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झारखंड में आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद से अब तक 51.17 करोड़ रुपए से अधिक के अवैध सामान और नकदी जब्त

झारखण्ड डेस्क 

रांची : मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के. रवि कुमार ने बताया कि झारखंड में आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद से अब तक 51.17 करोड़ रुपए से अधिक के अवैध सामान और नकदी जब्त की जा चुकी है। 

आचार संहिता का मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के. रवि कुमार ने बताया कि झारखंड में आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद से अब तक 51.17 करोड़ रुपए से अधिक के अवैध सामान और नकदी जब्त की जा चुकी है। 

आचार संहिता का उल्लंघन करने के मामलों में अब तक 16 प्राथमिकी दर्ज की गई हैं। गौरतलब है कि 17 अक्टूबर तक राज्य में जब्त की गई संपत्ति की कुल राशि 38 लाख रुपए थी, जो महज आठ दिनों में तेजी से बढ़कर 51 करोड़ तक पहुंच गई है। जब्ती की इस बढ़ती रफ्तार से स्पष्ट है कि चुनाव आयोग का सख्त नियंत्रण और कड़ी नजर राज्य में अवैध गतिविधियों पर कड़ी कार्रवाई कर रही है। यह संकेत है कि जैसे-जैसे चुनाव प्रक्रिया आगे बढ़ेगी, यह आंकड़ा और भी बढ़ सकता है।

 गौरतलब है कि 17 अक्टूबर तक राज्य में जब्त की गई संपत्ति की कुल राशि 38 लाख रुपए थी, जो महज आठ दिनों में तेजी से बढ़कर 51 करोड़ तक पहुंच गई है।

 जब्ती की इस बढ़ती रफ्तार से स्पष्ट है कि चुनाव आयोग का सख्त नियंत्रण और कड़ी नजर राज्य में अवैध गतिविधियों पर कड़ी कार्रवाई कर रही है। 

यह संकेत है कि जैसे-जैसे चुनाव प्रक्रिया आगे बढ़ेगी, यह आंकड़ा और भी बढ़ सकता है।:

इस बाऱ टिकट बंटबारे के समय भाजपा अपने उसूलों से भटके, परिवार वाद के मायाजाल में उलझने के बाद अब डैमैज़ कंट्रोल में जुटे

झारखण्ड डेस्क 

इसबार की राजनीति कुछ और है, या तो भाजपा अपने नीति और सिद्धांत से भटक गयी या घबराहट और तुष्टिकरण के उलझन में उलझ कर ऐसा उलझ गयी की पुरे झारखंड में पार्टी के अंदर बगाबत की लहर चल परी. 

वैसे राजनीति में परिवारवाद और वंशवाद की विरोधी भाजपा झारखंड विधानसभा में अपने उसूलों से भटक गई. पार्टी ने परिवारवाद पर दिल खोलकर भरोसा किया है. किसी ने अपने बेटे के लिए टिकट लिया, तो किसी ने बीवी और बहू के लिए… एक ने तो अपने भाई को ही टिकट दिलाने में कामयाबी हसिल कर ली.

भाजपा ने इस बार कई ऐसे लोगों को अपना उम्मीदवार बनाया है, जिनका राजनीतिक जीवन में पहली बार प्रवेश हो रहा है. टिकट पाने वाले इन लोगों को इससे पहले कभी किसी ने पार्टी के कार्यक्रमों या बैठकों में हिस्सा लेते देखा या सुना नहीं था. 

परिवारवाद तो इंडिया ब्लॉक की झारखंड में अग्रणी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) में भी जबरदस्त है, लेकिन इस पर किसी को आश्चर्य नहीं होता. इसलिए कि ऐसी पार्टियों का आरंभ से ही यही चरित्र रहा है.

अपने अपने परिवार को राजनीति में फिट करने की मुहिम

वैसे तो भाजपा उम्मीदवारों की लिस्ट में इस बार पांच पूर्व मुख्यमंत्री के रिश्तेदारों के नाम हैं, लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा तीन नामों की है. इनमें मीरा मुंडा, पूर्णिमा दास, बाबूलाल सोरेन शामिल हैं. मीरा मुंडा पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा की पत्नी हैं. गीता कोड़ा पूर्व सीएम मधु कोड़ा की पत्नी हैं. पूर्णिमा दास पूर्व सीएम और संप्रति ओडिशा के राज्यपाल रघुवर दास की बहू हैं.

बाबूलाल सोरेन पूर्व सीएम चंपाई सोरेन के पुत्र हैं. पूर्व सीएम मधु कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा को भी सांसदी का चुनाव हारने के बाद इस बार भाजपा ने विधानसभा का टिकट दिया है. धनबाद से भाजपा सांसद ढुलू महतो भी अपने भाई शत्रुघ्न महतो को टिकट दिलाने में कामयाब रहे.

इंडिया ब्लॉक पर परिवार बाद का आरोप था भाजपा का मुद्दा

इंडिया ब्लॉक का झारखंड में नेतृत्व करने वाला जेएमएम तो पहले से ही परिवारवाद के लिए बदनाम रहा है. वैसे यह बात सिर्फ जेएमएम पर ही लागू नहीं होती. आमतौर पर क्षेत्रीय दलों के सुप्रीमो परिवारवाद को बढ़ावा देने के लिए बदनाम रहे हैं. बिहार में लालू प्रसाद के नेतृत्व वाली आरजेडी को ही देख लीजिए.

लालू प्रसाद यादव ने जनता पार्टी और जनता दल के बाद अपनी अलग पार्टी आरजेडी बनाई तो पत्नी राबड़ी देवी को सीएम बनाकर राजनीति में प्रवेश कराया. 

बाद में बेटी मीसा भारती आईं. अब तो दोनों बेटे- तेजस्वी यादव और तेज प्रताप याद भी राजनीति में हैं. लालू ने एक और बेटी रोहिणी आचार्य को राजनीति में उतार दिया है. रोहिणी इस बार लोकसभा चुनाव में दमदार ढंग से उतरी थीं. हालांकि उन्हें कामयाबी नहीं मिली. 

झारखंड में शिबू सोरेन की पार्टी जेएमएम में उनके बेटे हेमंत सोरेन के अलावा बहू सीता सोरेन की भी एंट्री हो चुकी है. छोटे बेटे बसंत सोरेन पहले से ही राजनीति में हैं. बड़े दिवंगत बेटे बसंत सोरेन की पत्नी सीता सोरेन को भी शिबू सोरेन ने राजनीति में प्रवेश कराया था. पर, अब वे जेएमएम के बजाय भाजपा का हिस्सा हैं और इस बार भाजपा ने उन्हें जामताड़ा से उम्मीदवार बनाया है.

टिकट से वंचित नाराज होकर बने हैं बागी

भाजपा में परिवारवाद को लेकर भारी असंतोष है. टिकट न मिलने से नाराज भाजपा नेताओं ने पार्टी को बाय बोलना शुरू कर दिया है. ऐसे नेताओं में कुछ ने जेएमएम के साथ जाने का फैसला किया तो कुछ बागी होकर ताल ठोंक रहे हैं. भाजपा में इसे लेकर परेशानी बढ़ गई है. असंतोष पर काबू बपाने के लिए भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने बीएल संतोष को झारखंड भेजा था. 

उन्होंने भी पार्टी नेताओं को सलाह दी है कि वे नाराज नेताओं से मिलकर उन्हें मनाने का प्रयास करें. भाजपा को सबसे बड़ा झटका लुइस मरांडी ने दिया है. वे दुमका से विधानसभा का चुनाव लड़ना चाहती थीं. 

पार्टी ने सुनील सोरेन को उम्मीदवार बना दिया. नाराज होकर उन्होंने ढाई दशक बाद भाजपा छोड़ जेएमएम का झंडा उठा लिया है. जेएमएम ने इसके बाद जामा से उन्हें उम्मीदवार बनाकर पुरस्कृत भी कर दिया है.

इसी तरह भाजपा से आए केदार हाजरा को जेएमएम ने जमुआ से टिकट दिया है. एनडीए के घटक आजसू से आए उमाकांत रजक को जेएमएम ने चंदनकियारी से अपना उम्मीदवार घोषित किया है.

अपने लोगों की उपेक्षा से भाजपा समर्थक बंटे

भाजपा के समर्थक भी अपने नेताओं की पार्टी में उपेक्षा से आहत हैं. रांची स टिकट मिलने की उम्मीद पाले संदीप वर्मा ने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है.

जमशेदपुर पूर्वी में जिन लोगों ने 2019 में रघुवार दास के विरोध में सरयू राय को वोट देकर जिताया, उनके सामने दुविधा यह है कि अब वे किसे वोट देंगे. रघुवर दास की बहू के मैदान में उतरने से उनका गुस्सा होना स्वाभाविक है. 

ऐसी स्थिति किसी एक चुनाव क्षेत्र में नहीं, बल्कि कमोबेश हर जगह है, जो भाजपा के लिए घातक साबित हो सकती है. भाजपा का शीर्ष नेतृत्व अब इस बात को महसूस भी करने लगा है. यही वजह रही कि पार्टी ने दो चुनाव प्रभारियों- शिवराज सिंह चौहान और हिमंत बिस्व शर्मा के रहते बीएल संतोष को दूत के तौर पर झारखंड भेजा था.

किसकी बनेगी सरकार, पहले फेज के चुनाव में हो जायेगा क्लियर

झारखंड में इस बार किसकी सरकार बनेगी, इसका फैसला पहले ही चरण के चुनाव में हो जाना है. इसलिए कि पहले चरण में जिन 43 सीटों के लिए वोट पड़ेंगे, उनमें 26 सीटें आरक्षित कोटे की है. इंडिया ब्लॉक को इन सीटों पर पिछले चुनाव में मिली जीते के कारण ही हेमंत सोरेन को सरकार बनाने का मौका मिल गया था. पिछली बार एसटी की आरक्षित सीटों में भाजरा के खाते में सिर्फ दो आई थीं. इसलिए माना जा रहा है कि मतदाता पहले चरण में ही झारखंड में नई सरकार का भविष्य तय कर देंगे.

अपने गलती के अहसास से डैमेज कंट्रोल में लगे भाजपायी

वैसे भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को अपनी गलती का अहसास है, पार्टी से बगबत लगभग 16से 17 सीटों पर नज़र आ रही है जिसका साइड इफेक्ट देखने को मिलेगा. लेकिन भाजपा नेतृत्व हर संभव इस डैमेज को कंट्रोल करने के लिए कार्यकर्ता को अपने पक्ष में जूटे हैं.

हेमंत सोरेन की भतीजी ने हेमंत की बढ़ाई मुसीबत! पापा की सीट पर कर दी दावेदारी, लिया दादा - दादी का आशीर्वाद


रांची: हेमंत सोरेन के सामने एक बार फिर परिवार की चुनौती सामने आ खड़ी हुई है। खबरों के मुताबिक हेमंत सोरेन के बड़े भाई दुर्गा सोरेन की बेटी जयश्री सोरेन ने जामा सीट पर दावेदारी ठोक दी है।

इस सीट से जेएमएम की ओर से लुईस मरांडी को टिकट भी दे दिया गया है। लेकिन जयश्री सोरेन के शिबू सोरेन से मिलने के बाद कहा जा रहा है कि जयश्री सोरेन ने अपना दादा से आशीर्वाद में जामा सीट मांग ली है।

हेमंत सोरेन की बढ़ी मुश्किलें

जयश्री सोरेन बुधवार को अपने दादा शिबू सोरेन से मिली थीं। माना जा रहा है कि जयश्री सोरेन अपने पिता की सीट चाहती हैं। सीता सोरेन अपनी बेटी के लिए बीजेपी से जामा सीट चाहती थीं। लेकिन बीजेपी ने जयश्री को टिकट नहीं दिया है। 

हालांकि जेएमएम की ओर से जामा से लुईस मरांडी का चुनाव लड़ना तय है। इसी बीच जयश्री सोरेन ने शिबू सोरेन से मुलाकात की है। लुईस मरांडी बीते दिनों ही बीजेपी में शामिल हुई हैं।

भाजपा ने दुर्गा सोरेन की पत्नी और शिबू सोरेन की बहू सीता सोरेन को जामताड़ा सामान्य सीट से उम्मीदवार बनाया है। 

झारखंड में नियम है कि किसी दूसरे स्टेट की महिला राज्य में आरक्षण का लाभ नहीं उठा सकती है। इसलिए कल्पना सोरेन भी गांडेय सामान्य सीट से चुनाव लड़कर विधायक बनीं और एक बार फिर से गांडेय से चुनाव लड़ रही हैं। सीता और कल्पना दोनों ओडिशा की रहने वाली हैं।

हेमंत सोरेन कैसे फंसे?

जयश्री सोरेन की मुलाकात के बाद शिबू सोरेन अगर अपनी नातिन के पक्ष में खड़े हो जाते हैं तो हेमंत सोरेन के लिए मुश्किलें बढ़ जाएगी। 

लुईस मरांडी झारखंड की बड़ी नेता हैं और वह हेमंत सोरेन को भी चुनाव हरा चुकी हैं। इससे पता चलता है कि लुईस मरांडी का जेएमएम के लिए क्या महत्व है। लुईस ने 2014 के चुनाव में दुमका सीट से हेमंत सोरेन को हराया था। 

बीजेपी ने लुईस को दुमका की बजाय बरहेट से चुनाव लड़ने को कहा था, लेकिन लुईस ने साफ मना कर दिया और जेएमएम में शामिल हो गईं।

 लुईस के साथ होने से संथाल परगना में जेएमएम को आदिवासी वोटों को एकजुट रखने में मदद मिलेगी और इसका कई सीटों पर फायदा देखने को मिलेगा।

देखना ये होगा कि हेमंत सोरेन अपनी भतीजी और पिता को कैसे मनाते हैं। जयश्री को खाली हाथ लौटाना हेमंत सोरेन के लिए मुश्किल होगा, लेकिन सियासी तौर पर लुईस मरांडी को मना करना भी आसान नहीं है।

भाजपा एसटी मोर्चा के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य मंगल सिंह गिलुवा ने गीता कोड़ा के बिरुद्ध जगरनाथपुर विधानसभा से हुए खड़े, गीता कोड़ा की दिक्क़तें बढ़ी

भारतीय जनता पार्टी से टिकट नहीं मिलने से नाराज भाजपा एसटी मोर्चा के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य सह किरीबुरु पूर्वी पंचायत के मुखिया मंगल सिंह गिलुवा ने भाजपा प्रत्याशी गीता कोड़ा के खिलाफ जाकर शुक्रवार को जगन्नाथपुर विधानसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन दाखिल किया. 

अंतिम दिन व आखिरी समय में मंगल सिंह गिलुवा का नामांकन करना चर्चा का विषय बना हुआ है. इस दौरान जगन्नाथपुर अनुमंडल कार्यालय के बाहर पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा एवं पूर्व सांसद सह भाजपा प्रत्याशी गीता कोड़ा से मंगल सिंह गिलुवा की मुलाकात हुई. 

दोनों ने मंगल गिलुवा की जन्मदिन की शुभकामनाएं दी. कोड़ा दम्पत्ति के जाने के बाद कांग्रेस प्रत्याशी सह विधायक सोनाराम सिंकु ने भी अनुमंडल कार्यालय से बाहर निकल मंगल गिलुवा से शिष्टाचार मुलाकात की व एक-दूसरे को सम्मान दिया.

एक होटल संचालक सह जमीन कारोबारी को उसके घर घुसकर अपराधी ने मारी गोली, हुई मौत, केस दर्ज

झारखण्ड डेस्क 

 सरायकेला थाना के चंद्रपुर में जमीन कारोबारी सह होटल संचालक जावेद अख्तर की गुरुवार देर रात गोली मारकर हत्या कर दी गयी. अपराधियों ने उसके घर में घुसकर गोली मारी और फरार हो गये. 

घायलावस्था में जावेद को टीएमएच ले जाया गया, ज़हां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया. पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है. पुलिस ने घटनास्थल से दो खोखा बरामद किया है. 

जानकारी के अनुसार, जावेद चंद्रपुर में होटल चलाता था. रात एक बजे होटल बंदकर वह अपने घर जाने के लिए निकला. उसका पीछा करते हुए हत्यारे उसके घर तक पहुंच गये. जैसे ही वह घर का दरवाजा बंद करने लगा. हत्यारों ने उसके घर में घुसकर गोली मार दी. 

हत्या करने के बाद अपराधी फरार हो गये. घटना के बाद जावेद वहीं गिर गया. आनन-फानन में परिजन उसे टीएमएच (जमशदेपुर) ले गये. यहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया. परिजनों की मानें, तो हत्यारे कई दिनों से जावेद की रेकी कर रहे थे. 

गुरुवार रात में जैसे ही उसे मौका मिला हत्यारों ने गोली मारकर हत्या कर दी. पुलिस जावेद के मोबाइल डिटेल खंगाल रही है. घटना के संबंध में थाना प्रभारी सतीश वर्णवाल ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है. प्रथम दृष्टया में मामला प्रेम-प्रसंग का लग रहा है. पुलिस मामले के सभी पहलुओं की जांच कर रही है. मृतक के भाई ने थाना में अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज कराया है.

बाहरगोड़ा चेकपोस्ट पर पुलिस ने 2.35 लाख रुपये ने एक बोलोरो से किया जब्त, पुलिस कर रही जाँच




झारखंड डेस्क 

पूर्वी सिंहभूम के .झारखंड में विधानसभा चुनाव को देखते हुए लगातार कैश जब्त किये जा रहे हैं. आज दारीसोल स्थित एनएच-49 पर बने चेकपोस्ट बाहरगोड़ा पर शुक्रवार को पुलिस ने बोलेरो में रखे 2.35 लाख रुपये बरामद किया. पूछताछ में संबंधित व्यक्ति ने इस राशि से संबंधित कागजात नहीं दिखा पाया. 

पुलिस ने रुपये जब्त कर मामले की जांच शुरू कर दी है. बोलेरो पर सवार व्यक्ति बंगाल के झाड़ग्राम के रघुनाथपुर निवासी प्रणव सीट है. वह झाड़ग्राम से बहरागोड़ा आ रहा था. जानकारी के अनुसार, प्रणव बहरागोड़ा से राशन खरीदने आ रहा था. 

चेकपोस्ट पर तैनात दंडाधिकारी अभिजीत बेरा ने बताया कि बोलेरो से 2.35 लाख रुपये बरामद किये गये हैं. मौके पर एसआइ बाबूराम सिंह, आरक्षी शिवतरन गुप्ता, हवलदार पप्पू कुमार आदि उपस्थित थे.

झारखंड विधानसभा चुनाव में इस बार मतदाताओं को जागरूक करेंगे महेंद्र सिंह धोनी

51 करोड़ से अधिक के अवैध सामान और नकदी जब्त, आदर्श आचार संहिता उल्लंघन में अब तक 16 प्राथमिकी दर्ज

रिपोर्टर जयंत कुमार 

झारखंड विधानसभा चुनाव में इस बार महेंद्र सिंह धोनी ब्रांड एंबेसडर के रूप में भूमिका निभाएंगे। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी, झारखंड के रवि कुमार ने बताया कि मशहूर क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी विधानसभा चुनाव में निर्वाचन आयोग के जागरूकता कार्यक्रम स्वीप का हिस्सा बनेंगे। इस आशय का पत्र उन्होंने निर्वाचन आयोग को दिया है।

 निर्वाचन आयोग महेंद्र सिंह धोनी की तस्वीर का उपयोग स्वीप के कार्यक्रमों में करेगा। वहीं मतदाताओं को अधिकाधिक संख्या में मतदान के लिए प्रेरित करनेवाली उनकी अपील का उपयोग मतदान प्रतिशत बढ़ाने में होगा।

 उन्होंने बताया कि महेंद्र सिंह धोनी मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी, झारखंड के कार्यालय से जुड़ कर मतदाता जागरूकता अभियान में सहयोग करेंगे। उन्होंने कहा कि ऐसे शख्सियत के जुड़ाव से मतदाता जागरूकता अभियान को बल मिलेगा। 

के रवि ने बताया कि वह शुक्रवार को हजारीबाग और रामगढ़ के विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में भ्रमण किये और स्वीप की गतिविधियों का अवलोकन किया। इस दौरान स्वीप कार्यक्रम में कुछ त्रुटियां मिलीं, जिनके अविलंब निराकरण के निर्देश दिये गये। उन्होंने बताया कि शुक्रवार को प्रथम चरण के चुनाव के लिए नामांकन की अवधि खत्म हो गयी है। नामांकनों की स्क्रूटनी 28 अक्टूबर को होगी। 

नाम वापसी की अंतिम तिथि 30 अक्टूबर है। उन्होंने बताया कि आदर्श आचार संहिता उल्लंघन में अब तक 16 प्राथमिकी दर्ज की गयीं हैं। उसमें सर्वाधिक 9 प्राथमिकी गढ़वा जिले में दर्ज हुईं हैं। उन्होंने बताया कि झारखंड में आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद से अब तक 51.17 करोड़ से अधिक के अवैध सामान और नकदी जब्त किये गये हैं।

धनबाद के झरिया विधानसभा सीट पर इस बार भी एक खानदान की दो बहुयें आमने सामने, देखिए धनबाद की जनता सर्यदेव सिंह की विरासत किसे सौंपती है

झारखण्ड डेस्क 

धनबाद: धनबाद की झरिया सीट आज एक ऐसा सीट बन गया हैं जहाँ एक हीं परिवार के दो मज़बूत चेहरे हैं. जिनके बीच सियासी जंग हैं.

 2014 के चुनाव में जहां चेचेरे भाई आमने-सामने थे तो वहीं 2019 की जंग जेठानी-देवरानी के बीच थी. इस बार 2024 के विधानसभा चुनाव में भी मुकाबला जेठानी और देवरानी के बीच ही है.

इस बाऱ भी धनबाद की झरिया सीट चुनावी कुरुक्षेत्र फिर से सज गया है और इस बार के चुनाव में भी 2019 वाली लड़ाई का ही रीकैप है. झरिया से मौजूदा विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह कांग्रेस से मैदान में हैं जिनके सामने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने उनकी ही देवरानी रागिनी सिंह को उतारा है. कोयलांचल की झरिया सीट पर एक ही परिवार की दो बहुओं की चुनावी फाइट है.

इस सीट पर धनबाद के सबसे पावरफुल सियासी खानदान सूर्यदेव सिंह के परिवार की दो बहुएं आमने-सामने हैं. नीरज सिंह की पत्नी और मौजूदा विधायक पूर्णिमा सिंह के सामने पूर्व विधायक संजीव सिंह की पत्नी रागिनी सिंह एक चुनौती है. इस सीट पर 2019 के चुनाव में भी जेठानी पूर्णिमा औऱ देवरानी रागिनी सिंह के बीच ही मुकाबला था. तब पूर्णिमा सिंह पांच हजार वोट से अधिक के अंतर से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचने में सफल रही थीं.

कभी साथ थी देवरानी और जेठानी, अब दोनों के रहने का ठिकाना अलग है

 दोनों ही के परिवारों के बीच दूरियां भी बहुत बढ़ चुकी हैं. 2009 के चुनाव तक धनबाद की सियासत में दबदबा रखने वाला सिंह मेंशन एकजुट था लेकिन इसके बाद परिवार में बढ़ी दूरियों की वजह से एक शाख और निकली- रघुकुल. एक ही परिवार से निकली इन दो साखों की लड़ाई है.

2014 से ही शुरू हुई सिंह मेंशन-रघुकुल की अदावत

धनबाद की सियासत में 2009 के चुनाव तक सिंह मेंशन का दबदबा था. सिंह मेंशन सिंह परिवार का आवास है जिसे सूर्यदेव सिंह ने बनवाया था. सूर्यदेव सिंह 1977 से 1991 तक झरिया सीट से विधायक रहे और पूरे धनबाद की सियासत में इस परिवार की तूती बोलती थी. सियासत में दबदबा रखने वाला सिंह मेंशन 2009 के चुनाव तक एकजुट था. सूर्यदेव सिंह के निधन के बाद उनकी विरासत उनके भाई बच्चा सिंह ने संभाली. बच्चा सिंह विधायक रहे, झारखंड सरकार में मंत्री भी बने लेकिन सिंह मेंशन में रहने वाले सूर्यदेव सिंह और उनके भाइयों के बच्चे जब बड़े हुए, संपत्ति से लेकर बिजनेस और सियासी विरासत को लेकर टकराव की स्थिति उत्पन्न होने लगी.

साल 2005 में बच्चा सिंह को झरिया सीट सूर्यदेव सिंह की पत्नी कुंती देवी के लिए खाली करनी पड़ी. बच्चा सिंह बोकारो से चुनाव मैदान में उतरे लेकिन हार मिली. यह बात बच्चा सिंह को नागवार लगी और इसी को सूर्यदेव सिंह के परिवार में दरार की शुरुआत कहा जाता है. 

सूर्यदेव सिंह और उनके भाइयों के बच्चे बड़े हुए तो राजनीतिक विरासत से लेकर बिजनेस, ट्रेड यूनियन और संपत्ति को लेकर आपसी टकराव बढ़ने लगा. दरार बढ़ी तो आवास अलग हुए. सूर्यदेव सिंह के भाई राजनारायण सिंह का परिवार सिंह मेंशन छोड़ रघुकुल में रहने लगा. बच्चा सिंह भी रघुकुल समर्थक हो गए.

पूर्णिमा ने करोड़ों की योजनाओं के शिलान्यास का जिक्र करते हुए कहा कि कुछ पर काम चल रहा है. सभी कार्यों को पूरा कराना है. उन्होंने ये भी कहा कि अभी कई कार्य कराए जाने हैं. झरिया के विस्थापन के सवाल पर पूर्णिमा ने कहा कि अग्नि प्रभावित क्षेत्रों में बसे लोगों को हटाना जरूरी है लेकिन पिछले पांच साल में किसी के साथ जबरदस्ती नहीं की गई है. डर की राजनीति का इस्तेमाल नहीं हुआ है. विस्थापन ससम्मान होगा. लोग जैसे चाहें, वैसे जाएंगे. उन्होंने अपनी जीत का विश्वास व्यक्त किया.

हाल ही में सिंह मेंशन से पृथ्वी मेंशन भी अलग हुआ है. पृथ्वी मेंशन सूर्यदेव सिंह के छोटे भाई रामाधीर सिंह का आवास है. रामाधीर सिंह के पुत्र शशि सिंह की पत्नी आशनी सिंह भी सियासत में सक्रिय हैं. आशनी ने 2017 के यूपी चुनाव में बलिया जिले की बैरिया विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था. हालांकि, वह हार गई थीं. सूर्यदेव सिंह का पैतृक गांव बैरिया विधानसभा क्षेत्र में ही पड़ता है.

इनकम टैक्स विभाग ने आज गिरिडीह के दो कारोबारी के यहां छापेमारी की, इस सम्बन्ध में अभी तक गड़बड़ी का कोई आधिकारिक बयान नहीं आया हैं


झा. डेस्क 

आज गिरिडीह जिले में 2 व्यापारियों के ठिकानों पर इनकम टैक्स की रेड मारी.

आज शुक्रवार को सुबह-सुबह गिरिडीह जिले के बरगंडा स्थित शारदा बुक के मनीष वर्णवाल और शैलपुत्री कंपनी के आवास में इनकम टैक्स की टीम छापेमारी के लिए पहुंच गई. इनकम टैक्स विभाग के अधिकारी कई वाहनों में सवार होकर आए.

 आयकर विभाग के अधिकारियों की टीम ने दोनों के आवास पर पहुंचकर कर छापेमारी शुरू कर दी. दोनों व्यापारियों के आवास में किसी को दाखिल होने की इजाजत नहीं दी गयी ना ही अंदर से किसी को बाहर जाने की अनुमति थी इनकम टैक्स ऑफिसर्स दस्तावेज खंगाल रहे हैं.

 फिलहाल इस संबंध में कोई गड़बड़ी की पुष्टि नहीं की गयी और ना हीं कोई आधिकारिक बयान आया हैं.

दूसरी टीम राकेश बरनवाल के आवास और फैक्टरी पर पहुंची है. राकेश बरनवाल का सरिया से जुड़ा कारोबार है. दोनों व्यापारियों के ठिकानों पर छापेमारी के लिए अलग-अलग वाहनों में आयकर विभाग की टीम पहुंची थी.

रांची रिम्स के निदेशक ने गुरुवार को अस्पताल परिसर का किया निरीक्षण


रांची : रांची रिम्स के निदेशक प्रो. (डॉ) राजकुमार ने गुरुवार को अस्पताल परिसर का निरीक्षण किया. निरीक्षण के क्रम में निदेशक द्वारा प्रशासनिक भवन के बाहर बगीचे में गंदगी पायी गयी. साथ ही पेड़-पौधों का भी रख-रखाव ठीक से नहीं था. 

इसके अलावा कई स्थानों पर उन्हें गंदगी दिखी. जिसके बादनिदेशक ने चिकित्सा उपाधीक्षक 1 को साफ-सफाई एजेंसी मेसर्स अन्नपूर्णा युटिलिटी सर्विसेस से जवाब मांगने के निर्देश दिए हैं. 

इसके अलावा मल्टीस्टोरी पार्किंग,बिल्डिंग के आस-पास गंदगी व जाम नालियों को देखकर निदेशक ने नाराजगी जताई, पेयजल एवं स्वच्छता विभाग और साफ-सफाई एजेंसी को इसे तत्काल प्रभाव से हटाने के आदेश दिए हैं.