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तिरुपति लड्डू विवाद में कर्नाटक सरकार का सख्त निर्देश, मंदिरों में इस घी ही करें प्रयोग

डेस्क: आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर में प्रसाद के लिए लड्डू बनाने में घी के रूप में पशु चर्बी के इस्तेमाल को लेकर उठा विवाद गहराता जा रहा है। इन सबके बीच कर्नाटक सरकार ने बड़ा फैसला सुनाया है और एक सर्कुलर जारी कर मंंदिरों को नंदिनी ब्रांड घी का ही इस्तेमाल करने का आदेश दिया है। मंदिरों को निर्देश दिया गया है कि वे अपने यहां तैयार किए जाने वाले प्रसाद की गुणवत्ता बनाए रखें। सरकार का यह निर्देश सभी 34,000 मंदिरों पर लागू होंगे। कर्नाटक सरकार के नए निर्देश के मुताबिक, सभी मंदिरों में होने वाले अनुष्ठानों जैसे कि दीपक जलाना, प्रसाद तैयार करना और भक्तों को भोजन परोसे जाने की प्रक्रिया में केवल नंदिनी घी का उपयोग करना होगा। ऑफिशियल सर्कुलर में इस बात पर जोर दिया गया है कि प्रसाद की गुणवत्ता से कभी समझौता न किया जाए। सर्कुलर में कहा गया है, “कर्नाटक राज्य के धार्मिक बंदोबस्ती विभाग के तहत आने वाले सभी नोटिफाईड मंदिरों में, सभी प्रकार की सर्विसेज, दीपों और प्रसाद तैयार करने और दशौहा भवन में केवल नंदिनी घी का इस्तेमाल किया जाए। मंदिरों में तैयार किए जाने वाले प्रसाद में गुणवत्ता बनाए रखने का सुझाव दिया गया है।” बता दें कि कर्नाटक मिल्क फेडरेशन यानी केएमएफ एक डेयरी कोऑपरेटिव है, जो नंदिनी ब्रांड नाम के तहत दूध, दही, घी, मक्खन, आइसक्रीम, चॉकलेट और मिठाई जैसे प्रोडक्ट्स बेचता है। केएमएफ की स्थापना साल 1974 में हुई थी। इस विवाद के बाद कर्नाटक मिल्क फेडरेशन ने कहा है कि उनका मिलावटी घी से कोई लेना-देना नहीं है। केएमएफ ने घी आखिरी बार 2020 में तिरुपति मंदिर को सप्लाई किया था। तिरुपति मंदिर के लड्डू में पशु चर्बी का विवाद 18 सितंबर को शुरू हुआ, जब आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और टीडीपी सुप्रीमो चंद्रबाबू नायडू ने आरोप लगाया था कि तिरुपति के प्रसाद में चर्बी मिलाई जा रही है। उन्होंने कहा कि जिस कंपनी से मंदिर प्रशासन घी ले रहा था. उसे ब्लैक लिस्ट कर दिया गया है और मामले की विजिलेंस जांच कराई जा रही है। बता दें कि अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। वहीं, नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, तिरुपति के लड्डू में सोयाबीन, सूरजमुखी, जैतून, नारियल, कॉटन सीड और अलसी के अलावा फिश ऑयल, बीफ टैलो और लॉर्ड पाया गया है।
पैसे के अभाव में अटका अयोध्या मस्जिद का निर्माण, पांच साल से उसी हालत में, अब तक नक्शा भी नहीं हुआ पास

डेस्क: अयोध्या राम मंदिर के फैसले के साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने मस्जिद के लिए भी जमीन देने की बात कही थी। राम मंदिर तो लगभग बन चुका है, दर्शन भी शुरू हो चुके हैं लेकिन मस्जिद निर्माण की प्रक्रिया अटकी है। राममंदिर निर्माण का कार्य जहां 80 फीसदी तक पूरा हो चुका है, वहीं पिछले पांच साल में मस्जिद निर्माण की प्रक्रिया एक कदम भी आगे नहीं बढ़ सकी है। आलम यह है कि मस्जिद ट्रस्ट अब तक धन्नीपुर में प्रस्तावित मस्जिद निर्माण के लिए नक्शा तक नहीं पास करा सका है। मस्जिद ट्रस्ट इसका कारण धन की कमी बता रहा है।

नौ नवंबर 2019 को अयोध्या विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने राममंदिर के हक में निर्णय सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद निर्माण करने के लिए पांच एकड़ जमीन आवंटित करने का आदेश दिया था। इसके बाद जिला प्रशासन ने सोहावल के धन्नीपुर गांव में पांच एकड़ जमीन मस्जिद निर्माण के लिए आवंटित की थी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राम मंदिर का निर्माण तो लगभग पूरा हो गया है, लेकिन धन्नीपुर में बनने वाली मस्जिद की अब तक नींव भी नहीं पड़ सकी है।

 इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन के सचिव अतहर हुसैन मस्जिद निर्माण में देरी की वजह का प्राथमिक कारण पैसों की कमी बताते हैं। वो कहते हैं कि ट्रस्ट इस जमीन पर निर्माण को लेकर व्यापक योजना बना रहा है। योजना के अनुसार यहां मस्जिद के अलावा एक अत्याधुनिक कैंसर अस्पताल, एक सामुदायिक कैंटीन और 1857 की स्वतंत्रता की पहली लड़ाई की यादों को संजोने के लिए एक म्यूज़ियम बनाया जाएगा। हुसैन कहते हैं कि जितनी उम्मीद थी, उससे कम पैसा जमा हो पाया है, इसलिए काम में देरी हो रही है। बताया कि मस्जिद निर्माण में करीब 12 करोड़ लेकिन चैरिटी हॉस्पिटल के निर्माण में करीब 300 करोड़ के खर्च का अनुमान है।

इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन (आईआईसीएफ) ने अपनी चारों उप समितियों को शुक्रवार को भंग का दिया। अतहर हुसैन ने बताया कि यह फैसला विदेशी चंदा हासिल करने की अनुमति प्राप्त करने के लिए किया गया है, क्योंकि सभी उप समितियां अनुमति मिलने में बाधा बन रही थीं। इसके साथ ही मस्जिद के नाम पर फर्जी बैंक खातों के खुलने की खबर आई थी। इससे निपटने के लिए ट्रस्ट ने एक एफआईआर भी दर्ज करवाई थी। ट्रस्ट के सचिव के अनुसार प्रशासनिक समिति, वित्त समिति, मस्जिद विकास समिति और मीडिया व प्रचार समिति को भंग किया गया है।

अतहर हुसैन ने बताया कि नक्शा पास कराने के लिए करीब एक करोड़ शुल्क देना होगा। इतना धन अब तक एकत्र नहीं हो पाया था। अभी तक चंदे के रूप में लगभग एक करोड़ ही मिले हैं। विदेशी चंदा लेने के लिए एफसीआरए (विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम) में पंजीकरण की आवश्यकता है। इसलिए पंजीकरण के लिए आवेदन कर दिया है। तीन साल की ऑडिट रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी गई है। पंजीकरण होने के बाद गल्फ देशों से चंदा मिलने लगेगा जिसके बाद धन की कमी दूर होने की पूरी संभावना है।

इस्लाम प्रचारक जाकिर नाइक का विवादित बयान, कहा ‘अंबानी का हाउस ‘अंटीलिया’ वक्फ बोर्ड की जमीन पर बना है’

डेस्क: इस्लाम प्रचारक जाकिर नाईक हाल ही में पाकिस्तानी युट्यूबर के साथ पॉडकास्ट में नजर आया। जहां उसने हमेशा की तरह बातों को गोल घुमाते हुए तरह तरह के दावे किए, जिसमें से एक यह भी था की, जिस जमीन पर भारत के सबसे बड़े उद्योगपती मुकेश अंबानी का प्रसिद्ध अंटीलिया बंगला बना है वो वक्फ प्रॉपर्टी होने का दावा किया है।

पाकिस्तानी युट्यूबर के साथ अपने पॉडकास्ट में जाकिर नाईक ने दावा किया की मोदी सरकार ने अनुच्छेद 370 हटाने से पहले झाकिर नाईक से मिलने के लिए मलेशिया तक एक प्रतिनिधी भेजा था, वो चाहते थे जाकिर नाईक उनका इस निर्णय में समर्थन करें। जाकिर नाइक पर भारत में आतंकवादी संगठनों से संबंध, युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और नफरत फैलाने के गंभीर आरोप हैं। उनकी गतिविधियों के कारण भारत सरकार ने उन्हें कानून के तहत अपराधी माना है। ऐसे में पीएम मोदी द्वारा जाकिर से संपर्क करने के लिए मलेशिया में किसी प्रतिनिधी को भेजने का दावा पूरी तरह मनगढंत है।

जाकिर नाईक ने इंटरव्यू में माना है की भारत में आर्मी और रेलवे के बाद वक्फ बोर्ड के पास सबसे अधिक जमीन है।लेकिन हर बार की तरह इस बार भी उसने सच के साथ खिलवाड़ करने की कोशिश की है। उसने दावा किया की मोदी सरकार वक्फ में थोडी अव्यवस्था का फायदा उठाकर जमीन हड़पना और सरकार के पास जमा करना कहते है। दौरान विश्व की सबसे महंगा अंटीलिया घर वक्फ जमीन पर बांधने के दावा भी किया है। जाकिर नाइक ने बिना किसी सबूत के ऐसे बयान देकर सिर्फ विवाद पैदा करने की कोशिश की है। वक्फ संपत्ति का मुस्लिम समुदाय के लिए धार्मिक और सामाजिक महत्व हो सकता है, लेकिन नाइक ने बिना किसी समर्थन के इसे अंबानी जैसे बड़े व्यापारियों के साथ जोड़कर केवल मीडिया में सुर्खियां बटोरने की कोशिश की है।

PM Modi US Visit: पीएम मोदी का आज अमेरिका में मेगा इवेंट, लॉन्ग आइलैंड में भारतीय प्रवासियों को करेंगे संबोधित

डेस्क: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी तीन दिवसीय अमेरिका यात्रा के दूसरे दिन लॉन्ग आइलैंड स्थित नासाउ वेटरन्स मेमोरियल कोलिजीयम में भारतीय प्रवासियों को संबोधित करेंगे। न्यूयॉर्क के लॉन्ग आइलैंड में होने वाले पीएम मोदी के इस मेगा इवेंट को लेकर भव्य तैयारियां की गई हैं। इस कार्यक्रम में करीब 14,000 लोगों के आने की उम्मीद है। पीएम के कार्यक्रम का नाम 'मोदी एंड यूएस: प्रोग्रेस टुगेदर' दिया गया है। आयोजकों का कहना है कि यह कार्यक्रम भारत और अमेरिका के करीबी संबंधों, अमेरिकी-भारतीय समुदाय के गर्मजोशी भरे रिश्ते को बताएगा। प्रवासी भारतीयों में इस आयोजन को लेकर खासा उत्साह है।

इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने शनिवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से मुलाकात की। दोनों नेताओं की मुलाकात को लेकर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बताया कि क्वाड शिखर सम्मेलन के इतर मिले दोनों नेताओं ने आपसी हित के क्षेत्रों में द्विपक्षीय साझेदारी को और गहरा करने के तरीकों पर चर्चा की। उन्होंने कहा, 'नेताओं ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र सहित वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया।'

डेलावेयर के विलमिंगटन में स्थित बाइडेन ने अपने आवास पर मोदी का स्वागत किया और दोनों नेता एक दूसरे से गले मिले। इसके बाद बाइडेन मोदी का हाथ पकड़कर उन्हें अपने घर के अंदर लेकर गए जहां द्विपक्षीय वार्ता हुई। बाइडेन ने ‘एक्स’ पर कहा, “भारत के साथ अमेरिका की साझेदारी इतिहास में किसी भी समय की तुलना में अधिक मजबूत, घनिष्ठ और अधिक गतिशील है। प्रधानमंत्री मोदी के साथ जब भी हम बैठते हैं, मैं सहयोग के नए क्षेत्रों को खोजने की हमारी क्षमता से बहुत प्रसन्न होता हूं। आज भी कुछ अलग नहीं था।” 

पीएम मोदी के साथ विदेश मंत्री एस जयशंकर, विदेश सचिव विक्रम मिस्री और अमेरिका में भारत के राजदूत विनय मोहन क्वात्रा भी मौजूद हैं। अमेरिकी दल में विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन, राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों के लिए राष्ट्रपति के सहायक टी एच जेक सुलिवन और भारत में अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी शामिल हैं। अमेरिका की तीन दिवसीय यात्रा पर यहां आए मोदी ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज और जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा के साथ अलग-अलग द्विपक्षीय बैठकें भी की हैं। चार सदस्यीय क्वाड एक स्वतंत्र, खुले और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र को बनाए रखने की वकालत करता है। चीन इसे विरोधी समूह के रूप में देखता है।  

इससे पहले अमेरिका पहुंचने पर भारतीय प्रवासियों के एक बड़े समूह ने फिलाडेल्फिया अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पीएम मोदी का स्वागत किया। मोदी ने पारंपरिक परिधान पहने लोगों के समूह का अभिवादन किया, जिनमें से कई लोगों ने भारतीय तिरंगा थाम रखा था। वह सुरक्षा घेरे में चले, उनमें से कुछ को ‘ऑटोग्राफ’ दिए और कुछ अन्य से हाथ मिलाया। प्रधानमंत्री ने कहा, “भारतीय समुदाय ने अमेरिका में अपनी अलग पहचान बनाई है और विभिन्न क्षेत्रों में सकारात्मक प्रभाव डाला है। उनके साथ बातचीत करना हमेशा खुशी की बात होती है।”

क्वाड नेताओं ने जारी किया संयुक्त बयान, दक्षिण चीन सागर, रूस-यूक्रेन जंग और आतंकवाद के लेकर कही ये बातें

डेस्क: अमेरिकी में आयोजित क्वाड शिखर सम्मेलन में भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के राष्ट्राध्यक्ष शामिल हुए। क्वाड शिखर सम्मेलन में रूस-यूक्रेन जंग से लेकर दुनिया में आतंकवाद और चीन को लेकर चर्चा की गई। क्वाड नेताओं ने संयुक्त बयान जारी कर कहा कि हम पूर्वी और दक्षिण चीन सागर की स्थिति को लेकर गंभीर रूप से चिंतित हैं। हम विवादित विशेषताओं के सैन्यीकरण और दक्षिण चीन सागर में बलपूर्वक और डराने-धमकाने वाले युद्धाभ्यासों के बारे में अपनी गंभीर चिंता व्यक्त करना जारी रखते हैं।

दक्षिण चीन सागर को लेकर जारी हुआ संयुक्त बयान: क्वाड नेताओं के संयुक्त वक्तव्य में कहा गया ''हम इस बात की पुष्टि करते हैं कि समुद्री विवादों को शांतिपूर्वक और अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार हल किया जाना चाहिए''।

यूक्रेन में चल रहे युद्ध पर जताई चिंता: क्वाड नेताओं के संयुक्त वक्तव्य में कहा गया "हम यूक्रेन में चल रहे युद्ध पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त करते हैं, जिसमें भयानक और दुखद मानवीय परिणाम शामिल हैं।

उत्तर कोरिया के मिसाइल परीक्षणों की निंदा: क्वाड नेताओं के संयुक्त वक्तव्य में कहा गया "हम उत्तर कोरिया के अस्थिर करने वाले बैलिस्टिक मिसाइल प्रक्षेपणों की निंदा करते हैं। ये प्रक्षेपण अंतर्राष्ट्रीय शांति और स्थिरता के लिए गंभीर खतरा पैदा करते हैं।''

आतंकवाद की निंदा: क्वाड नेताओं के संयुक्त वक्तव्य में कहा गया ''हम आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद की सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में स्पष्ट रूप से निंदा करते हैं, जिसमें सीमा पार आतंकवाद भी शामिल है।

क्वाड नेताओं ने अपने संयुक्त वक्तव्य यह भी कहा ''संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की सदस्यता की स्थायी और अस्थायी श्रेणियों में विस्तार के माध्यम से इसे और अधिक प्रतिनिधित्वपूर्ण, समावेशी, पारदर्शी, कुशल, प्रभावी, लोकतांत्रिक और जवाबदेह बनाने की तत्काल आवश्यकता को पहचानते हुए हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार करेंगे। स्थायी सीटों के इस विस्तार में सुधारित सुरक्षा परिषद में अफ्रीका, एशिया, लैटिन अमेरिका और कैरिबियन का प्रतिनिधित्व शामिल होना चाहिए।"

तिरुपति ‘लड्डू प्रसादम’ मामले में पूर्व सीएम जगनमोहन रेड्डी के खिलाफ हैदराबाद में शिकायत दर्ज, लगाए गए गंभीर आरोप

डेस्क: श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर के प्रसिद्ध तिरुपति ‘लड्डू प्रसादम’ में इस्तेमाल किए जाने वाले घी में मिलावट का मामला इन दिनों चर्चा में है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने एनडीए दल के विधायकों की बैठक के दौरान प्रसाद में मिलावट के आरोप लगाए थे। वहीं अब इन आरोपों के बाद आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी एवं अन्य के खिलाफ हैदराबाद में एक शिकायत दर्ज कराई गई है। शिकायत में उन पर मंदिर को अपवित्र करने के ‘‘दुर्भावनापूर्ण कृत्य’’ और हिंदू धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया गया है। 

अधिवक्ता के.करुणा सागर ने जांच लैब की रिपोर्ट का हवाला देते हुए सैदाबाद पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई है। के. करुणा सागर ने कहा है कि वह इस रिपोर्ट को देखकर हैरान हैं। उन्होंने पुलिस से मामले की जांच करने का अनुरोध किया है। इसके अलावा उन्होंने श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर को कथित रूप से अपवित्र करने और लाखों हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए जगनमोहन रेड्डी और अन्य के खिलाफ उचित कार्रवाई करने का अनुरोध किया। 

वहीं पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी के खिलाफ शिकायत के बारे में पूछे जाने पर एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि वे इस मामले में कानूनी राय ले रहे हैं क्योंकि मामला आंध्र प्रदेश का है। उन्होंने कहा कि कानूनी राय के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। बता दें कि श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर का प्रबंधन करने वाले तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) ने शुक्रवार को खुलासा किया कि उसे गुणवत्ता की जांच के लिए भेजे गए सैंपल में घटिया गुणवत्ता के घी और चर्बी की मिलावट का पता चला है। लड्डू में पशु चर्बी की मिलावट का दावा दो दिन पहले आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने किया था।

श्रीलंका में राष्ट्रपति चुनावः मालदीव-बांग्लादेश के बाद यहां भी चीन समर्थक नेता के आने के आसार

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श्रीलंका में राष्ट्रपति चुनाव के लिए शनिवार को मतदान प्रारंभ हो गया। साल 2022 के आर्थिक संकट के बाद श्रीलंका में यह पहला चुनाव है। देश भर में 13,400 से अधिक मतदान केंद्रों पर एक करोड़ 70 लाख लोग अपने मताधिकारों का इस्तेमाल करेंगे। मतदान सुबह 7 बजे शुरू हुआ जो शाम 5 बजे तक जारी रहेगा। चुनाव परिणाम रविवार तक घोषित किए जाने की संभावना है।

श्रीलंका में हो रहे चुनाव पर भारत समेत दुनियाभर की नजरें टिकी हैं। विश्लेषकों का मानना है कि 1982 के बाद से श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनावों के इतिहास में पहली बार त्रिकोणीय मुकाबला हो रहा है। श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव का रिजल्ट टॉप-3 कैंडिडेट की रैंकिंग के आधार पर तय होता है। अगर टॉप 3 में से किसी को पूर्ण बहुमत मिलता है तो उसे विजेता घोषित कर दिया जाता है। अगर ऐसा नहीं होता तो 3 उम्मीदवारों के बीच दूसरे दौर की वोटिंग होती है। श्रीलंका में अभी तक दूसरे दौर की वोटिंग नहीं हुई है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक इस बार दूसरे दौर की वोटिंग हो सकती है क्योंकि इस बार कई बड़े उम्मीदवार मैदान में हैं। मौजूदा राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे को नेशनल पीपुल्स पावर (एनपीपी) गठबंधन के नेता अनुरा कुमार दिसानायके, समागी जन बालावेगया(एसजेबी) के साजिथ प्रेमदासा और श्रीलंका पोडु पेरामुना पार्टी (एसएलपीपी) के नमल राजपक्षे टक्कर दे रहे हैं। साजिथ प्रेमदासा पूर्व राष्ट्रपति रणसिंघे प्रेमदासा के बेटे हैं। 1993 में रणसिंघे की हत्या कर दी गई थी। वहीं, नमल राजपक्षे पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के बेटे हैं। महिंदा राजपक्षे 2005 से लेकर 2015 तक श्रीलंका के राष्ट्रपति रह चुके हैं।

इस द्वीप राष्ट्र में 39 उम्मीदवार मैदान में हैं। मुख्य मुकाबला मौजूदा राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे, नेशनल पीपुल्स पांवर गठबंधन के उम्मीदवार अनुरा कुमार दिसानायके और एसजेबी नेता सजित प्रेमदासा के बीच है।निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरे विक्रमसिंघे और मुख्य विपक्षी नेता सजित प्रेमदासा का रुख आमतौर पर भारत समर्थक माना जाता है, जबकि चुनावी सर्वे में सबसे मजबूत स्थिति में नजर आ रहे दिसानायके चीन समर्थक हैं। वह भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग का वादा करके युवाओं के बीच काफी लोकप्रियता हासिल कर चुके हैं।

अनुरा दिसानायके के जीतने के आसार

सर्वे के मुताबिक इस बार अनुरा दिसानायके के चुनाव जीतने की संभावना सबसे ज्यादा है। विपक्षी नेता सजित प्रेमदासा सर्वे में दूसरे नंबर पर हैं। मौजूदा राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे उनसे भी पीछे तीसरे नंबर पर चल रहे हैं। इस रेस में पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के बेटे नमल राजपक्षे भी हैं। सर्वे में उनके जीतने की संभावना भी कम बताई गई है।

भारत विरोध के लिए जाने जाते थे अनुरा

बता दें कि अनुरा कुमारा दिसानायके वामपंथी पार्टी जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) के नेता हैं। वे एनपीपी गठबंधन से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार हैं। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक जेवीपी पार्टी भारत विरोध के लिए जानी जाती है। 1980 के दशक में भारत ने श्रीलंका में लिट्टे से निपटने के लिए पीस कीपिंग फोर्स को भेजने का फैसला लिया था। तब जेवीपी ने इसका विरोध किया था।

हाल के कुछ सालों में जेवीपी ने अपना भारत विरोधी रुख बदला है। हालांकि, अनुरा ने चुनाव से पहले भारतीय कंपनी अडानी के खिलाफ बयान देकर एक नया विवाद शुरू कर दिया है। जेवीपी नेता ने हाल में ही वादा किया है कि वे 21 सितंबर को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में जीत जाते हैं तो श्रीलंका में अडानी ग्रुप की पवन ऊर्जा परियोजना को रद्द कर देंगे। अनुरा का कहना है कि अडानी प्रोजक्ट श्रीलंका की ऊर्जा संप्रभुता के लिए खतरा है। अडानी ग्रुप ने इसी साल श्रीलंकाई सरकार से विंड पॉवर स्टेशन डेवलप करने को लेकर डील की है। इसके लिए कंपनी 442 मिलियन डॉलर (करीब 367 करोड़) निवेश करने वाली है।

भारत के लिए क्यों अहम है श्रीलंका?

किसी भी देश का उसके पड़ोसी देशों के साथ संबंध बहुत मायने रखता है। श्रीलंका भी भारत के लिए कितना महत्वपूर्ण है, इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि श्रीलंका भारत के जिस दक्षिणी स्थान के करीब स्थित है, उन इलाकों में भारत के परमाणु ऊर्जा संयंत्र, स्पेस रिसर्च सेंटर और नौसैनिक अड्डे जैसे प्रमुख प्रतिष्ठान हैं, लिहाजा श्रीलंका में किसी भी एंटी-इंडिया स्टैंड रखने वाली सरकार का आना, भारत के लिए मुसीबत खड़ी कर सकता है।

अब मुंबई के धारावी में मस्जिद पर मचा घमासान, बीएमसी की टीम पर हमला जानें क्यों हो रहा विवाद*
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मुंबई के धारावी में मस्जिद के अवैध निर्माण पर एक्शन से पहले तनाव का माहौल है। बृह्मनमुंबई नगर निगम (बीएमसी) के अधिकारियों की एक टीम शनिवार सुबह धारावी पहुंची। यहां महबूब-ए-सुभानी मस्जिद के अवैध हिस्से को गिराया जाना था। खबर लगते ही मुस्लिम समाज समेत बस्ती के लोग इकट्‌ठा हो गए और टीम को रोक दिया।बाद में प्रदर्शनकारियों ने बीएमसी की दो गाड़ियों में तोड़-फोड़ कर दी। हालात संभालने के लिए बड़ी तादाद में पुलिस को तैनात किया गया है। मुंबई के धारावी में महबूबा-ए-सुभानी मस्जिद के अवैध स्ट्रक्चर पर कार्रवाई की जानी है। कार्रवाई के लिए आज सुबह ही बीएमसी के अधिकारी मौके पर पहुंच गए। बीएमसी की कार्रवाई को देखते हुए भारी संख्या में पुलिसबल को तैनात कर दिया गया। बीएमसी के एक्शन से पहले भारी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग भी मस्जिद के पास जमा हो गए। बता दें कि बीएमसी के अधिकारियों ने सबसे पहले धारावी पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट की थी, जिसके बाद दोनों समुदाय के लोगों की आपस में बातचीत भी हुई। इस बीच बीएमसी ने बातचीत के बाद आठ दिन का समय दिया है। इस आठ दिन के समय के बाद बीएमसी एक बार फिर से कार्रवाई कर सकती है। वहीं कांग्रेस सहित तमाम नेताओं ने सीएम से भी मामले में हस्तक्षेप की मांग की। इस बीच मिलिंद देवड़ा और कांग्रेस सांसद वर्षा गायकवाड़ ने सीएम एकनाथ शिंदे से मुलाकात की। दोनों नेताओं ने इस कार्रवाई पर सीएम से रोक लगाने की मांग की। दोनों नेताओं ने सीएम से लॉ एंड ऑर्डर पर बात की और सीएम से मामले में हस्तक्षेप करने की बात की। उन्होंने सीएम को बीएमसी को निर्देश देने की भी बात कही है। दोनों नेताओं ने सीएम से मुलाकात कर स्थिति पर चर्चा की। धारावी की जिस 90 फीट रोड पर यह मस्जिद बनी है, वह पुलिस स्टेशन महज 100 मीटर दूर है। रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि बीएमसी ने पिछले साल भी मस्जिद कमेटी को नोटिस भेजा था। लेकिन तब भी कोई हल नहीं निकला था।
लेबनान पेजर ब्लास्ट का केरल से कनेक्शन! जानें क्या है पूरा मामला*
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लेबनान में हजारों पेजर फटने के कारण कई लोगों की मौत हो गई तो वहीं हजारों की संख्या में लोग घायल हो गए।इन धमाकों के पीछे इजरायल का हाथ बताया जा रहा है। साथ ही इस घटना के बाद दुनियाभर के लोग हैरान हैं कि आखिर इजरायल ने पेजर्स और वॉकी टॉकीज को कैसे घातक हथियार बना दिया। अब इस मामले में एक नया खुलासा हुआ है। दरअसल इन धमाकों की जांच में एक भारतीय का नाम सामने आया है।इस भारतीय की पहचान केरल के वायनाड से ताल्लुक रखने वाले रिनसन जोस के रूप में हुई है। जो अब नॉर्वे का नागरिक है। हंगरी की न्यूज़ वेबसाइट टेलेक्स की रिपोर्ट के मुताबिक, हिजबुल्लाह के पेजर डील में नॉर्टा ग्लोबल लिमिटेड नाम की एक बुलगेरियाई कंपनी शामिल थी। केरल के वायनाड में जन्मा रिनसन होजे बुल्गारिया की कंपनी नॉर्टा ग्लोबल लिमिटेड का मालिक है। रिनसन पर आरोप है कि उसकी कंपनी नॉर्टा ग्लोबल ने हिजबुल्लाह को पेजर सप्लाई किए थे। बुल्गारिया के सोफिया में स्थित नॉर्टा ग्लोबल कंपनी ने बीते गुरुवार (19 सितंबर) को अपनी वेबसाइट भी इंटरनेट से हटा दी। इस वेबसाइट पर प्रौद्योगिकी परामर्श पर रिनसन के किए गए काम का विज्ञापन था। नॉर्टा ग्लोबल कार्यालय को भी अपने पंजीकृत पते पर नहीं पाया जा सका। बता दें कि रिनसन का जन्म केरल के वायनाड में हुआ था। वहां से एमबीए पूरा करने के बाद वह नॉर्वे चले गए थे। रिनसन ने कुछ साल लंदन में भी बिताए और आखिरकार नॉर्वे की नागरिकता ले ली। ऐसे में यह जानना दिलचस्प है कि केरल के एक साधारण से परिवार में जन्मा रिनसन का नाम कैसे लेबनान के पेजर ब्लास्ट से जुड़ गया। दरअसल हिजबुल्लाह सदस्यों के हजारों पेजर फटने के बाद सबसे पहला ध्यान पेजर बनाने वाली कंपनी पर गया। इन पेजर्स पर ताइवानी कंपनी गोल्ड अपोलो का ब्रांड नाम था। हालांकि, गोल्ड अपोलो के संस्थापक और अध्यक्ष सू चिंग-कुआंग ने सफाई देते हुए कहा कि ‘ये पेजर्स हमारे नहीं हैं। इस पर सिर्फ हमारा ब्रांड था’। अब पता चला है कि हिजबुल्ला को भेजे गए पेजर्स की आपूर्ति में बुल्गारिया की कंपनी नोर्टा ग्लोबल लिमिटेड भी शामिल थी। नोर्टा ग्लोबल लिमिटेड कंपनी रिनसन जोस की है, जिसकी स्थापना रिनसन ने साल 2022 में की थी। हालांकि बुल्गारिया की पुलिस ने लेबनान में विस्फोट में फटे पेजर्स के बुल्गारिया में निर्माण या आयात-निर्यात की बात से इनकार किया है। बुल्गारिया पुलिस इस मामले में आगे की जांच कर रही है।
चुनाव के बीच नाराज कुमारी शैलजा को ऑफर, मनोहर लाल खट्टर ने कहा-कांग्रेस में हो रहा अपमान*
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हरियाणा में विधानसभा चुनाव को लेकर हलचल तेज है। वहीं, कांग्रेस का अंदरूनी कलह बढ़ता जा रहा है। लगातार कुमारी शैलजा की नाराजगी की खबर मिल रही है। दरअसल, कांग्रेस ने बीते बुधवार को अपना घोषण पत्र जारी किया। कांग्रेस के मेनिफेस्टो लांच में पार्टी के तमाम नेता मौजूद रहे लेकिन कुमारी शैलजा नजर नहीं आईं। जिसके बाद कांग्रेस की सिरसा से सांसद कुमारी शैलजा की अनुपस्थिति को लेकर चर्चा शुरू हो गई। फिर चर्चा शुरू हुई कि कुमारी शैलजा को टिकट बंटवारे में भी नजरअंदाज किया गया। वहीं, उन्होंने चुनाव प्रचार से भी दूरी बनाए हुए हैं। इसी कड़ी में कुमारी शैलजा को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने बड़ा बयान दिया है। हरियाणा कांग्रेस में जारी बगावत के बीच मनोहर लाल खट्टर ने कुमारी शैलजा को बीजेपी में शामिल होने का ऑफर दिया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में इतनी कलह हो गई है कि वहां सीएम पद के लिए चेहरा स्पष्ट नहीं है। हमारी एक दलित बहन का अपमान हुआ है, उसको गालियां तक दी गई हैं। हमने बहुत नेताओं को अपने साथ मिलाया है, हम तो तयार हैं, उन्हें अपने साथ मिलाने के लिए, वो आएं। खट्टर ने कहा कि कांग्रेस में इतनी कलह हो गई है कि वहां सीएम पद के लिए चेहरा स्पष्ट नहीं है। बापू बेटे की लड़ाई भी शुरू हो गई है। बापू कहता है मैं बनूंगा, बेटा कहता है मैं बनूंगा। बापू बेटा के बाहर के जो नेता हैं, उनकी भी इच्छा है। इच्छा सबकी हो सकती है पर किसी और की इच्छा हो जाए तो उससे पार्टी को दिक्कत है. उसे अपमानित किया जाता है। वहीं, बीजेपी ने इसे दलित का अपमान बताया। आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने एक्स पर पोस्ट लिखी कि कांग्रेस ने हरियाणा चुनाव के लिए अपना घोषणापत्र लॉन्च किया। सभी बड़े नेता वहां मौजूद थे लेकिन कुमारी सैलजा को नहीं बुलाया गया। अमित मालवीय ने कहा कि भूपिन्दर हुड्डा प्रदेश की सबसे वरिष्ठ दलित महिला नेता को बुलाना कैसे भूल गए? उन्होंने आगे कहा कि उसी कार्यक्रम में हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष उदयभान का एक दलित महिला विधायक के साथ अभद्रता भी की। इसके बाद कांग्रेस का एक कार्यकर्ता शैलजा के खिलाफ कथित तौर पर आपत्तिजनक टिप्पणी करता दिखाई दे रहा है। जिसके बाद सियासत शुरू हो गई। बता दें कि हरियाणा में टिकटों के आवंटन से लेकर चुनाव घोषणापत्र जारी होने के दौरान कांग्रेस महासचिव सैलजा और रणदीप सिंह सुरजेवाला की अनदेखी से पार्टी में मतभेद ज्यादा गहरा गए हैं। कांग्रेस में 72 टिकट पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के समर्थकों को मिले हैं, जबकि चार मौजूदा विधायकों समेत करीब 10 टिकटों पर कुमारी सैलजा को संतोष करना पड़ा है। ऐसे में दोनों गुटों में असंतोष देखा जा रहा है। कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला के बेटे सहित उनके समर्थकों को सिर्फ दो टिकट मिले है। वहीं हाईकमान की पसंद से चार से छह टिकट दिए गए हैं। टिकटों के बंटवारे में यह भेदभाव और सम्मान नहीं मिलने से कुमारी सैलजा नाराज हैं। बुधवार को नई दिल्ली में कांग्रेस ने घोषणा पत्र भी जारी किया। इस बीच सैलजा और सुरजेवाला दोनों मंच पर कहीं नजर नहीं आए।