क्या बांग्लादेश की पहचान मिटाने में लगे मोहम्मद यूनुस? अब 'जॉय बांग्ला' अब नहीं होगा राष्ट्रीय नारा
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शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद से बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर बदलाव हो रहे हैं। शेख हसीना को 5 अगस्त को देश छोड़कर भागना पड़ा और उनकी जगह मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस की अगुवाई में अंतरिम सरकार 8 अगस्त को अस्तित्व में आई। अंतरिम सरकार हसीना सरकार के दौर में लिए गए कई बड़े फैसलों को पलटने में लगी है। इसी बीच, बांग्लादेश की सुप्रीम कोर्ट ने एक हाईकोर्ट के उस फैसले को नकार दिया, जिसमें 'जॉय बांग्ला' को बांग्लादेश का राष्ट्रीय नारा घोषित किया गया था।यह नारा पूर्व पीएम और बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान द्वारा लोकप्रिय किया गया था।
शेख हसीना सरकार के जाने के बाद देश में अंतरिम सरकार अस्तित्व में आई और हाई कोर्ट के फैसले को निलंबित करने की मांग की। अंतरिम सरकार ने 2 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में अपील याचिका दायर कर 10 मार्च, 2020 के हाई कोर्ट के इस फैसले पर रोक लगाने की मांग की। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सैयद रेफात अहमद की अगुवाई वाली अपीलीय खंडपीठ की 4 सदस्यीय बेंच ने मंगलवार को इस आधार पर आदेश पारित किया कि राष्ट्रीय नारा सरकार के नीतिगत फैसले से जुड़ा मैटर है और न्यायपालिका इस मुद्दे में हस्तक्षेप नहीं कर सकती।
आदेश में कहा गया कि राष्ट्रीय नारा सरकार के नीतिगत निर्णय का मामला है और न्यायपालिका इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती। सुनवाई में सरकार की ओर से पेश हुए अतिरिक्त अटॉर्नी जनरल अनीक आर हक ने कहा कि इस आदेश के बाद जॉय बांग्ला को राष्ट्रीय नारा नहीं माना जाएगा।
अंतरिम सरकार की नीति अब “बांग्ला” विरोधी!
इससे यह भी स्पष्ट होता है कि अंतरिम सरकार की नीति अब “बांग्ला” आधार पर नहीं है। बांग्लादेश का पाकिस्तान से अलग होना पूरी तरह से भाषाई अत्याचार पर आधारित था। शेख मुजीबुर्रहमान ने भी अपनी मुस्लिम पहचान को कायम रखते हुए बांग्ला भाषावासियों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाई थी। शेख मुजीबुर्रहमान ने जब यह अनुभव किया था कि उर्दू बोलने वाला पश्चिमी पाकिस्तान अपने ही उस अंग की उपेक्षा कर रहा है, जो बांग्ला बोलता है, तो उन्होंने इसके खिलाफ आवाज उठाई। भारत की सहायता से अपने ही उस मुल्क से आजादी पाई थी, जिस मुल्क के लिए उन्होंने भारत से एक प्रकार से आजादी से पहले जंग लड़ी थी। ऐसे में अब सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को क्या माना जाए?
यह था हाईकोर्ट का फैसला
उच्च न्यायालय ने 10 मार्च 2020 को 'जॉय बांग्ला' को देश का राष्ट्रीय नारा घोषित किया था। कोर्ट ने सरकार को आवश्यक कदम उठाने का आदेश दिया था ताकि नारे का इस्तेमाल सभी राज्य समारोहों और शैक्षणिक संस्थानों की सभाओं में किया जा सके। इसके बाद 20 फरवरी 2022 को हसीना के नेतृत्व वाली कैबिनेट ने इसे राष्ट्रीय नारे के रूप में मान्यता देते हुए एक नोटिस जारी किया और अवामी लीग सरकार ने 2 मार्च 2022 को एक गजट अधिसूचना जारी की।
तख्तापलट के बाद कई बड़े बदलाव
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक दिसंबर को 15 अगस्त को राष्ट्रीय शोक दिवस और सार्वजनिक अवकाश घोषित करने के हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी थी। इससे पहले 13 अगस्त को अंतरिम सरकार की सलाहकार परिषद ने फैसला लिया था कि 15 अगस्त को कोई राष्ट्रीय अवकाश नहीं होगा। कुछ दिन पहले बांग्लादेश के केंद्रीय बैंक ने करेंसी नोटों से बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की तस्वीर हटाने का फैसला लिया था। बांग्लादेश में हुए सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बाद बांग्लादेश के राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की बेटी शेख हसीना को पांच अगस्त को प्रधानमंत्री पद और देश छोड़ना पड़ा था। इसके बाद अंतरिम सरकार ने बांग्लादेश की सत्ता संभाली। इसके बाद बंगबंधु रहमान और शेख हसीना के खिलाफ फैसले लिए जा रहे हैं।
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