बीकापुर में हल छठ व्रत पर पूजा अर्चना करती गांव की महिला
बीकापुर अयोध्या । मातृशक्तियों द्वारा रविवार को हलषष्ठी का धार्मिक व्रत धार्मिक श्रद्धा और विधि विधान से मनाया गया। पुत्र के दीघार्यु और स्वस्थ सुखी जीवन के लिए महिलाओं द्वारा हल छठी का व्रत रखकर निर्धारित स्थान पर महिलाओं की टोली के साथ विधि विधान से पूजा की अर्चना की गई। बीकापुर नगर पंचायत में प्रयागराज हाईवे के किनारे जमुना तालाब पर दर्जनों की संख्या में पहुंची महिलाओं द्वारा तालाब के घाटों पर पुत्र के दीघार्यु के लिए पूजा अर्चना किया। तथा मंगल कामना किया। बीकापुर तहसील क्षेत्र के खजुरहट, चौरे बाजार, शाहगंज, मोतीगंज, कोछा बाजार, रामपुर भगन, हैदरगंज, जाना बाजार उमरनी पिपरी, महावा, जलालपुर माफी सहित लगभग सभी गांवों और स्थान पर विशेष पूजन सामग्री महुआ का पत्ता, महुआ फूल, दही, तिन्नी का चावल, कुश आदि पूजन सामग्री के साथ तालाब, पोखर अथवा अन्य निर्धारित स्थान पर पूजा अर्चना की गई।
हल छठी का व्रत रखने वाली चंद्रावती, मिथिलेश, संगीता, सरिता, कुसुम, प्रीति, निशा, सरोज शुक्ला, साधना, विजयलक्ष्मी, आदि द्वारा बताया गया कि व्रत का इंतजार कई दिनों पहले से रहता है। जिसके लिए पूजन सामग्री एकत्र करके तैयारी की जाती है। सुख जीवन और पुत्र के दीघार्यु के लिए उन्होंने हल छठी का व्रत रखा है। हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को हल छठी का व्रत मात्र शक्तियों द्वारा रखा जाता है। इसे बलदेव छठ, ललही छठ, रांधण छठ, तिनछठी व चंदन छठ आदि नामों से भी जानते हैं। मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम जी का जन्म हुआ था।
जिसके चलते भगवान श्रीकृष्ण के साथ बलराम जी की पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है कि इस व्रत के पुण्य प्रभाव से संतान को लंबी आयु की प्राप्ति होती है। क्षेत्र के कटारी गांव निवासी बयोवृद्ध ज्योतिषाचार्य एवं कथा व्यास पंडित लल्लू तिवारी ने बताया कि हल छठी का व्रत माताएं संतान के सुखद जीवन व लंबी आयु के लिए रखती हैं। मान्यता है कि इस व्रत को प्रभाव से संतान को कष्टों से मुक्ति मिलती है। इस व्रत में हल द्वारा खेत में बोया-जोता हुआ अन्न या कोई फल खाने की मनाही होती है। गाय के दूध-दही भी नहीं खाना चाहिए। सिर्फ भैंस के दूध-दही, घी का सेवन व्रत के दौरान महिलाएं करती हैं।
Aug 26 2024, 20:27