हाथियों के आतंक से ग्रामीण में दहशत, मुआवजा बांटकर पल्ला झाड़ रहा विभाग!
गुमला के ग्रामीण इलाकों में इन दिनों जंगली हाथियों का आतंक है। हाथियों का झुंड पिछले कई दिनों से जिले के अलग अलग इलाकों में विचरण कर घरों को तोड़ रहा है और फसलों को नुकसान पहुंचा रहा है। लेकिन वन विभाग इसके बचाव के लिए उचित पहल नहीं कर मुआवजा बांटने में दिलचस्पी दिखा रहा है। जिसके चलते इस समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है और ग्रामीण दहशत के साए में हैं। ऐसा नहीं है कि जंगली हाथियों के द्वारा नुकसान की यह पहली घटना है। हाथी हर साल यहां आते हैं और बड़ी संख्या में घरों और फसलों को नुकसान के साथ लोगों की जान भी ले लेते हैं। पिछले साल जंगली हाथियों ने जिले के चैनपुर, भरनो, बिशुनपुर घाघरा आदि इलाकों में कई लोगों की जान ली थी। एक बार फिर हाथियों का झुंड यहां पहुंचा है। आपको बताते चलें कि हर साल हाथी बरसात के अंतिम माह में धान की फसल के दौरान हाथी आते हैं। हाथियों के आने से ग्रामीण इलाकों में लोगों को घरों में रात गुजरना मुश्किल हो जाता है। लोग दहशत के साए में मशाल जलाकर रात बिताते हैं। बताया जाता है कि हाथियों से बचाव के लिए सरकार लाखों रुपए खर्च करती है लेकिन इसका जनहित में सदुपयोग नहीं होने से इस समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है!





गुमला के ग्रामीण इलाकों में इन दिनों जंगली हाथियों का आतंक है। हाथियों का झुंड पिछले कई दिनों से जिले के अलग अलग इलाकों में विचरण कर घरों को तोड़ रहा है और फसलों को नुकसान पहुंचा रहा है। लेकिन वन विभाग इसके बचाव के लिए उचित पहल नहीं कर मुआवजा बांटने में दिलचस्पी दिखा रहा है। जिसके चलते इस समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है और ग्रामीण दहशत के साए में हैं। ऐसा नहीं है कि जंगली हाथियों के द्वारा नुकसान की यह पहली घटना है। हाथी हर साल यहां आते हैं और बड़ी संख्या में घरों और फसलों को नुकसान के साथ लोगों की जान भी ले लेते हैं। पिछले साल जंगली हाथियों ने जिले के चैनपुर, भरनो, बिशुनपुर घाघरा आदि इलाकों में कई लोगों की जान ली थी। एक बार फिर हाथियों का झुंड यहां पहुंचा है। आपको बताते चलें कि हर साल हाथी बरसात के अंतिम माह में धान की फसल के दौरान हाथी आते हैं। हाथियों के आने से ग्रामीण इलाकों में लोगों को घरों में रात गुजरना मुश्किल हो जाता है। लोग दहशत के साए में मशाल जलाकर रात बिताते हैं। बताया जाता है कि हाथियों से बचाव के लिए सरकार लाखों रुपए खर्च करती है लेकिन इसका जनहित में सदुपयोग नहीं होने से इस समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है!

गुमला:- झारखंड में मतदाता जागरूकता अभियान की शुरुआत के साथ ही वोट बहिष्कार की गूंज भी सुनाई देने लगी है। ग्रामीणों ने जन जागरुकता अभियान के माध्यम आने वाले विधानसभा चुनाव में वोट नहीं करने और नेताओं को गांव में घुसने नहीं देने का फरमान जारी किया है। मालूम हो कि देश आज अपनी आजादी का जश्न मना रहा है। वहीं दूसरी ओर आम ग्रामीण जनता एक अदद सड़क के संघर्ष कर रही है। ऐसे में अब ग्रामीणों के सब्र का बांध टूटता नजर आ रहा है और ग्रामीण विरोध पर उतर आए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि चुनाव नजदीक है ऐसे में अगर उनके गांवों की सड़क नहीं बनती है तो वे वोट का बहिष्कार करेंगे। जाहिर है और हो भी क्यों ना सड़क जैसी जरूरी चीजें नहीं होने से रायडीह पंचायत के ऊपर खटंगा गांव के करीब 70 परिवार सड़क के लिए तरस रहे हैं। उनकी इस समस्या का समाधान करने में मदद के लिए अब मजदूर संघ ने अपना हाथ आगे बढाया है और जन जागरुकता अभियान के माध्यम अपनी मांग तेज कर दी है। ग्रामीणों ने धमकी दी है कि अगर उनकी इस मांग पर विचार नहीं किया जाता है तो वे किसी भी नेता को गांव में घुसने तक नहीं देंगे। ऐसे में नेताजी इस बार आपको जनता माफ करने वाली नहीं है!
Sep 23 2024, 20:50
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