/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png StreetBuzz देश भर में जारी लड्डू विवाद के बीच तिरुपति मंदिर पहुंचे CJI चंद्रचूड़, की पूजा अर्चना India
देश भर में जारी लड्डू विवाद के बीच तिरुपति मंदिर पहुंचे CJI चंद्रचूड़, की पूजा अर्चना


आंध्र प्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर में लड्डू को लेकर विवाद चल रहा है, और इसी बीच सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने तिरुपति मंदिर का दौरा किया। रविवार, 29 सितंबर को उन्होंने तिरुमाला के वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में पूजा-अर्चना की। इस विवाद का मुख्य मुद्दा आंध्र प्रदेश सरकार के उस दावे से जुड़ा है, जिसमें उन्होंने कहा कि लड्डू बनाने में इस्तेमाल होने वाले घी में मिलावट पाई गई है।

सरकार का कहना है कि यह मिलावट पिछली सरकार के दौरान दिए गए घी के ठेके के कारण हुई है। मंदिर समिति, तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (TTD) ने स्पष्ट किया कि घी का ठेका एक ब्लैकलिस्टेड सप्लायर को दिया गया था, जो कि पिछली जगन मोहन सरकार के दौरान हुआ था। घी में मिलावट के इन आरोपों को लेकर केंद्र सरकार ने आंध्र प्रदेश सरकार से रिपोर्ट मांगी है और जांच के बाद आवश्यक कार्रवाई का भरोसा दिया है। इस खुलासे के बाद सनातन धर्म के अनुयायियों में नाराजगी देखी जा रही है, और कई जगहों पर सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में याचिकाएं दाखिल की जा रही हैं। वहीं, इस मुद्दे पर राजनीतिक बहस भी जारी है, जहां बीजेपी ने दोषियों को फांसी की सजा देने की मांग की है, जबकि कांग्रेस ने मुख्यमंत्री नायडू पर सवाल उठाए हैं कि उन्होंने तीन महीने तक इस मामले को छिपाकर क्यों रखा।

रिपोर्ट के अनुसार, लड्डू में इस्तेमाल किए जा रहे घी में फिश ऑयल, एनिमल टैलो (जानवरों के फैट) और लार्ड (जानवरों की चर्बी) जैसे तत्व भी शामिल हो सकते हैं। हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कुछ परिस्थितियों में गाय के घी में इन तत्वों की उपस्थिति से फॉल्स पॉजिटिव रिजल्ट्स आ सकते हैं, यानी जांच में मिलावट के संकेत मिल सकते हैं, जबकि वास्तविकता में ऐसा न हो।

कम से कम भगवान को तो राजनीति से दूर रखें…तिरुपति लड्डू विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कही बड़ी बात

आंध्र प्रदेश के तिरुपति में सामने आए लड्डू विवाद पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है. सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कम से कम भगवान को राजनीति से दूर रखें. जस्टिस भूषण आर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच के समक्ष सुब्रमण्यन स्वामी के वकील ने कहा कि निर्माण सामग्री बिना जांच के रसोई घर में जा रही थी. जांच से खुलासा हुआ. इसके सुपरविजन के लिए सिस्टम को जिम्मेदार होना चाहिए क्योंकि ये देवता का प्रसाद होता है जनता और श्रद्धालुओं के लिए वो परम पवित्र है.

कार्ट में दायर की गई याचिकाओं में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू द्वारा लगाए गए आरोपों की अदालत की निगरानी में जांच की मांग की गई है. उनका दावा है कि तिरुपति मंदिर में लड्डू बनाने में जानवरों की चर्बी और मछली के तेल का इस्तेमाल किया गया. इस बीच, राज्य सरकार की एक सोसायटी प्रसादम की गुणवत्ता और लड्डू में इस्तेमाल किए गए घी की जांच करने के लिए तिरुपति में है. तिरुपति मंदिर बोर्ड की तरफ से सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ और आंध्र प्रदेश राज्य की तरफ से सीनियर एडवोकेट अधिवक्ता मुकुल रोहतगी पेश हुए.

जस्टिस बीआर गवई ने आंध्र प्रदेश सरकार की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी के सवाल का जवाब देते हुए कहा, “जब आप संवैधानिक पद पर होते हैं, तो आपसे यह उम्मीद की जाती है कि देवताओं को राजनीति से दूर रखा जाएगा.” कोर्ट ने रोहतगी से यह भी पूछा, “आपने एसआईटी के लिए आदेश दिया, नतीजा आने तक प्रेस में जाने की क्या जरूरत है? आप हमेशा से ही ऐसे मामलों में पेश होते रहे हैं, यह दूसरी बार है.”

चंद्रबाबू नायडू सरकार की तरफ से रोहतगी ने तर्क दिया कि ये ‘वास्तविक याचिकाएं नहीं हैं. पिछली सरकार द्वारा मौजूदा सरकार पर हमला करने की कोशिश की गई है. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी पूछा कि इस बात के क्या सबूत हैं कि लड्डू बनाने में दूषित घी का इस्तेमाल किया गया था. इस पर तिरुपति मंदिर की ओर से पेश हुए वकील सिद्धार्थ लूथरा ने पीठ को बताया, “हम जांच कर रहे हैं.” इसके बाद जस्टिस गवई ने पूछा, “फिर तुरंत प्रेस में जाने की क्या जरूरत थी? आपको धार्मिक भावनाओं का सम्मान करना चाहिए.”

जब लूथरा ने कोर्ट को बताया कि लोगों ने शिकायत की थी कि लड्डू का स्वाद ठीक नहीं था, तो कोर्ट ने पूछा, “जिस लड्डू का स्वाद अलग था, क्या उसे लैब में यह पता लगाने के लिए भेजा गया था कि उसमें दूषित पदार्थ तो नहीं है?” जस्टिस विश्वनाथन ने तब पूछा, “क्या विवेक यह नहीं कहता कि आप दूसरी राय लें? सामान्य परिस्थितियों में, हम दूसरी राय लेते हैं. इस बात का कोई सबूत नहीं है कि दूषित घी का इस्तेमाल किया गया था.” अदालत सीनियर बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी, राज्यसभा सांसद और टीटीडी के पूर्व अध्यक्ष वाईवी सुब्बा रेड्डी और इतिहासकार विक्रम संपत और आध्यात्मिक प्रवचन वक्ता दुष्यंत श्रीधर द्वारा दायर की गई तीन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी.

आईएएस अधिकारी की पत्नी से रेप, बंदूक की नोक पर हुआ था बलात्कार, हाईकोर्ट ने पुलिस को लगाई फटकार

पश्चिम बंगाल महिलाओं के लिए खतरनाक बन चुका है। आरजी कर मेडिकल एंड हॉस्पिटल में महिला डॉक्टर की बलात्कार और हत्या के मामले में पुलिस की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। इसी बीच अब एक आईएएस अधिकारी की पत्नी से रेप के मामले में पुलिस की आलोचना हो रही है।

कोर्ट में सवाल उठा कि रेप की शिकायत दर्ज होने के बाद भी मेडिकल जांच क्यों नहीं हुई। बीते जुलाई में उस घटना में निचली अदालत के आदेश पर आरोपी जमानत पर था। कलकत्ता हाई कोर्ट ने शुक्रवार को जमानत आदेश रद्द कर दिया। इसके साथ ही जांच अधिकारी का भी तबादला कर दिया है।

कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल के बाहर तैनात एक सिविल सेवक की पत्नी के साथ कथित बलात्कार के मामले की जांच एक डिप्टी कमिश्नर स्तर के अधिकारी को सौंपने का आदेश जारी किया है। कोर्ट के आदेश के बाद विपक्ष ने एक बार फिर ममता सरकार पर सवाल उठाए है। बीजेपी का दावा है कि आरजी कर मामले की तरह इस मामले में भी सबूतों को दबाने की कोशिश की गई।

बता दें कि इस साल 14 और 15 जुलाई की रात यह घटना घटी। आरोपी ने रात 11:30 बजे पीड़िता के घर में घुसा और बंदूक की नोक पर पीड़िता के साथ बलात्कार किया। घटना के दूसरे दिन पीड़िता ने कोलकाता के लेक पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट दर्ज कराई। शिकायत दर्ज करने से पहले उसे घंटों इंतजार करवाया गया।

पुलिस ने अपराध की गंभीर प्रकृति के बावजूद कम गंभीर वाली धाराएं लगाई। इसके साथ केस को कमजोर कर दिया। राज्य से बाहर कार्यरत आईएएस अधिकारी की पीड़िता पत्नी ने आरोप लगाया था कि यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोपों के बावजूद शुरुआत में मामूली आधार पर एफआईआर दर्ज की गई थी। शिकायत पर उन्होंने कलकत्ता हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

इस मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस राजर्षि भारद्वाज ने कहा कि शुरुआत में एफआईआर सही तरीके से दर्ज न करने और चार्जशीट को विकृत करने के आरोप इस जांच की पारदर्शिता पर सवाल उठाया है। हाईकोर्ट ने आरोपी की जमानत और अग्रिम जमानत खारिज कर दी। इस मामले को कोलकाता पुलिस के उपायुक्त स्तर की एक महिला पुलिस अधिकारी को सौंपने का आदेश दिया है।

विकसित भारत देखने के लिए 2047 तक जीवित रहें”, पीएम मोदी पर दिए खरगे के बयान पर अमित शाह का पलटवार

#amitshahslamscongresschiefmallikarjunkhargeoverremarksonpm_modi

जम्मू-कश्मीर और हरियाणा के चुनावी माहौल ने देश के सियासी माहौल को भी गर्म कर दिया है। राजनेता एक दूसरे पर जुबानी हमला बोल रहे हैं। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का जम्मू-कश्मीर के जसरोटा में दिए एक बयान पर खूब हो हल्ला हो रहा है। खरगे ने जसरोटा में चुनावी सभा के दौरान कहा कि मैं तब तक जीवित रहूंगा जब तक पीएम मोदी सत्ता से नहीं हट जाते। इस दौरान उनकी तबीयत भी खराब हो गई थी। अब उनके इस बयान पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि मल्लिकार्जुन खरगे ने बेवजह ही पीएम मोदी को अपने स्वास्थ्य के मामले में घसीटा है।

अमित शाह ने अपने एक्स पर शेयर करते हुए कहा कि, कल मल्लिकार्जुन खरगे ने अपने भाषण के दौरान अपने पार्टी से बढ़कर अभद्र भाषा का प्रयोग किया। उन्होंने अपनी कटुता का परिचय देते हुए पीएम मोदी को अपने निजी स्वास्थ्य के मामले में अनावश्यक रूप से घसीटते हुए कहा कि पीएम मोदी को जब सत्ता से हटा देंगे तभी मरेंगे। अमित शाह ने आगे कहा कि, इससे साफ पता चलता है कि कांग्रेसियों में पीएम के खिलाफ कितनी नफरत और डर है। खरगे के स्वास्थ्य के लिए मोदी जी प्रार्थना करते हैं, मैं प्राथना करता हूं और सभी लोग प्रार्थना करते हैं कि वह काफी लंबे समय तक स्वास्थ्य रहें। वे 2047 तक विकसित भारत का निर्माण देखने के लिए जीवित रहें।

क्या कहा था करगे ने?

बीते दिन मल्लिकार्जुन खरगे ने चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था कि जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के लिए जरूर लड़ेंगे, इसके लिए चाहे जो भी हो। मैं जम्मू-कश्मीर को ऐसा छोड़ने वाला नहीं हूं। मैं 83वीं साल में चल रहा हूं और इतनी जल्दी मरने वाला नहीं हूं, जब तक मोदी को नहीं हटाएंगे, तब तक मैं जिंदा ही रहूंगा। आपकी बात सुनूंगा और आपके लिए लडूंगा।

बता दें कि खरगे की मंच में बोलते वक्त अचानक बिगड़ी तबीयत पर पीएम मोदी ने हाल जाना था। मोदी ने फोन कर खरगे के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली थी। खरगे कल बोलते-बोलते अचानक मंच पर खड़े लड़खड़ाने लगे थे। हालांकि उस वक्त, वहां मौजूद बाकी कांग्रेस नेताओं ने उन्हें संभाला

अजित डोभाल के फ्रांस दौरे से पहले भारत के बड़ी खबर, राफेल मरीन जेट डील को लेकर बनी बात

#nsa_ajit_dowal_visit_france_submits_offer_india_marine_jet 

भारत और फ्रांस के बीच रक्षा साझेदारी को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है। फ्रांस ने 26 राफेल मरीन जेट सौदे के लिए भारत को फाइनल प्राइज ऑफर किया है। खास बात है कि फ्रांस ने भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के दौरे से ठीक पहले ये कदम उठाया है। बता दें कि अजीत डोभाल 30 सितंबर से 1 अक्टूबर तक फ्रांस के दौरे पर रहेंगे।

रक्षा सूत्रों के मुताबिक, सौदे के लिए दोनों देशों के बीच बातचीत हुई। इसके बाद, फ्रांस ने दाम में उल्लेखनीय कमी की है और भारतीय अधिकारियों को बेहतरीन फाइनल प्राइस ऑफर दिया है। रक्षा सूत्रों के मुताबिक इस बार फ्रांस ने रकम में कटौती की है और परियोजना के लिए फ्रांस की ओर से भारतीय अधिकारियों को सर्वोत्तम मूल्य दिया गया है। हालांकि, फाइनल डील कितने में होगी, इसकी जानकारी सामने नहीं आई है। लेकिन रक्षा सूत्रों के मुताबिक इस सौदे की कीमत लगभग 50 हजार करोड़ रुपए के होने की उम्मीद है।

इस सौदे में 26 राफेल मरीन जेट की खरीद शामिल हैं, जिन्हें भारतीय नौसेना के आईएनएस विक्रांत विमानवाहक पोत और अन्य बेसों पर तैनात किया जाएगा। हाल ही में, इस सौदे को अंतिम रूप देने के लिए फ्रांसीसी अधिकारियों की एक टीम दिल्ली आई थी। वहीं अजीत डोभाल की फ्रांस यात्रा के दौरान इस सौदे पर चर्चा की जाएगी, जो भारतीय नौसेना की समुद्री क्षमता को मजबूत करने के लिए जरूरी है।

यह सौदा भारतीय नौसेना के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि वह अपनी समुद्री हमला क्षमता को मजबूत करने पर विचार कर रही है। भारत ने अनुरोध पत्र में डेविएशन को भी मंजूरी दे दी है, जो कि सरकार से सरकार के सौदों के लिए टेंडर डॉक्यूमेंट के बराबर है, जैसे कि भारतीय नौसेना के लिए जेट में स्वदेशी उत्तम रडार को एकीकृत करना है।

नसरल्लाह की मौत ने ईरान दे रहा धमकी, क्या इजराइल को अकेले रोक पाएंगे अयातुल्ला खामनेई?

#middle_east_israel_hezbollah_war 

इजराइल के हमले में लेबानानी गुट हिजबुल्लाह के नेता हसन नसरल्लाह की मौत से ईरान को बड़ा झटका लगा है। ईरान अब बदले की आग में धधक रहा है। ईरान के सामने ये सवाल खड़ा हो गया है कि वह अपने महत्वपूर्ण सहयोगी हिजबुल्लाह को हुए नुकसान की भरपाई कैसे करे और अपने क्षेत्रीय प्रभाव को कैसे बरकरार रखे। दरअसल, ईरान ये भली भांति जानता है कि वो चाहकर भी इजरायल का बाल भी बांका नहीं कर पाएगा।

करीब एक साल से इजराइल ने पूरे मिडिल ईस्ट की नाक में दम कर रखा है। दुनिया के बड़े बड़े ताकतवर मुल्क इजराइल से युद्ध रोकने की मांग रहे हैं, बावजूद इसके वो अपने एजेंडे को अंजाम देने में जुटा है और हर गुजरते दिन के साथ अपने दुश्मनों का खात्मा कर रहा है। इजराइल ने लेबनान पर ताबड़तोड़ हवाई हमले कर हाल ही में हिजबुल्ला प्रमुख सयैद हसन नसरल्ला का खात्मा कर दिया।

ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामनेई ने नसरल्लाह की मौत पर आक्रामक रुख दिखाते हुए कहा है कि उनकी मौत व्यर्थ नहीं जाएगी। ईरान के आईआरजीसी कमांडर अब्बास निलफोरोशान की मौत भी नसरल्ला के साथ हुई है। अपने सैन्य अफसर की हत्या ईरान के लिए शर्म की वजह बनी है और इससे उस पर इजरायल के खिलाफ कार्रवाई का दबाव बढ़ा है। हालांकि, ये भी सच है कि नसरल्लाह की हत्या से भी इस तथ्य में कोई बदलाव नहीं आया है कि तेहरान संघर्ष में सीधे शामिल नहीं होना चाहता है। क्योंकि ईरान ये अच्छी तरह से जानता है कि वो चाहकर भी इजरायल का बाल भी बांका नहीं कर पाएगा।

दरअसल, इजरायल के पीछे अमेरिका खड़ा है।अमेरिका हर तरफ फैले अपने सैन्य ठिकानों का इस्तेमाल दुनिया में कहीं भी बैठे दुश्मनों से निपटने और सहयोगियों की मदद करने के लिए करता है। हाल के सालों में अमेरिका ने मिडिल ईस्ट के साथ-साथ साऊथ एशिया में भी अपनी सैन्य मौजूदगी बढ़ाई है। इस समय अमेरिका के 80 देशों में करीब 750 सैन्य अड्डे हैं, इन देशों में सबसे ज्यादा 120 मिलिट्री बेस जपान में हैं।

अमेरिका ने पूरे मिडिल ईस्ट में मिलिट्री बेस का ऐसा जाल बिछा लिया है। मिडिल ईस्ट के लगभग 19 देशों में अमेरिका के मिलिट्री बेस हैं, जिनमें से प्रमुख कतर, बहरीन, जॉर्डन, और सऊदी अरब में हैं। मिडिल ईस्ट में बढ़े तनाव में अमेरिका के ये मिलिट्री बेस अहम भूमिका निभा रहे हैं और इजराइल की सुरक्षा के लिए कवच बने हुए हैं। जिसे चाह कर भी अरब देश इसे नहीं तोड़ पा रहे हैं। 

इसके अलावा अमेरिका के सैन्य अड्डे तुर्की और जिबूती में भी हैं, ये देश पूरी तरह मिडिल ईस्ट में तो नहीं आते पर कई रणनीतिक तौर से इन देशों में सेना रखने से पूरे मिडिल ईस्ट पर नजर रखने में मदद मिलती है।

अमेरिकी सेना का मजबूती के साथ मिडिल ईस्ट के देशों में बने रहने का एक बड़ा कारण ईरान और क्षेत्रीय मिलिशिया भी हैं जो कट्टर इस्लामी राज को मिडिल ईस्ट में स्थापित करना चाहती हैं। ईरान की शिया विचारधारा को सुन्नी देश अपने अस्तित्व के लिए खतरा मानते हैं और ईरान से सुरक्षा के लिए अमेरिका से मदद की उम्मीद रखते हैं। ज्यादातर अरब देश अमेरिका की सेना की उपस्थिति को अपने देश की स्थिरता के लिए जरूरी मानते हैं। अमेरिका अपना सैन्य बेस बनाने के बदले उन देशों को बाहरी खतरों से सुरक्षा की गारंटी और अंतरराष्ट्रीय स्थर पर कई राणनीतिक लाभ देता है। साथ ही गरीब देशों को भारी सैन्य और आर्थिक मदद भी दी जाती है।

मिडिल ईस्ट में इजराइल अमेरिका का खास अलाय है और दोनों के मजबूत राजनीतिक और सैन्य संबंध हैं। इजराइल चारों तरफ से मुस्लिम देशों से घिरा एक यहूदी देश है और फिलिस्तीनियों की जमीन पर कब्जे के कारण, ये देश इजराइल से उलझते रहे हैं। इस हालात में मिडिल ईस्ट के चारों तरफ इतनी बड़ी तदाद में अमेरिकी सैन्य अड्डे होने से इजराइल को बड़ा लाभ मिल रहा है।

गाजा लेबनान में अमानवीय कार्रवाई के बावजूद कोई देश भी उसपर सैन्य कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। यहां तक कि ईरान भी अभी तक धमकी ही दे पाया है, लेकिन वे सीधे तौर पर इस जंग में कूदने का साहस नहीं ला पाया है।

यही नहीं हाल के दिनों में इजराइल की ओर से तेज हुए हमलों और हिजबुल्लाह के नेता हसन नसरल्लाह की मौत के बाद पैदा हे जंग के हालात के बीच अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने बड़ा कदम उठाया है। इजरायल का साथ देने के लिए अमेरिका ने समूचे पश्चिम एशिया में लड़ाकू विमानों का दस्ता और विमान वाहक पोत तैनात करने का फैसला किया है। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के मुख्यालय पेंटागन ने यह जानकारी दी। पेंटागन ने बताया कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने ईरान और उसके सहयोगियों के संभावित हमलों से इजरायल की रक्षा करने और अमेरिकी सैनिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पश्चिम एशिया में सैन्य उपस्थिति बढ़ाने का निर्णय लिया है। इसके तहत अमेरिकी लड़ाकू विमानों और युद्ध पोत के दस्ते ने इजरायल के चारों ओर उसकी रक्षा के लिए घेरा बनाना शुरू कर दिया है।

मारा गया नसरल्ला और आंसू महबूबा के निकल रहे हैं” वीएचपी प्रवक्ता विनोद बंसल ने पीडीपी प्रमुख को घेरा

#vhpleadervinodbansalsaidnasrallahkilledandmehboobamuftishedding_tears

हिजबुल्ला चीफ हसन नसरल्ला की मौत के बाद भारत में सियासत तेज हो गई है। एक तरफ पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने इजरायली हमले में मारे गए हिजबुल्ला नेता नसरल्ला को शहीद बताया तो दूसरी तरफ विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने तंज कसा है। उन्होंने कहा, "मारा नसरल्ला गया है और आंसू महबूबा के निकल रहे हैं"

विनोद बंसल ने कहा, "राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने जो बयान दिया है, मैं उनसे यही कहूंगा कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्‍छेद -370 खत्म हो गया है और उनकी मानसिक विदाई का भी समय आ गया है। यह सब तो अब तक खत्म हो जाना चाहिए था।"

विनोद बंसल ने कहा, "महबूबा मुफ्ती ने कहा था कि अगर अनुच्‍छेद-370 खत्म हो गया, तो कश्मीर घाटी में कोई तिरंगा उठाने वाला नहीं मिलेगा। लेकिन, अब वहां चारों और सिर्फ तिरंगा ही दिखाई देता है। उन्हें अब गाजा के लिए बाजा बजाना और आतंकियों के लिए आंसू बहाना बंद कर देना चाहिए।" उन्होंने कहा, "हिजबुल्ला चीफ हसन नसरल्ला के साथ उनका कोई भला नहीं होने वाला है। अगर भला होगा तो भारत तथा मानवता और यूएन के साथ खड़ा होकर ही हो पाएगा। उन्हें अब आतंकियों की पैरवी बंद कर देनी चाहिए। जम्मू-कश्मीर के लोग भी उनकी मानसिकता को अच्छी तरह से समझ रहे हैं। इसलिए उन्हें मानवता की ‘महबूबा' बनना है। अन्यथा समाज उन्हें छोड़ेगा नहीं।"

मुफ्ती ने नसरुल्ला को बताया शहीद

इससे पहले महबूबा मुफ्ती ने नसरुल्ला को शहीद बताया और कल (रविवार) के अपने सभी चुनावी कार्यक्रम रद कर दिए थे।महबूबा मुफ्ती ने एक्स पर लिखा कि लेबनान और गाजा के शहीदों, खासकर हसन नसरुल्ला के साथ एकजुटता दिखाने के लिए मैं कल (रविवार) अपना अभियान रद्द कर रही हूं। हम इस दुख और अनुकरणीय प्रतिरोध की घड़ी में फिलीस्तीन और लेबनान के लोगों के साथ खड़े हैं।

कौन था नसरुल्ला?

बता दें कि हसन नसरुल्ला सन् 1992 से हिजबुल्लह का चीफ था। वह लेबनान की मजबूत राजनीतिक और सैन्य ताकत के रूप में उभरा था। उसे न सिर्फ लेबनान में बल्कि पश्चिम एशिया के प्रभावशाली लोगों में से एक माना जाता था। नसरुल्ला ने 30 सालों से भी ज्यादा समय तक आतंकवादी ग्रुप हिजबुल्ला की लीडरशिप की।

मिथुन चक्रवर्ती को मिलेगा दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड, केंद्रीय ने किया ऐलान*
#mithun_chakraborty_got_dadasaheb_phalke_award
दिग्गज अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती के नाम एक और उपलब्धि जुड़ गई है। उन्हें दादा साहब फाल्के पुरस्कार दिया जा रहा है।केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार इस साल दिग्गज बॉलीवुड एक्टर मिथुन चक्रवर्ती को दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड से नवाजेगी। इसका ऐलान केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने किया है। अश्विनी वैष्णव ने मिथुन के नाम का ऐलान करते हुए ट्वीट किया, “मिथुन दा के सफर ने पीढ़ियों को प्रेरणा दी है। भारतीय सिनेमा में मिथुन चक्रवर्ती जी के योगदान के लिए दादासाहेब फाल्के सेलेक्शन ज्यूरी ने उन्हें ये अवॉर्ड देने का फैसला किया है। उन्हें सम्मान उन्हें 70वें नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स समारोह के दौरान 8 अक्टूहर 2024 को दिया जाएगा।” पिछले साल वहीदा रहमान को इस अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। मिथुन चक्रवर्ती हिंदी सिनेमा के उम्दा कलाकार हैं। कोलकाता की गलियों से आए मिथुन दा ने फिल्मी दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई है। 1976 के बाद से फिल्मों में उनका अभिनय का दम दिख रहा है। मिथुन 80 के दशक के लोकप्रिय अभिनेता रहे हैं। उन्होंने हिंदी फिल्मों में डांस को एक नई पहचान दी थी। एक दौर था जब फिल्म मिथुन के डांस से ही हिट हो जाती थी। अभिनेता मिथुन ने अलग-अलग भाषाओं- बंगाली, हिंदी, ओड़िया, भोजपुरी, तमिल, तेलुगू, कन्नड़ और पंजाबी में कई शानदार फिल्में की हैं। उनकी बॉलीवुड डेब्यू फिल्म दो अंजाने थी। इस फिल्म में उनका बहुत छोटा रोल था। इसके बाद उन्होंने तेरे प्यार में, प्रेम विवाह, हम पांच, डिस्को डांसर, हम से है जमाना, घर एक मंदिर, अग्निपथ, तितली, गोलमाल 3, खिलाड़ी 786 और द ताशकंद फाइल्स में काम किया।
आतंक के आका नसरल्लाह की मौत पर भारत में क्यों मचा है बवाल, जम्मू-कश्मीर से लेकर यूपी तक विरोध प्रदर्शन

#srinagar_protests_jammu_kashmir_over_hezbollah_terror_chief_nasralla_death

‘हिजबुल्लाह’ को दुनिया एक आतंकी संगठन के रूप में जानती है। यूरोपीय संघ ने 22 जुलाई 2013 को हिजबुल्लाह के सैन्य विंग को एक आतंकवादी संगठन के रूप में नामित किया था। ‘हिजबुल्लाह’ को संयुक्त राज्य अमेरिका और कई अन्य देशों द्वारा एक आतंकवादी संगठन के रूप में चिन्‍हित किया गया है। इसी ‘हिजबुल्लाह’ को इजराइल ने मिटा देने की कसम खाई है और वो लगातार इसपर हमले कर रहा है। इसी क्रम में लेबनान में हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह को भी ढेर कर दिया है।

लेबनान में हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह की हत्या के बाद जम्मू-कश्मीर में भारी विरोध-प्रदर्शन देखा जा रहै है। जम्मू-कश्मीर के लोग सड़कों पर उतर आए हैं। इजरायल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। साथ ही लेबनान को अपना पूरा समर्थन देने की अपील कर रहे हैं।

जम्मू-कश्मीर में प्रदर्शन कर रही एक लड़की ने कहा कि अब हर घर से हिजबुल्लाह निकलेगा। उन्होंने कहा कि आपने एक हिजबुल्लाह चीफ को मारा है, लेकिन अब हर घर से हिजबुल्लाह निकलेगा। मैं हर उस इंसान से बात कर रही हूं, जो फिलिस्तीन के खिलाफ है।

इजराइल को नहीं पता कि उसने किसे मारा है। हम सभी शिया मुसलमान आतंकवादी नसरल्लाह और हिजबुल्लाह के साथ खड़े हैं।लेबनान के लोगों, डरो मत, इज़राइल से लड़ो, हम तुम्हारे साथ हैं।फिलिस्तीन का विरोध करने वाले ध्यान से सुन लें, हम सभी शिया मुसलमान हिजबुल्लाह और हमास के साथ खड़े हैं।

दरअसल हिजबुल्लाह शिया मुस्लिमों वाला संगठन है जिसे शिया देश ईरान का समर्थन है।

क्या इजराइल से नसरल्लाह की मौत का बदला लेंगे ईरान समेत 57 देश, जंग में शामिल होंगे दूसरे इस्लामिक देश?

#irancalledoicmeetingafterdeathofhezbollahchiefhassannasrallah

इजराइल की ओर से लगातार हिजबुल्लाह के ठिकानों को निशाना बनाया जा रहा है। पूरी दुनिया इजराइल और लेबनान के युद्ध से हिल गई है।हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह की मौत के बाद मिडिल ईस्ट में बवाल मचा हुआ है। नसरल्लाह की हत्या के बाद ईरान बौखलाया हुआ है। ईरान में इजराइल से बदले की मांग उठ रही है। ऐसे में ईरान ने इस्लामिक देशों के संगठन OIC की बैठक भी बुलाई। साथ ही इजरायल को बदला लेने की धमकी भी दी है।

ईरान ने लेबनान और फिलिस्तीन में इजरायल के हमलों से निपटने के लिए इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) के सदस्य देशों के नेताओं की तत्काल बैठक बुलाने का आह्वान किया। शुक्रवार को OIC के विदेश मंत्रियों की वार्षिक बैठक को संबोधित करते हुए ईरानी उप विदेश मंत्री (कानूनी और अंतर्राष्ट्रीय मामलों) काज़ेम गरीबाबादी ने फिलिस्तीनी लोगों के अधिकारों का समर्थन करने में इस्लामी देशों के बीच एकता और एकजुटता के महत्व पर जोर दिया।उन्होंने कहा कि इस्लामी दुनिया एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है और कई महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना कर रही है, विशेष रूप से फिलिस्तीनी मुद्दा, जो हमारी मुख्य प्राथमिकता बनी हुई है।

ग़रीबाबादी ने दोहराया कि सभी फ़िलिस्तीनी लोगों, जो अपनी मातृभूमि में रह रहे हैं और जो अपनी मातृभूमि से दूर हैं, उन्हें जनमत संग्रह के माध्यम से अपना भविष्य तय करना चाहिए। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस तंत्र के माध्यम से, एक स्थायी शांति प्राप्त होगी जिसमें मुस्लिम, ईसाई और यहूदी एक साथ अमन और शांति से रहेंगे। उन्होंने कहा कि इज़राइली शासन की आतंकवादी गतिविधियां फिलिस्तीन और लेबनान तक ही सीमित नहीं हैं, उन्होंने हाल ही में ईरान की राजनयिक सुविधाओं पर आतंकवादी हमला किया है और ईरान में हमास के नेता को भी शहीद कर दिया है। इस तथ्य पर जोर देते हुए कि इज़राइली शासन क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरा है, उन्होंने इसकी क्रूरता और अपराधों को समाप्त करने का आह्वान किया।

जंग में दूसरे इस्लामिक देश शामिल होंगे?

अब सवाल उठता है कि क्या क्या इस जंग में दूसरे इस्लामिक देश शामिल होंगे? नसरल्लाह के मारे जाने के बाद यह तय है कि इस जंग में और प्लेयर्स इन्वॉल्व होंगे- जैसे ईरान और सीरिया, लेकिन बड़े युद्ध की आशंका नहीं नजर आती है। अगर OIC मिलकर इजरायल के खिलाफ कोई कदम उठाते हैं तो इसका मतलब है कि अमेरिका और यूरोपियन यूनियन इस लड़ाई में शामिल हो जाएंगे। तब समस्या और बड़ी हो जाएगी। 

हिज्बुल्लाह को लेकर इजरायल ने पहले ही और मुल्कों को आगाह किया था और सबको इसकी करतूतों के बारे में पता है। उसके समर्थन का मतलब है किसी इजरायल पर हमले का समर्थन करना, जो सऊदी जैसे देश कतई नहीं करेंगे। सऊदी को भी पता है कि अमेरिका और इजरायल जैसे देश उसके लिए आर्थिक तौर पर कितने जरूरी हैं। हां यह जरूर है कि OIC मानवाधिकारों के उल्लंघन का हवाला देते हुए हमले की आलोचना कर सकता है। वो यह कहेगा कि हमले में आम लोग और बच्चे मारे जा रहे हैं पर मिलिट्री मोबिलाइजेशन की आशंका नहीं है।

क्या है OIC?

OIC का फुल फॉर्म है आर्गेनाइजेशन ऑफ द इस्लामिक कोऑपरेशन। इसे इस्लामिक सहयोग संगठन भी कहते हैं। OIC चार महाद्वीपों में फैले 57 मुस्लिम देशों का एक संगठन है। यूनाइटेड नेशन के बाद यह दुनिया का दूसरे सबसे बड़ा संगठन है। एक तरीके से OIC को मुस्लिम और इस्लामी देशों की आवाज के तौर पर देखा जाता है। इस संगठन की स्थापना का कनेक्शन भी इजरायल से ही जुड़ा हुआ है।

कब और कैसे बना OIC

मक्का और मदीना के बाद इजरायल के यरूशलम में स्थित अल अक्सा मस्जिद मुस्लिमों का तीसरा सबसे पवित्र धार्मिक स्थल है। यह मस्जिद जहां है, उसको लेकर मुस्लिमों, यहूदियों और ईसाईयों में सदियों से लड़ाई चलती आ रही है। 25 सितंबर 1969 को यरूशलम की अल अक्सा मस्जिद में आग लगा दी गई। तब मुफ्ती आमीन अल हुसैनी ने इस आगजनी के लिए यहूदियों को जिम्मेदार ठहराया और दुनिया के सभी मुस्लिम देशों से इसके खिलाफ आवाज उठाने का आह्वान किया और एक सम्मेलन बुलाया।इसमें अल अक्सा मस्जिद पर तो चर्चा हुई ही, साथ ही इस बात पर भी मंथन हुआ कि इस्लामिक देशों के बीच आपसी सहयोग और संबंधों को कैसे और मजबूत किया जाए। इसी सम्मेलन में तय किया गया कि इस्लामिक देश एक संगठन बनाएंगे, ताकि आपसी आर्थिक, सांस्कृतिक सहयोग को और बढ़ावा दे सकें।