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बसंत पंचमी से शुरू होगी महाकुंभ की सबसे कठिन तपस्या, 350 साधु रोज करेंगे 16 घंटे का कठोर तप

प्रयागराज में इस वक्त महाकुंभ की धूम बरकरार है. देश-दुनिया से श्रद्धालुओं का गंगा स्नान के लिए आना लगा हुआ है. इस बीच वैष्णव परंपरा के तपस्वी वसंत पचंमी से कुंभनगरी में परंपरागत सबसे कठिन साधना शुरू करने वाले हैं. खाक चौक में इसे लेकर तैयारियां भी शुरू हो चुकी हैं. 350 साधक इस बार खप्पर तपस्या करेंगे. धूनी साधना की खप्पर तपस्या सबसे आखिरी श्रेणी की होती है. इसके आधार पर ही अखाड़े में साधुओं की वरिष्ठता तय होती है.

वैष्णव परंपरा में श्रीसंप्रदाय (रामानंदी संप्रदाय) में धूना तापना सबसे बड़ी तपस्या मानी जाती है. पंचांग के मुताबिक यह तपस्या आरंभ होती है. तेरह भाई त्यागी आश्रम के परमात्मा दास ने बताया कि सूर्य उत्तरायण के शुक्ल पक्ष से यह तपस्या आरंभ की जाती है. तपस्या से पहले साधक निराजली व्रत रखता है. इसके बाद धूनी में बैठते हैं. छह चरण में तपस्या पूरी होती है. इन छह चरणों में पंच, सप्त, द्वादश, चौरासी, कोटि एवं खप्पर श्रेणी होती है. हर श्रेणी तीन साल में पूरी होती है. इस तरह तपस्या पूरी करने में 18 साल का समय लगता है.

क्या कहना है दिगंबर अखाड़े का

दिगंबर अखाड़े के सीताराम दास का कहना है सभी छह श्रेणी में तपस्या की अलग-अलग रीति होती है. सबसे प्रारंभिक पंच श्रेणी होती है. साधुओं के दीक्षा लेने के बाद उनकी यह शुरुआती तपस्या होती है. इसमें साधक पांच स्थान पर आग जलाकर उसकी आंच के बीच बैठकर तपस्या करते हैं. दूसरी श्रेणी में सात जगह पर आग जलाकर उसके बीच बैठकर तपस्या करनी होती है. इसी तरह द्वादश श्रेणी में 12 स्थान, 84 श्रेणी में 84 स्थान और कोटि श्रेणी में सैकड़ों स्थान पर जल रही अग्नि की आंच के बीच बैठकर तपस्या करनी होती है.

सबसे कठिन साधना है खप्पर तपस्या

खप्पर श्रेणी की तपस्या सबसे कठिन होती है. परमात्मा दास के मुताबिक सिर के ऊपर मटके में रखकर अग्नि प्रज्वलित की जाती है. इसकी आंच के मध्य में साधक को रोजाना 6 से 16 घंटे तक तपस्या करनी होती है. बसंत से गंगा दशहरा तक यह चलती है. तीन साल तक यह क्रम चलता है. इसके पूरा होने के बाद साधक की 18 साल लंबी तपस्या पूरी मानी जाती है. उनका कहना है अखाड़ों, आश्रम समेत खालसा में इसकी तैयारियां आंरभ हो गई हैं. दिगंबर, निर्मोही एवं निर्वाणी समेत खाक चौक में करीब साढ़े तीन सौ तपस्वी यह कठिन साधना करेंगे जबकि अन्य साधक अपने अन्य चरण की तपस्या करेंगे.

कई संत दोबारा करते हैं खप्पर तपस्या

खाक चौक के तपस्वियों में इस साधना के साथ ही उनकी वरिष्ठता भी संत समाज के बीच तय होती है. तमाम साधक महाकुंभ से अपनी साधना आरंभ करते हैं. उनकी शुरूआत पंच धूना से होती है. इसी तरह क्रम आगे बढ़ने पर खप्पर श्रेणी आती है, जो कि आखिरी होती है. खप्पर श्रेणी के साधक को ही सबसे वरिष्ठ मानते हैं. कई साधक खप्पर तपस्या पूरी होने के बाद दोबारा से भी तपस्या आरंभ करते हैं.

महाकुंभ में अमृत स्नान करने से चूका, अब रेलवे से मांग रहा 50 लाख का जुर्माना

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरपुर से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है. यहां एक वकील ने मौनी अमावस्या पर अमृत स्नान नहीं कर पाने पर रेलवे से 50 लाख का हर्जाना मांगा. राजन झा नाम के व्यक्ति ने मुजफ्फरपुर से प्रयागराज जाने लिए अपने लिए और परिवार के दो अन्य सदस्यों के लिए स्वतंत्रता सेनानी ट्रेन के थर्ड में टिकट बुक कराई थी, लेकिन रेलवे की बदइंतजामी के कारण वह अपने कोच तक नहीं पहुंच पाए, जिसके बाद उन्होंने रेलवे से हर्जाना मांगा है.

मुजफ्फरपुर के एक वकील ने रेलवे से 50 लाख का हर्जाना मांगा. राजन झा नाम के व्यक्ति ने वकील के जरिये हर्जाना का मांग की है. राजन ने मौनी अमावस्या के मौके स्नान करने के लिए 27 जनवरी 2025 को मुजफ्फरपुर से प्रयागराज जाने के लिए स्वतंत्रता सेनानी ट्रेन के थर्ड एसी में तत्काल टिकट कराया था. एसी कोच के B3 में सीट नंबर 45, 46 और 47 नंबर की सीट पर बैठ कर उन्हें अपने सास-ससुर के साथ जाना था.

‘अंदर से बंद था दरवाजा’

ट्रेन रात के 9 बजकर 30 मिनट पर खुलनी थी, लेकिन राजन अपने सास-ससुर के साथ ढाई घंटे पहले यानी 7 बजे ही स्टेशन पहुंच गया था. राजन ने बताया कि जिस ट्रेन के जिस कोच में मेरी सीट थी, उसका दरवाजा अंदर से बंद था. महाकुंभ में स्नान के लिए जाने वाले यात्रियों से स्टेशन खचाखच भरा हुआ था. स्टेशन पर अफरा तफरी का माहौल था. राजन ने बताया कि रेलवे की बदइंतजामी के कारण वह और उनका परिवार कोच तक नहीं पहुंच सका और जिस कारण उनकी ट्रेन छूट गई.

रेलवे से मांगा 50 लाख का हर्जाना

राजन ने इस मामले में वकील एसके झा के जरिए रेलवे से 50 लाख के हर्जाने की मांग की है. मामले की जानकारी देते हुए वकील एसके झा ने बताया कि यह उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत सेवा की कमी की मामला है, जिसमें रेलवे की लापरवाही नजर आ रही है. राजन को अपने परिवार के साथ अमृत स्नान के लिए जाना था, लेकिन कोच का गेट न खुलने के कारण वह अपने गंतव्यपर नहीं पहुंच पाए

इस गांव में था एक ही पुरुष… मौत हुई तो महिलाओं ने बनाई अर्थी, बेटियों ने दफनाया, जानें पूरी मामला

झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले से हैरान करने वाला मामला सामने आया है. यहां के एक गांव में केवल एक पुरुष बचा था और उसकी भी बीमारी के चलते मौत हो गई. गांव की महिलाओं ने अर्थी बनाई. मृतक की बेटियों ने उसे कांधा दिया और पत्नी अंतिम यात्रा में साथ चली. सभी ने मिलकर उसका अंतिम संस्कार किया. गांव के सभी पुरुष मजदूरी के लिए केरल और तमिलनाडु रहते हैं. वह मुश्किल से गांव आ पाते हैं.

जिले के घाटशिला थाना अंतर्गत कालचिती पंचायत का गांव रामचन्द्रपुर में 40 साल के जुंआ सबर की मौत हो गई. वह गांव के अकेला पुरुष था. गांव की महिलाओं ने उसका अंतिम संस्कार किया. गांव बेहद पिछड़ा और यहां के लोग मजदूरी पर निर्भर हैं. गांव में सबर जाति के लोग रहते हैं. उनकी संख्या में लगातार घटती जा रही है. हालत काफी दयनीय हैं. लोग विस्थापितों की तरह जीवन यापन करते हैं. जुंआ सबर की मौत से उसके परिजनों समेत पूरे गांव में मातम पसरा हुआ है.

गांव में रहते हैं 28 परिवार

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, गांव रामचन्द्रपुर जंगलों की बीच बसा हुआ है. यहां सबर जाति के करीब 28 घर हैं, जिनमें करीब 80-85 लोग रहते हैं. गांव के करीब 20 पुरुष मजदूरी के लिए दूसरे राज्यों में रहते हैं. गांव में पुरुषों में केवल जुंआ सबर रहता था. पिछले दिनों वह बीमार हो गया, जिसके कारण उसकी मौत हो गई. गांव में कोई पुरुष नहीं था, इसलिए गांव की महिलाओं ने उसका अंतिम संस्कार किया. पहले महिलाओं ने अर्थी तैयार की फिर जुंआ सबर की शव यात्रा निकाली.

बेटियों ने दिया कंधा, पत्नी हुई शवयात्रा में शामिल

मृतक ने दो शादियां की थीं. पहली पत्नी की पूर्व में मौत हो चुकी थी. उसकी बेटियों ने अपने पिता की अर्थी को कांधा दिया. शव यात्रा में उसकी दूसरी पत्नी साथ चली. वहीं, बेटियों ने अन्य महिलाओं के सहयोग से गड्ढा खोदकर शव को दफनाया. बताया जाता है कि मृतक जुंआ सबर का 17 वर्षीय बेटा तमिलनाडु में मजदूरी करता है. वहीं, उसका 10 वर्षीय बेटा रिश्तेदारी में था.

इंस्टा-यूट्यूब पर अब ज्ञान देना पड़ेगा भारी, SEBI ने जारी किया सर्कुलर

SEBI ने हाल ही में एक सर्कुलर जारी करते हुए इस बात को साफ कर दिया है कि रजिस्टर लोग अब फिनफ्लुएंसरों के चैनल पर बैठकर लोगों को सोशल मीडिया पर शेयर मार्केट से जुड़ा ज्ञान नहीं दे सकते हैं. सेबी के इस नए नियम से अब फिनफ्लुएंसरों को करारा झटका लगा है.

सेबी ने अब इस मामले में बातों को और भी ज्यादा स्पष्ट करते हुए बताया है कि शेयर बाजार की शिक्षा देने वाले लोग बाजार की मौजूदा कीमतों के बारे में जानकारी नहीं दे सकते हैं. फिनफ्लुएंसर उन लोगों को कहा जाता है जो लोग सोशल मीडिया जैसे कि इंस्टाग्राम और यूट्यूब के जरिए वित्तीय जानकारी देकर लोगों को शेयर मार्केट से जुड़ा ज्ञान देते हैं.

फिनफ्लुएंसर को झटका

फिनफ्लुएंसर पहले इंस्टा और यूट्यूब पर बेधड़क शेयर मार्केट से जुड़ा ज्ञान देते नजर आते थे, लेकिन जब से सेबी ने नियमों को सख्त किया है तब से ये लोग ज्ञान तो देते हैं लेकिन वीडियो में इस बात को साफ कर देते हैं कि हम कोई बाय या सेल की कॉल नहीं दे रहे हैं. लेकिन अब ऐसा करना भी इन लोगों के लिए मुश्किल हो जाएगा.

फिनफ्लुएंसर्स जो सेबी रजिस्टर नहीं है उन लोगों पर गाज गिरी है, सेबी के नए सर्कुलर से ये बात साफ हो गई है कि अब ऐसे लोग सोशल मीडिया के जरिए लोगों को शेयर बाजार शिक्षा की आड़ में निवेश की सलाह नहीं पाएंगे. सर्कुलर में कहा गया है कि इंवेस्टर एजुकेशन पर प्रतिबंध नहीं है, लेकिन लोगों को यह सुनिश्चित करना होगा कि सेबी पंजीकरण के बिना निवेश की सलाह न दें या सेबी की अनुमति के बिना परफॉर्मेंस संबंधी दावे न करें.

इंफ्लूएंसर को लेकर है नियम

जो लोग फाइनेंशियल सर्विस या फिर शेयर मार्केट से जुड़ी एडवाइस देते हैं उन लोगों को खुद को SEBI के पास रजिस्टर करना होता है. इसके बाद एक कोर्स होता है जिसे पास करने के बाद सेबी रजिस्टर्ड लोगों को एक सर्टिफिकेट मिलता है. अगर आप सेबी रजिस्टर नहीं है और आप सोशल मीडिया पर शेयर मार्केट से जुड़ा ज्ञान दे रहे हैं या फिर लोगों को किसी शेयर को खरीदने की सलाह दे रहे हैं तो आप सेबी के रडार पर आ सकते हैं.

दिल्ली की सियासत में बिहार के 5 दिग्गज: जानें कौन हैं ये नेता और क्या है उनकी राजनीतिक पारी

दिल्ली देश की राजधानी है और यहां की सियासत कई उलटफेरों की गवाह रही है, लेकिन बिहार से आने वाले 5 ऐसे नेता भी हैं, जो लंबे वक्त से दिल्ली की सियासत में अंगद की तरह पांव जमाए हुए हैं. चुनाव में हार हो या जीत हो, इन नेताओं का सियासी दबदबा बना रहता है.

दिलचस्प बात है कि इनमें से 4 नेता इस बार भी दिल्ली के दंगल में उतरे हुए हैं. वहीं एक नेता ने अपनी विरासत अपने बेटे के जिम्मे सौंप दी है. दिल्ली चुनाव 2025 के इस स्पेशल स्टोरी में इन्हीं 5 नेताओं की कहानी विस्तार से पढ़ते हैं…

महाबल मिश्रा- बिहार के मधुबनी में जन्मे महाबल मिश्रा ने दिल्ली को 1980 के दशक में दिल्ली को अपना कर्म भूमि बना लिया. पढ़ाई-लिखाई के बाद महाबल मिश्रा को सेना में नौकरी मिली, लेकिन 1982 में वे वहां से रिटायरमेंट लेकर राजनीति में सक्रिय हो गए. 1997 में महाबल मिश्रा पहली बार पार्षद चुने गए

1998 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने नसीरपुर सीट से महाबल मिश्रा को विधायकी का टिकट दिया. महाबल जीतने में कामयाब रहे. महाबल ने इसके बाद सियासत में पीछे मुड़कर नहीं देखा. एक वक्त में पूर्वांचल के बड़े नेताओं में महाबल की गिनती होती थी. महाबल शीला दीक्षित के करीबी थे.

2009 में महाबल लोकसभा भी पहुंचे, लेकिन 2014 के लोकसभा और 2015 के विधानसभा चुनाव में बुरी तरह हार गए. महाबल ने इसके बाद पाला बदल लिया. पहले बेटे को आम आदमी पार्टी में भेजा और फिर खुद आ गए. 2024 के लोकसभा चुनाव में महाबल मिश्रा को आप ने पश्चिमी दिल्ली से उम्मीदवार भी बनाया.

हालांकि, बीजेपी के कमलजीत सहरावत से वे जीत नहीं पाए. इस चुनाव में महाबल के बेटे विनय मिश्रा द्वारका से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार हैं. चुनाव आयोग में दाखिल हलफनामे के मुताबिक महाबल मिश्रा के पास करीब 45 करोड़ रुपए की संपत्ति है. वहीं उनके बेटे विनय के पास करीब 8 करोड़ रुपए की संपत्ति है.

बंदना कुमारी- बिहार के समस्तीपुर में जन्मीं बंदना की शुरुआती पढ़ाई-लिखाई मुजफ्फरपुर में हुई है. अन्ना आंदोलन के जरिए बंदना राजनीति में आईं. उस वक्त उनके पास महिला विंग की कमान थी. 2013 में बंदना को आम आदमी पार्टी ने शालीमार बाग सीट से उम्मीदवार बनाया.

बंदना ने यहां से जीत दर्ज कर ली. 2015 और 2020 के चुनाव में भी बंदना ने शालीमार सीट से जीत हासिल की. बंदना दिल्ली विधानसभा की उपाध्यक्ष भी रही हैं. बंदना को आप ने फिर से शालीमार बाग से मैदान में उतारा है. 50 साल की बंदना के पास करीब 10 करोड़ रुपए की संपत्ति है.

संजीव झा- अन्ना आंदोलन से राजनीति में आने वाले संजीव झा भी बिहार के मधुबनी जिले के मूल निवासी हैं. संजीव झा दिल्ली के बुरारी सीट से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार हैं. 2013 के चुनाव में संजीव को आप ने बुरारी सीट से प्रत्याशी बनाया था. संजीव ने इस चुनाव में बीजेपी के श्री किशन को पटखनी दी थी.

झा 2015 और 2020 के चुनाव में भी बुरारी सीट से जीत कर सदन पहुंचे. झा आम आदमी पार्टी के बिहार प्रभारी भी हैं. संजीव झा को आम आदमी पार्टी के टॉप लीडरशिप का करीबी माना जाता है.

संजीव झा ने अपनी शुरुआती पढ़ाई-लिखाई मधुबनी से ही की है. 2012 में आप के गठन के वक्त में पार्टी में आ गए. इसके बाद से वे लगातार आप में ही सक्रिय हैं.

अनिल झा- दिल्ली के सियासी रण में अनिल झा भी काफी सालों से सक्रिय हैं. झा भी बिहार के मधुबनी के ही रहने वाले हैं. 2008 में झा पहली बार विधायक चुने गए थे. अनिल झा इस बार आम आदमी पार्टी के सिंबल पर किराड़ी सीट से उम्मीदवार हैं.

अनिल छात्र राजनीति से सक्रिय राजनीति में आए हैं. 1997 में अनिल ने दिल्ली छात्रसंघ के चुनाव में अध्यक्ष पद पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के टिकट पर जीत हासिल की थी. अनिल इसके बाद बीजेपी की सक्रिय राजनीति में आ गए.

2008 में अनिल पहली बार विधायकी जीते. 2013 में भी उन्हें जीत मिली लेकिन अनिल 2015 और 2020 में आप के ऋतुराज गोविंद से चुनाव हार गए. आप के टिकट पर अनिल को इस बार जीत की उम्मीद है.

सोमनाथ भारती- वकालत से राजनीति में आने वाले सोमनाथ भारती भी बिहार के नवादा जिले के रहने वाले हैं. सोमनाथ को आम आदमी पार्टी ने मालवीय नगर सीट से उम्मीदवार बनाया है. सोमनाथ इस सीट से लगातार 3 बार से जीत दर्ज कर रहे हैं.

भारती दिल्ली सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं. 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्हें आप ने नई दिल्ली सीट से उम्मीदवार बनाया था, जहां वे काफी क्लोज मुकाबले में चुनाव हार गए. भारती को आप हाईकमान का करीबी माना जाता है.

जिस काम के लिए 2 साल से काट रहा था चक्कर, कानपुर DM के आदेश पर 2 मिनट में हुआ

एक पुरानी कहावत है कि सरकारी विभागों के चक्कर काटते काटते जूते घिस जाते हैं. यह बात आम जनता को तो अच्छे से पता है, लेकिन गुरुवार को इसका उदाहरण खुद शहर के जिलाधिकारी को देखने को मिला. शहर का एक उद्यमी अपने जायज काम के लिए सरकारी दफ्तर के दो साल से चक्कर काट रहे थे. हर बार एक नया बहाना बनाकर उनको टरका दिया जाता था, लेकिन जब मामला डीएम के सामने आया और उन्होंने संबंधित अधिकारी को फटकार लगाई तो वही काम दो मिनट में हो गया. इतनी तेजी देखकर खुद डीएम भी हैरान रह गए.

कानपुर में उद्योग बंधु की कुछ समय पहले बैठक चल रही थी. उसमें शहर के उद्यमी मोहित गुप्ता ने डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह को अवगत कराया कि बिल्हौर तहसील में उनका एक मामला तकरीबन दो साल से लंबित है. सभी आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध कराने के बावजूद उनको दौड़ाया जा रहा है. दरअसल, उनके पिता की मृत्यु वर्ष 2022 में हुई थी. पिता के स्थान पर अभिलेखों में उनका नाम निदेशक के रूप में अंकित किया जाना था. इस संबंध में रजिस्ट्रार ऑफ कंपनी (आरओसी) भी 2022 में तहसील में प्राप्त कराई गई थी. इसके बावजूद आज तक यह काम नहीं हो पाया.

उद्यमी मोहित गुप्ता को ऑफिस बुलाया था

गुरुवार को डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह ने उद्यमी मोहित गुप्ता को अपने ऑफिस बुलाया. इसके बाद डीएम ने तहसीलदार बिल्हौर को आदेश दिया कि इस मामले का तत्काल नियमानुसार निस्तारण किया जाए. सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि निस्तारण करने के बाद उनको अवगत भी कराया जाए.

DM के आदेश पर 2 मिनट में हो गया काम

डीएम के इस आदेश के बाद बिल्हौर तहसील में हड़कंप मच गया. आनन-फानन में मोहित गुप्ता के मामले का निस्तारण करके डीएम को अवगत कराया गया. जो काम दो साल से नहीं हो रहा था वो काम दो मिनट में होता देख खुद डीएम भी हैरान रह गए. उद्यमी मोहित गुप्ता ने इसके लिए डीएम का आभार भी व्यक्त किया.

30 मौतों का जिम्मेदार कौन? नपेंगे अधिकारी, मुख्य सचिव और DGP ने दे दिए संकेत

महाकुंभ हादसे के बाद तीन अधिकारी चर्चा के केंद्र में हैं. पहला नाम महाकुंभ डीएम विजय किरण आनंद का है, दूसरा- महाकुंभ SSP राजेश द्विवेदी और तीसरा- महाकुंभ के कमिश्नर विजय विश्वास पंत का. इन तीन में से दो अधिकारी कमिश्नर और एसएसपी महाकुंभ भगदड़ को लेकर सवालों के घेरे में हैं. गुरुवार को महाकुंभ हादसे वाली जगह को देखने के लिए डीजीपी प्रशांत कुमार और मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह मेला क्षेत्र पहुंचे और बारीकि से निरीक्षण किया.

डीजीपी प्रशांत कुमार और मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने संगम नोज पर कल जहां भगदड़ हुई, वहां पिलर नंबर-158 पर जाकर दौरा किया और समझने की कोशिश की कि कल भगदड़ कैसे हुई? हालांकि महाकुंभ के SSP राजेश द्विवेदी कल ही साफ कर चुके हैं कि कोई भगदड़ नहीं हुई. डीजीपी और मुख्य सचिव ने वॉच टावर पर चढ़कर पूरे इलाके को DIG वैभव कृष्ण से समझने की कोशिश की और कल की घटना पर पूरी जानकारी हासिल की.

SSP महाकुंभ के ऑफिस में हुई समीक्षा बैठक

इसके बाद दोनों अधिकारी डीजीपी प्रशांत कुमार और मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह SSP महाकुंभ के ऑफिस में पहुंचे और बैठक की. सूत्रों के मुताबिक, मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने प्रयागराज हादसे के बाद समीक्षा बैठक में कमिश्नर के बयान का जिक्र किया. बता दें कि महाकुंभ कमिश्नर विजय विश्वास पंत ने संगम क्षेत्र में आए श्रद्धुलाओं से अनाउंसमेंट के जरिए कहा था कि यहां से उठ जाओ नहीं तो भगदड़ हो जाएगी. कमिश्नर का यह बयान बेहद वायरल हुआ था.

बैठक में कमिश्नर विजय विश्वास पंत के बयान का जिक्र

अधिकारियों की बैठक में हादसे के लिए इस बयान की भूमिका का भी जिक्र किया गया. बता दें कि हादसे वाली जगह पर टीवी9 डिजिटल की टीम कमिश्नर विजय विश्वास पंत से इस बयान पर जवाब मांगा था, लेकिन सवालों को सुनकर विजय विश्वास पंत ने मुंह घुमा लिया था और जवाब नहीं दिया. वहीं टीवी9 डिजिटल के संवाददाता ने एसएसपी राजेश द्विवेदी से उनके बयान पर सवाल किया. 10 बार पूछा कि भगदड़ हुई या नहीं, लेकिन कोई जवाब नहीं दिया.

वहीं महाकुंभ में SSP ऑफिस में डीजीपी और मुख्य सचिव की अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक खत्म होने के बाद टीवी9 डिजिटल के संवाददाता ने मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह से एक्सक्लूसिव बातचीत की और हादसे को लेकर कई सवाल-जवाब किए…

सवाल- भगदड़ को लेकर महाकुंभ के अधिकारियों के साथ बैठक में क्या निकला?

जवाब- अभी तो बैठक हुई है. बैठक में हुई बातचीत की जानकारी आपको दी जाएगी.

सवाल- भगदड़ के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर क्या कार्रवाई होगी?

जवाब- ज्यूडीशियल इन्वेस्टिगेशन चल रही है. उसके बाद जरूर कार्रवाई करेंगे.

सवाल- SSP महाकुंभ ने कहा था कि भगदड़ नहीं हुई, क्या भगदड़ जैसी कोई घटना हुई थी?

जवाब- ज्यूडीशियल इन्वेस्टिगेशन की जांच रिपोर्ट जब निकलकर आएगी तो इसका भी जवाब मिलेगा.

सवाल- भगदड़ में मारे गए लोगों की कोई लिस्ट जारी नहीं की गई है?

जवाब- मुख्य सचिव ने इस सवाल का कोई जवाब नहीं दिया.

हादसे को लेकर क्या बोले डीजीपी प्रशांत कुमार?

वहीं डीजीपी प्रशांत कुमार के साथ भी टीवी9 के संवाददाता ने एक्सक्लूसिव बातचीत की. सवाल किया गया कि क्या आप कोई एक्शन अधिकारियों पर लेंगे?

इस पर डीजीपी ने कहा कि ज्यूडीशिल इन्वेस्टिगेशन चल रही है. उसके बारे में अभी से कैसे बताएं. जांच तो हो जाने दीजिए. मीडिया से भी इसको लेकर बात करेंगे. कुल मिलाकर प्रयागराज हादसे पर फिलहाल सरकार कोई एक्शन नहीं लेगी. ज्यूडीशियल इन्क्वायरी की रिपोर्ट के बाद भी किसी एक्शन लेने के मूड में सरकार है.

महाकुंभ में भगदड़ का दर्दनाक मंजर: बेटी ने मां के साथ ली आखिरी सेल्फी, फिर मिली लाश

प्रयागराज महाकुंभ में हुई भगदड़ में एमपी के छतरपुर जिले के बकस्वाहा ब्लॉक में सुनवाहा गांव की एक श्रद्धालु की मौत हो गई. जबकि उनकी बेटी घायल है. यूपी प्रशासन ने महिला के शव एवं परिजनों को बकस्वाहा के लिए रवाना कर दिया है. वहीं भगदड़ में जान गवाने वाली महिला की बेटी ने कहा कि जब भी आंखें बंद करती हूं तो भगदड़ का मंजर दिखाई देता है.

बकस्वाहा के तहसीलदार भरत पांडेय ने महिला श्रद्धालु हुकुमबाई (45) पति स्व. रमेश लोधी निवासी सुनवाहा की मौत की पुष्टि करते हुए शासन से स्वेच्छानुदान मद से सहायता उपलब्ध कराने की बात कही है. जानकारी के अनुसार सुनवाहा गांव से 15 श्रद्धालु ट्रेन से प्रयागराज के लिए रवाना हुए थे. वहां मंगलवार को देर रात भगदड़ से हादसा हो गया. तहसीलदार के मुताबिक, परिवार के अन्य सदस्य सुरक्षित हैं. इसी परिवार के रतन भी घायल हुए हैं.

हुकुमबाई के परिजन नारायण सिंह ने कहा कि हम महाकुंभ के लिए 15 से 16 लोग सुनवाहा गांव से 27 जनवरी सोमवार की दोपहर 1.30 बजे कुरैशी बस से रवाना हुई थे. हमारी टोली में 7 महिलाएं, 7 पुरुष व एक बेटी दीपा थी. दमोह में रात 9 बजे प्रयागराज के लिए ट्रेन मिली. 28 जनवरी की सुबह करीब साढ़े 10 बजे हम सभी प्रयागराज पहुंचे और कुंभ के स्थान से करीब दो किलोमीटर दूर खंबा नंबर 47 के पास रुके हुए थे. मंगलवार की सुबह कुंभ के नैनी स्थान में नहाया और नहाने के बाद अपने स्थान पर वापस आ गए थे. इसके बाद मंगलवार, बुधवार की दरमियानी रात करीब एक बजे पुलिस ने हमें अपने स्थान से उठने के लिए बोला व स्नान करने जाने के लिए कहा. जब हम सभी रास्ते में जा रहे थे, तभी भीड़ ज्यादा होने की वजह से 7 से 8 लोग बिछड़ गए.

देखते ही देखते मची भगदड़

खंभा नंबर 155 के पास भीड़ होने के कारण हमारे ही परिवार की हुकुमबाई और उनकी 20 वर्षीय बेटी दीपा बिछड़ गईं. देखते ही देखते वहां एकदम से अफरातफरी मचने लगी और भगदड़ होने लगी. स्नान करके लौट रहे हजारों लोगों को भागते हुए आते देखा तो हम लोगों किनारे होने का प्रयास किया. इस बीच कई महिलाएं नीचे गिर गईं. लोग एक-दूसरे के ऊपर से पैरों से कुचल कर भागने लगे. काफी भगदड़ होने के वजह से कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या करें, लेकिन हम जितने लोग थे, सभी बचते-बचाते एक किनारे खड़े हो गए.

‘मां बोल नहीं रही है’

कुछ समय बाद हुकुम बाई की बेटी का कॉल आया और उसने बताया कि मां बोल नहीं रही है. तब हम लोग दीपा के बताए हुए स्थान पर पहुंचे तो हुकुम बाई अचेत अवस्था में जमीन में पड़ी हुई थी, और बेटी दीपा पास में बैठी रो रही थी. अस्पताल लेकर पहुंचे तो हुकुम बाई को डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया. शाम करीब 5 बजे प्रशासन ने एंबुलेंस की व्यवस्था कर मृतक हुकुम बाई के शव के साथ बेटी दीपा और 6 अन्य लोगों को गांव के लिए रवाना कर दिया है, साथ में कोई एक अधिकारी है.

बेटी दीपा रोते हुए बोली कि आंखें बंद करती हूं तो भगदड़ का मंजर दिखाई देता है. हम सभी 15-16 लोग रात में करीब एक बजे एक-दूसरे से बिछड़ गए थे. मां हुकुमबाई मेरे साथ थी, तभी अचानक भगदड़ मच गई और लोग एक-दूसरे को कुचलकर भागने लगे. मैं नीचे गिर गई और कुछ लोग मेरे ऊपर से पैर रखकर निकल गए. मां से यह सब नहीं देखा गया वो संघर्ष करने लगीं. उन्होंने मुझे बचाने का प्रयास किया. इस बीच मां गिर गई, मां के ऊपर से भी सैकड़ों लोग पैर रखकर निकल गए. इससे मां जख्मी होकर बेहोश हो गई.

‘अब मां भी चली गई’

इस घटना में मुझे भी सीने व हाथ-पैर में चोटें आई हैं, लेकिन मां की मौत के कारण वह अपने सारे दर्द भूल गई. जब अस्पताल लेकर गए तो डॉक्टर ने बताया कि मां नहीं रहीं. कुछ पल में सब कुछ खत्म सा हो गया. वह मंजर आंखों में ओझल नहीं हो रहा है. आंखे बंद करती हूं तो भगदड़ का मंजर दिखाई देता है. पिता पहले ही नहीं थे, मां भी चली गई. वो आखिरी तस्वीर बेटी दीपा ने मां के साथ कुंभ स्नान के दौरान मंगलवार को सेल्फी ली थी, लेकिन होनी को कौन टाल सकता है. बेटी को बचाने में मां की जान चली गई.

लक्ष्यराज सिंह ने सोलर लैम्प से बनाई ‘सूर्य’ की सबसे बड़ी आकृति, 9वीं बार बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड

राजस्थान के मेवाड़ पूर्व राज परिवार के सदस्य डॉक्टर लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने 9वीं बार गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराया है. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ हर बार अलग-अलग विश्व रिकॉर्ड बनाकर गिनीज बुक में अपना नाम दर्ज कर चुके हैं. ऐसे में इस बार भी उन्होंने सबसे अधिक सोलर लाइट डिस्प्ले का एक नया रिकॉर्ड बनाया.

लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ और उनकी टीम ने 1970 लाइट डिस्प्ले करने का पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया और 2203 सोलर लाइट डिस्प्ले करते हुए एक बड़ा सूर्य और सूर्योदय की आकृति बनाकर वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम किया.

9वां विश्व रिकॉर्ड किया अपने नाम

सिटी पैलेस के माणक चौक में सोलर लाइट्स से सूरज की आकृति और सूर्योदय बना कर 9वां विश्व रिकॉर्ड अपने नाम किया है. गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड की टीम ने मेवाड़ को सर्टिफिकेट प्रदान किया है.महाराणा प्रताप के वंशज और सूर्यवंशी राजाओं का वंशज मेवाड़ का पूर्व राज परिवार है.

सोलर लाइट डिस्प्ले करके करवाया दर्ज

पुराना रिकॉर्ड करीब 1970 लाइट डिस्प्ले करने का टूट गया. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ और उनकी टीम ने 2203 सोलर लाइट डिस्प्ले करते हुए एक और सूर्य और सूर्योदय की आकृति बनाई और गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवाया. लक्ष्यराज सिंह मेवाड ने अब तक 9 बार विश्व रिकॉर्ड दर्ज कर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवाया है. यह रिकॉर्ड भी मेवाड़ ने सर्वाधिक सोलर लाइट डिस्प्ले करके दर्ज करवाया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सूर्योदय योजना की सोच को जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से मेवाड़ में यह वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम दर्ज करवाया है.

पैलेस के साथियों के साथ मिलकर किया ये काम

9वां वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम दर्ज करने के बाद लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच से प्रेरित होकर उन्होंने सामाजिक सरोकार करने का एक निर्णय लिया. उन्होंने अपने पैलेस के साथियों के साथ मिलकर एक और वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम दर्ज किया. लक्ष्यराज सिंह ने कहां की यह वर्ल्ड रिकॉर्ड प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच और दिशा को आगे बढ़ाने में काम करेगी.

तोड़ दिया पुराना रिकॉर्ड

गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड टीम के सदस्य विश्वनाथ सिंह बताते हैं कि सोलर लाइट डिस्प्ले करने का एक पुराना रिकॉर्ड है. ये करीब 1970 लाइट डिस्प्ले करने का था, जो टूट गया. ऐसे में लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ और उनकी टीम में 2203 सोलर लाइट डिस्प्ले करते हुए एक बड़ा सूर्य और सूर्योदय की आकृति बनाई और फिर से नया रिकॉर्ड कायम किया है. उन्होंने बताया कि सोलर लाइट डिस्प्ले हो रहा था उस समय गिनीज जब बुक वर्ल्ड रिकॉर्ड की पूरी टीम मौके पर मौजूद थी. टीम ने एक-एक लाइट को काउंट किया और लाइट डिस्प्ले का जो तय समय था तब तक इंतजार किया.

बिहार की पूजा कुमारी बनी प्रखंड कृषि पदाधिकारी, दर्जी की बेटी ने किया परिवार का सपना पूरा

बिहार के वैशाली में दर्जी की बेटी बिहार लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास कर प्रखंड कृषि पदाधिकारी बनी. जिले के एक छोटे से गांव बेलसर की रहने वाली पूजा कुमारी ने ग्रामीण परिवेश में रहकर पढ़ाई पूरी की और बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित SDAO और BAO (प्रखंड कृषि पदाधिकारी) की परीक्षा पास कर बीएओ के पद पर चयनित हुई है. परीक्षा का रिजल्ट आने के बाद से ही घर में खुशी का माहौल है.

वैशाली जिले के पटेढ़ी बेलसर प्रखंड क्षेत्र के सोरहत्था गांव निवासी उमेश चौधरी की बेटी पूजा कुमारी है. पूजा कुमारी के पिता गांव में दर्जी का काम करते हैं. पिता का सपना था कि उनकी बेटी पढ़-लिखकर अफसर बने. पूजा ने अपने पिता के सपने को पूरा करने के लिए काफी मेहनत और लगन के साथ पढ़ाई की और अपने माता-पिता का सपना पूरा किया है. पूजा कुमारी की मां राम कला देवी हाउस वाइफ है. जबकि पिता टेलर मास्टर (दर्जी) है.

दर्जी की बेटी बनी कृषि अधिकारी

पिता ने अपनी बेटी की पढ़ाई के लिए काफी मेहनत की. इस दौरान उन्हें आर्थिक परेशानी हुई, लेकिन उसके बाद भी पिता ने बेटी की पढ़ाई में कोई कमी नही होने दी. बेटी के प्रखंड कृषि पदाधिकारी बनने के बाद परिवार का कहना है कि पूजा बचपन से ही पढ़ाई में बहुत मेहनती थी. इस परीक्षा को पास करने के लिए उसने दिन रात कर दिया था. पूजा कुमारी का कहना है कि उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा बेलसर गांव से ही पूरी की है.

एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी से किया ग्रेजुएशन

इसके बाद उन्होंने अपनी इंटर की पढ़ाई भगवानपुर रत्ती से पूरी की थी. बाद में पूजा ने बिहार एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी भागलपुर से कृषि में ग्रेजुएशन किया. पूजा कुमारी चार भाई बहन में तीसरा स्थान पर है. पूजा की इस सफलता पर गांव रिस्तेदारी में काफी खुशी का माहौल है. पूजा की सफलता के बाद परिवार वाले खुशी से गांव में मिठाई बांट रहे हैं.