जम्मू-कश्मीर में दूसरे चरण की 26 सीटों पर कल वोटिंग, उमर अब्दुल्ला समेत 239 उम्मीदवारों की किस्मत दांव पर
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जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के दूसरे फेज में छह जिलों की 26 सीटों पर बुधवार को मतदान है, जिसके लिए 239 उम्मीदवारों की किस्मत दांव पर लगी है। पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष रविंदर रैना, आप की पार्टी के प्रमुख अल्ताफ बुखारी और खुर्शीद आलम सहित कई हाई प्रोफाइल नेताओं की परीक्षा इसी चरण में होनी है। इस चरण की 26 सीटों में से 15 सीटें सेंट्रल कश्मीर और 11 सीटें जम्मू रीजन की हैं।
*दूसरे चरण की इन सीटों होगी वोटिंग*
दूसरे फेज की 26 सीटों में से 15 सीटें सेंट्र्ल कश्मीर और 11 सीटें जम्मू रीजन की है. कश्मीर संभाग की कंगन, गांदरबल, हजरतबल, खानयार, हब्बाकदल, लाल चौक, चन्नपोरा, जदीबल, ईदगाह, सेंट्रल शाल्टेंग, बडगाम, बीरवाह, खानसाहब, चरार-ए-शरीफ और चदूरा सीट शामिल है। वहीं, जम्मू संभाग की गुलाबगढ़, रियासी, श्री माता वैष्णो देवी, कालाकोट-सुंदरबनी, नौशेरा, राजौरी, बुद्धल, थन्नामंडी, सूरनकोट, पुंछ-हवेली और मेंढर सीट पर बुधवार को मतदान है।
*किसका क्या दांव पर लगा?*
जम्मू-कश्मीर की 26 सीटों पर 239 उम्मीदवार मैदान में है। पीडीपी ने सभी 26 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार रखे हैं। नेशनल कॉन्फ्रेंस के 20 और कांग्रेस के 6 सीटों पर उम्मीदवार हैं। बीजेपी दूसरे चरण में सिर्फ 17 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। निर्दलीय ने 98 सीटों पर ताल ठोक रखी है। जम्मू रीजन के रियासी में 20 प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं, राजोरी जिले में 34 प्रत्याशी किस्मत आजमा रहे हैं और पुंछ जिले में 25 उम्मीदवार हैं। इसके साथ-साथ कश्मीर घाटी के श्रीनगर जिले में सबसे ज्यादा 93 प्रत्याशी, बडगाम जिले में 46 उम्मीदवार और गांदरबल में 21 प्रत्याशी हैं।
कश्मीर रीजन की सीटों पर नेशनल कॉन्फ्रेंस का मजबूत सियासी आधार रहा है जबकि जम्मू क्षेत्र में बीजेपी और कांग्रेस का सियासी आधार है। 2014 के विधानसभा चुनाव में दक्षिण कश्मीर की 15 सीटों में से सात सीटें नेशनल कॉन्फ्रेंस, 4 सीटें पीडीपी, दो सीटें कांग्रेस, एक बीजेपी और एक सीट अन्य ने जीती थी। जम्मू क्षेत्र की 11 सीटों में से बीजेपी 8 सीटें जीती, एक कांग्रेस और बाकी सीटें अन्य को मिली थी। इस तरह दूसरे चरण में जीती हुई सीट को बरकरार रखने की चुनौती बीजेपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस के पास होगी।
*उमर अब्दुल्ला की किस्मत दांव पर*
पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला गांदरबल और बीरवाह से चुनाव लड़ रहे हैं। उमर लोकसभा चुनाव में बारामुला सीट तिहाड़ जेल से चुनाव लड़े इंजीनियर राशिद से हार गए थे। इस बार भी गांदरबल सीट पर उनके खिलाफ जेल में बंद सरजन अहमद वागे उर्फ आजादी चाचा मैदान में हैं।गांदरबल विधानसभा अब्दुल्ला परिवार का गढ़ रहा है। इस सीट से दादा शेख अब्दुल्ला 1977 और पिता फारूक अब्दुल्ला 1983, 1987 और 1996 में सीट से चुनाव जीत चुके हैं। हालांकि 2002 में नेशनल कॉन्फ्रेंस यह सीट हार गई थी। 2008 के चुनाव में उमर अब्दुल्ला सीट से चुनाव जीते। इसके बाद वो मुख्यमंत्री भी बने। 2014 विधानसभा में शेख इशफाक जब्बार ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के टिकट पर गांदरबल सीट पर जीत दर्ज की थी।





कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं।MUDA (मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण) मामले में उन्हें हाई कोर्ट से झटका लगा है। कोर्ट ने राज्यपाल के फैसले को चुनौती देने वाली उनकी याचिका को खारिज कर दिया। हाई कोर्ट की ओर से फैसला आने के बाद अब उन पर बीजेपी हमलावर दिख रही है। विपक्ष लगातार उनसे इस्तीफे की मांग कर रही है। *सिद्धारमैया से इस्तीफे की मांग* केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला ऐतिहासिक है। सरकार और सिद्धारमैया ने गड़बड़ी की है। उनको सीएम पद से पहले ही इस्तीफा दे देना चाहिए था पर वो सच जानते हैं और जांच से बचना चाहते हैं। इसलिए राज्यपाल के फैसले को चैलेंज किया। गवर्नर के फोटो को चप्पल से मारा गया। यह टेरर पैदा करने के लिए किया गया। बिना देरी किए सिद्धारमैया को इस्तीफा दे देना चाहिए। इसकी विस्तृत और निष्पक्ष जांच होनी चाहिए, जिसके लिए उनको इस्तीफा देना चाहिए। *बीजेपी का कर्नाटक सरकार गिराने का इराना नहीं-प्रह्लाद जोशी* प्रह्लाद जोशी ने आगे कहा कि बिना पॉलिटिकल पावर के यह नहीं हो सकता। सीबीआई से इसकी जांच कराई जाए। बीजेपी का कर्नाटक सरकार गिराने या अस्थिर करने का न इरादा है और न कोई ऐसी कोशिश कर रहे हैं। यह कांग्रेस को तय करना है कि कौन सीएम बनेगा। किसी और को सीएम बनाए कांग्रेस। बीजेपी विपक्ष में ही बैठेगी। *सिद्धारमैया बोले- सच्चाई जल्द सामने आएगी* वहीं, कोर्ट के इस आदेश के बाद सिद्धारमैया की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने बीजेपी और जेडीएस पर निशाना साधते हुए कहा कि ये सियासी लड़ाई है। प्रदेश की जनता मेरे साथ है। मुझे विश्वास है अगले कुछ दिनों में सच्चाई सामने आएगी और जांच रद्द हो जाएगी। सिद्धारमैया ने कहा, न्यायालय ने धारा 218 के तहत राज्यपाल द्वारा जारी आदेश को सिरे से खारिज कर दिया। न्यायाधीशों ने खुद को राज्यपाल के आदेश की धारा 17ए तक ही सीमित रखा। मैं विशेषज्ञों से परामर्श करूंगा कि क्या कानून के तहत ऐसी जांच की अनुमति है या नहीं। मैं कानूनी विशेषज्ञों से चर्चा कर लड़ाई की रूपरेखा तय करूंगा। *सिद्दारमैया के पास सुप्रीम कोर्ट जाने का है विकल्प* हालांकि, हाई कोर्ट ने इस मामले में मुख्यमंत्री के खिलाफ जांच को मंजूरी दिए जाने के गवर्नर के फैसले पर मुहर लगाकर सिद्दारमैया को भारी संकट में ला दिया है। अभी तक हाई कोर्ट से स्थगन आदेश की वजह से निचली अदालत से इस मामले में कार्रवाई शुरू नहीं हो रही थी। अब इस स्थगन आदेश से रोक हट गया है और सिद्दारमैया पर कानूनी शिकंजा कसने की आशंका है। विपक्ष पहले से ही उनपर पद छोड़ने का दबाव बना रहा है और कांग्रेस पार्टी के अंदर भी इसको लेकर काफी विवाद रहा है। फिलहाल सिद्दारमैया के सामने सबसे पहला विकल्प यही है कि वह सुप्रीम कोर्ट में जाकर इस केस में फिर से स्थगन आदेश लेने की कोशिश करें। कथित मुडा भूमि घोटाला क्या है? मुडा शहरी विकास के दौरान अपनी जमीन खोने वाले लोगों के लिए एक योजना लेकर आई थी। 50:50 नाम की इस योजना में जमीन खोने वाले लोग विकसित भूमि के 50% के हकदार होते थे। यह योजना 2009 में पहली बार लागू की गई थी। जिसे 2020 में उस वक्त की भाजपा सरकार ने बंद कर दिया। सरकार द्वारा योजना को बंद करने के बाद भी मुडा ने 50:50 योजना के तहत जमीनों का अधिग्रहण और आवंटन जारी रखा। सारा विवाद इसी से जुड़ा है। आरोप है कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को इसी के तहत लाभ पहुंचाया गया। मुडा क्या है? मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण या मुडा कर्नाटक की एक राज्य स्तरीय विकास एजेंसी है, जिसका गठन मई 1988 में किया गया था। मुडा का काम शहरी विकास को बढ़ावा देना, गुणवत्तापूर्ण शहरी बुनियादी ढांचे को उपलब्ध कराना, किफायती आवास उपलब्ध कराना, आवास आदि का निर्माण करना है। क्या है आरोप? आरोप है कि मुख्यमंत्री की पत्नी की 3 एकड़ और 16 गुंटा भूमि मुडा द्वारा अधिग्रहित की गई। इसके बदले में एक महंगे इलाके में 14 साइटें आवंटित की गईं। मैसूर के बाहरी इलाके केसारे में यह जमीन मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को उनके भाई मल्लिकार्जुन स्वामी ने 2010 में उपहार स्वरूप दी थी। आरोप है कि मुडा ने इस जमीन का अधिग्रहण किए बिना ही देवनूर तृतीय चरण की योजना विकसित कर दी। मुआवजे के लिए मुख्यमंत्री की पार्वती ने आवेदन किया जिसके आधार पर, मुडा ने विजयनगर III और IV फेज में 14 साइटें आवंटित कीं। यह आवंटन राज्य सरकार की 50:50 अनुपात योजना के तहत कुल 38,284 वर्ग फीट का था। जिन 14 साइटों का आवंटन मुख्यमंत्री की पत्नी के नाम पर हुआ उसी में घोटाले के आरोप लग रहे हैं। विपक्ष का कहना है कि पार्वती को मुडा द्वारा इन साइटों के आवंटन में अनियमितता बरती गई है।
Sep 24 2024, 20:09
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