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संभल हिंसा मामले में चौकाने वाला खुलासा, सर्वे के पहले ही दिन भी बगैर अनुमति के अंदर घुसे थे 150-200 लोग


डेस्क: जामा मस्जिद बनाम हरिहर मंदिर को लेकर चंदौसी सिविल जज (सीनियर डिवीजन) आदित्य सिंह के आदेश का अनुपालन करने के लिए बेशक पुलिस और जिला प्रशासन, सर्वे की टीम के साथ था लेकिन मस्जिद के अंदर यह कार्य कर पाना बेहद चुनौती पूर्ण रहा क्योंकि 19 नवंबर को जैसे ही जिला प्रशासन के द्वारा मस्जिद के सदर और अन्य समिति के सदस्यों से सूचना देकर सर्वे करने सहमति ली गई थी तो कुछ चिह्नित लोगों को ही अंदर जाना था लेकिन ऐसा हुआ नहीं और अनाधिकृत लोग भी अंदर घुसे।

अत्यधिक भीड़ होने के चलते पहले दिन का कार्य अधूरा छोड़कर उसे स्थगित करना पड़ा। जिसकी वजह से ही 24 नवंबर को फिर से सर्वे करने का समय निर्धारित किया गया था।

डीएम और एसपी के अलावा प्रशासनिक सभी लोगों को बाहर रखा गया और मुख्य द्वार को बंद कर दिया गया था। समस्या तब उत्पन्न हुई, जब अचानक शहर के कुछ जनप्रतिनिधि और उनके समर्थक लोग आए और मस्जिद का गेट खुलवाकर अंदर घुस गए।

मस्जिद में जबरन घुस गए 150-200 लोग

इस दौरान प्रशासन और पुलिस की टीम ने ऐसे लोगों के अंदर जाने का विरोध भी किया लेकिन उनकी आपत्ति को दरकिनार किया गया था। इतना ही नहीं एक के बाद एक मस्जिद में 150 से 200 लोग दाखिल हो गए और टीम को अपना सर्वे कार्य करने में दिक्कत आने लगी।

लोग सर्वे पर आपत्ति और विरोध की बातें करने लगे, सवाल खड़े करने लगा। ज्यादा भीड़ को देखते हुए कार्य लगातार प्रभावित हो रहा था और रात्रि का समय भी हो रहा था। जिसके चलते एडवोकेट कमिश्नर और जिला प्रशासन कार्य को स्थगित किया और यह कार्य अगले दिन करने का निर्णय लिया, लेकिन जुम्मे की नमाज और उपचुनाव की मतगणना को लेकर चार दिन तक यह कार्य नहीं हुआ।

संभल जिलाधिकारी डॉ. राजेंद्र पैंसिया ने बताया-

यह बात सही है कि पहले दिन के सर्वे के दौरान मस्जिद के अंदर कुछ अनधिकृत लोग प्रवेश कर गए थे। जिनकी संख्या लगभग डेढ़ सौ से ज्यादा थी। हालांकि उनको बाहर निकला गया था, क्योंकि रात्रि में सर्वे पूरा नहीं हो सकता था। इसलिए 24 नवंबर को टीम फिर से गई तो दूसरे दिन भी मस्जिद के अंदर काफी लोग थे। जिन्हें बाहर निकालने के बाद सर्वे का कार्य कराया गया था।

पहले दिन जिस वक्त सर्वे का कार्य चल रहा था, उस वक्त सभी सुरक्षा कर्मियों को मस्जिद के बाहर ही रहने दिया गया था, यहां तक की पुलिस अधीक्षक के पीआरओ, कैमरामैन से लेकर अन्य सुरक्षा गार्ड भी बाहर रहे। डीएम के साथ भी रहने वाले स्टाफ को बाहर रखा गया था। चिंता की बात तब हुई जब मस्जिद का गेट अंदर से बंद तो था लेकिन 150 से 200 लोग एक प्रवेश करते जा रहे थे और सुरक्षा के लिए अंदर कोई नहीं था, जिसमें डीएम और एसपी के अलावा एडवोकेट कमिश्नर और याची दो अधिवक्ता की सुरक्षा का सवाल था।

इस्कॉन पर बैन लगाने से बांग्लादेश हाई कोर्ट का इनकार, जानें क्यों उठी है प्रतिबंध की मांग?
#bangladesh_high_court_denied_put_ban_on_iskcon
* बांग्लादेश में इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) को बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने इस्कॉन पर बैन लगाने से इनकार कर दिया है।बांग्लादेश इस्कॉन के प्रमुख चिन्मय कृष्ण दास की देशद्रोह मामले में गिरफ्तारी के बाद से ही बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इन विरोध प्रदर्शनों के दौरान ही एक वकील सैफुल इस्लाम की हत्या कर दी गई। जिसके बाद बांग्लादेश में इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने की मांग उठ गई। बांग्लादेश में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के वकील मोनिरुज्जमां ने जस्टिस फराह महबूब और जस्टिस देबाशीष रॉय चौधरी की पीठ के सामने इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली अर्जी दाखिल की थी। उन्होंने चटगांव और रंगपुर में आपातकाल घोषित करने की भी अपील की थी। सुनवाई की शुरुआत में अटॉर्नी जनरल की ओर से डिप्टी अटॉर्नी जनरल असदउद्दीन ने सरकार की ओर से उठाए गए कदमों की जानकारी अदालत को दी। उन्होंने कोर्ट से कहा कि इस घटना पर सरकार का रुख सख्त है। इसे लेकर अब तक तीन मामले सामने आए हैं, एक में 13 लोग, एक में 14 लोग और दूसरे में 49 लोगों को आरोपी बनाया गया है। अब तक 33 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। सीसीटीवी के जरिए 6 और लोगों की पहचान की गई है। सरकार की ओर से अदालत में कहा गया है कि पुलिस एक्टिव है, आरोपियों से पूछताछ करने पर जानकारी के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। *कोर्ट ने क्या कहा?* सुनवाई के दौरान इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने की मांग पर जजों ने कहा कि, सरकार सर्वोच्च प्राथमिकता के साथ काम कर रही है। हम सरकार की कार्रवाई से संतुष्ट हैं औरराज्य की जिम्मेदारी पर हमें भरोसा है। इस दौरान कोर्ट ने टिप्पणी की कि ‘हमारे देश में सभी धर्मों के लोग बहुत सौहार्दपूर्ण और मैत्रीपूर्ण हैं, आपसी सम्मान और प्यार कभी नहीं खोएगा। इसलिए आवेदक को कोई चिंता नहीं करनी चाहिए। *भारत ने चिन्ता जताई* वहीं, पड़ोसी देश के हालात पर भारत भी चिंतित है। विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को एक बयान में "गहरी चिंता" व्यक्त की। विदेश मंत्रालय ने कहा- यह घटना बांग्लादेश में चरमपंथी तत्वों द्वारा हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर कई हमलों के बाद हुई है। बयान में कहा गया है कि अल्पसंख्यकों के घरों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों में आगजनी और लूटपाट के साथ-साथ चोरी और बर्बरता और देवताओं और मंदिरों को अपवित्र करने के कई मामले हैं। इसने हिंदुओं के शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन पर हमलों की भी निंदा की। विदेश मंत्रालय ने लिखा, "हम बांग्लादेश के अधिकारियों से हिंदुओं और सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह करते हैं, जिसमें शांतिपूर्ण सभा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार भी शामिल है। *बांग्लादेश ने दी आंतरिक मामलों में दखल न देने की सला* वहीं, बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने भारत की प्रतिक्रिया की आलोचना करते हुए कहा कि यह मुद्दा बांग्लादेश का "आंतरिक मामला" है। बयान में कहा गया है, यह बेहद निराशा और गहरी पीड़ा के साथ है कि बांग्लादेश सरकार ने नोट किया है कि चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी को कुछ हलकों द्वारा गलत समझा गया है क्योंकि चिन्मय कृष्ण दास को खास आरोपों में गिरफ्तार किया गया है। बांग्लादेश ने यह भी कहा कि भारत का बयान तथ्यों को गलत तरीके से पेश करता है और पड़ोसी देशों के बीच दोस्ती और समझ की भावना का खंडन करता है। बांग्लादेश के बयान में यह भी कहा गया है कि भारत का बयान सभी धर्मों के लोगों के बीच मौजूद सद्भाव और इस संबंध में सरकार और लोगों की प्रतिबद्धता और प्रयासों को प्रतिबिंबित नहीं करता है।
संभल हिंसा: चार दिन से इंटरनेट सेवा बंद... करोड़ों रुपये का लेनदेन प्रभावित, दिनभर पसरा है सन्नाटा

डेस्क: संभल हिंसा के बाद चार दिन से बंद इंटरनेट का असर कारोबार पर पड़ना शुरू हो गया है। एक ओर जहां लोग परेशान परेशान हैं, वहीं दूसरी ओर सरकार को राजस्व की भी हानि हो रही है। रजिस्ट्री कार्यालय में चार दिन से कोई रजिस्ट्री नहीं हुई है। इसी तरह कारोबारियों पर भी इंटरनेट सेवा बंद का असर है।

रविवार की शाम से संभल तहसील में इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है। चार दिन से लगातार इंटरनेट बंद होने से करोड़ों रुपये का लेनदेन प्रभावित हो गया है। रजिस्ट्री कार्यालय में 50 से 60 लाख की रजिस्ट्री औसतन एक दिन में होती है। इसी तरह पेट्रोल पंप पर भी ऑनलाइन भुगतान होता है। बाजार में भी ज्यादातर लोग खरीदारी के बाद ऑनलाइन भुगतान करते हैं। अब ऑनलाइन भुगतान प्रभावित हो गया है।

पिछले कुछ वर्षों में ऑनलाइन भुगतान का ऐसा चलन बढ़ा है कि चाय के ठेले से लेकर पान की दुकान तक ऑनलाइन भुगतान का विकल्प है। निजी कंपनी अपना क्याआर कोड चस्पा कर जाती हैं। इससे दुकानदार और ग्राहकों को खुले रुपये देने की झंझट खत्म हो गई है। इसलिए होटल और ढाबों पर भी ऑनलाइन भुगतान लेने की व्यवस्था है। तहसील क्षेत्र में चार दिन से इंटरनेट बंद है तो लोग परेशान हैं।

बढ़ते अपराध पर केजरीवाल का केन्द्र सरकार पर बड़ा हमला, कहा-दिल्ली को क्राइम कैपिटल बना दिया

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दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने राजधानी की कानून व्यवस्था को लेकर गंभीर सवाल उठाए और केंद्र पर हमला किया।उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि दिल्ली में कानून व्यवस्था फेल हो चुकी है।केजरीवाल ने गृह मंत्री अमित शाह से जवाब मांगा है। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान केजरीवाल के साथ मनीष सिसोदिया, संजय सिंह और सौरभ भारद्वाज मौजूद रहे।

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में कानून व्यवस्था की बुरी हालत होती जा रही है। पिछले 1-1.5 साल से दिल्ली में अपराध बढ़ते जा रहे हैं।पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आज लोग कह रहे हैं कि दिल्ली सबसे असुरक्षित राजधानी है। आज दिल्ली के लोग दहशत में हैं। आज से 10 साल पहले लोगों ने मुझे बिजली, पानी, स्वास्थ्य, शिक्षा की जिम्मेदारी दी थी, जो हमने ठीक की। लेकिन दिल्ली की कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी जिसके हाथों में है, वे इसे संभालने में फेल हैं. कानून व्यवस्था चरमरा गई है। सरेआम गैंगवॉर हो रही है, दिनदहाड़े गोलियां चल रही हैं।

अरविंद केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके दिल्ली का क्राइम मैप जारी किया, इसमें दिखाया गया है कि पिछले कुछ महीनों में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के घर से कितने किमी दूर दिल्ली के किस इलाके में कौन सी बड़ी आपराधिक वारदात हुई थी। केजरीवाल ने कहा कि जब अमित शाह से अपने घर के 20 किमी के दायरे में कानून व्यवस्था नहीं संभाली जा रही, तो पूरे देश की सुरक्षा को वो क्या संभालेंगे?

केजरीवाल ने अलग-अलग तारीखों की घटनाओं के बारे में विस्तार से बताया है। उन्होंने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह के घर से कुछ ही दूरी पर शर्मनाक घटनाएं हो रही हैं। लेकिन इसके बावजूद भी ये लोग चुप्पी साधे हुए हैं। बताया गया कि अमित शाह के घर से सिर्फ 12 किलोमीटर की दूरी पर 12 सितंबर को एक बच्ची को अगवा करके दुष्कर्म किया गया। ऐसी कई घटनाएं हुई हैं। उन्होंने अमित शाह से सवाल किया है कि ऐसे में दिल्ली के लोग कहां जाएं?

प्रियंका गांधी ने ली सांसद पद की शपथ, भाई राहुल के अंदाज में पकड़ी संविधान की किताब

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संसद के शीतकालीन सत्र का आज तीसरा दिन है। सत्र की शुरुआत काफी हंगामेदार रही है। विपक्ष ने पिछले दो दिनों से अदाणी और मणिपुर मुद्दे पर जमकर बवाल काटा है। इस बीच आज कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने लोकसभा सांसद के रूप में शपथ ली। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा और रवींद्र वसंतराव चव्हाण के शपथ लेने के तुरंत बाद ही विपक्षी सांसदों ने हंगामा शुरू कर दिया। स्पीकर ओम बिरला ने लगातार सांसदों को संयम बनाए रखने को कहा, लेकिन इसका कोई असर नहीं पड़ा। विपक्षी सांसदों के हंगामे की वजह से लोकसभा की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने जैसे ही प्रियंका गांधी का नाम पुकारा, वो हाथ में संविधान का किताब लेकर पहुंची और शपथ लीं। प्रियंका गांधी जब पद और गोपनीयता की शपथ ले रही थी, तब उनके भाई राहुल और मां सोनिया भी वहां बतौर सांसद मौजूद थे।इस दौरान उनके बेटे और बेटी रेहान वाड्रा और मिराया वाड्रा संसद पहुंचे थे।

वायनाड में राहुल गांधी की खाली की गई सीट पर हुए वायनाड उपचुनाव में प्रियंका ने 4 लाख से ज्यादा वोटों से जीत हासिल की है। इस तरह आज से गांधी परिवार की तीन लोग संसद में दिखेंगे। राहुल गांधी रायबरेली से सांसद हैं, प्रियंका वायनाड से सांसद चुनी गई हैं जबकि सोनिया गांधी राज्यसभा की सांसद हैं। माना जा रहा है कि प्रियंका अब भाई राहुल के साथ लोकसभा में केंद्र सरकार को घेरेंगी। संसद में पहुंचे से पहले भी प्रियंका गांधी लगातार मोदी सरकार के कामकाज पर सरकार को घेरती रही हैं।

हसीने के बांग्लादेश से निकलते ही खालिदा जिया के दोनों हाथों में लड्डू, पहले भ्रष्टाचार मामले में बरी, अब अमेरिका का टिकट

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बांग्लादेश में हालात बिल्कुल बदलते जा रहे है। शेख हसीना के बांग्लादेश छोड़ने के बाद ना केवल हिंदुओं पर अत्याचार बढ़े हैं, बल्कि कट्टर इस्लामवादी और चीन-पाकिस्तान के हमदर्दों की बल्ले-बल्ले हो गई है। बांग्लादेश में तख्तापलट के कुछ ही घंटों के बाद जेल में बंद विपक्षी नेता और पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया को रिहा कर दिया गया था। शेख हसीने के पीछे खालिदा जिया के दोनों हाथों में लड्डू नजर आ रहा है। खालिदा जिया को भ्रष्टाचार के आरोपों में बरी कर दिया गया है। बता दें कि उच्च न्यायालय ने बुधवार को पूर्व प्रधानमंत्री और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की अध्यक्ष खालिदा जिया को भ्रष्टाचार के एक मामले में बरी कर दिया। इसके साथ ही खालिदा जिया ने विदेश जाने की भी तैयारी शुरू कर दी है।

पहले तो शेख हसीना के तख्ता पलट के ठीक बाद खालिदा जिया को निचली अदालत ने बरी कर दिया था और अब उच्च न्यायालय ने भी बुधवार (27 नवंबर 2024) को उन्हें बरी कर दिया। समाचार पोर्टल ‘बीडीन्यूज24 डॉट कॉम’ की खबर के मुताबिक, न्यायमूर्ति ए.के.एम.असदुज्जमां और न्यायमूर्ति सैयद इनायत हुसैन की पीठ ने जिया की अपील को स्वीकार करते हुए निचली अदालत द्वारा दोषी करार दिए जाने के फैसले को पलट दिया। वहीं, डेली स्टार ने अपनी खबर में कहा कि भ्रष्टाचार निरोधक आयोग ने 2011 में तेजगांव थाने में भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया था, जिसमें जिया और तीन अन्य पर अज्ञात स्रोतों से ट्रस्ट के वास्ते धन जुटाने के लिए सत्ता का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया गया था।

कोर्ट के फैसले के बाद खालिदा जिया खास इलाज के सिलसिले में विदेश जाने की तैयारी में हैं। उन्होंने इसके लिए सारे जरूरी इंतजाम कर लिए हैं। अपने वीजा आवेदन की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए बुधवार को कोर्ट का फैसला आने के बाद वह अमेरिकी दूतावास पहुंचीं थीं। 'डेली स्टार' अखबार बीएनपी की मीडिया शाखा के सदस्य सयरूल कबीर खान के हवाले से अपनी रिपोर्ट में बताया है कि खालिदा अपने आवेदन की प्रक्रिया को पूरा करने के सिलसिले में अपनी उंगलियों का निशान देने बुधवार दोपहर अपने गुलशन कार्यालय से अमेरिकी दूतावास पहुंची थीं। अगले महीने जिया के ब्रिटेन जाने की संभावना है। वहां से वह उच्च स्तर के इलाज के लिए अमेरिका या जर्मनी जा सकती हैं।

बता दें कि खालिदा कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रही हैं, जिनमें लीवर सिरोसिस, हार्ट, फेफड़े, किडनी और आंख की समस्याएं शामिल है। शेख हसीन की कट्टर विरोधी माने जाने वाली 78 वर्षीय खालिदा जिया वहां की मुख्य विपक्षी पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की अध्यक्ष हैं। उनके पति 1977 से 1981 तक बांग्लादेश के राष्ट्रपति रहे और उन्होंने 1978 में बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की स्थापना की।

खालिदा जिया की राजनीतिक करियर की शुरुआत तब हुई जब उनके पति जियाउर रहमान की हत्या कर दी गई थी। 30 मई 1981 को तत्कालीन राष्ट्रपति जियाउर रहमान की हत्या कर दी गई थी। उनकी मृत्यु के बाद खालिदा जिया, 2 जनवरी 1982 को बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी में शामिल हो गईं।

प्रियंका गांधी की संसदीय पारी की शुरुआत, आज लेंगी पद और गोपनीयता की शपथ

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केरल की वायनाड लोकसभा सीट जीतकर प्रियंका गांधी आज बतौर सांसद पहली बार संसद की दहलीज पर होंगी। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा आज यानी गुरुवार को संसद सदस्य के रूप में शपथ लेंगी। इसके साथ ही वह संसद में अपने भाई राहुल गांधी और मां सोनिया गांधी के साथ शामिल होंगी। इस तरह आज से गांधी परिवार की तीन लोग संसद में दिखने लगेंगे।वायनाड में राहुल गांधी की खाली की गई सीट पर हुए वायनाड उपचुनाव में प्रियंका ने 4 लाख से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की है।

वायनाड सीट राहुल गांधी के इस्तीफा देने के बाद खाली हुई थी। इसी के बाद कांग्रेस पार्टी की तरफ से राहुल के बाद प्रियंका गांधी पर इस सीट को लेकर भरोसा जताया गया था। प्रियंका ने पार्टी का भरोसा कायम रखते हुए यहां से जबरदस्त जीत हासिल की। वायनाड में प्रियंका गांधी को 6 लाख 22 हजार 338 वोट मिले, जबकि सीपीआई के उम्मीदवार सत्यम मोकेरी को 2 लाख 11407 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे।

प्रियंका गांधी शपथ ग्रहण समारोह के बाद 30 और 1 दिसंबर को वायनाड का दौरा करेंगी। सूत्रों के मुताबिक, राहुल गांधी भी प्रियंका गांधी के साथ इस दौरान मौजूद रह सकते हैं। प्रियंका गांधी वायनाड में दो दिवसिए दौरे में सात रोड शो करेंगी। सभी विधानसभा सीटों पर वो रोड शो करेंगी।

अब सवाल उठ रहा है कि आखिर प्रियंका गांधी लोकसभा में कांग्रेस के सांसदों के साथ किस पंक्ति में बैठेंगीं। लोक सभा में प्रक्रिया और संचालन के नियम 4 के अनुसार सदन में सदस्य स्पीकर द्वारा तय किये गए नियम के अनुसार ही बैठेंगी। प्रियंका गांधी नवनिर्वाचित सांसद हैं और उपचुनाव में अभी अभी जीत कर आई हैं, ऐसे में अब तक वायनाड लोकसभा सांसद के लिए पहले से कोई सीट निर्धारित नहीं थी। तो सवाल उठता है कि आखिर प्रियंका गांधी लोकसभा में कहां बैठेंगी? प्रियंका गांधी को लेकर सदन में सीटिंग अरेंजमेंट को लेकर कुछ बातें बिल्कुल साफ है।

कहां बैठेंगी प्रियंका?

पहला, विपक्षी इंडिया गठबंधन के सांसद स्पीकर के बाएं तरफ बैठते हैं और प्रियंका गांधी भी स्पीकर के बाई तरफ बैठेगी। दूसरा, कांग्रेस सांसदों के लिए आवंटित पंक्तियों में ही प्रियंका गांधी को भी जगह दी जाएगी। चूंकि नए सांसदों को सीट आवंटन का अधिकार स्पीकर और लोकसभा कार्यालय को है। प्रियंका गांधी पहली बार सांसद है तो ऐसे में प्रियंका गांधी को मौजूदा स्थिति में पहली पंक्ति में स्थान मिलना मुश्किल है। कांग्रेस के एक सांसद ने बताया कि विपक्ष के दलों को स्पीकर की तरफ से सीटें दे दी गई है और विपक्ष की पार्टियां किस सांसद को कहां बैठाया जाए आपस में इसकी चर्चा कर रही है। कांग्रेस में विपक्ष के नेता, डिप्टी लीडर और चीफ व्हिप तय करते हैं किस सांसद को अपने कोटे में कहां बैठाएं?

कांग्रेस को करना है तय

दरअसल स्पीकर की तरफ से सीटों के आवंटन के बाद कांग्रेस की तरफ से विपक्ष के नेता, डिप्टी लीडर और चीफ व्हिप आपस में चर्चा करके तय करते हैं कि कि संसद को कहां बैठाया जाए. प्रियंका गांधी के लोकसभा में आने के बाद कांग्रेस को अपनी नवनिर्वाचित सांसद के लिए एक सीट तय करना होगा, जो कांग्रेस के हिस्से में लोकसभा सांसदों के लिए सीट आई हैं.

देवेंद्र फडणवीस या एकनाथ शिंदे...महाराष्ट्र सीएम पर सस्पेंस बरकरार, कब होगा पटाक्षेप?

#maharashtranewcmamitshahvinodtawde_meeting

महाराष्ट्र में बीजेपी के नेतृत्व वाली महायुति ने प्रचंड जीत हासिल की। 23 नवंबर को विधानसभा चुनाव का परिणाम भी आ गया लेकिन आज 28 नवंबर तक मुख्यमंत्री के नाम का पटाक्षेप नहीं हो सका है। महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री कौन होगा? सस्पेंस अब भी बरकरार है। महाराष्ट्र में सरकार बनाने की कवायद के तहत गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी महासचिव विनोद तावड़े के बीच अहम बैठक हुई। वहीं, आज महायुति के तीनों शीर्ष नेताओं के साथ गृहमंत्री अमित शाह की बैठक होने वाली है। माना जा रहा है कि इस बैठक के बाद मुख्यमंत्री के नाम को लेकर एलान हो सकता है।

महाराष्ट्र में भाजपा, शिवसेना और राकांपा के महायुति गठबंधन ने चुनाव में जबरदस्त प्रदर्शन किया और जीत हासिल की। हालांकि, इन सभी दलों में भाजपा का प्रदर्शन जबरदस्त रहा और वह अकेले ही बहुमत के करीब का आंकड़ा जुटाकर सबसे बड़ी पार्टी बनी। इसके बाद से ही भाजपा के कई नेताओं की तरफ से मुख्यमंत्री पद पार्टी के पास रखने की मांग उठने लगी।

वहीं दूसरी तरफ शिवसेना(शिंदे) के कुछ नेताओं ने भी एकनाथ शिंदे को दोबारा सीएम बनाने की मांग तेज कर दी। कई बार शिवसेना की ओर से भारतीय जनता पार्टी पर दबाव बनाया गया।हालांकि, एकनाथ शिंदे अब मुख्यमंत्री सीएम की रेस से हट गए हैं।

देवेंद्र फडणवीस के नाम पर पेच फंस

एकनाथ शिंदे के बयान के बाद ऐसा लगा जैसे देवेंद्र फडणवीस सीएम पद की रेस में बाजी मार चुके हैं। मगर ताजा घटनाक्रम सामने आए हैं, उससे ऐसा लग रहा है कि देवेंद्र फडणवीस पर फिर पेच फंस गया है। अमित शाह और विनोद तावड़े के बीच बुधवार की रात को लंबी बातचीत हुई। विनोद तावड़े ने महाराष्ट्र का जो फीडबैक दिया है, उससे ही फडणवीस के नाम पर पेच फंसता दिख रहा है। बैठक में महाराष्ट्र के राजनीतिक और सामाजिक समीकरणों पर चर्चा की गई। एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री नहीं रहने पर सूबे के राजनीतिक और सामाजिक समीकरणों पर पड़ने वाले असर पर भी चर्चा हुई. बीजेपी शीर्ष नेतृत्व महाराष्ट्र के मराठा वोटरों पर पड़ने वाले असर को लेकर लगातार मंथन कर रहा है। तावड़े से बैठक से पहले गृहमंत्री अमित शाह ने एनसीपी और शिवसेना के नेताओं के साथ अलग-अलग बैठक कर फीडबैक लिया।

एकनाथ शिंदे बता चुके हैं अपनी राय

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिवसेना शिंदे गुट के प्रमुख एकनाथ शिंदे ने बुधवार को सीएम पद को लेकर चल रही चर्चाओं को विराम दे दिया। उन्होंने कहा कि मेरे मन में सीएम बनने की लालसा नहीं है। पीएम मोदी और अमित शाह जो भी निर्णय लेंगे मुझे मंजूर होगा। सरकार बनाते समय मेरी तरफ से कोई अड़चन नहीं आएगी। मैं चट्टान की तरह साथ खड़ा हूं। भाजपा की बैठक में जो भी निर्णय लिया जाएगा, हमें मान्य होगा। भाजपा का सीएम मुझे मंजूर है।

शिंदे ने कहा कि पिछले ढाई साल में पीएम मोदी और अमित शाह ने मेरा पूरा सहयोग किया। अमित शाह और पीएम मोदी ने बालासाहेब ठाकरे के एक आम शिवसैनिक को सीएम बनाने के सपने को पूरा किया है। वे हमेशा मेरे साथ खड़े रहे हैं। उन्होंने मुझ पर विश्वास किया। मुझे मुख्यमंत्री बनाया और बड़ी जिम्मेदारी दी। मैं रोने वालों और लड़ने वालों में से नहीं हूं। मैं भागने वाला नहीं समाधान करने वाला व्यक्ति हूं। हम मिलकर काम करने वाले लोग हैं। ढाई साल तक हमने खूब काम किया है। महाराष्ट्र में विकास की रफ्तार बढ़ी है। हमने हर वर्ग की भलाई के लिए काम किया।

पिक्चर अभी बाकी है...

महाराष्ट्र की जनता नए मुख्यमंत्री के नाम का बेसब्री से इंतजार कर रही है। देखना होगा कि आखिरकार किसके सिर पर मुख्यमंत्री का ताज सजता है। क्या फडणवीस फिर से मुख्यमंत्री बनेंगे या शिंदे को यह जिम्मेदारी मिलेगी? या फिर कोई और चेहरा सामने आएगा? यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।

दिल्ली वक्फ मामला: अदालत ने आरोपी को दी जमानत, ईडी को लगाई फटकार

दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को विधायक अमानतुल्ला खान से जुड़े दिल्ली वक्फ बोर्ड मामले में एक आरोपी को जमानत दे दी, साथ ही ईडी की खिंचाई की कि वह उसे बिना सुनवाई के हिरासत में रखने के लिए अपना पूरा जोर लगा रहा है। विशेष न्यायाधीश जितेंद्र सिंह ने खान की ओर से संपत्ति खरीदने के लिए बिचौलिया बनने के आरोपी कौसर इमाम सिद्दीकी को जमानत दे दी, यह देखते हुए कि वह 24 नवंबर, 2023 से हिरासत में है। अदालत ने कहा कि निकट भविष्य में मुकदमे के समाप्त होने की "दूर-दूर तक संभावना" भी नहीं है, क्योंकि उसने अपेक्षित मंजूरी की कमी के कारण आरोपपत्र पर संज्ञान लेने से इनकार कर दिया था।

इसमें कहा गया, "अभियोजन एजेंसी त्वरित सुनवाई में योगदान देने की जिम्मेदारी से पीछे नहीं हट सकती। मुकदमे से पहले हिरासत में लेना कानून के शासन को कमजोर करता है और किसी व्यक्ति के बुनियादी मानवाधिकारों की रक्षा करने की अपनी प्रतिबद्धता के प्रति राज्य की विश्वसनीयता को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करता है।" 14 नवंबर को न्यायाधीश ने आरोपपत्र पर संज्ञान लेने से इनकार कर दिया और खान की "तत्काल रिहाई" का आदेश देते हुए कहा कि दिल्ली वक्फ बोर्ड में कथित अनियमितताओं से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उन्हें आगे की कैद में रखना "अवैध" होगा। न्यायाधीश ने बुधवार को सिद्दीकी को जमानत देते हुए कहा कि मामले की फाइल के अवलोकन से पता चला है कि लगभग पांच महीने की देरी के लिए ईडी को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। 

अदालत ने कहा कि केंद्रीय जांच एजेंसी ने "पूरे पांच महीने तक कार्यवाही को रोके रखा, जबकि आरोपी जेल में अपने मुकदमे की शुरुआत होने का इंतजार करता रहा"। न्यायाधीश ने रेखांकित किया, "अब, इस स्तर पर, जब ईडी के पास जमानत का विरोध न करके आरोपी के त्वरित मुकदमे के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करने के लिए अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करने का अवसर है, तो उसने पूरी ताकत और उग्रता के साथ जमानत का विरोध करने का विकल्प चुना है, जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना से कम नहीं है।" अदालत ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि त्वरित सुनवाई के लिए अपनी ऊर्जा और संसाधनों को लगाने के बजाय अभियोजन एजेंसी का पूरा जोर आरोपी को बिना सुनवाई के हिरासत में रखने पर है।

अदालत ने कहा कि आरोपी के खिलाफ दोषसिद्धि की मांग करने के अधिकार के अलावा, अभियोजन एजेंसी का यह भी कर्तव्य है कि वह नागरिकों को लंबे समय तक पूर्व-परीक्षण हिरासत से बचाए। उन्होंने कहा, "पूरी दुनिया में निर्दोषता की धारणा को स्वीकार किया गया है।" न्यायाधीश ने कहा कि ईडी को मंजूरी प्राप्त करने के लिए पर्याप्त समय की आवश्यकता होगी, जो मुकदमे में देरी में और योगदान देगा और आरोपी का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील हेमंत शाह की दलील को स्वीकार किया कि वह समानता के आधार पर जमानत का लाभ पाने का हकदार है। अदालत ने कहा कि सिद्दीकी एक साल से अधिक समय से न्यायिक हिरासत में है और आज तक, दस्तावेजों की प्रति आरोपी को नहीं दी जा सकी है और मामला आरोप तय करने के चरण तक भी नहीं पहुंचा है।

ईडी के अनुसार, सिद्दीकी पर अपराध की आय से खान की ओर से संपत्ति खरीदने का आरोप है। ईडी ने आवेदन का विरोध करते हुए दावा किया कि मामले में आरोपी के आचरण और भूमिका के कारण उसे लंबे समय तक जेल में रहने के आधार पर जमानत नहीं दी जा सकती। मनी लॉन्ड्रिंग की जांच दो एफआईआर से शुरू हुई है, जिनमें से एक वक्फ बोर्ड में कथित अनियमितताओं के संबंध में सीबीआई का मामला और दूसरी दिल्ली पुलिस की भ्रष्टाचार निरोधक इकाई द्वारा दर्ज कथित आय से अधिक संपत्ति का मामला है।

बांग्लादेश में चिन्मय दास की गिरफ्तारी पर भड़के पवन कल्याण, जानें क्या कहा?

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बांग्लादेश में इस्कॉन मंदिर से जुड़े चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद हालात बिगड़ते जा रहे हैं। उनके जेल जाने की खबरों के बाद से लगातार हंगामा जारी है।चिन्मय दास के समर्थक सड़कों पर उतर आए है और उग्र विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। पड़ोसी देश के हालात पर भारत में भी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही है।हिंदुओं और अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों पर आंध्र प्रदेश के डिप्टी सीएम ने चिंता जताई। उन्होंने बांग्लादेशी सरकार से हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार को रोकने का आग्रह किया। 

उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण ने बांग्लादेश पुलिस द्वारा हिंदू धर्मगुरु और इस्कॉन के प्रमुख पुजारी चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी की निंदा की। उन्होंने कहा कि आइए मिलकर चिन्मय प्रभु की गिरफ्तारी की निंदा करें। हम मोहम्मद यूनुस की बांग्लादेश सरकार से आग्रह करते हैं कि वे हिंदुओं पर अत्याचार रोकें।

कल्याण ने ऐतिहासिक संदर्भ पर प्रकाश डाला और बांग्लादेश के निर्माण के दौरान भारतीय सेना द्वारा किए गए बलिदानों को याद किया। उन्होंने सेना के जवानों की जान जाने और राष्ट्र के निर्माण में खर्च किए गए संसाधनों का उल्लेख किया और बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों को तत्काल समाप्त करने का आग्रह किया। इस मुद्दे ने बांग्लादेशी अंतरिम सरकार के नेता मोहम्मद यूनुस का भी ध्यान खींचा है, जिन्होंने हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा को समाप्त करने की अपील की है। कल्याण द्वारा एकजुटता का आह्वान क्षेत्र में अल्पसंख्यक समुदायों के साथ हो रहे व्यवहार के बारे में बढ़ती चिंताओं को दर्शाता है।

भारत सरकार भी जता चुकी है चिंता

इस मामले में भारत सरकार ने मंगलवार (26 अक्टूबर) को अपनी प्रतिक्रिया दी। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘हम चिन्मय कृष्ण दास, जो ‘बांग्लादेश सम्मिलित सनातन जागरण जोत’ के प्रवक्ता हैं, की गिरफ्तारी और जमानत न दिए जाने पर गहरी चिंता व्यक्त करते हैं। बयान में कहा गया, ‘यह घटना बांग्लादेश में चरमपंथी तत्वों द्वारा हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर किए गए कई हमलों के बाद हुई। अल्पसंख्यकों के घरों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों में आगजनी और लूटपाट के साथ-साथ चोरी, तोड़फोड़, देवी-देवताओं और मंदिरों को अपवित्र करने के कई मामले दर्ज किए गए हैं। 

विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इन घटनाओं के अपराधी अभी भी खुलेआम घूम रहे हैं, जबकि शांतिपूर्ण सभाओं के माध्यम से वैध मांगें प्रस्तुत करने वाले धार्मिक नेता के खिलाफ आरोप लगाए जा रहे हैं। हम दास की गिरफ्तारी के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन कर रहे अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों पर भी चिंता व्यक्त करते हैं। मंत्रालय ने कहा, “हम बांग्लादेश के अधिकारियों से हिंदुओं और सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का अपील करते हैं, जिसमें शांतिपूर्ण सभा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उनका अधिकार भी शामिल है।