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तमिलनाडु में जल्लीकट्टू का आगाज, जानें बार-बार क्यों होता है इसे लेकर विवाद?

डेस्क:–तमिलनाडु में जल्लीकट्टू शुरु हो चुका है। जल्लीकट्टू परंपरा तमिलनाडु के पोंगल पर्व से जुड़ा एक आयोजन है। इसमें बैलों की दौड़ लगवाई जाती है और उनपर नियंत्रण करने का प्रयास किया जाता है। पोंगल के तीसरे दिन यानी मट्टू पोंगल के दिन यह खेल आयोजित किया जाता है।इसके साथ ही हमेशा विवादों में भी रहा है।

साल 2025 का पहला जल्लीकट्टू तमिलनाडु में शुरू हो चुका है। बैलों और इंसानों के बीच ताकत और साहस की इस अनोखी भिड़ंत पोंगल के त्योहार के समय शुरु होती है। तमिलनाडु की इस प्राचीन परंपरा में बैलों को भीड़ के बीच छोड़ दिया जाता है, और जो खिलाड़ी अपनी जान जोखिम में डालकर इन्हें काबू कर लेता है, वही विजेता कहलाता है।

लेकिन यह खेल सिर्फ रोमांच का नहीं, बल्कि विवादों का भी पर्याय है। पशु अधिकार संगठनों के विरोध और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के बावजूद, जल्लीकट्टू आज भी तमिल संस्कृति और पोंगल उत्सव की धड़कन बना हुआ है। तो क्या इस बार यह खेल विवादों से बच पाएगा, या एक बार फिर चर्चाओं का केंद्र बनेगा? आइए जानते हैं,

जल्लीकट्टू दो शब्दों से मिलकर बना है और तमिल के लोगों के लिए बहुत मायने रखता है. जली यानी सिक्का और कट्टू यानी बांधना। रिवाज के मुताबिक इंसानों और बैलों के बीच होने वाले इस खेल में इन नुकीले सींगों पर सिक्कों की एक छोटी से थैली बांधी जाती है। बैलों को काबू करने वाले को ही विजेता माना जाता है। इसमें बैल इंसान को और इंसान बैल को ललकारता है। पहले एक-एक करके तीन बैलों को छोड़ा जाता है। जो गांव इनमें से जो भी बैल को चंद सेकेंड के लिए भी रोकने में कामयाब हो जाता है। उसे ही विजेता मान लेते हैं। अगर कोई बैल को 15 मीटर के दायरे में काबू नहीं कर पाता तो बैल को विजेता घोषित कर दिया जाता है।

तमिलनाडु के लोग सांड या बैल को भगवान शिव का वाहन मानते हैं। प्राचीन काल में वे सांड के सिंग में सोने चांदी के सिक्के एक पोटली में बांध देते थे। पहले जो पुरुष बैल को काबू कर लेता था उसे महिला अपना पति चुनती थी. सोने-चांदी का सिक्का उसे गिफ्ट में मिलता था। इसका इतिहास करीब 2500 साल पुराना है। तमिलनाडु में पोंगल त्योहार के तीसरे दिन बैलों की पूजा के बाद जल्लीकट्टू का आयोजन होता है। मगर ये हमेशा विवादों में रहा है. इस पर राजनीति भी खूब हुई है। कुछ लोगों का मानना है कि इस खेल में बैलों के साथ ज्यादती की जाती है।इंसानों की भी जान जाती है. लिहाजा इस पर रोक लगनी चाहिए।

साल 2006 में मद्रास हाई कोर्ट ने इस खेल पर प्रतिबंध लगा दिया था. इसके बाद, 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर रोक लगाने का फैसला सुनाया. हालांकि, 2017 में तमिलनाडु में भारी विरोध प्रदर्शनों के चलते राज्य सरकार ने इस खेल पर से प्रतिबंध हटाने का निर्णय लिया और इसके नियमों में कुछ बदलाव किए।इसके बावजूद, कुछ पशु अधिकार संगठनों ने सरकार के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान तमिलनाडु सरकार ने तर्क दिया कि यह खेल सिर्फ मनोरंजन का माध्यम नहीं है, बल्कि इसका संबंध राज्य की सांस्कृतिक परंपरा, इतिहास, और धार्मिक मान्यताओं से है. वर्ष 2023 में, जस्टिस के.एम। जोसेफ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय बेंच ने जल्लीकट्टू से जुड़े तमिलनाडु सरकार के नियमों को वैध ठहराया। कोर्ट ने माना कि जब राज्य सरकार इस खेल को अपनी सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा मानती है, तो इसे स्वीकार किया जाना चाहिए। फैसले में यह भी कहा गया कि 2017 में संशोधित पशु क्रूरता निवारण अधिनियम खेल में जानवरों के प्रति होने वाली क्रूरता को काफी हद तक नियंत्रित करता है।
कोहरे के चलते अलग-अलग राज्यों की कई रेल सेवाओं पर पड़ा असर ,10 जनवरी तक इस रूट की कई ट्रेनें  कैंसिल
डेस्क:–कोहरे के चलते अलग-अलग राज्यों की कई रेल सेवाओं पर असर पड़ा है लेकिन सबसे ज्यादा बिहार से सफर करने वाले यात्रियों पर इसका असर पड़ रहा है। बिहार से से जाने वाली कई ट्रेनों को 10 जनवरी तक रेलवे ने कैंसिल कर दिया है। आप यहां कैंसिल ट्रेनों की जानकारी ले सकते हैं।

उत्तर भारत में कोहरा और ठंड कहर बरपा रहे हैं। कोहरे के चलते विजिबिलिटी जीरो हो रही है। इसके अलावा रोजाना कई ट्रेनों का शेड्यूल भी गड़बड़ा रहा है। ऐसे में अगर आप भी कहीं घूमने का प्लान बना रहे हैं तो ये खबर आपके काम की साबित हो सकती है। दरअसल, कोहरे के कारण भारतीय रेलवे की कई ट्रेनें 10 जनवरी तक कैंसिल कर दी गई हैं। अगर आपकी भी 10 जनवरी तक कोई टिकट है तो एक बार स्टेशन जाने से पहले यहां कैंसिल ट्रेनों की लिस्ट जरूर चेक कर लें।

वैसे तो कोहरे के चलते अलग-अलग राज्यों की कई रेल सेवाओं पर असर पड़ा है लेकिन सबसे ज्यादा बिहार से सफर करने वाले यात्रियों पर इसका असर पड़ रहा है। बिहार से से जाने वाली कई ट्रेनों को 10 जनवरी तक रेलवे ने कैंसिल कर दिया है। यहां हमने आपको कैंसिल हुई ट्रेनों की लिस्ट बताई है…

*ये ट्रेनें 10 जनवरी तक हुईं कैंसिल*

गाड़ी नंबर 55074 बढ़नी-गोरखपुर अनारक्षित विशेष गाड़ी 10 जनवरी तक कैंसिल है

,गाड़ी नंबर 55073 गोरखपुर-बढ़नी अनारक्षित विशेष गाड़ी 10 जनवरी, तक कैंसिल है

गाड़ी नंबर 55056 गोरखपुर-छपरा अनारक्षित विशेष गाड़ी 10 जनवरी, 2025 तक कैंसिल है

गाड़ी नंबर 55055 छपरा-गोरखपुर अनारक्षित विशेष गाड़ी 10 जनवरी, 2025 तक कैंसिल है।

गाड़ी नंबर 55036 गोरखपुर कैंट-सीवान अनारक्षित विशेष गाड़ी 10 जनवरी, 2025 तक कैंसिल है

गाड़ी नंबर 55035 सीवान-गोरखपुर कैंट अनारक्षित विशेष गाड़ी 10 जनवरी, 2025 तक कैंसिल है

गाड़ी नंबर 55038 थावे-सीवान अनारक्षित विशेष गाड़ी 10 जनवरी, 2025 तक कैंसिल है।

गाड़ी नंबर 55037 सीवान-थावे अनारक्षित विशेष गाड़ी 10 जनवरी, 2025 तक कैंसिल है।

गाड़ी नंबर 55098 गोरखपुर कैंट-नरकटियागंज अनारक्षित विशेष गाड़ी 10 जनवरी, 2025 तक कैंसिल है ।

गाड़ी नंबर 55097 नरकटियागंज-गोरखपुर कैंट अनारक्षित विशेष गाड़ी 10 जनवरी, 2025 कैंसिल है।

गाड़ी नंबर 55048 गोरखपुर कैंट-नरकटियागंज अनारक्षित विशेष गाड़ी 10 जनवरी, 2025 तक कैंसिल है।

गाड़ी नंबर 55047 नरकटियागंज-गोरखपुर कैंट अनारक्षित विशेष गाड़ी 10 जनवरी, 2025 तक कैंसिल है।

अगर ट्रेन कैंसिल हो जाती है, तो यात्रियों को ऑटोमैटिक प्रोसेस से पूरा रिफ़ंड मिल जाता है। वहीं, अगर आपने खुद अपने कारणों से ट्रेन का टिकट कैंसिल किया है तो आपको कुछ चार्ज देना पड़ सकता है।
तिब्बत, नेपाल, बांग्लादेश और भारत में मंगलवार सुबह भूकंप के तेज झटके
डेस्क:–तिब्बत, नेपाल, बांग्लादेश और भारत में मंगलवार सुबह भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए हैंं।भूकंप का केंद्र तिब्बत और नेपाल था, जिसने उत्तर भारत के कई शहरों को अपनी चपैट में लिया।

तिब्बत और नेपाल में मंगलवार का सूरज भूकंप के झटकों के साथ निकला। शुरुआती रिपोर्टों के मुताबिक भारत और बांग्लादेश के कई हिस्सों में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं, जिनका केंद्र तिब्बत था। जहां 7.1 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप आया है।

भूकंप सुबह करीब 6:52 बजे आया।नेपाल के काठमांडू, धाडिंग, सिंधुपालचौक, कावरे, मकवानपुर और कई अन्य जिलों में भूकंप के झटके महसूस किए गए। वहीं उत्तर भारत के भी कई शहरों में भूकंप के झटके महसूस किए गए, हालांकि भारत से अभी किसी हताहत की खबर नहीं है।

चीन भूकंप नेटवर्क केंद्र की ओर से जारी एक अलग सूचना के मुताबिक भूकंप गहराई 10 किलोमीटर थी।

इन दिनों दिल्ली NCR में भूकंप लगातार आ रहे हैं। हमारी पृथ्वी सात टेक्टोनिक प्लेटों से बनी है। ये प्लेटें लगातार अपनी जगह पर घूमती रहती हैं. कभी-कभी इनके बीच टकराव या घर्षण होता है।जिसके कारण हमें भूकंप का अनुभव होता है। भूकंप की तीव्रता से बड़े विनाश का खतरा बना रहता है।
चीन में फैल रहा कोविड जैसा वायरस HMPV ने अब भारत में दे दी दस्तक

डेस्क:–चीन में फैल रहा कोविड जैसा वायरस HMPV ने अब भारत में दस्तक दे दी है। इसके तीन मामले फिलहाल रिपोर्ट किए गए हैं। इस वायरस के बारे में कहा जाता है कि ये पहली बार इंसानों में साल 2001 में पाया गया था मगर कई शोध बताते हैं कि ये वायरस 200 से 400 साल पुराना है। पहले ये पक्षियों को संक्रमित करता है और अब इंसानों के लिए खतरा बन गया है।

चीन में कोरोना जैसे लक्षण दिखाने वाला ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) अब भारत पहुंच चुका है।सोमवार को तीन महीने की बच्ची इस वायरस से संक्रमित पाई गई। इससे पहले आठ महीने के बच्चे में भी इसका संक्रमण मिला था। इसके बाद गुजरात में भी एक केस रिपोर्ट किया गाया है. छोटे बच्चों, खासकर 2 साल से कम उम्र के, पर इस वायरस का ज्यादा असर देखा जा रहा है।

लेकिन ये कोई नया वायरस नहीं है. अमेरिकी सरकार की सेंटर फॉर डीजीज कंट्रोल एंड प्रीवेन्शन (सीडीसी) के अनुसार इंसानों मे इसकी खोज साल 2001 में हुई, यानी इस साल पता चला कि ये वायरस इंसानों को संक्रमित कर सकता है । लेकिन क्या आपको मालूम है यह वायरस 200-400 सालों से हमारे आस-पास मौजूद है? पहले यह केवल चिड़ियों को प्रभावित करता था। तो सवाल उठता है, कैसे एक ‘चिड़ियों का वायरस’ इंसानों तक पहुंचा और अब उन्हें बीमार कर रहा है?

साइंस डाइरेक्ट के मुताबिक ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) यह दिखाता है कि इंसानों और जानवरों के बीच सांस से जुड़ी बीमारियों का पहुंचना कोई नई बात नहीं है। भले ही इस वायरस को पहली बार 2001 में इंसानों में पहचाना गया था मगर वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि यह 200-400 साल पहले चिड़ियों से इंसानों में आया था. उस समय इसे एवियन मेटान्यूमोवायरस कहा जाता था।

लेकिन तब से लेकर अब तक ये वायरस खुद को बार-बार बदलता रहा है और इसने खुद को इंसानी शरीर के लिए ऐसा ढाल लिया है कि अब यह केवल इंसानों को ही प्रभावित करता है। fचिड़ियों को नहीं. इसकी “एडजस्टमेंट” इतनी परफेक्ट हो गई कि दुनिया के लगभग हर इंसान को 5 साल की उम्र तक यह वायरस अपनी चपेट में ले चुका होता है।

हमारे शरीर की इम्यूनिटी (रोग प्रतिरोधक क्षमता) एंटीबॉडीज़ और टी सेल्स पर निर्भर करती है. लेकिन HMPV बड़ी चालाकी से हमारे इम्यून सिस्टम को कमजोर कर देता हैमत4 यह टी सेल्स में प्रोग्राम्ड सेल डेथ रिसेप्टर्स को बढ़ाकर इम्यून रिस्पॉन्स को धीमा कर देता है।

इस वायरस के खिलाफ हमारी इम्यूनिटी हमेशा नहीं रहती. यही कारण है कि यह बार-बार हल्के इंफेक्शन का कारण बन सकता है। हालांकि ज्यादातर मामलों में यह मामूली होता है. 2024 भी चीन में इसके फैलने की खबर आई थी. साल 2023 में नीदरलैंड, ब्रिटेन, फिनलैंड, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और अमेरिका जैसे देशों में भी इस वायरस का पता चला था।

इस वायरस का अभी तक कोई ऐसा वैरिएंट देखने को नहीं मिला है, जो कोरोना की तरह विस्फोटक अंदाज में फैलता है। ये वायरस सभी उम्र के लोगों को संक्रमित कर सकता है।
पेट में छोड़ी सुई, प्रेग्नेंट हुई तो उसी से जख्मी होता रहा बच्चा… जन्म के बाद ऐसी हो गई हालत

डेस्क:– एमपी के रीवा का संजय गांधी अस्पताल सुर्खियों में है. यहां एक महिला डिलीवरी के लिए आई थी। महिला की जब डिलीवरी की गई तो डॉक्टरों के भी होश उड़ गए। बच्चा गंभीर रूप से घायल था। तब डॉक्टरों ने पाया कि महिला के पेट में सुई थी, जिससे बच्चे का यह हाल हो गया. महिला के परिवार का आरोप है कि पहली डिलीवरी के दौरान डॉक्टरों ने लापरवाही बरती और सुई महिला के पेट में छोड़ दी थी।

मध्य प्रदेश के रीवा से सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों का गजब कारनामा सामने आया है। उनकी लापरवाही से एक प्रेग्नेंट महिला और उसके पेट में पल रहे बच्चे की जान पर बन आई। डॉक्टरों ने दो साल पहले महिला की डिलीवरी के वक्त सर्जिकल सुई पेट में ही छोड़ दी थी। जब महिला दूसरी बार प्रेग्नेंट हुई तो उस सुई से पेट में पल रहा बच्चा घायल होता रहा। महिला को इस कारण पेट में तेज दर्द उठने लगा। आनन-फानन में सर्जरी की गई तो डॉक्टरों का कारनामा सामने आया. पेट से सुई मिली।

इस घटना के बाद से अब अस्पताल प्रशासन सवालों के घेरे में हैं। मामला शहर के संजय गांधी अस्पताल का है। संजय गांधी अस्पताल में डिलीवरी के लिए महिला आई थी। यह उसकी दूसरी डिलीवरी थी। परिवार का आरोप है कि पहली डिलीवरी करवाने वाले डॉक्टरों ने टांका लगाने वाली पिन महिला के पेट में भी छोड़ दी थी। इस कारण महिला की दूसरी डिलीवरी के दौरान पेट में पल रहा बच्चा सुई से घायल हो गया।

सबसे ज्यादा हैरानी की बात तो ये है कि पेट में पिन होने की जानकारी करीब 2 साल बाद तब हुई जब महिला की दूसरी डिलीवरी हुई। परिवार का आरोप है कि डिलीवरी के दौरान नवजात बच्चा इसी पिन से घायल हो गया। उसके पूरे शरीर में पिन से चोट पहुंची है। इसके चलते डाक्टरों ने उसे वेंटिलेटर पर रखा है।
सहारनपुर में एक लड़की को साइबर ठगों ने 25 लाख की लॉटरी का झांसा देकर डेढ़ लाख रुपये ठग लिए,सदमे में जहर खाकर कर ली खुदकुशी

डेस्क:–साइबर ठग नए-नए तरीकों से लोगों को अपना निशाना बनाते हैं। अब उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में एक लड़की को साइबर ठगों ने 25 लाख की लॉटरी का झांसा दिया और उससे डेढ़ लाख रुपये ठग लिए। जब लड़की को सच्चाई का पता लगा तो उसने सदमे में जहर खाकर खुदकुशी कर ली। अब पुलिस मामले की जांच कर रही है।

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में साइबर ठगों ने एक युवती को अपना शिकार बनाया। उन्होंने युवती से डेढ़ लाख रुपए की ठगी की। युवती को जब इस बात का पता चला तो वो सदमे में आ गई और उसने जहर खाकर सुसाइड कर लिया। परिजनों ने बिना किसी कार्रवाई के युवती के शव को सुपुर्द ए खाक कर दिया है। पुलिस का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है।

दरअसल ये मामला सहारनपुर के चिलकाना इलाके से सामने आया है, जहां मोहल्ला हामिद के रहने वाले खुर्शीद की बेटी रानी साइबर ठगों की वजह सदमे में आ गई थी  जानकारी के मुताबिक एक फोन कॉल के जरिए ठग ने रानी को बताया कि उसकी 25 लाख की लॉटरी निकली है। लॉटरी का पैसा पाने के लिए टैक्स के तौर पर उसे डेढ़ लाख रुपए देने पड़ेंगे। रानी ने अपने पिता रिश्तेदारों और पड़ोसियों से पैसे इकट्ठा करके ठग के बताए गए बैंक अकाउंट में ट्रांसफर कर दिए।

रानी के रकम जमा करने के बाद साइबर ठग ने उसके मोबाइल पर 25 लाख रुपए उसके अकाउंट में डिपॉजिट करने की फर्जी रसीद भेज दी। रसीद पाकर रानी बेहद खुश हुई और उसने अपने परिवार वालों को भी बताया कि उसके खाते में 25 लाख जमा हो गए है। अगले दिन जब रानी बैंक पहुंची तो उसे पता चला कि उसके खाते में कोई रकम जमा नहीं हुई। फिर रानी ने ठग के नंबर पर कॉल किया, तो वो स्विच ऑफ था।

इसके बाद रानी समझ गई कि उसके साथ ठगी हो गई है. रानी ने ये बात अपने परिजनों को बताई तो उनके पैरों तले से भी जमीन खिसक गई। रानी ने जिन-जिन से पैसे लिए थे। उन्होंने जब अपने पैसे लौटाने के लिए कहा तो वो सदमे में आ गई। इस वजह से रानी ने परेशान होकर जहर खा लिया और जान दे दी। रानी की मौत के बाद पूरे परिवार में शोक की लहर है। परिवार के लोग एक साल से उसकी शादी की तैयारी में जुटे थे। कुछ दिन बाद रानी की शादी होनी थी।

परिजनों ने बिना किसी कानूनी कार्रवाई के रानी के शव को सुपुर्द ए खाक कर दिया। वहीं इस मामले में पुलिस अधिकारियों का कहना है कि घटना की जानकारी ली जा रही है। पूरे मामले की जांच की जाएगी। अधिकारियों ने लोगों से भी अपील की है किसी भी तरह की साइबर ठगी होने पर साइबर हेल्पलाइन से संपर्क करें। किसी भी अनजान नंबर से आने वाली कॉल के झांसे में ना आएं।
यूपी पुलिस ने महाकुंभ 2025 के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए

डेस्क:–यूपी पुलिस ने महाकुंभ 2025 के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं। डीजीपी ने पुलिसकर्मियों की छुट्टियों पर रोक लगाई और छह रंगों के ई-पास सिस्टम को लागू किया। CCTV, ड्रोन और क्विक रिस्पांस टीमों के साथ सुरक्षा बढ़ाई गई है, जिससे श्रद्धालुओं को सुगम प्रवेश और आयोजन सफल होगा। बता दें, हर 12 साल में एक बार आयोजित होने वाला महाकुंभ 26 फरवरी को समाप्त होगा।

उत्तर प्रदेश सरकार ने महाकुंभ 2025 के सुरक्षित और भव्य आयोजन को सुनिश्चित करने के लिए व्यापक सुरक्षा उपाय लागू किए हैं और विस्तृत व्यवस्था की है। हजारों एआई-संचालित सीसीटीवी, अंडरवाटर ड्रोन और आगंतुकों और श्रद्धालुओं के लिए अत्याधुनिक सुविधाओं की तैनाती के साथ, राज्य सरकार और प्रशासन प्रयागराज में 13 जनवरी से शुरू होने वाले भव्य मेले के लिए तैयार है। रविवार को पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने मेला क्षेत्र में सुरक्षा तैयारियों को सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षा जांच और क्षेत्र में गश्त की।

ACP (परेड एरिया कुंभ) जगदीश कालीरमन ने कहा कि वे वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशों के आधार पर नियमित जांच और निगरानी कर रहे हैं। ACP ने कहा, "हम परेड स्थल पर लगातार सुरक्षा जांच कर रहे हैं, क्योंकि लोग यहीं से प्रवेश करेंगे और यहीं से निकलेंगे। यह एक संवेदनशील स्थल है, इसलिए मैनुअल और उपकरण आधारित जांच जारी है। हम जिला अस्पताल में भी जांच कर रहे हैं, जहां लोग स्वास्थ्य जांच के लिए आते हैं।" प्रयागराज के पुलिस आयुक्त तरुण गौबा ने भी विभिन्न अखाड़ों का दौरा किया और व्यवस्थाओं का आकलन करने के लिए संतों और साधुओं से बातचीत की।

आयुक्त गौबा ने एएनआई को बताया, "हम विभिन्न अखाड़ों का दौरा कर रहे हैं, साधुओं और संतों से संपर्क कर रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सब कुछ ठीक है। हम यहां सभी हितधारकों के संपर्क में हैं और यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि सुरक्षा व्यवस्था तैयार है।" अंडरवाटर ड्रोन के बारे में बोलते हुए आयुक्त ने कहा, "हमारे पास किसी भी सुरक्षा मुद्दे की निगरानी करने और आपदा प्रबंधन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक अंडरवाटर ड्रोन है।" सुरक्षा प्रयासों के साथ-साथ, लाखों लोगों को मुफ्त नेत्र जांच और चश्मा प्रदान करने के लिए 'नेत्र कुंभ' कार्यक्रम भी आयोजित किया जा रहा है।
ठंड के बावजूद वाराणसी में बढ़ी पर्यटकों की भीड़

डेस्क:–भीषण ठंड ने काशी को कांपने पर मजबूर कर दिया है। सड़क से लेकर घाट तक दिन में सन्नाटा पसरा रह रहा है। कुछ दिनों हर कोई घर में दुबका हुआ था। अब आगरा शहर में कोहरे से निजाद मिल रहा है। स्थानीय लोगों ने बताया कि पहले कोहरे की स्थिति के कारण दृश्यता काफी कम हो गई थी, जिससे स्मारक को स्पष्ट रूप से देखना चुनौतीपूर्ण हो गया था। हालांकि, आज मौसम साफ होने से पर्यटकों को काफी बेहतर नजारा देखने को मिला।

पिछले तीन दिनों से घने कोहरे से ढके ताजमहल में आज सुबह दृश्यता में सुधार हुआ, जिससे आगंतुक हल्की धुंध के बीच इसकी ऐतिहासिक सुंदरता का आनंद ले सके। सोमवार सुबह 8 बजे आगरा में तापमान 12.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जबकि वाराणसी और व्यापक पूर्वांचल क्षेत्र में भीषण शीतलहर जारी है। सोमवार सुबह 8 बजे तापमान 11.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जिससे ठंड के कारण कई लोग घरों के अंदर ही रहे। ठंड के बावजूद, आध्यात्मिकता के शहर के रूप में प्रसिद्ध वाराणसी में इस सर्दी में धार्मिक पर्यटन में उल्लेखनीय वृद्धि देखी जा रही है।

काशी विश्वनाथ मंदिर के CEO विश्वभूषण मिश्रा ने सर्दियों की छुट्टियों के दौरान यात्रा के रुझानों में उल्लेखनीय बदलाव पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, "अतीत में, परिवार आमतौर पर छुट्टियों के दौरान हिल स्टेशन या तटीय स्थलों का चयन करते थे। हालांकि, अब वाराणसी जैसे आध्यात्मिक स्थलों की ओर झुकाव बढ़ रहा है।" इस मौसम में, काशी विश्वनाथ मंदिर में भक्तों की अभूतपूर्व आमद दर्ज की गई है। कठोर मौसम के बावजूद, बच्चों और बुजुर्गों सहित परिवार मंदिर में प्रार्थना करने के लिए कतार में खड़े हैं। आगंतुकों की बढ़ती संख्या आस्था की स्थायी शक्ति और धार्मिक पर्यटन की बढ़ती लोकप्रियता का प्रमाण है।

भक्तों की लंबी कतारें छुट्टियों की प्राथमिकताओं में व्यापक परिवर्तन को रेखांकित करती हैं, जिसमें वाराणसी जैसे तीर्थ स्थल पसंदीदा गंतव्य के रूप में उभर रहे हैं। मिश्रा ने कहा, "यह प्रवृत्ति पर्यटन में एक नए युग का संकेत देती है, जहां आस्था और आध्यात्मिकता पारंपरिक छुट्टियों की योजनाओं पर हावी हो रही है।" क्षेत्र में चल रही शीत लहर ने भी भक्तों के निरंतर प्रवाह को नहीं रोका है, जो गहरी आध्यात्मिक भक्ति को दर्शाता है। वाराणसी देश भर से पर्यटकों को आकर्षित करना जारी रखता है, जो इसे एक प्रमुख शीतकालीन गंतव्य के रूप में स्थापित करता है।
महाकुंभ के लिए गुजरात CM ने  जल एम्बुलेंस सेवा का किया उद्घाटन

डेस्क:–उत्तर प्रदेश में प्रयागराज शहर 13 जनवरी से 26 फरवरी तक महाकुंभ 2025 की मेजबानी करेगा। महाकुंभ मेला एक महत्वपूर्ण तीर्थयात्रा है जो दुनिया भर से करोड़ों लोगों को प्रयागराज के लिए आकर्षित करती है। हर 12 साल में होने वाला यह आयोजन आध्यात्मिक नवीनीकरण और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का एक महत्वपूर्ण अवसर है। कड़ाके की ठंड पड़ने के बाद भी श्रद्धालु कुंभ से पहले शहर में उमड़ रहे हैं। महाकुंभ मेले के लिए गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने शनिवार को महाकुंभ के लिए गांधीनगर से 'वाटर एम्बुलेंस' को हरी झंडी दिखाई। इस बीच, उत्तर प्रदेश में महाकुंभ 2025 से पहले खाद्य सुरक्षा मानकों को बढ़ावा देने के लिए प्रयागराज जिले में एक वॉकथॉन आयोजित किया गया।


भारत और दुनिया भर से बड़ी संख्या में भक्त इस 45-दिवसीय उत्सव का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, जो भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और आध्यात्मिक परंपराओं को प्रदर्शित करेगा। महाकुंभ मेले में मुख्य स्नान पर्व, जिसे शाही स्नान के नाम से जाना जाता है। पहला स्नान 14 जनवरी (मकर संक्रांति), दूसरा 29 जनवरी (मौनी अमावस्या) और तीसरा 3 फरवरी (बसंत पंचमी) को होगा। इन दिनों श्रद्धालुओं की संख्या सबसे अधिक होने की संभावना है।

महाकुंभ मेले में तैयारियों का जायजा लेने के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्माणाधीन टेंट सिटी का दौरा किया। उन्होंने ठंड के मौसम को देखते हुए समय पर भोजन और अन्य चीजों की व्यवस्था करने के महत्व पर जोर दिया। मुख्यमंत्री ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग वार्ड बनाए जा रहे हैं और कर्मियों की शिफ्ट ड्यूटी का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए। साथ ही, उन्होंने निर्देश दिया कि आपात स्थिति के दौरान एम्बुलेंस की प्रतिक्रिया का समय कम से कम किया जाए। सीएम योगी ने प्रयागराज के अपने पिछले दौरे के दौरान समीक्षा बैठक में स्पष्ट निर्देश दिए थे कि स्वच्छता ही महाकुंभ की पहचान है। स्वच्छ महाकुंभ अभियान को सफल बनाने के लिए न केवल सफाई के बेहतरीन इंतजाम करने होंगे, बल्कि मेले में काम करने वाले स्वच्छता मित्रों और उनके परिवारों का भी पूरा ध्यान रखना होगा।
महाकुंभ में 40 करोड़ श्रद्धालु आने का अनुमान, भीड़ प्रबंधन बनेगा चुनौती

डेस्क:–उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में शुरू होने वाले महाकुंभ मेले के दौरान करोड़ों श्रद्धालुओं के जुटने की उम्मीद है, ऐसे में ट्रैफिक जाम को कम करने के लिए वहां एक स्टील ब्रिज का निर्माण पूरा होने वाला है। पुल के निर्माण में शामिल एक व्यक्ति उमेश कुमार पांडे ने बताया कि पुल बहुत मजबूत है। हम इसके निर्माण के लिए पिछले 45-50 दिनों से काम कर रहे हैं। यह लगभग पूरा हो चुका है। केवल छोटे-मोटे काम बाकी हैं।

प्रयागराज में बन रहे स्टील पुल की क्षमता बहुत ज्यादा है। हमने कई बार इस पर 100-150 टन वजनी क्रेन चलाई हैं। यह पुल ट्रैफिक जाम को प्रबंधित करने में फायदेमंद होगा। महाकुंभ मेले में लगभग 40 करोड़ लोगों की भारी भीड़ आने की उम्मीद है, जिससे भीड़ प्रबंधन के लिए एक बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। महाकुंभ की तैयारियों पर उत्तर मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी (सीपीआरओ) शशिकांत त्रिपाठी ने बताया कि सिविल प्रशासन ने हमें अनुमान दिया है कि कुंभ मेले के दौरान करीब 40 करोड़ लोग प्रयागराज पहुंचेंगे। भीड़ प्रबंधन हमारे लिए एक बड़ा विषय है।

उत्तर मध्य रेलवे ने तीर्थयात्रियों के लिए एक सहज और सुरक्षित अनुभव सुनिश्चित करने के लिए एक योजना तैयार की है। अव्यवस्था और भीड़भाड़ को रोकने के लिए एकतरफा आवाजाही, लोगों की आवाजाही को एकतरफा रखा जाएगा, ताकि भीड़भाड़ से बचा जा सके। साथ ही यात्रियों को उनके संबंधित प्लेटफार्मों पर जाने से पहले 'यात्री-केंद्र' पर निर्देशित किया जाएगा, ताकि भ्रम और भीड़भाड़ को कम किया जा सके। यात्रियों को उनके संबंधित प्लेटफार्मों पर जाने से पहले 'यात्री-केंद्र' पर ले जाया जाएगा, ताकि भ्रम और प्लेटफार्मों पर अनावश्यक भीड़भाड़ से बचा जा सके।

महाकुंभ मेला 2025 में आने वाले तीर्थयात्रियों की भारी भीड़ को ध्यान में रखते हुए, भारतीय रेलवे 50 दिनों में 13,000 ट्रेनों का संचालन करेगा, जिसमें आयोजन से पहले और बाद में 2-3 अतिरिक्त दिन शामिल होंगे। इस विशाल परिवहन प्रयास में 10,000 नियमित ट्रेनें और 3,000 विशेष ट्रेनें शामिल होंगी। कुंभ मेले के 50 दिनों के दौरान, 13,000 ट्रेनें चलेंगी, जिनमें 10,000 नियमित ट्रेनें और 3,000 विशेष ट्रेनें होंगी। लंबी दूरी के लिए लगभग 700 मेला स्पेशल ट्रेनें हैं।