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टैरिफ की धमकी पर ट्रूडो ने ट्रंप को चेताया, बोले-कनाडा जवाबी कार्रवाई करेगा

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अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कनाडा को अमेरिका का अंग बनाने जैसे बयान दे चुके हैं। यही नहीं, शपथ ग्रहण के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की है कि वह एक फरवरी से कनाडा पर 25 प्रतिशत शुल्क लगाएंगे। डोनाल्ड ट्रंप की कनाडा पर टैरिफ की धमकी पर प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने जवाब दिया है।उन्होंने कहा कि अगर डोनाल्ड ट्रंप टैरिफ लगाने की अपनी योजना के साथ आगे बढ़ते हैं तो कनाडा इसका कड़ा जवाब देगा।

जस्टिन ट्रूडो ने तर्क दिया कि कनाडा ऊर्जा महाशक्ति है, जिसके पास तेल और महत्वपूर्ण खनिज भंडार है और ट्रंप के संकल्प के मुताबिक अमेरिका को ‘तेजी से बढ़ती’ अर्थव्यवस्था बनाने के लिए कनाडा की इस संपदा की आवश्यकता होगी। ट्रूडो ने कहा कि अगर आवश्यक हुआ तो कनाडा जवाबी कार्रवाई करेगा।

क्यूबेक के मोंटेबेलो में एक विशेष कैबिनेट बैठक में बोलते हुए, ट्रूडो ने कहा कि वो ट्रम्प के इस कदम से बेफिक्र हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें इस राष्ट्रपति के साथ काम करते समय अनिश्चितता की बहुत उम्मीद है। ट्रूडो ने आगे कहा कि वह ट्रंप को पीछे हटाने के लिए अमेरिका को आर्थिक दर्द देने के लिए तैयार है। ट्रूडो ने कहा कि कनाडा का मुख्य लक्ष्य प्रस्तावित अमेरिकी टैरिफ से बचना और उसके साथ एक बहुत ही सकारात्मक संबंध विकसित करना है। उन्होंने कहा कि कनाडा ट्रंप की धमकियों के सामने झुकेगा नहीं।

ट्रूडो ने कहा कि अगर वो वास्तव में उसे अमेरिका के स्वर्णिम युग में एक तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के साथ इस्तेमाल करना चाहते हैं, तो उन्हें ऐसा करने के लिए तेल, लकड़ी, स्टील, एल्युमिनियम और महत्वपूर्ण खनिजों जैसे कनाडा के प्राकृतिक संसाधनों की आवश्यकता होगी। ट्रूडो ने कहा कि इससे कनाडा को कुछ लाभ मिलेगा।

बता दें कि ट्रंप ने सोमवार को अपने शपथ ग्रहण के बाद कनाडा पर टैरिफ लगाने के लिए एक कार्यकारी आदेश जारी करने से परहेज किया, लेकिन बाद में उन्होंने यह सुझाव दिया कि वे दो हफ्ते के समय में 25 प्रतिशत टैरिफ लागू करना चाहते हैं।

आग की अफवाह में पुष्पक एक्सप्रेस से कूदे यात्री, दूसरे ट्रैक पर कर्नाटक एक्सप्रेस ने कुचला, 11 की मौत

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महाराष्ट्र के जलगांव जिले में एक बड़ी रेल दुर्घटना सामने आई है। महाराष्ट्र के जलगांव में लखनऊ से मुंबई जा रही ट्रेन हादसा पुष्पक एक्सप्रेस में आग की अफवाह फैलने पर यात्रियों ने छलांग लगा दी। दूसरे ट्रैक से आ रही ट्रेन ने कई लोगों को कुचल दिया। तेज रफ्तार ट्रेन की चपेट में आने से 11 लोगों की मौत हो गई। करीब 40 लोग घायल हैं।

जानकारी के अनुसार, भुसावल रेल मंडल में यह हादसा हुआ है। शुरू में बताया गया था कि ट्रेन में आग लगने की वजह से लोग कूदने लगे थे, जिस वजह से यह हादसा हुआ। इस अफवाह के चलते लोग ट्रेन से नीचे उतर गए। दूसरी तरफ से कर्नाटक एक्‍सप्रेस ट्रेन रफ्तार में गुजर रही थी और कई लोग इसकी चपेट में आ गए। इस हादसे में कम से कम 11 लोगों की मौत हो गई, जबकि कई यात्रियों के घायल होने की भी सूचना है।

जलगांव में पुष्पक एक्सप्रेस की घटना पर सेंट्रल रेलवे के सीपीआरओ डॉ. स्वनिल ने बयान दिया है। उन्होंने बताया कि पुष्पक एक्सप्रेस लखनऊ से मुंबई आ रही थी। कुछ यात्री ट्रैक पर उतर गए थे। दूसरी दिशा से जाने वाली कर्नाटक एक्सप्रेस की चपेट में कुछ यात्री आए। सीपीआरओ के अनुसार ट्रेन में 'एसीपी' यानी अलार्म चेन पुलिंग हुई थी। चेन पुलिंग क्यों हुई इसकी जानकारी अभी रेलवे के पास नहीं है।

जलगांव हादसे पर सीएम फडणवीस ने क्या कहा?

जलगांव में हुए हादसे पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि जलगांव जिले के पचोरा के पास एक अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण घटना में कुछ लोगों की मृत्यु की घटना हुई है। मैं उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। मेरे सहयोगी मंत्री गिरीश महाजन और पुलिस अधीक्षक मौके पर पहुंच गए हैं और कुछ ही देर में कलेक्टर भी वहां पहुंच रहे हैं। पूरा जिला प्रशासन रेलवे प्रशासन के साथ मिलकर काम कर रहा है और घायलों के इलाज की तत्काल व्यवस्था की जा रही है। 8 एंबुलेंस भेजी गई हैं। घायलों के इलाज के लिए सामान्य अस्पताल के साथ-साथ आसपास के अन्य निजी अस्पतालों को भी तैयार रखा गया है। ग्लास कटर, फ्लडलाइट आदि जैसी आपातकालीन प्रणालियां भी तैयार रखी गई हैं। हम पूरी स्थिति पर नजर रख रहे हैं और तुरंत सभी जरूरी सहायता मुहैया करा रहे हैं। मैं जिला प्रशासन के संपर्क में हूं।

ट्रंप के शपथ लेते ही अमेरिका से 18 हजार भारतीयों पर खतरा, क्या होगी घर वापसी?

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डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका के राष्ट्रपति बनते ही अवैध प्रवासियों की धड़कनें तेज हो गई हैं। अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सत्ता संभालते ही गैरकानूनी प्रवासियों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। इस बीच खबर है कि इसकी गाज अवैध भारतीय प्रवासियों पर भी गिरने जा रही है। 

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे 18 हजार भारतीयों की देश वापसी होगी। रिपोर्ट के मुताबिक इनके पास अमेरिका की नागरिकता नहीं है, वहां की नागरिकता हासिल करने के लिए सही कागज दस्तावेज भी नहीं हैं। अमेरिका में पिछले महीने अवैध प्रवासियों से डील करने वाली सरकारी संस्था आव्रजन-सीमा शुल्क प्रवर्तन (आईसीई) ने करीब 15 लाख लोगों की एक सूची बनाई थी, जो अवैध रूप से अमेरिका में रह रहे हैं। 18 हजार भारतीय इसी सूची का हिस्सा हैं। सूत्रों ने बताया कि यह संख्या और भी अधिक हो सकती है, हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि कितने और लोग इस सूची में जोड़े जा सकते हैं क्योंकि अवैध भारतीय प्रवासियों की सही संख्या ज्ञात नहीं है।

अमेरिका में कितने अवैध भारतीय प्रवासी?

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अमेरिका में अवैध प्रवासियों के रहने के मामले में भारत का स्थान बहुत मामूली है। अमेरिकी सीमा शुल्क और सीमा सुरक्षा डेटा के मुताबिक साल 2024 में अवैध प्रवासियों में सिर्फ 3% भारतीय नागरिक थे। मेक्सिको, वेनेजुएला और ग्वाटेमाला जैसे लैटिन अमेरिकी देशों की हिस्सेदारी इसमें सबसे ज्यादा है।

वहीं,, 2024 की प्यू रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, अमेर‍िका में 725,000 भारतीय अवैध तरीके से रह रहे हैं। यह वहां रह रहे अवैध प्रवास‍ियों का सबसे बड़ा ह‍िस्‍सा है।

भारत सरकार वापसी में करेगी मदद

रिपोर्ट के मुताबिक भारत सरकार वहां अवैध रूप से रह रहे अपने सभी नागरिकों की पहचान करने और उन्हें वापस लाने के लिए ट्रंप प्रशासन के साथ मिलकर काम करने को तैयार है। इसमें बताया गया है कि भारत नहीं चाहता कि अवैध नागरिकों के मुद्दे का एच-1B वीजा और स्टूडेंट वीजा जैसे कार्यक्रमों पर असर पड़े। भारत उम्मीद कर रहा कि ट्रंप प्रशासन के साथ उसके रिश्ते इसमें काफी काम आएंगे। हो सकता है क‍ि ट्रंप के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निजी रिश्तों की वजह से छात्र वीजा और एच-1बी वीजा से जुड़े लोगों पर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।

अवैध प्रवासियों की एंट्री बैन करने के लिए एग्जीक्यूटिव ऑर्डर जारी

ट्रंप ने सोमवार को शपथ लीने के बाद अवैध प्रवासियों की एंट्री बैन करने के अलावा जन्मजात नागरिकता (बर्थराइट सिटीजनशिप) को खत्म करने को लेकर भी एग्जीक्यूटिव ऑर्डर जारी किया है। एग्जीक्यूटिव ऑर्डर वह आदेश होते हैं, जिन्हें राष्ट्रपति जारी करते हैं। उनका यह आदेश कानून बन जाता है जिसे कांग्रेस की मंजूरी की जरूरत नहीं होती। कांग्रेस इन्हें पलट नहीं सकती। हालांकि इन्हें अदालत में चुनौती दी जा सकती है।

ट्रंप ने कहा कि वह अमेरिका-मेक्सिको सीमा पर नेशनल इमरजेंसी घोषित करेंगे। देश में अवैध एंट्री को तुरंत रोका जाएगा और सरकार लाखों अवैध प्रवासियों को उनके देश वापस भेजने की प्रक्रिया शुरू करेगी। ट्रंप ने अपने एक भाषण में इसके संकेत भी दिए हैं कि जरूरत पड़ी तो वह 225 साल पुराने एलियन एनिमीज एक्ट (Alien Enemies Act of 1798) के तहत यह कार्रवाई करेंगे।

क्या है एलियन एनिमीज एक्ट?

1798 का विदेशी शत्रु अधिनियम (Alien Enemies Act of 1798) एक युद्धकालीन कानून है, जो अमेरिकी राष्ट्रपति को किसी शत्रु राष्ट्र के मूल निवासियों और नागरिकों को हिरासत में लेने या निर्वासित करने की अनुमति देता है। यह कानून राष्ट्रपति को इन अप्रवासियों को बिना सुनवाई के और केवल उनके जन्म के देश या नागरिकता के आधार पर बाहर करने की अनुमति देता है।

क्या है गुइलेन-बैरे सिंड्रोम? भारत के इस शहर में फैली ऐसी बीमारी

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पुणे में गुलियन-बैरे सिंड्रोम नाम की बीमारी ने चिंता बढ़ा दी है। स्वास्थ्य महकमे से लेकर आम लोग इसको लेकर तनाव में हैं। पुणे में गुलियन-बैरे सिंड्रोम के 24 संदिग्ध मामले सामने आए हैं। जिसके बाद महाराष्‍ट्र सरकार एक्‍शन मोड में नजर आ रही है। महाराष्ट्र के स्वास्थ्य विभाग ने इस बीमारी के मामलों में अचानक वृद्धि की जांच के लिए एक टीम गठित की है।सभी के ब्लड सैंपल आईसीएमआर और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी ( एनआईवी) में जांच के लिए भेजे गए है।

राज्‍य के एक अधिकारी ने बताया कि पुणे नगर निगम (पीएमसी) के स्वास्थ्य विभाग ने मरीजों के नमूने जांच के लिए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (आईसीएमआर-एनआईवी) को भेजे हैं। नगर निगम के अधिकारियों ने बताया कि इनमें से अधिकतर मामले शहर के सिंहगढ़ रोड इलाके से सामने आए। चिकित्सकों के अनुसार, गुलियन-बैरे सिंड्रोम एक दुर्लभ विकार है, जिसमें अचानक सुन्नता और मांसपेशियों में कमजोरी हो जाती है। इसके साथ ही इस बीमारी में हाथ पैरों में गंभीर कमजोरी जैसे लक्षण भी होते हैं।

दिल्ली के जीटीबी अस्पताल में मेडिसिन विभाग में डॉ अजीत कुमार बताते हैं कि यह न्योरोलॉजिक बीमारी है। जो लाखों में किसी एक मरीज में होती है। स्वाइन फ्लू के तरह इस बीमारी के लक्षण होते हैं। जिसमें सर्दी, जुकाम और तेज बुखार आता है। इस बीमारी में शरीर की इम्यूनिटी ही नसों पर हमला करने लगती है। यह एक अस्थायी बीमारी है, लेकिन कुछ मामलों में यह घातक भी हो सकती है। इससे संक्रमित होने पर हाथों और पैरों में झुनझुनी और कमज़ोरी, दर्द होने लगता है। अगर ये कंट्रोल न हो तो ब्रेन पर भी असर हो सकता है।

इस बीमारी से ठीक होने में लगने वाला समय अलग-अलग होता है, ज़्यादातर लोग कुछ हफ़्तों से लेकर महीनों में ठीक हो जाते हैं। लगभग 80% लोग पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं, जबकि 15% में कमज़ोरी रह सकती है और 5% को गंभीर जटिलताओं का सामना करना पड़ता है। समय रहते इलाज ही इसका उपाय है।

लेबनान में हिजबुल्लाह के टॉप लीडर हमादी की हत्या, घर के बाहर गोलियों से भूना, शक के घेरे में इजराइल

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इजरायल और हमास के सीजफायर डील के बीच हमास को तगड़ा झटका लगा है। ईस्ट लेबनान में हिजबुल्लाह के एक टॉप लीडर शेख मुहम्मद अली हमादी की किसी अज्ञात ने हत्या कर दी है। द जेरुशलम पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक बेका वैली में स्थित अपने घर के बाहर वह खड़े था, तभी दो गाड़ियों में आए आतंकियों ने उसपर हमला कर दिया। इसके बाद उसे पास के हॉस्पिटल ले जाया गया, लेकिन उनकी जान नहीं बच पाई।

हिजबुल्लाह कमांडर मोहम्मद हम्मादी की उनके घर के ठीक सामने गोली मारी गई। हमलावर दो गाड़ियों में आए थे, जिन्होंने हम्मादी पर अंधाधुंध फायरिंग की। मोहम्मद हम्मादी की हत्या के बाद लेबनानी सेना की इकाइयों ने मछघरा की घेराबंदी कर दी है। सुरक्षाबल पश्चिमी बेका के शहरों में मोबाइल चेकपॉइंट स्थापित किए और हमलावरों की तलाश में व्यापक पैमाने पर तलाशी अभियान चलाया जा रहा है। हिजबुल्लाह की ओर से अभी तक हत्या के बारे में कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है।

अभी तक हमादी की हत्या की वजह का पता नहीं चला है। न ही अभी तक किसी ने इसकी जिम्मेदारी ली है। लेबनान की मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यह हत्या पॉलिटिकल नहीं है ,बल्कि चार साल पुराना पारिवारिक विवाद इसकी वजह हो सकती है। वहीं, कुछ रिपोर्ट्स में इस हत्या के पीछे इजराइल का हाथ भी बताया जा रहा है।

ये हत्या ऐसे समय हुई है, जब हिजबुल्लाह और इजरायल के बीच लेबनान में संघर्ष विराम की समयसीमा भी नजदीक आ रही है। इजराइल-हिजबुल्लाह के बीच 27 नवंबर को 60 दिन की सीजफायर डील हुई थी। यह डील 25 जनवरी 2025 को खत्म हो रही है। इस सीजफायर को और आगे बढ़ाने के लिए बातें चल रही हैं।

पुष्पा 2' के डायरेक्टर सुकुमार के घर इनकम टैक्स ने मारा छापा, एयरपोर्ट पर ही पकड़े गए सुकुमार*

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साल 2024 की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म ‘पुष्पा 2’ अभी भी बॉक्स ऑफिस पर छाई हुई है। इस फिल्म ने दुनियाभर में कमाई के कई रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं और भारत की दूसरी सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म बन गई है। इस बीच 'गेम चेंजर' जैसी फिल्म को प्रोड्यूस करने वाले प्रोड्यूसर दिल राजू के बाद बुधवार को भी हैदराबाद के कई जगह छापेमारी की खबरें सामने आईं। बुधवार को सुकुमार के घर और ऑफिस पर रेड मारी गई। बताया जा रहा है कि जिस वक्त सुकुमार के घर आईटी विभाग ने छापा मारा, उस वक्त सुकुमार हैदराबाद एयरपोर्ट पर थे।'साक्षी पोस्ट' की रिपोर्ट के मुताबिक, सुकुमार को आईटी अधिकारी एयरपोर्ट से ही उनके घर ले गए।

आयकर विभाग के अधिकारियों ने बुधवार (22 जनवरी) को ‘पुष्पा 2’ के डायरेक्टर सुकुमार के हैदराबाद स्थित घर और ऑफिस पर छापा मारा। साक्षी पोस्ट के अनुसार, ये छापे सुबह जल्दी शुरू हुए और कई घंटों तक चले। बताया जा रहा है कि सुकुमार हैदराबाद एयरपोर्ट पर थे जब आयकर अधिकारी उन्हें उनके निवास स्थान पर ले गए और फिर छापेमारी की गई।

हालांकि, छापे के उद्देश्य और परिणामों के बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं दी गई है। आयकर विभाग के किसी भी अधिकारी ने इस छापे के बारे में कोई बयान नहीं दिया है।फिल्म मेकर की ओर से भी कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।

आयकर अधिकारियों को कथित तौर पर टैक्स चोरी का संदेह है। वे दस्तावेजों की जांच कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि यह कार्रवाई बेहिसाब बढ़ी आय की जांच का एक हिस्सा है। अधिकारी संभावित कर चोरी का पता लगाने के लिए वित्तीय रिकॉर्ड और लेन-देन की जांच कर रहे हैं।

इससे पहले 21 जनवरी यानी मंगलवार को भी इनकम टैक्स की कार्रवाई की खबरें सामने आई थीं। विभाग की 55 टीमों ने 8 से ज्यादा अलग अलग स्थानों पर छापेमारी की। इनमें पुष्पा 2 के प्रोड्यूसर नवीन येरनेनी और मैत्री मूवी मेकर्स के संस्थापक रविशंकर येलमंचिली से लेकर दिल राजू का नाम शामिल था।

सुकुमार हाल में ही अल्लू अर्जुन की पुष्पा 2 को लेकर चर्चा में थे। उनकी ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर ब्लॉकबस्टर रही। जिसमें अल्ल के अलावा फहाद फासिल और रश्मिका मंदाना लीड रोल में थे। फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर 1800 करोड़ से अधिक का कारोबार भी किया।

अजय माकन का केजरीवाल पर जोरदार हमला, आप संयोजक को बताया “फर्जीवाल” और “एंटी नेशनल”

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कांग्रेस दिल्ली में बड़े मुकाबले के लिए कमर कस चुकी है। कांग्रेस मान चुकी है कि गठबंधन धर्म को आगे बढ़ाने का कोई मतलब नहीं है। कांग्रेस कई राज्यों जैसे पश्चिम बंगाल, ओडिशा और उत्तर प्रदेश में कमजोर हो गई है या समाप्त हो गई है जब उसने अन्य खिलाड़ियों या क्षेत्रीय पार्टियों को अपने ऑप्शन के रूप में बढ़ने दिया। दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के विकल्प के रूप में आई और पैर पूरी तरह से जमा लिया। हालांकि, अब कांग्रेस की ओर से आप पर जोरदार हमले हो रहे हैं।अब कांग्रेस नेता अजय माकन ने अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल फर्जीवाल है और केजरीवाल एंटी नेशनल हैं।

बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर माकन ने अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी पर गंभीर आरोप लगाए। पत्रकारों से बात करते हुए अजय माकन ने कहा कि दिल्ली को लेकर जो कैग की रिपोर्ट आई है, उसमें एक रिपोर्ट काफी गंभीर है। यह रिपोर्ट इंगित करती है कि राष्ट्रीय राजधानी में 382 करोड़ रुपए का हेल्थ स्कैम हुआ है। कैग की रिपोर्ट बताती है कि तीन नए हॉस्पिटल बनकर तैयार हुए। जबकि ये तीनों ही शीला दीक्षित सरकार में बन गए थे, केवल उनकी समय सीमा आगे खिसक गई थी। अरविंद केजरीवाल ने इन हॉस्पिटल के लिए अलग से फंड लिए। माकन ने कहा कि केजरीवाल सरकार को बताना चाहिए आखिर यह भ्रष्टाचार कैसे हुआ?

अजय माकन ने आगे कहा कि इंदिरा गांधी अस्पताल, बुरारी अस्पताल और मौलाना आजाद दंत अस्पताल के निर्माण में भ्रष्टाचार किया गया है। इनमें सबसे ज्यादा 314 करोड़ रुपए इंदिरा गांधी अस्पताल के निर्माण में टेंडर से ज्यादा पैसे लगाए गए। कांग्रेस नेता ने आरोप लगाते हुए कहा कि आप सरकार ने 15 जगह भूमि ली थी नए अस्पताल बनाने के लिए, लेकिन नहीं बना पाए। केंद्र से मिले पैसे का भी 56 प्रतिशत यह सरकार खर्च ही नहीं कर पाई। 635 में से 360 करोड़ वापस करने पड़ गए। आम आदमी पार्टी सरकार ने 32 हजार बेड बनाने की घोषणा की थी मगर बने सिर्फ 1,235। देश की राजधानी में नौ अस्पताल ऐसे हैं जहां एक बेड पर दो-दो मरीज लिटाए जाते हैं। चार हॉस्पिटल सर्वे के लिए चुने गए, वहां ओटी तक का हाल बेहाल है।

विश्व स्तरीय स्वास्थ्य मॉडल की कलई खुली-माकन

अजय माकन ने आरोप लगाते हुए आगे कहा कि लोकनायक में सर्जरी के लिए 12 महीने की वेटिंग है। 50 से 74 प्रतिशत डॉक्टरों की कमी दो नए अस्पतालों में चल रही है। कैग ने केजरीवाल सरकार के तथाकथित विश्व स्तरीय स्वास्थ्य मॉडल की कलई खोलकर रख दी है, इसलिए ये लोग रिपोर्ट्स को टेबल नहीं कर रहे। माकन ने आगे कहा कि दिल्ली के 27 में से 14 अस्पतालों में ICU ही नहीं है। CAT एम्बुलेंस में आवश्यक उपकरण तक नहीं हैं। 49 मामलों में नहीं होने के कारण एम्बुलेंस भेजी ही नहीं जा सकी। जिस मुद्दे पर विधानसभा में डिबेट होनी चाहिए, लेकिन हमें यहां प्रेस कॉन्फ्रेंस करनी पड़ रही है।

केजरीवाल से कैग रिपोर्ट्स के हर मुद्दे पर डिबेट के लिए तैयार-माकन

स्वास्थ्य के क्षेत्र में 8 हजार से ज्यादा रिक्तियां हैं, जिन्हें आप सरकार भर ही नहीं सकी। केजरीवाल जवाब दें कि क्या यही है दिल्ली का विश्वस्तरीय स्वास्थ्य मॉडल? ये केजरीवाल नहीं बल्कि फर्जीवाल हैं। जल्द ही मैं यह भी बताऊंगा कि केजरीवाल किस तरह से राष्ट्रद्रोही है। आप सरकार भ्रष्ट तो है ही, कार्य कुशल भी नहीं है। चोर की दाढ़ी में ही तिनका होता है, केजरीवाल की दाढ़ी में तिनका है तभी वो इसे टेबल नहीं होने दे रहे हैं। मैं केजरीवाल से कैग रिपोर्ट्स के हर मुद्दे पर डिबेट करने को तैयार हूं।

आप के पाप नाम से कैंपेन की शुरुआत

अजय माकन ने प्रेस वार्ता में कहा कि दिल्ली में एक पार्टी का गठन भ्रष्टाचार के खिलाफ हुआ था। उस वक्त एक नेता कैग की रिपोर्ट लाकर कांग्रेस के खिलाफ झंडा उठाते थे लेकिन अब वही कैग रिपोर्ट उनके भ्रष्टाचार के बारे में बता रही है। माकन ने कहा कि आप के पाप नाम से हम लगातार कैंपेन चला रहे हैं। अरविंद केजरीवाल की सरकार ने इन कैग रिपोर्ट्स को विधानसभा के पटल पर नहीं रखते हैं, जो उनकी मंशा को भी बता रही है।

श्रीलंका ने 41 भारतीय मछुआरों को किया रिहा, श्रीलंकाई राष्ट्रपति के भारत दौरे पर एस जयशंकर ने फटाया था मुद्दा

#sri_lanka_released_41_indian_fishermen_after_anura_dissanayake_india_visit

श्रीलंका ने 41 भारतीय मछुआरे को रिहा कर दिया है। चार महीने से भी ज्यादा वक्त के बाद ये मछुआरे अपने देश लौट आए हैं।श्रीलंका की नौसेना ने इन मछुआरों को 8 सितंबर, 2024 को अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा (आईएमबीएल) पार करने के आरोप में गिरफ्तार किया था। भारत सरकार से उन मछुआरों के परिवारों ने गुहार लगाई थी। जिसके बाद केन्द्र की मोदी सरकार के प्रयास के बाद श्रीलंका ने 41 भारतीय मछुआरों को रिहा कर दिया। ये सभी अब स्वदेश लौट चुके हैं।

तमिलनाडु तटीय पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, 41 मछुआरों में से 35 रामनाथपुरम के निवासी हैं, जबकि अन्य नागपट्टिनम और पुदुकोट्टई जिलों के रहने वाले हैं। स्वदेश लौटने पर मछुआरों को नागरिकता सत्यापन, सीमा शुल्क जांच और अन्य औपचारिकताओं से गुजरना पड़ा। तमिलनाडु मत्स्य विभाग के अधिकारियों ने मछुआरों का स्वागत किया। इसके बाद अलग-अलग वाहनों में उनके गृहनगरों तक परिवहन की व्यवस्था की गई। इससे पहले श्रीलंका ने तमिलनाडु के 15 मछुआरों के एक समूह को रिहा किया था, जो 16 जनवरी को चेन्नई पहुंचे थे।

हाल के महीनों में भारत, श्रीलंका और बांग्लादेश के मछुआरों को अनजाने में अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमाओं को पार करने के लिए हिरासत में लिए जाने की कई घटनाएँ हुई हैं। तमिलनाडु के मछुआरा संघों ने तटीय जिलों में बड़े पैमाने पर इन गिरफ्तारी के विरोध में प्रदर्शन किए और निर्णायक कार्रवाई की मांग की थी। उन्होंने पीएम मोदी को पत्र लिखकर उनसे बीच समुद्र में होने वाली गिरफ्तारियों और मछली पकड़ने वाली मशीनीकृत नावों की जब्ती पर रोक लगाने का आग्रह किया था, जो उनकी आजीविका के लिए महत्वपूर्ण हैं।

इन चुनौतियों का समाधान करने और मछुआरों की आजीविका की रक्षा करने के लिए निरंतर कूटनीतिक प्रयासों की आवश्यकता पर ध्यान दिया। पिछले महीने यानी दिसंबर में श्रीलंका के राष्ट्रपति भारत दौरे पर आए थे, तब विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा दिसानायके के साथ चर्चा की थी और पुरजोर तरीके से मछुयारे की गिरफ्तारी का मुद्दा उठाया था। इसके बाद खुद राष्ट्रपति अनुरा दिसानायके ने भारत को भरोसा दिया था कि श्रीलंका सरकार उन सभी मछुआरों को रिहा कर देगी। स्वदेश लौटते ही जयशंकर की बातों पर श्रीलंका के राष्ट्रपति ने अमल किया और रिहा करने का आदेश जारी हो गया।

केजरीवाल की केंद्र के सामने उठाया मिडिल क्लास का मुद्दा, रखी ये 7 मांगें

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दिल्ली में 5 फरवरी को विधानसभा चुनाव होने हैं। इस चुनाव में आम आदमी पार्टी तीसरी बार सत्ता वापसी के लिए पूरा जोर लगा रही है। आप ने इस चुनाव में जीत पक्की करने के ले हर एक वर्ग को साधने की कोशिश की है। आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने महिलाओं से लेकर बुजुर्गों और युवाओं तक पर दांव खेला है। अब केजरीवाल की नजर मिडिल क्लास पर है। इस बीच बुधवार को आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया और देश के मिडिल क्लास को लेकर कई जरूरी मुद्दों पर बात की। इसके साथ ही केंद्र सरकार से 7 मांगें भी की हैं।

मिडिल क्लास केवल एटीएम बनकर रह गया-केजरीवाल

अरविंद केजरीवाल ने कहा कि कई वादे धर्म और जाति के नाम पर किए जाते हैं। कई वादे समाज के निचले तबके के लिए किए जाते हैं। कई वादे उद्योगपतियों के लिए किए जाते है। कुछ लोग इनके वोट बैंक हैं। एक वर्ग इनके बीच में है जो पिसकर रह गया है। 75 सालों में एक के बाद एक दूसरी पार्टी सत्ता में आई। हर सरकार ने मिडिल क्लास को दबाकर रखा है। ये मिडिल क्लास के लिए करते कुछ नहीं है लेकिन टैक्स का हथियार चला देती है। मिडिल क्लास सरकार का एटीएम बनकर रह गया है।

मिडिल क्लास की आवाज उठाएगी आप-केजरीवाल

आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मिडिल क्लास पर टैक्स का बोझ सबसे ज्यादा है। मिडिल क्लास को हमारे देश में सबसे ज्यादा परेशान किया जाता है। मिडिल क्लास वालों की 50 प्रतिशत से ज्यादा आमदनी टैक्स देने में चली जाती है। केजरीवाल ने कहा कि आम आदमी पार्टी सड़क से लेकर संसद तक मिडिल क्लास की आवाज उठाएगी। आने वाले बजट में आम आदमी पार्टी के सांसद मिडिल क्लास के मुद्दों को ही संसद में उठाएंगे।

मिडिल क्लास के लिए केजरीवाल की 7 मांगे

• शिक्षा का बजट 2 परसेंट से बढ़ाकर 10 प्रतिशत किया जाए।

• पूरे देश में प्राइवेट स्कूलों की फीस पर लगाम लगाई जाए, उच्च शिक्षा के लिए सब्सिडी दी जाए।

• स्वास्थ्य क्षेत्र का बजट भी बढ़ाया जाए और हेल्थ इंश्योरेंस से टैक्स भी कम किया जाए।

• इनकम टैक्स की छूट की सीमा को 7 लाख से बढ़ाकर 10 लाख किया जाए।

• आवश्यक वस्तुओं के ऊपर से जीएसटी खत्म की जाए।

• सीनियर सिटिजन्स के लिए मजबूत रिटायरमेंट प्लान और पेंशन योजना बनाई जाए। इसके साथ ही देशभर में वरिष्ठ नागरिकों को मुफ्त और अच्छा इलाज दिया जाए।

• बुजुर्गों को पहले रेलवे में किराए पर 50 प्रतिशत छूट मिलती थी, जो अब खत्म कर दी गई है, उसे दोबारा शुरू किया जाए।

भारत के साथ तख्त रिश्ते के बीच पहले पाक फिर चीन से संबंध बढ़ा रहा बांग्लादेश, क्या हैं मोहम्‍मद यूनुस के इरादे

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चीन और भारत के रिश्ते कभी सामान्य नहीं रहे। खासकर दुनियाभर में भारत की बढ़ती ताकत ने चीन को बार-बार “चोट” पहुंचाई है। यही वजह है कि चीन, भारत को कमजोर करने की कोई भी चाल को हाथ से गंवाना नहीं चाहता है। भारत के पड़ोसी देशों में पिछले एक साल में कई बदलाव आए हैं। मालदीव, श्रीलंका और बांग्लादेश जैसे देशों में राजनीतिक उथल-पुथल देखी गई है। चीन ने इसका फायदा उठाने की कोशिश लगातार की है। चीन अपनी लोन नीति के चलते कई देशों में अपनी पकड़ मजबूत कर चुका है। पाकिस्तान को अपने चंगुल में लेने के बाद चीन अब बांग्लादेश पर नजर रखे हुए है।

हाल के दिनों में भारत-बांग्लादेश के रिश्ते तल्ख हुए हैं। भारत के ससाथ संबंधों में आई गिरावट के साथ ही बांग्लादेश पहले पाकिस्तान अब चीन के करीब आने लगा है। इसी बीच बांग्लादेश के विदेश सलाहकार तौहीद हुसैन चीन दौरे पर हैं। बांग्‍लादेश आर्मी के टॉप जनरल कमरुल हसन ने कुछ दिनों पहले ही पाकिस्‍तान की यात्रा की थी। उन्‍होंने पाकिस्‍तान आर्मी चीफ असीम मुनीर से मुलाकात की थी। अब यूनुस ने अपने विदेश मामलों के सलाहकार तौहीद हुसैन को बीजिंग भेजा है।

बांग्लादेश के विदेश मामलों के सलाहकार हसन की यात्रा पर टिप्पणी करते हुए चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने यहां एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि चीन बांग्लादेश के साथ विभिन्न स्तरों पर बातचीत को मजबूत करने, राजनीतिक आपसी विश्वास को बढ़ाने, उच्च गुणवत्ता वाले बेल्ट एंड रोड सहयोग और अन्य क्षेत्रों में आदान-प्रदान और सहयोग को गहरा करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि चीन-बांग्लादेश व्यापक रणनीतिक सहकारी साझेदारी को बढ़ाया जाएगा।

बांग्लादेश के विदेश सलाहकार तौहीद हसन चीन दौरे पर हैं और उनके इस दौरे में चीन से लिए लोन भुगतान की मियाद को बढ़ाना अहम मुद्दों में से एक है। द डेली स्टार के खबर के मुताबिक चीन ने इस पर सहमति भी व्यक्त कर दी है। बीजिंग चीनी लौन भुगतान के लिए समय सीमा बढ़ाने पर राजी हो गया और ढाका को आश्वासन दिया है कि वह बांग्लादेश के विदेशी ऋण भुगतान के दबाव को कम करने के लिए ब्याज दर कम करने के अनुरोध पर विचार करेगा।

हसन ने चीन से ब्याज दर को 2-3 फीसद से घटाकर 1 फीसद करने की मांग की है, साथ ही अनुरोध किया है कि भुगतान करने के अच्छे रिकार्ड को देखते हुए, लोन चुकाने की अवधि को 20 साल से बढ़ाकर 30 साल कर दिया जाए। खबरों के मुताबिक चीनी ने दोनों ही मांगों पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है।

हसीन के तख्तापलट के बाद आ रहे करीब

बांग्‍लादेश में प्रचंड विरोध प्रदर्शन से कुछ दिन पहले शेख हसीना ने आधिकारिक तौर पर चीन का दौरा किया था। वहां से लौटने के बाद उनका तख्‍ता पलट हो गया था। वहीं, अंतरिम सरकार के गठन के बाद से, सत्तारूढ़ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने विपक्षी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के दौरे की मेजबानी की, जिसके बाद कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी सहित बांग्लादेशी इस्लामी दलों के प्रतिनिधिमंडल का भी दौरा हुआ।

छोटे देशों को फांसना चीन की चाल

बता दें कि छोटे देशों को लोन देना चीन के लिए कोई नया नहीं है। देशों को अपने लोन की जाल में फंसाना चीन की नीति का पुराना हिस्सा रहा है। श्रीलंका को भी चीन ने बड़े पैमाने पर लोन दिया है और भुगतान करने में विफल रहने पर श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर कब्जा कर लिया है। हंबनटोटा बंदरगाह पर चीन की मौजूदगी भारत के लिए बड़ा खतरा है।

चीन ने अपने नौसैनिक निगरानी और जासूसी जहाजों को हंबनटोटा में खड़ा किया है। पिछले दो सालों में बीजिंग ने कई मौकों पर अपने 25 हजार टन वजनी सैटेलाइट और बैलिस्टिक मिसाइल ट्रैकिंग जहाज युआन वांग 5 को हंबनटोटा में तैनात किया है, जो श्रीलंका की भारत से करीबी की वजह से भारत के हितों के लिए हानिकारक है। हालांकि भारत के चिंताओं के बाद श्रीलंका ने आश्वासन दिया है कि वह देश धरती भारत के खिलाफ इस्तेमाल नहीं होने देगा।