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स्वस्थ और दीर्घायु जीवन के लिए लाइफस्टाइल में करे ये पांच बदलाव

हम सब चाहते हैं कि हमारी जिंदगी लंबी, स्वस्थ और खुशहाल हो। लेकिन इसके लिए सिर्फ इच्छा करना ही काफी नहीं है, बल्कि जीवनशैली में कुछ अहम बदलाव लाने होते हैं। यहां हम आपके साथ ऐसे 5 बदलाव साझा कर रहे हैं, जो न केवल आपके जीवन को स्वस्थ बनाएंगे, बल्कि आपकी उम्र भी बढ़ा सकते हैं।

1. संतुलित और पोषक आहार अपनाएं

स्वस्थ जीवन की नींव एक संतुलित आहार पर टिकी होती है। अपनी डाइट में ताजे फल, सब्जियां, साबुत अनाज, प्रोटीन और हेल्दी फैट को शामिल करें। प्रोसेस्ड फूड, चीनी और अधिक नमक से दूरी बनाएं।

हर दिन कम से कम 5 तरह की सब्जियां और फल खाएं।

ओमेगा-3 फैटी एसिड के लिए नट्स और बीजों को डाइट में शामिल करें।

2. नियमित व्यायाम को जीवन का हिस्सा बनाएं

शारीरिक सक्रियता सिर्फ वजन कम करने के लिए नहीं, बल्कि पूरे शरीर की सेहत के लिए जरूरी है।

हर दिन कम से कम 30 मिनट वॉक, योग या कार्डियो करें।

स्ट्रेंथ ट्रेनिंग हफ्ते में 2 बार जरूर करें।

3. पर्याप्त और गुणवत्तापूर्ण नींद लें

नींद हमारे शरीर की मरम्मत और ऊर्जा पुनः प्राप्ति का समय होता है।

रोजाना 7-8 घंटे की नींद लें।

सोने और जागने का समय तय करें और उसमें नियमितता रखें।

4. तनाव को करें मैनेज

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में तनाव सामान्य हो गया है, लेकिन इसे नजरअंदाज करना आपकी सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है।

मेडिटेशन, प्राणायाम और गहरी सांस लेने की तकनीक अपनाएं।

अपने शौक के लिए समय निकालें और प्रियजनों के साथ वक्त बिताएं।

5. नियमित स्वास्थ्य जांच करवाएं

कई बार हम बीमारियों को तब समझ पाते हैं, जब वे गंभीर हो जाती हैं। इसलिए समय-समय पर हेल्थ चेकअप करवाना जरूरी है।

साल में एक बार ब्लड टेस्ट, शुगर लेवल, ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल की जांच करवाएं।

किसी भी असामान्य लक्षण को नजरअंदाज न करें।

निष्कर्ष

स्वस्थ और लंबा जीवन जीने के लिए इन पांच बदलावों को अपनाना बेहद जरूरी है। याद रखें, छोटी-छोटी आदतें मिलकर बड़ी उपलब्धि दिलाती हैं। अपनी सेहत को प्राथमिकता दें और खुशहाल जीवन का आनंद लें।

दूध और मछली एकसाथ खाने से होते हैं सफेद दाग?वैज्ञानिक शोध ने किया अंधविश्वास को खारिज!

दूध और मछली को एकसाथ खाने को लेकर कई लोगों के मन में शंका होती है। भारतीय समाज में लंबे समय से यह धारणा है कि दूध और मछली एकसाथ खाने से त्वचा पर सफेद दाग (विटिलिगो) हो सकते हैं। लेकिन क्या वास्तव में ऐसा होता है, या यह सिर्फ एक अंधविश्वास है? आइए, इस विषय को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझते हैं।

1. सफेद दाग (विटिलिगो) क्या है?

सफेद दाग, जिसे विटिलिगो कहा जाता है, एक त्वचा संबंधी रोग है जिसमें त्वचा पर सफेद धब्बे बन जाते हैं। यह तब होता है जब शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली त्वचा में मौजूद मेलानिन उत्पादक कोशिकाओं (मेलानोसाइट्स) को नष्ट कर देती है। यह समस्या आनुवंशिक कारणों, ऑटोइम्यून विकारों, मानसिक तनाव, पोषण की कमी और अन्य स्वास्थ्य संबंधी कारणों से हो सकती है।

2. दूध और मछली एकसाथ खाने से सफेद दाग होते हैं – मिथक या सच?

अंधविश्वास का मूल कारण

भारत में परंपरागत रूप से कुछ खाद्य पदार्थों को एकसाथ खाने से परहेज करने की सलाह दी जाती है। आयुर्वेद में भी यह माना जाता है कि कुछ खाद्य पदार्थों का गलत संयोजन (विरुद्ध आहार) पाचन को प्रभावित कर सकता है। दूध और मछली की बात करें तो दोनों का प्रभाव अलग-अलग होता है—

दूध: ठंडी तासीर का होता है।

मछली: गर्म तासीर की होती है और इसमें प्रोटीन व अन्य पोषक तत्व होते हैं।

इस विरोधाभासी प्रकृति के कारण, यह माना जाता है कि इनका एकसाथ सेवन करने से शरीर में असंतुलन हो सकता है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण

अब तक कोई भी वैज्ञानिक अध्ययन यह साबित नहीं कर पाया है कि दूध और मछली एकसाथ खाने से सफेद दाग होते हैं। विटिलिगो का संबंध प्रतिरक्षा प्रणाली और आनुवंशिकी से होता है, न कि किसी विशेष भोजन के सेवन से।

हालांकि, कुछ लोगों को दूध और मछली को एकसाथ खाने से पाचन संबंधी समस्याएं, जैसे कि अपच, एसिडिटी या एलर्जी हो सकती हैं। यह मुख्य रूप से उन लोगों में देखा जाता है जिनका पाचन तंत्र संवेदनशील होता है। लेकिन इसका सफेद दाग से कोई लेना-देना नहीं है।

3. क्या दूध और मछली एकसाथ खाना सेहत के लिए नुकसानदायक है?

आयुर्वेद के अनुसार, विरुद्ध आहार पाचन संबंधी दिक्कतें पैदा कर सकता है। लेकिन यह सभी के लिए हानिकारक नहीं होता। अगर आपका पाचन तंत्र मजबूत है और आपको कोई एलर्जी नहीं है, तो आप दूध और मछली को एकसाथ खा सकते हैं।

कुछ वैज्ञानिक पहलू जो इस मिथक को गलत साबित करते हैं:

दुनिया के कई देशों में लोग दूध और मछली से बने व्यंजन खाते हैं, लेकिन वहां सफेद दाग की समस्या नहीं बढ़ती।

केल्शियम और प्रोटीन दोनों ही शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्व हैं, और इनका सही तरीके से सेवन करने से कोई समस्या नहीं होती।

अगर दूध और मछली के संयोजन से एलर्जी या अपच नहीं होती, तो इसे खाने में कोई हानि नहीं है।

4. सफेद दाग से बचाव कैसे करें?

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अगर आपको सफेद दाग से बचना है, तो निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें:

संतुलित आहार लें जिसमें हरी सब्जियां, फल, नट्स और प्रोटीन भरपूर मात्रा में हो।

सूरज की रोशनी से बचाव करें, क्योंकि धूप के कारण सफेद दाग अधिक नजर आ सकते हैं।

तनाव को कम करें, क्योंकि मानसिक तनाव भी विटिलिगो को बढ़ा सकता है।

डॉक्टर से परामर्श लें अगर त्वचा पर किसी भी प्रकार का असामान्य परिवर्तन दिखे।

निष्कर्ष

दूध और मछली को एकसाथ खाने से सफेद दाग होने का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। यह सिर्फ एक अंधविश्वास है। हालांकि, कुछ लोगों को इससे पाचन संबंधी दिक्कतें हो सकती हैं, लेकिन इसका त्वचा संबंधी रोगों से कोई संबंध नहीं है। अगर आपको कोई एलर्जी या संवेदनशीलता नहीं है, तो दूध और मछली को एकसाथ खाने में कोई दिक्कत नहीं है।

क्या करना चाहिए?

अगर आपको एलर्जी या अपच होती है, तो दूध और मछली को एकसाथ खाने से बचें।

बिना किसी वैज्ञानिक प्रमाण के इस तरह के अंधविश्वासों पर विश्वास न करें।

अपने आहार को संतुलित रखें और अगर कोई समस्या हो तो डॉक्टर से सलाह लें।

इसलिए, अगली बार जब कोई आपसे कहे कि दूध और मछली एकसाथ खाने से सफेद दाग हो जाते हैं, तो आप उन्हें वैज्ञानिक तथ्य बता सकते हैं!

सुबह उठते ही पेट में होती है गुड़गुड़? सौंफ-अजवाइन चबाने से मिलेगी राहत


अगर सुबह उठते ही आपके पेट में गुड़गुड़ होती है या गैस और अपच की समस्या रहती है, तो घबराने की जरूरत नहीं है। यह समस्या गलत खान-पान, पाचन तंत्र की कमजोरी या गैस्ट्रिक समस्या के कारण हो सकती है। इसे ठीक करने के लिए कुछ घरेलू उपाय बहुत कारगर साबित हो सकते हैं। आइए जानते हैं पांच आसान घरेलू उपाय जो आपके पेट को राहत देंगे।

1. सौंफ और अजवाइन चबाएं

सौंफ और अजवाइन पाचन को बेहतर बनाने में मदद करते हैं।

रोज सुबह खाली पेट एक चम्मच सौंफ और अजवाइन चबाएं।

इससे गैस, अपच और पेट की गुड़गुड़ाहट कम होगी।

अजवाइन में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो पेट की सूजन को कम करने में सहायक होते हैं।

2. गुनगुना पानी पिएं

गुनगुना पानी पीने से पाचन क्रिया सक्रिय होती है और गैस की समस्या कम होती है।

सुबह उठते ही एक गिलास गुनगुना पानी पिएं।

इसमें आधा नींबू और शहद मिलाकर पीने से और भी अधिक लाभ मिलेगा।

यह टॉक्सिन्स को बाहर निकालकर पेट को साफ रखने में मदद करता है।

3. हींग और काला नमक का सेवन करें

हींग और काला नमक गैस और पेट दर्द से राहत दिलाने में कारगर हैं।

एक चुटकी हींग और काला नमक गुनगुने पानी में मिलाकर पिएं।

आप हींग को गुनगुने पानी में घोलकर नाभि पर भी लगा सकते हैं।

यह उपाय पेट में बनने वाली अतिरिक्त गैस को कम करता है।

4. धनिया और जीरा पानी पिएं

धनिया और जीरा पाचन को मजबूत बनाते हैं और पेट की समस्याओं से राहत देते हैं।

रात को एक गिलास पानी में एक चम्मच धनिया और एक चम्मच जीरा भिगो दें।

सुबह इस पानी को छानकर पी लें।

इससे पेट में ठंडक बनी रहती है और गैस व ऐंठन की समस्या दूर होती है।

5. दही और अदरक का सेवन करें

दही में अच्छे बैक्टीरिया होते हैं, जो पाचन को बेहतर बनाते हैं। अदरक पेट की सूजन और गैस को कम करता है।

रोज सुबह एक कटोरी ताजा दही में थोड़ा सा कद्दूकस किया हुआ अदरक मिलाकर खाएं।

इससे पेट की जलन, अपच और गैस की समस्या से राहत मिलेगी।

निष्कर्ष

अगर पेट में गुड़गुड़ और गैस की समस्या बार-बार होती है, तो इन घरेलू उपायों को आजमाएं। साथ ही, संतुलित आहार लें और तली-भुनी चीजों से बचें। यदि समस्या ज्यादा बढ़ रही है, तो डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।

सुबह खाली पेट लहसुन खाने से नसों में जमी गंदगी हटेगी, दिल की बीमारियों का खतरा होगा कम,जाने लहसुन से मिलने वाले फायदे के बारे में


लहसुन न सिर्फ खाने का स्वाद बढ़ाता है बल्कि इसे सेहत के लिए भी बेहद फायदेमंद माना जाता है। खासतौर पर यह कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने और धमनियों में जमी गंदगी को साफ करने में मदद करता है। अगर आप बैड कोलेस्ट्रॉल (LDL) कम करना चाहते हैं, तो लहसुन को सही तरीके से खाना जरूरी है। आइए जानते हैं 3 असरदार तरीके, जिनसे लहसुन खाने पर आपको जल्दी फायदा मिलेगा।

1. कच्चे लहसुन का सेवन करें

लहसुन में एलिसिन (Allicin) नामक कंपाउंड होता है, जो कोलेस्ट्रॉल कम करने में मदद करता है। लेकिन इसे पकाने से एलिसिन की मात्रा कम हो जाती है। इसलिए लहसुन को कच्चा खाने की सलाह दी जाती है।

कैसे खाएं?

सुबह खाली पेट 1-2 कली कच्चे लहसुन को पानी के साथ खाएं।

इसे शहद के साथ मिलाकर खाने से स्वाद भी बेहतर हो जाता है।

लहसुन को हल्का कुचलकर 10 मिनट छोड़ दें, फिर खाएं ताकि एलिसिन अच्छी तरह सक्रिय हो जाए।

2. लहसुन-नींबू का मिश्रण

लहसुन और नींबू का संयोजन धमनियों में जमा फैट को कम करता है और कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करता है।

कैसे बनाएं?

4-5 लहसुन की कलियों को पीस लें।

इसमें 1 नींबू का रस और एक गिलास गुनगुना पानी मिलाएं।

रोजाना सुबह इसे पीने से बैड कोलेस्ट्रॉल कम होने में मदद मिलेगी।

3. लहसुन-शहद का मिश्रण

शहद और लहसुन का कॉम्बिनेशन शरीर को डिटॉक्स करने में मदद करता है और दिल की सेहत को बेहतर बनाता है।

कैसे बनाएं?

4-5 लहसुन की कलियों को हल्का कुचलकर एक जार में डालें।

इसमें शुद्ध शहद डालकर 1 हफ्ते तक रख दें।

रोजाना सुबह एक चम्मच खाली पेट खाएं।

अतिरिक्त सावधानियां

अधिक मात्रा में लहसुन खाने से पेट में जलन हो सकती है, इसलिए सीमित मात्रा में ही लें।

अगर आपको लो ब्लड प्रेशर या ब्लड थिनर की दवा चल रही है, तो डॉक्टर की सलाह लें।

लहसुन को अपनी डाइट में नियमित रूप से शामिल करने से कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल में रहेगा और दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा कम होगा।

इन आसान तरीकों से लहसुन का सेवन करके आप बैड कोलेस्ट्रॉल को कम कर सकते हैं और अपनी नसों को साफ रख सकते हैं।

खाने से पहले करें ये 3 काम, नहीं लगेंगे दांतों में कीड़े,एक्सपर्ट की सलाह से बचाएं अपने दांत, रहें कैविटी-फ्री

दांतों की सही देखभाल न करने से कैविटी और दांतों में कीड़े लगने की समस्या हो सकती है। कई लोग सोचते हैं कि केवल खाने के बाद ब्रश करना ही काफी होता है, लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि खाने से पहले भी कुछ आदतें अपनाने से दांतों को ज्यादा सुरक्षित रखा जा सकता है। आइए जानते हैं वे तीन जरूरी काम जो खाने से पहले जरूर करने चाहिए।

1. मुँह को साफ पानी से धोएं

खाने से पहले मुँह को साफ पानी से धोना बहुत जरूरी है। इससे मुँह में मौजूद बैक्टीरिया और एसिड कम हो जाते हैं, जो भोजन के साथ मिलकर दांतों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। यह आदत कैविटी और सांसों की दुर्गंध से बचाने में मदद करती है।

2. टंग क्लीनर से जीभ साफ करें

मुँह में बैक्टीरिया केवल दांतों पर ही नहीं, बल्कि जीभ पर भी होते हैं। खाने से पहले टंग क्लीनर से जीभ को हल्के हाथों से साफ करने से बैक्टीरिया की संख्या कम होती है और भोजन को अधिक स्वच्छ तरीके से ग्रहण किया जा सकता है।

3. मुँह में पानी या माउथवॉश से कुल्ला करें

अगर आप बाहर हैं और ब्रश या टंग क्लीनर का इस्तेमाल नहीं कर सकते, तो खाने से पहले मुँह में पानी या माउथवॉश से कुल्ला करें। यह मुँह में मौजूद प्लाक (Plaque) और बैक्टीरिया को कम करता है, जिससे दांतों को सड़ने से बचाया जा सकता है।

एक्सपर्ट की सलाह

डेंटल एक्सपर्ट्स के मुताबिक, दिन में दो बार ब्रश करने के साथ-साथ खाने से पहले मुँह की सफाई करने की आदत डालनी चाहिए। इससे दांतों की उम्र बढ़ती है और ओरल हेल्थ बेहतर बनी रहती है। इसके अलावा, ज्यादा मीठा खाने से बचें और नियमित रूप से डेंटिस्ट से चेकअप कराते रहें।

अगर आप इन आसान आदतों को अपनाते हैं, तो आपके दांत लंबे समय तक स्वस्थ और मजबूत बने रहेंगे।

रोज़ाना एलोवेरा लगाने से स्किन को हो सकता है नुकसान, जानें कितनी बार इस्तेमाल करना है सही

एलोवेरा को स्किन के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है, लेकिन अगर इसे रोज़ाना और गलत तरीके से इस्तेमाल किया जाए, तो इसके कुछ नुकसान भी हो सकते हैं। आइए जानते हैं एलोवेरा के ज्यादा इस्तेमाल से होने वाले संभावित नुकसान और इसे लगाने का सही तरीका।

1. स्किन में ड्राइनेस और इरिटेशन

एलोवेरा में कई प्रकार के एंजाइम और तत्व होते हैं जो अधिक मात्रा में इस्तेमाल करने पर स्किन को ड्राई बना सकते हैं। खासतौर पर जिनकी त्वचा पहले से ही रूखी होती है, उनके लिए रोज़ एलोवेरा लगाने से जलन या खुजली जैसी समस्या हो सकती है।

2. सनबर्न के प्रति संवेदनशीलता

एलोवेरा स्किन को ठंडक देने में मदद करता है, लेकिन अगर इसे सुबह लगाकर सीधे धूप में निकलते हैं, तो यह स्किन को सनबर्न के प्रति अधिक संवेदनशील बना सकता है। इसमें मौजूद कुछ तत्व सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणों के प्रभाव को बढ़ा सकते हैं।

3. एलर्जी और रेडनेस की समस्या

कुछ लोगों की स्किन एलोवेरा में मौजूद तत्वों से एलर्जिक प्रतिक्रिया दे सकती है। इससे चेहरे पर लाल चकत्ते, जलन या रैशेज़ हो सकते हैं। इसलिए पहली बार इस्तेमाल करने से पहले पैच टेस्ट करना जरूरी होता है।

4. स्किन बैरियर को कमजोर कर सकता है

एलोवेरा एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुणों से भरपूर होता है, लेकिन इसका अत्यधिक उपयोग त्वचा की प्राकृतिक नमी और तेल को खत्म कर सकता है, जिससे स्किन बैरियर कमजोर हो सकता है और स्किन जल्दी डैमेज हो सकती है।

एलोवेरा कितने समय बाद लगाना चाहिए?

एलोवेरा को हर दिन न लगाकर हफ्ते में 2-3 बार ही इस्तेमाल करें।

अगर आपकी स्किन सेंसिटिव है, तो इसे 15-20 मिनट तक लगाकर गुनगुने पानी से धो लें।

धूप में जाने से पहले एलोवेरा जेल न लगाएं, बल्कि इसे रात में इस्तेमाल करें।

अगर एलोवेरा लगाने के बाद जलन या खुजली हो, तो तुरंत इसे धो लें और डॉक्टर से सलाह लें।

निष्कर्ष: एलोवेरा भले ही स्किन के लिए फायदेमंद हो, लेकिन इसका ज्यादा और गलत इस्तेमाल नुकसान भी पहुंचा सकता है। इसलिए इसे सही तरीके और सही समय पर इस्तेमाल करना जरूरी है।

जानिए आंखों की रोशनी बढ़ाने के प्राकृतिक तरीके

आजकल डिजिटल स्क्रीन, अनियमित जीवनशैली और पोषण की कमी के कारण आंखों की रोशनी कमजोर होना आम समस्या बन गई है। अगर आप बिना चश्मे के अपनी आंखों की रोशनी को बढ़ाना चाहते हैं, तो यहां कुछ प्राकृतिक और असरदार उपाय दिए गए हैं।

1. पोषण से भरपूर आहार लें

आंखों की रोशनी को बनाए रखने के लिए सही आहार जरूरी है।

गाजर- इसमें बीटा-कैरोटीन होता है, जो विटामिन A में बदलकर आंखों के लिए फायदेमंद होता है।

हरी पत्तेदार सब्जियां– पालक, मेथी और ब्रोकली आंखों की सेहत में सुधार लाती हैं।

सिट्रस फल – नींबू, संतरा और अमरूद विटामिन C से भरपूर होते हैं, जो आंखों की कोशिकाओं को स्वस्थ रखते हैं।

बादाम, अखरोट और अलसी के बीज– ये ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर होते हैं, जो आंखों के सूखेपन को दूर करते हैं।

अंडे और मछली– ये जिंक और विटामिन E प्रदान करते हैं, जिससे रेटिना मजबूत होती है।

2. आंखों के लिए योग और एक्सरसाइज करें

कुछ आसान योग और एक्सरसाइज से भी आप अपनी नजर तेज कर सकते हैं।

पामिंग – आंखों पर हल्के हाथों से रगड़ी हुई हथेलियां रखें, इससे आंखों को आराम मिलता है।

फोकस एक्सरसाइज – किसी पेंसिल या उंगली को नाक के पास लाकर दूर ले जाने की एक्सरसाइज करें।

आंखें घुमाना – आंखों को घड़ी की सुई और विपरीत दिशा में घुमाने से मांसपेशियां मजबूत होती हैं।

ब्लिंकिंग एक्सरसाइज- स्क्रीन पर ज्यादा समय बिताने वालों को हर 20 मिनट में 20 बार पलकें झपकानी चाहिए।

3. स्क्रीन टाइम कम करें

आजकल मोबाइल और कंप्यूटर का ज्यादा उपयोग आंखों की रोशनी कमजोर करने का बड़ा कारण है।

20-20-20 नियम अपनाएं – हर 20 मिनट बाद 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर देखें।

ब्लू लाइट फिल्टर का इस्तेमाल करें – मोबाइल और लैपटॉप में नाइट मोड ऑन करें।

स्क्रीन से उचित दूरी बनाएं –

 मोबाइल और लैपटॉप को आंखों से 18-24 इंच दूर रखें।

4. पर्याप्त नींद लें

नींद की कमी से आंखों में थकान और ड्राईनेस आ सकती है। रोज़ाना 7-8 घंटे की अच्छी नींद लेना आंखों की सेहत के लिए जरूरी है।

5. आयुर्वेदिक और घरेलू उपाय अपनाएं

त्रिफला चूर्ण – इसे रातभर पानी में भिगोकर सुबह उस पानी से आंखें धोएं।

गुलाब जल – कॉटन में गुलाब जल लगाकर आंखों पर रखने से ताजगी मिलती है।

आंवला – रोज़ सुबह खाली पेट आंवला खाने या उसका जूस पीने से आंखों की रोशनी तेज होती है।

एलोवेरा जूस – यह आंखों को ठंडक देता है और उनकी कार्यक्षमता बढ़ाता है।

6. धूप और धूल से बचाव करें

तेज धूप और प्रदूषण आंखों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

बाहर जाते समय सनग्लासेस पहनें।

आंखों को बार-बार ठंडे पानी से धोएं।

7. तनाव कम करें

अत्यधिक तनाव भी आंखों की रोशनी पर असर डाल सकता है। मेडिटेशन और गहरी सांस लेने की तकनीक अपनाकर मानसिक शांति प्राप्त करें।

अगर आप इन प्राकृतिक उपायों को अपनी दिनचर्या में शामिल करेंगे, तो आपकी आंखों की रोशनी धीरे-धीरे बेहतर हो सकती है। नियमित एक्सरसाइज, सही आहार और स्क्रीन टाइम को सीमित करके बिना चश्मे के भी अपनी नजर को तेज बनाया जा सकता है।

हरी मूंग दाल ने प्रोटीन के मामले में चिकन-मटन को दी टक्कर, जानें इसका सही सेवन समय


आजकल फिटनेस और हेल्दी

 डाइट को लेकर लोग काफी जागरूक हो गए हैं। मांसाहारी लोग प्रोटीन के लिए चिकन और मटन पर निर्भर रहते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक हरी दाल ऐसी भी है जो प्रोटीन के मामले में इन्हें पीछे छोड़ सकती है? इस लेख में हम आपको बताएंगे कि वह कौन सी दाल है, इसके पोषण लाभ और सही सेवन का समय।

कौन सी हरी दाल है सबसे ज्यादा फायदेमंद?

हरी मूंग दाल (Green Moong Dal) प्रोटीन का बेहतरीन स्रोत मानी जाती है। यह शाकाहारियों के लिए एक शानदार विकल्प है और इसमें मौजूद अमीनो एसिड्स इसे संपूर्ण प्रोटीन बनाते हैं।

हरी मूंग दाल में कितना प्रोटीन होता है?

100 ग्राम हरी मूंग दाल में लगभग 24 ग्राम प्रोटीन होता है, जो इसे हाई-प्रोटीन फूड बनाता है। वहीं, चिकन में 100 ग्राम पर 27 ग्राम प्रोटीन और मटन में 25 ग्राम प्रोटीन पाया जाता है। हालांकि, हरी मूंग दाल न सिर्फ प्रोटीन बल्कि फाइबर, विटामिन और मिनरल्स का भी अच्छा स्रोत होती है, जिससे यह चिकन-मटन से ज्यादा हेल्दी विकल्प बन जाती है।

हरी मूंग दाल के फायदे

डाइजेशन में सहायक: इसमें भरपूर फाइबर होता है, जिससे पाचन तंत्र मजबूत रहता है।

हृदय स्वास्थ्य:

कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में मदद करती है।

वजन घटाने में सहायक:

लो-कैलोरी और हाई-प्रोटीन होने के कारण यह वजन घटाने में मददगार होती है।

डायबिटीज कंट्रोल: 

लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स होने की वजह से यह ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित रखती है।

मांसपेशियों को मजबूत बनाती है: इसमें मौजूद प्रोटीन बॉडीबिल्डिंग और मसल्स ग्रोथ के लिए बेहतरीन होता है।

हरी मूंग दाल खाने का सही समय

सुबह के समय: यदि आप हेल्दी ब्रेकफास्ट चाहते हैं, तो मूंग दाल का चीला या स्प्राउट्स एक अच्छा विकल्प हो सकता है।

दोपहर के भोजन में:

मूंग दाल की खिचड़ी या दाल-सब्जी के रूप में इसे खाया जा सकता है।

वर्कआउट के बाद:

 प्रोटीन की जरूरत को पूरा करने के लिए इसे प्रोटीन शेक या सूप में शामिल कर सकते हैं।

रात के समय:

हल्की और सुपाच्य होने के कारण यह रात के भोजन में भी सही रहती है, लेकिन इसे बहुत ज्यादा मसालेदार न बनाएं।

कैसे करें सेवन?

अंकुरित (Sprouted) करके खाने से पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ जाती है।

दाल का सूप या खिचड़ी बनाकर सेवन करना ज्यादा फायदेमंद होता है।

दाल को अच्छी तरह भिगोकर पकाने से एंटी-न्यूट्रिएंट्स कम हो जाते हैं, जिससे पाचन आसान होता है।

निष्कर्ष

हरी मूंग दाल न केवल प्रोटीन से भरपूर होती है, बल्कि यह कई अन्य पोषक तत्वों से भी भरपूर होती है। जो लोग शाकाहारी हैं या चिकन-मटन का सेवन नहीं करते, उनके लिए यह एक बेहतरीन विकल्प है। इसे सही समय और सही तरीके से खाने से शरीर को ज्यादा लाभ मिल सकता है।

अगर आप हेल्दी और हाई-प्रोटीन डाइट की तलाश में हैं, तो हरी मूंग दाल को अपने आहार में जरूर शामिल करें!

पान के पत्ते से सिर दर्द और एलर्जी में राहत, जानें सही सेवन विधि

पान के पत्तों को अक्सर सिर्फ माउथ फ्रेशनर या पारंपरिक आदतों से जोड़ा जाता है, लेकिन यह आयुर्वेदिक दृष्टि से भी बेहद लाभकारी है। खासतौर पर सिर दर्द और एलर्जी जैसी समस्याओं में यह बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है। आइए जानते हैं पान के पत्तों के फायदे और सही सेवन का तरीका।

1. पान के पत्तों के औषधीय गुण एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण – सूजन और जलन को कम करता है।

एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल – बैक्टीरिया और फंगल इन्फेक्शन से बचाता है।

एनाल्जेसिक (दर्द निवारक) – सिर दर्द और माइग्रेन में राहत देता है।

डिटॉक्सिफाइंग एजेंट – शरीर से विषाक्त पदार्थ बाहर निकालने में मदद करता है।

2. सिर दर्द में पान के पत्तों का उपयोग

पत्तों का पेस्ट – 2-3 पान के पत्तों को पीसकर माथे पर लगाएं, सिर दर्द में राहत मिलेगी।

चबाने से फायदा – ताजे पान के पत्तों को चबाने से माइग्रेन और सामान्य सिर दर्द में आराम मिलता है।

पान का रस– पत्तों को पीसकर रस निकालें और हल्का गुनगुना करके सिर पर लगाएं।

3. एलर्जी में पान के पत्तों का सेवन

गुनगुना पानी और पान का रस – पान के पत्तों का रस निकालकर गुनगुने पानी में मिलाएं और पिएं, एलर्जी से राहत मिलेगी।

शहद के साथ सेवन – पान के पत्तों का रस शहद में मिलाकर लेने से सांस संबंधी एलर्जी में मदद मिलती है।

त्वचा पर लगाने के लिए– पान के पत्तों का रस प्रभावित त्वचा पर लगाने से खुजली और जलन कम होती है।

4. अन्य स्वास्थ्य लाभ

पाचन में सहायक – पान के पत्तों को चबाने से एसिडिटी और कब्ज में आराम मिलता है।

सांस की बदबू दूर करता है – पान के पत्तों में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं, जिससे यह मुँह की दुर्गंध को खत्म करता है।

सर्दी-खांसी में राहत – पान के पत्तों का काढ़ा बनाकर पीने से बलगम और गले की खराश दूर होती है।

5. पान के पत्तों का सही सेवन कैसे करें?

ताजा पत्ते चुनें और उन्हें अच्छे से धोकर ही इस्तेमाल करें।

अधिक मात्रा में सेवन करने से बचें, क्योंकि इससे मुंह में जलन हो सकती है।

गर्भवती महिलाएं और हृदय रोगी डॉक्टर की सलाह लेकर ही सेवन करें।

निष्कर्ष

पान के पत्ते केवल स्वाद के लिए नहीं, बल्कि सेहत के लिए भी बेहद फायदेमंद होते हैं। सिर दर्द, एलर्जी, पाचन समस्या और अन्य कई स्वास्थ्य समस्याओं में यह प्राकृतिक दवा की तरह काम करता है। इसे सही तरीके से इस्तेमाल करके आप इसके बेहतरीन लाभ उठा सकते हैं।

सर्दियों में सेहत का खजाना,कच्चे पपीते का जूस जरूर पिएं,इम्यूनिटी बढ़ाए, पाचन सुधारे और दिल को रखे स्वस्थ

सर्दियों में हेल्दी डाइट लेना बहुत जरूरी होता है, और कच्चे पपीते का जूस एक बेहतरीन ऑप्शन हो सकता है। यह पोषक तत्वों से भरपूर होता है और कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है।

1. पाचन तंत्र को बनाए दुरुस्त

कच्चे पपीते में मौजूद एंजाइम पाचन को सुधारते हैं और कब्ज की समस्या दूर करने में मदद करते हैं।

2. वजन घटाने में मददगार

यह लो-कैलोरी जूस होता है, जिससे मेटाबॉलिज्म तेज होता है और वजन कम करने में सहायता मिलती है।

3. इम्यूनिटी को करे मजबूत

सर्दियों में इम्यूनिटी मजबूत करना जरूरी होता है, और कच्चा पपीता विटामिन C व एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होता है, जो इम्यून सिस्टम को बूस्ट करता है।

4. डायबिटीज कंट्रोल करने में सहायक

कच्चा पपीता ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में मदद करता है, जिससे डायबिटीज के मरीजों को लाभ मिल सकता है।

5. स्किन और बालों के लिए फायदेमंद

इसमें मौजूद विटामिन A और अन्य पोषक तत्व त्वचा को निखारते हैं और बालों को मजबूत बनाते हैं।

6. दिल की सेहत के लिए बढ़िया

कच्चे पपीते में एंटीऑक्सीडेंट और फाइबर होते हैं, जो कोलेस्ट्रॉल को कम करने और दिल को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं।

कैसे बनाएं कच्चे पपीते का जूस?

सामग्री:

1 छोटा कच्चा पपीता (छिला और कटे हुए टुकड़े)

1 कप पानी

1 चम्मच शहद (ऑप्शनल)

आधा नींबू का रस

थोड़ा सा काला नमक

विधि:

कटे हुए कच्चे पपीते को मिक्सर में डालें।

इसमें पानी, शहद और काला नमक डालकर अच्छी तरह ब्लेंड करें।

इसे छानकर गिलास में निकालें और ऊपर से नींबू का रस डालें।

आपका हेल्दी और टेस्टी कच्चे पपीते का जूस तैयार है!

सर्दियों में इसे अपनी डाइट में शामिल करें और सेहतमंद रहें!