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महाकुंभ’ में 10 रुपये का दातून बेचती, बनारस के घाट पर चाय… कौन है ये फिनलैंड की लड़की? इंस्टाग्राम पर मचा रही धूम

महाकुंभ को खत्म होने में अभी 19 दिन बाकी हैं. इस बार के महाकुंभ में कई लोगों ने अपने अनोखे अंदाज के कारण सुर्खियां बटोरीं. इनमें IIT बाबा अभय सिंह, सुंदर साध्वी हर्षा, माला बेचने वाली मोनालिसा और बॉलीवुड एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी समेत कई लोग शामिल रहे. लेकिन एक विदेशी यूट्यूबर भी इन दिनों खूब सुर्खियों में हैं. हालांकि, वो महाकुंभ नहीं आईं. लेकिन उन्होंने महाकुंभ को लेकर कई मोटिवेशनल वीडियो डाले. इसमें भारतीय संस्कृति की उन्होंने जमकर तारीफ की.

इनका नाम कैसा ओलजक्का (Kaisa Oljakka) है. कैसा फिनलैंड की रहने वाली हैं. वो भारतीय संस्कृति से इतना प्रभावित हैं कि यहीं आकर बस गई हैं. वो एक फेमस यूट्यूबर और इंस्टाग्राम इन्फ्लुएंसर हैं. कैसा अंकित कुमार नाम के युवक के साथ कई सारे वीडियो डालती हैं. कई वीडियो फनी तो कई ऐसे होते हैं जिनमें भारतीय संस्कृति के प्रति लोगों को बताया जाता है.

कैसा खुद भी भारतीय परिधानों में ही नजर आती हैं. कैसा के इंस्टाग्राम अकाउंट (videshi__indian) पर 3 लाख 36 हजार से भी ज्यादा फॉलोअर्स हैं. यूट्यूब और फेसबुक पर भी उन्हें हजारों लोग फॉलो करते हैं. कैसा ने हाल ही में बनारस के घाट पर भी वीडियो बनाए. इसमें वो चाय बेचती नजर आईं. वहीं, महाकुंभ को लेकर भी उन्होंने एक वीडियो बनाया. इसमें हाथ में नीम की दातून लिए बोलीं- यह सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है. वीडियो में कहती नजर आईं कि मैं इन्हें 10 रुपये में बेच रही हूं. उन्होंने लोगों से कहा कि आप भी महाकुंभ जाएं और पावन गंगा मैया में डुबकी लगाएं.

क्रिकेट-बॉलीवुड पर वीडियो

इंस्टाग्राम पर अगर आप उनके वीडियो को देखें तो यकीन नहीं कर पाएंगे कि उन्हें भारतीय संस्कृति का कितना ज्यादा ज्ञान है. वो और भी लोगों को भारतीय संस्कृति के प्रति प्रेरित करती रहती हैं. इसके अलावा वो क्रिकेट और बॉलीवुड को लेकर भी कई वीडियो बनाती हैं.

UP के इस गांव में लड़कों की नहीं हो रही शादी,ऐसा भी क्या हो गया?

उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में एक ऐसा गांव भी है जहां कोई भी अपनी बेटी का ब्याह नहीं करवाना चाह रहा. यहां तक कि गांव वालों के रिश्तेदार भी उनके यहां आने से कतराते हैं. इसके पीछे का कारण है एक छोटा सा कीट. दरअसल, यहां मक्खियां इतनी ज्यादा हैं कि गांव वालों का जीना दुभर हो रखा है. मक्खियों के आतंक के चलते गांव वाले न तो सही से कुछ खा सकते हैं न सो सकते हैं. जब वो खाने के लिए बैठते हैं तो हजारों की तादाद में मक्खियां खाने पर बैठ जाती हैं. इसके चलते बच्चे बीमारी का शिकार हो रहे हैं. गांव वालों का कहना है कि कई बार शिकायत किए जाने पर भी अभी तक किसी अधिकारी ने संज्ञान नहीं लिया है.

हम बात कर रहे हैं नवाबगंज विकासखंड के रूदवारा गांव की. मक्खियों के आतंक से यहां की स्थिति बहुत बदतर गई है. गांववालों का कहना है, जब से गांव में पोल्ट्री फॉर्म खुला है, तब से गंदगी व बदबू के कारण मक्खियां आ गई हैं. इसके चलते जीना दुश्वार हो गया है. लगभग 5 हजार की आबादी वाले गांव के लोग इतना डरे हुए हैं कि खाना-पीना भी मच्छरदानी के अंदर बैठकर करते हैं.

‘मक्खियों के डर से रिश्तेदार आने से कतराते हैं’

गांव की महिलाओं ने बताया कि अब तो गांव में लोग रिश्ता करने के लिए भी तैयार नहीं हैं. जिनकी शादी हो चुकी है वो यहां रहने को तैयार नहीं हैं. मक्खियों के डर से रिश्तेदार आने से कतराते हैं. खाना बनाने के लिए काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है.

‘खानापूर्ति करके चले जाते हैं अधिकारी’

गांववालों का आरोप है कि बिना एनओसी के अवैध तरीके से चल रहे पोल्ट्री फार्म हाउस पर सालों में कोई कार्रवाई नहीं की गई है. अधिकारी आते भी हैं तो बस खानापूर्ति करके वापस चले जाते हैं. पहले तो पोल्ट्री फॉर्म वाले गांव में दवा छिड़कते थे. इससे मक्खियां कम हो जाती थीं. मगर, इधर कुछ सालों से उन्होंने वो भी करना बंद कर दिया है. इसकी शिकायत जब पोल्ट्री फॉर्म हाउस वालों से की तो वो धमकी देते हैं कि जाओ, अब दवा नहीं डालेंगे.

मरी हुई मुर्गियों को खेत में फेंक देते हैं

लोगों का कहना है कि कोई अधिकारी हमारा हाल तक देखने नहीं आता. पोल्ट्री फार्म हाउस से शिकायत की तो उन्होंने कहा कि हमारी कंपनी की वजह से मक्खियां नहीं आती हैं. जबकि गांव का मानना है कि पोल्ट्री फार्म से ही मक्खियां आती हैं. जब यहां मुर्खियां मरती हैं तो उन्हें दफनाया नहीं जाता. बल्कि, खेतों में फेंक दिया जाता है. इसी कारण यहां मक्खियां होती हैं.

Hotel Room में होते हैं हिडन कैमरा, स्मार्टफोन की ये ट्रिक मिनटों में करेगी बेनकाब

भारत में नई जगह को एक्सप्लोर करने का क्रेज तेजी से बढ़ रहा है. अब फूड ब्लॉगर, बाइकर्स और फैमिली नई-नई जगह एक्सप्लोर करने के लिए महीने-दो महीने में वैकेंशन प्लान करते हैं. ये सभी लोग अपनी जर्नी के दौरान आराम करने और रात काटने के लिए होटल बुक करते हैं. आपने अक्सर कई ऐसी खबर पढ़ी और सुनी होगी, जिसमें बताया गया होता है कि फला होटल के रूम में हिडन कैमरा मिला.

अगर आप भी नई जगह एक्सप्लोर करने के लिए जा रहे हैं और रात काटने के लिए होटल बुक कर रहे हैं तो आपको रात में सोने से पहले चेक कर लेना चाहिए कि आपके रूम में हिडन कैमरा तो नहीं है. यहां हम आपको स्मार्टफोन के जरिए हिंडन कैमरा चेक करने की कुछ आसान ट्रिक बताने जा रहे हैं.

स्मार्टफोन की टॉर्च से करें पता

सभी कैमरों में लेंस होता है, ऐसे में ये लाइट को रिफ्लेक्ट करता है. इसलिए रात में होटल रूम की लाइट बंद करके आप मोबाइल की टॉर्च जलाकर उस डायरेक्शन में फोन करें जहां कैमरा छिपा होने की संभावना है. अगर इन जगहों पर कैमरा होता तो आपके मोबाइल की टॉर्च की रोशनी रिफ्लेक्ट होगी.

स्मार्टफोन के कैमरा से करें पता

सभी कैमरों से इन्फ्रारेड (IR) लाइट निकलती है. ये लाइट आंखों से दिखाई नहीं देती है. इसको पता करने के लिए आप स्मार्टफोन के बैक कैमरा का यूज कर सकते हैं. कई बार बैक कैमरा भी IR लाइट का पता नहीं लगा पता. ऐसे में स्मार्टफोन के फ्रंट कैमरा की मदद से इन्फ्रारेड लाइट का पता आसानी से लगाया जा सकता है.

कैमरा-डिटेक्शन ऐप

Android और iOS डिवाइस में यूजर्स को कई ऐसे ऐप मिलते हैं, जिससे आसानी से हिडन कैमरा का पता लगाया जा सकता है. इन ऐप को आप गूगल प्ले स्टोर और ऐप स्टोर से डाउनलोड कर सकते हैं. आपको बता दें ये ऐप हिडन कैमरा का पता इन्फ्रारेड लाइट, चुंबकीय क्षेत्र और असामान्य संकेतों को स्कैन के जरिए करते हैं.

बिहार: 1997 में 2 की हत्या, 27 साल तक चला ट्रायल… अब कोर्ट ने 19 लोगों सुनाई उम्रकैद

बिहार के रोहसास में एक हत्याकांड़ के मामले में एक दो नहीं बल्कि 27 साल बाद कोर्ट ने फैसला सुनाया है. जिसके तहत 19 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है. मामला रोहसास के शिवागर थाना क्षेत्र के आलमपुर गांव का है. इस हत्याकांड के पांच आरोपियों की पहले ही मौत हो चुकी है. वहीं बाकी बचे 19 आरोपियों को जिला जज चतुर्थ अनिल कुमार की कोर्ट ने गुरुवार को सजा का ऐलान किया.

कोर्ट ने सभी आरोपियों पर 50 हजार का जुर्माना भाी लगाया है. साथ ही ये भी कहा गया है कि अगर आरोपी जुर्माना अदा नहीं करते तो उन्हें अतिरिक्त 6 माह की सजा भुगतना पड़ेगा. जिन लोगों को सजा मिली है उनमें अभियुक्तों में उमाशंकर महतो, बलि महतो, संतन महतो, रमेंद्र महतो, अर्जुन महतो, हीरा राम महतो, दशरथ महतो और रामचंद्र महतो शामिल हैं.

कोर्ट ने घटना को बताया जघन्य

इसके अलावा सुनील महतो, राजेश्वर महतो, प्रेमचंद महतो, परमानन्द महतो और विश्वनाथ महतो, अशोक महतो, गुपूत महतो, रामनाथ महतो, अरुण महतो, रामाशीष महतो, उमेश महतो को भी कोर्ट ने उम्र कैद की सजा सुनाई. फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने घटना को जघन्य बताया जो असहाय लोगों के साथ किया गया था. मामले की शिकायत आलमपुर के रहने वाले संजय माली ने स्थानीय थाने में दर्ज कराई थी. सभी आरोपी ग्राम आलमपुर थाना शिवसागर के रहने वाले हैं.

अक्टूबर 1997 का है मामला

घटना अक्टूबर 1997 की है. शिकायतकर्ता संजय के मुताबिक घटना वाले दिन सुबह करीब 6 बजे हथियार से लैस कुछ लोग उसके घर आए और दरवाजे पर उसके चाचा जंगबहादुर माली की बेरहमी के साथ हत्या कर दी. इस दौरान उनके चाचा को बचाने के लिए आए मुनीर माली के साथ जमकर पिटाई की, हालांकि किसी तरह मुनीर अपनी जान बचाकर वहां से फरार हो गया. इस बीच आरोपियों ने विनोद माली को पकड़कर उसकी हत्या कर दी. उन्होंने बताया कि विनोद के सिर को धड़ से अलग कर दिया था और घसीटते ले जाकर धड़ को जगजीवन कैनाल में फेंक दिया. वहीं सिर को जंगल लेकर चले गए.

ट्रायल के दौरान 5 आरोपियों की मौत

इस घटना से इलाके में हड़कंप मच गया था. 20 नामजद के सात अन्य आरोपियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई. जिसके बाद पुलिस ने अपनी तफ्तीश शुरू की. पुलिस ने 27 लोगों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की. हालांकि ट्रायल पीरियड के दौरान 5 आरेपियों की मौत हो गई. मामले में 19 आरोपी ट्रायल का सामना कर रहे थे. सुनवाई के दौरान 9 गवाहों को कोर्ट में पेश किया गया, बचाव पक्ष और अभियोजन पक्ष की दलीलों को सुनने के बाद आखिरकार कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया और आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई.

संभल में भगवान शिव का चमत्कार! जमीन से निकले तीन पत्थर, लोगों में आस्था का संचार

उत्तर प्रदेश के संभल जिले में एक नदी के पास ऐसी घटना घटी, जिसने सभी को हैरान कर दिया. दरअसल, महावा नदी के पास अचानक जमीन से पानी की धारा फूट पड़ी और उसके बीच से तीन पत्थर निकले, जिन्हें लोगों ने शिवलिंग मान लिया.जैसे ही यह खबर फैली, इलाके में सनसनी मच गई और देखते ही देखते वहां भारी भीड़ जुटने लगी. लोग इन पत्थरों को शिवलिंग मानते हुए पूजा-अर्चना करने लगे.

वहां मौजूद कृष्णपाल नामक एक व्यक्ति ने बताया कि मटरू यादव नामक व्यक्ति ने आग की लपटें देखी थीं और जब वह वहां पहुंचे, तो पानी निकल रहा था और तीन पत्थर भी दिखे. कृष्णपाल ने कहा कि उन्होंने पहले कभी इस इलाके में पानी निकलते नहीं देखा था, क्योंकि महावा नदी पिछले 30 साल से सूखी पड़ी थी.

वहीं, मटरू यादव ने भी बताया कि सोमवार रात को उन्होंने नदी के पास से अचानक आग की लपटें देखी, लेकिन जब वह सुबह पहुंचे, तो वहां से पानी निकल रहा था. मिट्टी हटाने पर तीन पत्थर निकले, जिन्हें लोगों ने शिवलिंग मान लिया. इस इलाके में पहले हमेशा काला पानी आता था, अचानक मीठा पानी निकलना एक चमत्कार जैसा लग रहा था.

लोगों का विश्वास

लोगों का मानना है कि ये पत्थर भगवान शिव का रूप हैं. इस शिवलिंग पर लोग दूध और जल चढ़ा रहे हैं और लंबी लाइन लगाकर पूजा कर रहे हैं. एक महिला ने बताया कि उनके नाती को आंखों की समस्या थी, लेकिन शिवलिंग पर माथा टेकने और जल पीने से अब उसकी आंखों की रोशनी में सुधार हुआ है.

बनवीर नामक एक व्यक्ति ने बताया कि जब वह इन पत्थरों को अपने घर ले गए, तो उनके परिवार वालों ने इसका विरोध किया. बाद में, बनवीर ने पत्थरों को उसी स्थान पर वापस रख दिया और भगवान भोलेनाथ से माफी मांगी.

बनवीर ने कहा कि जब वह पत्थरों को वापस रखकर घर गए, तो उन्हें अचानक तेज दर्द महसूस हुआ और उनका सिर भी चकराने लगा. रात को उन्हें कुछ आवाजें सुनाई दीं और उसने खुद को शिवलिंग के पास पाया.

प्रशासन की कार्रवाई

इस घटना की जानकारी प्रशासन को भी दी गई. एसडीएम और नायब तहसीलदार ने मौके पर पहुंचकर जमीन की माप की. संभल के जिलाधिकारी ने बताया कि कुछ लोग नदी के इस क्षेत्र में अपने खेत बना चुके हैं, जिनकी खुदाई की जा रही है.

गांववालों की आस्था

यह घटना गांववासियों की आस्था को और मजबूत कर गई है. अब वहां भजन-कीर्तन हो रहे हैं और आसपास के ठेलेवालों ने अपनी दुकानें भी लगा ली हैं. लोग मानते हैं कि यह भगवान शिव का चमत्कार है, जिन्होंने यहां प्रकट होकर उन्हें आशीर्वाद दिया है.

जयपुर में भीषण सड़क हादसा, बस की चपेट में आने से ईको कार सवार 8 की मौत

राजस्थान की राजधानी जयपुर में गुरुवार की दोपहर भीषण सड़क हादसा हुआ. इस हादसे में कार सवार 8 लोगों की मौत हो गई है. यह हादसा जयपुर से अजमेर जा रही बस की चपेट में आने की वजह से हुआ है. सूचना मिलने पर पहुंची पुलिस ने कार सवार सभी 8 लोगों के शवों को निकालकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा है. बताया जा रहा है कि चलती बस का टायर फटा तो उसका बैलेंस बिगड़ गया. इतने में पास से गुजर रही कार इस बस की चपेट में आ गई.

इस हादसे में कार बुरी तरह से पचक गई है. यह हादसा जयपुर के दूदू इलाके का है. पुलिस के मुताबिक कार सवार सभी लोग भीलवाड़ा से जयपुर आ रहे थे. यह सभी लोग भीलवाड़ा के ही रहने वाले थे. पुलिस ने बताया कि इस हादसे में छह लोग घायल भी हुए हैं. हादसे के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है. बताया जा रहा है कि यह हादसा रोडवेज की बस से हुआ है. यह बस जयपुर से अजमेर जा रही थी.

डिवाइडर कूद कर दूसरी पहुंची बस

अचानक उसका टायर फटा और बस का संतुलन बिगड़ गया. इससे देखते ही देखते यह बस डिवाइडर तोड़ कर रॉन्ग साइड में पहुंच गई. इतने में सामने से आ रही इको कार ने टक्कर मार दिया. मौके पर पहुंचे पुलिस अधिकारियों के मुताबिक प्राथमिक जांच में पता चला है कि ईको कार में सवार होकर 14 लोग गुरुवार की अल सुबह भीलवाड़ा के कोटड़ी से प्रयागराज के लिए चले थे. इन्हें शुक्रवार को महाकुंभ स्नान करना था. इसी बीच यह हादसा हो गया.

शुक्रवार को होगा पोस्टमार्टम

पुलिस के मुताबिक सूचना मिलते ही मौके पर पहुंच कर राहत कार्य शुरू कर दिया गया. चूंकि 8 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी, वहीं 6 लोग गाड़ी के अंदर कराह रहे थे. ऐसे में तत्काल घायलों को निकालकर अस्पताल पहुंचाया गया. वहीं क्रेन की मदद से बस को सड़क से हटाया गया है. पुलिस ने बताया कि सभी घायलों और मृतकों की पहचान कर उनके परिजनों को सूचित कर दिया गया है. शवों का पोस्टमार्टम शुक्रवार को कराया जाएगा.

दिल्ली चुनाव: बीजेपी या AAP, किसी की भी सरकार बने तो मिलेंगी ये मुफ्त सुविधाएं

दिल्ली विधानसभा चुनाव की वोटिंग हो चुकी है और उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में कैद है. चुनाव नतीजे शनिवार को आएंगे, लेकिन चर्चा इस बात की है कि दिल्ली में किसकी सरकार बनेगी. दिल्ली की सत्ता में बीजेपी आएगी या फिर आम आदमी पार्टी का दबदबा कायम रहेगा. दिल्ली में बीजेपी, आम आदमी पार्टी या फिर कांग्रेस, किसी की भी सरकार बने लेकिन दिल्ली वालों की मौज ही मौज रहने वाली है.

दिल्ली विधानसभा चुनाव में इस बार आम आदमी पार्टी ही नहीं बल्कि बीजेपी और कांग्रेस ने भी मुफ्त वाली रेवड़ी देने का वादा कर रखा है. केजरीवाल ने दिल्ली की जनता को फ्री बिजली और पानी के साथ-साथ महिलाओं को हर महीने सम्मान राशि, युवाओं के लिए आर्थिक मदद, ऑटो वालों की मदद जैसे कई ऐलान किए हैं. ऐसे में किसी भी की सरकार बने, लेकिन जनता को मुफ्त में कई योजनाओं का लाभ मिलेगा.

AAP की बनेगी सरकार तो मिलेगा मुफ्त का लाभ

पिछले दो विधानसभा चुनाव में फ्री बिजली-पानी-शिक्षा की गारंटी देने वाले आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने इस बार दिल्ली की जनता को रिझाने के लिए 15 गारंटी दी हैं. दिल्ली में केजरीवाल की सरकार बनी तो पहले की तरह बिजली-पानी फ्री मिलता रहेगा. इसके अलावा महिलाओं को हर महीने 2100 रुपये देने का वादा किया है. बुजुर्गों को मुफ्त इलाज, जिसका सारा खर्च दिल्ली सरकार वहन करेगी.

दिल्ली के मंदिरों के पुजारियों और गुरुद्वारे के ग्रंथियों को हर महीने 18 हजार रुपये मिलेंगे. महिलाओं की तर्ज पर स्टूडेंट्स को भी बसों में मुफ्त सफर की सुविधा और मेट्रो के किराए में भी 50 फीसदी की छूट मिलेगी. दलित समाज के बच्चों का विदेशी यूनिवर्सिटी में एडमिशन होने पर सारा खर्च सरकार उठाएगी. ऑटो-टैक्सी ड्राइवरों को बेटी की शादी के लिए एक लाख रुपये की आर्थिक सहायता मिल सकेगी. इसके अलावा उनके बच्चों को फ्री कोचिंग की सुविधा देने और ऑटो-टैक्सी ड्राइवरों का 10 लाख रुपये तक का लाइफ इंश्योरेंस और 5 लाख रुपए का हेल्थ इंश्योरेंस का लाभ मिलेगा. दिल्ली में किराए पर रहने वाले लोगों को फ्री बिजली और पानी की सुविधा का लाभ मिल सकेगा.

बीजेपी की बनी सरकार तो दिल्ली वालों की मौज

दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने तीन चरणों में वादों का ऐलान किया है. दिल्ली में अगर बीजेपी की सरकार बनती है तो गरीब महिलाओं को 2500 रुपये प्रति महीने में मिलेंगे. इसके अलावा गरीब महिलाओं को 500 रुपये में सिलेंडर मिलेगा और होली-दिवाली पर मुफ्त सिलेंडर मिलेगा. गर्भवती महिलाओं को 21 हजार रुपये की आर्थिक मदद मिलेगी. इसके अलावा दिल्ली के लोगों को 10 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज का लाभ भी मिल सकेगा. बीजेपी ने ऐलान किया था कि पांच लाख रुपये तक इलाज आयुष्मान योजना और बाकी 5 लाख रुपये दिल्ली में बीजेपी की सरकार देगी. ओपीडी सर्विसेज और लैब टेस्ट भी मुफ्त करने का वादा किया है.

दिल्ली में बीजेपी की सरकार बनती है तो 70 साल से कम उम्र के बुजुर्गों की 2500 रुपये और इससे अधिक उम्र के बुजुर्गों की पेंशन हर महीने 3 हजार रुपये होगी. इसके अलावा बीजेपी ने वादा किया है कि उसकी सरकार बनती है तो दिल्ली की 1700 से अधिक अनधिकृत कॉलोनियों में रहने वाले लोगों को मकानों का मालिकाना हक मिलेगा. गिग वर्कर्स और टेक्सटाइल वर्कर्स को 10-10 लाख का जीवन बीमा होगा. दिल्ली में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले युवाओं को 15 हजार रुपये आर्थिक मदद देगी. एससी और एसटी छात्रों को प्रति माह 1000 रुपये की मदद मिलेगी.

दो पटरियों के बीच बना है ये मंदिर, रोज गुजरती हैं एक्सप्रेस ट्रेनें…

गाजीपुर में एक ऐसा मंदिर जिसके दोनों तरफ से रेल पटरी पर ट्रेनें गुजरती रहती हैं. लेकिन फिर भी लोग जान की परवाह किए बगैर इस मंदिर में पहुंचते हैं और पूजा पाठ करते हैं. जी हां यह मंदिर दानापुर रेल मंडल के अंतर्गत आने वाला दिलदारनगर रेलवे स्टेशन पर स्थित है. इस मंदिर का नाम सायर माता मंदिर है. दो पटरियों के बीचोबीच यह मंदिर बना हुआ है. इस मंदिर और रेलपटरी के निर्माण को लेकर कई कहानियां लोगों की जुबान से आज भी सुनने को मिलती हैं.

दिलदार नगर में रेलवे स्टेशन के मध्य दो लाइनों के बीच स्थित सायर माता का मंदिर भक्तों की आस्था का केंद्र है. वैसे तो साल भर इस मंदिर में दर्शन-पूजन के लिए दूर-दराज से भी श्रद्धालुओं के आने का क्रम जारी रहता है. लेकिन सावन और नवरात्र में माता के दर्शन के लिए आने वाले भक्तों की भीड़ काफी बढ़ जाती है. प्लेटफॉर्म नम्बर 3 और 4 के मध्य में स्थित मां का मंदिर आस्था का जीता जागता उदाहरण है.

सायर माता मंदिर की अलौकिक शक्तियां की कहानियां काफी प्रचलित हैं. नवरात्र में माता के भक्त भारी संख्या में दर्शन के लिए पहुंचते हैं. लोग यहां आकर अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए मन्नत मांगते हैं. मन्नत पूरी होने के बाद दोबारा दर्शन के लिए आते हैं. यूपी, बिहार, पश्चिम बंगाल एवं दूर दराज से लाखों श्रद्धालु सायर माता के मंदिर पर दर्शन-पूजन कर अपने तथा अपने परिवार के सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.

मंदिर के पुजारी ने बताया कि माता के चमत्कार को जानने के बाद ग्रामीणों का हुजूम रोजाना दर्शन के लिए पहुंचने लगा. इसके बाद से धीरे-धीरे माता की महिमा का प्रचार-प्रसार दूर-दूर तक होता गया और अब जिले के लोग ही नहीं, वरन पूर्वांचल सहित बिहार, बंगाल और झारखंड प्रांत से भी श्रद्धालु यहां आकर श्रद्धा पूर्वक माता के दर्शन पूजन करते हैं.

भक्त अपनी मुराद पूरी होने पर मां के मंदिर में घंटी बांधते है और मंदिर के फर्श में चांदी का सिक्का जड़वाते है। वर्षों से इस मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है नवरात्र के दिनों में यहां रात्रि जागरण भी होता है। यह मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि लोगों की आस्था का एक जीवंत प्रतीक भी है, जहां श्रद्धालु अपने परिवार की खुशहाली और समृद्धि के लिए आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। रेलवे पटरियों के बीच यह मंदिर सैकड़ो साल से विराजमान है लेकिन आज तक किसी भी दर्शनार्थी के साथ कोई भी घटना नहीं हुई है.

पेड़ काटने का दे दिया आदेश

कहा जाता है कि कई साल पहले जब यहां नई रेल पटरी को बिछाने का काम चल रहा था तो मजदूरों को नीम के पेड़ के नीचे एक मिट्टी की पिंडी दिखाई दी. काम करने वाले मजदूरों ने इसकी सूचना अपने अधिकारी को दी. इंजीनियर ने काम कर रहे मजदूरों की बात अनसुनी करते हुए नीम के पेड़ को काटने का आदेश दिया.

पेड़ काटने वाले मजदूरों की मौत

जब काम करने वाले मजदूरों ने पेड़ काटने के लिए कुल्हाड़ी पेड़ पर चलाई, तो पेड़ के तने से खून जैसा लाल रंग का द्रव्य निकलने लगा. तभी सभी मजदूरों ने ऐसा करने से साफ साफ मना कर दिया. अधिकारी ने दूसरे मजदूरों से फिर इस पेड़ को काटने के लिए कहा. उन्होंने पेड़ काट भी दिया. लेकिन पेड़ काटने वाले सभी मजदूरों और पेड़ कटवाने वाले इंजीनियर के बेटे की उसी रात मौत हो गई. तभी से लोगों ने यहां मंदिर बना दिया.

विमान में भारतीयों का अपमान: हथकड़ी और जंजीर वाले पोस्ट की सच्चाई, जानें क्या है फर्जी और क्या है सच

अमेरिका का सैन्य विमान 104 अवैध अप्रवासी भारतीयों को लेकर पंजाब के अमृतसर में उतरा. जैसे ही फ्लाइट की लैंडिंग हुई सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो गया, जिसमें दावा किया गया कि यात्रा के दौरान लोगों को हथकड़ी लगाई गई और अपमानित किया गया. सरकार ने अब इस मामले पर सफाई दी है और पोस्ट की हकीकत बताई.

पीआईबी फैक्ट चेक के मुताबिक, सोशल मीडिया पर कई अकाउंट से एक फर्जी तस्वीर शेयर की जा रही है, जिसमें दावा किया गया है कि अवैध अप्रवासी भारतीयों को हथकड़ी लगाई गई है और उनके पैरों को जंजीर से बांध दिया गया है. फैक्ट चेक में कहा गया कि इन पोस्ट में शेयर की जा रही तस्वीर भारतीयों से संबंधित नहीं है. इसके बजाय यह ग्वाटेमाला में निर्वासित लोगों को दिखाता है.

वायरल पोस्ट पर क्या बोली कांग्रेस?

सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीर पर कांग्रेस के नेता पवन खेड़ा ने भी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने लिखा, अमेरिका से भारतीयों को हथकड़ी लगाकर और अपमानित करके निर्वासित किए जाने की तस्वीरें देखकर, एक भारतीय होने के नाते हमें दुख होता है. दिसंबर 2013 की वह घटना याद है जब भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागड़े को अमेरिका में हथकड़ी लगाई गई थी और स्ट्रिप सर्च किया गया था. विदेश सचिव सुजाता सिंह ने अमेरिका की राजदूत नैन्सी पॉवेल के सामने कड़ा विरोध दर्ज कराया था. यूपीए सरकार ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी. मीरा कुमार, सुशील कुमार शिंदे और राहुल गांधी जैसे नेताओं ने भारत दौरे पर आए अमेरिकी कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल (जॉर्ज होल्डिंग, पीट ओल्सन, डेविड श्वाइकर्ट, रॉब वुडऑल और मैडेलिन बोर्डालो) से मिलने से इनकार कर दिया था.

उन्होंने आगे लिखा कि डॉ. मनमोहन सिंह ने अमेरिका की इस कार्रवाई को निंदनीय बताया. भारत सरकार ने अमेरिकी दूतावास को दी जाने वाली कई सुविधाएं वापस ले लीं थी , जिनमें दूतावास कर्मियों के लिए खाद्य पदार्थों और शराब के रियायती आयात की अनुमति भी शामिल थी. जॉन केरी ने देवयानी खोबरागड़े के साथ किए गए व्यवहार पर खेद व्यक्त किया था. अमेरिकी प्रशासन ने विदेश सचिव सुजाता सिंह को कॉल कर अमेरिका की ओर से खेद प्रकट किया था.

क्या दावा किया गया?

अमेरिकी विमान से लाए गए 104 निर्वासितों में शामिल जसपाल सिंह ने दावा किया कि पूरी यात्रा के दौरान उन्हें हथकड़ी और पैरों में बेड़ियां बांधी गईं. अमृतसर हवाई अड्डे पर उतरने के बाद ही उन्हें हटाया गया. गुरदासपुर जिले के हरदोरवाल गांव के रहने वाले 36 वर्षीय जसपाल सिंह ने बताया कि 24 जनवरी को अमेरिकी सीमा पार करने के बाद उन्हें अमेरिकी सीमा गश्ती दल ने पकड़ लिया था.

उन्होंने दावा किया, हमने सोचा कि हमें किसी दूसरे शिविर में ले जाया जा रहा है. फिर एक पुलिस अधिकारी ने हमें बताया कि भारत ले जाया जा रहा है. हमें हथकड़ी लगाई गई और पैरों में बेड़ियां डाल दी गईं. इन्हें अमृतसर हवाई अड्डे पर खोला गया.

अमेरिका से डिपोर्ट किए गए भारतीय अप्रवासी की दर्दभरी कहानी: 40 घंटे तक हथकड़ी और जंजीरों में बंधे रहे

अमेरिका ने भारत के 104 अवैध अप्रवासियों को भारत भेज दिया है. इन 104 लोगों की कहानियां भारत से अमेरिका पहुंचने तक की जितनी दर्दनाक है, उतनी ही दर्दनाक कहानी इनकी यहां वापस लाए जाने की है. अमेरिका से रवाना हुआ सी-17 विमान बुधवार को अमृतसर पहुंचा, लेकिन इस विमान में सवार 104 अवैध अप्रवासी भारतीयों ने अपनी जिंदगी के सबसे मुश्किल 40 घंटे बिताए.

सी-17 विमान में सवार हरविंदर सिंह ने अपनी जिंदगी के वो 40 घंटों की कहानी बताई. पूरे 40 घंटे तक उनके हाथों में हथकड़ी बंधी थी. पैरों को चैन से बांधा गया था और यहां तक उन पर सख्ती की गई कि वो लोग इन 40 घंटों में वॉशरूम जाने तक के लिए बिनती करते रहे, इन लोगों को 1-2 नहीं बल्कि पूरे 40 घंटे तक अपनी सीट से एक इंच हिलने तक की इजाजत नहीं थी.

किसी जहन्नुम से कम नहीं थे 40 घंटे”

हरविंदर सिंह की उम्र 40 साल है और वो पंजाब के टाहली गांव के रहने वाले हैं. विमान में बैठे हुआ हरविंदर सिर्फ उन 40 घंटों के दर्द पर आंसू नहीं बहा रहे थे बल्कि पत्नी और बच्चों से किए बेहतर जिंदगी देने के वादे को टूटता देख वो बिखर रहे थे. अपना सब कुछ दांव पर लगा कर एक बेहतर जिंदगी की आस में वो अमेरिका गए थे, लेकिन अब उन के पास कुछ नहीं बचा.

हरिवंदर सिंह ने अमेरिका से भारत आने के सफर को लेकर कहा, वो सफर जहन्नुम में जाने से भी बदतर था. उन्होंने बताया, इन पूरे 40 घंटे उनके हाथों से हथकड़ी नहीं खोली गई और वो ढंग से खाना तक नहीं खा सके. उन्होंने कहा, हम से हथकड़ी पहने हुए ही खाना खाने के लिए कहा गया. हम ने लगातार उन से हथकड़ी खोलने के लिए कहा, हम बार-बार खाना खाने के लिए हथकड़ी खोलने के लिए कहते रहे, लेकिन किसी ने हमारी एक नहीं सुनी.

उन्होंने कहा, न सिर्फ यह सफर जिस्मानी रूप से उन के लिए दर्दभरा था, लेकिन मेंटल तौर पर भी उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक फैसले ने कई लोगों की जिंदगी को हिला कर रख दिया. हरविंदर सिंह ने कहा, वो इन 40 घंटों में एक पल के लिए भी अपनी आंखें बंद नहीं कर सके, शायद अपने परिवार के लिए देखे गए खूबसूरत ख्वाब उन्हें सोने नहीं दे रहे थे. उन्हें एक पल के लिए भी इसीलिए नींद नहीं आई क्योंकि वो लगातार उन वादों के बारे में सोच रहे थे जो उन्होंने अपने परिवार से किए थे मगर वो अब कभी पूरे नहीं हो सकते.

आखिर क्यों गए थे अमेरिका?

हरविंदर सिंह 8 महीने पहले डंकी रूट से अमेरिका गए थे. सवाल उठता है कि वो क्यों अमेरिका गए थे. चलिए आपको इस सवाल का जवाब बताते हैं और हरविंदर सिंह की दर्दभरी कहानी बताते हैं. हरविंदर और उनकी पत्नी कुलजिंदर कौर की शादी को 13 साल हो गए हैं. कपल के दो बच्चे हैं, एक बेटा और एक बेटी. यह परिवार मवेशियों का दूध बेचकर अपना घर चलाते थे, लेकिन गुजारा करना मुश्किल हो रहा था. फिर एक रिश्तेदार के जरिए उन्हें अमेरिका जाने और बेहतर जिंदगी के ख्वाब दिखाए गए. परिवार ने तय किया कि इस गरीबी से निकलने के लिए हरविंदर सिंह अमेरिका जाएंगे.

मगर हरविंदर सिंह के एक दूर के रिश्तेदार ने उन्हें 42 लाख रुपये के बदले डंकी रूट से नहीं बल्कि 15 दिनों में कानूनी रूप से अमेरिका ले जाने की पेशकश की. 42 लाख रुपये की बड़ी रकम इकट्ठी करने के लिए परिवार ने अपनी एक मात्र जमीन एक एकड़ जमीन गिरवी रख दी और भारी ब्याज दरों पर पैसे ले लिए.

पत्नी कुलजिंदर कौर ने कहा, हमारे साथ धोखा हुआ. हम से जो वादा किया गया था वो पूरा नहीं किया गया. पिछले 8 महीने तक मेरे पति को कई देशों के बीच इधर-उधर घुमाया जाता रहा. उन्हें मोहरे की तरह एक जगह से दूसरी जगह तक पहुंचाया गया.

ट्रेवल एजेंट पर दर्ज कराई F.I.R

हरविंदर ने अमेरिका में कई परेशानियों का सामना किया, लेकिन वो लगातार अपने परिवार के संपर्क में रहे और वीडियो बना कर भेजते रहे. उन्होंने आखिरी बार अपनी पत्नी से 15 जनवरी को बात की थी. पत्नी कुलजिंदर को गांव वालों से इस बात का पता चला था कि जिन 104 भारतीय अवैध अप्रवासियों को अमेरिका से भारत डिपोर्ट किया जा रहा है उन में हरविंदर भी शामिल है. इसी के साथ पत्नी ने कहा कि उन्होंने अपने उस दूर के रिश्तेदार के खिलाफ F.I.R भी दर्ज कराई है.