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आंबेडकर को लेकर अमित शाह को घेर रही कांग्रेस पर पीएम मोदी का वार, बोले-पार्टी के काले इतिहास को उजागर कर दिया, इसलिए...

#pmmodibigattackoncongressover_ambedkar

पूरा विपक्ष गृह मंत्री अमित शाह को बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर वाले बयान पर घेरने की कोशिश कर रही है। आंबेडकर को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान पर विपक्ष के हमलों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पलटवार किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक के बाद एक कई ट्वीट करते हुए कांग्रेस पर हमला बोला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लिखा, 'संसद में गृह मंत्री ने डॉ. आंबेडकर का अपमान करने और एससी-एसटी समुदायों की अनदेखी करने के कांग्रेस के काले इतिहास को उजागर किया। कांग्रेस इससे स्पष्ट रूप से आहत और स्तब्ध हैं। यही कारण है कि वे अब नाटकबाजी कर रहे हैं। दुख की बात है। लोग सच्चाई जानते हैं।'

पीएम मोदी ने 'एक्स' एक के बाद एक कई ट्वीट कर कहा, 'अगर कांग्रेस और उसका बेकार हो चुका तंत्र यह सोचता है कि उनके दुर्भावनापूर्ण झूठ उनके कई सालों के कुकर्मों खासकर डॉ. आंबेडकर के प्रति उनके अपमान को छिपा सकते हैं, तो वे बहुत बड़ी गलतफहमी में हैं।'

पीएम मोदी ने दूसरे ट्वीट में कहा,'भारत के लोगों ने बार-बार देखा है कि कैसे एक वंश के नेतृत्व वाली एक पार्टी ने डॉ आंबेडकर की विरासत को मिटाने और एससी/एसटी समुदायों को अपमानित करने के लिए हर संभव गंदी चाल चली है।' पीएम मोदी आगे कहते हैं,'डा आंबेडकर के प्रति कांग्रेस के पापों की सूची में शामिल हैं, उन्हें एक बार नहीं बल्कि दो बार चुनावों में हराना, पंडित नेहरू ने उनके खिलाफ प्रचार किया और उनकी हार को प्रतिष्ठा का मुद्दा बनाया। उन्हें भारत रत्न देने से इनकार करना, संसद के सेंट्रल हॉल में उनके चित्र को गौरवपूर्ण स्थान न देना।'

उन्होंने कहा कि कांग्रेस चाहे जितनी कोशिश कर ले, वे इस बात से इनकार नहीं कर सकते कि एससी-एसटी समुदायों के खिलाफ सबसे भयानक नरसंहार उनके शासन में ही हुए हैं। वे सालों तक सत्ता में रहे, लेकिन एससी और एसटी समुदायों को सशक्त बनाने के लिए कुछ भी ठोस नहीं किया।

पीएम नरेंद्र मोदी ने संसद में गृह मंत्री द्वारा दिए गए बयान का वीडियो ट्वीट में अटैच करते हुए लिखा, संसद में गृह मंत्री अमित शाह जी ने डॉ आंबेडकर का अपमान करने और एससी/एसटी समुदायों की अनदेखी करने के कांग्रेस के काले इतिहास को उजागर किया। उनके के ज़रिए प्रस्तुत तथ्यों से वे साफ तौर पर हैरान हैं। यही वजह है कि वे अब नाटकबाजी में शामिल हो गए। उनके लिए दुख की बात है कि लोग सच्चाई जानते हैं।

अमित शाह ने क्या कहा था?

अमित शाह मंगलवार को संविधान के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर बहस के दौरान सदन को संबोधित किया था। इस दौरान अमित शाह ने कहा था कि बीआर अंबेडकर का नाम लेना अब एक "फैशन" बन गया है. अब यह एक फैशन हो गया है। अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर। इतना नाम अगर भगवान का लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता।

दुर्भावनापूर्ण झूठ’: बीआर अंबेडकर पर अमित शाह की टिप्पणी पर विवाद पर पीएम नरेंद्र मोदी ने प्रतिक्रिया दी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को राज्यसभा में गृह मंत्री अमित शाह की बीआर अंबेडकर पर टिप्पणी पर विपक्ष के विरोध का जवाब देते हुए कहा कि कांग्रेस ने दलित आइकन की विरासत को खत्म करने के लिए गंदी चालें चलीं। अगर कांग्रेस और उसका सड़ा हुआ पारिस्थितिकी तंत्र सोचता है कि उनके दुर्भावनापूर्ण झूठ उनके कई सालों के कुकर्मों, खासकर डॉ. अंबेडकर के प्रति उनके अपमान को छिपा सकते हैं, तो वे बहुत बड़ी गलतफहमी में हैं!” उन्होंने एक्स पर लिखा।

“भारत के लोगों ने बार-बार देखा है कि कैसे एक वंश के नेतृत्व वाली एक पार्टी ने डॉ. अंबेडकर की विरासत को खत्म करने और एससी/एसटी समुदायों को अपमानित करने के लिए हर संभव गंदी चाल चली है,” उन्होंने कहा।

प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर अंबेडकर को भारत रत्न न देने का आरोप लगाया।

“डॉ. अंबेडकर के प्रति कांग्रेस के पापों की सूची में शामिल हैं: उन्हें एक बार नहीं बल्कि दो बार चुनावों में हराना, पंडित नेहरू ने उनके खिलाफ प्रचार किया और उनकी हार को प्रतिष्ठा का मुद्दा बनाया, उन्हें भारत रत्न न देना, संसद के सेंट्रल हॉल में उनके चित्र को गौरवपूर्ण स्थान न देना,” मोदी ने एक्स पर लिखा। प्रधानमंत्री ने आगे कहा: “कांग्रेस चाहे जितनी कोशिश कर ले, लेकिन वे इस बात से इनकार नहीं कर सकते कि एससी/एसटी समुदायों के खिलाफ सबसे भयानक नरसंहार उनके शासन में हुए हैं। वे सालों तक सत्ता में रहे, लेकिन एससी और एसटी समुदायों को सशक्त बनाने के लिए कुछ भी ठोस नहीं किया।”

अमित शाह ने क्या कहा?

पीएम मोदी ने कांग्रेस पर यह हमला ऐसे समय में किया है जब संसद में अमित शाह की बीआर अंबेडकर पर की गई टिप्पणी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहा है। अमित शाह ने मंगलवार को संविधान के 75 साल पूरे होने पर दो दिवसीय चर्चा के बाद राज्यसभा में अपने संबोधन में कहा कि कांग्रेस ने अंबेडकर का नाम लेना एक फैशन बना लिया है। "अभी एक फैशन हो गया है - अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर। शाह ने कहा, "अगर भगवान का इतना नाम लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता है। अगर वे भगवान का नाम इतनी बार लेते तो उन्हें स्वर्ग में जगह मिल जाती।"

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे समेत कई कांग्रेस नेताओं ने शाह की इस टिप्पणी पर निशाना साधा। गांधी ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा कि जो लोग मनुस्मृति में विश्वास करते हैं, वे अंबेडकर से असहमत होंगे। खड़गे ने कहा कि गृह मंत्री द्वारा बाबासाहेब अंबेडकर का "अपमान" एक बार फिर साबित करता है कि भाजपा-आरएसएस तिरंगे के खिलाफ थे, उनके पूर्वजों ने अशोक चक्र का विरोध किया था और संघ परिवार के लोग पहले दिन से ही भारत के संविधान की जगह मनुस्मृति को लागू करना चाहते थे। खड़गे ने शाह के इस्तीफे की भी मांग की। "उन्होंने (अमित शाह) उन्होंने कहा, "उन्होंने बाबा साहब अंबेडकर और संविधान का अपमान किया है। मनुस्मृति और आरएसएस की उनकी विचारधारा से यह स्पष्ट है कि वह बाबा साहब अंबेडकर के संविधान का सम्मान नहीं करना चाहते। हम इसकी निंदा करते हैं और उनके इस्तीफे की मांग करते हैं। उन्हें देश की जनता से माफी मांगनी चाहिए, उन्हें अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।"

अरविंद केजरीवाल का एक और दांव,दिल्ली में बुजुर्गों के मुफ्त इलाज का ऐलान

#arvind_kejriwal_announced_sanjivani_yojana_before_delhi_chunav

दिल्ली में विधानसभा चुनाव नजदीक है। संभवतः फरवरी में होने वाले चुनाव को देखते हुए आम आदमी पार्टी ने कमर कस ली है।दिल्ली में बुजुर्गों के मुफ्त इलाज के लिए आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने बड़ी घोषणा करते हुए संजीवनी योजना का ऐलान किया है।दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बुजुर्गों के लिए संजीवनी योजना शुरू करने की घोषणा की। इसके तहत दिल्ली में 60 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों का इलाज मुफ्त होगा।

अरविंद केजरीवाल ने योजना की घोषणा करते हुए कहा कि दिल्ली वालों के लिए संजीवनी लेकर आया हूं। दिल्ली में 60 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों को मुफ्त इलाज मिलेगा। इलाज का सारा खर्च दिल्ली सरकार उठाएगी। ये केजरीवाल की गारंटी है। आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता घर-घर जाकर रजिस्ट्रेशन करेंगे। दिल्ली के पूर्व सीएम ने कहा कि सरकारी या प्राइवेट अस्पतालों में फ्री इलाज होगा। कोई अपर लिमिट नहीं होगी। कोई एपीएल, बीपीएल कार्ड नहीं चाहिए। इसका रजिस्ट्रेशन दो-तीन दिन में शुरू हो जाएगा। हमारे कार्यकर्ता आपके घर में आएंगे, आपको एक कार्ड देंगे, उसे संभालकर रखना। चुनाव के बाद आम आदमी पार्टी की सरकार बनने पर योजना बनाएगी और लागू करेगी।

अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आज मैं जो घोषणा कर रहा हूं वो भारत के इतिहास में कभी नहीं हुआ है। हम बुजुर्गों का बहुत सम्मान करते हैं और उन्ही की वजह से हमारा देश आज यहां तक पहुंचा है। इस वजह से अब यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम उनका ध्यान रखें। अरविंद केजरीवाल ने कहा, 'आप लोगों ने मेहनत करके देश को आगे बढ़ाया है और अब हमारा फर्ज बतना है कि हम आपका ख्याल रखें। इस वजह से हम संजीवनी योजना की घोषणा कर रहे हैं। बुढ़ापे में एक चीज सबको तकलीफ देती है और वो है बढ़ती उम्र के साथ 10 बीमारियों की चिंता। इस वजह से यह संजीवनी योजना दिल्ली के बुजुर्गों के लिए है।

इससे पहले अरविंद केजरीवाल ने 12 दिसंबर को महिलाओं के लिए ‘महिला सम्मान योजना‘ की घोषणा की थी। इस योजना के तहत पात्र महिलाओं के खाते में हर महीने एक हजार रुपये ट्रांसफर करने का ऐलान किया था। बाद में उन्होंने कहा था कि चुनाव जीतने के बाद महिलाओं को एक हजार की जगह 2100 रुपये दिए जाएंगे।

उत्तर कोरिया में फिर खुला भारतीय दूतावास, क्या इस कूटनीतिक बदलाव की वजह?

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पाकिस्तान हो, चीन या बांग्लादेश, भारत के अपने पड़ोसी देशों के साथ संबंध बहुत अच्छे नहीं कहे जा सकते हैं। ऐसे में भारत उत्तर कोरिया में राजनायिक संबंध बनाने की ओर अग्रसर है। भारतीय विदेश नीति में हाल ही में एक बड़ा कदम देखा गया जब भारत ने उत्तर कोरिया की राजधानी प्योंगयांग में अपना दूतावास दोबारा खोला। कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न चुनौतियों के चलते भारत ने उत्तर कोरिया की राजधानी प्योंगयांग में स्थित अपने दूतावास का संचालन अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया था। महामारी के दौरान लागू किए गए कड़े यात्रा प्रतिबंधों और स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं के कारण दूतावास के कर्मचारियों को वापस बुला लिया गया था। हालांकि, भारत ने उत्तर कोरिया दोबारा चालू कर लिया है।

जुलाई 2021 में भारत ने चुपचाप प्योंगयांग में अपना दूतावास बंद कर दिया और राजदूत अतुल मल्हारी गोत्सुर्वे पूरे स्टाफ के साथ मॉस्को के रास्ते नई दिल्ली लौट आए। हालांकि विदेश मंत्रालय ने कभी भी आधिकारिक तौर पर दूतावास को 'बंद' घोषित नहीं किया, लेकिन जब पत्रकारों ने पूछा कि पूरे स्टाफ को वापस क्यों बुलाया गया, तो उसने कहा कि यह कदम कोविड-19 के कारण उठाया गया था। वर्षों तक प्योंगयांग स्थित राजनयिक मिशन के बारे में कोई अद्यतन जानकारी नहीं दी गई और चौदह महीने पहले गोत्सुर्वे को मंगोलिया में राजदूत के रूप में नई नियुक्ति दी गई।

उत्तर कोरिया के साथ भारत के संबंध थोड़े ढके-छिपे ही रहे हैं। अब ऐसा लगता है कि भारत की कूटनीति में बड़ा बदलाव आया है और भारत ने प्योंगयांग के साथ अपने रिश्तों को मजबूती देने की कोशिश शुरू कर दी है।अब अचानक इस महीने की शुरुआत में भारत ने उत्तर कोरिया में अपने दूतावास का कामकाज फिर से शुरू करने का फैसला किया है। फिलहाल एक तकनीकी और राजनयिक कर्मचारियों की एक टीम को उत्तर कोरिया भेजा गया है। उत्तर कोरिया की सरकार जासूसी के लिए बदनाम भी है, ऐसे में पहले तकनीकी टीम दूतावास की जांच कर रही है। हालांकि अभी किसी राजदूत की नियुक्ति में थोड़ा समय लग सकता है।

उत्तर कोरिया का प्रभाव हाल के वर्षों में काफी बढ़ा है। इसकी वजह है उत्तर कोरिया का परमाणु शक्ति संपन्न होना और साथ ही उत्तर कोरिया ने हाइपरसोनिक मिसाइलों और लंबी दूरी की मिसाइलों का सफल परीक्षण किया है। ऐसे में सामरिक तौर पर उत्तर कोरिया की अहमियत चार वर्ष पहले की तुलना में काफी बढ़ गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार भारत सरकार को ये भी डर है कि उत्तर कोरिया की मिसाइल तकनीक पाकिस्तान या पाकिस्तान के आतंकी संगठनों के हाथ न लगने पाए, इसलिए भी भारत सरकार उत्तर कोरिया के साथ अपने रिश्तों को सुधारना चाहती है।

उत्तर कोरिया के दो बड़े साझेदार है, जिसमें रूस और चीन शामिल है। इसमें चीन उत्तर कोरिया को अमेरिका और दक्षिण कोरिया के खिलाफ कूटनीतिक और सैन्य दबाव के साधन के रूप में उपयोग करता है। वहीं हाल के कुछ सालों में यूक्रेन युद्ध के बाद, रूस और उत्तर कोरिया के बीच संबंध और प्रगाढ़ हुए। हाल ही में किम जोंग उन ने रूस का दौरा किया, और दोनों देशों ने सैन्य साझेदारी को बढ़ाने का फैसला लिया है।उत्तर कोरिया के साथ संबंध प्रगाढ़ करके भारत, चीन और रूस के साथ अपने कूटनीतिक समीकरणों को मजबूत कर सकता है। इसकी मदद से उत्तर कोरिया के प्राकृतिक संसाधन भारत के लिए निवेश और व्यापार के नए रास्ते खोल सकते हैं।

संसद में पीएम मोदी से मिले शरद पवार, जानिए क्या हुई बात

#sharad_pawar_meets_pm_modi

पूर्व कृषि मंत्री और राज्यसभा सांसद शरद पवार ने संसद भवन में बुधवार को प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की।राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष शरद पवार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर अनार किसानों के सामने आने वाले मुद्दों पर चर्चा की। बैठक में अनार उद्योग से जुड़ी चुनौतियों, खासकर किसानों को प्रभावित करने वाली चुनौतियों पर चर्चा की गई। किसानों की चिंताओं के बारे में मुखर रहे पवार ने प्रधानमंत्री से इन मुद्दों को सुलझाने और कृषि क्षेत्र के लिए समर्थन सुनिश्चित करने के लिए दखल करने की मांग की।

बता दें कि दोनों नेता उस समय मिले हैं, जब कांग्रेस संसद में अडाणी मुद्दे पर प्रदर्शन कर रही है। बुधवार को भी जब शरद पवार संसद भवन पहुंचे तब कांग्रेस के नेता बाबा साहेब भीम राव आंबेडकर के कथित अपमान के विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे। इस बीच पवार ने पश्चिमी महाराष्ट्र के फलटन के दो किसानों के साथ संसद में प्रधानमंत्री से उनके कार्यालय में मुलाकात की और उन्हें अपने खेत से अनार का एक डिब्बा भेंट भी किया।

प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद पवार ने कहा,'मैंने साहित्य सम्मेलन के विषय पर बात नहीं की।' जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्होंने पीएम मोदी महाराष्ट्र की राजनीति को लेकर कोई बात की है? तो उन्होंने इस सवाल का जवाब 'नहीं' में दिया।

शरद पवार ना सिर्फ महाराष्ट्र में बल्कि राष्ट्रीय स्तर विपक्षी खेमे के लिए बड़ा चेहरा हैं। ऐसे में संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान पीएम मोदी से मुलाकात को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं, हालांकि बाद में साफ हो गया कि उन्होंने किसानों के मुद्दों को लेकर पीएम से यह मीटिंग की है।

शरद पवार महाराष्ट्र की राजनीति में चाणक्य माने जाते हैं। हर राजनीतिक स्थिति में सभी दलों के नेताओं को साधकर रखते हैं। इसके बूते ही कांग्रेस से अलग होने के बाद भी कांग्रेस के साथ मिलकर महाराष्ट्र की सत्ता में लगातार 15 साल टिके रहे। वह पीएम नरेंद्र मोदी के करीबी भी माने जाते हैं। कई मौके ऐसे आए, जब पीएम नरेंद्र मोदी ने शरद पवार की सार्वजनिक तौर से तारीफ की।

हम पर जितना कर लगाता है तो हम भी उन पर उतना ही टैक्स लगाएंगे', डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को दी धमकी

#donald_trump_warn_to_india_over_high_tariffs

अमेरिका के अगले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अब तक पदभार नहीं संभाला है। हालांकि जब से चुनाव जीते हैं तब से ही अपने फैसलों से सबको चौंका रहे हैं। अब एक बार फिर उन्होंने ऐसा बयान दिया है जो भारत समेत कई देशों के लिए चिंता का सबब है। एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने भारत को चेतावनी देते हुए कहा कि जितना टैरिफ हमारे समान पर लगेगा उतना ही लगाएंगे।

ट्रंप ने भारत को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर भारत हमपर टैक्स लगाता है तो हम भी भारत पर उतना ही टैक्स लगाएंगे। उन्होंने कहा कि टैक्स तो पारस्परिक। यदि वे हम पर टैक्स लगाते हैं, तो हम भी उन पर उतना ही टैक्स लगाएंगे। ट्रंप ने कहा कि वो लगभग अमेरिका के सभी सामानों पर भारी टैक्स लगाते हैं और हम उन पर टैक्स नहीं लहा रहे, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। चीन के साथ संभावित व्यापार समझौते पर एक सवाल का जवाब में उन्होंने कहा कि भारत और ब्राजील उन देशों में शामिल हैं जो कुछ अमेरिकी उत्पादों पर उच्च टैरिफ लगाते हैं।

ट्रंप ने कहा रेसिप्रोकल, यह बहुत ही अहम है। अगर कोई हम पर कर लगाता है, जैसे- भारत। हमें अपने बारे में बात करने की जरूरत नहीं। अगर भारत हमें 100 फीसदी चार्ज करता है, तो हम ऐसा क्यों न करें? वे हमें साइकिल भेजते हैं। हम भी उन्हें साइकिल भेजते हैं। वे हमें 100-200 चार्ज करते हैं। ट्रंप ने कहा कि भारत में टैक्स बहुत है। ब्राजील भी ऐसा ही करता है। अगर वे हम पर टैक्स लगाना चाहते हैं तो वो ठीक है, लेकिन हम भी वैसा ही करेंगे।

हाल ही में ट्रंप ने घोषणा की कि वह जनवरी में अपने पदभार ग्रहण करने के पहले दिन ही ऐसे आदेशों पर हस्ताक्षर करेंगे, जिसके तहत मेक्सिको और कनाडा से आने वाले सभी सामानों पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया जाएगा। यह तब तक लागू रहेगा जब तक कि वे अपने देशों से अमेरिका में अवैध अप्रवासियों और ड्रग्स, खास तौर से फेंटानाइल के प्रवाह को न रोकें। उन्होंने यह भी ऐलान किया कि यदि चीन ने अमेरिका में फेंटेनाइल ड्रग आने से रोकने के लिए निर्णायक कार्रवाई नहीं की तो वह चीन से आने वाले सामानों पर मौजूदा दरों के अतिरिक्त 10 प्रतिशत टैरिफ लगाएंगे।

मणिपुर में स्टारलिंक जैसी डिवाइस बरामद! जानें एलन मस्क का जवाब

#starlink_device_being_used_in_manipur_elon_musk_react_on_claims

मणिपुर में सुरक्षा बलों ने इंफाल पूर्वी जिले से तलाशी अभियान के दौरान स्नाइपर राइफल, पिस्तौल, ग्रेनेड और अन्य हथियारों के साथ एक स्टारलिंक के लोगो वाली डिवाइस बरामद किया है। यह बरामदगी 13 दिसंबर को इंफाल ईस्ट से की गई है। मणिपुर में स्टारलिंक जैसी डिवाइस मिलने से हड़कंप मच गया है और सुरक्षा एजेंसियां इसकी जांच कर रही हैं। इस बीच स्पेसएक्स के संस्थापक एलन मस्क का बयान सामने आया है।उन्होंने उन सभी दावों को भी खारिज कर दिया, जिनमें कहा जा रहा है कि स्टारलिंक डिवाइस का इस्तेमाल मणिपुर में किया जा रहा है।

सुरक्षा बलों ने हाल ही में इंफाल पूर्वी जिले के केराओ खुनौ में छापेमारी के दौरान हथियारों और गोला-बारूद के साथ कुछ इंटरनेट डिवाइस जब्त किए थे। एक्स पर एक पोस्ट में दीमापुर मुख्यालय वाली स्पीयर का‌र्प्स ने सर्च अभियान में बरामद वस्तुओं की तस्वीरें डालीं। स्पीयर का‌र्प्स ने कहा कि आपरेशन में स्नाइपर्स, स्वचालित हथियार, राइफलें, पिस्तौल, देश-निर्मित मोर्टार, सिंगल बैरल राइफल, ग्रेनेड, गोला-बारूद और युद्ध जैसे भंडार वाले 29 हथियार बरामद किए गए है। इन तस्वीरों में स्टारलिंक लोगो वाला इंटरनेट डिवाइस भी शामिल था।

सोशल मीडिया पर इन तस्वीरों के आते ही हड़कंप मच गया। लोगों ने दावा किया कि स्टारलिंक का इस्तेमाल आतंकवादियों की ओर से किया जा रहा है। सोशल मीडिया पर उट रहे सवालों के बीच स्पेसएक्स के संस्थापक एलन मस्क का जवाब आया है।एलन मस्क ने कहा कि भारत के ऊपर स्टारलिंक सैटेलाइट बीम बंद कर दिए गए हैं। इसके साथ ही उन्होंने उन सभी दावों को भी खारिज कर दिया, जिनमें कहा जा रहा है कि स्टारलिंक डिवाइस का इस्तेमाल मणिपुर में किया जा रहा है।

राज्य पुलिस के मुताबिक, केराओ खुनौ से जब्त की गई वस्तुओं में एक इंटरनेट सैटेलाइट एंटीना, एक इंटरनेट सैटेलाइट राउटर और 20 मीटर (लगभग) एफटीपी केबल शामिल हैं। स्टारलिंक के पास भारत में काम करने का लाइसेंस नहीं है। हालांकि, इस बात की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं है कि बरामद उपकरण असली स्टारलिंक डिवाइस है या नहीं। स्टारलिंक जैसे उपकरण की बरामदगी के बाद अब एजेंसियां इस पहलू की भी जांच कर रही हैं कि उपकरण संघर्षग्रस्त राज्य में कैसे पहुंचा?

आंबेडकर का जिक्र कर अमित शाह ने ऐसा क्या कहा, भड़क गई कांग्रेस, गृह मंत्री से माफी की मांग

#congressdemandsapologyfromamitshahforremarksregarding_ambedkar

संविधान पर संसद में चल रही बहस के दौरान मंगलवार को गृह मंत्री अमित शाह की टिप्पणियों पर कांग्रेस ने सख़्त एतराज़ जताया है। अमित शाह अपने भाषण के दौरान डॉ बीआर आंबेडकर की विरासत पर बोल रहे थे।कांग्रेस ने राज्यसभा में गृह मंत्री अमित शाह की आंबेडकर के बारे में टिप्पणी के लिए उनसे माफी की मांग की। विपक्षी दल ने आरोप लगाया कि यह टिप्पणी दर्शाती है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के नेताओं में बी आर आंबेडकर के प्रति 'काफी नफरत' है।

अमित शाह के पूरे भाषण के एक छोटे हिस्से को लेकर काफ़ी विवाद हो रहा है। दरअसल, शाह ने कहा कि आजकल आंबेडकर का नाम लेना एक फ़ैशन बन गया है। उन्होंने कहा, अब ये एक फैशन हो गया है। आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर… इतना नाम अगर भगवान का लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता।

मनुस्मृति मानने वाले आंबेडकर से असहमत- राहुल गांधी

अमित शाह के इस बयान पर कांग्रेस पार्टी और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने आपत्ति जताई है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर राहुल गांधी ने लिखा, "मनुस्मृति मानने वालों को आंबेडकर जी से तकलीफ़ बेशक होगी ही।"

भाजपा-आरएसएस तिरंगे के खिलाफ-खरगे

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी शाह पर निशाना साधते हुए कहा, गृहमंत्री ने जो आज भरे सदन में बाबासाहेब का अपमान किया है, उससे ये फिर एक बार सिद्ध हो गया है कि 'भाजपा-आरएसएस तिरंगे के खिलाफ थे। उनके पुरखों ने अशोक चक्र का विरोध किया। संघ परिवार के लोग पहले दिन से भारत के संविधान के बजाय मनुस्मृति लागू करना चाहते थे।कांग्रेस अध्यक्ष ने ‘एक्स’ पर कहा, बाबासाहेब डॉ आंबेडकर जी ने ये नहीं होने दिया, इसलिए उनके प्रति इतनी घृणा है। खरगे ने कहा, मोदी सरकार के मंत्रीगण ये कान खोलकर समझ लें कि मेरे जैसे करोड़ों लोगों के लिए बाबा साहेब डॉ आंबेडकर जी भगवान से कम नहीं। वह दलितों, आदिवासियों, पिछड़े वर्ग, अल्पसंख्यक व ग़रीबों के मसीहा हैं और हमेशा रहेंगे।

अमित शाह ने 90 मिनट तक झूठ बोला-जयराम रमेश

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के राज्यसभा भाषण पर कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने कहा कि केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में 90 मिनट तक भाषण दिया और अन्य भाजपा नेताओं ने भी भाषण दिया। लोकसभा में 'एक राष्ट्र एक चुनाव' की बात हुई लेकिन राज्यसभा में 'एक भाषण अनेक वक्ता' की स्थिति रही। केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने 90 मिनट तक झूठ बोला, यह सिर्फ कांग्रेस पार्टी पर हमला था, यह भाषण नहीं था। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में विपक्ष के नेता का अपमान किया।

अमित शाह ने क्या कहा?

अपने भाषण में अमित शाह देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की पहली कैबिनेट से आंबेडकर के इस्तीफ़ा का ज़िक्र कर रहे थे। कांग्रेस की ओर इशारा करते हुए अमित शाह ने कहा कि अब चाहे आंबेडकर का नाम सौ बार ज़्यादा लो लेकिन साथ में आंबेडकर जी के प्रति आपका भाव क्या है, ये वह बताएंगे। अमित शाह ने कहा, आंबेडकर ने देश की पहली कैबिनेट से इस्तीफ़ा क्यों दे दिया? उन्होंने कई बार कहा कि वह अनुसूचित जातियों और जनजातियों के साथ होने वाले व्यवहार से असंतुष्ट हैं। उन्होंने सरकार की विदेश नीति से असहमति जताई थी अनुच्छेद 370 से भी सहमत नहीं थे। आंबेडकर को आश्वासन दिया गया था, जो पूरा नहीं हुआ, इसलिए कैबिनेट से इस्तीफ़ा दे दिया था। अमित शाह ने कहा, जिसका विरोध करते हो उसका वोट के लिए नाम लेना कितना उचित है?

एनएसए अजीत डोभाल का चीन दौरा, जानें 5 साल बाद हो रही ये बैठक कितनी अहम?

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भारत और चीन के रिश्ते पर जमी बर्फ अब पिघलती दिख रही है। दोनों देशों के बीच एलएसी पर सीमा विवाद के कारण बीते कुछ सालों में तनाव काफी बढ़ गया था। हालांकि, कई दौर की बातचीत के बाद हालात पटरी पर आते दिख रहे हैं। इसी क्रम में मंगलवार को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल बीजिंग पहुंचे हैं। लगभग पांच वर्षों के अंतराल के बाद उनकी चीन की आधिकारिक यात्रा है। इससे पहले एसआर संवाद दिसंबर 2019 में नई दिल्ली में हुआ था।

अजित डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने बुधवार को कई मुद्दों पर चर्चा की। अजीत डोभाल अपने चीनी समकक्ष और विदेश मंत्री वांग यी के साथ विशेष प्रतिनिधियों (एसआर) की 23वें दौर की वार्ता की। इस दौरान पूर्वी लद्दाख से सैनिकों की वापसी और गश्त को लेकर दोनों देशों के बीच 21 अक्टूबर को हुए समझौते के बाद द्विपक्षीय संबंधों को बहाल करने के लिए कई मुद्दों पर चर्चा हुई। इस वार्ता का उद्देश्य पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध के कारण चार साल से अधिक समय तक प्रभावित रहे द्विपक्षीय संबंधों को बहाल करना है। साथ ही दोनों देशों के बीच आई खटास को दूर करना है।

चीनी विदेश मंत्रालय ने क्या कहा?

अजीत डोभाल और वांग यी की विशेष बैठक से पहले चीनी विदेश मंत्रालय ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। एक सवाल के जवाब में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा कि चीन द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर करने और मतभेदों को दूर करने के लिए भारत संग काम करने को तैयार है। उन्होंने कहा कि चीन और भारत के नेताओं के बीच महत्वपूर्ण आम समझ को लागू करने, एक-दूसरे के मूल हितों और प्रमुख चिंताओं का सम्मान करने, बातचीत और संचार के माध्यम से आपसी विश्वास को मजबूत करने, ईमानदारी और सद्भाव के साथ मतभेदों को ठीक से सुलझाने और द्विपक्षीय संबंधों को जल्द से जल्द स्थिर और स्वस्थ विकास की पटरी पर लाने के लिए भारत के साथ काम करने के लिए तैयार है।

कम होते तनाव के बीच दौरा कितना अहम

एनएसए का दौरा ऐसे समय में हो रहा है, जब दोनों देशों ने डेमचोक और देपसांग क्षेत्रों से अपनी सेना को पीछे हटाने के समझौते पर सहमति बनाई है। खबरों के मुताबिक दोनों ओर से को-ऑर्डिनेट पेट्रोलिंग भी शुरू हो गई है। इस विवाद को सुलझाने के लिए कॉर्प्स कमांडरों की 21 राउंड की बैठक हो चुकी है, इसके अलावा डिप्लोमेटिक लेवल पर भी कई दौर की बातचीत हुई है।

मई 2020 में शुरू हुआ था सैन्य गतिरोध

दोनों देशों के बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैन्य गतिरोध मई 2020 में शुरू हुआ था। उसी साल जून में गलवां घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच घातक झड़प हुई थी, जिससे दोनों पड़ोसियों के बीच संबंधों में गंभीर तनाव आ गया था। सैनिकों की वापसी के समझौते को 21 अक्तूबर को अंतिम रूप दिया गया था। समझौते पर हस्ताक्षर होने के दो दिन बाद पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने रूस के कजान शहर में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर बातचीत की थी। बैठक में दोनों पक्षों ने सीमा मुद्दे पर विशेष प्रतिनिधि वार्ता सहित कई वार्ता तंत्रों को बहाल करने पर सहमति व्यक्त की थी।

चीन बनाएगा दुनिया का सबसे बड़ा कृत्रिम-द्वीप हवाई अड्डा, 43 मिलियन यात्रियों की क्षमता

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट (SCMP) की रिपोर्ट के अनुसार, चीन दुनिया का सबसे बड़ा कृत्रिम-द्वीप हवाई अड्डा बना रहा है, ताकि उत्तरपूर्वी बंदरगाह शहर डालियान की स्थिति को क्षेत्रीय परिवहन केंद्र के रूप में बढ़ाया जा सके। लियाओनिंग प्रांतीय सरकार की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, वर्तमान में निर्माणाधीन डालियान जिनझोउवान अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा 20 वर्ग किलोमीटर (7.72 वर्ग मील) में फैला होगा।

पूरा होने के बाद, नया हवाई अड्डा हांगकांग अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे, जो 12.48 वर्ग किलोमीटर में फैला है, और जापान के कंसाई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे, जो 10.5 वर्ग किलोमीटर में फैला है, को पीछे छोड़ देगा - दोनों ही कृत्रिम द्वीपों पर स्थित हैं। "डालियान के लोगों का कहना है कि यह सबसे बड़ा है, यह बिल्कुल वैसा ही है," विमानन परामर्शदात्री संस्था के संस्थापक ली हनमिंग ने SCMP को बताया।

अपतटीय जिनझोउवान हवाई अड्डा डालियान की सेवा करेगा, जो अपने रणनीतिक स्थान के कारण पड़ोसी जापान और दक्षिण कोरिया के साथ व्यापार का केंद्र है। बोहाई जलडमरूमध्य के उत्तरी छोर पर एक प्रायद्वीप पर स्थित, छह मिलियन से अधिक लोगों का यह शहर तेल रिफाइनरियों, शिपिंग, रसद और तटीय पर्यटन के लिए एक केंद्र के रूप में विकसित हुआ है। जिनझोउवान मुख्य भूमि चीन का पहला हवाई अड्डा है जो पूरी तरह से एक कृत्रिम अपतटीय द्वीप पर बनाया गया है। प्रांतीय सरकार के अनुसार, इसमें अंततः चार रनवे और 900,000 वर्ग मीटर (9.69 मिलियन वर्ग फीट) में फैला एक विशाल टर्मिनल होगा। टर्मिनल शुरू में सालाना 43 मिलियन यात्रियों को संभालेगा - मौजूदा डालियान झोउशुइज़ी हवाई अड्डे की क्षमता से दोगुना से भी अधिक - और प्रति वर्ष 80 मिलियन यात्रियों को समायोजित करने के लिए विस्तारित किया जाएगा।

कनाडा स्थित एक वैश्विक उद्योग समूह, एयरपोर्ट काउंसिल इंटरनेशनल ने कहा कि हवाई अड्डा पूरी तरह से चालू होने के बाद सालाना एक मिलियन टन कार्गो का प्रबंधन भी करेगा। पूरी परियोजना पर $4.3 बिलियन की लागत आने की उम्मीद है और इसे 2035 तक पूरा करने की योजना है। लियाओनिंग प्रांतीय सरकार ने बताया कि, अगस्त तक, 77,000 वर्ग मीटर के पुनर्ग्रहण क्षेत्र पर "गहरी नींव उपचार" पूरा हो चुका था। भूमि सुधार और टर्मिनल भवन की नींव के लिए भी योजनाएँ चल रही हैं।

वर्तमान डालियान झोउशुइज़ी हवाई अड्डा, जो लगभग एक सदी पहले जापानी कब्जे में खोला गया था, कई विस्तारों से गुजरा है, लेकिन अब यह अपनी अधिकतम डिज़ाइन क्षमता तक पहुँच गया है। सिन्हुआ के अनुसार, पिछले साल हवाई अड्डे ने 658,000 अंतरराष्ट्रीय यात्रियों को संभाला। ली हनमिंग ने बताया कि मौजूदा हवाई अड्डे का पहाड़ों से घिरी घाटी में स्थित होना, पायलटों के लिए नेविगेट करना मुश्किल बनाता है, खासकर प्रतिकूल मौसम में। उन्होंने कहा, "इसका स्थान प्रतिकूल मौसम के दौरान उड़ानों को काफी खतरनाक बना सकता है।"

हालांकि, ली ने यह भी चेतावनी दी कि द्वीप हवाई अड्डों के साथ अनूठी चुनौतियाँ आती हैं। उन्होंने कहा, "यदि द्वीप हवाई अड्डे एकल पुलों द्वारा प्राकृतिक भूमि से जुड़े हैं, तो उन्हें कट जाने का विशेष रूप से उच्च जोखिम होता है," उन्होंने भूकंप, आंधी या जहाज़ की टक्कर जैसी दुर्घटनाओं के लिए ऐसे बुनियादी ढाँचे की भेद्यता को देखते हुए कहा। चीन का आक्रामक बुनियादी ढांचा विस्तार जारी है, जुलाई तक 22 नए हवाई अड्डों का निर्माण चल रहा है, जिनकी कुल कीमत 19.6 बिलियन डॉलर है, यह जानकारी मार्केट इंटेलिजेंस फर्म CAPA सेंटर फॉर एविएशन ने दी है। एक बार पूरा हो जाने पर, डालियान जिनझोउवान अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से क्षेत्र की कनेक्टिविटी में बदलाव आने की उम्मीद है और हवाई परिवहन और व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में डालियान की भूमिका को मजबूत करने की उम्मीद है।