सी-मैम कार्यक्रम अंतर्गत कुपोषित बच्चों की पहचान कर उपचार एवं रेफरल करने के लिये दिया गया प्रशिक्षण
सी-मैम कार्यक्रम अंतर्गत कुपोषित बच्चों की पहचान कर उपचार एवं रेफरल करने एवं मातृत्व अनिमिया की पहचान उपचार एवं रेफरल से संबंधित सभी प्रखंड के समूदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों (CHO) को दिया गया एकदिवसीय प्रशिक्षण -कुपोषित बच्चों एवं मातृत्व अनिमिया की पहचान एवं प्रबंधन के लिए सामूदायिक अधिकारियों को नियमित दिया जाता है प्रशिक्षण -बच्चों में कुपोषण की पहचान एवं प्रबंधन की अधिकारियों को दी गई जानकारी -अनिमिया के लक्षणों एवं उपचार के बारें में समुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी रखेंगे जानकारी पूर्णिया, 17 फरवरी जिला में मातृत्व अनिमिया एवं कुपोषित बच्चों की पहचान करते हुए आवश्यक जांच, उपचार और विशेष चिकित्सकीय सहायता के लिए प्रखंड अस्पताल रेफरल करने को लेकर स्वास्थ्य विभाग की निरंतर प्रयास जारी है। इस दिशा में स्वास्थ्य विभाग द्वारा बहुत से महत्वपूर्ण पहल किए जा रहे हैं। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा समुदायिक स्तर पर कार्यरत स्वास्थ्यकर्मियों को लगातार प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। मातृत्व अनिमिया एवं कुपोषित बच्चों की पहचान कर चिकित्सकीय सहायता प्रदान करने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिला के सभी प्रखंडों से सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों को जिले के ग्रैंड इम्पीरियल होटल में एक दिवसीय प्रशिक्षण दिया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा सभी प्रखंड के सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों (CHO)को मातृत्व अनिमिया और कुपोषित बच्चों की पहचान और चिकित्सकीय सहायता प्रदान करने के लिए प्रशिक्षण का आयोजन 02 अलग अलग बैच द्वारा दो दिनों में सम्पूर्ण किया जाएगा जिसमें सभी प्रखंड के 89 समुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। सभी स्वास्थ्य अधिकारियों के लिए एकदिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन जिला स्वास्थ्य समिति द्वारा एम्स पटना तथा युनिसेफ के सहयोग से किया जा रहा है। सोमवार को प्रथम बैच के लिए प्रशिक्षण की शुरुआत जिला स्वास्थ्य विभाग के डीपीएम सोरेन्द्र कुमार दास, डीसीएम संजय कुमार दिनकर के साथ साथ यूनिसेफ राज्य पोषण पदाधिकारी डॉ संदीप घोष, यूनिसेफ राज्य सलाहकार प्रकाश सिंह, डॉ राघवेंद्र, यूनिसेफ जिला पोषण सलाहकार निधि भारती, जिला अनिमिया मुक्त भारत सलाहकार शुभम गुप्ता, यूनिसेफ प्रारंभिक बाल विकास मीडिया सलाहकार अमित दुबे, पिरामल स्वास्थ्य के प्रोग्राम लीड सोमेन अधिकारी, सनथ गुहा, संध्या कुमारी और सभी प्रखंड के चिन्हित समुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी उपस्थित रहे। कुपोषित बच्चों एवं मातृत्व अनिमिया की पहचान के लिए अधिकारियों को नियमित दिया जाता है प्रशिक्षण : एकदिवसीय प्रशिक्षण की शुरूआत करते हुए डीपीएम सोरेंद्र कुमार दास ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा नियमित रूप से कुपोषित बच्चों तथा मातृत्व अनिमिया की भी पहचान कर उपचार सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। इसके लिए नियमित प्रशिक्षण की भी जरूरत है। इसे देखते हुए स्वास्थ्य विभाग द्वारा नियमित रूप से समुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों को विशेषज्ञ अधिकारियों द्वारा प्रशिक्षण दिया जाता है। इस दौरान सभी समुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों को कुपोषित बच्चों की जानकारी आईसीडीएस महिला पर्यवेक्षिका या प्रखंड स्वास्थ्य अधिकारी से प्राप्त करते हुए जांच और प्रबंधन करना सुनिश्चित करना है। इसके लिए एएनएम द्वारा प्रत्येक भीएचएसएनडी सत्र (आरोग्य दिवस) के दौरान क्षेत्र उपस्थित बच्चों की कुपोषण जांच करते हुए संबंधित जानकारी समुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र को सूचित करते हुए कुपोषित बच्चों को आवश्यक चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है। डीसीएम संजय कुमार दिनकर ने बताया कि कुपोषण एवं अनिमिया हमारे समाज के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है। कुपोषण एवं अनीमिया को संबोधित करना साथ ही माताओं व बच्चों के अच्छे स्वास्थ्य एवं पोषण को सुनिश्चित करना हमारी एक प्रमुख जिम्मेदारी है। सभी समुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा नियमित रूप से इसकी पहचान करते हुए आवश्यक चिकित्सकीय सहायता प्रदान करना है जिससे कि जिला कुपोषण और अनिमिया से मुक्त हो सके। बच्चों के कुपोषण प्रबंधन की सामूदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों (सीएचओ) को दी गई जानकारी : प्रशिक्षण के दौरान प्रतिभागियों को एम्स पटना और यूनिसेफ विशेषज्ञों द्वारा बाल संवर्धन के लिए समुदाय आधारित कुपोषण प्रबंधन के दस चरण की विस्तार से जानकारी दी गयी। समुदायिक अधिकारियों को वृद्धि निगरानी और दोनों पैरों में सूजन की जांच, कुपोषित बच्चों के भूख का परिक्षण, चिकित्सा मूल्यांकन, देखभाल के स्तर का निर्णय, पोषण प्रबंधन, चिकित्सीय प्रबंधन, पोषण, साफ-सफाई पर परामर्श, नियमित निगरानी और गृह भ्रमण, समुदाय आधारित प्रबंधन कार्यक्रम से डिस्चार्ज, डिस्चार्ज के बाद वीएचएसएनडी स्तर पर मासिक फॉलोअप के बारे में जानकारी दी गई। विशेषज्ञों द्वारा सभी अधिकारियों को बच्चों के विकास निगरानी और जनजागरूकता में आंगनवाड़ी सेविका एवं आशा के सहयोग, कुपोषित बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) में रेफर करने में मदद, परिवारों और देखभाल करने वालों को परामर्श, उचित आहार प्रथाओं और साफ-सफाई से संबंधित विषयों पर प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण के दौरान चिन्हित सभी गंभीर रूप से कम वजन और गंभीर रूप से दुबले बच्चों के भूख के परीक्षण की जानकारी दी गई। इसके साथ ही हर महीने आंगनवाड़ी द्वारा पहचान किये गये गंभीर रूप से दुबले बच्चों की सूची अनुसार प्रत्येक बच्चे का वजन और उंचाई का पूर्ण सत्यापन कर रिकॉर्ड रखना एवं स्वास्थ्य जाँच कर उनकी स्थिति का आँकलन कर उनका प्रबंधन करने का सभी अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया गया। अनिमिया के लक्षणों एवं उपचार के बारें में समुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी रखेंगे जानकारी : मातृत्व अनिमिया को दूर करने के लिए प्रशिक्षण के दौरान बताया गया कि गर्भवती महिला में अनिमिया के लक्षणों की पहचान कैसे करें। इनमें त्वचा, चेहरे, जीभ और आंखों की ललिमा की कमी, काम करने पर जल्दी ही थकावट हो जाना, सांस फूलना या घुटन होना, काम में ध्यान न लगना और, चक्कर आना, भूख न लगना और चेहरे और पैरों में सूजन आदि शामिल हैं। स्वास्थ्यकर्मी महिलाओं को इस बात की जानकारी दिया जाए कि खून में आयरन की सही मात्रा होने से बच्चे का उचित शारीरिक और मानसिक विकास होता है। शरीर चुस्त रहता है और मन में फुर्ती रहती है। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है। इसके लिए आयरन युक्त भोजन के साथ विटाामिन सी युक्त चीजें शामिल करने से आयरन का बेहतर अवशोषण होता है। इसलिए खाने में आयरन युक्त खाद्य सामग्री जैसे हरे पत्तेदार साक सब्जी , चौलाई, पालक, सरसो की साग, सहजन , मेथी, कच्चा केला, सोयाबीन, काला चना , मूग, मछली , चिकन कलिजे आदि खाने की सलाह एनीमिया प्रभावित महिला को अवश्य दें। इसके साथ ही जंक फूड या तला आहार, सोडा, चाय, कॉफी व नशीले पदार्थ से परहेज जरूरी है। प्रशिक्षण के दौरान जानकारी दिया गया की कैसे गर्भवती महिलाओं में अनिमिया की जांच डिजिटल हेमोग्लोबिनोमीटर के माध्यम से किया जाना है। अनिमिया की उपचार हेतु पूर्णिया जिले के सभी प्राथमिक स्वस्थ्य केंद्र/रेफरल अस्पताल/समूदायिक स्वास्थ्य केंद्र/अनुमंडलीय अस्पताल में गर्भवती महिलाओं में गंभीर अनिमिया की उपचार हेतु आयरन सुक्रोज के माध्यम से इलाज किया जा रहा है। प्रशिक्षण के दौरान अधिकारियों को बताया गया अनिमिया की जांच पश्चात मध्यम एवं गंभीर अनिमिया से ग्रसित महिलाओ को प्रखंड स्वास्थ केंद्रों में रेफर किया जाए। जांच के बाद उपचार के लिए लाभार्थियों को उपलब्ध कराने वाले आइवी आयरन सूक्रोज का पूर्ण खुराक लगवाना सुनिश्चित किया जाए जिससे कि संबंधित लाभार्थी अनिमिया ग्रसित होने से सुरक्षित रह सके।

सी-मैम कार्यक्रम अंतर्गत कुपोषित बच्चों की पहचान कर उपचार एवं रेफरल करने एवं मातृत्व अनिमिया की पहचान उपचार एवं रेफरल से संबंधित सभी प्रखंड के समूदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों (CHO) को दिया गया एकदिवसीय प्रशिक्षण -कुपोषित बच्चों एवं मातृत्व अनिमिया की पहचान एवं प्रबंधन के लिए सामूदायिक अधिकारियों को नियमित दिया जाता है प्रशिक्षण -बच्चों में कुपोषण की पहचान एवं प्रबंधन की अधिकारियों को दी गई जानकारी -अनिमिया के लक्षणों एवं उपचार के बारें में समुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी रखेंगे जानकारी पूर्णिया, 17 फरवरी जिला में मातृत्व अनिमिया एवं कुपोषित बच्चों की पहचान करते हुए आवश्यक जांच, उपचार और विशेष चिकित्सकीय सहायता के लिए प्रखंड अस्पताल रेफरल करने को लेकर स्वास्थ्य विभाग की निरंतर प्रयास जारी है। इस दिशा में स्वास्थ्य विभाग द्वारा बहुत से महत्वपूर्ण पहल किए जा रहे हैं। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा समुदायिक स्तर पर कार्यरत स्वास्थ्यकर्मियों को लगातार प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। मातृत्व अनिमिया एवं कुपोषित बच्चों की पहचान कर चिकित्सकीय सहायता प्रदान करने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिला के सभी प्रखंडों से सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों को जिले के ग्रैंड इम्पीरियल होटल में एक दिवसीय प्रशिक्षण दिया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा सभी प्रखंड के सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों (CHO)को मातृत्व अनिमिया और कुपोषित बच्चों की पहचान और चिकित्सकीय सहायता प्रदान करने के लिए प्रशिक्षण का आयोजन 02 अलग अलग बैच द्वारा दो दिनों में सम्पूर्ण किया जाएगा जिसमें सभी प्रखंड के 89 समुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। सभी स्वास्थ्य अधिकारियों के लिए एकदिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन जिला स्वास्थ्य समिति द्वारा एम्स पटना तथा युनिसेफ के सहयोग से किया जा रहा है। सोमवार को प्रथम बैच के लिए प्रशिक्षण की शुरुआत जिला स्वास्थ्य विभाग के डीपीएम सोरेन्द्र कुमार दास, डीसीएम संजय कुमार दिनकर के साथ साथ यूनिसेफ राज्य पोषण पदाधिकारी डॉ संदीप घोष, यूनिसेफ राज्य सलाहकार प्रकाश सिंह, डॉ राघवेंद्र, यूनिसेफ जिला पोषण सलाहकार निधि भारती, जिला अनिमिया मुक्त भारत सलाहकार शुभम गुप्ता, यूनिसेफ प्रारंभिक बाल विकास मीडिया सलाहकार अमित दुबे, पिरामल स्वास्थ्य के प्रोग्राम लीड सोमेन अधिकारी, सनथ गुहा, संध्या कुमारी और सभी प्रखंड के चिन्हित समुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी उपस्थित रहे। कुपोषित बच्चों एवं मातृत्व अनिमिया की पहचान के लिए अधिकारियों को नियमित दिया जाता है प्रशिक्षण : एकदिवसीय प्रशिक्षण की शुरूआत करते हुए डीपीएम सोरेंद्र कुमार दास ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा नियमित रूप से कुपोषित बच्चों तथा मातृत्व अनिमिया की भी पहचान कर उपचार सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। इसके लिए नियमित प्रशिक्षण की भी जरूरत है। इसे देखते हुए स्वास्थ्य विभाग द्वारा नियमित रूप से समुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों को विशेषज्ञ अधिकारियों द्वारा प्रशिक्षण दिया जाता है। इस दौरान सभी समुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों को कुपोषित बच्चों की जानकारी आईसीडीएस महिला पर्यवेक्षिका या प्रखंड स्वास्थ्य अधिकारी से प्राप्त करते हुए जांच और प्रबंधन करना सुनिश्चित करना है। इसके लिए एएनएम द्वारा प्रत्येक भीएचएसएनडी सत्र (आरोग्य दिवस) के दौरान क्षेत्र उपस्थित बच्चों की कुपोषण जांच करते हुए संबंधित जानकारी समुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र को सूचित करते हुए कुपोषित बच्चों को आवश्यक चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है। डीसीएम संजय कुमार दिनकर ने बताया कि कुपोषण एवं अनिमिया हमारे समाज के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है। कुपोषण एवं अनीमिया को संबोधित करना साथ ही माताओं व बच्चों के अच्छे स्वास्थ्य एवं पोषण को सुनिश्चित करना हमारी एक प्रमुख जिम्मेदारी है। सभी समुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा नियमित रूप से इसकी पहचान करते हुए आवश्यक चिकित्सकीय सहायता प्रदान करना है जिससे कि जिला कुपोषण और अनिमिया से मुक्त हो सके। बच्चों के कुपोषण प्रबंधन की सामूदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों (सीएचओ) को दी गई जानकारी : प्रशिक्षण के दौरान प्रतिभागियों को एम्स पटना और यूनिसेफ विशेषज्ञों द्वारा बाल संवर्धन के लिए समुदाय आधारित कुपोषण प्रबंधन के दस चरण की विस्तार से जानकारी दी गयी। समुदायिक अधिकारियों को वृद्धि निगरानी और दोनों पैरों में सूजन की जांच, कुपोषित बच्चों के भूख का परिक्षण, चिकित्सा मूल्यांकन, देखभाल के स्तर का निर्णय, पोषण प्रबंधन, चिकित्सीय प्रबंधन, पोषण, साफ-सफाई पर परामर्श, नियमित निगरानी और गृह भ्रमण, समुदाय आधारित प्रबंधन कार्यक्रम से डिस्चार्ज, डिस्चार्ज के बाद वीएचएसएनडी स्तर पर मासिक फॉलोअप के बारे में जानकारी दी गई। विशेषज्ञों द्वारा सभी अधिकारियों को बच्चों के विकास निगरानी और जनजागरूकता में आंगनवाड़ी सेविका एवं आशा के सहयोग, कुपोषित बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) में रेफर करने में मदद, परिवारों और देखभाल करने वालों को परामर्श, उचित आहार प्रथाओं और साफ-सफाई से संबंधित विषयों पर प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण के दौरान चिन्हित सभी गंभीर रूप से कम वजन और गंभीर रूप से दुबले बच्चों के भूख के परीक्षण की जानकारी दी गई। इसके साथ ही हर महीने आंगनवाड़ी द्वारा पहचान किये गये गंभीर रूप से दुबले बच्चों की सूची अनुसार प्रत्येक बच्चे का वजन और उंचाई का पूर्ण सत्यापन कर रिकॉर्ड रखना एवं स्वास्थ्य जाँच कर उनकी स्थिति का आँकलन कर उनका प्रबंधन करने का सभी अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया गया। अनिमिया के लक्षणों एवं उपचार के बारें में समुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी रखेंगे जानकारी : मातृत्व अनिमिया को दूर करने के लिए प्रशिक्षण के दौरान बताया गया कि गर्भवती महिला में अनिमिया के लक्षणों की पहचान कैसे करें। इनमें त्वचा, चेहरे, जीभ और आंखों की ललिमा की कमी, काम करने पर जल्दी ही थकावट हो जाना, सांस फूलना या घुटन होना, काम में ध्यान न लगना और, चक्कर आना, भूख न लगना और चेहरे और पैरों में सूजन आदि शामिल हैं। स्वास्थ्यकर्मी महिलाओं को इस बात की जानकारी दिया जाए कि खून में आयरन की सही मात्रा होने से बच्चे का उचित शारीरिक और मानसिक विकास होता है। शरीर चुस्त रहता है और मन में फुर्ती रहती है। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है। इसके लिए आयरन युक्त भोजन के साथ विटाामिन सी युक्त चीजें शामिल करने से आयरन का बेहतर अवशोषण होता है। इसलिए खाने में आयरन युक्त खाद्य सामग्री जैसे हरे पत्तेदार साक सब्जी , चौलाई, पालक, सरसो की साग, सहजन , मेथी, कच्चा केला, सोयाबीन, काला चना , मूग, मछली , चिकन कलिजे आदि खाने की सलाह एनीमिया प्रभावित महिला को अवश्य दें। इसके साथ ही जंक फूड या तला आहार, सोडा, चाय, कॉफी व नशीले पदार्थ से परहेज जरूरी है। प्रशिक्षण के दौरान जानकारी दिया गया की कैसे गर्भवती महिलाओं में अनिमिया की जांच डिजिटल हेमोग्लोबिनोमीटर के माध्यम से किया जाना है। अनिमिया की उपचार हेतु पूर्णिया जिले के सभी प्राथमिक स्वस्थ्य केंद्र/रेफरल अस्पताल/समूदायिक स्वास्थ्य केंद्र/अनुमंडलीय अस्पताल में गर्भवती महिलाओं में गंभीर अनिमिया की उपचार हेतु आयरन सुक्रोज के माध्यम से इलाज किया जा रहा है। प्रशिक्षण के दौरान अधिकारियों को बताया गया अनिमिया की जांच पश्चात मध्यम एवं गंभीर अनिमिया से ग्रसित महिलाओ को प्रखंड स्वास्थ केंद्रों में रेफर किया जाए। जांच के बाद उपचार के लिए लाभार्थियों को उपलब्ध कराने वाले आइवी आयरन सूक्रोज का पूर्ण खुराक लगवाना सुनिश्चित किया जाए जिससे कि संबंधित लाभार्थी अनिमिया ग्रसित होने से सुरक्षित रह सके।

भाजपा नेत्री श्रीमती गुप्ता ने कहा कि भागलपुर के हवाई अड्डा मैदान में किसान सभा को पीएम संबोधित करेंगे. इस सभा में 13 जिलों से लाखों की संख्या में किसानों के जुटेगें. यह किसान सभा अब तक की सभी सभाओं के रिकॉर्ड को तोड़ देगी. पीएम के आगमन को लेकर हर स्तर से व्यापक तैयारी हो रही है. उन्होंने कहा कि मंत्री डॉक्टर प्रेम कुमार ने जो पीएम नरेंद्र मोदी के आगमन की तैयारी को लेकर जो दिशा निर्देश दिए हैं, वे उस ओर कार्य करेगी.
इस मौके पर क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी स्वधा रिजवी ने बताया कि पोस्ट ऑफिस पासपोर्ट सेवा केंद्र सभी जिलों में कार्यरत है जो हर दिन लोगों को सेवा देती है । लेकिन पासपोर्ट बनवाने वालों की भीड़ को देखते हुए इस तरह के कैंप का आयोजन किया गया है । जिसकी शुरुआत पूर्वी क्षेत्र में पूर्णिया से की गई है । वही पूर्वी क्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल मनोज कुमार ने बताया कि आधुनिक भारत में पासपोर्ट सेवा भारतीय डाक विभाग की सफलता की नई कहानी लिख रही है ।
उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष 30 लाख से ज्यादा लोगों के पासपोर्ट डाक विभाग द्वारा बनाकर एक रिकॉर्ड स्थापित किया गया है और आने वाले दिनों में इसकी संख्या और भी बढ़ेगी । वही पासपोर्ट बनवाने पहुंची मयुस्का ने बताया कि इस तरह की सेवा पहली बार देखने को मिली है । पहले यह सेवा डाक कार्यालय में होती थी लेकिन जहां लंबा चक्कर लगाना पड़ता था ।
अब दो से तीन दिनों में पासपोर्ट बनकर तैयार हो जाता है । इसके लिए मैं केंद्र सरकार को धन्यवाद देती हूं ।
Feb 17 2025, 18:07
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