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भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा- हेमंत सोरेन के दिल में थोड़ा भी स्वाभिमान है, तो इरफान अंसारी को मंत्रिमंडल से हटायें


सीता सोरेन पर इरफ़ान द्वारा अभद्र टिप्पणी से भड़के मरांडी, कहा जो मुख्यमंत्री अपनी भाभी की रक्षा नहीं कर सकता वह राज्य की बहु-बेटियों की रक्षा कैसे करेगा..?

झारखण्ड डेस्क 

भाजपा के प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने सीता सोरेन के खिलाफ अमर्यादित बयान देने वाले मंत्री इरफान अंसारी को मंत्रिमंडल से हटाने की मांग की है. रविवार को पत्रकारों से श्री मरांडी ने कहा कि यह बिल्कुल स्पष्ट हो चुका है कि हेमंत सोरेन लाचार और विवश हैं. वोट की खातिर वे किसी भी हद तक गिर सकते हैं. पार्टी भले अलग हो, लेकिन सीता सोरेन उनकी भाभी हैं.

उनके आंदोलनकारी भाई स्व दुर्गा सोरेन की पत्नी हैं. झारखंड की एक महिला भी हैं. श्री मरांडी ने कहा कि सीता सोरेन के बारे में जामताड़ा के विधायक इरफान अंसारी ने घटिया शब्द का उपयोग किया है. 

अगर हेमंत सोरेन के दिल में थोड़ा सा भी स्वाभिमान है, तो इरफान अंसारी को मंत्रिमंडल से हटा देना चाहिए. श्री मरांडी ने कहा कि सीता सोरेन के बारे में घटिया शब्द का प्रयोग करने के बाद भी हेमंत सोरेन चुप हैं और उन्हें मंत्रिमंडल से नहीं हटा रहे हैं, तो सोच सकते हैं कि उनसे झारखंड की मां बहनों की रक्षा कैसे हो सकती है. झारखंड की जनता इस बात को अच्छी तरह जान रही है.

रविंद्र राय को कार्यकारी अध्यक्ष बनाये जाने के पीछे उनकी नाराजगी दूर कर डैमेज कंट्रोल का प्रयास या और कुछ....


जानिए क्या कहा बाबूलाल मरांडी..?

झारखण्ड डेस्क 

पूर्व सांसद रविंद्र राय को भाजपा द्वारा झारखंड का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त करने की घोषणा के बाद से कई तरह की चर्चा शुरू हो गयी है. कुछ लोग डैमेज कंट्रोल का प्रयास बता रहे है तो कुछ लोग बाबूलाल मरांडी के कद छोटा करने की बात कर रहे हैं.

बाहरहाल उनकी नियुक्ति तत्काल प्रभाव से लागू हो गई है। रविंद्र राय की नियुक्ति ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं और पिछले दिनों उनकी नाराजगी को लेकर चल रही चर्चा को और हवा दे दी है। 

चर्चा इसी बात की है कि क्या किसी नाराजगी के कारण रविंद्र कुमार राय की नियुक्ति हुई है? 2019 में बीजेपी ने रविंद्र राय को लोकसभा का टिकट नहीं दिया था तो उस वक्त भी उनकी नाराजगी सामने आई थी। वह झारखंड बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं। वह कोडरमा से बीजेपी के लोकसभा सांसद रहे हैं। रविंद्र राय ने बीच में बीजेपी छोड़ दी थी लेकिन बाद में वह मतभेद भुलाकर वापस बीजेपी में शामिल हो गए थे।

 उधर, बीजेपी ने अपने प्रत्याशियों की पहली सूची में बाबूलाल मरांडी को धनवार से टिकट दिया है. इस वक्त वह अपने चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं।

रविंद्र राय के बारे में ऐसी चर्चा थी कि वह गिरीडीह से टिकट मांग रहे थे। हालांकि नाराजगी के सवाल पर अब बाबूलाल मरांडी का जवाब आ गया है। मरांडी ने मीडिया से बातचीत में कहा, ''स्वाभाविक है कि अब हम खुद चुनाव लड़ रहे हैं और हमारा अपना व्यस्त कार्यक्रम है, ऐसे में हमारे पुराने साथी को केंद्र द्वारा मनोनीत किए जाने से बेहतर क्या हो सकता है। 

किसी तरह की नाराजगी का कोई सवाल ही नहीं है। यह कोई डैमेज कंट्रोल नहीं है। हम सभी मिलकर झारखंड में 51 से अधिक सीटें जीतेंगे।

आरपीएफ पोस्ट रांची और फ्लाइंग टीम रांची द्वारा ऑपरेशन सतर्क के तहत 38 शराब की बोतलें बरामद

झारखण्ड डेस्क 

राँची मंडल में आरपीएफ मंडल सुरक्षा आयुक्त पवन कुमार के निर्देश पर शराब तस्करों के खिलाफ लगातार अभियान चालू हैl दिनांक 27.10.2024 को, आरपीएफ पोस्ट रांची और फ्लाइंग टीम रांची द्वारा ऑपरेशन सतर्क के तहत निरीक्षक डी. के. सिंह के निर्देशन में ट्रेन संख्या 13403 एक्सप्रेस में गहन जांच के दौरान सीट संख्या 01 के नीचे कोच नंबर S3 में एक काला रंग का बैग और एक सफेद और लाल रंग का बैग पाया गया। 

दोनों बैग्स के मालिक का पता लगाने का प्रयास किया गया, लेकिन कोई नहीं मिला। शक होने पर बैग को बैगेज स्कैनर से स्कैन किया गया, जिससे उसमें शराब की बोतलें होने का खुलासा हुआ। 

बैग खोलने पर 38 शराब की बोतलों को निकाला गया जिसका अनुमानित कीमत रु. 18,970/- है। बाद मे रांची आरपीएफ के एएसआई शक्ति सिंह ने सभी कानूनी औपचारिकताओं के साथ शराब को जब्त किया जिसे आगे की कानूनी कार्रवाई के लिए 28.10.2024 को आबकारी विभाग को सौंपा जाएगा।

अभियान में शामिल अधिकारी एवं स्टाफ

निरीक्षक डी. के. सिंह, एएसआई शक्ति सिंह

स्टाफ के. सिंह, शंकर कुमार, आर. के. सिंह, मनीष कुमार

अगर उम्मीदवारों ने नामांकन वापस नहीं लिए, तो झारखंड की इतनी सीटों पर लगाने पड़ेंगे 2-2 ईवीएम


झारखंड डेस्क 

झारखंड विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए नामांकन का दौर खत्म हो चुका है. 43 विधानसभा सीटों के लिए 804 उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किए हैं. इनमें से कम से कम 24 ऐसी सीटें हैं, जहां कुछ उम्मीदवारों ने नाम वापस नहीं लिए, तो वहां 2-2 ईवीएम लगानी पड़ेगी.भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) के आंकड़ों के मुताबिक, कुल 804 उम्मीदवारों में 538 ने इन्हीं 24 सीटों पर उम्मीदवारी की दावेदारी की है.

जमशेदपुर की 2 विधानसभा सीटों पर सबसे अधिक 63 प्रत्याशी

झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 के लिए जिन विधानसभा सीटों पर सबसे अधिक नामांकन हुए हैं, उसमें सबसे ऊपर जमशेदपुर की 2 विधानसभा सीटें हैं. जमशेदपुर पूर्व असेंबली सीट पर 32 लोगों ने नामांकन दाखिल किए हैं, जबकि जमशेदपुर पश्चिम में 31 प्रत्याशियों ने परचा भरा.

रांची की हटिया विधानसभा सीट पर 30 लोगों ने भरा परचा

राजधानी रांची की हटिया विधानसभा सीट पर 30 उम्मीदवार हैं, तो बरकट्ठा में 29, बड़कागांव में 28, रांची में 26 उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल कर दिए हैं. हजारीबाग, डालटेनगंज और गढ़वा में 25-25 लोगों ने इस बार झारखंड विधानसभा चुनाव लड़ने के इरादे जताए हैं. सभी ने नामांकन दाखिल कर दिए हैं.

इन विधानसभा सीटों पर 17 से 23 उम्मीदवार

ईचागढ़ विधानसभा सीट पर 23, हुसैनाबाद में 22, चाईबासा (एसटी) और विश्रामपुर में 21-21, बरही, तमाड़ (एसटी), गुमला (एसटी) और कोलेबिरा (एसटी) में 19-19 उम्मीदवार सामने आए हैं. पोटका (एसटी), लोहरदगा (एसटी), भवनाथपुर, बिशुनपुर (एसटी) और सिसई (एसटी) सीट से 18-18, तो मांडर (एसटी) और पांकी में 17-17 प्रत्याशियों ने उम्मीदवारी का परचा भर दिया है.

43 सीट पर 804 लोगों ने भरा है नामांकन

इन सभी सीटों पर 2-2 इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) लगानी पड़ेगी, क्योंकि एक ईवीएम में सिर्फ 16 उम्मीदवारों के ही नाम अंकित हो सकते हैं. इसलिए अगर इन सीटों पर उम्मीदवारों ने नाम वापस नहीं लिए, तो इन 24 सीटों पर 2-2 ईवीएम लगाना पड़ेगा. सोमवार (28 अक्टूबर) को इन सभी 804 परचों की जांच होगी. इसके बाद 30 अक्टूबर तक नाम वापस लेने की आखिरी तारीख है. उसी दिन तय होगा कि 13 नवंबर को 43 विधानसभा सीटों पर वोटिंग के दौरान कितनी सीटों पर 1 ईवीएम लगेंगे और कितनी सीटों पर 2 ईवीएम की व्यवस्था करनी होगी.

वो कौन-सी 24 सीटें हैं, जहां लगाने पड़ सकते हैं 2-2 EVM

जमशेदपुर-पूर्व में 32

जमशेदपुर-पश्चिम में 31

हटिया में 30

बरकट्ठा में 29

बड़कागांव में 28

रांची में 26

हजारीबाग में 25

डालटेनगंज में 25

गढ़वा में 25

ईचागढ़ में 23

हुसैनाबाद में 22

चाईबासा (एसटी) में 21

विश्रामपुर में 21

बरही में 19

तमाड़ (एसटी) में 19

गुमला (एसटी) में 19

कोलेबिरा (एसटी) में 19

पोटका (एसटी) में 18

लोहरदगा (एसटी) में 18

भवनाथपुर में 18

बिशुनपुर (एसटी) में 18

सिसई (एसटी) में 18

मांडर (एसटी) में 17

पांकी में 17

इरफ़ान अंसारी द्वारा सीता सोरेन पर की गयी अभद्र टिप्पणी पर चुनाव आयोग ने लिया सज्ञान, जानिये क्या कहा निर्वाचन पदाधिकारी


चुनाव के इस मौसम में नेताओं की बदजूवानी एक ऐसी समस्या बन गयी है जिससे जनता के साथ प्रशासन भी परेशान है. 

झारखण्ड सरकार में मंत्री रहे जामताड़ा विधायक ने जिस तरह अपने प्रतिद्वाँधी सीता सोरेन के लिए जिस तरह शब्दों का प्रयोग किया वह ना सिर्फ जनता को नागवार लगा बल्कि प्रशासनिक अधिकारी भी अचंभित हैं.

इधर इस पुरे प्रकारण को चुनाव आयोग तक भाजपा ने पहुंचा दिया है.

इस मामले पर राज्य की अपर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी डॉ नेहा अरोड़ा ने कहा है कि विस चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों या प्रत्याशियों को किसी की भावना आहत करनेवाले बयान से बचना चाहिए. 

किसी की भावना आहत करनेवाला बयान आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन माना जायेगा. ऐसा बयान देनेवालों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई का प्रावधान है. 

उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग की एडवाइजरी दोबारा राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों को दी जा रही है. बगैर तथ्य के गलत बयानबाजी न करें : 

श्रीमती अरोड़ा ने कहा कि राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को महिलाओं के सम्मान व प्रतिष्ठा के प्रतिकूल माने जाने वाले किसी भी कार्य या बयान से परहेज करना है. 

उनका संकेत इरफ़ान अंसारी के बयान पर था. इधर इस बयान से ना मात्र सीता सोरेन आहत हैं बल्कि आदिवासी समाज भी आहत है जिसका सीधा असर मतदान पर भी पड़ेगा.

इस पुरे मामले पर बाबूलाल मरांडी ने भी कहा है की राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को अपनी भाभी के सम्मान का भी ख्याल नहीं रहा. इस तरह की अभद्र बयांन पर कारबाई करने की जरूरत है.

फिलहाल सोरेन परिबार की इस पर चुपी से जनता पे क्या असर परता है यह तो मतदान के समय पता चलेगा लेकिन इस इरफ़ान अंसारी के इस कथित बयांन से सियासी गलियारी में चर्चा का इन दिनों विषय बना हुआ है.

झारखंड मौसम : झारखंड में 31 अक्‍टूबर तक होगी बारिश, चेक करें अपना जिला


 रांची। चक्रवाती तूफान ‘दाना’ के कमजोर पड़ जाने के बाद भी इसका असर दिख रहा है। बीते 24 घंटे में राज्‍य में लगभग सभी जगहों पर बारिश हुई। कई जगह पर भारी बारिश हुई। झारखंड में 31 अक्‍टूबर तक बारिश होगी। यह जानकारी रांची मौसम केंद्र ने 26 अक्‍टूबर, 2024 को दी।

तापमान में बदलाव होगा

मौसम केंद्र के अनुसार राज्‍य में अगले 3 दिनों के दौरान अधिकतम तापमान में 3 से 4 डिग्री सेल्‍स‍ियस की बढ़ोतरी हो सकती है।

कल से कुछ जगह बारिश

केंद्र के अनुसार 27 अक्‍टूबर को राज्‍य में कई जगहों पर हल्‍के से मध्‍यम दर्जे की बारिश होने की संभावना है।

28 अक्‍टूबर को यहां बारिश

केंद्र के अनुसार 28 अक्‍टूबर को राज्‍य के उत्‍तर-पश्चिमी, उतरी-मध्‍य, दक्षिणी और मध्‍य भागों में कहीं-कही हल्‍की बारिश होने की संभावना है। इसका असर पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम, सरायकेला-खरसावां, सिमडेगा, गुमला, रांची, खूंटी, लोहरदगा, रामगए़, बोकारो, हजारीबाग, कोडरमा, लातेहार, चतरा, गढ़वा, पलामू जिले में देखने को मिलेगा।

झामुमो की पारंपरिक सीट जामा इस बार जयराम महतो और सीपीएम के कारण हुआ क्रिटिकल,लुइस मरांडी के लिए बहुत आसान नही है जीत



झारखंड डेस्क

झारखंड: इतने दिनों से जामा विधानसभा सीट को लेकर संशय बना हुआ था कि झारखंड मुक्ति मोर्चा की पारंपरिक पारिवारिक सीट होने के नाते यहां से हेमन्त सोरेन अपने परिवार की किसी सदस्य को चुनाव लड़ाएंगे या पार्टी में भाजपा छोड़ कर शामिल हुए लुइस मरांडी को लड़ाएंगे।

अंततः निर्णय हुआ और लुइस मरांडी इस सीट से आज भाजपा के प्रत्याशी हैं।लेकिन लुइस के लिए यह सीट निकाल पाना बहुत आसान नही है।

जैसा कि पिछला दो रिकार्ड देखें तो अपने पिछले दो चुनावों से भाजपा नजदीकी मुकाबले में मात खा रही है। यहां बीजेपी के सुरेश मुर्मू 2014 और 2019 में 2500 से कम वोटों से हार रहे हैं। लेकिन इस बार उनके सामने बीजेपी की ही पूर्व नेता लुईस मरांडी है जिन्होंने अब झामुमो का दामन थाम लिया है।ऐसे में दोनों के बीच मुकाबला दिलचस्प हो गया है।

इस बार भारतीय जनता पार्टी एवं झारखंड मुक्ति मोर्चा सहित प्रमुख राजनीतिक दलों द्वारा जामा विधानसभा सीट के लिए प्रत्याशियों की घोषणा के बाद यहां की चुनावी तस्वीर स्पष्ट हो गयी है। रघुवर दास सरकार में राज्य की समाज कल्याण मंत्री रही भाजपा की प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ लुईस मरांडी को अपने पाले में लाकर झामुमो ने जामा से उम्मीदवार बना दिया है। जहां झामुमो के इस कदम से जामा से प्रत्याशी को लेकर बना सस्पेंस समाप्त हो गया है।

भाजपा झामुमो के बीच इस सीट पर कांटे का है टक्कर

जामा सीट से बीजेपी प्रत्याशी सुरेश मुर्मू का सामना एक बार फिर से एक हैवीवेट प्रत्याशी से होना सुनिश्चित हो गया ह। वर्ष 2014 तथा 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी सुरेश मुर्मू का सामना झामुमो की कद्दावर उम्मीदवार सीता मुर्मू सोरेन से था। दोनों ही बार भाजपा प्रत्याशी सुरेश मुर्मू बहुत कम मार्जिन से हारे थे। जीत एवं हार का अंतर ढाई हजार वोट से भी कम का था। इस बार सीता सोरेन के झामुमो छोड़कर भाजपा में शामिल हो जाने से भाजपा प्रत्याशी सुरेश मुर्मू के लिए जामा की लड़ाई अपेक्षाकृत आसान मानी जा रही थी।

झामुमो कार्यकर्ता का च्वाइस सोरेन परिवार का कैंडिडेट था

झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन की पारिवारिक सीट मानी जाने वाली जामा सीट से झामुमो द्वारा किसी स्थानीय कार्यकर्ता को प्रत्याशी बनाने या फिर शिबू सोरेन के परिवार से ही किसी को प्रत्याशी बनाने की मांग झामुमो कार्यकर्ता कर रहे थे। लेकिन झामुमो नेतृत्व ने डॉ लुईस मरांडी को आपने पाले में लाने के बाद उन्हें जामा से प्रत्याशी बनाकर भाजपा के सामने मास्टर स्ट्रोक चल दिया है। डॉ लुईस मरांडी को झामुमो द्वारा प्रत्याशी बनाए जाने के बाद जामा का राजनीतिक परिदृश्य रोचक हो गया है।झामुमो के इस मास्टर स्ट्रोक से भाजपा प्रत्याशी सुरेश मुर्मू एक बार फिर से या कहें तीसरी बार भी कड़े संघर्ष में फंस गए हैं।

तीन बार लगातार झामुमो के टिकट पर सीता सोरेन ने जीता चुनाव

पिछले तीन बार से झामुमो की टिकट पर जामा की विधायक चुनी जा रही स्व दुर्गा सोरेन की पत्नी सीता मुर्मू सोरेन के परिवार एवं पार्टी छोड़कर भाजपा में चले जाने से बैक फुट पर नजर आने वाली झामुमो ने डॉ लुईस मरांडी को झामुमो में शामिल कराकर भाजपा को बड़ा झटका दे दिया है. जामा विधानसभा के राजनीतिक गलियारों में भाभी गयी तो दीदी आयी का जुमला खूब चल रहा है।

वर्ष 2005 से भाजपा दे रही थ कड़ी टक्कर

वर्ष 2005 से ही जामा विधानसभा सीट पर झामुमो एवं भाजपा के बीच सीधा मुकाबला होता आ रहा है।स्थानीय राजनीति पर नजर रखने वाले लोग 2024 के विधान सभा चुनाव में भी दोनों प्रमुख दलों के प्रत्याशियों के बीच सीधे मुकाबले की संभावना जता रहे हैं।लेकिन भाजपा एवं झामुमो के बीच होने वाले सीधे मुकाबले को कई राजनीतिक दल एवं उसके प्रत्याशियों के साथ-साथ निर्दलीय प्रत्याशी भी त्रिकोणीय या बहुकोणीय रूप देने की कोशिश कर रहे हैं।

यहां जयराम महतो की इंट्री से झामुमो वोट बैंक पर पड़ेगा असर

जामा से टिकट नहीं मिलने से नाराज भाजपा नेता राजू पुजहर भाजपा छोड़कर टिकट की आशा में जयराम महतो की झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा में चले गए थे।

 लेकिन उन्हें वहां से भी निराशा ही हाथ लगी। जयराम महतो की पार्टी ने राजू पुजहर की बजाय अपने पुराने कार्यकर्ता देबीन मुर्मू को ही टिकट देने की घोषणा कर दी है।झारखंड क्रांतिकारी लोकतांत्रिक मोर्चा के सूत्रों के अनुसार देबीन मुर्मू 28 को नामांकन प्रपत्र दाखिल करेंगे ऐसे में राजू पुजहर के अगले कदम पर भी लोगों की नजरें हैं।उनके करीबी सूत्रों के अनुसार वह भी निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे। वैसे भाजपा नेतृत्व द्वारा राजू पुजहर को चुनाव नहीं लड़ने के लिए समझाने-बुझाने की कोशिश करने की बातें भी राजनीतिक गलियारों में तैर रही है।

सीपीएम ने भी उतारा कैंडिडेट

सीपीएम झारखंड में इंडी गठबंधन का हिस्सा नहीं है. सीपीएम ने भी जामा सीट से अपने प्रत्याशी को चुनाव लड़ाने की घोषणा कर दी है। सनातन देहरी को अपना प्रत्याशी बनाते हुए सीपीएम द्वारा उन्हें टिकट देने की घोषणा के बाद उन्होंने नामांकन भी कर लिया है। झारखंड क्रांति सेना की तरफ से छात्र नेता राजीव बास्की भी जामा से चुनाव लड़ रहे हैं।पेशे से अभियंता तथा कांग्रेस नेता रहे जामा के नाचन गड़िया ग्राम निवासी संजय बेसरा भी निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके हैं। ऐसे में पूरी तस्वीर तो प्रत्याशियों द्वारा नाम वापसी की घोषणा के बाद ही साफ होगी। लेकिन पूरी संभावना इस बात की है कि जामा विधानसभा क्षेत्र में इस बार भी मुख्य मुकाबला भाजपा एवं झामुमो के प्रत्याशियों के बीच ही होगा तथा अन्य प्रत्याशी तीसरे- चौथे स्थान के साथ-साथ अपनी जमानत बचाने के लिए ही संघर्ष करते नजर आयेंगे।

सीट बंटबारे को लेकर इंडिया ब्लॉक में राजद और कांग्रेस के बीच रार जारी,पलामू के छतरपुर और विश्रामपुर में दोनों पार्टी ने उतारे अपने कैंडिडेट

झारखंड डेस्क

पलामू:झारखंड विंधानसभा में इस बार पक्ष हो या विपक्ष टिकट बंटवारे को लेकर और गठबंधन के बीच सीट को लेकर रार जारी है।बात करें पलामू की तो इस जिले में फिलहाल इंडिया ब्लॉक का गठबंधन टूटता हुआ नजर आ रहा है। बिश्रामपुर और छतरपुर विधानसभा सीट से कांग्रेस और राजद दोनों पार्टी के नेताओं ने पार्टी के सिंबल पर नामांकन किया है।

 हुसैनाबाद में राजद के प्रदेश अध्यक्ष ने पार्टी के सिंबल पर अपना नामांकन पर्चा भरा है। वहीं, कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता ने सिंबल की प्रत्याशा में नामांकन दाखिल किया है। बिश्रामपुर और छतरपुर सीट पर दोस्ताना अब संघर्ष नजर आ रहा है। वहीं, हुसैनाबाद की स्थिति साफ नहीं हुई है।

 कांग्रेस और राजद नेताओं को उम्मीद है कि पार्टी नेतृत्व जल्द बड़ा निर्णय लेगी। शुक्रवार को नामांकन की प्रक्रिया समाप्त हो गई है। नामांकन पत्रों की जांच 28 अक्टूबर तक की जाएगी और नाम वापस लेने की अंतिम तिथि 30 अक्टूबर है।

 20 वर्षो के बाद कांग्रेस ने दिया है छतरपुर में प्रत्याशी


छतरपुर विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने करीब 20 वर्षों के बाद अपने प्रत्याशी को उतारा है। कांग्रेस की टिकट पर छतरपुर से पांच बार के विधायक राधाकृष्ण किशोर ने नामांकन किया है। वहीं, राष्ट्रीय जनता दल की तरफ से 2019 में दूसरे स्थान पर रहने वाले विजय राम ने नामांकन किया है। वहीं, बिश्रामपुर विधानसभा सीट से कांग्रेस ने बदलाव करते हुए सुधीर चंद्रवंशी को उतारा है।जबकि राष्ट्रीय जनता दल ने रामनरेश सिंह को उतारा है। 

2019 में भी रामनरेश सिंह ने विधानसभा का चुनाव निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में लड़ा था। राष्ट्रीय जनता दल पलामू में हुसैनाबाद, छतरपुर और बिश्रामपुर सीट पर चुनाव लड़ने का लगातार दावा कर रहा था। राजद ने अंतिम समय में छतरपुर से प्रत्याशी घोषित किया है। सभी सीटों पर दोनों पार्टियों का समीकरण एक है।

कांग्रेस और राजदनेताओं को दोस्ताना संघर्ष का उम्मीद


कांग्रेस और राजद के नेताओं को उम्मीद है कि दोस्ताना संघर्ष पर पार्टी का सिर्फ नेतृत्व फैसला ले सकता है। पलामू के इलाके में गठबंधन को बचाने की कोशिश की जा रही है। पांकी विधानसभा सीट से भाकपा माले प्रत्याशी ने नामांकन वापसी की भी घोषणा की है। भाकपा माले प्रत्याशी अविनाश रंजन का कहना है कि महागठबंधन को मजबूत बनाने के लिए अपना नाम वापस ले रहे हैं।पलामू जिला कांग्रेस अध्यक्ष जैश रंजन पाठक उर्फ बिट्टू पाठक ने कहा कि इंडिया ब्लॉक सभी जगह मजबूत है, सिर्फ नेतृत्व में बातचीत चल रही है। 28-29 अक्टूबर तक कुछ महत्वपूर्ण निर्णय हो सकते हैं।

 वहीं, पलामू जिला राजद अध्यक्ष धनंजय पासवान का कहना है कि दोस्ताना संघर्ष को लेकर अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। कुछ भी निर्णय हो सकता है. पार्टी के नेताओं की बैठक चल रही है।

झारखंड में आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद से अब तक 51.17 करोड़ रुपए से अधिक के अवैध सामान और नकदी जब्त

झारखण्ड डेस्क 

रांची : मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के. रवि कुमार ने बताया कि झारखंड में आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद से अब तक 51.17 करोड़ रुपए से अधिक के अवैध सामान और नकदी जब्त की जा चुकी है। 

आचार संहिता का मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के. रवि कुमार ने बताया कि झारखंड में आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद से अब तक 51.17 करोड़ रुपए से अधिक के अवैध सामान और नकदी जब्त की जा चुकी है। 

आचार संहिता का उल्लंघन करने के मामलों में अब तक 16 प्राथमिकी दर्ज की गई हैं। गौरतलब है कि 17 अक्टूबर तक राज्य में जब्त की गई संपत्ति की कुल राशि 38 लाख रुपए थी, जो महज आठ दिनों में तेजी से बढ़कर 51 करोड़ तक पहुंच गई है। जब्ती की इस बढ़ती रफ्तार से स्पष्ट है कि चुनाव आयोग का सख्त नियंत्रण और कड़ी नजर राज्य में अवैध गतिविधियों पर कड़ी कार्रवाई कर रही है। यह संकेत है कि जैसे-जैसे चुनाव प्रक्रिया आगे बढ़ेगी, यह आंकड़ा और भी बढ़ सकता है।

 गौरतलब है कि 17 अक्टूबर तक राज्य में जब्त की गई संपत्ति की कुल राशि 38 लाख रुपए थी, जो महज आठ दिनों में तेजी से बढ़कर 51 करोड़ तक पहुंच गई है।

 जब्ती की इस बढ़ती रफ्तार से स्पष्ट है कि चुनाव आयोग का सख्त नियंत्रण और कड़ी नजर राज्य में अवैध गतिविधियों पर कड़ी कार्रवाई कर रही है। 

यह संकेत है कि जैसे-जैसे चुनाव प्रक्रिया आगे बढ़ेगी, यह आंकड़ा और भी बढ़ सकता है।:

इस बाऱ टिकट बंटबारे के समय भाजपा अपने उसूलों से भटके, परिवार वाद के मायाजाल में उलझने के बाद अब डैमैज़ कंट्रोल में जुटे

झारखण्ड डेस्क 

इसबार की राजनीति कुछ और है, या तो भाजपा अपने नीति और सिद्धांत से भटक गयी या घबराहट और तुष्टिकरण के उलझन में उलझ कर ऐसा उलझ गयी की पुरे झारखंड में पार्टी के अंदर बगाबत की लहर चल परी. 

वैसे राजनीति में परिवारवाद और वंशवाद की विरोधी भाजपा झारखंड विधानसभा में अपने उसूलों से भटक गई. पार्टी ने परिवारवाद पर दिल खोलकर भरोसा किया है. किसी ने अपने बेटे के लिए टिकट लिया, तो किसी ने बीवी और बहू के लिए… एक ने तो अपने भाई को ही टिकट दिलाने में कामयाबी हसिल कर ली.

भाजपा ने इस बार कई ऐसे लोगों को अपना उम्मीदवार बनाया है, जिनका राजनीतिक जीवन में पहली बार प्रवेश हो रहा है. टिकट पाने वाले इन लोगों को इससे पहले कभी किसी ने पार्टी के कार्यक्रमों या बैठकों में हिस्सा लेते देखा या सुना नहीं था. 

परिवारवाद तो इंडिया ब्लॉक की झारखंड में अग्रणी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) में भी जबरदस्त है, लेकिन इस पर किसी को आश्चर्य नहीं होता. इसलिए कि ऐसी पार्टियों का आरंभ से ही यही चरित्र रहा है.

अपने अपने परिवार को राजनीति में फिट करने की मुहिम

वैसे तो भाजपा उम्मीदवारों की लिस्ट में इस बार पांच पूर्व मुख्यमंत्री के रिश्तेदारों के नाम हैं, लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा तीन नामों की है. इनमें मीरा मुंडा, पूर्णिमा दास, बाबूलाल सोरेन शामिल हैं. मीरा मुंडा पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा की पत्नी हैं. गीता कोड़ा पूर्व सीएम मधु कोड़ा की पत्नी हैं. पूर्णिमा दास पूर्व सीएम और संप्रति ओडिशा के राज्यपाल रघुवर दास की बहू हैं.

बाबूलाल सोरेन पूर्व सीएम चंपाई सोरेन के पुत्र हैं. पूर्व सीएम मधु कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा को भी सांसदी का चुनाव हारने के बाद इस बार भाजपा ने विधानसभा का टिकट दिया है. धनबाद से भाजपा सांसद ढुलू महतो भी अपने भाई शत्रुघ्न महतो को टिकट दिलाने में कामयाब रहे.

इंडिया ब्लॉक पर परिवार बाद का आरोप था भाजपा का मुद्दा

इंडिया ब्लॉक का झारखंड में नेतृत्व करने वाला जेएमएम तो पहले से ही परिवारवाद के लिए बदनाम रहा है. वैसे यह बात सिर्फ जेएमएम पर ही लागू नहीं होती. आमतौर पर क्षेत्रीय दलों के सुप्रीमो परिवारवाद को बढ़ावा देने के लिए बदनाम रहे हैं. बिहार में लालू प्रसाद के नेतृत्व वाली आरजेडी को ही देख लीजिए.

लालू प्रसाद यादव ने जनता पार्टी और जनता दल के बाद अपनी अलग पार्टी आरजेडी बनाई तो पत्नी राबड़ी देवी को सीएम बनाकर राजनीति में प्रवेश कराया. 

बाद में बेटी मीसा भारती आईं. अब तो दोनों बेटे- तेजस्वी यादव और तेज प्रताप याद भी राजनीति में हैं. लालू ने एक और बेटी रोहिणी आचार्य को राजनीति में उतार दिया है. रोहिणी इस बार लोकसभा चुनाव में दमदार ढंग से उतरी थीं. हालांकि उन्हें कामयाबी नहीं मिली. 

झारखंड में शिबू सोरेन की पार्टी जेएमएम में उनके बेटे हेमंत सोरेन के अलावा बहू सीता सोरेन की भी एंट्री हो चुकी है. छोटे बेटे बसंत सोरेन पहले से ही राजनीति में हैं. बड़े दिवंगत बेटे बसंत सोरेन की पत्नी सीता सोरेन को भी शिबू सोरेन ने राजनीति में प्रवेश कराया था. पर, अब वे जेएमएम के बजाय भाजपा का हिस्सा हैं और इस बार भाजपा ने उन्हें जामताड़ा से उम्मीदवार बनाया है.

टिकट से वंचित नाराज होकर बने हैं बागी

भाजपा में परिवारवाद को लेकर भारी असंतोष है. टिकट न मिलने से नाराज भाजपा नेताओं ने पार्टी को बाय बोलना शुरू कर दिया है. ऐसे नेताओं में कुछ ने जेएमएम के साथ जाने का फैसला किया तो कुछ बागी होकर ताल ठोंक रहे हैं. भाजपा में इसे लेकर परेशानी बढ़ गई है. असंतोष पर काबू बपाने के लिए भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने बीएल संतोष को झारखंड भेजा था. 

उन्होंने भी पार्टी नेताओं को सलाह दी है कि वे नाराज नेताओं से मिलकर उन्हें मनाने का प्रयास करें. भाजपा को सबसे बड़ा झटका लुइस मरांडी ने दिया है. वे दुमका से विधानसभा का चुनाव लड़ना चाहती थीं. 

पार्टी ने सुनील सोरेन को उम्मीदवार बना दिया. नाराज होकर उन्होंने ढाई दशक बाद भाजपा छोड़ जेएमएम का झंडा उठा लिया है. जेएमएम ने इसके बाद जामा से उन्हें उम्मीदवार बनाकर पुरस्कृत भी कर दिया है.

इसी तरह भाजपा से आए केदार हाजरा को जेएमएम ने जमुआ से टिकट दिया है. एनडीए के घटक आजसू से आए उमाकांत रजक को जेएमएम ने चंदनकियारी से अपना उम्मीदवार घोषित किया है.

अपने लोगों की उपेक्षा से भाजपा समर्थक बंटे

भाजपा के समर्थक भी अपने नेताओं की पार्टी में उपेक्षा से आहत हैं. रांची स टिकट मिलने की उम्मीद पाले संदीप वर्मा ने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है.

जमशेदपुर पूर्वी में जिन लोगों ने 2019 में रघुवार दास के विरोध में सरयू राय को वोट देकर जिताया, उनके सामने दुविधा यह है कि अब वे किसे वोट देंगे. रघुवर दास की बहू के मैदान में उतरने से उनका गुस्सा होना स्वाभाविक है. 

ऐसी स्थिति किसी एक चुनाव क्षेत्र में नहीं, बल्कि कमोबेश हर जगह है, जो भाजपा के लिए घातक साबित हो सकती है. भाजपा का शीर्ष नेतृत्व अब इस बात को महसूस भी करने लगा है. यही वजह रही कि पार्टी ने दो चुनाव प्रभारियों- शिवराज सिंह चौहान और हिमंत बिस्व शर्मा के रहते बीएल संतोष को दूत के तौर पर झारखंड भेजा था.

किसकी बनेगी सरकार, पहले फेज के चुनाव में हो जायेगा क्लियर

झारखंड में इस बार किसकी सरकार बनेगी, इसका फैसला पहले ही चरण के चुनाव में हो जाना है. इसलिए कि पहले चरण में जिन 43 सीटों के लिए वोट पड़ेंगे, उनमें 26 सीटें आरक्षित कोटे की है. इंडिया ब्लॉक को इन सीटों पर पिछले चुनाव में मिली जीते के कारण ही हेमंत सोरेन को सरकार बनाने का मौका मिल गया था. पिछली बार एसटी की आरक्षित सीटों में भाजरा के खाते में सिर्फ दो आई थीं. इसलिए माना जा रहा है कि मतदाता पहले चरण में ही झारखंड में नई सरकार का भविष्य तय कर देंगे.

अपने गलती के अहसास से डैमेज कंट्रोल में लगे भाजपायी

वैसे भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को अपनी गलती का अहसास है, पार्टी से बगबत लगभग 16से 17 सीटों पर नज़र आ रही है जिसका साइड इफेक्ट देखने को मिलेगा. लेकिन भाजपा नेतृत्व हर संभव इस डैमेज को कंट्रोल करने के लिए कार्यकर्ता को अपने पक्ष में जूटे हैं.