आसियान शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी ने इशारों में ड्रैगन को चेताया, जानें क्या कहा
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प्रधानमंत्री मोदी शुक्रवार को लाओस की राजधानी वियनतियाने में ईस्ट एशिया शिखर सम्मेलन में हिस्सा ले रहे हैं। यहां बैठक को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, भारत हमेशा से ही आसियान देशों के बीच एकता को सपोर्ट करता रहा है। आसियान भारत के इंडो-पैसिफिक विजन और क्वाड को-ऑपरेशन के केंद्र में है।इस शिखर सम्मेलन में भारत ने एक बार फिर से चीन को सबक सिखा दिया। पीएम मोदी ने चीन का नाम लिए बगैर उसकी विस्तारवादी नीति पर जमकर प्रहार किया। पीएम मोदी ने साफ-साफ कहा कि हमारी अप्रोच विकासवाद की होनी चाहिए, न कि विस्तारवाद की।
दक्षिण चीन सागर को लेकर क्या बोले पीएम मोदी
शिखर सम्मेलन में पीएम मेदी ने कहा, 'भारत ने हमेशा ASEAN की एकता और केंद्रीयता का समर्थन किया है। ASEAN भारत के इंडो-पैसिफिक विजन और क्वाड सहयोग के केंद्र में भी है। भारत की "इंडो-पैसिफिक महासागरों की पहल'' और 'इंडो-पैसिफिक पर आसियान आउटलुक'' के बीच गहरी समानताएं हैं। एक स्वतंत्र, खुला, समावेशी, समृद्ध और नियम-आधारित इंडो-पैसिफिक पूरे क्षेत्र की शांति और प्रगति के लिए महत्वपूर्ण है। दक्षिण चीन सागर की शांति, सुरक्षा और स्थिरता पूरे इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के हित में है।'
समुद्री गतिविधियों पर चीन को सुनाया
पीएम मोदी ने कहा कि इस सम्मेलन में नेताओं ने कानूनी ढांचे के रूप में अनक्लोस के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि हमारा मानना है कि समुद्री गतिविधियां अन्क्लोस (UNCLOS) के तहत ही संचालित होनी चाहिए। फ्रीडम ऑफ नेविगेशन और एयर स्पेस सुनिश्चित करना जरूरी है। एक ठोस और प्रभावी कोड ऑफ कंडक्ट बनाया जाना चाहिए। इसमें क्षेत्रीय देशों की विदेश नीति पर अंकुश नहीं लगाए जाने चाहिए।
युद्ध को बीच ग्लोबल साउथ के देशों पर सबसे ज्यादा असर-पीएम मोदी
बिना नाम लिए चीन को नसीहत देते हुए पीएम मोदी ने अपने बयान में कहा कि हम शांतिप्रिय राष्ट्र हैं,जो एक-दूसरे की राष्ट्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान करते हैं। पीएम मोदी ने आगे कहा कि दुनिया भर में जारी अलग-अलग जंग का सबसे बुरा असर ग्लोबल साउथ के देशों पर पड़ रहा है। ऐसे में दुनिया में शांति बहाल करना बेहद जरूरी है। मैं बुद्ध की धरती से आता हूं। हमने हमेशा यही कहा है कि यह जंग का युग नहीं है।
Oct 11 2024, 13:47