/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png StreetBuzz मस्क व्हाइट हाउस के सिर्फ एक कर्मचारी”, टेस्ला के सीईओ पर क्या है इस बयान के मायने India
मस्क व्हाइट हाउस के सिर्फ एक कर्मचारी”, टेस्ला के सीईओ पर क्या है इस बयान के मायने

#white_house_clarification_on_elon_musk

टेस्ला सीईओ और अमेरिका के सरकारी दक्षता विभाग यानी डीओजीई की जिम्मेदारी संभालने वाले एलन मस्क का सरकार के फैसलों में दखल अमेरिका के लोगों और प्रशासन को रास नहीं आ रहा है। अमेरिका में फेडरल कर्मियों को नौकरियों से निकालने के ट्रंप के आदेश को मॉनिटर करने की जिम्मेदारी भी मस्क को मिली हुई है जो खुद ट्रंप ने दी है। अब अमेरिका में राष्ट्रपति ऑफिस व्हाइट हाउस ने एक कोर्ट में जवाब दिया कि अमेरिकी बिजनेसमैन एलन मस्क सिर्फ राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सलाहकार हैं। वे डीओजीई के एम्पलॉयी नहीं हैं, इसलिए उनके पास सरकार के अंदर फैसले लेने का अधिकार नहीं है।

दरअसल, न्यू मेक्सिको की अगुआई में 14 अमेरिका राज्यों ने वॉशिंगटन डीसी के एक फेडरल कोर्ट में ट्रंप और मस्क के खिलाफ केस किया है। ये राज्य मस्क को डीओजीई प्रमुख बनाए जाने से नाराज हैं। राज्यों के मुताबिक, एलन के हाथ में बड़ी ताकत आ गई है, जो अमेरिकी संविधान के उल्लंघन में है।

इसी केस को लेकर व्हाइट हाउस में ऑफिस ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन के डायरेक्टर जॉशुआ फिशर ने कोर्ट में जानकारी दी कि मस्क की भूमिका सिर्फ सलाहकार की है। उनका काम सिर्फ राष्ट्रपति को सलाह देना और प्रशासन की तरफ से निर्देशों को कर्मचारियों तक पहुंचाने का है।

व्हाइट हाउस ने सोमवार को कहा कि ट्रंप प्रशासन में मस्क की भूमिका व्हाइट हाउस के कर्मचारी और राष्ट्रपति के वरिष्ठ सलाहकार के रूप में थी, और वह डीओजीई के कर्मचारी नहीं थे। व्हाइट हाउस ने यह भी कहा कि मस्क के पास निर्णय लेने का कोई अधिकार नहीं है।

पिछले महीने डीओजीई द्वारा राष्ट्रपति के रूप में अपना दूसरा कार्यकाल शुरू करने के बाद से डीओजीई ने संघीय एजेंसियों में अपनी पैठ बना ली है और मस्क को सरकार में नाटकीय बदलाव के तहत फिजूलखर्ची को रोकने का जिम्मा सौंपा है, जिसमें हजारों नौकरियों में कटौती भी शामिल है।

मेक अमेरिका ग्रेट अगेन” ने ट्रंप को मेक इन इंडिया विरोधी तो नहीं बना दिया, मस्क से है कनेक्शन?

#us_president_trump_on_tesla_factory_in_india

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे के दौरान उनकी टेस्ला के सीईओ एलन मस्क से मुलाकात को लेकर खूब चर्चा हुई थी। मोदी की मुलाकात के बाद मस्क भारत में टेस्ला के जरिए निवेश को तैयार हैं। अब टेस्ला ने पहले भारत में हायरिंग प्रोसेस शुरू की और अब उसने अपने शोरूम खोलने की जगह भी तय कर ली है। हालांकि, लगता है अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड को ये बात नागवार गुजर रही है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एलन मस्क की टेस्ला को लेकर बड़ी बात कही है। डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के साथ बिजनेस में बाधाओं और टैरिफ को लेकर चिरपरिचित अंदाज में टिप्पणी की है। उन्होंने मस्क के इस फैसले को गलत बताया है। इस बात से साफ जाहिर हो रहा है कि ट्रंप अमेरिका फर्स्ट नीति को आगे बढ़ाने के नाम पर भारत की ‘मेक इन इंडिया’ के खिलाफ जा रहे हैं।

दरअसल, फॉक्स न्यूज पर एलन मस्क के साथ एक स्पेशल इंटरव्यू में इस विषय को उठाया। ट्रंप ने शिकायत की कि दुनिया का हर देश हमारा फायदा उठाता है, और वे ऐसा टैरिफ के जरिए करते हैं। ट्रंप ने कहा 'उदाहरण के लिए, भारत में व्यावहारिक रूप से कार बेचना असंभव है। यहां 100% आयात शुल्क हैं। उन्होंने आगे कहा कि अब, अगर उन्होंने (मस्क ने) भारत में बनाई है तो यह ठीक है, लेकिन यह हमारे लिए अनुचित है। यह बहुत अनुचित है। ट्रंप के साथ बैठे मस्क ने 100% टैरिफ के अपने दावे का समर्थन किया।

फॉक्स न्यूज के एंकर सीन हैनिटी के साथ डोनाल्ड ट्रंप और एलन मस्क के साक्षात्कार के दौरान की गई यह टिप्पणी टेस्ला के सीईओ द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे के दौरान उनसे मुलाकात के कुछ दिनों बाद आई है। ट्रंप के इस बयान से यह साफ हो गया कि वे अमेरिकी कंपनियों को भारत में व्यापार करने से हतोत्साहित करना चाहते हैं। साथ ही ट्रंप आरोप लगाया कि भारत अपनी नीतियों से अमेरिकी कंपनियों को वहां निवेश करने के लिए मजबूर कर रहा है, ताकि वह अमेरिका से अधिक आर्थिक लाभ कमा सके।

मस्क ट्रंप के सहारे मस्क टेस्ला को भारत लाना चाह रहे थे, लेकिन ट्रंप ने उन्हें कंट्रोल करने की कोशिश की है। ट्रंप के इस बयान के बाद मस्क का रुख क्या होगा, यह भी दिलचस्प रहने वाला है।

दिल्ली की सीएम रेखा गुप्ता के सामने है बड़ी चुनौतियां, क्या बीजेपी का वादा कर पाएंगीं पूरा

#delhinewcmrekhagupta_challenges

दिल्ली में बीजेपी ने सीएम पद की कमान रेखा गुप्ता के हाथ में सौंप दी है। बीजेपी ने एक बार फिर पहली बार विधायक बने नेता को मुख्यमंत्री पद के लिए चुना है। बीजेपी 27 साल बाद दिल्ली में सरकार बनाया है। इस बार के चुनाव में बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 70 में से 48 सीटों पर जीत दर्ज की है। बीजेपी की इस जीत में उसके चुनावी वादों का बड़ा हाथ बताया जा रहा है। सीएम बनने के बाद रेखा गुप्ता के सामने पार्टी के संकल्पपत्र में किए वादों को पूरा करने की बड़ी जिम्मेदारी होगी।

दिल्ली की सीएम की पहली चुनौती उन उम्मीदों को पूरा करना और उन अपेक्षाओं पर खरा उतरना है, जो उनसे दिल्ली की जनता और खुद भाजपा ने पाली हैं। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को उन सारी घोषणाओं और वादों को पूरा करना है, जो चुनाव के दौरान तीन किश्तों में जारी चुनाव घोषणा पत्र में किए थे और जिसे सभाओं में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बार-बार दोहराया था। भाजपा ने अपने घोषणा पत्र को संकल्प पत्र कहा था। इनमें यमुना की सफाई स्वच्छ पेयजल साफ प्रदूषण रहित हवा दिल्ली को देना, प्रति वर्ष 50 हजार नई नौकरियों का सृजन महिलाओं को प्रति माह 2500 रुपये देना मुफ्त बस यात्रा नालों गलियों सीवर की सफाई सड़कों की मरम्मत ट्रैफिक जाम से निजात समेत आप सरकार की मुफ्त बिजली पानी जैसी लोकलुभावन योजनाओं को जारी रखना शामिल होगा।ऐसे आइए जानते हैं कि जब रेखा गुप्ता सीएम की कुर्सी पर बैठेंगी तो उनके सामने कितनी बड़ी चुनौतियां होंगीः-

महिलाओं से किया गया वादा पूरा करना होगा

दिल्ली की महिला मुख्यमंत्री से महिलाओं से किया गया वादा पूरा करने की पूरी उम्मीद है। इस बार के चुनाव में बीजेपी ने सबसे बड़ा वादा महिलाओं के लिए किया है। उसने कहा है कि सरकार बनने पर दिल्ली की हर पात्र महिला को 2500 रुपये प्रति महीने दिए जाएंगे। बीजेपी ने इस योजना का लाभ आठ मार्च से ही देने का वादा किया है। आठ मार्च को ही अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। बीजेपी ने इसे देखते हुए ही इस योजना की शुरुआत के लिए आठ मार्च की तारीख तय की है। इसकी घोषणा पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने चुनावी भाषण में की थी। इसलिए नई मुख्यमंत्री के लिए अगले कुछ हफ्ते काफी व्यस्त रहने वाले हैं। उन्हें इसके लिए पूरी मशीनरी को तैयार करना होगा और पात्र महिलाओं का चयन करना होगा। इसके साथ ही उन्हें इतनी बड़ी योजना के लिए बजट की व्यवस्था करनी होगी।

यमुना की सफाई

इस बार के चुनाव में यमुना बड़ा चुनावी मुद्दा रहा। यमुना के काले पानी को लेकर कापी बखेड़ा भी खड़ा हुआ। सत्ता में आने से पहले बीजेपी ने एक बड़ा वादा यमुना की सफाई को लेकर भी किया था। चुनाव प्रचार में नदी में प्रदूषण का उच्च स्तर चर्चा का विषय रहा। 2020 में अरविंद केजरीवाल ने यमुना को साफ करने का वादा किया था। हालांकि, वो अपने वादे पर खरे नहीं उतरे। अब बीजेपी ने वादा किया है कि वह ऐसा करेगी जो न तो कांग्रेस और न ही आप सत्ता में रहने के दौरान कर पाई। हालांकि, चुनौती बहुत बड़ी है।

रेखा गुप्ता को मिला खाली खजाना और कर्ज

दिल्ली में जब कांग्रेस सरकार की विदाई हुई थी तो सरकारी खजाना लबालब भरा हुआ था। सरकार के पास खूब पैसा था। इसलिए आम आदमी पार्टी की सरकार ने अपने चुनावी वादों को पूरा करने के लिए दिल खोलकर पैसा खर्च किया। लेकिन आप की तीसरी सरकार में दिल्ली सरकार का खजाना खाली हो गया। चुनाव से पहले, आप सरकार ने राष्ट्रीय लघु बचत कोष से 10,000 करोड़ रुपये का अधिक ब्याज वाला लोन मांगा था। वित्त विभाग ने पिछले कई सालों में सब्सिडी पर सरकारी खर्च को लेकर आशंका जताई है।दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार ने विधानसभा चुनाव के पहले ही 10 हजार करोड़ रुपये का कर्ज लिया है। इसकी व्याज दरें भी काफी ऊंची हैं। इसलिए नई सरकार को खजाना करीब-करीब खाली और विरासत में कर्ज मिलेग। वहीं, बीजेपी ने वादा किया है कि आप सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी, जिसमें महिलाओं के लिए मुफ्त बिजली, पानी और बस यात्रा शामिल है, जारी रहेगी। इसने अपने खुद के भी कई वादे किए हैं। ऐसे में चुनौतियां बड़ी होने वाली है।

कूड़े के पहाड़ और वायु प्रदूषण

दिल्ली में कूड़े के पहाड़ और वायु प्रदूषण बड़ी समस्या रही है। बीजेपी इन मुद्दों पर आप पर हमलावर रही है लेकन अब जब खुद बीजेपी सत्ता में आ गई है तो इसके लिए कोई बहाना दिल्ली की जनता को रास नहीं आएगा। वायु प्रदूषण के कारण ना केवल लोगों के स्वास्थ्य प्रभावित हो रहे हैं बल्कि बच्चों के स्कूल बीच सेशन बंद भी कराने पड़ते हैं।

दिल्ली को मिला नया सीएम, रेखा गुप्ता ने ली शपथ, पीएम मोदी समेत इन हस्तियों ने लिया हिस्सा

#delhi_cm_rekha_gupta_oath_ceremony

दिल्ली की सत्ता में भारतीय जनता पार्टी की 27 साल बाद वापसी हुई है। दिल्ली में नई सरकार का गठन हो गया है। रेखा गुप्ता ने गुरुवार को मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। उनके साथ छह मंत्री भी शपथ लिए। शपथ ग्रहण समारोह ऐतिहासिक रामलीला मैदान में आयोजित हुआ। रेखा गुप्ता के साथ 6 मंत्रियों ने भी शपथ ली। इसमें अरविंद केजरीवाल को हराने वाले प्रवेश वर्मा, आशीष सूद, मनजिंदर सिंह सिरसा, रविंद्र इंद्राज सिंह, कपिल मिश्रा और पंकज कुमार सिंह शामिल है।

दिल्ली की शालीमार बाग विधानसभा सीट से पहली बार विधायक बनीं रेखा गुप्ता को विधायक दल की बैठक के बाद नेता चुनाव गया।पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने घोषणा की कि रेखा गुप्ता को सर्वसम्मति से विधायक दल की नेता चुना गया। भाजपा संसदीय बोर्ड ने प्रसाद और राष्ट्रीय सचिव ओम प्रकाश धनखड़ को केंद्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त किया था। दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे आठ फरवरी को घोषित होने के 11 दिन बाद यह घोषणा की गई।

आज शाम रेखा कैबिनेट की पहली बैठक होगी। पीएम मोदी ने कहा था कि पहले ही कैबिनेट बैठक में आयुष्मान भारत योजना लागू करेंगे।

16 दिन बाद दिल्ली की इन महिलाओं के खाते में आएंगे 2500 रुपये

पूरे 16 दिन बाद 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाएगा, लेकिन इस बार का महिला दिवस दिल्ली की महिलाओं के लिए खास होगा. उनके खाते में 2500 रुपये डाले जाएंगे. बीजेपी पार्टी ने जहां एक तरफ चुनाव जीतने के बाद इस बात का ऐलान कर दिया है कि रेखा गुप्ता दिल्ली की सीएम होंगी, वहीं दूसरी तरफ रेखा गुप्ता ने इस बात की घोषणा भी कर दी है कि महिलाओं से किया गया सहायता राशि का वादा सबसे पहले पूरा किया जाएगा और 8 मार्च को महिलाओं के अकाउंट में 2500 रुपये डाले जाएंगे.

दिल्ली में पूरे 27 साल बाद भारतीय जनता पार्टी की सरकार बन गई है. साथ ही पार्टी ने राजधानी की कमान महिला मुख्यमंत्री के हाथ में दी है. इस बार के दिल्ली विधानसभा चुनाव में सभी पार्टियों ने साइलेंट वोटर यानी महिला वोटर पर खास फोकस किया था. सभी पार्टियों ने महिलाओं को सहायता राशि देने का भी वादा किया था. जहां आम आदमी पार्टी ने 2100 तो बीजेपी ने 2500 रुपये देने का वादा किया था. हालांकि, अब बीजेपी ने जीत के बाद इस वादे को पूरा करने के लिए कदम उठाने शुरू कर दिए हैं.

रेखा गुप्ता ने किया ऐलान

रेखा गुप्ता दिल्ली की चौथी महिला सीएम होंगी. उन से पहले बीजेपी ने सुषमा स्वराज, कांग्रेस ने शीला दीक्षित और आम आदमी पार्टी ने आतिशी के हाथ में सीएम पद की कमान सौंपी थी. रेखा गुप्ता ने महिला समृद्धि योजना को लेकर कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपने को पूरा करना राजधानी के सभी 48 विधायकों की जिम्मेदारी है. हम निश्चित रूप से महिलाओं के लिए वित्तीय सहायता सहित अपने सभी वादे पूरे करेंगे. 8 मार्च तक 100 प्रतिशत महिलाओं को उनके खातों में वित्तीय सहायता मिल जाएगी.

किन महिलाओं को मिलेगी सहायता

भारतीय जनता पार्टी ने महिला समृद्धि योजना के तहत दिल्ली की महिलाओं को पूरे 2500 रुपये देने का वादा किया है. महिलाओं को हर महीने 2500 रुपये की सहायता राशि दी जाएगी. हालांकि, यह जान लेना जरूरी है कि यह स्कीम दिल्ली की सभी महिलाओं के लिए नहीं है, बल्कि सिर्फ गरीब महिलाओं को यह तोहफा दिया जाएगा. पार्टी ने अपने मेनिफेस्टो में ऐलान किया था कि राजधानी में सरकार बनने के बाद गरीब महिलाओं को प्रति माह 2,500 रुपये दिए जाएंगे, गर्भवती महिलाओं को ₹21,000 की एकमुश्त सहायता दी जाएगी और गरीबों के लिए ₹500 पर एलपीजी सिलेंडर और वरिष्ठ नागरिकों के लिए ₹2,500 पेंशन देने की गारंटी दी गई थी.

महिला दिवस बनेगा खास

जहां रेखा गुप्ता ने सीएम पद के लिए नाम का ऐलान होने के बाद इस बात का ऐलान किया है कि 8 मार्च यानी महिला दिवस पर महिलाओं को यह सम्मान सहायता दी जाएगी. वहीं, यह जान लेना भी जरूरी है की पार्टी के वरिष्ठ नेतृत्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस तारीख की घोषणा पहले ही कर चुके थे. पीएम मोदी ने दिल्ली चुनाव की आखिरी चुनावी सभा में कहा था कि, हम ने संकल्प लिया है कि हम अपनी बहनों को 2500 रुपये देंगे. यह मोदी की गारंटी है और यह गारंटी पूरी की जाएगी. आप देखना कि दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनेगी और 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर महिलाओं के खाते में पैसे आने शुरू हो जाएंगे.

महिलाओं पर खास फोकस

एक समय था जब महिलाएं राजनीति और सियासी बातों से दूरी बनाती थी. माना जाता था कि महिलाओं को सियासत की दुनिया की उतनी समझ नहीं है, लेकिन अब पैटर्न बदल गया है. महिलाओं का वोट प्रतिशत बढ़ा है और कई बार पुरुषों से ज्यादा भी दर्ज किया गया है. महिलाएं साइलेंट वोटर से डिसाइडिंग वोटर बन गई हैं. अब वो अपनी सरकार चुनने में अहम रोल निभाती है. यही एक खास वजह है कि दिल्ली के सभी दलों ने महिलाओं पर खासा फोकस किया और दिल्ली के चुनाव में महिलाओं का जिक्र, उनके लिए सहायता राशि का ऐलान बार-बार सुनाई दिया. जहां बीजेपी 2500 रुपये की सहायता राशि का प्रचार करती रही, वहीं आम आदमी पार्टी 2100 रुपये देने का वादा करती रही, लेकिन अब चुनाव में किए गए वादों को पूरा करने का वक्त आ गया है.

बीजेपी की सत्ता में वापसी

राजधानी में पूरे 27 साल बाद कमल खिला है. बीजेपी ने सत्ता में वापसी की है. पार्टी ने 70 में से 48 सीटें हासिल की, वहीं आम आदमी पार्टी को महज 22 सीटों पर संतोष करना पड़ा. जहां इस बार बीजेपी का प्रदर्शन काफी बेहतर रहा. वहीं, आम आदमी पार्टी को करारी शिकस्त मिली. पार्टी के दिग्गज नेता और पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, सत्येंद्र जैन और सौरभ भारद्वाज अपनी सीट भी नहीं बचा सके और जीत का स्वाद नहीं चख सके.

बांग्लादेश एयरलाइंस के प्लेन की नागपुर में इमरजेंसी लैंडिंग, जानें क्यों मचा हड़कंप

#bangladesh_airlines_plane_emergency_landing_at_nagpur

ढाका से दुबई जा रहे बांग्लादेश एयरलाइंस के एक प्लेन की नागपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर इमरजेंसी लैंडिंग कराई गई है।बताया जा रहा है कि विमान में 396 यात्री और 12 चालक दल के सदस्य सवार थे। यह मामला बुधवार देर रात्रि का है।

विमान बांग्‍लादेश एयरलाइंस के इस एयरक्राफ्ट ने बतौर पैसेंजर फ्लाइट ढाका एयरपोर्ट से उड़ान भरी थी। इस फ्लाइट को करीब साढ़े पांच घंटे का सफर तय कर दुबई में लैंड होना था।जानकारी के मुताबिक, बांग्लादेश एयरलाइन के इस विमान में तकनीकी खराबी आ गई थी, जिसके बाद इसको नागपुर एयरपोर्ट पर लैंड कराना पड़ा।

नागपुर एयरपोर्ट डायरेक्टर आबिद रूही ने आज तक को बताया है कि ढाका से दुबई जा रहे बांग्लादेश एयरलाइंस के प्लेन में तकनीकी खराबी की सूचना मिली थी।इसके बाद इस प्लेन की बाबासाहेब अंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर आपातकालीन लैंडिंग कराई गई। लैंडिंग के बाद प्लेन में सवार सभी यात्रियों को उतार लिया गया है।

पनामा ने अमेरिका द्वारा जारी निर्वासन प्रयासों के बीच 98 निर्वासितों को डेरियन शिविर में भेजा

पनामा ने अमेरिका से प्राप्त विभिन्न देशों के 98 निर्वासितों को बुधवार को अपने डेरियन प्रांत के शिविर में स्थानांतरित कर दिया, यह क्षेत्र हाल के वर्षों में दक्षिण अमेरिका से अमेरिकी सीमा तक यात्रा करने वाले प्रवासियों के लिए मुख्य मार्ग बन गया है, एक सरकारी अधिकारी ने कहा। डेरियन भेजे गए प्रवासियों ने स्वेच्छा से अपने देशों में वापस जाने से इनकार कर दिया था और उन्हें तब तक वहीं रखा जाएगा जब तक कि उन्हें लेने के लिए कोई तीसरा देश नहीं मिल जाता, स्थिति से परिचित पनामा के अधिकारी ने कहा।

वे अमेरिकी सरकार द्वारा पनामा भेजे गए 299 प्रवासियों के एक बड़े समूह का हिस्सा थे, क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का प्रशासन निर्वासन में तेजी लाने का प्रयास कर रहा है। अन्य लोग पनामा सिटी के एक होटल में पुलिस की निगरानी में अपने देशों की यात्रा व्यवस्था की प्रतीक्षा कर रहे थे। पनामा सरकार ने इस बात से इनकार किया है कि उन्हें हिरासत में लिया गया है, लेकिन वे पुलिस की निगरानी में हैं और उन्हें होटल से बाहर जाने की अनुमति नहीं है।

पनामा की राष्ट्रीय आव्रजन सेवा ने बुधवार को पहले घोषणा की थी कि एक प्रवासी, एक चीनी महिला, होटल से भाग गई थी, लेकिन बाद में अधिकारियों ने उसे फिर से पकड़ लिए जाने की सूचना दी। सुरक्षा मंत्री फ्रैंक अब्रेगो ने सोशल प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा कि उसे उत्तरी पनामा-कोस्टा रिका सीमा पर एक प्रवासी प्रसंस्करण सुविधा के पास छोड़ दिया गया था, जो अमेरिका की ओर जाने वाले प्रवासियों के लिए एक उच्च पारगमन बिंदु है। हालांकि यह स्पष्ट नहीं था कि वह पनामा में मिली थी या कोस्टा रिका में, उन्होंने उसके संक्षिप्त भागने के लिए "मानव तस्करों" को दोषी ठहराया।

मुख्य रूप से एशियाई देशों से निर्वासित लोग पनामा में एक तरह की अनिश्चितता में हैं, क्योंकि मध्य अमेरिकी राष्ट्र उन प्रवासियों के लिए पारगमन बिंदु के रूप में सेवा करने के लिए सहमत हो गया है, जिन्हें ट्रम्प प्रशासन के लिए सीधे उनके देशों में निर्वासित करना मुश्किल है।

अब्रेगो ने मंगलवार को कहा था कि 171 प्रवासी अपने मूल देशों में लौटने के लिए सहमत हो गए हैं, हालांकि उन्होंने कोई विशिष्ट समयसीमा नहीं बताई। उन्होंने यह भी बताया कि एक आयरिश नागरिक को पहले ही वापस भेज दिया गया है। शेष प्रवासियों को कोलंबियाई सीमा के पास घने जंगलों वाले क्षेत्र डेरियन गैप के पास एक अस्थायी प्रवास सुविधा में भेजा जाएगा, जब तक कि यह स्पष्ट न हो जाए कि उन्हें कहाँ भेजा जाएगा। इस क्षेत्र का उपयोग ऐतिहासिक रूप से वेनेजुएला और अन्य देशों के प्रवासियों द्वारा उत्तर की ओर अमेरिका की यात्रा करने के लिए किया जाता रहा है।

रेखा गुप्ता बीजेपी की मास्टरस्ट्रोक, इसके पीछे छिपा है ये सियासी संदेश

#rekha_gupta_new_cm_of_delhi_bjp_political_strategy

बीजेपी ने दिल्ली फतह के बाद अब नया दांव चला है। रेखा गुप्ता को दिल्ली की मुख्यमंत्री बनाकर।रेखा गुप्‍ता को द‍िल्‍ली का सीएम चुनते वक्‍त बीजेपी ने एक तीर से कई निशाने साधे।मुख्यमंत्री पद की रेस में अरविंद केजरीवाल को हराने वाले प्रवेश वर्मा से लेकर दिल्ली के अनुभवी नेता विजेंद्र गुप्ता जैसे कई दिग्गजों के नाम चल रहे थे। बावजूद इसके पार्टी ने रेखा गुप्ता पर दांव लगाया। बीजेपी ने महिला मुख्यमंत्री बनाकर ना सिर्फ महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने का संदेश दिया है, बल्कि वैश्य समाज और मिड‍िल क्‍लास को भी साधने की कोशिश की है।

आखिरी बार जब सन् 1998 में दिल्ली में बीजेपी की सरकार थी, तब भी यहां सुषमा स्वराज के तौर पर महिला मुख्यमंत्री थीं. अब पार्टी ने लंबे वनवास के बाद एक बार फिर से दिल्ली की कमान महिला को सौंपा है तो इसका संकेत साफ है। दिल्ली एक ऐसा राज्य है, जहां महिला मतदाता बड़ी संख्या में हैं और उनका झुकाव अब तक आम आदमी पार्टी की ओर ज्यादा रहा है। बीजेपी को यह एहसास हो गया था कि अगर उसे दिल्ली में अपनी पकड़ मजबूत करनी है तो महिला नेतृत्व को आगे लाना होगा। इसके अलावा, अगर हम बीजेपी के दूसरे शासित राज्यों पर नजर डालें तो हर जगह पुरुष मुख्यमंत्री हैं। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात समेत हर जगह बीजेपी ने पुरुष नेताओं को सीएम बनाया है। ऐसे में दिल्ली में महिला को मुख्यमंत्री बनाना सिर्फ संयोग नहीं बल्कि एक सोची-समझी रणनीति है, जिससे महिला मतदाताओं को यह संदेश दिया जा सके कि बीजेपी महिला नेतृत्व को बढ़ावा दे रही है।

रेखा गुप्ता को सीएम बनाकर बीजेपी ने दिल्ली में करीब 7 फीसदी वैश्य वोट है। रेखा गुप्ता वैश्य समुदाय से आती हैं। दिल्ली में बनिया होने के नाते भी अरविंद केजरीवाल के प्रति वैश्य वोट का झुकाव रहा है। अब रेखा गुप्ता के सीएम बनने से तस्वीर बदल सकती है। इसके अलावा एक खास संयोग यह भी देखें कि बनिया समुदाय से आने वाली रेखा गुप्ता का संबंध भी हरियाणा से है तो उन्हीं के समाज से आने वाले अरविंद केजरीवाल भी हरियाणा से ताल्लुक रखते हैं। यानी किसी भी मोर्चे पर बीजेपी ने मैदान को खाली नहीं छोड़ा है। आम आदमी पार्टी फिलहाल इस राजनीति में बहुत पीछे रह गई है। बीजेपी सभी मोर्चे पर आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल को उन्हीं की भाषा और रणनीति में घेरने और शिकस्त देने की कोशिश कर रही है।

ठीक इसी तरह द‍िल्‍ली में मिड‍िल क्‍लास की आबादी लगभग 45% मानी गई है। मध्‍यम वर्ग इस बात से नाखुश रहता था क‍ि सरकारें सिर्फ गरीबों पर फोकस करती हैं, उनके ल‍िए कोई नहीं है। लेकिन बजट में 12 लाख की आय को करमुक्‍त कर बीजेपी ने उन्‍हें अपना दीवाना बना ल‍िया। नतीजे में भी इसका असर दिखा। बीजेपी इस वर्ग पर अपना पकड़ कमजोर नहीं होने देना चाहती है।

शीशमहल' में नहीं रहेंगी दिल्ली की नई सीएम रेखा गुप्ता, बताया क्या होगा आगे का प्लान

#delhi_cm_rekha_gupta_says_i_will_not_live_in_sheesh_mahal

दिल्ली को नई सीएम मिल गई हैं। रेखा गुप्ता दिल्ली की चौथी महिला मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता चुनी गई हैं। राजधानी दिल्ली की चौथी महिला मुख्यमंत्री चुनी गईं रेखा गुप्ता आज दोपहर 12:30 बजे रामलीला मैदान में सीएम पद की शपथ लेंगी। दिल्ली सीएम चुने जाने के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या रेखा गुप्ता ‘शीशमहल’ में रहेंगी या नहीं? इस सवाल का सीएम रेखा गुप्ता ने खुद खुलासा किया है। शपथ से पहले खुद नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने साफ कर दिया है कि वह शीशमहल में नहीं रहेंगी।

सीएम निर्वाचित होने के बाद विभिन्न मीडिया चैनलों से बात करते हुए रेखा गुप्ता ने कहा, मैं शीशमहल में नहीं रहूंगी। शीशमहल को म्यूजियम बनाया जाएगा। वह जनता के खून-पसीने की कमाई का महल है। मैं जनता को समर्पित करूंगी। जनता जाए और उसको देखे। उनके एहसास हो कि उनका पैसा कहां खर्च हुआ है।

शालीमार बाग से विधायक रेखा गुप्ता दिल्ली की नई मुख्यमंत्री के तौर पर आज शपथ लेंगी। वह दिल्ली की चौथी महिला सीएम होंगी। इनसे पहले सुषमा स्वराज, शीला दीक्षित और आतिशी कमान संभाल चुकी हैं। शपथ ग्रहण समारोह दोपहर 12.15 रामलीला मैदान में आयोजित होगा। उनके साथ 6 मंत्री- प्रवेश वर्मा, आशीष सूद, मनजिंदर सिंह सिरसा, रविंदर इंद्राज सिंह, कपिल मिश्रा और पंकज कुमार सिंह भी शपथ लेंगे। 6 मंत्रियों को लेकर अधिसूचना भी जारी कर दी गई है।

मोदी को हराना चाहते थे बाइडेन, इसलिए कराई करोड़ों की फंडिंग”, डोनाल्ड ट्रंप का बड़ा आरोप

#donald_trump_shocking_remarks_on_funding

अमेरिकी सरकारी दक्षता विभाग (डीओजीई) ने भारत में खर्च करने के लिए दिए गये 21 मिलियन डॉलर लगभग 182 करोड़ रुपए के एक फंड को खारिज कर दिया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत में वोटिंग टर्नआउट बढ़ाने के लिए अमेरिकी फंडिंग रोकने के फैसले पर एक बार फिर प्रतिक्रिया दी है। ट्रंप ने बुधवार को बड़ा दावा करते हुए कहा कि पिछली बाइडन सरकार की ओर से किसी और को जिताने की कोशिश की जा रही थी। शायद वे (पूर्ववर्ती बाइडन सरकार) भारत में किसी और की सरकार बनवाना चाहते थे। इससे पहले ट्रंप ने भारत को दी जाने वाली अमेरिकी फंडिंग रोकने के फैसले का बचाव किया था। ट्रंप ने सवाल उठाया कि भारत को 21 मिलियन डॉलर क्यों दिए गए, जबकि भारत के पास पहले से ही बहुत पैसा है।

ट्रंप ने एफआईआई प्रायोरिटी समिट में कहा, हमें भारत में मतदाता टर्नआउट पर 21 मिलियन डॉलर खर्च करने की आवश्यकता क्यों है? मुझे लगता है कि वे किसी और को जिताने की कोशिश कर रहे थे। हमें भारतीय सरकार को बताना होगा। यह एक पूरी तरह से नया खुलासा है। हमें भारत सरकार को बताना होगा, क्योंकि जब हम सुनते हैं कि रूस ने हमारे देश में 2 डॉलर का खर्च किया है तो यह हमारे लिए बड़ा मुद्दा बन जाता है।

बुधवार को भी ट्रंप ने भारत में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए अमेरिकी फंडिंग पर सवाल खड़े किए थे। उन्होंने कहा था कि 'हम भारत को 2.1 करोड़ डॉलर क्यों दे रहे थे? उनके पास पहले से ही काफी पैसा है। वे सबसे ज्यादा टैक्स लगाने वाले देश हैं। हम मुश्किल से उनके बाजार में अपना सामान भेज पा रहे हैं क्योंकि उनके टैरिफ बहुत ज्यादा हैं। मैं भारत और उनके प्रधानमंत्री का सम्मान करता हूं, लेकिन भारत के चुनाव में 2.1 करोड़ की फंडिंग देने का क्या मतलब है? यहां के मतदान प्रतिशत का क्या?'

हाल ही में एलन मस्क के नेतृत्व वाले डीओजीई विभाग ने विभिन्न देशों के लिए फंडिंग रोकने की घोषणा की थी, जिसमें भारत में मतदान को बढ़ावा देने के लिए 21 मिलियन अमेरिकी डॉलर की राशि भी शामिल थी। डीओजीई कहा था कि अमेरिका ने भारत में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए बनाए गए 21 मिलियन डॉलर के कार्यक्रम में कटौती करने का फैसला किया है। डीओजीई अमेरिकी सरकार के खर्चे में कटौती कर रहा है। सरकारी दक्षता विभाग ने फिलहाल यूएसएआईडी द्वारा की जाने वाली अधिकतर फंडिंग पर रोक लगा दी है।डोनाल्ड ट्रंप सरकार ने संघीय सरकार की लागत में कटौती करने के उद्देश्य से सरकारी दक्षता विभाग का गठन किया था।