संसद में पोस्टर वॉरः पक्ष-विपक्ष दोनों तरफ से लहराए गए बैनर
#poster_war_continues_in_parliament
संसद का शीतकालीन सत्र एक बार फिर हंगामे की भेंट चढ़ने लग गया है। इस हफ्ते के पिछले तीनों दिन संसद के दोनों सदन में कार्यवाही सुचारू रूप से नहीं चल सकी। पहले विपक्ष की ओर से अडाणी मुद्दे पर हंगामा किया जा रहा था, लेकिन अब सत्ता पक्ष के सांसद कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के जॉर्ज सोरेस के साथ संबंध होने को लेकर लगातार हंगामा कर रहे हैं। इस वजह से संसदीय कार्यवाही नहीं चल पा रही है। गुरुवार को सदन में पोस्टर वॉर हो गया। जब विपक्ष अडानी पर लगे आरोप के विरोध में और जांच के मामले को लेकर देश नहीं बिकने देंगे का पोस्टर संसद के बाहर लहराया तो दूसरी तरफ बीजेपी ने कांग्रेस को घेरने के लिए सोनिया गांधी और जॉर्ज सोरेस के रिश्तों पर एक पोस्टर सदन में दिखाया।

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन किया। गिरिराज सिंह दोनों हाथों में सोनिया गांधी और जॉर्ज सोरेस की तस्वीर लेकर संसद परिसर में आए, जिसमें लिखा है, "ये रिश्ता क्या कहलता है।" उन्होंने कांग्रेस से सोरोस के साथ क्या रिश्ता है, इसका जवाब भी मांगा है। बीजेपी ने कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व पर जॉर्ज सोरोस के साथ लिंक होने का आरोप लगाया है।
बीजेपी ने आरोप लगाया कि विपक्ष के नेता राहुल गांधी और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के जॉर्ज सोरोस समर्थित उन संगठनों के साथ संबंध हैं, जो कथित तौर पर भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल है। कांग्रेस ने बीजेपी के आरोपों को सिरे से खारिज करते किया। कांग्रेस ने बीजेपी पर पलटवार करते हुए कहा है कि सोरोस की ओर से वित्तपोषित फंड चलाने वाले कई लोगों के साथ बीजेपी नेताओं की सांठगांठ है।
वहीं, दूसरी तरफ संसद में विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) के कई घटक दलों के सांसदों ने अडानी समूह से जुड़े मुद्दे पर गुरुवार को ‘देश नहीं बिकने देंगे’ लिखे बैनर लेकर विरोध प्रदर्शन किया.कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कुछ अन्य दलों के सांसद संसद भवन के ‘मकर द्वार’ के निकट एकत्र हुए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। उन्होंने ‘वी वांट जेपीसी’ के नारे लगाए। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और कई अन्य वरिष्ठ नेता इस विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए।


 
						






 
  
 
   
  
 बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ पिछले पांच महीनों से खुला अत्याचार हो रहा है। हिंदुओं की टारगेट किलिंग और लूटपाट की खबरों के बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र से बड़ी अपील की है।पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को केंद्र सरकार से बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की और यह भी कहा कि जो लोग वापस भारत आना चाहते हैं, उन्हें वापस लाया जाए। बनर्जी ने यह बात दीघा में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कही। मुख्यमंत्री जगन्नाथ मंदिर के निर्माण की समीक्षा के लिए दीघा के दो दिवसीय दौरे पर हैं। इस दौरान उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि केंद्र को हिंसा प्रभावित बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों को सुरक्षा देनी चाहिए और जो लोग लौटना चाहते हैं उन्हें वापस लाना चाहिए। सीएम ने कहा कि हम बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा चाहते हैं। केंद्र को इस मामले में कदम उठाना चाहिए। इस दौरान ममता ने आरोप लगाया कि कुछ लोग जानबूझकर फर्जी वीडियो फैलाकर सांप्रदायिक तनाव पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह के फर्जी वीडियो से समाज में सांप्रदायिक तनाव बढ़ेगा, जो कि ठीक नहीं। इससे देश का माहौल खराब होगा। *पहले भी कर चुकीं है अपील* ससे पहले भी ममता बनर्जी बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा पर केंद्र से हस्तक्षेप की गुहार लगा चुकीं हैं। दिसंबर के शुरूआत में उन्होंने एक बयान में कहा कि बांग्लादेश में हमारे परिवार और प्रियजन हैं। हम भारत सरकार की ओर से लिए गए किसी भी रुख को स्वीकार करते हैं। हम दुनिया में कहीं भी धार्मिक आधार पर अत्याचारों की निंदा करते हैं। साथ ही, केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप करने की अपील करते हैं। ममता बनर्जी ने भी नरेंद्र मोदी सरकार से संयुक्त राष्ट्र के जरिये हस्तक्षेप की गुहार लगाई थी।बनर्जी ने कहा था कि भारत सरकार इस मामले को संयुक्त राष्ट्र में उठा सकती है ताकि शांति सेना भेजी जा सके। *बांग्लादेश में हिंसा का असर कोलकाता में* बांग्लादेश में करीब 1.31 करोड़ हिंदू रहते हैं और यह देश की कुल आबादी का 7.96 प्रतिशत है। पश्चिम बंगाल का करीब 2,217 किलोमीटर का बॉर्डर बांग्लादेश से जुड़ता है। इसके अलावा त्रिपुरा, असम और मिजोरम से भी बांग्लादेश की सीमा जुड़ती है, मगर वहां हो रही हिंसा का असर पश्चिम बंगाल में सर्वाधिक है। कोलकाता की सड़कों पर हिंदुओं को समर्थन में रैलियां और शांति मार्च निकाली जा रही हैं। गुस्से का आलम यह है कि कोलकाता और अगरतला के डॉक्टरों के बड़े समूह ने बांग्लादेशियों का इलाज करने से इनकार कर दिया है। 2023 में 4.49 लाख बांग्लादेशी मरीज भारत इलाज के लिए आए, जिनमें से अधिकतर कोलकाता पहुंचे। *बांग्लादेश में दहशत में है हिंदू समुदाय* बता दें कि शेख हसीना के बांग्लादेश छोड़ने के बाद पड़ोसी राज्य में धार्मिक उन्माद चरम पर है। मंदिरों पर हमले हो रहे हैं। आरती और पूजा पाठ को भी कट्टरपंथियों ने प्रतिबंधित कर दिया है। हिंदू महिलाओं के साथ बदसलूकी और अल्पसंख्यकों को डराने-धमकाने की खबरें भी आ रही हैं। हाल ही में इस्कॉन के संत और हिंदू नेता चिन्मय कृष्ण दास को भी देशद्रोह के आरोप में जेल भेज दिया। इसके अलावा उनके तीन सहयोगियों को भी गिरफ्तार किया गया है। भारत आ रहे इस्कॉन के 63 संतों को भी बॉर्डर पर रोका गया।
 बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ पिछले पांच महीनों से खुला अत्याचार हो रहा है। हिंदुओं की टारगेट किलिंग और लूटपाट की खबरों के बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र से बड़ी अपील की है।पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को केंद्र सरकार से बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की और यह भी कहा कि जो लोग वापस भारत आना चाहते हैं, उन्हें वापस लाया जाए। बनर्जी ने यह बात दीघा में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कही। मुख्यमंत्री जगन्नाथ मंदिर के निर्माण की समीक्षा के लिए दीघा के दो दिवसीय दौरे पर हैं। इस दौरान उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि केंद्र को हिंसा प्रभावित बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों को सुरक्षा देनी चाहिए और जो लोग लौटना चाहते हैं उन्हें वापस लाना चाहिए। सीएम ने कहा कि हम बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा चाहते हैं। केंद्र को इस मामले में कदम उठाना चाहिए। इस दौरान ममता ने आरोप लगाया कि कुछ लोग जानबूझकर फर्जी वीडियो फैलाकर सांप्रदायिक तनाव पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह के फर्जी वीडियो से समाज में सांप्रदायिक तनाव बढ़ेगा, जो कि ठीक नहीं। इससे देश का माहौल खराब होगा। *पहले भी कर चुकीं है अपील* ससे पहले भी ममता बनर्जी बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा पर केंद्र से हस्तक्षेप की गुहार लगा चुकीं हैं। दिसंबर के शुरूआत में उन्होंने एक बयान में कहा कि बांग्लादेश में हमारे परिवार और प्रियजन हैं। हम भारत सरकार की ओर से लिए गए किसी भी रुख को स्वीकार करते हैं। हम दुनिया में कहीं भी धार्मिक आधार पर अत्याचारों की निंदा करते हैं। साथ ही, केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप करने की अपील करते हैं। ममता बनर्जी ने भी नरेंद्र मोदी सरकार से संयुक्त राष्ट्र के जरिये हस्तक्षेप की गुहार लगाई थी।बनर्जी ने कहा था कि भारत सरकार इस मामले को संयुक्त राष्ट्र में उठा सकती है ताकि शांति सेना भेजी जा सके। *बांग्लादेश में हिंसा का असर कोलकाता में* बांग्लादेश में करीब 1.31 करोड़ हिंदू रहते हैं और यह देश की कुल आबादी का 7.96 प्रतिशत है। पश्चिम बंगाल का करीब 2,217 किलोमीटर का बॉर्डर बांग्लादेश से जुड़ता है। इसके अलावा त्रिपुरा, असम और मिजोरम से भी बांग्लादेश की सीमा जुड़ती है, मगर वहां हो रही हिंसा का असर पश्चिम बंगाल में सर्वाधिक है। कोलकाता की सड़कों पर हिंदुओं को समर्थन में रैलियां और शांति मार्च निकाली जा रही हैं। गुस्से का आलम यह है कि कोलकाता और अगरतला के डॉक्टरों के बड़े समूह ने बांग्लादेशियों का इलाज करने से इनकार कर दिया है। 2023 में 4.49 लाख बांग्लादेशी मरीज भारत इलाज के लिए आए, जिनमें से अधिकतर कोलकाता पहुंचे। *बांग्लादेश में दहशत में है हिंदू समुदाय* बता दें कि शेख हसीना के बांग्लादेश छोड़ने के बाद पड़ोसी राज्य में धार्मिक उन्माद चरम पर है। मंदिरों पर हमले हो रहे हैं। आरती और पूजा पाठ को भी कट्टरपंथियों ने प्रतिबंधित कर दिया है। हिंदू महिलाओं के साथ बदसलूकी और अल्पसंख्यकों को डराने-धमकाने की खबरें भी आ रही हैं। हाल ही में इस्कॉन के संत और हिंदू नेता चिन्मय कृष्ण दास को भी देशद्रोह के आरोप में जेल भेज दिया। इसके अलावा उनके तीन सहयोगियों को भी गिरफ्तार किया गया है। भारत आ रहे इस्कॉन के 63 संतों को भी बॉर्डर पर रोका गया।
 
 
  
 
Dec 12 2024, 14:27
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