/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png StreetBuzz भारत' विरोधी मोहम्मद यूनुस हर बीतते पल के साथ दिखा रहे तेवर, अब बांग्लादेश में शेख हसीना के भाषणों पर प्रतिबंध India
भारत' विरोधी मोहम्मद यूनुस हर बीतते पल के साथ दिखा रहे तेवर, अब बांग्लादेश में शेख हसीना के भाषणों पर प्रतिबंध

#bangladeshcourtbansbroadcastsofsheikhhasinahatespeech

बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने बुधवार को पहली बार मोर्चा संभालते हुए, देश में अल्पसंख्यकों के कथित उत्पीड़न को लेकर अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस पर तीखा हमला किया था। शेख हसीना ने कहा था कि देश की बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस अल्पसंख्यकों की रक्षा करने में विफल रहे हैं। यही नहीं, हसीना ने आरोप लगाया कि यूनुस ने हिंदुओं के नरसंहार में सक्रिय रूप से भाग लिया। साथ ही अपने पिता शेख मुजीर्बुर रहमान और बहन शेख रेहाना की हत्या की साजिश रचने का भी आरोप लगाया। जिसके बाद बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के भड़काऊ भाषणों के प्रसारण पर रोक लगा दी है।

बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) ने बृहस्पतिवार को अधिकारियों को मुख्य धारा की मीडिया और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के सभी ''घृणास्पद भाषणों'' के प्रसार पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया। न्यायाधिकरण पूर्व प्रधानमंत्री के विरुद्ध दर्ज मानवता के खिलाफ अपराध के विभिन्न मामलों की सुनवाई शुरू करेगा।

सोशल मीडिया से भी हसीना के भाषणों को हटाने का आदेश

बांग्लादेश संगबाद संस्था के मुताबिक न्यायाधीश एमडी गोलाम मुर्तजा मौजूमदार की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय पीठ ने एक आदेश जारी किया। आदेश में अधिकारियों को हसीना के भड़काऊ भाषण को सोशल मीडिया से हटाने और भविष्य में इसके प्रसार को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए। अभियोजक अधिवक्ता अब्दुल्लाह अल नोमान ने कहा कि न्यायाधिकरण ने आईसीटी विभाग, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और बांग्लादेश दूरसंचार नियामक आयोग को आदेश का पालन करने के निर्देश दिए। अभियोजक ने दायर याचिका में कहा था कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के भड़काऊ भाषणों को हटाया जाए। क्योंकि गवाहों और पीड़ितों को डर लग सकता है या जांच में बाधा आ सकती है।

क्या कहा था हसीना ने?

बांग्लादेश के ट्रिब्यूनल का फैसला न्यूयॉर्क में वीडियो लिंक के जरिये हुए हसीना के संबोधन के बाद आया है। हसीना ने न्यूयॉर्क में मौजूद अपने समर्थकों को भारत ही से वीडियो लिंक के जरिये संबोधित किया था। हसीना ने अपने संबोधन में बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस पर सामूहिक हत्या का आरोप जड़ा था।न्यूयॉर्क में एक कार्यक्रम में वर्चुअल संबोधन में उन्होंने मोहम्मद यूनुस पर 'नरसंहार' करने और हिंदुओं समेत अल्पसंख्यकों की रक्षा करने में विफल रहने का आरोप लगाया था। उन्होंने दावा किया था कि उनके पिता शेख मुजीबुर रहमान की तरह ही उनकी और उनकी बहन शेख रेहाना की हत्या की योजना बनाई गई थी। उन्होंने कहा था कि अल्पसंख्यकों पर यह अत्याचार क्यों किया जा रहा है? उन्हें बेरहमी से क्यों सताया जा रहा है और उन पर हमला क्यों किया जा रहा है? लोगों को अब न्याय का अधिकार नहीं है... मुझे कभी इस्तीफा देने का समय भी नहीं मिला। शेख हसीना ने कहा कि उन्होंने हिंसा को रोकने के उद्देश्य से अगस्त में बांग्लादेश छोड़ दिया था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

हसीना के खिलाफ कम से कम 60 मुकदमें दायर

हसीना को इस साल जुलाई व अगस्त में विरोध प्रदर्शनों और उसके बाद हुए विद्रोह के दौरान नरसंहार व मानवता के खिलाफ अपराध के आरोपों में आईसीटी में दायर कम से कम 60 मुकदमों का सामना करना पड़ेगा। अभियोजन पक्ष की टीम ने हाल की परिस्थितियों के मद्देनजर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी, जिसके बाद न्यायमूर्ति मोहम्मद गुलाम मुर्तुजा मजूमदार की अगुवाई वाले तीन सदस्यीय न्यायाधिकरण ने आदेश दिया।

सिर्फ 500 रुपए का नोट लेकर संसद जाता हूं...', नोटों की गड्डी मिलने पर अभिषेक मनु सिंघवी की सफाई

#abhishekmanusinghviclarificationonfindingbundleofnotesinparliament

राज्यसभा में कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी की सीट के नीचे कथित तौर पर नोटों की गड्डियां मिलने के मामले में आज जमकर हंगामा हुआ। सभापति जगदीप धनखड़ ने सदन को बताया कि सुरक्षा अधिकारियों ने कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी की सीट पर नकदी की गड्डी पाई है। राज्यसभा में नोटों की गड्डी मिलने के मामले ने तूल पकड़ता दिख रहा है। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इसे गंभीर मुद्दा बताते हुए जांच की मांग की। उधर, अभिषेक मनु सिंघवी ने भी इस मामले में सफाई दी। उन्होंने कहा, ये नोटों की गड्डी मेरी नहीं है। मैं संसद में सिर्फ 500 रुपये लेकर पहुंचता हूं।

क्या बोले सिंघवी?

राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि वे यह सुनकर वो "हैरान" हैं। उन्होंने कहा, मैं जब भी राज्यसभा जाता हूं तो 500 रुपये का एक नोट साथ लेकर जाता हूं। अगर सुरक्षा एजेंसियों में कोई कमी है तो उसे भी पूरी तरह उजागर किया जाना चाहिए। मैंने इसके बारे में कभी नहीं सुना। मैं कल दोपहर 12.57 बजे सदन के अंदर पहुंचा। सदन से दोपहर 1 बजे उठा। दोपहर 1 से 1:30 बजे तक मैं अयोध्या प्रसाद के साथ कैंटीन में बैठा और लंच किया। दोपहर 1:30 बजे मैं संसद से चला गया। इसलिए कल सदन में मेरा कुल ठहराव 3 मिनट का था और कैंटीन में मेरा ठहराव 30 मिनट का था, 3 मिनट में ये कैसे हुआ।

तेलंगाना से राज्यसभा सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि अगर इस तरह से सांसदों की सीट पर कुछ भी रखा जाने लगा, तो शायद उनकी सीट को लॉक रखना जरूरी हो जाएगा। इस बात की जरूरत पड़ जाएगी कि सांसद के बैठने की जगह को कांच के एनक्लोजर से बंद कर दिया जाए और उस एनक्लोजर की चाबी सांसद के पास ही रहने दी जाए।

सभापति जगदीप धनखड़ ने क्या कहा

इससे पहले सभापति जगदीप धनखड़ ने आज सदन में बताया कि कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी की सीट के पास राज्यसभा कक्ष में 500 रुपये के नोटों की गड्डी पाई गई। सभापति जगदीप धनखड़ ने सदन को सूचित किया कि 5 दिसंबर, 2024 को सदन के स्थगित होने के बाद, कक्ष की नियमित तोड़फोड़ विरोधी जांच के दौरान, सदस्य अभिषेक मनु सिंघवी की सीट पर नोटों की एक गड्डी पाई गई थी। उन्होंने कहा कि मामले की जांच चल रही है।

मल्लिकार्जुन खरगे ने जताई आपत्ति

राज्यसभा में सभापति जगदीप धनखड़ ने जैसे ही नोट मिलने की बात कही, विपक्षी सांसदों ने हंगामा शुरू कर दिया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा,'जब तक मामले की जांच चल रही है और सब कुछ स्पष्ट नहीं हो जाता, तब तक आपको (सभापति) उनका (अभिषेक मनु सिंघवी) नाम नहीं बोलना था।

दोनों पक्षों को निंदा करनी चाहिए-नड्डा

इस मसले पर केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि मैं चाहता हूं कि जांच होनी चाहिए और डिटेल आनी चाहिए। यह सदन की गरिमा पर कुठाराघात है। मुझे विश्वास है कि सही जांच होगी।मुझे उम्मीद थी कि हमारे विपक्ष के नेता भी विस्तृत जांच की मांग करेंगे। विपक्ष को हमेशा सद्बुद्धि रखनी चाहिए।स्वस्थ मन और स्वस्थ भावना के साथ विवरण सामने आना चाहिए। दोनों पक्षों को इसकी निंदा करनी चाहिए।

भारत और कुवैत संबंध: एक विस्तृत विश्लेषण

भारत और कुवैत के बीच एक मजबूत और दीर्घकालिक संबंध है, जो व्यापार, ऊर्जा, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और श्रम सहयोग के कई क्षेत्रों में फैला हुआ है। दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंध समय के साथ बढ़े हैं, विशेष रूप से भारत के कुवैत में बड़े प्रवासी समुदाय और ऊर्जा सुरक्षा की बढ़ती आवश्यकता के कारण।

आर्थिक और व्यापारिक संबंध

भारत कुवैत का एक प्रमुख व्यापारिक साझीदार है, और द्विपक्षीय व्यापार हाल के वर्षों में नए उच्चतम स्तर पर पहुंच चुका है। व्यापार संबंध मुख्य रूप से पेट्रोलियम उत्पादों के इर्द-गिर्द केंद्रित हैं, क्योंकि कुवैत भारत का एक प्रमुख कच्चे तेल आपूर्तिकर्ता है। इसके बदले में, भारत कुवैत को मशीनरी, रसायन, वस्त्र और खाद्य उत्पादों का निर्यात करता है। हाल के आंकड़ों के अनुसार, कुवैत भारत के तेल आयात का एक प्रमुख स्रोत है, और यह ऊर्जा संबंध भारत की बढ़ती ऊर्जा आवश्यकता के लिए महत्वपूर्ण हैं।

2023 में, दोनों देशों के बीच व्यापार का वॉल्यूम $5 बिलियन से अधिक पहुंच गया था, जो एक निरंतर वृद्धि को दर्शाता है। दोनों देश अपनी आर्थिक साझेदारी को विविध बनाने की दिशा में कदम उठा रहे हैं, खासकर अवसंरचना, सूचना प्रौद्योगिकी और शिक्षा के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए।

श्रम और प्रवासी कार्यबल

भारत का प्रवासी समुदाय कुवैत में सबसे बड़े विदेशी समुदायों में से एक है, जिसमें कुवैत में लगभग 9 लाख भारतीय नागरिक निवास करते हैं, जो स्थानीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान करते हैं। कुवैत में भारतीय श्रमिकों की अधिकांश संख्या निर्माण, घरेलू काम, स्वास्थ्य देखभाल और खुदरा जैसे क्षेत्रों में कार्यरत है। भारतीय श्रमिकों की सुरक्षा और कल्याण भारतीय सरकार के लिए एक प्रमुख चिंता का विषय है, और भारतीय सरकार कुवैती अधिकारियों के साथ मिलकर अपने नागरिकों के अधिकारों और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रही है।

2024 में, भारत और कुवैत ने श्रम समझौतों को बढ़ाने पर चर्चा की है ताकि प्रवासी श्रमिकों के लिए बेहतर सुरक्षा प्रदान की जा सके और मानव संसाधन विकास में सहयोग बढ़ाया जा सके। दोनों देश कुवैत में भारतीय प्रवासियों को शैक्षिक और व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करने पर भी ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।

रणनीतिक और सुरक्षा सहयोग

कुवैत भारत के लिए मध्य-पूर्व में एक महत्वपूर्ण सहयोगी देश रहा है, विशेष रूप से क्षेत्रीय सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी सहयोग के संदर्भ में। दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी हाल के वर्षों में मजबूत हुई है, जिसमें दोनों पक्षों ने खाड़ी क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने के महत्व को रेखांकित किया है।

भारत और कुवैत कई सुरक्षा और रक्षा मुद्दों पर सहयोग कर रहे हैं, जिसमें आतंकवाद विरोधी, समुद्री सुरक्षा और आपदा राहत शामिल हैं। दोनों देशों के अधिकारियों के बीच नियमित उच्च-स्तरीय दौरे इस सहयोग को और सुदृढ़ करते हैं।

सांस्कृतिक और जन से जन संपर्क

सांस्कृतिक आदान-प्रदान भी द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर कुवैत में अत्यधिक सराही जाती है, और वहां भारतीय सांस्कृतिक महोत्सव, कला प्रदर्शनियाँ और बॉलीवुड कार्यक्रम नियमित रूप से आयोजित होते हैं। इसके अलावा, भारतीय व्यंजन कुवैत में एक प्रमुख सांस्कृतिक निर्यात है, और कुवैत में भारतीय संस्थाओं, स्कूलों और सांस्कृतिक केंद्रों की उपस्थिति जन से जन संपर्क को बढ़ावा देती है।

2024 में, दोनों देशों ने इन सांस्कृतिक आदान-प्रदानों को बढ़ाने में रुचि दिखाई है, ताकि आपसी समझ और सम्मान को बढ़ावा दिया जा सके।

हाल की घटनाएँ और भविष्य की संभावनाएँ*

हाल के महीनों में, वैश्विक भू-राजनीतिक बदलावों के संदर्भ में रणनीतिक और आर्थिक साझेदारी को बढ़ावा देने पर एक नया जोर देखा गया है। कुवैत में अवसंरचना और प्रौद्योगिकी में बढ़ते निवेश के कारण, इन क्षेत्रों में भारतीय कंपनियों के लिए बढ़ते अवसर हैं। इसके अलावा, दोनों देश हरित ऊर्जा, विशेष रूप से सौर ऊर्जा में सहयोग की दिशा में भी काम कर रहे हैं, जो उनके स्थायी विकास के प्रति प्रतिबद्धता का हिस्सा है।

भारतीय सरकार कुवैत के साथ राजनीतिक संबंधों को भी मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि दोनों देश वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर एक साथ काम कर सकें, विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर।

भारत और कुवैत के बीच रिश्ते आपसी मित्रता, सम्मान और सहयोग पर आधारित रहे हैं, और इन दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों में व्यापार, सुरक्षा, संस्कृति और मानव विकास के क्षेत्रों में और अधिक उपलब्धियाँ प्राप्त करने की संभावना है।

राज्यसभा में कांग्रेस सांसद की सीट से मिलीं नोटों की गड्डियां; जांच की मांग पर सदन पर जमकर हंगामा

#rajya_sabha_abhishek_manu_singhvi_seat_note_cash_recovered

राज्यसभा में कांग्रेस सांसद की सीट के नीचे नोटों की गड्डी मिलने का दावा किया गया है। इसको लेकर सदन में जोरदार हंगामा हो रहा है। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने कांग्रेस सासंद अभिषेक मनु सिंघवी की सीट के नीचे से नोटों की गद्दी मिलने का दावा किया। उन्होंने कहा कि कल सिक्योंरिटी चेक के दौरान सिंघवी की सीट के नीचे से नोट की गड्डी मिली। धनखड़ ने कहा कि सीट नंबर 222 से नोटों की गड्डी बरामद हुई। नोट मिलने का मामला बेहद गंभीर है।

सभापति जगदीप धनखड़ ने सदन को सूचित किया कि 5 दिसंबर, 2024 को सदन के स्थगित होने के बाद, कक्ष की नियमित तोड़फोड़ विरोधी जांच के दौरान, सदस्य अभिषेक मनु सिंघवी की सीट पर नोटों की एक गड्डी पाई गई थी। उन्होंने कहा कि मामले की जांच चल रही है। इस घोषणा से सदन में हंगामा शुरू हो गया। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के बीच विपक्षी सदस्यों के आचरण को लेकर बहस हुई।

इस मसले पर केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि किसी पर तीव्रता दिखाओ और किसी मुद्दे पर मिट्टी डालो। मैं सोच रहा था एलओपी बड़े सीनियर नेता हैं और वह कहेंगे कि मामले की जांच होनी चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं कहा उन्होंने। मैं चाहता हूं कि जांच होनी चाहिए और डिटेल आनी चाहिए।

इससे पहले सदन में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि सभापति को इस मामले की जांच करनी चाहिए।मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती है, हमें किसी भी सदस्य का नाम नहीं लेना चाहिए। इस पर सभापति ने कहा कि वे इस भावना की सराहना करते हैं। लेकिन सदन में बहस के दौरान लगभग हर दिन इसका उल्लंघन होता है।

11वीं बार भी नहीं घटा रेपो रेट, ईएमआई पर क्या होगा असर?

#rbi_mpc_announcement_rbi_governor

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने देश के आर्थिक विकास की रफ्तार की गति के धीमे पड़ने के बाद मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक में बड़ा फैसला लिया है। तीन दिन तक चली मौद्रिक नीति समिति की बैठक में हुए फैसलों को गवर्नर ने शुक्रवार को जनता के सामने रखा। पिछली 10 बार की बैठकों से अपरिवर्तित रहे रेपो रेट पर इस बार भी कोई फैसला नहीं हुआ, गवर्नर ने सारा जोर महंगाई को काबू करने पर दिया और अर्थव्‍यवस्‍था में तेजी लाने के लिए कैश रिजर्व रेशियो 0.50 फीसदी घटा दिया है, जो अब 4 फीसदी हो गया।

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने पॉलिसी रेट का फैसला सुनाते हुए कहा कि रेपो रेट को फ्रीज रखा जाएगा। इसका मतलब है कि आरबीआई ने लगातार 11वीं बार ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। आखिरी बार ब्याज दरों में बदलाव फरवरी 2023 में किया था। जब ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी की थी। उसके बाद से रिजर्व बैंक की ओर ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है।

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास के अनुसार मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने 4-2 बहुमत से ब्याज दर को 6.5% पर अपरिवर्तित रखने का फैसला किया, जबकि एसडीएफ दर 6.25% और एमएसएफ दर 6.75% पर बनी हुई है। केंद्रीय बैंक का रुख तटस्थ बना हुआ है। एमपीसी ने सर्वसम्मति से इस तटस्थ नीति रुख को बनाए रखने पर सहमति व्यक्त की, जो वर्तमान आर्थिक स्थितियों के प्रति सतर्क दृष्टिकोण का संकेत देता है।

शक्तिकांत दास ने कैश रिजर्व रेश्यो (सीआरआर) में में 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती का एलान किया है। सीआरआर को 4.50 फीसदी से घटाकर 4 फीसदी कर दिया है। कैश रिजर्व रेश्यो में कटौती को दो चरणों में लागू किया जाएगा। इससे बैंकिंग सिस्टम में 1.16 लाख करोड़ रुपये का एडिशनल कैश आएगा।

सीआरआर किसी बैंक की कुल जमाराशि का वह प्रतिशत है जिसे उसे आरबीआई के पास नकदी के रूप में रखना होता है। सीआरआर का प्रतिशत आरबीआई द्वारा समय-समय पर निर्धारित किया जाता है। बैंकों को इस राशि पर कोई ब्याज नहीं मिलता है।

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास के अनुसार जुलाई-सितंबर तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर उम्मीद से कम 5.4 प्रतिशत रही। दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था में मंदी का संकेत देने वाले संकेतक समाप्त हो गए हैं। दास के अनुसार,आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के आर्थिक वृद्धि दर अनुमान को 7.2 प्रतिशत से घटाकर 6.6 प्रतिशत किया है। उन्होंने कहा कि दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था में सुस्ती का संकेत देने वाले संकेतक अब समाप्त होने की स्थिति में हैं। एमपीसी की बैठक के बाद आरबीआई गवर्नर ने कहा कि खाद्य पदार्थों की कीमतों में लगातार दबाव रहने से तीसरी तिमाही में मुद्रास्फीति ऊंची रहने की संभावना है। उन्होंने कहा कि रबी उत्पादन से राहत मिलेगी।

एमपीसी बैठक के बाद गवर्नर ने कहा कि आम आदमी को महंगाई से राहत दिलाना हमारी प्राथमिकता है, लेकिन देश की ग्रोथ रेट भी जरूरी है। लिहाजा एमपीसी ने अपने नजरिये को अब न्‍यूट्रल बना लिया है, जिसका मतलब है कि जैसा आगे माहौल होगा, उसी के हिसाब से रेपो रेट या फिर बैंकों के लोन रेट में कटौती की जाएगी। गवर्नर ने चिंता जताई कि तीसरी तिमाही में भी महंगाई से कोई राहत मिलती नहीं दिख रही और चौथी तिमाही से ही जाकर इसमें कुछ नरमी आएगी। खास बात तो ये है कि ये बैठक आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास के कार्यकाल की आखिरी बैठक है। उसके बाद फरवरी में होने वाली बैठक में नए गवर्नर दिखाई दे सकते हैं।

आज किसानों का दिल्ली कूच, बॉर्डर पर बैरिकेडिंग, चप्पे-चप्पे पर पुलिस का पहरा

#farmersdelhimarch

पिछले 8 महीने से शंभू बॉर्डर पर धरना दे रहे किसान संगठन एक बार फिर दिल्ली कूच करने के लिए तैयार हैं। एमएसपी लागू करने व अन्य मांगों को लेकर 297 दिन से बॉर्डर पर डटे किसान शुक्रवार दोपहर एक बजे शंभू बॉर्डरों से पैदल दिल्ली कूच करेंगे। किसानों ने इसे 'दिल्ली चलो' आंदोलन नाम दिया है। शंभू-खनौरी बॉर्डरों पर करीब 10 हजार किसान जमा हो गए हैं। इन्हें रोकने के लिए हरियाणा ने दोनों बॉर्डरों पर अर्द्धसैनिक बलों की 29 कंपनियां तैनात की गई हैं। किसानों के दिल्ली मार्च के मद्देनजर पुलिस ने अंबाला-दिल्ली सीमा पर सुरक्षा कड़ी करते हुए बैरिकेडिंग कर दी है।

ये दिल्ली चलो आंदोलन किसान नेता सरवन सिंह पंधेर और जगजीत सिंह डल्लेवाल के नेतृत्व में हो रहा है। अपने फैसले के बारे में बात करते हुए पंधेर ने कहा,'हम यहां पिछले 8 महीनों से बैठे हैं। हमारे ट्रैक्टरों को मॉडिफाइड कहकर हम पर आरोप लगाया गया, इसलिए हमने अब पैदल दिल्ली जाने का फैसला किया है। किसानों के आंदोलन को हरियाणा के खाप पंचायतों और व्यापारिक समुदाय सहित व्यापक समर्थन मिल रहा है।'

101 किसानों का जत्था दिल्ली जाएगा

किसान आंदोलन में शुक्रवार को दिल्ली कूच से पहले अंबाला के शंभू बाॅर्डर पर सुबह दस बजे किसानों ने अरदास की है और श्री गुरु ग्रंथ साहिब को लेकर स्टेज की तरफ गए हैं। यहां पर पुलिस बल की तैनाती भी की गई है। किसान दोपहर बाद दिल्ली जाएंगे। 101 किसानों का जत्था दिल्ली जाएगा। इसमें बुजुर्ग किसानों को शामिल किया गया है।

मार्च में शामिल होंगे ये किसान नेता

आज शंभू बॉर्डर से दिल्ली की ओर किसानों का पहला जत्था रवाना होगा। इस जत्थे में किसान नेता सतनाम सिंह पन्नू, सुरिंदर सिंह चौटाला, सुरजीत सिंह फूल और बलजिंदर सिंह शामिल होंगे। ये जत्था जरूरी सामान लेकर दिल्ली रवाना होगा और शांतिपूर्ण मार्च करेगा। पहला जत्था अंबाला के जग्गी सिटी सेंटर, मोहरा अनाज मंडी, खानपुर जट्टन और हरियाणा के पिपली में रुकने के बाद दिल्ली की ओर बढ़ेगा। आज जत्था 1 बजे रवाना होगा, लेकिन रोजाना किसान 9 बजे सुबह से शाम 5 बजे तक चलेंगे और रात सड़क पर बिताएंगे।

कई किसान नेताओं ने दिल्ली मार्च से बनाई दूरी

किसानों के दिल्ली मार्च से संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने खुद को अलग कर लिया है. भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) के चीफ गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा,'हमसे संपर्क नहीं किया गया और न ही हमसे सलाह ली गई, इसलिए अब तक हमने किसी भी मार्च में भाग लेने की कोई योजना नहीं बनाई है. हमने पहले भी समर्थन देने की कोशिश की थी, लेकिन चीजें ठीक नहीं रहीं. वे अपने हिसाब से फैसले ले रहे हैं और हमारी तरफ से कोई हस्तक्षेप नहीं होगा.' ऑल इंडिया किसान सभा (AIKS) के नेता हन्नान मोल्लाह का कहना है कि SKM इस विरोध मार्च में शामिल नहीं है.

किसानों के दिल्ली कूच को लेकर सतर्क हुई दिल्ली और हरियाणा पुलिस

किसानों को रोकने के लिए हरियाणा पुलिस ने एहतियातन शंभू बॉर्डर पर सात स्तरीय बैरिकेडिंग कर दी है। सीमेंट की दीवारों के साथ लोहे की कीलें व कंटीली तार लगाई गई है। इनके अलावा वाटर कैनन वैन व आंसू गैस के गोले फेंकने वाले ड्रोन से सुरक्षा चक्रव्यूह और मजबूत किया गया है। हरियाणा पुलिस ने आगामी आदेश तक पुलिस कर्मियों की छुट्टियां भी रद्द कर दी हैं। दातासिंहवाला बॉर्डर पर पुलिस ने नाकाबंदी की है। इन दोनों सीमाओं से आम लोग आवागमन नहीं कर पाएंगे। सिर्फ ट्रेन के जरिये ही लोग पंजाब जा सकते हैं। इसके अलावा पंजाब से सटे कैथल, कुरुक्षेत्र, सिरसा और फतेहाबाद की सीमाओं पर पुलिस ने चाैकसी बढ़ा दी है। हालांकि अभी यहां से लोगों का आवागमन जारी है। सिरसा के मलोट, बठिंडा और मुसाहिबवाला बाॅर्डर पर एसपी विक्रांत भूषण ने सुरक्षा प्रबंधों का जायजा लिया। पुलिस जवानों की मॉक ड्रिल भी करवाई गई। सिरसा व जींद में भी धारा 163 लागू कर दी गई है। अंबाला में एक दिन पहले ही धारा 163 लगाई जा चुकी है।

जिसने दिलाई आजादी उसी से दुश्मनी निभा रहा बांग्लादेश, बीएनपी सुलगा रही 'बॉयकॉट इंडिया' की आग

#bangladeshbnpappealedtoallpeopleboycottindianproducts

बांग्लादेश किसकी बोली बोलने लगा है? अल्पसंख्यक हिंदुओं के खिलाफ बढ़े अत्याचार के बीच अब राजनीतिक दलों ने बॉयकाट इंडिया का नारा बुलंद करना शुरू कर दिया है।बांग्लादेशी नेताओं ने ढाका में भारतीय साड़ी जलाकर इंडियन प्रोडक्ट्स को बायकॉट करने की फैसला किया है। साथ ही लोगों से भी ऐसा ही करने की अपील कर रहे हैं।

बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के वरिष्ठ संयुक्त महासचिव रूहुल कबीर रिजवी ने ढाका में अपनी पत्नी की भारतीय साड़ी को जलाते हुए भारत के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान उन्होंने भारतीय उत्पादों के बहिष्कार का आह्वान किया।रिजवी ने यह विरोध त्रिपुरा में बांग्लादेश के उच्चायोग में कथित तोड़फोड़ और बांग्लादेशी झंडे के अपमान के खिलाफ किया।

आत्मनिर्भर बनने जा रहा बांग्लादेश!

बीएनपी के वरिष्ठ संयुक्त महासचिव रुहुल कबीर रिजवी ने ढाका में प्रदर्शन की अगुवाई करते हुए कहा कि भारत के त्रिपुरा में बांग्लादेश के सहायक उच्चायोग में तोड़फोड़ कर हमारे झंड़े को जलाया गया। हमारे राष्ट्रीय ध्वज को फाड़ना हमारा अपमान है। रिजवी ने अपील किया कि कोई भी बांग्लादेशी भारतीय सामानों को न खरीदे। उन्होंने अपनी पत्नी की भारत की साड़ी को सार्वजनिक मंच पर जलाया और लोगों से भारतीय सामनों का बहिष्कार करने की अपील करते हुए कहा कि हमारा देश आत्मनिर्भर है। हम भारत के किसी भी सामान को नहीं खरीदेंगे। एक वक्त का खाना खा लेंगे लेकिन भारतीय सामान नहीं लेंगे। रिजवी ने कहा कि भारतीय साबुन, टूथपेस्ट से लगायत हम भारत से आने वाला मिर्च और पपीता भी इस्तेमाल नहीं करेंगे। हम मिर्च और पपीता खुद उगा लेंगे।

भारत पर गलत खबरें फैलाने का आरोप

भारत विरोझी प्रदर्शन के दौरान रिजवी ने भारतीय नेताओं और मीडिया पर भी निशाना साधते हुए गलत खबरें फैलाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि इससे दोनों देशों के रिश्तों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। साथ ही, उन्होंने बांग्लादेश की संप्रभुता के सम्मान की बात करते हुए कहा कि बांग्लादेश किसी भी प्रकार के गलत आचरण को सहन नहीं करेगा।

क्या ऐसे बदहाली से उबर पाएगा बांग्लादेश?

शेख हसीना के बांग्लादेश छोड़ने और मोहम्मद यूनुस के सत्ता संभालने के बाद, उदारवादियों का एक वर्ग था, जिसने इस बात की दुहाई दी थी कि अब मुल्क के हालात बदलेंगे और बदहाली से निकलकर बांग्लादेश विकास के रास्ते पर चलेगा। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। वर्तमान में मुल्क अशांति की चपेट में है। जगह जगह हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं। मुल्क में रहने वाले अल्पसंख्यक हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा है उनके मंदिरों को तोड़ा जा रहा है। यही नहीं, अपने सबसे नजदीकी दोस्त भारत से दुश्मनी निभाई जा रही है।

बांग्लादेश का एक और भारत विरोधी कदम, कोलकाता-त्रिपुरा से वापस बुलाए डिप्लोमेट्स

#muhammadyunusgovernmentcalledbacktopdiplomatsfromindia

बांग्लादेश और भारत के संबंध लगातार खराब होते जा रहे हैं। शेख हसीने के देश छोड़ने के बाद से लगातार बांग्लादेशी की अंतरिम सरकार भारत विरोधी रूख अपनाए हुए है। बांग्लादेश में लगातार चल रही हिंदू विरोधी हिंसा और मंदिरों में तोड़फोड़ के बीच वहां 'बॉयकॉट इंडिया' कैंपेन भी शुरू हुआ है। अपने यहां भड़की हिंसा की आग को बुझाने के बजाय अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस ने एक और ऐसा कदम उठा दिया है, जो सीधेतौर पर वहां बढ़ते भारत विरोध की झलकी पेश कर रहा है। दरअसल, बांग्लादेश की यूनुस सरकार ने भारत से अपने 2 डिप्लोमेट्स को वापस बुला लिया है। बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने पुष्टि की है।

भारत के साथ बढ़ते तनाव के बीच बांग्लादेश की यूनुस सरकार ने भारत से अपने 2 डिप्लोमेट्स को वापस बुला लिया है। बांग्लादेश ने त्रिपुरा के अगरतला में बांग्लादेश सहायक उच्चायोग पर हमले और कोलकाता में बांग्लादेश उप उच्चायोग के सामने विरोध प्रदर्शन के बाद इन दोनों डिप्लोमेट्स को तत्काल ढाका वापस बुला लिया है।

बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने पुष्टि की है कि बंगाल से राजनयिक वापस बांग्लादेश लौट आए हैं, जबकि त्रिपुरा के सहायक उच्चायुक्त के भी आज ढाका लौटने की उम्मीद है। सूत्रों ने कहा कि कोलकाता में बांग्लादेश के कार्यवाहक उप उच्चायुक्त शिकदार मोहम्मद अशरफुर रहमान और त्रिपुरा में सहायक उच्चायुक्त आरिफुर रहमान को पिछले मंगलवार को तत्काल आधार पर ढाका लौटने का निर्देश दिया गया था।

क्यों भारत से बुलाए डिप्लोमेट्स?

बता दें कि हाल ही में त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में बांग्लादेश के राजनयिक मिशन में तोड़फोड़ हुई थी। बाद में इस मामले में 7 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। कैम्पस में घुसपैठ के मामले में 4 पुलिस अफसरों के खिलाफ भी कार्रवाई की गई थी। वहीं, बांग्लादेश में भारतीय उच्चायुक्त को तलब कर घटना का विरोध जताया गया था। साथ ही बांग्लादेश ने अगरतला में अपनी काउंसलर सर्विस भी बंद करने का ऐलान किया था। अब बांग्लादेश ने त्रिपुरा से अपने डिप्लोमेट को वापस बुला लिया है।

हिंदुओं पर अत्याचार, विरोध में भारत

भारत सरकार लगातार बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार को लेकर बयान जारी कर रही है। भारत सरकार ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमलों को भी दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। साथ ही घर्मगुरू चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के खिलाफ भी सरकार ने शांतिपूर्ण विरोध जताया था। बता दें कि हाल ही में बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के बड़े धार्मिक चेहरे चिन्मय कृष्ण दास को गिरफ्तार कर लिया गया है। उन पर कथित भड़काऊ भाषण देने के लिए राजद्रोह का केस लगाया है।

अब बांग्लादेश में 'बॉयकॉट इंडिया'

उधर, अगरतला-कोलकाता की घटना के जवाब में बांग्लादेश में भी प्रदर्शन हो रहे हैं। गुरुवार को बांग्लादेशी नेताओं ने ढाका में भारतीय साड़ी जलाकर इंडियन प्रोडक्ट्स को बायकॉट करने की अपील की।

बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के वरिष्ठ संयुक्त महासचिव रूहुल कबीर रिजवी ने ढाका में भारत विरोधी प्रदर्शन करते हुए अपनी पत्नी की भारतीय साड़ी को जलाया। इस दौरान उन्होंने भारतीय उत्पादों के बहिष्कार का आह्वान किया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उन्होंने सार्वजनिक रूप से भारतीय साड़ी जलाते हुए लोगों से भारतीय सामान न खरीदने की अपील की। उन्होंने कहा, जिन लोगों ने हमारे राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया है, हम उनका सामान खरीदकर उनका समर्थन नहीं करेंगे। हमारी माताएं-बहनें अब भारतीय साड़ी नहीं पहनेंगी।"

बांग्लादेशी मौलाना इनायतुल्लाह अब्बासी ने भारत के खिलाफ उगला जहर, दिल्ली में इस्लाम का झंडा फहराने की धमकी

#bangladesh_maulana_inayatullah_abbasi 

बांग्लादेश में पिछले कुछ महीनों से हिंदुओं पर अत्याचार काफी बढ़ गए हैं। बांग्लादेश में राजनीति और सत्ता में परिवर्तन के साथ ही अल्पसंख्यकों ख़ासकर हिंदुओं की सुरक्षा पर सवाल खड़े हो गए हैं। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के चीफ एडवाइजर मोहम्मद यूनुस हालात को काबू करने में नाकाम रहे हैं। हिंदुओं के साथ हो रहे अत्याचार पर पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस पर तीखा हमला बोला है। हसीना ने आरोप लगाया कि यूनुस ने हिंदुओं के नरसंहार में सक्रिय रूप से भाग लिया है। इससे पहले भी मोहम्मद यूनुस पर बांग्लादेश में कट्टरपंथ को बढ़ावा देने के भी आरोप लग रहे हैं। इस बीत एक कट्टरपंथी बांग्लादेशी मौलाना ने भारत के खिलाफ जहर उगला है।

 बांग्लादेश के मौलाना इनायतुल्लाह अब्बासी ने पीएम मोदी और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी को लेकर आपत्तिजनक बयान दिया है। यही नहीं, मौलवी ने भारत की राजधानी में इस्लाम का झंडा फहराने की धमकी दी है। मौलाना इनायतुल्ला अब्बासी ने बांग्लादेश में हिंदुओं की मौजूदा स्थिति को देखते हुए कहा है कि 14 करोड़ बांग्लादेशी मुसलमान अपने 28 करोड़ हाथों में लाठी लेकर एक साथ आएंगे और लाल किले पर कब्जा कर लेंगे। मौलाना का ये वीडियो वायरल हो रहा है।

अब्बासी वीडियो में कहता है कि मैं मौदी और ममता बनर्जी को बता देना चाहता हूं कि अगर तुमने अपना हाथ बांग्लादेश की की तरफ बढ़ाया तो 14 करोड़ मुसलमान तुम्हारा हाथ तोड़ देंगे। बांग्लादेश का दुश्मन हिंदुस्तान है। अब्बासी ने कहा कि अगर 14 करोड़ मुसलमान अपने 28 करोड़ हाथों में लाठी लेकर एक साथ आ गए तो लाल किले पर कब्जा कर लेंगे।

हर मदरसे को छावनी में बदलने की दी थी धमकी

इनायतुल्लाह अब्बासी ने भारत के खिलाफ ऐसे जहरीली बात पहली बार नहीं कही है। इसी साल अप्रैल में मौलवी अब्बास का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। इस वीडियो में वह कहता हुआ सुना जा सकता है कि इस देश में इस्लामवादी उनकी आंखें निकाल लेंगे। अगर कोई बांग्लादेश में एक इंच भी आक्रमण करने आया तो हर मदरसा हथियारों से छावनी में तब्दील हो जाएगा। हर मुसलमान जिहाद के लिए बांग्लादेश की सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा होगा। बांग्लादेशी मुसलमान दिल्ली में भी इस्लाम का झंडा बुलंद करने की क्षमता रखते हैं और हम इसे भविष्य में दिखाएंगे।

चीन को अपना दोस्त मानता है मौलवी अब्बास

अपने भड़काऊ भाषणों को लेकर चर्चाओं में रहने वाला मौलाना इनायतुल्लाह अब्बासी जहां एक तरफ भारत को लेकर तल्ख बयान देता है वहीं दूसरी तरफ वह चीन की तरफदारी भी करता हुआ दिखता है। उसने अपने एक भाषण के दौरान कहा था कि अल्लाह ने चीन को भारत को सबक सिखाने के लिए ही तैयार रखा है। मौलवी अब्बास समय-समय पर भारत विरोधी बयान देता रहा है। वो चीन को भारत से बेहतर मानता है और बताता है कि चीन बांग्लादेश की तकदीर को बदलने वाला देश बनेगा।

बांग्लादेश में इस्लामी ताकतें सिर उठा रही

बता दें कि हाल के दिनों में बांग्लादेश में इस्लामी ताकतें सिर उठा रही हैं। खासकर इसी साल अगस्त मे शेख हसीने के तख्तापलट के बाद। शेख हसीने के देश छोड़ने के बाद बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने मानों कट्टरपंथियों को खुली छूट दे रखी है। तभी तो देश के हालात बिगड़ रहे हैं पर यूनुस हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं।

चीन के करीब आ रहा नेपाल, दोनों देशों के बीच बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव समझौता, भारत पर क्या होगा असर?

#nepal_china_sign_on_bri_framework_big_tension_for_india 

नेपाल पर चीन का प्रभाव बढ़ता दिख रहा है। पिछले कुछ सालों में चीन-नेपाल करीब आए हैं। यही कारण है कि चौथी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद केपी शर्मा ओली अपने पहले दौरे पर चीन गए। केपी शर्मा ओली ने बीजिंग दौरे पर कई समझौतों पर साइन किया। इनमें सबसे अहम है बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई)। नेपाल और चीन ने बुधवार को बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) सहयोग के ढांचे पर हस्ताक्षर किए हैं। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इसकी पुष्टि की।

नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस समझौते की पुष्टि अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर की। पीएम ओली ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, “आज हमने बेल्ट एंड रोड्स सहयोग के लिए फ्रेमवर्क पर हस्ताक्षर किए हैं। चीन की मेरी आधिकारिक यात्रा खत्म होने खत्म होने के साथ ही, मुझे प्रधानमंत्री ली कियांग के साथ द्विपक्षीय वार्ता, एनपीसी के अध्यक्ष झांग लेजी के साथ चर्चा और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ अत्यंत उपयोगी बैठक पर विचार करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। पीएम ओली ने कहा कि बेल्ट एंड रोड फ्रेमवर्क सहयोग के तहत नेपाल-चीन आर्थिक सहयोग और मजबूत होगा।

समझौते से पहले बदले गए शब्द

इससे पहले चीन ने नेपाल के भेजे गए मसौदे से अनुदान शब्द हटा दिया था। इस कारण इस मसौदे पर मंगलवार को हस्ताक्षर नहीं हो सके थे। नेपाल ने शुक्रवार शाम एक मसौदा भेजा था, जिसमें प्रस्ताव दिया गया था कि चीन नेपाल सरकार द्वारा आगे बढ़ाई जाने वाली परियोजनाओं पर अनुदान निवेश प्राप्त करेगा। दोनों देशों ने अब अनुदान निवेश के स्थान पर सहायता निवेश, जिसमें अनुदान और ऋण निवेश दोनों शामिल हैं, को ध्यान में रखते हुए ढांचे पर हस्ताक्षर किए हैं।

ओली ने बीआरआई पर लगाई मुहर

नेपाल के प्रधानमंत्री और सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष केपी शर्मा ओली और नेपाली कांग्रेस (एनसी) के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा ने पहले बीआरआई सहयोग पर ढांचे के मसौदे को मंजूरी दी थी जिसमें कहा गया था कि नेपाल केवल चीनी अनुदान स्वीकार करेगा। नेपाल ने 2017 में बीआरआई पर एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे। उसके बाद नेपाल और चीन द्वारा बीआरआई कार्यान्वयन योजना पर हस्ताक्षर किए जाने की उम्मीद थी, लेकिन अब तक ऐसा नहीं हुआ था।

चीन पर बढ़ा ओली का भरोसा

नेपाल के प्रधानमंत्री की 4 दिवसीय ये यात्रा काफी चर्चा में है। अपने दौरे के बाद पीएम ओली ने दावा किया कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने नेपाल के विकास का पूरा समर्थन किया है। इसके अलावा ओली ने चीनी निवेशकों से नेपाल में निवेश करने की बात भी कही है। उन्होंने कहा कि हम राष्ट्रीय आकांक्षा, समृद्ध नेपाल, खुशहाल नेपाली के सपने को साकार करने के लिए सरल निवेश सुविधा लाएंगे।

भारत के प्रभाव से दूर हो रहा नेपाल

वहीं, नेपाल के इस फ़ैसले को भारत के प्रभाव से दूर जाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने चीन के साथ अपने आर्थिक और कूटनीतिक रिश्ते और बेहतर करने की रणनीति अपनाई है। ओली इस साल चौथी बार नेपाल के प्रधानमंत्री बने हैं। पीएम बनने के बाद उन्होंने अपने पहले आधिकारिक विदेश दौरे के लिए चीन को चुना था। परंपरागत रूप से नेपाल के प्रधानमंत्री अपने कार्यकाल की शुरुआत में भारत की यात्रा करते रहे हैं, लेकिन ओली ने इस परंपरा को तोड़ते हुए चीन का रुख किया है।

नेपाल की चीनी चाल से भारत हो सकता है परेशान

नेपाल के बीआरआई मसौदे पर हस्ताक्षर करते ही भारत की टेंशन बढ़ गई है। इस मसौदे में नेपाल की चिंताओं के बावजूद अनुदान और और ऋण दोनों को शामिल किया गया है। ऐसे में डर है कि नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टियां चीन को खुश करने के लिए कर्ज लेकर देश का बेड़ा गर्क कर सकती हैं। इससे नेपाल के चीन के कर्ज के जाल में फंसने की आशंका बढ़ जाएगी। अगर ऐसा होता है तो नेपाल की नीतियों में चीनी दखल भी बढ़ेगा जो भारत के लिए अच्छा नहीं होगा। नेपाल हिमालयी देश है, जो भारत और चीन के बीच स्थित है।