बिहार के प्रसिद्ध व्यंजन लिट्टी-चोखा की कहानी है सदियों पुराने,आइए जानते हैं कैसे बनी यह बिहार की पहचान
बिहार का प्रसिद्ध व्यंजन लिट्टी-चोखा आज दुनिया भर में अपने स्वाद के लिए मशहूर है। माना जाता है कि इसकी शुरुआत मगध साम्राज्य के समय हुई थी जिसकी राजधानी पाटलिपुत्र थी जो आज का पटना है। उस समय के सैनिकों के लिए लिट्टी-चोखा एक बेहद पौष्टिक और पोर्टेबल फूड आइटम था क्योंकि इसे युद्ध के दौरान अपने साथ ले जा सकते थे।
आइए आपको बताते हैं इसका दिलचस्प इतिहास।
कब और कैसे हुई 'लिट्टी-चोखा' की शुरुआत?
लिट्टी-चोखा सिर्फ एक व्यंजन नहीं, बल्कि बिहार की संस्कृति और पहचान का प्रतीक भी है। लिट्टी-चोखा का स्वाद इतना अनूठा और लाजवाब होता है कि एक बार खाने के बाद हर कोई इसका दीवाना हो जाता है।
आज सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि दुनियाभर के लोग इस डिश को बड़े चाव से खाते हैं। समय के साथ लिट्टी-चोखा का स्वरूप बेशक बदलता रहा लेकिन इसका स्वाद लोगों के दिलों पर हमेशा राज करता रहा है। जी हां, आपको जानकर हैरानी होगी कि लिट्टी-चोखा का इतिहास उतना ही पुराना है
मुगलकाल में लिट्टी चोखा
मुगलकाल में लिट्टी चोखा के प्रमाण मिलते हैं, लेकिन इस दौरान इसे खाने का तौर-तरीका बदल गया. मुगल काल में मांसाहारी खाने का प्रचलन ज्यादा था. इसलिए लिट्टी को शोरबा और पाया के साथ खाया जाने लगा. अंग्रेजों के समय लिट्टी को करी के साथ खाया जाने लगा। वक्त के साथ लिट्टी चोखा के साथ कई तरह के नए प्रयोग किए गए.
मगध काल में हुई लिट्टी-चोखा की शुरुआत
माना जाता है कि लिट्टी-चोखा बनाने की शुरुआत मगध काल में हुई. मगध बहुत बड़ा साम्राज्य था, चंद्रगुप्त मौर्य यहां के राजा थे, इसकी राजधानी पाटलिपुत्र थी. जिसे अब पटना के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि पुराने जमाने में सैनिक युद्ध के दौरान लिट्टी-चोखा खाते थे. यह जल्दी खराब नहीं होती थी. इसे बनाना और पैक करना काफी आसान था. इसलिए सैनिक भोजन के रूप में इसे अपने साथ ले जाते थे.
कई किताबों के अनुसार 18वीं
शताब्दी में लंबी दूरी तय करने वाले मुसाफिरों का मुख्य भोजन लिट्टी-चोखा ही था. इसके अलावा, यह भी कहा जाता है कि बिहार में पहले लिट्टी-चोखा को किसान लोग खाया और बनाया करते थे. क्योंकि इसे बनाने में अधिक समय नहीं लगता थी और यह पेट के लिए काफी फायदेमंद था.
1857 के विद्रोह में भी हुआ है लिट्टी चोखा खाने का जिक्र
1857 के विद्रोह में सैनिकों के लिट्टी चोखा खाने का जिक्र मिलता है. तात्या टोपे और रानी लक्ष्मी बाई ने इसे अपने सैनिकों के खाने के तौर पर चुना था. इसे फूड फॉर सरवाइवल कहा गया. उस दौर में ये अपनी खासियत की वजह से युद्धभूमि प्रचलन में आया. इसे बनाने के लिए किसी बर्तन की जरूरत नहीं है, इसमें पानी भी कम लगता है और ये सुपाच्य और पौष्टिक भी है. सैनिकों को इससे लड़ने की ताकत मिलती. ये जल्दी खराब भी नहीं होता. एक बार बना लेने के बाद इसे दो-तीन दिन तक खाया जा सकता है। बिहार की धरती का फेमस लिटी चोखा की रेसिपी जाने।
लिट्टी-चोखा बनाने के लिए सामग्री
लिट्टी के लिए सामग्री
आटा – 2 कप
सत्तू – 1 कप
तेल – 2 टी स्पून
घी – 2 टेबल स्पून
प्याज बारीक कटा – 1
लहसुन कद्दूकस – 5
हरी मिर्च कटी – 3
हरा धनिया बारीक कटा – 1/2 कप
अजवाइन – डेढ़ टी स्पून
नींबू रस – 1 टी स्पून
अचार मसाला – 1 टेबल स्पून
नमक – स्वादानुसार
चोखा बनाने की सामग्री
बड़ा बैंगन गोल वाला – 1
आलू – 3
टमाटर – 2
प्याज बारीक कटा – 1
अदरक बारीक कटा – 1 टुकड़ा
हरी मिर्च बारीक कटी – 2
लहसुन कटी – 3
हरा धनिया – 1 टी स्पून
नींबू – 1
तेल – 1 टेबल स्पून
नमक – स्वाद के अनुसार
लिट्टी-चोखा बनाने की विधि
लिट्टी चोखा बनाने के लिए सबसे पहले लिट्टी बनाने की शुरुआत करें. सबसे पहले आटे को लें और उसे अच्छी तरह से छान लें. फिर उसे एक बर्तन में निकाल लें. अब इसमें घी, स्वादनुसार नमक डालकर अच्छे से मिला दें. अब गुनगुने पानी की मदद से आटे को नरम गूंथ लें. अब इस गुंथे हुए आटे को आधा घंटे के लिए ढंककर अलग रख दें.
इसके बाद लिट्टी का मसाला तैयार करने की शुरुआत करें. सबसे पहले एक बर्तन में सत्तू निकाल लें. उसमें हरी मिर्च, धनिया, अदरक, नींबू का रस, काला नमक, जीरा, सादा नमक और अचार का मसाला डालकर अच्छी तरह से मिला लें. इस मिश्रण में थोड़ा सा सरसों का तेल भी डाल दें. अब इसमें हल्का सा पानी मिला दें और मसाले को दरदरा बना लें.
अब गुंथे हुए आटे को लें और उससे मीडियम साइज की लोइयां बना लें. इन लोइयों को हथेली पर रखकर कटोरी जैसा आकार दें. अब इसमें तैयार किया गया लिट्टी मसाला एक से दो चम्मच के बीच भरें. और आटे को चारों ओर से उठाकर बंद कर दें. अब इसे गोल कर लोई बना लें. जब लोई गोल हो जाए तो उसे हथेली से दबाकर थोड़ा सा चपटा कर लें. अब एक लोहे का बर्तन लें उसमें लकड़ी या कोयले की मदद से आग तैयार करें. अब आपने जो लोई तैयार की हैं उन्हें इस आग में सेंक लें. बीच में चेक करते रहे कि लिट्टी अच्छे से सिकी है या नहीं. जैसे-जैसे लिट्टी सिकते जाएं उन्हें आग से बाहर निकालकर अलग रख दें।
Oct 26 2024, 16:14