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कर्नाटक के आंगनवाड़ी शिक्षकों के लिए उर्दू ज़रूरी! सिद्धारमैया सरकार पर 'मुस्लिम तुष्टिकरण' का लग रहा आरोप*
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कर्नाटक की सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार पर 'मुस्लिम तुष्टिकरण' का आरोप लग रहा है। दरअसल, एक अधिसूचना में आंगनवाड़ी शिक्षकों के लिए उर्दू को अनिवार्य भाषा कर दिया गया था। इस अधिसूचना के बाद बीजेपी ने इसे कर्नाटक का निजामीकरण का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए ऐसे फैसला ले रही है। मीडिया रिपोर्टस के अनुसार,कांग्रेस सरकार ने हाल ही में एक आदेश में कहा है कि चिकमंगलुरु जिले के मुडिगिरी में आँगनबाड़ी में शिक्षक पद पर आवेदन करने वालों को उर्दू जरूर आनी चाहिए। यह आदेश राज्य के महिला और बाल कल्याण एवं विकास विभाग ने दिया है। विभाग ने कहा कि जिस इलाके में स्थानीय जनसंख्या में अल्पसंख्यकों का हिस्सा 25% से अधिक है वहाँ शिक्षकों को कन्नड़ के साथ ही अल्पसंख्यकों की भाषा जाननी होगी। मुडिगिरी में मुस्लिम जनसंख्या 31% है इसलिए यहाँ उर्दू जानने वाले शिक्षकों की भर्ती करने का निर्णय लिया गया है। भाजपा राज्य सरकार के इस निर्णय के बाद तुष्टिकरण का आरोप लगा रही है। भाजपा ने इस फैसले पर कहा, कन्नड़ जमीन पर उर्दू का बोलबाला है, कांग्रेस सरकार के महिला एवं बाल कल्याण विभाग ने चिकमंगलूर जिले के मुडिगिरी में आँगनबाड़ी शिक्षकों की नियुक्ति के लिए उर्दू अनिवार्य करने के लिए आधिकारिक आदेश जारी किया है। सीएम सिद्दारमैया और मंत्री लक्ष्मी हेब्बलकर इस बात को जान लीजिए, मुडिगिरी कर्नाटक में है, कन्नड़ कर्नाटक की आधिकारिक भाषा है, तब आखिर उर्दू अनिवार्य क्यों है, जवाब दीजिए।” भाजपा नेता और पूर्व सांसद नलिनकुमार कटील ने कहा, "राज्य की कांग्रेस सरकार की यह घोषणा कि आंगनवाड़ी शिक्षक की नौकरी पाने के लिए उर्दू भाषा का ज्ञान होना आवश्यक है, निंदनीय है। आंगनवाड़ी शिक्षकों की भर्ती में मुस्लिम समुदाय को खुश करने और केवल उन्हें ही नौकरी पाने की अनुमति देने का पिछले दरवाजे से किया जा रहा प्रयास एक बार फिर कांग्रेस की कपटी नीति को उजागर कर रहा है। यह घिनौनी राजनीति की पराकाष्ठा है।"
जम्मू-कश्मीर में दूसरे चरण की 26 सीटों पर कल वोटिंग, उमर अब्दुल्ला समेत 239 उम्मीदवारों की किस्मत दांव पर
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जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के दूसरे फेज में छह जिलों की 26 सीटों पर बुधवार को मतदान है, जिसके लिए 239 उम्मीदवारों की किस्मत दांव पर लगी है। पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष रविंदर रैना, आप की पार्टी के प्रमुख अल्ताफ बुखारी और खुर्शीद आलम सहित कई हाई प्रोफाइल नेताओं की परीक्षा इसी चरण में होनी है। इस चरण की 26 सीटों में से 15 सीटें सेंट्रल कश्मीर और 11 सीटें जम्मू रीजन की हैं।

*दूसरे चरण की इन सीटों होगी वोटिंग*
दूसरे फेज की 26 सीटों में से 15 सीटें सेंट्र्ल कश्मीर और 11 सीटें जम्मू रीजन की है. कश्मीर संभाग की कंगन, गांदरबल, हजरतबल, खानयार, हब्बाकदल, लाल चौक, चन्नपोरा, जदीबल, ईदगाह, सेंट्रल शाल्टेंग, बडगाम, बीरवाह, खानसाहब, चरार-ए-शरीफ और चदूरा सीट शामिल है। वहीं, जम्मू संभाग की गुलाबगढ़, रियासी, श्री माता वैष्णो देवी, कालाकोट-सुंदरबनी, नौशेरा, राजौरी, बुद्धल, थन्नामंडी, सूरनकोट, पुंछ-हवेली और मेंढर सीट पर बुधवार को मतदान है।

*किसका क्या दांव पर लगा?*
जम्मू-कश्मीर की 26 सीटों पर 239 उम्मीदवार मैदान में है। पीडीपी ने सभी 26 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार रखे हैं। नेशनल कॉन्फ्रेंस के 20 और कांग्रेस के 6 सीटों पर उम्मीदवार हैं। बीजेपी दूसरे चरण में सिर्फ 17 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। निर्दलीय ने 98 सीटों पर ताल ठोक रखी है। जम्मू रीजन के रियासी में 20 प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं, राजोरी जिले में 34 प्रत्याशी किस्मत आजमा रहे हैं और पुंछ जिले में 25 उम्मीदवार हैं। इसके साथ-साथ कश्मीर घाटी के श्रीनगर जिले में सबसे ज्यादा 93 प्रत्याशी, बडगाम जिले में 46 उम्मीदवार और गांदरबल में 21 प्रत्याशी हैं।
कश्मीर रीजन की सीटों पर नेशनल कॉन्फ्रेंस का मजबूत सियासी आधार रहा है जबकि जम्मू क्षेत्र में बीजेपी और कांग्रेस का सियासी आधार है। 2014 के विधानसभा चुनाव में दक्षिण कश्मीर की 15 सीटों में से सात सीटें नेशनल कॉन्फ्रेंस, 4 सीटें पीडीपी, दो सीटें कांग्रेस, एक बीजेपी और एक सीट अन्य ने जीती थी। जम्मू क्षेत्र की 11 सीटों में से बीजेपी 8 सीटें जीती, एक कांग्रेस और बाकी सीटें अन्य को मिली थी। इस तरह दूसरे चरण में जीती हुई सीट को बरकरार रखने की चुनौती बीजेपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस के पास होगी।

*उमर अब्दुल्ला की किस्मत दांव पर*
पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला गांदरबल और बीरवाह से चुनाव लड़ रहे हैं। उमर लोकसभा चुनाव में बारामुला सीट तिहाड़ जेल से चुनाव लड़े इंजीनियर राशिद से हार गए थे। इस बार भी गांदरबल सीट पर उनके खिलाफ जेल में बंद सरजन अहमद वागे उर्फ आजादी चाचा मैदान में हैं।गांदरबल विधानसभा अब्दुल्ला परिवार का गढ़ रहा है। इस सीट से दादा शेख अब्दुल्ला 1977 और पिता फारूक अब्दुल्ला 1983, 1987 और 1996 में सीट से चुनाव जीत चुके हैं। हालांकि 2002 में नेशनल कॉन्फ्रेंस यह सीट हार गई थी। 2008 के चुनाव में उमर अब्दुल्ला सीट से चुनाव जीते। इसके बाद वो मुख्यमंत्री भी बने। 2014 विधानसभा में शेख इशफाक जब्बार ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के टिकट पर गांदरबल सीट पर जीत दर्ज की थी।
नेहरू के निजी दस्तावेज और चिट्ठियां सोनिया गांधी से वापस क्यों मांग रहे PMML सदस्य?
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प्रसिद्ध हस्तियों की चिट्ठियां अपने आप में इतिहास समेटे होतीं हैं। ये किसी विरासत से कम नहीं होतीं। जिससे लोग बीते कालखंड से रूबरू हो सकें। कुछ महीनों पहले एक मामला सामने आया था। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जवाहरलाल नेहरू के कुछ पत्रों को उपहार के तौर पर बांट दिए थे। इसके बाद सोनिया गांधी ने भी जवाहर लाल नेहरू के कुछ पत्र अपने पास सहेज कर रख लिए। हालांकि इन्हें प्रधानमंत्री संग्रहालय एंव पुस्तकालय (पीएमएमएल) में होना चाहिए। पीएमएमएल सोसाइटी के सदस्य रिजवान कादरी ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी को पत्र लिखकर देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से संबंधित निजी दस्तावेजों की मांग की है।

रिजवान कादरी ने कहा कि वह पीएमएमएल सोसाइटी (जिसे पहले नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी या एनएमएमएल के नाम से जाना जाता था) की वार्षिक आम बैठकों में उन कागजातों को ‘‘वापस लेने’’ के लिए आवाज उठाते रहे हैं। गांधी परिवार ने कई साल पहले इन दस्तावेजों को वापस ले लिया था।

9 सितंबर को लिखे इस पत्र में 56 वर्षीय इतिहास के प्रोफेसर कादरी ने कहा कि पंडित जवाहर लाल नेहरू और उनके पिता पंडित मोतीलाल नेहरू ने अपने योगदान के महत्वपूर्ण अभिलेख छोड़े हैं, जो सौभाग्य से पीएमएमएल में संरक्षित हैं। मुझे बताया गया कि सोनिया गांधी के कार्यालय ने नेहरू के 51 बक्से वापस ले लिए थे। इनमें प्रथम प्रधानमंत्री के निजी खत रखे जाते थे। उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि ऐसा इन अमूल्य धरोहरों की सुरक्षा के लिए सद्भावनापूर्वक किया गया होगा। हालांकि, यह सुनिश्चित करने के लिए यह जरूरी है कि ये रिकॉर्ड सुलभ रहें।

कादरी ने सोनिया गांधी को खत लिखते हुए कहा कि पीएमएमएल के समर्पित सदस्य के रूप में मैं आपको पत्र लिख रहा हूं। मेरी शैक्षिक यात्रा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के इतिहास से जुड़ी है। खासकर गुजरात से जुड़े तथ्यों और अभिलेखों में मेरी गहरी रुचि है। मैंने गांधी जी के लेखन को भी पढ़ा है। दुर्भाग्य से सरदार पटेल ने आजादी से पहले ऐसे कोई रिकॉर्ड नहीं बनाए। मेरी पीएचडी थीसिस महात्मा गांधी, वल्लभभाई पटेल और गुजरात के राजनीतिक इतिहास पर आधारित थी। एक इतिहासकार के रूप में मुझे पटेल के बारे में जानने में काफी दिलचस्पी है।

दस्तावेजों को हासिल करने की अनुमति मांगते हुए पत्र में कहा गया है कि आप इस बात से सहमत होंगी कि पंडित नेहरू अपने योगदान पर निष्पक्ष और राजनीतिक प्रभाव से मुक्त शोध के हकदार हैं। रिजवान कादरी ने लिखा, 'मेरा एकमात्र उद्देश्य महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू जी और सरदार (वल्लभभाई) पटेल का सच्चे वैज्ञानिक ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में अध्ययन करना है। इस प्रयास में आपका सहयोग अमूल्य होगा। इन पत्रों को डिजिटलाइज करने के बाद लौटा भी दिया जाएगा।

बता दें कि सोनिया गांधी के पास मौजूद पत्र में जवाहर लाल नेहरू और जयप्रकाश नारायण, एडविना माउंटबेटन, अल्बर्ट आइंस्टीन, अरुणा आसफ अली, विजय लक्ष्मी पंडित और बाबू जगजीवन राम के बीच हुई बातचीत मौजूद है।
हरियाणा में मुख्यमंत्री चेहरे पर रणदीप सुरेजवाला का बड़ा बयान, गिना दिए तीन नाम, जानें कौन-कौन
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हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए राजनीतिक पार्टियां जमकर पसीना बहा रही हैं और मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए हर संभव प्रयास में जुटी हुई हैं, लेकिए इस बीच कांग्रेस की अंदरुनी कलह से जूझ रही है। सत्ता तक पहुंचने की कोश,श में जुटी कांग्रेस के अपने ही सबसे बड़े रोड़े बने नजर आ रहे हैं। एक ओर ज्यादा से ज्यादा विधानसभा सीटें जीतने पर चर्चा हो रही है तो दूसरी ओर मुख्यमंत्री पद के दावेदारों के नाम पर भी अटकलें जारी हैं। पूर्व सीएम भूपेन्द्र सिंह हुड्डा और कुमारी शैलजा के बाद रणदीप सुरजेवाला ने भी मुख्यमंत्री पद के लिए दावा ठोक दिया है।

राज्यसभा सदस्य और कांग्रेस के दिग्गज रणदीप सिंह सुरजेवाला ने एक बार फिर से मुख्यमंत्री पद की दावेदारी जताई है। सुरजेवाला ने मंगलवार को आयोजित एक प्रेसवार्ता में बयान देकर मुख्यमंत्री बनने की इच्छा जताई है। सुरजेवाला ने कहा कि अपनी दावेदारी जताना प्रजातंत्र में स्वीकार्य है। वहीं, अपने बारे, शैलजा और हुड्डा पर कहा कि मुख्यमंत्री तो तीनों बनना चाहते हैं, लेकिन यह हाईकमान तय करेगा।

*अंतिम फैसला पार्टी आलाकमान का*
कांग्रेस सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला ने मंगलवार को कैथल में कहा, हर कोई मुख्यमंत्री बनना चाहता है। सुरजेवाला ने कहा कि मैं, कुमारी सैलजा, जो मेरी बड़ी बहन है, चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा सीएम बनना चाहते हैं। हम तीन लोगों के अलावा किसी और साथी का भी यह अधिकार है, यहां प्रजातंत्र है। अंत में फैसला पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे जी और राहुल गांधी जी को करना है। वे जो भी फैसला लेंगे, वह हमें स्वीकार्य होगा।

*सीएम पद को लेकर क्या बोलीं कुमारी सैलजा?*
इससे पहले मुख्यमंत्री पद को लेकर कुमार शैलजा ने स्पष्ट रूप से बयान दिया है कि वह फिर से अपनी दावेदारी ठोकेंगी। साथ ही उन्होंने डिप्टी सीएम बनने से भी साफ इनकार कर दिया है। सिरसा सांसद कुमारी शैलजा ने कहा कि मुख्यमंत्री पद का दावा कोई बीता हुआ कल नहीं है जो लौटकर नहीं आ सकता।

*हरियाणा उप मुख्यमंत्री पद पर भी कइयों की दावेदारी*
गौरतलब है कि फिलहाल कांग्रेस बिना सीएम फेस के चुनाव लड़ रही है, लेकिन पार्टी में उप मुख्यमंत्री को लेकर भी मारा मारी चल रही है। रेवाड़ी विधानसभा सीट से से चुनाव लड़ रहे पूर्व विधायक चिरंजीव राव ने डिप्टी सीएम पद के लिए अपना दावा पेश किया था। इसके बाद फरीदाबाद एनआईटी से कांग्रेस विधायक नीरज शर्मा ने भी उप मुख्यमंत्री बनने की इच्छा जताई है।
कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के बाद सीएम सिद्धारमैया की कुर्सी संकट में! बीजेपी मांग रही इस्तीफा*
#karnataka_cm_siddaramaiah_high_court_order_bjp_jds_for_resignation *

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं।MUDA (मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण) मामले में उन्हें हाई कोर्ट से झटका लगा है। कोर्ट ने राज्यपाल के फैसले को चुनौती देने वाली उनकी याचिका को खारिज कर दिया। हाई कोर्ट की ओर से फैसला आने के बाद अब उन पर बीजेपी हमलावर दिख रही है। विपक्ष लगातार उनसे इस्तीफे की मांग कर रही है। *सिद्धारमैया से इस्तीफे की मांग* केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला ऐतिहासिक है। सरकार और सिद्धारमैया ने गड़बड़ी की है। उनको सीएम पद से पहले ही इस्तीफा दे देना चाहिए था पर वो सच जानते हैं और जांच से बचना चाहते हैं। इसलिए राज्यपाल के फैसले को चैलेंज किया। गवर्नर के फोटो को चप्पल से मारा गया। यह टेरर पैदा करने के लिए किया गया। बिना देरी किए सिद्धारमैया को इस्तीफा दे देना चाहिए। इसकी विस्तृत और निष्पक्ष जांच होनी चाहिए, जिसके लिए उनको इस्तीफा देना चाहिए। *बीजेपी का कर्नाटक सरकार गिराने का इराना नहीं-प्रह्लाद जोशी* प्रह्लाद जोशी ने आगे कहा कि बिना पॉलिटिकल पावर के यह नहीं हो सकता। सीबीआई से इसकी जांच कराई जाए। बीजेपी का कर्नाटक सरकार गिराने या अस्थिर करने का न इरादा है और न कोई ऐसी कोशिश कर रहे हैं। यह कांग्रेस को तय करना है कि कौन सीएम बनेगा। किसी और को सीएम बनाए कांग्रेस। बीजेपी विपक्ष में ही बैठेगी। *सिद्धारमैया बोले- सच्चाई जल्द सामने आएगी* वहीं, कोर्ट के इस आदेश के बाद सिद्धारमैया की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने बीजेपी और जेडीएस पर निशाना साधते हुए कहा कि ये सियासी लड़ाई है। प्रदेश की जनता मेरे साथ है। मुझे विश्वास है अगले कुछ दिनों में सच्चाई सामने आएगी और जांच रद्द हो जाएगी। सिद्धारमैया ने कहा, न्यायालय ने धारा 218 के तहत राज्यपाल द्वारा जारी आदेश को सिरे से खारिज कर दिया। न्यायाधीशों ने खुद को राज्यपाल के आदेश की धारा 17ए तक ही सीमित रखा। मैं विशेषज्ञों से परामर्श करूंगा कि क्या कानून के तहत ऐसी जांच की अनुमति है या नहीं। मैं कानूनी विशेषज्ञों से चर्चा कर लड़ाई की रूपरेखा तय करूंगा। *सिद्दारमैया के पास सुप्रीम कोर्ट जाने का है विकल्प* हालांकि, हाई कोर्ट ने इस मामले में मुख्यमंत्री के खिलाफ जांच को मंजूरी दिए जाने के गवर्नर के फैसले पर मुहर लगाकर सिद्दारमैया को भारी संकट में ला दिया है। अभी तक हाई कोर्ट से स्थगन आदेश की वजह से निचली अदालत से इस मामले में कार्रवाई शुरू नहीं हो रही थी। अब इस स्थगन आदेश से रोक हट गया है और सिद्दारमैया पर कानूनी शिकंजा कसने की आशंका है। विपक्ष पहले से ही उनपर पद छोड़ने का दबाव बना रहा है और कांग्रेस पार्टी के अंदर भी इसको लेकर काफी विवाद रहा है। फिलहाल सिद्दारमैया के सामने सबसे पहला विकल्प यही है कि वह सुप्रीम कोर्ट में जाकर इस केस में फिर से स्थगन आदेश लेने की कोशिश करें। कथित मुडा भूमि घोटाला क्या है? मुडा शहरी विकास के दौरान अपनी जमीन खोने वाले लोगों के लिए एक योजना लेकर आई थी। 50:50 नाम की इस योजना में जमीन खोने वाले लोग विकसित भूमि के 50% के हकदार होते थे। यह योजना 2009 में पहली बार लागू की गई थी। जिसे 2020 में उस वक्त की भाजपा सरकार ने बंद कर दिया। सरकार द्वारा योजना को बंद करने के बाद भी मुडा ने 50:50 योजना के तहत जमीनों का अधिग्रहण और आवंटन जारी रखा। सारा विवाद इसी से जुड़ा है। आरोप है कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को इसी के तहत लाभ पहुंचाया गया। मुडा क्या है? मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण या मुडा कर्नाटक की एक राज्य स्तरीय विकास एजेंसी है, जिसका गठन मई 1988 में किया गया था। मुडा का काम शहरी विकास को बढ़ावा देना, गुणवत्तापूर्ण शहरी बुनियादी ढांचे को उपलब्ध कराना, किफायती आवास उपलब्ध कराना, आवास आदि का निर्माण करना है। क्या है आरोप? आरोप है कि मुख्यमंत्री की पत्नी की 3 एकड़ और 16 गुंटा भूमि मुडा द्वारा अधिग्रहित की गई। इसके बदले में एक महंगे इलाके में 14 साइटें आवंटित की गईं। मैसूर के बाहरी इलाके केसारे में यह जमीन मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को उनके भाई मल्लिकार्जुन स्वामी ने 2010 में उपहार स्वरूप दी थी। आरोप है कि मुडा ने इस जमीन का अधिग्रहण किए बिना ही देवनूर तृतीय चरण की योजना विकसित कर दी। मुआवजे के लिए मुख्यमंत्री की पार्वती ने आवेदन किया जिसके आधार पर, मुडा ने विजयनगर III और IV फेज में 14 साइटें आवंटित कीं। यह आवंटन राज्य सरकार की 50:50 अनुपात योजना के तहत कुल 38,284 वर्ग फीट का था। जिन 14 साइटों का आवंटन मुख्यमंत्री की पत्नी के नाम पर हुआ उसी में घोटाले के आरोप लग रहे हैं। विपक्ष का कहना है कि पार्वती को मुडा द्वारा इन साइटों के आवंटन में अनियमितता बरती गई है।
'मैं उनकी जगह होता तो देश से माफी मांगता...', विनेश फोगाट को लेकर योगेश्वर दत्त का बड़ा बयान
#yogeshwar_dutt_attacks_on_vinesh_phogat_for_disqualified_from_olympics
पहलवानों के प्रदर्शन से लेकर पेरिस ओलंपिक में विनेश फोगाट के डिस्क्वालिफाई होने और फिर कांग्रेस में शामिल होने पर रेसलर और बीजेपी नेता योगेश्वर दत्त की प्रतिक्रिया आई है। ओलंपिक पदक विजेता पहलवान योगेश्वर दत्त ने विनेश फोगाट की आलोचना की है। योगेश्वर दत्त ने कहा कि ओलंपिक में डिस्क्वालिफाई होने पर विनेश फोगाट को माफी मांगनी चाहिए कि उनसे गलती हुई। मेडल का नुकसान हुआ।

योगेश्वर दत्त ने कहा कि विनेश ने पेरिस ओलंपिक में अयोग्य करार दिए जाने के बाद बाहर हो जाने की जिम्मेदारी नहीं ली, बल्कि अपनी अयोग्यता के लिए दूसरों को दोषी ठहराया। लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाले योगेश्वर ने कहा कि अगर उन्हें अयोग्य घोषित किया जाता तो वह पूरे देश से माफी मांगते। योगेश्वर दत्त ने कहा कि राजनीति में जाना सबकी अपनी मर्जी है। लेकिन, देश को सच्चाई पता चलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि ओलंपिक में डिस्क्वालिफाई होने पर विनेश फोगाट को माफी मांगनी चाहिए कि उनसे गलती हुई। मेडल का नुकसान हुआ।

वहीं साजिश के सवाल पर योगेश्वर दत्त ने कहा कि उन्हें ओलंपिक खेलों से अयोग्य घोषित कर दिया गया था। इसके बाद उन्हें पूरे देश के सामने माफी मांगनी चाहिए थी कि उन्होंने गलतियां की हैं। हालांकि, इसके बजाय उन्होंने इसे एक साजिश करार दिया। हर कोई जानता है कि अयोग्यता सही कॉल थी। वे एक ग्राम वजन अधिक होने पर भी एथलीटों को अयोग्य घोषित कर देते हैं। पूरे देश में गलत माहौल बनाया गया। ये परसेप्शन बनाया गया कि विनेश फोगाट के साथ गलत हुआ। इसी तरह पहलवानों के आंदोलन में भी गलत तरीके से लोगों को इकट्ठा गया।

योगेश्वर की यह टिप्पणी विनेश के भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) और उसकी अध्यक्ष पीटी उषा के खिलाफ गंभीर आरोप लगाने के कुछ दिनों बाद आई है। फोगाट ने संयुक्त रजत पदक के लिए खेल पंचाट (सीएएस) में अपील के दौरान पर्याप्त कानूनी समर्थन नहीं देने के लिए आईओए की आलोचना की थी। विनेश और भारतीय वकीलों के अथक प्रयासों के बावजूद, खेल पंचाट यानी सीएएस ने उनके खिलाफ फैसला सुनाया था। विनेश ने कहा था कि भारत सरकार और आईओए को उनके मामले को दायर करने और समर्थन करने में अधिक सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए थी। उन्होंने कहा था कि उनके केस दायर करने के बाद ही आईओए के तरफ से मदद आई थी। हालांकि, बाद में विनेश के इस बयान का हरीश साल्वे ने खंडन किया था।

बता दें कि पेरिस ओलंपिक में भारत को विनेश फोगाट के डिसक्वालीफाई होने के बाद एक बड़ा झटका लगा था और अब उसके अगले ही दिन विनेश फोगाट ने संन्यास का ऐलान कर दिया। पहली बार महिला कुश्ती के फाइनल में पहुंची विनेश फोगाट से भारत को गोल्ड मेडल की आस थी। लेकिन, फाइनल मैच के दिन उनको ओवरवेट होने की वजह से अयोग्य घोषित कर दिया गया था। विनेश फोगाट का वजन 50 किलोग्राम की सीमा से 100 ग्राम अधिक पाया गया था और इस तरह उन्हें प्रतियोगिता से बाहर कर दिया गया और यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग के नियमों के अनुसार उन्हें अंतिम स्थान दिया गया। इसके कुछ दिन बाद विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया ने राजनीति के अखाड़े में उतरते हुए कांग्रेस का हाथ थाम लिया था।
कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया को हाई कोर्ट से झटका, मैसूर जमीन घोटाला केस में चलेगा मुकदमा

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कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को हाई कोर्ट से झटका लगा है। MUDA (मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण) मामले में अदालत ने उनकी याचिका खारिज कर दी है।हाई कोर्ट की ओर से ये कहा गया है कि जमीन घोटाले में सिद्धारमैया पर केस चलेगा। हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि याचिका में बताए गए तथ्यों की जांच करने की जरूरत है। बता दें कि कर्नाटक हाई कोर्ट ने राज्यपाल के आदेश को चुनौती देने वाली मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की याचिका पर आज फैसला सुनाया है।

दरअसल मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण साइट आवंटन मामले में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ जांच के लिए राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने मंजूरी दी थी। राज्यपाल की इसी मंजूरी मिलने के बाद हाई कोर्ट में सिद्धारमैया की तरफ से अर्जी दाखिल की गई थी। इस मामले में मंगलवार हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि, राज्यपाल कानून के हिसाब से केस चला सकते हैं। 

न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि, राज्यपाल "स्वतंत्र निर्णय" ले सकते हैं और राज्यपाल गहलोत ने "अपने दिमाग का पूरी तरह से इस्तेमाल किया है। इसलिए, जहां तक आदेश (मुख्यमंत्री पर मुकदमा चलाने का) का सवाल है, राज्यपाल के एक्शन में कोई खामी नहीं है।

क्या है मामला?

आरोप है कि सिद्धारमैया की पत्नी बीएम पार्वती को मैसूर के एक पॉश इलाके में जमीन आवंटित की गई थी। संपत्ति का मूल्य उनकी भूमि के स्थान की तुलना में अधिक था, जिसे MUDA द्वारा अधिगृहीत किया गया था। MUDA ने पार्वती को उनकी 3.16 एकड़ जमीन के बदले 50:50 अनुपात योजना के तहत भूखंड आवंटित किए थे, जहां MUDA ने एक आवासीय लेआउट विकसित किया था।

अगस्त में कर्नाटक के मंत्रियों और कांग्रेस विधायकों ने राज्यपाल गहलोत द्वारा मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति देने के खिलाफ ‘राजभवन चलो’ विरोध प्रदर्शन किया था। कांग्रेस ने राज्यपाल पर भेदभावपूर्ण व्यवहार का आरोप लगाया। पार्टी का कहना है कि राज्यपाल के समक्ष कई अन्य मामले भी लंबित हैं, लेकिन उन्होंने उन पर कोई निर्णय नहीं लिया है। इस बीच राज्यपाल गहलोत ने पिछले हफ्ते राज्य की मुख्य सचिव शालिनी रजनीश को पत्र लिखा और जल्द से जल्द दस्तावेजों के साथ एक विस्तृत रिपोर्ट की मांग की।

चंद्रयान-3: फिर जागा प्रज्ञान रोवर..! चांद से भारत को भेजी अहम जानकारी तो नए मिशन को मिला संबल


भारत ने चंद्रयान-4 मिशन को मंजूरी दे दी है, और वैज्ञानिकों ने इसके लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। इसी बीच, चंद्रयान-3 ने भी काम जारी रखा है। विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर, जो सितंबर 2023 में गहरी नींद में चले गए थे, अब एक साल बाद भी सक्रिय हैं और नई जानकारियां धरती तक भेज रहे हैं।


हाल ही में, प्रज्ञान ने चांद की सतह पर एक विशाल क्रेटर की खोज की है। यह क्रेटर 160 किलोमीटर चौड़ा बताया जा रहा है और चंद्रयान-3 की लैंडिंग साइट के करीब स्थित है। अहमदाबाद के फिजिकल रिसर्च लैब के वैज्ञानिकों ने इस क्रेटर के बारे में जानकारी साइंस डायरेक्ट में प्रकाशित की है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह क्रेटर साउथ-पोल एटकिन बेसिन के बनने से पहले का है। साउथ-पोल एटकिन बेसिन चांद की सतह पर सबसे बड़ा और पुराना इम्पैक्ट बेसिन है। प्रज्ञान रोवर द्वारा ली गई तस्वीरों से इस प्राचीन क्रेटर की संरचना के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त हुई हैं, जो चांद के इतिहास को समझने में मददगार साबित हो सकती हैं।

चंद्रयान-3, जो 14 जुलाई 2023 को लॉन्च हुआ था, ने 23 अगस्त को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंडिंग की। भारत इस उपलब्धि के साथ दुनिया का एकमात्र देश बन गया है जो चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने में सफल रहा है। जबकि अमेरिका, रूस और चीन ने चांद पर लैंडिंग की है, लेकिन वे सभी उत्तरी ध्रुव पर स्थित हैं। प्रज्ञान रोवर द्वारा मिली जानकारियों ने दुनियाभर के वैज्ञानिकों के बीच उत्साह बढ़ा दिया है, क्योंकि यह चांद के शुरुआती इतिहास और उसकी सतह के बारे में हमारी समझ को नया आयाम दे सकती है।
हिजबुल्लाह पर इजराइल का सबसे बड़ा हमला, 500 से अधिक लोगों की मौत, 57 मुस्लिम देश करेंगे मदद?


इजरायल और लेबनान के बीच हालिया तनाव अब पूरी तरह से युद्ध में बदलता दिख रहा है। इजरायल ने लेबनान में बड़े पैमाने पर आतंकी संगठन हिज्बुल्लाह के ठिकानों पर हमला किया है। पिछले हफ्ते लेबनान में एक पेजर-वॉकी-टॉकी ब्लास्ट के बाद से इलाके में दहशत फैल गई थी। हालाँकि, इसके बाद भी आतंकी हिजबुल्लाह बाज नहीं आया था, उसने इजराइल पर 200 रॉकेट दागे, जिससे इजराइल को तो कोई नुकसान नहीं हुआ। लेकिन इसके बाद इजरायल ने जवाबी कार्रवाई करते हुए फाइटर जेट्स से मिसाइल और बम हमले किए। इन हमलों में हिज्बुल्लाह को गंभीर नुकसान हुआ, और अब इजरायल ने हिज्बुल्लाह के 1600 से अधिक ठिकानों को निशाना बनाकर ध्वस्त कर दिया है। इस कार्रवाई में 500 से अधिक लोगों की मौत हो गई, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं।


इजरायल की सेना ने लेबनानी नागरिकों को चेतावनी दी है कि वे उन क्षेत्रों को खाली कर दें, जहां हिज्बुल्लाह के हथियार छिपे होने की आशंका है। IDF ने दावा किया है कि लेबनान के घरों में भारी रॉकेट जमा किए गए हैं।  बावजूद इस्लामी आतंकी संगठन हिज्बुल्लाह ने भी उत्तरी इजरायल पर जवाबी हमले करते हुए 200 रॉकेट दागे, जिनमें हाइफा, अफुला, और नाजरेथ जैसे शहरों में सायरन बजने लगे। हालांकि, इजरायल के आयरन डोम डिफेंस सिस्टम ने अधिकांश रॉकेटों को रोक दिया और किसी गंभीर नुकसान की खबर नहीं है।

यह संघर्ष पिछले साल तब शुरू हुआ था, जब फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास के जिहादियों ने इजरायल पर अचानक हमला किया था और सैकड़ों इजरायली नागरिकों की हत्या कर दी थी। इसके जवाब में इजरायल ने गाजा पर हमला किया और हमास को खत्म करने का संकल्प लिया। अब हमास के समर्थन में हिज्बुल्लाह भी मैदान में उतर आया है, जिससे तनाव और बढ़ गया है। इजरायल की हालिया कार्रवाई के बाद सोमवार को लेबनान में 2006 के बाद का सबसे खतरनाक दिन साबित हुआ, जब इजरायली हमलों में सैकड़ों लोग मारे गए और हजारों घायल हुए। हिज्बुल्लाह के खिलाफ किए गए हवाई हमलों से पहले इजरायल ने दक्षिणी और पूर्वी लेबनान के नागरिकों को क्षेत्र खाली करने की चेतावनी दी थी। इसके बाद हजारों लोग बेरूत की ओर भागते नजर आए।

हालाँकि, गौर करने वाली बात ये भी है कि, दुनियाभर के 57 मुस्लिम देश इजराइली हमलों की लगातार निंदा कर रहे हैं, लेकिन कोई भी सामने आकर उससे लड़ने की हिम्मत नहीं दिखा पा रहा है। ये इस्लामी मुल्क आतंकी संगठनों को ही पैसा और हथियार दे रहे हैं, ताकि वो इजराइल से लड़ें और मरें, लेकिन ये देश खुद सामने नहीं आ रहे। अब ये सवाल भी उठ रहा है कि लेबनान पर इतना बड़ा हमला होने के बाद क्या इन 57 मुस्लिम देशों में से एक भी इजराइल के खिलाफ खड़ा होगा।
अब चीन से अमेरिकी कंपनियों का मोहभंग, भारत में लगाएंगी 12 लाख करोड़, जमकर बढ़ेगा रोज़गार


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत की अर्थव्यवस्था लगातार मजबूत हो रही है, और इसका असर वैश्विक स्तर पर देखा जा रहा है। जबकि चीन इस वक़्त आबादी और अर्थव्यवस्था के संकट से जूझ रहा है, भारत दुनिया भर में निवेशकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनता जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी इस समय अमेरिका की यात्रा पर हैं, और इसी बीच अमेरिकी चैंबर ऑफ कॉमर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन में काम कर रही अमेरिकी कंपनियों का चीन से मोहभंग हो रहा है।


चीन की खराब होती अर्थव्यवस्था और वहां की नीतियों के कारण अमेरिकी कंपनियां नए विकल्पों की तलाश में हैं, और उन्हें भारत एक बेहतर विकल्प के रूप में दिखाई दे रहा है। मोदी सरकार द्वारा लागू की गई "ईज ऑफ डूइंग बिज़नेस" नीतियों ने भारत में निवेश का माहौल तैयार किया है, जिससे कई अमेरिकी कंपनियां चीन से अपना कारोबार समेटकर भारत में निवेश करने की योजना बना रही हैं। रिपोर्ट के अनुसार, 50 अमेरिकी कंपनियों ने चीन से बाहर निकलने का मन बना लिया है, जिनमें से 15 कंपनियां भारत में निवेश करना चाहती हैं। इन कंपनियों का कुल निवेश करीब 12 लाख करोड़ रुपये का हो सकता है, जो भारत के लिए आर्थिक रूप से बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है।

भारत अब निवेशकों की पसंदीदा जगहों में से एक बनता जा रहा है। अमेरिकी चैंबर ऑफ कॉमर्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने निवेश के मामले में अमेरिका, यूरोप और मेक्सिको को पीछे छोड़ दिया है। पिछले साल भारत को 5वां स्थान मिला था, जबकि इस साल वह दूसरे स्थान पर पहुंच गया है। दक्षिण पूर्व एशिया अभी भी निवेशकों की शीर्ष पसंद बना हुआ है, लेकिन भारत तेजी से इस दौड़ में आगे बढ़ रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, चीन से बाहर निकलने वाली कंपनियों में से कई मैनेजमेंट कंसल्टिंग, गारमेंट और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर से हैं, और उन्होंने भारत में निवेश करने की इच्छा जताई है। भारत का बड़ा और उभरता बाजार भी इन कंपनियों को आकर्षित कर रहा है, जिससे देश में विदेशी निवेश के साथ-साथ रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे।

मोदी सरकार की नीतियों के चलते अमेरिका और भारत के कारोबारी रिश्ते भी लगातार मजबूत हो रहे हैं। चीन में आर्थिक सुस्ती और वहां के बदलते व्यापारिक माहौल के कारण अमेरिकी कंपनियों के लिए भारत एक प्रमुख विकल्प बनता जा रहा है, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को और मजबूती मिलेगी।