श्रीलंका में राष्ट्रपति चुनावः मालदीव-बांग्लादेश के बाद यहां भी चीन समर्थक नेता के आने के आसार
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श्रीलंका में राष्ट्रपति चुनाव के लिए शनिवार को मतदान प्रारंभ हो गया। साल 2022 के आर्थिक संकट के बाद श्रीलंका में यह पहला चुनाव है। देश भर में 13,400 से अधिक मतदान केंद्रों पर एक करोड़ 70 लाख लोग अपने मताधिकारों का इस्तेमाल करेंगे। मतदान सुबह 7 बजे शुरू हुआ जो शाम 5 बजे तक जारी रहेगा। चुनाव परिणाम रविवार तक घोषित किए जाने की संभावना है।
श्रीलंका में हो रहे चुनाव पर भारत समेत दुनियाभर की नजरें टिकी हैं। विश्लेषकों का मानना है कि 1982 के बाद से श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनावों के इतिहास में पहली बार त्रिकोणीय मुकाबला हो रहा है। श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव का रिजल्ट टॉप-3 कैंडिडेट की रैंकिंग के आधार पर तय होता है। अगर टॉप 3 में से किसी को पूर्ण बहुमत मिलता है तो उसे विजेता घोषित कर दिया जाता है। अगर ऐसा नहीं होता तो 3 उम्मीदवारों के बीच दूसरे दौर की वोटिंग होती है। श्रीलंका में अभी तक दूसरे दौर की वोटिंग नहीं हुई है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक इस बार दूसरे दौर की वोटिंग हो सकती है क्योंकि इस बार कई बड़े उम्मीदवार मैदान में हैं। मौजूदा राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे को नेशनल पीपुल्स पावर (एनपीपी) गठबंधन के नेता अनुरा कुमार दिसानायके, समागी जन बालावेगया(एसजेबी) के साजिथ प्रेमदासा और श्रीलंका पोडु पेरामुना पार्टी (एसएलपीपी) के नमल राजपक्षे टक्कर दे रहे हैं। साजिथ प्रेमदासा पूर्व राष्ट्रपति रणसिंघे प्रेमदासा के बेटे हैं। 1993 में रणसिंघे की हत्या कर दी गई थी। वहीं, नमल राजपक्षे पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के बेटे हैं। महिंदा राजपक्षे 2005 से लेकर 2015 तक श्रीलंका के राष्ट्रपति रह चुके हैं।
इस द्वीप राष्ट्र में 39 उम्मीदवार मैदान में हैं। मुख्य मुकाबला मौजूदा राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे, नेशनल पीपुल्स पांवर गठबंधन के उम्मीदवार अनुरा कुमार दिसानायके और एसजेबी नेता सजित प्रेमदासा के बीच है।निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरे विक्रमसिंघे और मुख्य विपक्षी नेता सजित प्रेमदासा का रुख आमतौर पर भारत समर्थक माना जाता है, जबकि चुनावी सर्वे में सबसे मजबूत स्थिति में नजर आ रहे दिसानायके चीन समर्थक हैं। वह भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग का वादा करके युवाओं के बीच काफी लोकप्रियता हासिल कर चुके हैं।
अनुरा दिसानायके के जीतने के आसार
सर्वे के मुताबिक इस बार अनुरा दिसानायके के चुनाव जीतने की संभावना सबसे ज्यादा है। विपक्षी नेता सजित प्रेमदासा सर्वे में दूसरे नंबर पर हैं। मौजूदा राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे उनसे भी पीछे तीसरे नंबर पर चल रहे हैं। इस रेस में पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के बेटे नमल राजपक्षे भी हैं। सर्वे में उनके जीतने की संभावना भी कम बताई गई है।
भारत विरोध के लिए जाने जाते थे अनुरा
बता दें कि अनुरा कुमारा दिसानायके वामपंथी पार्टी जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) के नेता हैं। वे एनपीपी गठबंधन से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार हैं। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक जेवीपी पार्टी भारत विरोध के लिए जानी जाती है। 1980 के दशक में भारत ने श्रीलंका में लिट्टे से निपटने के लिए पीस कीपिंग फोर्स को भेजने का फैसला लिया था। तब जेवीपी ने इसका विरोध किया था।
हाल के कुछ सालों में जेवीपी ने अपना भारत विरोधी रुख बदला है। हालांकि, अनुरा ने चुनाव से पहले भारतीय कंपनी अडानी के खिलाफ बयान देकर एक नया विवाद शुरू कर दिया है। जेवीपी नेता ने हाल में ही वादा किया है कि वे 21 सितंबर को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में जीत जाते हैं तो श्रीलंका में अडानी ग्रुप की पवन ऊर्जा परियोजना को रद्द कर देंगे। अनुरा का कहना है कि अडानी प्रोजक्ट श्रीलंका की ऊर्जा संप्रभुता के लिए खतरा है। अडानी ग्रुप ने इसी साल श्रीलंकाई सरकार से विंड पॉवर स्टेशन डेवलप करने को लेकर डील की है। इसके लिए कंपनी 442 मिलियन डॉलर (करीब 367 करोड़) निवेश करने वाली है।
भारत के लिए क्यों अहम है श्रीलंका?
किसी भी देश का उसके पड़ोसी देशों के साथ संबंध बहुत मायने रखता है। श्रीलंका भी भारत के लिए कितना महत्वपूर्ण है, इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि श्रीलंका भारत के जिस दक्षिणी स्थान के करीब स्थित है, उन इलाकों में भारत के परमाणु ऊर्जा संयंत्र, स्पेस रिसर्च सेंटर और नौसैनिक अड्डे जैसे प्रमुख प्रतिष्ठान हैं, लिहाजा श्रीलंका में किसी भी एंटी-इंडिया स्टैंड रखने वाली सरकार का आना, भारत के लिए मुसीबत खड़ी कर सकता है।





मुंबई के धारावी में मस्जिद के अवैध निर्माण पर एक्शन से पहले तनाव का माहौल है। बृह्मनमुंबई नगर निगम (बीएमसी) के अधिकारियों की एक टीम शनिवार सुबह धारावी पहुंची। यहां महबूब-ए-सुभानी मस्जिद के अवैध हिस्से को गिराया जाना था। खबर लगते ही मुस्लिम समाज समेत बस्ती के लोग इकट्ठा हो गए और टीम को रोक दिया।बाद में प्रदर्शनकारियों ने बीएमसी की दो गाड़ियों में तोड़-फोड़ कर दी। हालात संभालने के लिए बड़ी तादाद में पुलिस को तैनात किया गया है। मुंबई के धारावी में महबूबा-ए-सुभानी मस्जिद के अवैध स्ट्रक्चर पर कार्रवाई की जानी है। कार्रवाई के लिए आज सुबह ही बीएमसी के अधिकारी मौके पर पहुंच गए। बीएमसी की कार्रवाई को देखते हुए भारी संख्या में पुलिसबल को तैनात कर दिया गया। बीएमसी के एक्शन से पहले भारी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग भी मस्जिद के पास जमा हो गए। बता दें कि बीएमसी के अधिकारियों ने सबसे पहले धारावी पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट की थी, जिसके बाद दोनों समुदाय के लोगों की आपस में बातचीत भी हुई। इस बीच बीएमसी ने बातचीत के बाद आठ दिन का समय दिया है। इस आठ दिन के समय के बाद बीएमसी एक बार फिर से कार्रवाई कर सकती है। वहीं कांग्रेस सहित तमाम नेताओं ने सीएम से भी मामले में हस्तक्षेप की मांग की। इस बीच मिलिंद देवड़ा और कांग्रेस सांसद वर्षा गायकवाड़ ने सीएम एकनाथ शिंदे से मुलाकात की। दोनों नेताओं ने इस कार्रवाई पर सीएम से रोक लगाने की मांग की। दोनों नेताओं ने सीएम से लॉ एंड ऑर्डर पर बात की और सीएम से मामले में हस्तक्षेप करने की बात की। उन्होंने सीएम को बीएमसी को निर्देश देने की भी बात कही है। दोनों नेताओं ने सीएम से मुलाकात कर स्थिति पर चर्चा की। धारावी की जिस 90 फीट रोड पर यह मस्जिद बनी है, वह पुलिस स्टेशन महज 100 मीटर दूर है। रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि बीएमसी ने पिछले साल भी मस्जिद कमेटी को नोटिस भेजा था। लेकिन तब भी कोई हल नहीं निकला था।
हरियाणा में विधानसभा चुनाव को लेकर हलचल तेज है। वहीं, कांग्रेस का अंदरूनी कलह बढ़ता जा रहा है। लगातार कुमारी शैलजा की नाराजगी की खबर मिल रही है। दरअसल, कांग्रेस ने बीते बुधवार को अपना घोषण पत्र जारी किया। कांग्रेस के मेनिफेस्टो लांच में पार्टी के तमाम नेता मौजूद रहे लेकिन कुमारी शैलजा नजर नहीं आईं। जिसके बाद कांग्रेस की सिरसा से सांसद कुमारी शैलजा की अनुपस्थिति को लेकर चर्चा शुरू हो गई। फिर चर्चा शुरू हुई कि कुमारी शैलजा को टिकट बंटवारे में भी नजरअंदाज किया गया। वहीं, उन्होंने चुनाव प्रचार से भी दूरी बनाए हुए हैं। इसी कड़ी में कुमारी शैलजा को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने बड़ा बयान दिया है। हरियाणा कांग्रेस में जारी बगावत के बीच मनोहर लाल खट्टर ने कुमारी शैलजा को बीजेपी में शामिल होने का ऑफर दिया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में इतनी कलह हो गई है कि वहां सीएम पद के लिए चेहरा स्पष्ट नहीं है। हमारी एक दलित बहन का अपमान हुआ है, उसको गालियां तक दी गई हैं। हमने बहुत नेताओं को अपने साथ मिलाया है, हम तो तयार हैं, उन्हें अपने साथ मिलाने के लिए, वो आएं। खट्टर ने कहा कि कांग्रेस में इतनी कलह हो गई है कि वहां सीएम पद के लिए चेहरा स्पष्ट नहीं है। बापू बेटे की लड़ाई भी शुरू हो गई है। बापू कहता है मैं बनूंगा, बेटा कहता है मैं बनूंगा। बापू बेटा के बाहर के जो नेता हैं, उनकी भी इच्छा है। इच्छा सबकी हो सकती है पर किसी और की इच्छा हो जाए तो उससे पार्टी को दिक्कत है. उसे अपमानित किया जाता है। वहीं, बीजेपी ने इसे दलित का अपमान बताया। आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने एक्स पर पोस्ट लिखी कि कांग्रेस ने हरियाणा चुनाव के लिए अपना घोषणापत्र लॉन्च किया। सभी बड़े नेता वहां मौजूद थे लेकिन कुमारी सैलजा को नहीं बुलाया गया। अमित मालवीय ने कहा कि भूपिन्दर हुड्डा प्रदेश की सबसे वरिष्ठ दलित महिला नेता को बुलाना कैसे भूल गए? उन्होंने आगे कहा कि उसी कार्यक्रम में हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष उदयभान का एक दलित महिला विधायक के साथ अभद्रता भी की। इसके बाद कांग्रेस का एक कार्यकर्ता शैलजा के खिलाफ कथित तौर पर आपत्तिजनक टिप्पणी करता दिखाई दे रहा है। जिसके बाद सियासत शुरू हो गई। बता दें कि हरियाणा में टिकटों के आवंटन से लेकर चुनाव घोषणापत्र जारी होने के दौरान कांग्रेस महासचिव सैलजा और रणदीप सिंह सुरजेवाला की अनदेखी से पार्टी में मतभेद ज्यादा गहरा गए हैं। कांग्रेस में 72 टिकट पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के समर्थकों को मिले हैं, जबकि चार मौजूदा विधायकों समेत करीब 10 टिकटों पर कुमारी सैलजा को संतोष करना पड़ा है। ऐसे में दोनों गुटों में असंतोष देखा जा रहा है। कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला के बेटे सहित उनके समर्थकों को सिर्फ दो टिकट मिले है। वहीं हाईकमान की पसंद से चार से छह टिकट दिए गए हैं। टिकटों के बंटवारे में यह भेदभाव और सम्मान नहीं मिलने से कुमारी सैलजा नाराज हैं। बुधवार को नई दिल्ली में कांग्रेस ने घोषणा पत्र भी जारी किया। इस बीच सैलजा और सुरजेवाला दोनों मंच पर कहीं नजर नहीं आए।

दिल्ली के पीर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री रह चुके मनीष सिसोदिया हाल ही में ईडी के मामले में जेल से लौटे हैं। वहीं, हाल ही में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी जेल से बाहर आए हैं। विपक्ष के कई नेता केन्द्रीय जांच एजेंसी इनफोर्समेंट डायरेक्टरेट (ईडी) के निशाने पर है। ऐसे में पूरा विपक्ष केन्द्र की मोदी सरकार को हर बार इन संस्थाओं के दुरूपयोग का आरोप लगाकर कोसता है। हालांकि, इसी केन्द्रीय जांच एजेंसी की फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने सराहना की है। एफएटीएफ वैश्विक स्तर पर मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग को रोकने का काम करती है। इसने भारत की मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण रोधी प्रणाली की सराहना की है। एफएटीएफ ने गुरुवार को भारत पर अपनी बहुप्रतीक्षित पारस्परिक मूल्यांकन रिपोर्ट जारी की।इसने अपनी रिपोर्ट में इनफोर्समेंट डायरेक्टरेट (ईडी) की कार्रवाइयों की जमकर तारीफ की। ईडी ने 2018 से अक्टूबर 2023 के बीच 16,537 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की। एफएटीएफ की यह रिपोर्ट इसी अवधि की है। एफएटीएफ ने कहा कि देश की प्रणालियां 'प्रभावी' हैं, लेकिन इन मामलों में अभियोजन को मजबूत करने के लिए 'बड़े सुधारों' की आवश्यकता है। *भारत को 'रेगुलर फॉलोअप' कैटेगरी में रखा* यह रिपोर्ट पिछले वर्ष नवंबर में एफएटीएफ एक्सपर्ट्स के भारत दौरे के बाद आई है। इसने देश को 'रेगुलर फॉलोअप' कैटेगरी में रखा है। यह वह स्थान है जो केवल चार अन्य जी20 देशों को प्राप्त है। एफएटीएफ अनुशंसाओं के कार्यान्वयन के स्तर का आकलन करने के लिए एफएटीएफ प्रत्येक सदस्य की निरंतर समीक्षा करता है। इसके आधार पर रेटिंग दी जाती है। यह रेटिंग वित्तीय प्रणाली के आपराधिक दुरुपयोग को रोकने के लिए प्रत्येक देश की प्रणाली का गहन विवरण और विश्लेषण प्रदान करता है। 'रेगलुर फॉलोअप' रेटिंग एफएटीएफ की तरफ से दी जाने वाली सर्वोच्च रेटिंग श्रेणी है। भारत के अलावा, ब्रिटेन, फ्रांस और इटली ही ऐसे G-20 देश हैं जिन्हें इस श्रेणी में रखा गया है। *रेगुलर फॉलोअप रेटिंग के मायने?* एफएटीएफ के संदर्भ में 'रेगुलर फॉलोअप' रैंकिंग उन देशों को संदर्भित करती है, जो एफएटीएफ के मनीलॉन्ड्रिंग विरोधी (एएमएल) और आतंकवाद के वित्तपोषण का मुकाबला करने (सीएफटी) मानकों के साथ काफी हद तक अनुपालन करते पाए गए हैं। इस श्रेणी के देशों, जैसे भारत, में आम तौर पर मजबूत प्रणालिया हैं। हालांकि, अभी भी कुछ क्षेत्रों, जैसे प्रवर्तन या कुछ तकनीकी पहलुओं में कुछ सुधार करने की आवश्यकता हो सकती है। *क्यों मिली यह रेटिंग?* भारत ने एफएटीएफ की सिफारिशों के अनुरूप उच्च स्तर का तकनीकी अनुपालन हासिल किया है। साथ ही अवैध वित्त से निपटने के उपायों को लागू करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। भारत ने मनी लॉन्ड्रिंग निरोधक और आतंकवाद वित्तपोषण निरोधक (एएमएल/सीएफटी) ढांचा कार्यान्वित किया है। इससे 'अच्छे; परिणाम प्राप्त हो रहे हैं, जिसमें जोखिम को समझना, लाभकारी स्वामित्व संबंधी जानकारी तक पहुंच और अपराधियों को उनकी संपत्ति से वंचित करना शामिल है।रिपोर्ट में कहा गया है कि यह महत्वपूर्ण है कि देश अपनी प्रणाली में सुधार करना जारी रखे, क्योंकि इसकी अर्थव्यवस्था और वित्तीय प्रणाली निरंतर विकसित हो रही है। इसमें विशेष रूप से यह सुनिश्चित करना कि मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण के मुकदमे पूरे हो जाएं। अपराधियों पर उचित प्रतिबंध लगाए जाएं। *मनी लॉन्ड्रिंग का मुख्य स्रोत देश के भीतर की अवैध गतिविधियां* दरअसल, हमारे देश में मनीलॉन्ड्रिंग का सबसे बड़ा जोखिम धोखाधड़ी से संबंधित है। इसमें साइबर-सक्षम धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार और मादक पदार्थों की तस्करी शामिल है। भारत में मनी लॉन्ड्रिंग का मुख्य स्रोत देश के भीतर की अवैध गतिविधियों से उत्पन्न होता है। रिपोर्ट के अनुसार, इससे देश को विभिन्न प्रकार के आतंकवादी खतरों का सामना करना पड़ रहा है। इनमें सबसे प्रमुख खतरा आईएसआईएल (इस्लामिक स्टेट या आईएसआईएस) या अलकायदा से जुड़े समूहों से है, जो जम्मू-कश्मीर तथा उसके आसपास सक्रिय हैं। फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) एक अंतर सरकारी संगठन है जिसकी स्थापना 1989 में मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवादी वित्तपोषण और अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली की अखंडता के लिए अन्य खतरों से निपटने के लिए की गई थी। भारत 2010 में एफएटीएफ का सदस्य बना था।
Sep 22 2024, 09:29
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