है।

मंगलवार को बैठक में होंगे कई समझौते

मंगलवार को मॉस्को में सैन्य और सैन्य तकनीकी सहयोग को लेकर होने वाली भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग(IRIGC-M&MTC) बैठक में भारतीय-रूसी रक्षा मंत्री दोनों देशों में रक्षा के क्षेत्र में बहुआयामी संबंधों की शृंखला की समीक्षा करेंगे। बैठक में चर्चा का मुख्य केंद्र रूसी S-400 ट्रायम्फ वायु रक्षा प्रणाली की शेष 2 इकाइयों की डिलीवरी होगी, जो सबसे उन्नत है। S-400 वायु रक्षा प्रणाली की 5 इकाइयों की खरीद 2018 में अंतिम रूप दी गई थी।इसके बाद सिंह सोवियत सैनिकों को श्रद्धांजलि देंगे।

रूसी राष्ट्रपति के 2025 में भारत आने की उम्मीद

विदेश मंत्रालय के मुताबिक, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के अगले साल वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए भारत आने की उम्मीद है। इस यात्रा की तारीखें राजनयिक बातचीत से तय की जाएंगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन को भारत आने का निमंत्रण दिया है, और उनकी यात्रा का ब्योरा 2025 की शुरुआत में तय किया जाएगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल का कहना है कि रूस के साथ हमारी वार्षिक शिखर वार्ता की व्यवस्था है। मास्को में हुए पिछले वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए प्रधानमंत्री मास्को गए थे। अगला शिखर सम्मेलन 2025 में भारत में होने वाला है, और इसके लिए तारीखें राजनयिक चैनलों के जरिये तय की जाएंगी। क्रेमलिन के सहयोगी यूरी उशाकोव ने 2 दिसंबर को कहा था कि राष्ट्रपति पुतिन को पीएम मोदी से भारत आने का निमंत्रण मिला है और उनकी यात्रा की तारीखें 2025 के शुरुआत में तय की जाएंगी।

साउथ कोरिया के रक्षा मंत्री ने इस्तीफा दिया, मार्शल लॉ लगाने की जिम्मेदारी ली, कहा- मैंने संसद में सेना भेजी

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साउथ कोरिया के राष्ट्रपति ने मंगलवार को देश में मार्शल लॉ लगाने का ऐलान किया था। हालांकि नेशनल असेंबली में हुई वोटिंग के बाद उन्हें कुछ ही घंटों में अपना फैसला पलटना पड़ा।देश के मुख्य विपक्षी दल ने बुधवार को राष्ट्रपति से तत्काल पद छोड़ने की मांग की, विपक्ष ने चेतावनी दी है कि अगर यून सुक अपना पद नहीं छोड़ते हैं तो महाभियोग का सामना करना पड़ेगा। इस बीच साउथ कोरिया के रक्षा मंत्री किम योंग-ह्यून ने जनता से माफी मांगते हुए अपने इस्तीफे का ऐलान कर दिया। बता दें कि रक्षामंत्री किम की सलाह पर ही राष्ट्रपति ने मार्शल लॉ लगाने की घोषणा की थी।

कोरियाई न्यूज एजेंसी योनहाप के मुताबिक किम योंग ने कहा कि वे देश में हुई भारी उथल-पुथल की जिम्मेदारी ले रहे हैं। राष्ट्रपति कार्यालय ने कहा कि राष्ट्रपति यून सुक योल ने रक्षा मंत्री का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है।किम योंग की जगह अब चोई ब्युंग-ह्यूक को साउथ कोरिया का नया रक्षा मंत्री बनाया गया है। वे सेना में फोर स्टार जनरल रह चुके हैं और फिलहाल सऊदी अरब में साउथ कोरिया के राजदूत के पद पर हैं।

गुरुवार को मीडिया ब्रीफिंग में उप-रक्षा मंत्री ने इसकी पुष्टि की। उन्होंने कहा कि किम योंग के आदेश पर ही सेना संसद में घुसी थी। उप-रक्षा मंत्री ने यह भी कहा उन्हें मार्शल लॉ के बारे में कुछ भी नहीं पता था। इसकी जानकारी उन्हें टीवी पर मिली। वे इस बात से दुखी हैं कि उन्हें कुछ पता नहीं था और इस वजह से सही समय पर इस घटना को रोक नहीं सके।

72 घंटे में मतदान जरूरी

इससे पहले मुख्य विपक्षी दल डेमोक्रेटिक पार्टी और अन्य छोटे विपक्षी दलों ने बुधवार को राष्ट्रपति यून सुक येओल के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पेश किया जो मंगलवार रात उनके द्वारा घोषित मार्शल लॉ’ के विरोध में पेश किया गया था। यून के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव गुरुवार को संसद में पेश किया गया, जिसका मतलब है कि इस पर शुक्रवार और रविवार के बीच मतदान हो सकता है। नेशनल असेंबली के अधिकारियों के अनुसार, अगर संसद में पेश किए जाने के 72 घंटों के भीतर इस पर मतदान नहीं होता है तो इसे रद्द कर दिया जाएगा, लेकिन अगर मौजूदा प्रस्ताव को रद्द कर दिया जाता है या मत विभाजन के जरिए खारिज कर दिया जाता है तो नया प्रस्ताव पेश किया जा सकता है।

मार्शल लॉ की साजिश रचने के आरोप लग रहा

विपक्षी पार्टी के सांसद किम मिन सोक ने आरोप लगाया है कि देश में मार्शल लॉ लगाने के पीछे ‘चुंगम गुट’ का हाथ है। चुंगम राजधानी सियोल में एक हाई स्कूल है जहां से राष्ट्रपति और उनके दोस्तों ने पढ़ाई की है। राष्ट्रपति बनने के बाद यून ने अपने दोस्तों को अहम पदों पर नियुक्त कर दिया। इन सभी के पास मार्शल लॉ लागू करने को लेकर कई अधिकार थे और ये कई महीने से इसकी तैयारी कर रहे थे। रक्षा मंत्री किम भी चुंगम से ही पढ़ चुके हैं और राष्ट्रपति के पुराने दोस्त हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रपति ने मार्शल लॉ लगाने से 3 घंटे पहले एक कैबिनेट मीटिंग बुलाई थी, जिसमें उनके अलावा 4 लोग शामिल थे। प्रधानमंत्री के अलावा, वित्त और विदेश मंत्री ने मार्शल लॉ लगाए जाने का विरोध किया था। हालांकि, राष्ट्रपति ने उनकी सलाह को नजरअंदाज कर दिया।

दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक योल ने मंगलवार को देश के विपक्ष पर संसद को नियंत्रित करने, उत्तर कोरिया के साथ सहानुभूति रखने और सरकार को राज्य विरोधी गतिविधियों से पंगु बनाने का आरोप लगाते हुए साउथ कोरिया में आपातकालीन मार्शल लॉ की घोषणा की थी। हालांकि, कुछ ही घंटों के भीतर मार्शन लॉ हटा लिया गया। यह फैसला संसद के भारी विरोध और वोटिंग के बाद लिया गया। वोटिंग में 300 में से 190 सांसदों ने सर्वसम्मति से मार्शल लॉ को स्वीकार करने के लिए मना कर दिया। मार्शल लॉ के ऐलान के बाद वहां की जनता भी सड़को पर उतर आई। आर्मी के टैंक सियोल की गलियों में घूमने लगे। हालांकि कि बिगड़ते हालातों और लगातार बढ़ते विरोध के कारण राष्ट्रपति ने अपना फैसला वापस ले लिया।

जंग के बीच नेतन्याहू ने अपने रक्षा मंत्री गैलेंट को क्यों हटाया, क्या इजराइल में सब ठीक नहीं?

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गाजा में हमास और लेबनान में हिजबुल्लाह सहित एक साथ कई मोर्चों पर इजराइल युद्ध लड़ रहा है। जंग के इस मुश्किल हालात के बीच इजरायल से चौंकाने वाली खबर आई है। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने देश के रक्षा मंत्री योआव गैलेंट को बर्खास्त कर दिया है। उनकी जगह पूर्व विदेश मंत्री इजरायल काट्ज को रक्षा मंत्री बनाया गया है। नेतन्याहू ने याव गैलेंट को हटाने के लिए 'विश्वास के संकट' को वजह बताई जो 'धीरे-धीरे गहराता जा रहा था।' इसके पीछे पीएमओ की ओर से तर्क दिया गया है कि युद्ध प्रबंधन को लेकर दोनों नेताओं के बीच लगातार मतभेद बढ़ रहे थे।

बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा, “इजरायल के प्रधानमंत्री के रूप में मेरी सबसे बड़ी जिम्मेदारी इजरायल की सुरक्षा को सुनिश्चित करना और हमें निर्णायक जीत की ओर ले जाना है। युद्ध के समय में, प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री के बीच पूर्ण विश्वास होना बेहद जरूरी है। दुर्भाग्यवश, जबकि शुरुआती महीनों में हमारे बीच यह विश्वास था और हमने बहुत कुछ हासिल किया, हाल के महीनों में मेरे और रक्षा मंत्री के बीच यह विश्वास कम हो गया है।”

बेंजामिन नेतन्याहू ने आगे कहा, “गैलेंट और मेरे बीच ऑपरेशन के मैनेजमेंट को लेकर गंभीर मतभेद उत्पन्न हो गए। ये मतभेद सरकार और कैबिनेट के फैसलों के विपरीत बयानों और कार्यों के साथ सामने आए। मैंने इन मतभेदों को सुलझाने के लिए कई बार प्रयास किए, लेकिन ये और बढ़ते गए। ये मुद्दे सार्वजनिक रूप से सामने आए, जो कहीं से भी मंजूर नहीं था, और इससे भी बुरा यह कि हमारे दुश्मनों को इसका फायदा मिला और उन्होंने इसके मजे लिए।

योआव गैलेंट पूर्व इजरायली जनरल हैं, जिन्हें सुरक्षा के प्रति उनके व्यवहारिक और सीधे नजरिए के लिए जाना जाता है। गैलेंट की इजरायल के 13 महीने के गाजा अभियान के दौरान भूमिका के लिए तारीफ की जाती रही है। उन्होंने अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन समेत अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों के साथ मजबूत संबंध बनाए। गैलेंट के रक्षा मंत्री रहते इजरायली सेना ने ईरान पर सफल हमला किया, जिसमें उसकी मिसाइल सुविधाओं को निशाना बनाया गया।

गाजा में जारी युद्ध के दौरान नेतन्याहू और गैलेंट के बीच कई बार मतभेद उभरे हैं। हालांकि, बेंजामिन नेतन्याहू ने उन्हें बर्खास्त करने से परहेज किया। लेकिन इस बार उन्होंने ऐसा नहीं किया। नेतन्याहू ने पिछले साल मार्च में जब गैलेंट को बर्खास्त करने की कोशिश की थी, तो उनके इस कदम के खिलाफ देश में प्रर्दशन हुआ था। इस बार भी नेतन्याहू के इस फैसले का विरोध शुरू हो गया है। लोग सड़कों पर उतर आए हैं। नारेबाजी कर रहे हैं। इजराइल के पीएम और उनके घर के आसपास सभी सड़कें बंद कर दी गई हैं।

अमेरिका ने भारत की 19 कंपनियों पर लगाया प्रतिबंध, भारत के रक्षा क्षेत्र में इन प्रतिबंधों का कितना होगा असर?

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अमेरिका ने रूस की मदद करने के आरोप में हाल ही में दुनियाभर की करीब 400 कंपनियों पर बैन लगाया था। इनमें कुछ भारतीय कंपनियां भी शामिल हैं। इनमें 19 भारतीय कंपनियां और दो व्‍यक्ति भी शामिल हैं। अमेरिका का आरोप है कि ये कंपनियां फरवरी 2022 में यूक्रेन पर हमले के बाद से रूस को ऐसा साजो-सामान उपलब्ध करवा रही हैं, जिनका इस्तेमाल रूस युद्ध में कर रहा है।अमेरिकी प्रतिबंध के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्‍या भारत-अमेरिका के रिश्‍ते बिगड़ेंगे? सवाल ये भी है कि कंपनियों पर बैन लगाने से क्या इसका भारत पर कोई असर पड़ेगा?

इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ कंपनियों में तो रजिस्टर्ड डायरेक्टर और शेयरधारक रूसी नागरिक भी हैं। उदाहरण के लिए, डेन्‍वास सर्विसेज मुख्य रूप से अलग-अलग सेवाओं के लिए डिजिटल कियोस्क सप्लाई करती है। इस कंपनी में रूसी नागरिकों की हिस्सेदारी है। भारतीय कानून के मुताबिक, भारतीय कंपनियों में विदेशी नागरिकों का डायरेक्टर होना कानूनी है और रूसी संस्थाओं के साथ काम करने पर कोई रोक नहीं है। इस कंपनी पर आरोप है कि यह अमेरिका में बने माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण रूस को उसके आधुनिक हथियारों में इस्तेमाल करने के लिए दे रही थी।

इन भारतीय कंपनियों पर प्रतिबंध

सबसे पहले हम उन कं‍पनियों के बारे में जान लेते हैं, जिन पर रूस को ऐसी सामग्री मुहैया कराने का आरोप है, जिसका इस्‍तेमाल वह युद्ध के लिए हथियार बनाने में कर रहा है। अमेरिका ने आभार टेक्नोलॉजीज एंड सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, डेनवास सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, एमसिस्टेक, गैलेक्सी बियरिंग्स लिमिटेड, ऑर्बिट फिनट्रेड एलएलपी, इनोवियो वेंचर्स, केडीजी इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड, खुशबू होनिंग प्राइवेट लिमिटेड, लोकेश मशीन्स लिमिटेड, पॉइंटर इलेक्ट्रॉनिक्स, आरआरजी इंजीनियरिंग टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड, शार्पलाइन ऑटोमेशन प्राइवेट लिमिटेड, शौर्य एयरोनॉटिक्स प्राइवेट लिमिटेड, श्रीजी इम्पेक्स प्राइवेट लिमिटेड और श्रेया लाइफ साइंसेज प्राइवेट लिमिटेड को प्रतिबंधित सूची में रखा है।

भारतीय कंपनियों पर क्‍या होगा असर?

अमेरिका के प्रतिबंध के जरिए इन कंपनियों को स्विफ्ट बैंकिंग सिस्टम में ब्लैकलिस्ट कर दिया जाता है। इससे कंपनियां उन देशों से लेन-देन नहीं कर पाती हैं, जो रूस-यूक्रेन युद्ध में रूस के खिलाफ हैं। जिन कंपनियों पर प्रतिबंध लगा है, उनकी संपत्तियां भी उन देशों में फ्रीज हो सकती हैं, जो इस बैन के पक्ष में हैं। लेकिन, जानकारों का कहना है कि प्रतिबंधों से भारतीय कंपनियों पर ज्‍यादा असर नहीं होगा।

किसी कानून का उल्लंघन नहीं

इकनॉमिक टाइम्स के अनुसार जिन कंपनियों पर बैन लगाया गया है उनमें से किसी के पास न तो अमेरिकी बिजनस अकाउंट हैं और न ही किसी अंतरराष्ट्रीय निर्यात नियंत्रण संधि का उल्लंघन किया है। सूत्रों के मुताबिक विदेश व्यापार महानिदेशालय के सख्त नियम हैं और उन नियमों का उल्लंघन नहीं किया गया है। जिन भारत कंपनियों पर अमेरिका ने बैन लगाया है, वे गैर-डॉलर और गैर-यूरो पेमेंट मैकेनिज्म के माध्यम से तीसरे देशों के जरिए काम कर सकती हैं। यानी कह सकते हैं कि अमेरिका की ओर से बैन लगाने पर भी इस कंपनियों पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा।

इन 19 कंपनियों में से सिर्फ आरआरजी इंजीनियरिंग ही ऐसी कंपनी है जो भारतीय रक्षा क्षेत्र के साथ थोड़ा-बहुत काम करती है। इसने आरआरजी के साथ काम किया है और कुछ सैन्य यूनिट को जरूरी सामान सप्लाई किए हैं। इस कंपनी पर आरोप है कि इसने अमेरिका द्वारा प्रतिबंधित रूसी कंपनी आर्टेक्स लिमिटेड कंपनी को माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स की 100 से ज्यादा खेप भेजी हैं। रिकॉर्ड के मुताबिक, आरआरजी ने पहले आरआरजी की कुछ प्रयोगशालाओं में डेटा सेंटर और आईटी नेटवर्क बनाने के लिए कर्मचारी भी मुहैया कराए थे। इसने अलग-अलग सैन्य यूनिट को सीमित संख्या में परमाणु, जैविक और रासायनिक हमले का पता लगाने वाले उपकरण भी सप्लाई किए हैं। कंपनी का दावा है कि इसने सैटकॉम स्टेशन बनाने में भी काम किया है। उद्योग के जानकारों का कहना है कि ऐसे उपकरण भारत में आसानी से मिल जाते हैं और जरूरत पड़ने पर इन्हें आसानी से खरीदा जा सकता है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सैनिकों के साथ मनाएंगे दिवाली, लद्दाख में एलएसी पर चीन के साथ समझौते के बाद पहला दौरा

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चीन के साथ पिछले दिनों पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर विवाद सुलझा लिया गया है। दोनों तरफ से सेना के पीछे हटने का काम लगभग पूरा हो चुका है। अब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने अरुणाचल प्रदेश के सीमाई इलाके तवांग में दिवाली मनाने का फैसला किया है। इसके लिए वे अरुणाचल प्रदेश के तवांग के लिए रवाना हो गए हैं।

अपने दौरे को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, अरुणाचल प्रदेश की दो दिवसीय यात्रा पर नई दिल्ली से तवांग के लिए रवाना हो रहा हूं। सशस्त्र बलों के कर्मियों के साथ बातचीत करने और बहादुर भारतीय सेना अधिकारी मेजर रालेंगनाओ बॉब खातिंग को समर्पित एक संग्रहालय के उद्घाटन समारोह में भाग लेने के लिए उत्सुक हूं।

रक्षामंत्री के दौरे के दौरान प्रदेश के मुख्‍यमंत्री पेमा खांडू भी मौजूद रहेंगे। अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू और उपमुख्यमंत्री चोवना मेन ने 30 अक्टूबर को तवांग में भारतीय वायुसेना की उत्तराखंड युद्ध स्मारक कार रैली का स्वागत करेंगे। रक्षा मंत्री का यह दौरा सीमाओं की सुरक्षा में लगे सैनिकों का मनोबल बढ़ाने के लिए है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इससे पहले अक्‍टूबर 2023 में भी तवांग गए थे। उस दौरान उन्‍होंने सैनिकों के साथ शस्‍त्र पूजा की थी। डिफेंस मिनिस्‍टर ने वास्‍तविक नियंत्रण रेखा पर तैनात सैनिकों के साथ बातचीत की थी और दशहरा का उत्‍सव मनाया था। इससे पहले उसी साल लेह में उन्‍होंने सेना के जवानों के साथ होली भी मनायी थी। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सीमा पर तैनात जवानों के साथ उत्‍सव मनाते रहे हैं।

बता दें कि तवांग पर चीन अक्‍सर ही अपना दावा ठोकता रहता है। चीन इसे दक्षिणी तिब्‍बत का हिस्‍सा मानता है। भारत पड़ोसी देश चीन के इसके दावे को सिरे से खारिज करता रहा है। अरूणाचल प्रदेश में तवांग का यांग्त्से क्षेत्र दोनों देशों के बीच तनाव का एक प्रमुख केंद्र है। 2022 में इस क्षेत्र में भारतीय सेना और चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी के बीच टकराव हुआ था, जिसमें दोनों पक्षों के सैनिकों को चोटें आई थीं। भारतीय सेना ने यांग्त्से क्षेत्र में चीनी सैनिकों की गश्त को रोका, जिससे भारत की क्षेत्र में पकड़ मजबूत हुई। बताया जा रहा है कि दोनों देश एक प्रस्ताव पर विचार कर रहे हैं, जिसके तहत चीनी सेना को नामित क्षेत्रों में गश्त की अनुमति दी जा सकती है। इसका उद्देश्य विवादित क्षेत्र में तनाव को कम करना और दोनों देशों की संतुलित उपस्थिति सुनिश्चित करना है।

अनुच्छेद 370 पर उमर अब्‍दुल्‍ला-कांग्रेस गठबंधन के साथ पाकिस्तान, पाकिस्तानी रक्षा मंत्री का बड़ा बयान

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पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि उनका देश जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 को लेकर कांग्रेस गठबंधन के रुख से सहमत है।जियो न्यूज पर बातचीत में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35A बहाल करने के लिए पाकिस्तान और नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन एक साथ हैं।

बता दें कि जम्मू-कश्मीर में होने वाले विधानसभा चुनाव की चर्चा पाकिस्तान में भी है। बुधवार को जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए मतदान हुआ। मतदान के दौरान बड़ी संख्या में लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। इस बीच पाकिस्तान के एक टीवी कार्यक्रम में वहां के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ शामिल हुए। इस दौरान एंकर ने जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव को लेकर सवाल किया और कहा कि 'जम्मू कश्मीर चुनाव में कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस साथ मिलकर चुनाव लड़ रही हैं। जम्मू कश्मीर में आर्टिकल 370 और 35ए जब लागू किया गया था तो उस वक्त केंद्र में कांग्रेस क पंडित नेहरू और जम्मू कश्मीर में शेख अब्दुल्ला सत्ता में थे। अब एक बार फिर दोनों साथ आए हैं और दोनों ने कश्मीर में आर्टिकल 370 और 35ए लागू करने का वादा किया है।' इसे लेकर ख्वाजा आसिफ की प्रतिक्रिया मांगी गई। जिस पर ख्वाजा आसिफ ने कहा कि 'अगर ऐसा होता है तो बहुत अच्छा होगा और हम आर्टिकल 370 और 35ए पर कांग्रेस और उसके सहयोगियों के रुख के साथ हैं।'

बता दें कि जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद हो रहे चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन में हैं। हालांकि इस चुनाव में कांग्रेस अनुच्छेद 370 को लेकर बिल्कुल चुप है। अपने घोषणा पत्र में भी इसका जिक्र नहीं किया है। कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने से जुड़ी बात कही है। हालांकि कांग्रेस के साथ गठबंधन के साथी फारूक अब्दुल्ला की नेशनल कॉन्फ्रेंस अनुच्छेद 370 की बहाली और जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने का जोर-शोर से वादा कर रही है। इसे लेकर बीजेपी की ओर से लगातार कांग्रेस गठबंधन पर निशाना साधा जा रहा है। अब, ख्वाजा आसिफ के इस बयान के बाद बीजेपी ने कांग्रेस पर क बार फिर हमला बोला है।

बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने कहा है कि कांग्रेस हमेशा देशविरोधियों के साथ रही है। पाकिस्तान 370 पर कांग्रेस-एनसी के रुख का समर्थन कर रहा है। मालवीय ने कहा कि ऐसा कैसे कि पन्नू से लेकर पाकिस्तान तक, राहुल गांधी और उनकी कांग्रेस, हमेशा भारत के हितों के प्रतिकूल लोगों के पक्ष में दिखाई देती है?

40 साल पुराना विमान हाईजैक: एस जयशंकर ने बताई अपने पिता की मौजूदगी की कहानी

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने करीब 40 साल पहले एक विमान हाईजैक से जुड़े उस वाकये का जिक्र किया जिसमें वह समस्या से निपटने वाली टीम का हिस्सा थे. हालांकि तब उनकी स्थिति ज्यादा विकट हो गई जब उन्हें पता चला कि जिस विमान को हाईजैक किया गया है, उसमें उनके पिता भी सवार हैं. विदेश मंत्री के इस खुलासे के बाद 4 दशक पुराने उस हाईजैक की कहानी फिर से चर्चा में आ गई है.

जयशंकर ने स्विटजरलैंड में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान बताया, “1984 में, बतौर अधिकारी मैं हाईजैक हुए विमान से निपटने वाली टीम का हिस्सा था. फिर कुछ घंटों बाद, जब मैंने अपनी मां को फोन किया कि विमान के हाइजैक होने की वजह से मैं घर नहीं आ सकता, तब मुझे पता चला कि मेरे पिता भी उसी विमान में सवार थे.” विदेश मंत्री के पिता के. सुब्रह्मण्यम, जो अंतरराष्ट्रीय रणनीतिक मामलों के विश्लेषक और पत्रकार थे. हाइजैकर्स विमान को अमेरिका ले जाना चाहते थे, लेकिन यह लाहौर, कराची और दुबई तक का चक्कर लगाता रहा.

चंडीगढ़ से निकलते ही हाइजैक हुआ प्लेन

बात 24 अगस्त 1984 के तड़के सुबह की है. जब इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC- 421 (बोइंग 737-2A8) में सवार ऑल इंडिया स्टुडेंट्स फेडरेशन (AISSF) से जुड़े कुछ सिख लोगों ने विमान में टाइम बम रखे होने की बात करते हुए उसे हाईजैक कर लिया. विमान में कुल 122 लोग सवार थे. जिसमें से 67 यात्री चंडीगढ़ उतर गए और 31 यात्री श्रीनगर जाने के लिए सवार हुए. ये हाइजैकर्स सिख थे, जिनकी उम्र 20 साल के आसपास थी. वे कॉकपिट में घुस गए और कैप्टन वीके मेहता से विमान का कंट्रोल छीन लिया.

विमान को चंडीगढ़ से उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद सुबह 7.30 बजे हाईजैक कर लिया गया. यह विमान दिल्ली के पालम से चंडीगढ़ होते हुए श्रीनगर के लिए रवाना हुआ था. इस विमान में सिविल सर्वेंट के सुब्रह्मण्यम भी सवार थे जो वर्तमान में विदेश मंत्री एस जयशंकर के पिता थे.

अमेरिका ले जाना चाहते थे विमान

हाइजैकर्स ने शुरुआत में विमान को भारत से बहुत दूर संयुक्त राज्य अमेरिका ले जाने की मांग की. बाद में उन्होंने विमान को पाकिस्तान के लाहौर में उतरवाया. लाहौर में विमान करीब 80 मिनट तक आसमान में चक्कर लगाता रहा, लेकिन विमान में फ्यूल कम होने के बाद पाकिस्तानी अधिकारियों ने सुबह 9:50 बजे लाहौर एयरपोर्ट पर उतरने की अनुमति दी.

इस दौरान हाइजैकर्स ने यह भी दावा किया कि उनके पास विमान को उड़ाने के लिए पर्याप्त विस्फोटक हैं. साथ ही उनकी ओर से विमान में फ्यूल भरे जाने तक हर 15 मिनट में 74 यात्रियों में से एक-एक को मारने की धमकी भी दी गई.

लाहौर में 5 यात्रियों को छोड़ा गया

विमान में सवार 5 यात्रियों को शाम 7 बजे लाहौर में छोड़ दिया गया, फिर पाकिस्तानी अधिकारियों की ओर से विमान में ईंधन भरने और फिर उड़ान भरने की अनुमति दी गई. इसके बाद अपहृत विमान ने लाहौर से कराची के लिए उड़ान भरी, जहां हाईजैक ने ब्रिटिश पासपोर्ट वाली 2 महिलाओं को इसलिए छोड़ दिया क्योंकि वो बीमार हो गई थीं.

हालांकि हाइजैकर्स कराची की जगह बहरीन जाना चाहते थे लेकिन मौसम की वजह से विमान को कराची ले जाना पड़ा. कराची पहुंचे विमान में पाकिस्तानी अधिकारियों ने हाइजैकर्स की मांग पर और फ्यूल भरा. फिर हाइजैकर्स इस विमान को दुबई ले गए.

बातचीत को एयरपोर्ट पहुंचे UAE के रक्षा मंत्री

एयर इंडिया का यह विमान अब दुबई में था. अगले दिन सुबह 8 बजे संयुक्त अरब अमीरात के रक्षा मंत्री मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम दुबई एयरपोर्ट पहुंचे. उन्होंने यात्रियों की सकुशल रिहाई और सभी हाइजैकर्स को यूएई अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण करने के लिए बातचीत की. दोपहर 1:45 बजे, रक्षा मंत्री शेख रशीद के बार-बार अनुरोध के बाद, हाइजैकर्स ने अंततः बंधकों के लिए भोजन और पानी की व्यवस्था करने की अनुमति दी. इससे पहले हाइजैकर्स ने खाना और पानी लौटा दिया था.

यूएई अधिकारियों के साथ बातचीत के दौरान, हाइजैकर्स ने सुरक्षित अमेरिका पहुंचने और उन्हें राजनीतिक शरण दिए जाने की मांग की. लेकिन दुबई स्थित अमेरिकी दूतावास की ओर से कहा गया कि अगर वे अमेरिका जाते हैं, तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा. इस बीच दुबई के अधिकारी भारतीय अधिकारियों के साथ हाइजैकर्स से बातचीत में लगे हुए थे. इस बीच हाइजैकर्स ने सुब्रह्मण्यम के जरिए यह बताने को मजबूर किया कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं तो वे हर आधे घंटे में एक बंधक को मारना शुरू कर देंगे.

इंसुलिन के प्लेन से बाहर निकले सुब्रह्मण्यम

हाइजैकर्स के साथ बातचीत के दौरान दोपहर साढ़े 12 बजे विमान में 2 एंबुलेंस भी भेजी गई क्योंकि दिल्ली स्थित रक्षा अध्ययन और विश्लेषण संस्थान (Institute for Defence Studies and Analysis) के निदेशक के. सुब्रह्मण्यम ने शिकायत की कि उन्हें डायबटीज के लिए इंसुलिन इंजेक्शन की जरुरत है. एंबुलेंस में इंसुलिन की खुराक दिए जाने के बाद सुब्रह्मण्यम और उनके साथ मौजूद हाइजैकर विमान में लौट आए.

विमान के हाईजैक हुए 36 घंटे बीत चुके थे. हाइजैकर्स और भारतीय अधिकारियों के बीच यात्रियों को सुरक्षित छोड़े जाने को लेकर लगातार बातचीत हो रही थी. कई दौर की बातचीत के बाद देर शाम 6.50 दुबई पुलिस के चीफ ने घोषणा की कि हाइजैकर्स ने बिना शर्त आत्मसमर्पण कर दिया. उन्हें हिरासत में ले लिया गया. अपहरण के करीब 36 घंटे बाद दुबई में सभी शेष यात्रियों और चालक दल को सुरक्षित रिहा कर दिया गया.

हाइजैकर्स को अमेरिका भेजने का वादा

वहीं बातचीत के दौरान दुबई के अधिकारियों ने हाइजैकर्स को संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए भेजे जाने से पहले सात दिन की शरण देने का वादा किया था. लेकिन बाद में उनके सामने 2 विकल्प रखे गए. पहला, भारत प्रत्यर्पित किया जाना. दूसरा यूएई कानून के तहत हवाई चोरी के लिए मुकदमा चलाना. बाद में हाइजैकर्स को भारत भेज दिया गया.

इन सिख आतंकवादियों को 3 सितंबर, 1984 को नई दिल्ली लाया गया. मामले की सुनवाई राजस्थान के अजमेर शहर में हुई और यह 9 साल तक चली. अजमेर की एक जेल के अंदर बनाए गए स्पेशल कोर्ट में अप्रैल, 1993 में सातों आरोपियों को सजा सुनाई गई. इन्हें दोषी ठहराए जाने के एक महीने के अंदर ही आजीवन कारावास की सजा भी सुना दी गई.

आजीवन कारावास की सजा पाने वालों में हाइजैकर्स कमलजीत सिंह संधू, देवेंद्र सिंह, अमरेंद्र सिंह, अवतार सिंह, तजिंदर सिंह, मान सिंह और सुरेंद्र सिंह थे.

*ISL 2024-25 Media Day*

Sports 

ISL 2024-25 Media Day: “Trophies in the past don’t matter; you are only as good as your last game”, says NorthEast United FC head coach Juan Pedro Benali

KKNB: The Indian Super League (ISL) 2024-25 Media Day began in Kolkata with representatives from seven clubs, i.e. Mohun Bagan Super Giant, East Bengal FC, Mohammedan SC, Odisha FC, Jamshedpur FC, Punjab FC and NorthEast United FC previewing the upcoming season.

The event saw a blend of new and familiar faces, with Mohun Bagan's Jose Molina and Punjab FC's Panagiotis Dilmperis making their ISL debuts as head coaches, while veterans like Sergio Lobera, Khalid Jamil, Juan Pedro Benali, and Carles Cuadrat discussed their strategies for the campaign.

The discussions, however, began with the newly-promoted Mohammedan SC head coach Andrey Chernyshov expressing his pleasure at joining the ISL, with his captain Samad Ali Mallick underlining their ambitions to challenge for the playoffs straightaway.

“It’s a nice feeling to be a part of the ISL family. We did a great job last year by winning the I-League. I am thrilled about our supporters. They had been expecting this for many years. I can’t wait to get started with the league,” Chernyshov said.

The two other Kolkata heavyweights are on their desired track ahead of the coming ISL campaign. Whilst the Mariners embark on the coveted title defence, East Bengal FC are bolstered by solid reinforcements to their squad in the summer.

“It’s a process to prepare the team for the ISL. We have been working together for a month and there are still a few things to improve upon. We are confident in our players and the way we have trained until now,” Jose Molina said.

East Bengal FC tactician Cuadrat overlooked comparisons from their sluggish start last year to insist confidently that his team will hit the ground running from their opening fixture this time around.

“It’s a different season with different players, and hence I wouldn’t like to compare to the last campaign, because every team is in a different situation as they were last time around. We have the complete squad with us and we will have to be competitive from day one,” Cuadrat said.

 Lobera eyes ISL title with Odisha FC 

Odisha FC, who finished fourth last season, are basking on their storied run across multiple competitions in 2023-24 to produce similarly impressive outings this year too.

“It’s been six years in India for me now. We had an amazing season last year, finishing at the top of the group in the AFC Cup. We were close to winning the Super Cup and we reached the ISL semi-finals for the first time in the club’s history. It was an amazing run and we want to replicate that this year to put a smile on the faces of the fans,” Lobera said.

 Challengers for the playoffs spots 

The trio of Punjab FC, NorthEast United, and Jamshedpur FC had ignited an exciting late challenge for the playoffs last season, falling short at the final hurdle. Since then, the Highlanders have gone from strength to strength, winning the club’s first trophy with the Durand Cup last month.

“We are now starting to realise with what we did in the Durand Cup! But, now, we look forward to the ISL and there’s another story that’s waiting for us in the coming season. Trophies in the past don’t make you play better. You are only as good as your last game,” Benali mentioned.

Jamshedpur FC’s Khalid Jamil praised the ISL for bringing in new rules, such as the introduction of the concussion substitute, mandating an AFC Pro License holding (or equivalent) Indian assistant coach, amongst others. Considering that he is one of the two Indian head coaches in the ISL along with Thangboi Singto of Hyderabad FC, Jamil said, “These new rules will help in the development of Indian football. We shall study it in detail and see how they could help us benefit during the course of the season as well.”

For Punjab FC, they have a new coach at helm in Greek tactician Panagiotis Dilmperis. The team has made some smart acquisitions in the transfer window and Dimperis expressed satisfaction at the same, whereas skipper Luka Majcen stressed upon the importance of a positive start.

“I am really lucky with all the players we have got in the Punjab FC roster. They are all great personalities and our aim is to achieve greater heights than we did last year,” Dimperis said.

 Pic Courtesy by: ISL

अमेरिकी संसद में भारत को नाटो सहयोगियों जैसा दर्जा देने की मांग, जानें क्या होगा फायदा?
#us_india_defence_partnership_bill अमेरिकी संसद में गुरुवार को भारत को नाटो सहयोगियों के स्तर का दर्जा देने की मांग उठाई गई। इसके अलावा पाकिस्तान अगर भारत के खिलाफ आतंकवाद फैलाता है तो उसके लिए सुरक्षा सहायता बंद करने की भी अपील की गई है। यह बिल अमेरिकी सांसद मार्को रुबियो ने पेश किया है। बिल में मांग की गई है कि अमेरिका अपने सहयोगियों जापान, इस्राइल, कोरिया और नाटो सहयोगी देशों की तरह ही भारत को भी अपना शीर्ष सहयोगी माने और उसे अहम तकनीक का ट्रांसफर करे, भारत की क्षेत्रीय संप्रभुता के लिए बढ़ते खतरे के बीच उसे अपना समर्थन दे और पाकिस्तान से आयातित आतंकवाद के खिलाफ उसके खिलाफ कार्रवाई करे। प्रस्ताव पेश करने के बाद अमेरिकी सांसद ने कहा, "कम्युनिस्ट चीन इंडो-पैसेफिक क्षेत्र में अपना दबदबा बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। साथ ही वह हमारे क्षेत्रीय सहयोगियों की संप्रभुता का भी उल्लंघन करता रहता है। ऐसे में यह जरूरी है कि अमेरिका भारत जैसे अपने सहयोगियों को चीन से निपटने में मदद करे।" सीनेटर रुबियो ने भारत की चिंताओं को रेखांकित करते हुए अपने विधेयक में भारत की क्षेत्रीय अखंडता का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि भारत की क्षेत्रीय अखंडता को लेकर बढ़ते खतरों को देखते हुए भारत का हर स्तर पर समर्थन किया जाना चाहिए। सीनेटर मार्को रुबियो ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर अपनी बातें रखीं। फ्लोरिडा के सीनेटर मार्को रुबियो ने कहा, “मैंने यूएस-इंडिया डिफेंस कोऑपरेशन एक्ट बिल पेश किया है। भारत के साथ अपनी साझेदारी को मजबूत करने के लिए, यह जरूरी है कि हम नई दिल्ली के साथ अपने रणनीतिक संबंधों को बढ़ाएँ। कम्युनिस्ट चीन की आक्रामकता का सामना कर रहे भारत को सर्वश्रेष्ठ समर्थन देने के लिए एक बिल पेश किया गया है।” हालांकि अमेरिका में जल्द ही राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होने हैं और ऐसे समय में जब अमेरिकी कांग्रेस में दोनों पार्टियों के सांसदों में मतभेद चल रहे हैं तो इस बिल के पारित होने की संभावना कम ही है, लेकिन अमेरिका में भारत को मिल रहे समर्थन को देखते हुए नई सरकार के गठन के बाद इस बिल के फिर से कांग्रेस में पेश होने की उम्मीद है। *भारत को क्या होगा फायद?* अमेरिकी सीनेट में भारत को नाटो सहयोगी का दर्जा देने वाला प्रस्‍ताव पारित होने के बाद यह विधेयक कानून बन जाएगा। इस प्रस्‍ताव के पास होने से भारत को निश्चित तौर पर फायदा होगा। इसके अलावा दोनों देशों की सामरिक भागीदारी को बढ़ावा देने में भी यह फायदेमंद साबित होगा। ये प्रस्‍ताव पारित होने के बाद भारत का दर्जा इजरायल और दक्षिण कोरिया के समान हो जाएगा। इसका सबसे बड़ा फायदा होगा कि हम जिस तरह की रक्षा तकनीक की अपेक्षा अमेरिका से मिलने की बात करते हैं वह हमें हासिल हो सकेंगी। इस प्रस्‍ताव के पास होने से पहले जब भारत तकनीक ट्रांसफर की बात करता था तो सबसे बड़ी बाधा यही थी कि हम नाटो के सहयोगी देश नहीं थे। इसलिए अमेरिका को तकनीक देने में हमेशा झिझक बनी रहती थी। इतना ही नहीं वहां के मिलिट्री इंडस्‍ट्रीयल कांप्‍लैक्‍स को भी रक्षा तकनीक भारत को देने में परेशानी बनी रहती थी। लेकिन, अब जबकि नाटो सहयोगी का दर्जा देने का प्रस्‍ताव पास हो गया है तो ऐसी दिक्‍कत नहीं आएगी। *भारत को 'नाटो प्लस' का दर्जा देने की उठी थी मांग* इससे पहले पिछले साल अमेरिकी संसद में भारत को 'नाटो प्लस' का दर्जा देने की भी मांग उठी थी। अमेरिकी संसद की सिलेक्ट कमेटी ने इसकी सिफारिश की थी। भारत को हथियार और टेक्नोलॉजी ट्रासंफर करने में तेजी को उद्देश्य बताकर ‘नाटो प्लस’ का दर्जा देने की कवायद शुरू की गई थी। कमेटी का मानना था कि चीन ताइवान पर हमला करता है तो सामरिक तौर पर कड़ा जवाब देने के साथ-साथ क्वॉड को भी अपनी भूमिका बढ़ानी होगी। हालांकि, भारत ने स्पष्ट संकेत दिया था कि वह ‘नाटो प्लस’ में शामिल नहीं होना चाहता है। विदेश मंत्री जयशंकर ने साफ किया था कि ‘नाटो प्लस’ के दर्जे के प्रति भारत ज्यादा उत्सुक नहीं है।
जानिए बजट में डिफेंस को क्या मिला, अंतरिम बजट की तुलना में रक्षा क्षेत्र के आवंटन में 1.67 लाख करोड़ की कटौती

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश किया। इस बजट में कई बड़े ऐलान किए गए हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर डिजिटल टेक्नोलॉजी तक सरकार का खास ध्यान है। सरकार ने बजट में किसान, युवाओं और मिडिल क्लास पर तो फोकस किया ही है साथ ही रक्षा क्षेत्र का भी पूरा ध्यान रखा है। वित्त मंत्री ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए रक्षा सेक्टर के लिए 4.54 लाख करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया है, जो कि पिछले आवंटन 4.55 लाख करोड़ रुपये से कम है। डिफेंस बजट का 67.7% हिस्सा रेवेन्यू और पेंशन बजट को मिला है, जिसका ज्यादातर हिस्सा सैलरी-पेंशन बांटने में खर्च होता है।

अंतरिम बजट की तुलना में रक्षा क्षेत्र का आवंटन 1.67 लाख करोड़ रुपये कम

वित्त वर्ष 2024-25 के पूर्ण बजट में रक्षा क्षेत्र के लिए 4.54 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इससे पहले फरवरी में आए अंतरिम बजट में रक्षा क्षेत्र को 6.21 लाख करोड़ रुपये देने का ऐलान किया गया था। यानी चार महीने पहले आए अंतरिम बजट की तुलना में अब पूर्ण बजट में रक्षा क्षेत्र का आवंटन 1.67 लाख करोड़ रुपये कम हो गया है।

रक्षा बजट को 4 भागों में बांटा गया

रक्षा बजट को 4 भागों में बांटा गया है, इनमें पहला पार्ट है सिविल का, दूसरा हिस्सा है रेवेन्यू, तीसरा कैपिटल एक्सपैंडीचर और चौथा पेंशन। इसमें सिविल से बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन, ट्रिब्यूनल समेत सड़क व अन्य डेवलपमेंट के काम होते हैं, इसके लिए 25 हजार 963 करोड़ रुपये रखे गए हैं। रेवेन्यू बजट से रक्षा क्षेत्र में सैलरी बांटी जाती है। इसके लिए 2 लाख 82 हजार 772 करोड़ रुपये रखे गए हैं। इसके अलावा कैपिटल एक्सपैंडीचर से हथियार और अन्य जरूरी उपकरण खरीदे जाते हैं, जिसके लिए बजट में 1 लाख 72 हजार करोड़ रुपये रखे गए हैं। तीसरा और सबसे जरूरी हिस्सा होता है पेंशन, इसके लिए बजट में 1लाख 41 हजार 205 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।

हथियार-उपकरण खरीद के लिए 1 लाख 72 हजार करोड़

किसी भी देश की सेना की सबसे बड़ी ताकत उसके हथियार, फाइटर प्लेन और गोला बारूद होते हैं। रक्षा बजट में हथियार और उपकरण खरीदने के लिए सरकार ने 1 लाख 72 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। इस पैसे से एयरक्राफ्ट और एयरोइंजन उपकरण खरीदे जाएंगे। इसके अलावा हैवी और मीडियम व्हीकल, अन्य हथियार और गोला बारूद खरीदे जाएंगे। इसके अलावा अन्य तकनीकी उपकरणों से भी सेना को सुसज्जित किए जाने की योजना है। सेना के लिए स्पेशल रेलवे वैगन खरीदे जाएंगे।

6 लाख करोड़ से ज्यादा की थी उम्मीद

पिछले साल आए बजट तक देखें तो बीते 4 साल के दौरान रक्षा क्षेत्र के बजट में 6.5 फीसदी की सालाना दर (सीएजीआर) से बढ़ोतरी हो रही थी. मोदी सरकार रक्षा क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने की महात्वाकांक्षी योजना पर काम कर रही है. सरकार चाहती है कि भारत अपनी रक्षा जरूरतों का ज्यादा से ज्यादा सामान खुद तैयार करे और आयात पर निर्भरता कम हो. इसके साथ ही सरकार का जोर सेनाओं के आधुनिकीकरण पर है. ऐसे में लोग रक्षा क्षेत्र का बजट 6 लाख करोड़ रुपये से तो ऊपर ही रहने की उम्मीद कर रहे थे

यूपीए सरकार में 162% तो एनडीए सरकार में 172% बढ़ा डिफेंस बजट

बता दें कि मनमोहन सिंह ने 2004 में जब पहला बजट पेश किया, तब डिफेंस को 77 हजार करोड़ रुपए मिले थे। 2013 में मनमोहन सिंह ने आखिरी बजट पेश किया, तब डिफेंस बजट 2.03 लाख करोड़ रुपए था। यानी, 10 साल में 163% का इजाफा और एवरेज ग्रोथ रेट 16.3%। 

नरेंद्र मोदी ने 2014 में जब पहला बजट पेश किया, तब डिफेंस को 2.18 लाख करोड़ रुपए मिले थे। 2023 में मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल का जब आखिरी बजट पेश किया, तब डिफेंस बजट 5.93 लाख करोड़ रुपए था। यानी, 10 साल में 172% की बढ़ोतरी और ग्रोथ रेट 17.2%। यानी, UPA के मुकाबले 0.9% ज्यादा।