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नरक चतुर्दशी के दिन भूल से भी न करें ये गलतियां, जानें इस दिन किसकी करें पूजा

नयी दिल्ली : नरक चतुर्दशी के दिन बेहद सावधानी भी रखी जाती है. इस दिन कुछ गलतियों को भूल कर भी नहीं करना चाहिए हिंदुओं के सबसे बड़े त्योहारों में से एक दीपावली से एक दिन पहले और धनतेरस के एक दिन बाद यानी कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है. 

पांच दिनों तक चलने वाले दीपावली पर्व के इस दूसरे दिन के पर्व को रूप चतुर्दशी और छोटी दीवाली भी कहा जाता है. परंपराओं के मुताबिक, दीपावली से पहले की जाने वाली साफ-सफाई के काम का यह आखिरी दिन होता है. इसी दिन शाम को घर के बाहर दीपक जलाने की विधिवत शुरुआत हो जाती है.

नरक चतुर्दशी पर किसकी पूजा की जाती है? 

पौराणिक मान्यता के मुताबिक, भगवान श्रीकृष्ण ने नरक चतुर्दशी के दिन ही नरकासुर नामक राक्षस का वध कर उसके कैद से करीब 16 हजार महिलाओं को मुक्त कराया था. इसलिए नरक चतुर्दशी पर खासकर भगवान श्रीकृष्ण, माता महालक्ष्मी और मृत्यु के देवता यम की पूजा होती है. हालांकि, नरक चतुर्दशी को ज्यादातर यम देवता के लिए ही दीपक जलाकर परिवार की कुशलता की कामना की जाती है. 

नरक चतुर्दशी पर घरों में यमराज की पूजा के परिणाम से सौंदर्य की प्राप्ति होती है और अकाल मृत्यु या नरक का भय नहीं रहता है. इसलिए, नरक चतुर्दशी को आयु बढ़ाने का भी दिन माना जाता है.

यम के लिए जलाते हैं दीप, क्या है पौराणिक परंपरा?

शास्त्रों के मुताबिक, नरक चतुर्दशी की शाम को यम देवता के नाम से दीपदान करने का भी विधान है. नरक चतुर्दशी की रात में घर के मुख्य द्वार से बाहर दक्षिण दिशा की ओर यम देव के नाम पर सरसों तेल का चौमुखा दीपक जरूर जलाना चाहिए. 

मान्यता है कि यम के नाम से जलाए गए मिट्टी या गोबर से बने 14 दीपक को जलाने के बाद उसकी निगरानी भी करनी चाहिए. कई जगहों पर दीपक की लौ बढ़ जाने पर उसे उठाकर घर के अंदर लाने और संभालकर पूरी रात जलाने का रिवाज भी है.

नरक चतुर्दशी के दिन भूल से भी न करें ये गलतियां

नरक चतुर्दशी के दिन बेहद सावधानी भी रखी जाती है. इस दिन कुछ गलतियों को भूल कर भी नहीं करना चाहिए. मृत्यु के देवता यमराज की पूजा होने की वजह से नरक चतुर्दशी के दिन किसी भी जीव को नहीं मारना चाहिए. साथ ही घर की दक्षिण दिशा को भूलकर भी गंदा नहीं करना चाहिए. नरक चतुर्दशी का व्रत करने वालों का अपमान नहीं करना चाहिए. किसी के दीप को बुझाना नहीं चाहिए. इस दिन किसी को भी तेल का दान नहीं करना चाहिए. इस दिन मांसाहार करने से भी परहेज करना चाहिए. इसके अलावा, नरक चतुर्दशी के दिन भूलकर भी अपने घर को खाली नहीं छोड़ना चाहिए. कितना भी जरूरी काम रहे कोशिश करना चाहिए कि घर में परिवार का कोई न कोई सदस्य जरूर रहे.

पद्मभूषण से सम्मानित लोक गायिका शारदा सिन्हा की तबीयत अचानक बिगड़ी, दिल्ली AIIMS के ICU में भर्ती


नयी दिल्ली : पद्मभूषण से सम्मानित लोक गायिका शारदा सिन्हा की तबीयत आज अचानक बिगड़ गई है, उन्हें दिल्ली एम्स के इमरजेंसी वार्ड में एडमिट कराया गया है. वे एक हफ्ते से दिल्ली एम्स में भर्ती हैं. 

पिछले एक सप्ताह से उनको खाने-पीने में काफी समस्याएं आ रही थी. शनिवार की सुबह उनकी तबीयत ज्यादा खराब हो गई, जिसके बाद उनको इमराजेंसी वार्ड में लाया गया. हाल ही में उनके पति का ब्रेन हैमरेज से निधन हुआ था, जिसके बाद से वो काफी चिंतित रहती थीं. अभी उनकी स्वास्थ्य स्थिति के बारे में कोई स्वास्थ्य बुलेटिन जारी नहीं किया गया है. एम्स में डॉकटर्स की टीम उनके इलाज में जुटी है. 

छठ गीतों के लिए मशहूर हैं शारदा सिन्हा

आपको बता दें कि छठ के त्योहार पर शारदा सिन्हा के गाने काफी पसंद किए जाते हैं. छठ पर गाए उनके गाने काफी मशहूर हैं. उन्होंने अपने सिंगिंग करियर की शुरुआत 1980 में की थी. शारदा सिन्हा अब तक 62 से ज्यादा छठ गीतें गा चुकी हैं. गायिका अपने पति के निधन के बाद काफी परेशान थीं. वह हर दिन सोशल मीडिया पर अपने पति के लिए कुछ न कुछ लिखती रहती थीं.

बीमारी की खबर से प्रशंसकों में मायूसी

हाल ही में उन्होंने फेसबुक पर अपनी एक तस्वीर पोस्ट की और लिखा कि लाल सिंदूर बिना मांगे न सोभे... लेकिन सिन्हा साहब की मीठी यादों के सहारे मैं संगीत के सफर को जारी रखने की कोशिश करूंगी. खास तौर पर आज के दिन मैं सिन्हा साहब को अपना नमन समर्पित करती हूं. 

उनकी बीमारी की खबर सुनकर उनके प्रशंसक काफी मायूस हैं. लोग भगवान से प्रार्थना कर रहे हैं कि वह जल्द स्वस्थ होकर घर लौट आएं और एक बार फिर छठ में उनकी आवाज सुनाई दे।

आज का इतिहास:आज ही के दिन भारत में हुई थी आम चुनाव की शुरुआत

नयी दिल्ली : 25 अक्टूबर का इतिहास महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि 1964 में आज ही के दिन अवादी कारखाने में पहले स्वदेशी टैंक ‘विजयंत’ का निर्माण किया गया था।

1971 में 25 अक्टूबर को ही संयुक्त राष्ट्र महासभा में ताइवान को चीन में शामिल करने के लिए मतदान हुआ था।

2008 में आज ही के दिन सिक्किम के पूर्व मुख्यमंत्री नर बहादुर भंडारी को 6 माह की सजा दी गई थी।

2005 में 25 अक्टूबर को ही ईराक में नए संविधान को जनमत संग्रह में बहुमत के साथ मंजूरी मिली थी।

2000 में आज ही के दिन अंतरिक्ष यान डिस्कवरी 13 दिन के अभियान के बाद वापस आया था।

1995 में 25 अक्टूबर के दिन ही तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने संयुक्त राष्ट्र के 50वें वर्षगांठ सत्र को संबोधित किया था।

1971 में आज ही के दिन संयुक्त राष्ट्र महासभा में ताइवान को चीन में शामिल करने के लिए मतदान हुआ था।

1964 में 25 अक्टूबर को ही अवादी कारखाने में पहले स्वदेशी टैंक ‘विजयंत’ का निर्माण किया गया था।

1962 में आज ही के दिन अमेरिकी लेखक जॉन स्टीनबेक को साहित्य का नोबेल पुरस्कार दिया गया था।

1951 में 25 अक्टूबर के दिन ही भारत में पहले आम चुनाव की शुरुआत हुई थी।

1945 में आज ही के दिन द्वितीय विश्वयुद्ध के अंत में चीन ने ताइवान पर कब्जा किया था।

1924 में 25 अक्टूबर के दिन ही भारत में ब्रिटिश अधिकारियों ने सुभाषचंद्र बोस को गिरफ्तार कर 2 साल के लिए जेल भेज दिया था।

1917 में आज ही के दिन बोल्शेविक (कम्युनिस्टों) व्लादिमीर इलिच लेनिन ने रूस में सत्ता कब्जा ली थी।

25 अक्टूबर को जन्मे प्रसिद्ध व्यक्ति

1881 में 25 अक्टूबर के दिन ही स्पेन के ख्यातिप्राप्त चित्रकार पाब्लो पिकासो का जन्म हुआ था।

1896 में आज ही के दिन भारत के प्रसिद्ध साहित्यकार तथा लेखक मुकुंदी लाल श्रीवास्तव का जन्म हुआ था।

1912 में 25 अक्टूबर के दिन ही कर्नाटक संगीत के गायक मदुराई मणि अय्यर का जन्म हुआ था।

1938 में आज ही के दिन प्रसिद्ध लेखिका मृदुला गर्ग का जन्म हुआ था।

25 अक्टूबर को हुए निधन

1296 में आज ही के दिन संत ज्ञानेश्वर का निधन हुआ था।

1980 में 25 अक्टूबर के दिन ही भारतीय गीतकार और कवि साहिर लुधियानवी का निधन हुआ था।

1990 में आज ही के दिन मेघालय के पहले मुख्यमंत्री कैप्टन संगमा का निधन हुआ था।

2003 में 25 अक्टूबर के दिन ही प्रसिद्ध भारतीय दार्शनिक तथा समाज सुधारक पाण्डुरंग शास्त्री अठावले का निधन हुआ था।

2005 में आज ही के दिन साहित्यकार निर्मल वर्मा का निधन हुआ था।

त्वचा की समस्याओं को दूर करने के लिए इन तरीकों से करे बेसन का इस्तेमाल चमक उठेगा चेहरा और मिट जायेंगे काले निशान


डेस्क:- चेहरे की देखभाल में बेसन एक प्राकृतिक और असरदार उपाय माना जाता है। इसके नियमित इस्तेमाल से चेहरे की चमक बढ़ती है और काले धब्बों व झाइयों से छुटकारा पाया जा सकता है। आइए जानते हैं कुछ तरीके जिनसे बेसन का सही उपयोग करके चेहरे का निखार बढ़ाया जा सकता है:

1. बेसन और दही का फेस पैक

सामग्री:

1 बड़ा चम्मच बेसन, 1 चम्मच दही

विधि: बेसन और दही को मिलाकर पेस्ट बना लें। 

इसे चेहरे पर लगाकर 15-20 मिनट के लिए छोड़ दें और फिर हल्के हाथों से स्क्रब करते हुए गुनगुने पानी से धो लें।

फायदा: दही में लैक्टिक एसिड होता है जो त्वचा को नरम और चमकदार बनाता है।

2. बेसन और हल्दी का पैक

सामग्री:

1 बड़ा चम्मच बेसन, एक चुटकी हल्दी, गुलाब जल या कच्चा दूध

विधि: इन सभी सामग्रियों को मिलाकर पेस्ट तैयार करें। 

इसे चेहरे पर लगाकर 15-20 मिनट तक छोड़ दें और फिर धो लें।

फायदा: हल्दी में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो दाग-धब्बों को कम करने में मदद करते हैं।

3. बेसन और नींबू का पैक

सामग्री: 1 बड़ा चम्मच बेसन, आधा चम्मच नींबू का रस, गुलाब जल

विधि: बेसन में नींबू का रस और गुलाब जल मिलाकर पेस्ट बनाएं। 

इसे चेहरे पर लगाएं और 10-15 मिनट के लिए छोड़ दें। फिर ठंडे पानी से धो लें।

फायदा: नींबू में विटामिन C होता है जो त्वचा की रंगत को साफ करता है और चेहरे पर निखार लाता है।

4. बेसन और शहद का पैक

सामग्री:

 1 बड़ा चम्मच बेसन, 1 चम्मच शहद, थोड़ा सा दूध

विधि: इन सभी सामग्रियों को मिलाकर पेस्ट बनाएं और चेहरे पर 15 मिनट तक लगाकर छोड़ दें।

सूखने के बाद हल्के हाथों से पानी से धो लें।

फायदा: शहद त्वचा को मॉइस्चराइज़ करता है और दूध त्वचा की चमक बढ़ाता है।

5. बेसन और संतरे के छिलके का पैक

सामग्री: 

1 बड़ा चम्मच बेसन, 1 चम्मच संतरे के छिलके का पाउडर, गुलाब जल

विधि: इन सभी को मिलाकर पेस्ट बनाएं और चेहरे पर लगाएं। 15 मिनट बाद धो लें।

फायदा: संतरे के छिलके में मौजूद विटामिन C त्वचा की रंगत को निखारने में सहायक होता है और यह झाइयों को भी हल्का करता है।

निष्कर्ष*

बेसन का नियमित उपयोग आपकी त्वचा को साफ, कोमल और चमकदार बना सकता है। 

इसके साथ ही, यह दाग-धब्बों को कम करने और त्वचा की रंगत को निखारने में भी सहायक है।

रेबेका सिंड्रोम: प्यार में शक का कैंसर, जो रिश्ते को कर सकता है बर्बाद


डेस्क:- रेबेका सिंड्रोम एक मानसिक स्थिति है, जिसमें व्यक्ति अपने साथी के पिछले रिश्तों को लेकर असुरक्षित और जलन महसूस करता है। यह सिंड्रोम रिश्ते में उस साथी के लिए अत्यधिक असुरक्षा और शक पैदा करता है, जो अपने वर्तमान साथी के अतीत से जुड़े लोगों या अनुभवों को लेकर चिंतित रहता है। इसका नाम डाफ्ने डू मौरियर की उपन्यास रेबेका से लिया गया है, जिसमें मुख्य पात्र अपनी पति की पहली पत्नी के अतीत से जूझता है।

कैसे काम करता है रेबेका सिंड्रोम?

इस सिंड्रोम में व्यक्ति को अपने साथी के अतीत के रिश्तों या अनुभवों को लेकर असुरक्षा महसूस होती है। इसके चलते वह अपने साथी के अतीत के बारे में अत्यधिक सोचता है और उस पर लगातार ध्यान केंद्रित करता है। धीरे-धीरे यह मानसिकता इतनी गंभीर हो सकती है कि व्यक्ति अपने रिश्ते में खुश नहीं रह पाता और अपने साथी पर अविश्वास करता है।

कैसे खत्म कर देता है यह सिंड्रोम रिश्ते को?

अति-शक और अविश्वास: जब व्यक्ति अपने साथी पर लगातार शक करता है, तो रिश्ते में विश्वास की कमी हो जाती है। यह बार-बार के सवाल, जाँच और अपने साथी को दोष देना रिश्ते में दरार पैदा कर सकता है।

असुरक्षा की भावना: जब व्यक्ति को लगता है कि वह अपने साथी के अतीत से जुड़े लोगों या अनुभवों से खुद को मुकाबला नहीं कर सकता, तो यह भावना रिश्ते को कमजोर कर सकती है। इससे व्यक्ति खुद को कमतर समझने लगता है, जिससे रिश्ते में असंतुलन पैदा होता है।

मानसिक तनाव और असंतोष: रेबेका सिंड्रोम की वजह से व्यक्ति हमेशा तनाव और नकारात्मकता में रहता है। इससे उसका मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है और वह अपने साथी को लेकर खुश नहीं रह पाता।

रिश्ते में दूरी और दरार: इस सिंड्रोम के कारण व्यक्ति अपने साथी से दूरी बनाने लगता है। साथी के प्रति बढ़ती नकारात्मकता और कटुता रिश्ते में दूरियाँ बढ़ा देती हैं, और यह धीरे-धीरे रिश्ते के टूटने का कारण बन सकता है।

रेबेका सिंड्रोम से बचाव

खुले संवाद: अपने साथी से खुलकर अपनी भावनाओं और चिंताओं के बारे में बात करें। यह समझें कि आपका साथी वर्तमान में आपके साथ है, और उसका अतीत उसके जीवन का हिस्सा था लेकिन अब वह बीत चुका है।

विश्वास विकसित करें: रिश्ते को स्थायी और खुशहाल बनाने के लिए आपसी विश्वास आवश्यक है। खुद को और अपने साथी को विश्वास का मौका दें।

मनोवैज्ञानिक सहायता: अगर रेबेका सिंड्रोम के कारण आपकी मानसिक स्थिति खराब हो रही है, तो किसी काउंसलर या मनोवैज्ञानिक से सलाह लें।

रेबेका सिंड्रोम एक गंभीर मानसिक स्थिति हो सकती है, जो किसी भी रिश्ते को प्रभावित कर सकती है। इसे समझदारी, खुले संवाद, और आपसी विश्वास के माध्यम से संभाला जा सकता है।

दिल्ली:दिल्ली सरकार ने लिया बड़ा फैसला राजधानी में अब दिव्यांगजनों को हर महीने मिलेगी 5 हजार रुपए पेंशन,जाने क्या हैं लाभ पाने की शर्ते


नई दिल्ली:- दिल्ली सरकार ने विशेष आवश्यकता वाले दिव्यांग व्यक्तियों को 5,000 रुपए की मासिक वित्तीय सहायता देने का निर्णय लिया है. समाज कल्याण मंत्री सौरभ भारद्वाज ने यह जानकारी दी. भारद्वाज ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि 60 प्रतिशत से अधिक दिव्यांग व्यक्ति इस वित्तीय सहायता के लिए पात्र होंगे।

समाज कल्याण मंत्री सौरभ भारद्वाज ने आगे कहा कि मंत्रिपरिषद की बैठक में वित्तीय सहायता बढ़ाने का निर्णय लिया गया है. समाज कल्याण विभाग को इस योजना को लागू करने का निर्देश दिया गया है, जिसके तहत एक महीने के भीतर पंजीकरण शुरू होने की उम्मीद है।

भारद्वाज ने कहा कि 2011 की जनगणना के अनुसार, दिल्ली में लगभग 10,000 व्यक्ति इस सहायता के लिए पात्र हो सकते हैं.

भारद्वाज ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि इस योजना के प्रस्ताव को मंजूरी के लिए उपराज्यपाल के पास भेजने की जरूरत है, क्योंकि यह जनता का पैसा है, जिसे विशेष आवश्यकता वाले दिव्यांग व्यक्तियों के कल्याण पर खर्च किया जाना है.

उन्होंने बताया कि 2011 की जनगणना के अनुसार, दिल्ली में 2.34 लाख दिव्यांग व्यक्ति थे, जिनमें से लगभग 9,500-10,000 दिव्यांग व्यक्ति उच्च आवश्यकता वाले थे।

शर्त भी जान लीजिए

कल कैबिनेट में तय हुआ कि दिल्ली सरकार इन लोगों को 5000 महीने पेंशन देगी. ज‍िनको भी डॉक्‍टर 60% दिव्यांगता का सर्टिफिकेट देंगे, उन्‍हें हम ये पेंशन देने जा रहे हैं. इस योजना को तत्काल प्रभाव से लागू किया जा रहा है. जल्दी ही रजिस्ट्रेशन शुरू कर द‍िया जाएगा. एक अनुमान के मुताबिक, द‍िल्‍ली में ऐसे तकरीबन 9500 लोग हैं.

कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में भारी बारिश के चलते निर्माणाधीन इमारत ढही, मलबे में 17 मजदूर दबे


बेंलगुरु: कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु के हेन्नुर क्षेत्र में मंगलवार को भारी बारिश के कारण एक निर्माणाधीन इमारत ढह गई. मलबे में 17 मजदूरों के दबे होने आशंका जताई है. मौके पर बचाव अभियान चलाया जा रहा है. हेन्नुर पुलिस के अधिकारी मौके पर हैं और जांच कर रही है.

अग्निशमन और आपात विभाग की दो बचाव वैन को बचाव अभियान में लगाया गया है. अधिकारियों ने बताया कि शहर में भारी बारिश के बीच यह घटना हुई. वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, "इमारत के अंदर 17 लोगों के फंसे होने की आशंका है और अन्य एजेंसियों की मदद से बचाव अभियान चलाया जा रहा है."

अग्निशमन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि प्रारंभिक जांच के अनुसार पूरी इमारत ढह गई जिसके बाद लोग इसके नीचे फंस गए.बेंगलुरु में भारी बारिश के कारण कई जगह अव्यवस्थाएं पैदा हो गई हैं. 

यलहंका, मल्लेश्वर, सिल्क बोर्ड समेत कई जगहों पर बारिश का पानी सड़कों पर भर गया है. वहीं कुछ जगहों पर घरों में पानी भर गया है.

बेंगलुरु में भारी बारिश से बाढ़ जैसे हालात है।

बेंगलुरु में सोमवार रात को शुरू हुई बारिश के कारण पूरे शहर में जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है. कोगिलु क्रॉस, यालहंका के पास सेंट्रल वेकेशन अपार्टमेंट के सामने बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं. केंद्रीय विहार अपार्टमेंट में लगभग 2,500 लोग पानी से घिरे हुए हैं. 

NDRF की टीम नाव के जरिये निवासियों को सहायता प्रदान कर रही है.यालहंका में बाढ़ जैसी स्थिति के कारण मंगलवार को स्कूली बच्चों को परेशानी का सामना करना पड़ा.

सड़कों पर जलभराव के कारण स्कूल बसों की आवाजाही बाधित हुई और बच्चों को पानी में घुसकर जाना पड़ा.

दूसरी ओर, चिक्काबनवारा में द्वारका शहर के लोगों को बाढ़ का खतरा है. राजकालुवे का पानी इलाके में घुस गया और पूरी तरह से जलमग्न हो गया. 30 से ज्यादा घरों में बारिश का पानी घुस गया है. स्थानीय निवासी जूरूरी सामान के लिए भी इलाके से बाहर नहीं जा पा रहे हैं।

आरजी कर पीड़िता के माता-पिता ने अमित शाह से मुलाकात का अनुरोध किया


पश्चिम बंगाल में आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में ट्रेनी महिला डॉक्टर के दुष्कर्म-हत्या मामले को लेकर विरोध प्रदर्शन अभी भी जारी है. इस बीच पीड़िता के माता-पिता ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करने का समय मांगा है. उन्होंने इस संबंध में शाह को ई-मेल भेजा है और उनसे मुलाकात का अनुरोध किया है.

उन्होंने ई-मेल के माध्यम से कहा, "मेरी बेटी के साथ जो कुछ हुआ, उसके बाद हम अभी भी मानसिक रूप से उबर नहीं पाए हैं. हम बहुत तनाव में हैं. इसलिए हम आपसे मिलना चाहते हैं."

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 9 अगस्त को पूरे समाज को झकझोर देने वाली घटना घटी थी, जब ट्रेनी महिला चिकित्सक के साथ कार्यस्थल पर दुष्कर्म किया गया और उसकी हत्या कर दी गई. घटना के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया. पीड़िता के लिए न्याय की मांग करते हुए लोग सड़कों पर उतर आए.

जूनियर डॉक्टरों का आंदोलन जारी

जूनियर डॉक्टरों का आंदोलन अभी जारी है. 17 दिनों के बाद सोमवार को ही उन्होंने अपनी भूख हड़ताल समाप्त की है. वरिष्ठ डॉक्टर भी उनके साथ खड़े हैं. कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई इस जघन्य अपराध की जांच कर रही है. विभिन्न हलकों में यह सवाल बार-बार पूछा जा रहा है कि युवती को न्याय मिलने में कितना समय लगेगा.

इस बीच, पीड़ित डॉक्टर के परिवार ने केंद्रीय गृह मंत्री को ईमेल भेजकर उनसे व्यक्तिगत रूप से मिलने का अनुरोध किया. पिता ने ईमेल में लिखा, "मैं आपसे हमारी मौजूदा स्थिति के बारे में बात करना चाहता हूं. आप जहां भी कहेंगे, मैं और मेरी पत्नी जाएंगे. मैं आपसे मौजूदा स्थिति के बारे में बात करूंगा. अगर आप हमें बात करने का मौका देंगे तो मैं आभारी रहूंगा. मुझे विश्वास है कि आपका अनुभव और मार्गदर्शन अमूल्य होगा."

जूनियर डॉक्टरों की भूख हड़ताल में गया था परिवार

इससे पहले, पीड़िता का परिवार धर्मतला में जूनियर डॉक्टरों की भूख हड़ताल में गया था और उनसे हड़ताल वापस लेने का अनुरोध किया था. पीड़िता के पिता ने कहा, "मेरी बेटी के न्याय के लिए आज पूरा देश सड़कों पर है. मेरे बच्चे (जूनियर डॉक्टर) भूख हड़ताल पर हैं. मैं चुप नहीं रह सकता. मैं उनसे भूख हड़ताल खत्म करने का अनुरोध कर रहा हूं. लेकिन हम न्याय के लिए उनके द्वारा किए जा रहे आंदोलन का समर्थन करेंगे." उनके अनुरोध का सम्मान करते हुए जूनियर डॉक्टरों ने आखिरकार सोमवार देर रात भूख हड़ताल वापस ले ली।

बिहार के प्रसिद्ध व्यंजन लिट्टी-चोखा की कहानी है सदियों पुराने,आइए जानते हैं कैसे बनी यह बिहार की पहचान


बिहार का प्रसिद्ध व्यंजन लिट्टी-चोखा आज दुनिया भर में अपने स्वाद के लिए मशहूर है। माना जाता है कि इसकी शुरुआत मगध साम्राज्य के समय हुई थी जिसकी राजधानी पाटलिपुत्र थी जो आज का पटना है। उस समय के सैनिकों के लिए लिट्टी-चोखा एक बेहद पौष्टिक और पोर्टेबल फूड आइटम था क्योंकि इसे युद्ध के दौरान अपने साथ ले जा सकते थे। 

आइए आपको बताते हैं इसका दिलचस्प इतिहास।

 कब और कैसे हुई 'लिट्टी-चोखा' की शुरुआत? 

लिट्टी-चोखा सिर्फ एक व्यंजन नहीं, बल्कि बिहार की संस्कृति और पहचान का प्रतीक भी है। लिट्टी-चोखा का स्वाद इतना अनूठा और लाजवाब होता है कि एक बार खाने के बाद हर कोई इसका दीवाना हो जाता है।

आज सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि दुनियाभर के लोग इस डिश को बड़े चाव से खाते हैं। समय के साथ लिट्टी-चोखा का स्वरूप बेशक बदलता रहा लेकिन इसका स्वाद लोगों के दिलों पर हमेशा राज करता रहा है। जी हां, आपको जानकर हैरानी होगी कि लिट्टी-चोखा का इतिहास उतना ही पुराना है

 मुगलकाल में लिट्टी चोखा

मुगलकाल में लिट्टी चोखा के प्रमाण मिलते हैं, लेकिन इस दौरान इसे खाने का तौर-तरीका बदल गया. मुगल काल में मांसाहारी खाने का प्रचलन ज्यादा था. इसलिए लिट्टी को शोरबा और पाया के साथ खाया जाने लगा. अंग्रेजों के समय लिट्टी को करी के साथ खाया जाने लगा। वक्त के साथ लिट्टी चोखा के साथ कई तरह के नए प्रयोग किए गए.

मगध काल में हुई लिट्टी-चोखा की शुरुआत

माना जाता है कि लिट्टी-चोखा बनाने की शुरुआत मगध काल में हुई. मगध बहुत बड़ा साम्राज्य था, चंद्रगुप्त मौर्य यहां के राजा थे, इसकी राजधानी पाटलिपुत्र थी. जिसे अब पटना के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि पुराने जमाने में सैनिक युद्ध के दौरान लिट्टी-चोखा खाते थे. यह जल्दी खराब नहीं होती थी. इसे बनाना और पैक करना काफी आसान था. इसलिए सैनिक भोजन के रूप में इसे अपने साथ ले जाते थे.

कई किताबों के अनुसार 18वीं

 शताब्दी में लंबी दूरी तय करने वाले मुसाफिरों का मुख्य भोजन लिट्टी-चोखा ही था. इसके अलावा, यह भी कहा जाता है कि बिहार में पहले लिट्टी-चोखा को किसान लोग खाया और बनाया करते थे. क्योंकि इसे बनाने में अधिक समय नहीं लगता थी और यह पेट के लिए काफी फायदेमंद था.

1857 के विद्रोह में भी हुआ है लिट्टी चोखा खाने का जिक्र

1857 के विद्रोह में सैनिकों के लिट्टी चोखा खाने का जिक्र मिलता है. तात्या टोपे और रानी लक्ष्मी बाई ने इसे अपने सैनिकों के खाने के तौर पर चुना था. इसे फूड फॉर सरवाइवल कहा गया. उस दौर में ये अपनी खासियत की वजह से युद्धभूमि प्रचलन में आया. इसे बनाने के लिए किसी बर्तन की जरूरत नहीं है, इसमें पानी भी कम लगता है और ये सुपाच्य और पौष्टिक भी है. सैनिकों को इससे लड़ने की ताकत मिलती. ये जल्दी खराब भी नहीं होता. एक बार बना लेने के बाद इसे दो-तीन दिन तक खाया जा सकता है। बिहार की धरती का फेमस लिटी चोखा की रेसिपी जाने।

लिट्टी-चोखा बनाने के लिए सामग्री

लिट्टी के लिए सामग्री

आटा – 2 कप

सत्तू – 1 कप

तेल – 2 टी स्पून

घी – 2 टेबल स्पून

प्याज बारीक कटा – 1

लहसुन कद्दूकस – 5

हरी मिर्च कटी – 3

हरा धनिया बारीक कटा – 1/2 कप

अजवाइन – डेढ़ टी स्पून

नींबू रस – 1 टी स्पून

अचार मसाला – 1 टेबल स्पून

नमक – स्वादानुसार

चोखा बनाने की सामग्री

बड़ा बैंगन गोल वाला – 1

आलू – 3

टमाटर – 2

प्याज बारीक कटा – 1

अदरक बारीक कटा – 1 टुकड़ा

हरी मिर्च बारीक कटी – 2

लहसुन कटी – 3

हरा धनिया – 1 टी स्पून

नींबू – 1

तेल – 1 टेबल स्पून

नमक – स्वाद के अनुसार

लिट्टी-चोखा बनाने की विधि

लिट्टी चोखा बनाने के लिए सबसे पहले लिट्टी बनाने की शुरुआत करें. सबसे पहले आटे को लें और उसे अच्छी तरह से छान लें. फिर उसे एक बर्तन में निकाल लें. अब इसमें घी, स्वादनुसार नमक डालकर अच्छे से मिला दें. अब गुनगुने पानी की मदद से आटे को नरम गूंथ लें. अब इस गुंथे हुए आटे को आधा घंटे के लिए ढंककर अलग रख दें.

इसके बाद लिट्टी का मसाला तैयार करने की शुरुआत करें. सबसे पहले एक बर्तन में सत्तू निकाल लें. उसमें हरी मिर्च, धनिया, अदरक, नींबू का रस, काला नमक, जीरा, सादा नमक और अचार का मसाला डालकर अच्छी तरह से मिला लें. इस मिश्रण में थोड़ा सा सरसों का तेल भी डाल दें. अब इसमें हल्का सा पानी मिला दें और मसाले को दरदरा बना लें.

अब गुंथे हुए आटे को लें और उससे मीडियम साइज की लोइयां बना लें. इन लोइयों को हथेली पर रखकर कटोरी जैसा आकार दें. अब इसमें तैयार किया गया लिट्टी मसाला एक से दो चम्मच के बीच भरें. और आटे को चारों ओर से उठाकर बंद कर दें. अब इसे गोल कर लोई बना लें. जब लोई गोल हो जाए तो उसे हथेली से दबाकर थोड़ा सा चपटा कर लें. अब एक लोहे का बर्तन लें उसमें लकड़ी या कोयले की मदद से आग तैयार करें. अब आपने जो लोई तैयार की हैं उन्हें इस आग में सेंक लें. बीच में चेक करते रहे कि लिट्टी अच्छे से सिकी है या नहीं. जैसे-जैसे लिट्टी सिकते जाएं उन्हें आग से बाहर निकालकर अलग रख दें।

जानिए हजार की जगह क्यों ' K ' लिखते है ? क्या होता है "K" का मतलब


कभी-कभी हमारे मन में कुछ ऐसे सवाल होते हैं जिनके जवाब हम जानना तो चाहते हैं पर उसका सही उत्तर नहीं मिल पाता है। हमारे जीवन में ऐसे कई शब्द होते हैं जिसका लोग खूब इस्तेमाल करते हैं मगर उसका अर्थ नहीं जानते हैं। अपने आसपास के माहौल से प्रभावित होकर हम भी उस शब्द को लिखना बोलना शुरू कर देते हैं। आपने अक्सर देखा होगा हजार को कई जगहों पर 'K' से दर्शाया जाता है। इसका सबसे आसान उदाहरण है यूट्यूब पर जो सब्सक्राइबर्स दिखते हैं वो 300K या 500K लिखे होते हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि हजार को K से क्यों दर्शाते हैं?

आजकल के समय में सोशल मीडिया, मैसेजिंग ऐप्स और यहां तक कि कई दस्तावेजों में 'हजार' को दर्शाने के लिए 'K' का इस्तेमाल किया जाता है। जैसे, ₹10,000 को ₹10K लिखा जाता है। ये तो सभी को पता है कि मिलियन को 'M' से दर्शाया जाता है, बिलियन को 'B' से दर्शाया जाता है, ऐसे बहुत से लोगों के दिमाग में सवाल आता है कि हजार यानी थाउजेंड को T के बजाय K से क्यों दर्शाया जाता है?

दरअसल, ग्रीक शब्द ‘Chilioi’ का अर्थ हजार होता है और माना जाता है कि K शब्द वहीं से आया है और उसके बाद हजार की जगह K का प्रयोग पूरे विश्व में होने लगा। हजार की जगह K का जिक्र बाइबल में भी देखने को मिलता है।

'K' का मतलब 'किलो'

असल में 'K' अक्षर 'किलो' का शॉर्ट फॉर्म है। साइंस में, 'किलो' का मतलब 1000 होता है। इसका सबसे सरल उदाहरण है- 1000 ग्राम को 1 किलोग्राम कहते हैं। उसी तरह 1000 मीटर को एक किलोमीटर कहते हैं। यही वजह है कि 1000 को K से दर्शाया जाता है।

ध्यान देने वाली बात यह है कि K को हजार दर्शाना एक अंतर्राष्ट्रीय मानक है। इसका सबसे सामान्य उदाहरण हमें सोशल मीडिया पर देखने को मिलता है। उदाहरण के तौर पर अगर किसी वीडियो को 25 हजार बार देखा गया है तो वहां 25K लिखा होता है। जैसे ही वीडियो को 10 लाख से अधिक बार देखा जाता है वो मिलियन यानी 1M में दिखने लगता है।