क्लब फुट ग्रसित 02 बच्चों को इलाज के लिए भेजा गया भागलपुर
जेएलएनएमसीएच भागलपुर में कराया जाएगा ऑपरेशन, स्वास्थ्य होंगे बच्चे -ऑपरेशन और उपचार सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी बिल्कुल निःशुक्ल : सिविल सर्जन कटिहार, 22 जनवरी जन्म के बाद से ही नवजात शिशु का एक पैर अंदर और नीचे की ओर मुड़े होने पर ऐसे बच्चे को चिकित्सकीय भाषा में क्लब फुट से ग्रसित माना जाता है। ऐसे बच्चे बचपन से ही चलने फिरने में असमर्थ होते हैं। क्लब फुट जिसे टैलिप्स भी कहा जाता है एक जन्मजात बीमारी है जिसमें बच्चे का पैर अंदर और नीचे की ओर मुड़ा हुआ होता है। ऐसे बीमारी से ग्रसित बच्चों का बचपन में ही आवश्यक इलाज नहीं कराया गया तो संबंधित बच्चा विकलांग ग्रसित हो सकता है। स्वास्थ्य केंद्रों में क्लब फुट ग्रसित बच्चों का आवश्यक इलाज संभव है। कटिहार जिले के 02 क्लब फुट ग्रसित की पहचान करते हुए जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) अंतर्गत विशेष इलाज के लिए जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज और अस्पताल, भागलपुर भेजा गया है। भागलपुर में बच्चों को आवश्यक इलाज और चिकित्सकीय सहायता निःशुक्ल उपलब्ध कराई जाएगी जिससे कि दोनों बच्चा सामान्य बच्चों की तरह चलने फिरने में समर्थ हो सकता है। जेएलएनएमसीएच भागलपुर में कराया जाएगा ऑपरेशन, स्वास्थ्य होंगे बच्चे : सिविल सर्जन डॉ जितेंद्र नाथ सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा डिस्ट्रिक्ट अर्ली इन्वेंशन सेंटर (डीईआईसी) के तहत क्लब फुट से ग्रसित बच्चों की पहचान करते हुए विशेष चिकित्सकीय सहायता के लिए एम्बुलेंस द्वारा बच्चों को परिजनों के साथ जेएलएनएमसीएच भागलपुर रेफर किया गया है। आरबीएसके का मुख्य उद्देश्य 0 से 18 साल तक के बच्चों की स्वास्थ्य समस्याओं की पहचान करना और उनका समय पर इलाज कराना है। दोनों बच्चों कटिहार जिले के कदवा प्रखंड निवासी हैं। इसमें एक बच्चे का नाम ज़ैनद फातिमा है जिसकी उम्र 10 माह है। इसके पिता का नाम मो. जावेद आलम है जो ग्राम पचगच्छी प्रखंड कदवा निवासी है। वहीं दूसरा बच्चा का नाम नवीन यादव है जिसकी उम्र 02 माह है। उसके पिता का नाम राजेश यादव और घर मीनापुर प्रखंड कदवा है। दोनों बच्चों के क्लब फुट ग्रसित होने की पहचान राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) की टीम द्वारा की गई। टीम ने बच्चों के पैरों की स्थिति को गंभीर मानते हुए उन्हें जेएलएनएमसीएच भागलपुर में उपचार के लिए भेजा है, जहां उनका निःशुल्क ऑपरेशन किया जाएगा। इस दौरान दोनों बच्चों के ऑपरेशन और उपचार का कोई भी खर्चा परिजनों को नहीं उठाना पड़ेगा। स्वास्थ्य विभाग द्वारा दोनों बच्चों को स्वास्थ्य सुविधा निःशुक्ल उपलब्ध कराई जाएगी। दोनों बच्चों और उनके परिजनों को कटिहार से भागलपुर आवागमन सरकारी एम्बुलेंस द्वारा उपलब्ध कराई जाएगी जिससे कि परिजनों को आने जाने में कोई समस्या नहीं हो सके और बच्चे स्वस्थ और सुरक्षित हो सके। ऑपरेशन के बाद भी बच्चों के स्वास्थ्य स्थिति की रखी जाएगी निगरानी : आरबीएसके जिला समन्यवक मनीष कुमार सिन्हा ने बताया कि जिला स्वास्थ्य विभाग और आरबीएसके की टीम द्वारा सुनिश्चित किया गया है कि बच्चों के परिवारों को इलाज के दौरान किसी भी प्रकार के कोई खर्च नहीं उठाना पड़ेगा। ऑपरेशन के बाद दोनों बच्चों को एम्बुलेंस द्वारा भागलपुर से उनके घर तक सुरक्षित पहुँचाया जाएगा। इसके बाद भी बच्चों के स्वास्थ्य की स्थिति जिला आरबीएसके टीम द्वारा निगरानी में रखा जाएगा जिससे कि उनकी पूरी देखभाल हो सके। यह पहल स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले के सभी ग्रसित बच्चों के लिए लगातार किया जाता है जिससे कि ग्रसित बच्चों के परिजनों को बिना किसी खर्च के सभी स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध हो सके और बच्चे बिल्कुल स्वास्थ और सुरक्षित रह सके। 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों का आरबीएसके के तहत 30 तरह की बीमारियों का कराया जाता है निःशुल्क इलाज : डीपीएम डॉ किशलय कुमार ने बताया कि जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के तहत केवल बीमारियों की पहचान करना ही नहीं बल्कि चिन्हित बच्चों को निःशुक्ल चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध कराना भी है। इसी उद्देश्य के तहत जिले के 02 क्लब फुट ग्रसित बच्चों की पहचान करते हुए ऑपरेशन के लिए भागलपुर रेफर किया गया है। पूरे चिकित्सकीय सहायता के दौरान परिवारों को किसी प्रकार की आर्थिक खर्च नहीं करना पड़ेगा। आरबीएसके टीम द्वारा बच्चों को जेएलएनएमसीएच भागलपुर तक पहुँचाकर वहां विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा इनका सफल ऑपरेशन सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। ऑपरेशन के बाद भी आरबीएसके टीम द्वारा नियमित रूप से बच्चों की स्वास्थ्य स्थिति की निगरानी की जाएगी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे तेजी से स्वस्थ हो रहे हैं। डीपीएम डॉ किशलय कुमार ने बताया कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत 0 से 18 साल तक के बच्चों के 30 तरह की बीमारियों का निःशुल्क उपचार सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य बच्चों को जन्मजात विकारों और अन्य गंभीर बीमारियों से निजात दिलाना है। अगर जिले के किसी प्रखंड में ऐसे बच्चे उपलब्ध हैं तो संबंधित परिजनों द्वारा नजदीकी स्वास्थ्य संस्थान से संपर्क कर बच्चों का जांच कराना चाहिए। रोग ग्रसित होने पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा संबंधित बच्चों को निःशुल्क उपचार सुविधा उपलब्ध कराते हुए स्वस्थ और सुरक्षित किया जाएगा।

जेएलएनएमसीएच भागलपुर में कराया जाएगा ऑपरेशन, स्वास्थ्य होंगे बच्चे -ऑपरेशन और उपचार सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी बिल्कुल निःशुक्ल : सिविल सर्जन कटिहार, 22 जनवरी जन्म के बाद से ही नवजात शिशु का एक पैर अंदर और नीचे की ओर मुड़े होने पर ऐसे बच्चे को चिकित्सकीय भाषा में क्लब फुट से ग्रसित माना जाता है। ऐसे बच्चे बचपन से ही चलने फिरने में असमर्थ होते हैं। क्लब फुट जिसे टैलिप्स भी कहा जाता है एक जन्मजात बीमारी है जिसमें बच्चे का पैर अंदर और नीचे की ओर मुड़ा हुआ होता है। ऐसे बीमारी से ग्रसित बच्चों का बचपन में ही आवश्यक इलाज नहीं कराया गया तो संबंधित बच्चा विकलांग ग्रसित हो सकता है। स्वास्थ्य केंद्रों में क्लब फुट ग्रसित बच्चों का आवश्यक इलाज संभव है। कटिहार जिले के 02 क्लब फुट ग्रसित की पहचान करते हुए जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) अंतर्गत विशेष इलाज के लिए जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज और अस्पताल, भागलपुर भेजा गया है। भागलपुर में बच्चों को आवश्यक इलाज और चिकित्सकीय सहायता निःशुक्ल उपलब्ध कराई जाएगी जिससे कि दोनों बच्चा सामान्य बच्चों की तरह चलने फिरने में समर्थ हो सकता है। जेएलएनएमसीएच भागलपुर में कराया जाएगा ऑपरेशन, स्वास्थ्य होंगे बच्चे : सिविल सर्जन डॉ जितेंद्र नाथ सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा डिस्ट्रिक्ट अर्ली इन्वेंशन सेंटर (डीईआईसी) के तहत क्लब फुट से ग्रसित बच्चों की पहचान करते हुए विशेष चिकित्सकीय सहायता के लिए एम्बुलेंस द्वारा बच्चों को परिजनों के साथ जेएलएनएमसीएच भागलपुर रेफर किया गया है। आरबीएसके का मुख्य उद्देश्य 0 से 18 साल तक के बच्चों की स्वास्थ्य समस्याओं की पहचान करना और उनका समय पर इलाज कराना है। दोनों बच्चों कटिहार जिले के कदवा प्रखंड निवासी हैं। इसमें एक बच्चे का नाम ज़ैनद फातिमा है जिसकी उम्र 10 माह है। इसके पिता का नाम मो. जावेद आलम है जो ग्राम पचगच्छी प्रखंड कदवा निवासी है। वहीं दूसरा बच्चा का नाम नवीन यादव है जिसकी उम्र 02 माह है। उसके पिता का नाम राजेश यादव और घर मीनापुर प्रखंड कदवा है। दोनों बच्चों के क्लब फुट ग्रसित होने की पहचान राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) की टीम द्वारा की गई। टीम ने बच्चों के पैरों की स्थिति को गंभीर मानते हुए उन्हें जेएलएनएमसीएच भागलपुर में उपचार के लिए भेजा है, जहां उनका निःशुल्क ऑपरेशन किया जाएगा। इस दौरान दोनों बच्चों के ऑपरेशन और उपचार का कोई भी खर्चा परिजनों को नहीं उठाना पड़ेगा। स्वास्थ्य विभाग द्वारा दोनों बच्चों को स्वास्थ्य सुविधा निःशुक्ल उपलब्ध कराई जाएगी। दोनों बच्चों और उनके परिजनों को कटिहार से भागलपुर आवागमन सरकारी एम्बुलेंस द्वारा उपलब्ध कराई जाएगी जिससे कि परिजनों को आने जाने में कोई समस्या नहीं हो सके और बच्चे स्वस्थ और सुरक्षित हो सके। ऑपरेशन के बाद भी बच्चों के स्वास्थ्य स्थिति की रखी जाएगी निगरानी : आरबीएसके जिला समन्यवक मनीष कुमार सिन्हा ने बताया कि जिला स्वास्थ्य विभाग और आरबीएसके की टीम द्वारा सुनिश्चित किया गया है कि बच्चों के परिवारों को इलाज के दौरान किसी भी प्रकार के कोई खर्च नहीं उठाना पड़ेगा। ऑपरेशन के बाद दोनों बच्चों को एम्बुलेंस द्वारा भागलपुर से उनके घर तक सुरक्षित पहुँचाया जाएगा। इसके बाद भी बच्चों के स्वास्थ्य की स्थिति जिला आरबीएसके टीम द्वारा निगरानी में रखा जाएगा जिससे कि उनकी पूरी देखभाल हो सके। यह पहल स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले के सभी ग्रसित बच्चों के लिए लगातार किया जाता है जिससे कि ग्रसित बच्चों के परिजनों को बिना किसी खर्च के सभी स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध हो सके और बच्चे बिल्कुल स्वास्थ और सुरक्षित रह सके। 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों का आरबीएसके के तहत 30 तरह की बीमारियों का कराया जाता है निःशुल्क इलाज : डीपीएम डॉ किशलय कुमार ने बताया कि जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के तहत केवल बीमारियों की पहचान करना ही नहीं बल्कि चिन्हित बच्चों को निःशुक्ल चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध कराना भी है। इसी उद्देश्य के तहत जिले के 02 क्लब फुट ग्रसित बच्चों की पहचान करते हुए ऑपरेशन के लिए भागलपुर रेफर किया गया है। पूरे चिकित्सकीय सहायता के दौरान परिवारों को किसी प्रकार की आर्थिक खर्च नहीं करना पड़ेगा। आरबीएसके टीम द्वारा बच्चों को जेएलएनएमसीएच भागलपुर तक पहुँचाकर वहां विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा इनका सफल ऑपरेशन सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। ऑपरेशन के बाद भी आरबीएसके टीम द्वारा नियमित रूप से बच्चों की स्वास्थ्य स्थिति की निगरानी की जाएगी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे तेजी से स्वस्थ हो रहे हैं। डीपीएम डॉ किशलय कुमार ने बताया कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत 0 से 18 साल तक के बच्चों के 30 तरह की बीमारियों का निःशुल्क उपचार सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य बच्चों को जन्मजात विकारों और अन्य गंभीर बीमारियों से निजात दिलाना है। अगर जिले के किसी प्रखंड में ऐसे बच्चे उपलब्ध हैं तो संबंधित परिजनों द्वारा नजदीकी स्वास्थ्य संस्थान से संपर्क कर बच्चों का जांच कराना चाहिए। रोग ग्रसित होने पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा संबंधित बच्चों को निःशुल्क उपचार सुविधा उपलब्ध कराते हुए स्वस्थ और सुरक्षित किया जाएगा।

6th स्टेट माउंटेन बाइक प्रतियोगिता में लड़कों के उपलब्धि के साथ पूर्णिया स्टेट चैंपियन बन गया। युथ बालक की श्रेणी में अंशुमान झा ने अपने अनुभव और मेहनत के बल पर कड़ी स्पर्धा में गोल्ड मेडल हासिल कर ली। इस प्रतियोगिता में यश ने सब जूनियर में गोल्ड और सीनियर श्रेणी में अंकित तिर्की ने गोल्ड मेडल जीतकर धमाका किया और सब को चौंकाया।इधर प्रणव ने सिल्वर मेडल जीतकर पूर्णिया को चैंपियन बना दिया। इस उपलब्धि के लिए जिला पदाधिकारी एवं जिला खेल पदाधिकारी के सहयोग के लिए जिला साइकिलिंग संघ के तरफ से धन्यवाद ज्ञापित किया गया है। साइकिलिंग टीम के पदाधिकारी ने कहा है कि जिला पदाधिकारी के द्वारा लगातार सहयोग हम सभी को मिलता रहा और हमारे बच्चे रण में जीतते रहे। जलालगढ़ के स्कूल टीचर श्रीमती अनामिका और विभिन्न विद्यालय के खेल शिक्षक और प्रधानाध्यापक के द्वारा भी बच्चो की उपस्थिति हेतु सहयोग किया गया। साइकलिंग एसोसिएशन के अधिकारियों ने कहा है कि पूर्णिया को स्टेट चैंपियन का हीरो बनने वाले खिलाड़ियों को पर पूर्णिया आने पर सम्मानित किया जाएगा। यह पूर्णिया के लिए गौरव का पल है कि माउंटेन साइकलिंग में पूर्णिया साइकलिंग एसोसिएशन के बच्चों ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है । नए और पुराने सभी बच्चों को और भी मजबूती से लगातार ट्रेनिंग दी जाती रहेगी जिससे पूर्णिया का मन और सम्मान साइकलिंग में बरकरार रहे।
सम्पूर्ण उपचार के लिए नहीं जाना पड़ता भागलपुर -जिला यक्ष्मा केंद्र में नियुक्त किए गए हैं टीबी विशेषज्ञ चिकित्सा पदाधिकारी डॉ दिनेश कुमार -गंभीर टीबी ग्रसित मरीजों की पहचान के लिए जीएमसीएच पूर्णिया में किया जाता है 13 प्रकार की जांच -ग्रसित मरीजों को जिला और प्रखंड स्तर पर उपलब्ध कराई जाती है आवश्यक दवाइयां -वर्तमान में बिहार में 01 लाख 50 हजार जबकि पूर्णिया जिले में 03 हजार 129 मरीज टीबी ग्रसित, नजदीकी अस्पताल से किया जा रहा सबका उपचार -ग्रसित मरीजों को सहयोग राशि के लिए उपलब्ध कराई जाती है 1000 रुपये प्रति माह पूर्णिया, 19 जनवरी टीबी ग्रसित मरीजों को स्थानीय स्तर पर आवश्यक जांच और सम्पूर्ण इलाज के लिए जिला स्वास्थ्य विभाग सम्पूर्ण प्रयासरत है। टीबी ग्रसित मरीजों को जिला में बेहतर इलाज सुविधा उपलब्ध कराने के लिए जिला यक्ष्मा केंद्र में विशेष रूप से टीबी विशेषज्ञ चिकित्सक प्रतिनियुक्त किए गए हैं। विशेषज्ञ चिकित्सक द्वारा अस्पताल में कार्यरत होने से गंभीर टीबी ग्रसित मरीजों को टीबी का उपचार आसान हो गया है। अब टीबी से ग्रसित गंभीर मरीजों को विशेष जांच और उपचार के लिए भागलपुर जाने की जरूरत नहीं है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिला यक्ष्मा केंद्र में टीबी विशेषज्ञ चिकित्सा अधिकारी के रूप में डॉ दिनेश कुमार को नियुक्त किया गया है। डॉ दिनेश कुमार द्वारा गंभीर टीबी ग्रसित मरीजों की पहचान करते हुए सम्बंधित मरीजों को उपचार सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है जिससे टीबी ग्रसित मरीजों को बहुत लाभ मिल रहा है। लक्षण दिखाई देने पर कराएं टीबी ग्रसित होने की जाँच : सिविल सर्जन डॉ प्रमोद कुमार कनौजिया ने बताया कि दो सप्ताह से अधिक दिनों तक खांसी होना, शाम को बुखार आना, वजन में कमी होना, रात में पसीना आना और थूक के बलगम में खून का होना टीबी ग्रसित होने के लक्षण हैं। ऐसा लक्षण दिखाई देने पर संबंधित व्यक्ति को नजदीकी अस्पताल से जांच कराना सुनिश्चित करना चाहिए। जांच के रिपोर्ट के अनुसार संबंधित मरीज को सामान्य या गंभीर टीबी से ग्रसित पाए जाने पर आवश्यक उपचार सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। पहले सामान्य टीबी ग्रसित मरीजों की जांच और उपचार जिला यक्ष्मा केंद्र, पूर्णिया में तथा गंभीर टीबी ग्रसित मरीज (एमडीआर) की जांच के लिए भागलपुर रेफर किया जाता था। नवंबर 2024 से जिला यक्ष्मा केन्द्र पूर्णिया में टीबी विशेषज्ञ चिकित्सिक नियुक्त किया गया है जिससे कि अब टीबी ग्रसित मरीजों को विशेष इलाज के लिए भागलपुर जाने की जरूरत नहीं होती है। ग्रसित मरीजों को यक्ष्मा केंद्र में ही जांच करते हुए उपचार सुविधा उपलब्ध कराई जाती है जिसका ग्रसित मरीज द्वारा घर पर रहकर लाभ उठाया जा सकता है। सिविल सर्जन डॉ प्रमोद कुमार कनौजिया ने बताया कि टीबी विशेषज्ञ चिकित्सक जिला में उपलब्ध होने से जिले में टीबी ग्रसित मरीजों की पहचान और उपचार में इजाफा हो रहा है। दिसंबर 2024 में पूर्णिया जिले में 448 टीबी ग्रसित मरीजों की पहचान करते हुए उपचार उपलब्ध कराई गई। टीबी विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ दिनेश कुमार द्वारा 448 टीबी ग्रसित मरीजों में 15 गंभीर टीबी ग्रसित मरीज की पहचान की गई है जिन्हें आवश्यक दवाई उपलब्ध कराते हुए नियमित रूप से जांच और उपचार सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। गंभीर टीबी ग्रसित मरीजों की पहचान के लिए जीएमसीएच पूर्णिया में किया जाता है 13 प्रकार की जांच : डीपीएस राजेश शर्मा ने बताया कि लक्षण दिखाई देने पर प्रखंड स्वास्थ्य केंद्र में टीबी ग्रसित मरीजों की जांच सुनिश्चित किया जाता है। जांच के बाद संबंधित मरीजों को प्रखंड में ही उपचार हेतु आवश्यक दवाई उपलब्ध कराई जाती है। लक्षण के अनुसार संबंधित मरीजों के गंभीर टीबी ग्रसित होने की स्तिथि में संबंधित मरीजों को विशेष जांच के लिए पूर्णिया जीएमसीएच भेजा जाता है। जीएमसीएच में संभावित टीबी ग्रसित मरीजों के 13 प्रकार की जांच की जाती है जिससे ग्रसित मरीजों के टीबी संक्रमण की स्थिति और उपयुक्त दवाई से होने वाले लाभ का मूल्यांकन करते हुए उपचार सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। टीबी ग्रसित पाए जाने पर संबंधित मरीजों को जिला यक्ष्मा केन्द्र द्वारा कार्ड बनाते हुए दवा उपलब्ध कराई जाती है। संबंधित कार्ड से ग्रसित मरीजों द्वारा प्रखंड स्वास्थ्य केंद्रों से भी टीबी उपचार के लिए आवश्यक दवाई सुविधा का लाभ उठाया जाता है। नियमित जांच और दवाई का उपयोग करने से ग्रसित मरीजों को टीबी बीमारी से सुरक्षित करते हुए स्वास्थ्य किया जाता है। पूर्णिया जिले में 03 हजार 129 मरीज टीबी ग्रसित : जिला संचारी रोग नियंत्रण पदाधिकारी (सीडीओ) डॉ कृष्ण मोहन दास ने बताया कि वर्तमान समय में पूरे बिहार में 01 लाख 50 हजार 111 मरीज टीबी बीमारी से ग्रसित पाए गए हैं। पूर्णिया जिले टीबी ग्रसित मरीजों की संख्या 03 हजार 129 हैं। सभी टीबी ग्रसित मरीजों को टीबी संक्रमण से सुरक्षित करने के लिए स्वास्थ्य केंद्रों से आवश्यक दवाई नियमित रूप से उपलब्ध कराई जा रही है। समय समय पर टीबी ग्रसित मरीजों का फॉलोअप करते हुए प्रखंड स्वास्थ्य केन्द्र से जांच सुनिश्चित किया जाता है। इस दौरान टीबी ग्रसित मरीजों का प्रखंड अस्पताल से स्पुटम एकत्रित करते हुए विशेष कल्चर जांच के लिए भागलपुर भेजा जाता है। कल्चर रिपोर्ट के अनुसार संक्रमित मरीजों के टीबी स्थिति की जानकारी लेते हुए उन्हें उपचार सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। ग्रसित मरीजों को सहयोग राशि के लिए उपलब्ध कराई जाती है 1000 रुपये प्रति माह : सीडीओ डॉ कृष्ण मोहन दास ने बताया कि टीबी ग्रसित मरीजों द्वारा नजदीकी अस्पताल से नियमित दवा सुविधा का लाभ उठाने पर संबंधित मरीजों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा निक्षय पोषण योजना अंतर्गत 1000 रुपये प्रति माह की पोषण सहायता राशि उपलब्ध कराई जाती है। नियमित दवा उपयोग करने पर ग्रसित मरीजों को तीन महीने के अंतराल पर सहयोग राशि लाभार्थियों के बैंक खाते में ही स्वास्थ्य विभाग द्वारा उपलब्ध कराई जाती है जिससे कि ग्रसित मरीजों द्वारा नियमित रूप से पोषण सुविधा का लाभ उठाते हुए टीबी संक्रमण से बहुत जल्द सुरक्षित किया जा सके।
जिला पदाधिकारी द्वारा पूर्णिया एयरपोर्ट के निर्माण कार्यों का प्रगति की समीक्षा बैठक की गई। एयरपोर्ट के सिविल एनक्लेव को मुख्य सड़क से जोड़ने वाली सड़क की प्रगति की समीक्षा की गई। कार्यपालक अभियंता, पथ निर्माण विभाग,पथ प्रमंडल पूर्णिया के द्वारा बताया गया कि प्रथम चरण में गोवासी (ch 04+960) से पूर्णिया एयरपोर्ट के सिविल एनक्लेव (Ch 05+890) तक चार लेन की सड़क बनाने हेतु निविदा प्रकाशित की गई थी। उक्त सड़क के निर्माण हेतु निविदा का वित्तीय बीड 17 जनवरी 2025 को खोला गया तथा तुलनात्मक विवरणी तैयार कर विभाग को अग्रेत्तर कार्रवाई हेतु भेज दिया गया है । जिला पदाधिकारी द्वारा कार्यपालक अभियंता, पथ निर्माण विभाग पूर्णिया को विभाग से प्रथम चरण के निविदा का निष्पादन अविलंब पूर्ण करकर चयनित एजेंसी से कार्य प्रारंभ कराने का निर्देश दिया गया। गोवासी (ch 04+960) से पूर्णिया एयरपोर्ट के सिविल एनक्लेव (Ch 05+890) तक चार लेन की सड़क की लंबाई 930 मीटर की होगी। इस सड़क के निर्माण कार्य 14 करोड़ पैंतीस लाख पचास हजार में पूर्ण होना है। जिला पदाधिकारी द्वारा कार्यपालक अभियंता, पथ निर्माण विभाग पूर्णिया को द्वितीय चरण के सड़क निर्माण हेतु डीपीआर तैयार कर विभाग को अग्रेत्तर कार्रवाई हेतु उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया। जिला पदाधिकारी द्वारा कार्यपालक अभियंता आरसीडी,RWD एवं संबंधित कार्यपालक अभियंता तथा वरीय पदाधिकारी को एयरपोर्ट जाने वाले वैकल्पिक सड़कों को अविलंब चिन्हित कर उसे दुरुस्त करने का निर्देश दिया गया। ताकि एयरपोर्ट के निर्माण कार्यों में किसी भी प्रकार से विलंब नहीं हो। जिलाधिकारी द्वारा पूर्णिया एयरपोर्ट के निर्माण के कार्य प्रगति की सभी पहलुओं की गहन अवलोकन किया गया। ज्ञात हो कि एएआई के वास्तुविद द्वारा पूर्णिया एयरपोर्ट का डिजाईन तैयार कर लिया गया है और आधुनिक सुविधाओं से युक्त होगा पूर्णिया एयरपोर्ट। एएआई के द्वारा तैयार डिजाइन में पूर्णिया एयरपोर्ट को अत्याधुनिक एयरपोर्ट बनाने की सभी आवश्यकताओं को समाहित किया गया है। एएआई के वास्तुविद द्वारा अगले 30 से 40 वर्षों के फुट फॉल को ध्यान में रख कर डिजाइन तैयार किया गया है। पूर्णिया एयरपोर्ट पर पांच एयरोब्रिज के निर्माण को भी डिजाईन में समाहित किया गया है। पूर्णिया एयरपोर्ट को स्टेट ऑफ द आर्ट एयरपोर्ट बनाया जाना है। पूर्णिया एयरपोर्ट में एप्रोन, टर्मिनल बिल्डिंग, कार्गो कॉम्प्लेक्स, एसी चिल्लर प्लांट, एसटीपी, वॉटर एंड फायर टैंक, इलेक्ट्रिक सब स्टेशन, एविएशन फ्यूल फॉर्म, एडमिन ऑफिस, कमर्शियल प्लाजा, सर्फेस पार्किंग, एयरोब्रिज आदि की सुविधाएं उपलब्ध रहेगी। पूर्णिया एयरपोर्ट के निर्माण हेतु अधियाचना के आलोक में एएआई द्वारा विगत माह में ही गोआसी मौजा में 52.18 एकड़ अधिगृहीत भूमि का हैंड ओवर ले लिया गया है। भूमि हैंडओवर के पश्चात चहारदीवारी निर्माण कार्य की प्रक्रिया तीव्र गति से की जा रही है। गौरतलब हो कि श्री नीतीश कुमार,माननीय मुख्यमंत्री बिहार के द्वारा दिनांक 24.08.2024 को पूर्णिया एयरपोर्ट के निर्माण हेतु सभी संबंधित पदाधिकारियों के साथ बैठक किया गया था। बैठक में माननीय मुख्यमंत्री बिहार के द्वारा एयरपोर्ट के निर्माण में आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए सभी पक्षों तथा संबंधित पदाधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिया गया। अगस्त माह में ही एएआई के द्वारा स्थलीय सर्वे का कार्य प्रारंभ किया गया एवं सर्वे के दौरान प्रस्तावित हवाई अड्डे पर डीजीपीस मशीन के द्वारा लगभग 3000 डेटा पॉइंट्स लिया गया। सर्वे में एएआई के टीम के द्वारा टोपोग्राफी के साथ कंटूर मैपिंग का कार्य किया गया जिससे पूरे भूमि का अक्षांश, देशांतर तथा भूमि का एलिवेशन आदि का सर्वे भी किया जा चुका है। सर्वे रिपोर्ट प्राप्त होने के पश्चात एयरपोर्ट ऑथोरिटी ऑफ इंडिया के टीम के द्वारा पूर्णिया एयरपोर्ट के लिए अधिग्रहित भूमि का सॉयल टेस्टिंग का कार्य भी पूर्ण कर लिया गया है। सॉयल टेस्टिंग के दौरान कुल 12 बोर किया गया जिसमें 20 मीटर के 09 बोर एवं आठ मीटर के तीन बोर थे । टीम के द्वारा प्रत्येक डेढ़ मीटर की गहराई से 45 सेंटीमीटर मिट्टी का सैंपल लिया गया। जिला पदाधिकारी द्वारा मौके पर उपस्थित सभी पदाधिकारियों एंव पूर्णिया एयरपोर्ट निर्माण कार्य में लगे अधिकारियों को त्वरित गति से कार्य करने का निर्देश दिया गया।
Jan 24 2025, 19:07
- Whatsapp
- Facebook
- Linkedin
- Google Plus
1- Whatsapp
- Facebook
- Linkedin
- Google Plus
1.3k