नो डिटेंशन पॉलिसी' क्या था वो नियम जिसे केन्द्र सरकार ने किया खत्म? तमिलनाडु ने किया विरोध
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5वीं से लेकर 8वीं क्लास में फेल होने वाले बच्चों को अब अगली क्लास में प्रमोट नहीं किया जाएगा। केंद्र सरकार ने ‘नो डिटेंशन पॉलिसी' (No Detention Policy) खत्म कर दी है। पहले इस नियम के तहत फेल होने वाले छात्रों को दूसरी क्लास में प्रमोट कर दिया जाता था। नए नियम के तहत अब उनको फेल ही माना जायेगा। पास होने के लिए उन्हें दोबारा परीक्षा देनी होगी। जब तक वे पास नहीं होते, तब तक उन्हें प्रमोट नहीं किया जाएगा।
नो-डिटेंशन पॉलिसी क्या है?
शिक्षा के अधिकार अधिनियम यानी राइट टू एजुकेशन (आरटीई) में नो-डिटेंशन पॉलिसी का जिक्र है। इसके मुताबिक, किसी भी छात्र को तब तक फेल या स्कूल से निकाला नहीं जा सकता, जब तक वह क्लास 1 से 8 तक की प्राथमिक शिक्षा पूरी नहीं कर लेता। यानी अगर कोई बच्चा क्लास 8 तक परीक्षा में फेल हो जाता है, तो उसे अगली क्लास में प्रमोट करने का प्रावधान है।
ये पॉलिसी क्यों रखी गई थी?
साल 2010-11 से 8वीं क्लास तक परीक्षा में फेल होने के प्रावधान पर रोक लगा दी गई थी। इसके बाद बच्चों को फेल होने के बावजूद अगली क्लास में प्रमोट कर दिया जाता था। ताकि बच्चों में हीन भावना न आए या वो सुसाइड जैसा कदम न उठा लें। कमजोर बच्चे भी बाकी बच्चों की तरह बेसिक एजुकेशन हासिल कर सके।
कैसे बनी ये पॉलिसी?
जुलाई 2018 में लोकसभा में राइट टु एजुकेशन को संशोधित करने के लिए बिल पेश किया गया था। इसमें स्कूलों में लागू ‘नो डिटेंशन पॉलिसी' को खत्म करने की बात थी। 2019 में ये बिल राज्य सभा में पास हुआ। इसके बाद ये कानून बन गया। राज्य सरकारों को ये हक था कि वो ‘नो डिटेंशन पॉलिसी' हटा सकते हैं या लागू रख सकते हैं। यानी राज्य सरकार ये फैसला ले सकती थीं कि 5वीं और 8वीं में फेल होने पर छात्रों को प्रमोट किया जाए या क्लास रिपीट करवाई जाए।
पॉलिसी से क्या हुई दिक्कत?
इस पॉलिसी से शिक्षा के लेवल में धीरे धीरे गिरावट आने लगी. यानी बच्चे बिना पढ़े और मेहनत किए अगली क्लास में पहुंच जाते थे. इसका सीधा असर बोर्ड एग्जाम में देखा जा सकता था. इसलिए काफी लंबे समय से इस मामले पर विचार-विमर्श के बाद नियमों में बदलाव कर दिया गया. इस पॉलिसी से बच्चों में लापरवाही बढ़ी, उन्हें फेल होने का डर नहीं रहा.
खत्म होने का किस पर होगा असर?
यह बदलाव केंद्र सरकार द्वारा चलाए जा रहे 3,000 से ज़्यादा स्कूलों पर लागू होता है, जिसमें केंद्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय और सैनिक स्कूल शामिल हैं, लेकिन राज्यों को इस नीति को अपनाने या अस्वीकार करने की आजादी है। शिक्षा मंत्रालय के एक सीनियर अधिकारी के मुताबिक, "चूंकि स्कूली शिक्षा राज्य का विषय है, इसलिए राज्य अपने फैसले लेने के लिए स्वतंत्र हैं। पहले ही 16 राज्य और दो केंद्र शासित प्रदेश कक्षा 5 और 8 के लिए 'नो-डिटेंशन पॉलिसी' से बाहर हो चुके हैं।"
विरोध में आया तमिलनाडु
तमिलनाडु में 5वीं और 8वीं में फेल होने वाले छात्रों को आगे प्रमोट किया जाता रहेगा. इस पर राज्य सरकार ने रोक नहीं लगाई है। इस बीच स्कूली शिक्षा मंत्री अंबिल महेश पोय्यामोझी ने कहा कि राज्य में कक्षा 8 तक ‘नो-डिटेंशन पॉलिसी’ का पालन जारी रहेगा।मंत्री ने कहा कि तमिलनाडु राष्ट्रीय शिक्षा नीति का पालन नहीं करता है और केंद्र के इस फैसले से तमिलनाडु के स्कूलों पर कोई असर नहीं पड़ेगा, सिवाय उन स्कूलों के जो केंद्र सरकार के दायरे में आते हैं।
Dec 24 2024, 11:57