काशी में कब खेली जाएगी मसान की होली, कैसे शुरू हुई परंपरा?
भगवान शिव की नगरी काशी. कहा जाता है कि ये नगरी भगवान शिव के त्रिशूल पर टिकी हुई है. काशी में मसान की होली खेली जाती है. प्रयागराज में महाकुंभ के समापन के बाद नागा साधु भी मासन की खोली खेलने शिव की नगरी में पहुंचे हुए हैं. ये होली बड़ी अनोखी होती है. इस होली को मृत्यु, मोक्ष और शिव भक्ति से जोड़ा जाता है.
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ये होली खासकर काशी के मणिकर्णिका घाट और हरिश्चंद्र घाट पर खेली जाती है. ये दोनों ही शमशान घाट हैं. साधु और शिवजी के गण मसान होली खेलने के लिए शमशान स्थलों पर एकत्र होते हैं और चिता की राख से होली खेलते हैं. इस साल काशी में मसान की होली कब खेली जाएगी. मसान की होली खेलने की परंपरा की शुरुआत कैसे हुई. आइए विस्तार से जानते हैं.
कब खेली जाएगी मसान की होली ?
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल रंगों की होली 14 मार्च 2025 को मनाई जाएगी. काशी में मसान की होली रंगभरी एकादशी के एक दिन बाद खेली जाती है. इस साल रंगभरी एकादशी 10 मार्च को है. ऐसे में इस साल मसान की होली 11 मार्च को खेली जाएगी.
मसान की होली खेलने की परंपरा
मसान की होली भगवान शिव और शमशान से संबंधित बताई जाती है. हिंदू धर्म शास्त्रों में बताया गया है कि भगवान शिव मोक्ष और संहार के देवता हैं. भगवान शिव शमशान के वासी हैं. माना जाता है कि भगवान शिव को शमशान बहुत प्रिय है. भगवान शिव शमशान में नृत्य करते हैं और अपने गणों के साथ होली खेलते हैं. मान्यता है कि रंगभरी एकादशी के दिन भगवान ने अपने गणों के साथ गुलाल से होली खेल ली थी, लेकिन उन्होंने भूत-प्रेत, यक्ष, गंधर्व और प्रेत के साथ होली नहीं खेली. यही कारण है कि रंगभरी एकादशी के दूसरे दिन मसान की होली खेली जाती है.
मणिकर्णिका घाट मोक्ष का द्वार
काशी में मणिकर्णिका घाट को मोक्ष का द्वार कहा जाता है. मान्यता है कि यहां भगवान शिव से मोक्ष प्राप्त होता है. रंगभरी एकादशी के अगले दिन यहां साधु संत चिता की राख से होली खेलते हैं. शिवालयों में विशेष पूजा की जाती है. भस्म और गुलाल उड़ाया जाता है. इस दौरान भगवान शिव के भजन गाए जाते हैं और तांडव नृत्य होता है.
Feb 27 2025, 16:57