समंदर का सिकंदर बनना चाहता है चीन, नई नवेली "परमाणु पनडुब्बी" समुद्र में डूबी
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चीन समुद्री क्षेत्रों में भी लगातार अपनी ताकत बढ़ा रहा है। हिंद महासागर से लेकर प्रशांत महासागर तक वो अपनी शक्तियां बढ़ाने में जुटा हुआ है। हालांकि, इस बीच चीन को बड़ा झटका लगा है। चीन ने जो नई परमाणु-संचालित हमलावर पनडुब्बी बनाई थी, वह इस साल की शुरुआत में डूब गई। हालांकि, चीनी अधिकारियों ने इस दुर्घटना को छिपाने की भरपूर कोशिश की, लेकिन इसका खुलासा हो ही गया। दो अमेरिकी रक्षा अधिकारियों के अनुसार, चीन की लेटेस्ट परमाणु ऊर्जा चालित पनडुब्बी डूब गई और चीनी नौसेना ने नुकसान को छिपाने की कोशिश की, इस कारण दुर्घटना का खुलासा कई महीने बाद हुआ है।
अमेरिकी अधिकारियों ने बताया है कि चीनी परमाणु पनडुब्बी मई के अंत या जून की शुरुआत में वुहान के पास एक शिपयार्ड में डूब गई थी।एक वरिष्ठ अमेरिकी रक्षा अधिकारी ने कहा कि चीन की नवीनतम परमाणु-संचालित हमलावर पनडुब्बी इस साल की शुरुआत में समुद्र में डूब गई थी। अधिकारी ने कहा कि हमलावर पनडुब्बी वुहान शहर के पास एक शिपयार्ड में निर्माणाधीन झोउ-श्रेणी के जहाजों की नई लाइन की पहली पनडुब्बी थी। यह उसके लिए शर्मिंदगी की बात है, क्योंकि वह अपनी सैन्य क्षमताओं का विस्तार करना चाहता है। वह अपनी सेना को सबसे ताकतवर बनाना चाहता है। मगर जो अपनी एक पनडुब्बी नहीं बचा सका, वह क्या खाक किसी से लड़ पाएगा?
यह घटना ऐसे समय में हुई है जब चीन अपनी नौसेना का विस्तार करने पर जोर दे रहा है।हाल ही में चीन ने अपना अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) का प्रशांत महासागर में परीक्षण किया। यह टेस्ट चीन ने 44 साल बाद किया था।
समुद्र में अमेरिका दुनिया में सबसे शक्तिशाली देश है, लेकिन चीन इस अंतर को कम करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है।चीन के पास पहले से ही 370 से अधिक जहाजों के साथ दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना है। इसके साथ ही उसने परमाणु-सशस्त्र पनडुब्बियों की एक नई पीढ़ी का उत्पादन शुरू कर दिया है। चीन परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियों के उत्पादन में विविधता लाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। चीनी परमाणु पनडुब्बियों का निर्माण हुलुदाओ के शिपयार्ड में सबसे अधिक हुआ है, लेकिन अब वुहान के पास वुचांग शिपयार्ड में परमाणु ऊर्जा से चलने वाली हमलावर पनडुब्बियों का निर्माण किया जा रहा है।
चीन की सैन्य शक्ति पर पिछले साल जारी पेंटागन की रिपोर्ट के अनुसार, 2022 के अंत तक बीजिंग के पास 48 डीजल-इलेक्ट्रिक हमलावर पनडुब्बियां और छह परमाणु पनडुब्बियां थीं। उस रिपोर्ट में कहा गया था कि नई हमलावर पनडुब्बियां, सतही युद्धपोत और नौसैनिक विमान विकसित करने का चीन का उद्देश्य संघर्ष के दौरान ताइवान की सहायता के लिए अमेरिका और उसके सहयोगियों द्वारा किए जा रहे प्रयासों का मुकाबला करना और "समुद्री श्रेष्ठता" हासिल करना है।
Sep 27 2024, 10:38