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मनीष सिसोदिया राजघाट निकलने से पहले लिया बजरंगबली का आशीर्वाद


दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया शुक्रवार को 17 महीने बाद आखिरकार जेल से बाहर आ गए. उनके जेल से बाहर निकलने की खबर ने आम आदमी पार्टी कामें एक बार फिर से नया जोश भर दिया है. जेल से बाहर आते ही सिसोदिया सबसे पहले केजरीवाल के घर पहुंचे और उनके माता-पिता, पत्नी और बच्चों से मुलाकात की. सिसोदिया राजघाट के लिए निकल चुके हैं. इससे पहले उन्होंने बजरंगबली का आशीर्वाद लिया. 

राजघाट के लिए निकले मनीष सिसोदिया.

मनीष सिसोदिया राजघाट के लिए निकल चुके हैं. राजघाट में वह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की समाधि पर जाकर उनको पुष्प अर्पित करेंगे. इस दौरान उनके साथ आम आदमी पार्टी के कई अन्य नेता और कार्यकर्ता मौजूद रह सकते हैं.

केजरीवाल को भी मिलेगा बजरंगबली का आशीर्वाद'

मंदिर में पूजा करने के बाद मनीष सिसोदिया ने कहा, "भगवान बजरंग बली ने मुझे आशीर्वाद दिया है. अरविंद केजरीवाल पर भी बजरंग बली का विशेष आशीर्वाद है. आप देखिए कि उनको भी बजरंगबली का इसी तरह आशीर्वाद मिलेगा."

सरकारी अस्पताल में एक मरीज को इलाज के दौरान चढ़ाई एक्सपायर सलाइन

सरकारी सिस्टम की ऐसी लापरवाही किसी की भी जान ले सकती है. तेलंगाना के निजामाबाद जिले से एक ऐसा ही मामला सामने आया है. यहां अस्पताल में एक मरीज को इलाज के दौरान एक्सपायर सलाइन की बोतल दी गई.

निजामाबाद के कदेम मंडल के लिंगपुर गांव के निवासी अजरुद्दीन को बीमारी के कारण खानापुर सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. कथित तौर पर उन्हें एक्सपायरी सलाइन की बोतल दी गई थी. मरीज के परिजनों ने जांच की मांग की है. परिजनों ने अस्पताल प्रशानश के खिलाफ प्रदर्शन भी किया है और जिम्मेदारों पर कर्रवाई की मांग की है.

जब उसके भाई ने एक्सपायर्ड सलाइन को देखा, तो उसने तुरंत डॉक्टरों को सूचित किया. तब तक सलाइन खत्म चुकी बोतल को बदल दिया.

एक्सपायरी दवा के नुकसान

एक्सपायरी दवा से एलर्जी, शरीर के अंगों को नुकसान हो सकता है. एक्सपायरी डेट का मतलब ये होता है कि कई भी दवा किस तारीख तक पूरी तरह से असरदार और सुरक्षित है. साथ ही एक्सपायरी डेट ते बाद कंपनी दवा के सुरक्षा की गारंटी नहीं लेती है.

क्रीमी लेयर पर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को दिया जवाब, जानें क्या कहा था

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अनुसूचित जातियों (एससी) और अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के रिजर्वेशन को लेकर नरेंद्र मोदी कैबिनेट ने बड़ा फैसला लिया है।एससी-एसटी) को मिलने वाले आरक्षण के अंदर सब कोटा बनाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का केंद्र सरकार ने विरोध किया है। सरकार ने साफ-साफ लफ्जों में बता दिया है कि आरक्षण में क्रीमी लेयर को आई सुप्रीम कोर्ट की सिफारिश को लागू नहीं किया जाएगा।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में दिए गए एक फैसले में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग में उप वर्गीकरण और पिछड़ों में भी अति पिछड़ों के हक की बात कही और इसी आधार पर राज्यों को आरक्षण के कोटे में कोटा तय करने का सुझाव दिया। लेकिन कोटे में कोटे का यह मामला सियासी तौर पर इतना संवेदनशील है कि सरकार ने संविधान का हवाला देते हुए क्रीमी लेयर से किनारा कर लिया है।

इस मामले पर शुक्रवार शाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक हुई। कैबिनेट मीटिंग खत्म होने के बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में एससी/एसटी आरक्षण में क्रीमी लेयर का विरोध किया। उन्होंने भीम राव आंबेडकर के दिए संविधान का हवाला देते हुए कहा कि वहां एससी/एसटी आरक्षण में क्रीमी लेयर का कोई प्रावधान नहीं है। यहां क्रीमी लेयर का मतलब उन लोगों और परिवारों से है जो उच्च आय वर्ग में आते हैं।

मोदी सरकार के पीछे कोई राजनीतिक मजबूरी?

अश्विनी वैष्णव भले ही एससी/एसटी आरक्षण पर आंबेडकर के संविधान का हवाला दे रहे हैं, लेकिन सियासी जानकार इस विरोध के पीछे राजनीतिक मजबूरी को भी एक बड़ी वजह मान रहे हैं। दरअसल, सरकार में शामिल तेलगू देशम पार्टी, एनडीए का हिस्सा केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी के अलावा बीजेपी के कई सांसदों ने सुप्रीम कोर्ट के सुझाव का स्वागत किया है लेकिन पार्टी के ही करीब सौ एससी-एसटी सांसदों ने इसका विरोध किया है। ये सांसद पीएम मोदी से मिले और सुप्रीम कोर्ट के सुझाव लागू नहीं करने की मांग की। एनडीए में शामिल लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान भी कोर्ट के सुझाव से सहमत नहीं हैं।

क्या है सुप्मी कोर्ट का फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने एक अगस्त को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के कोटे में कोटा दिए जाने को मंजूरी दी थी। कोर्ट ने कहा था कि एसटी-एससी कैटेगरी के भीतर नई सब कैटेगरी बना सकते हैं और इसके तहत अति पिछड़े तबके को अलग से रिजर्वेशन दे सकते हैं। ये फैसला चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई में सात जजों की संविधान पीठ ने सुनाया था। इस बेंच में चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस बी आर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी, जस्टिस पंकज मिथल, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा शामिल थे। जस्टिस बेला त्रिवेदी ने बहुमत के फैसले से असहमति जताई थी. सुप्रीम कोर्ट की बेंच इस बात की जांच कर रही थी कि क्या ईवी चिन्नैया बनाम आंध्र प्रदेश राज्य मामले में 2004 के उसके फैसले पर पुनर्विचार की जरूरत है, जिसमें यह माना गया था कि अनुसूचित जातियां एक समरूप समूह हैं और इसलिए उनके बीच कोई सब कैटेगरी नहीं हो सकती है।

सुप्रीम कोर्ट ने 8 फरवरी 2024 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था और कहा था कि सब कैटेगरी की अनुमति न देने से ऐसी स्थिति पैदा होगी, जहां क्रीमी लेयर के लोग सभी लाभों को हड़प लेंगे। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट 2004 के उस फैसले की जांच कर रहा था, जिसमें पांच जजों की पीठ ने कहा था कि केवल राष्ट्रपति ही यह अधिसूचित कर सकते हैं कि संविधान के अनुच्छेद 341 के अनुसार कौन से समुदाय आरक्षण का लाभ प्राप्त कर सकते हैं और राज्यों के पास इसके साथ छेड़छाड़ करने का अधिकार नहीं है।

जिस महिला पर लगा था पुरुष होने का आरोप ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतकर रच दिया इतिहास

पेरिस ओलंपिक में अल्जीरिया की बॉक्सर इमान खेलीफ ने गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है.उन्होंने महिला बॉक्सिंग की वेल्टरवेट कैटगरी के फाइनल मुकाबले में चीन की बॉक्सर और 2023 की वर्ल्ड चैंपियन यांग लियू को एकतरफा मुकाबले में 5-0 से हरा दिया. इमान खेलीफ गोल्ड मेडल जीतने वाली अल्जीरिया की पहली महिला बॉक्सर हैं. उनके अलावा केवल होसीन सोलटानी ने पुरुष कैटेगरी में अल्जीरिया के लिए गोल्ड मेडल जीता है. ये अल्जीरिया के ओलंपिक इतिहास का 7वां गोल्ड मेडल है.प्री क्वार्टर फाइनल मुकाबले में इटली की बॉक्सर एंजेला कारिनी को हराने के बाद खेलीफ पर पुरुष होने के आरोप लगाए गए थे. उनका जमकर विरोध हुआ था. यहां तक की उन्हें डिस्क्वालिफाई करने की मांग होने लगी थी.

मुश्किल था पेरिस ओलंपिक का सफर

इमान खेलीफ के लिए पेरिस ओलंपिक का सफर बेहद मुश्किल भरा रहा है. उनके लिए गोल्ड मेडल जीतना इतना आसान नहीं था. पूरे ओलंपिक के दौरान उन्हें पुरुष बताकर जमकर ट्रोल किया गया. उनका खूब विरोध हुआ, यहां तक उन्हें डिस्क्वालिफाई करके बाहर निकाले जाने की भी मांग हुई. इन सभी चीजों को सहते हुए खेलीफ अपने मुकाबलों पर ध्यान देती रहीं. हालांकि, फाइनल में उन्हें खूब समर्थन मिलते देखा गया. बाउट के दौरान कई फैंस उनके नाम के नारे लगाकर चीयर कर रहे थे.

खेलीफ ने जीत के बाद हवा में पंच मारा और अल्जीरिया के झंडे के साथ विक्ट्री लैप लगाते हुए सभी को उनके समर्थन के लिए धन्यवाद कहा. इस दौरान वो काफी इमोशनल दिखीं. खेलीफ ने कहा कि ओलंपिक चैंपियन बनना उनका 8 सालों कासपना था, जो पूरा हो चुका है. इतना ही नहीं अपने ऊपर हुए हमलों और नफरतों को लेकर भी उन्होंने बात की. उन्होंने कहा कि उन्हें लेकर हुए विरोध ने इस जीत को स्पेशल बना दिया है. खेलीफ ने भविष्य में इस तरह के हमले नहीं होने की उम्मीद जताई.

कबाड़ बेचकर बनीं बॉक्सर

इमान खेलीफ के लिए बॉक्सिंग का सफर संघर्षों से भरा रहा है. खेलीफ का जन्म 1999 में अल्जीरिया के तियरेत में हुआ. 25 साल की बॉक्सर को शुरुआती दौर में फुटबॉल खेलने का शौक था, लेकिन बाद में उन्होंने बॉक्सिंग को करियर बनाने का फैसला किया. खेलीफ ने जब बॉक्सिंग की शुरुआत की थी, तब ट्रेनिंग के लिए उन्हें बस के जरिए दूसरे गांव में जाना पड़ता था. उस वक्त खेलीफ बहुत गरीब थीं और बस से यात्रा करने के लिए उनके पास पैसे नहीं होते थे. इसलिए वो कबाड़ बेचकर अपने लिए पैसे का इंतजाम करती थीं. इतना ही नहीं उनके पिता को लड़कियों का बॉक्सिंग करना बिल्कुल पसंद नहीं था. फिर भी खेलीफ ने हार नहीं मानी और सारी परेशानियों के बीच अपने खेल को जारी रखा.

2023 से चल रहा पुरुष होने का विवाद

इमान खेलीफ ने 19 साल की उम्र में 2018 AIBA महिला वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में डेब्यू किया था. 2019 के वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में वो पहले राउंड में हारकर बाहर हो गईं. वहीं 2020 के टोक्यो ओलंपिक में क्वार्टर फाइनल मुकाबले में हार का सामना करना पड़ा.

इसके बाद साल 2023 में खेलीफ वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप के फाइनल तक पहुंचीं. हालांकि, गोल्ड मेडल मैच से पहले इंटरनेशनल बॉक्सिंग एसोसिएशन (IBA) ने उन्हें डिसक्वालिफाई कर दिया. IBA ने डिसक्वालिफाई करने के पीछे खेलीफ के शरीर में बहुत ज्यादा मात्रा में टेस्टोसटेरोन होने का हवाला दिया था.

बाद में IBA के अध्यक्ष ने यह भी खुलासा किया था कि DNA टेस्ट के दौरान खेलीफ के शरीर में X,Y क्रोमोजोम्स पाए गए थे, जो पुरुषों में होते हैं. हालांकि, एसोसिएशन का टेस्ट भी विवादों में आ गया था. वहीं खेलीफ ने IBA के फैसले को एक बड़ी साजिश भी बताया था. पेरिस ओलंपिक में इटली के खिलाफ क्वार्टर फाइनल हुए मुकाबले के बाद वो एक बार फिर विवादों में आ गईं. इस मुकाबले में उनकी विरोधी एंजेला कारिनी ने 46 सेकेंड के बाद ही खुद को मुकाबले से बाहर कर लिया था. इसके बाद खेलीफ पर पुरुष होने के आरोप लगाए गए थे. इसके बाद खेलीफ को पूरी दुनिया से नफरतों का सामना करना पड़ा. फिर भी वो हार नहीं मानी और चैंपियन बनने का सपना देखती रहीं और अब उन्होंने गोल्ड मेडल जीत लिया है.

रफीगंज पुलिस ने नीमा चतुर्भुज के समीप से भारी मात्रा में देशी महुआ शराब के साथ एक हीरो बाइक किया जब्त, तस्कर फरार
रफीगंज औरंगाबाद: रफीगंज पुलिस ने गुरुवार की संध्या भारी मात्रा में देसी महुआ शराब को बरामद करते हुए एक हीरो बाइक को नीमा चतुर्भुज गांव के समीप से जप्त किया है। वही शराब धंधेबाज भागने में सफल हो गया। जानकारी के अनुसार पुलिस को गुप्त सूचना मिली कि एक शराब तस्कर भारी मात्रा में शराब को लेकर कासमा की ओर से रफीगंज की ओर आ रहा है। पुलिस ने एस आई विनोद कुमार के नेतृत्व में टीम गठित कर नीमा चतुर्भुज गांव के समीप वाहन चेकिंग अभियान चलाए जाने लगा। कुछ देर बाद एक काला रंग के हीरो बाइक पर एक व्यक्ति आ रहा था जो पुलिस को देखकर बाइक मोड कर भागने लगा। पुलिस बल द्वारा पीछा किया गया तो वह बाइक छोड़कर गांव के खेत होते हुए झाड़ी की ओर भाग गया। पुलिस ने विधिवत तलाशी ली तो बाइक पर पांच-पांच लीटर के 10 पॉलिथीन में कुल 50 लीटर देसी महुआ शराब बरामद करते हुए बाइक को जप्त कर पुलिस अग्रिम कार्रवाई में जुट गई।एसडीपीओ सदर2 अमित कुमार ने बताया गुप्ता सूचना के आधार पर कार्रवाई की गयी है।जिसमें शराब एवं बाइक पकड़ा गया है। सवार फरार होने में सफल हो गया।प्राथमिकी दर्ज कर फ्लावर आरोपी को पकड़ने के लिए छापामारी अभियान चलाया जा रहा है।
इन तीन उद्देश्य को लेकर ऑपरेशन सिपाही रक्षा सूत्र संकलन कार्यक्रम के तहत 9 लाख राखियों के साथ औरंगाबाद पहुंचा सेवानिवृत फौजियों का एक दल

* औरंगाबाद : तिरंगा, सिपाही और मेरा देश उद्देश्य को लेकर ऑपरेशन सिपाही रक्षा सूत्र संकलन कार्यक्रम के तहत छत्तीसगढ़ से सेवानिवृत फौजियों की एक टीम 9 लाख राखियों के साथ आज शुक्रवार को औरंगाबाद के क्षत्रिय नगर स्थित सनसिक्युरिटी एजेंसी के कार्यालय पहुंची। जहां एजेंसी के संचालक मनोज कुमार सिंह एवं सेवानिवृत फौजियों ने उनका जमकर स्वागत किया और इस कार्यक्रम की सराहना की। रक्षा सूत्र संकलन अभियान का नेतृत्व कर रहे छत्तीसगढ़ से यहां पहुंचे सेवानिवृत फौजी महेंद्र प्रताप सिंह राणा ने बताया कि रक्षा बंधन के दिन सेना के जवानों के मोरल बढ़ाने और सैनिकों के प्रति देश की बहनों की भावनाओं को एक सूत्र में जोड़ने के लिए यह कार्यक्रम चलाया गया है। इस कार्यक्रम के तहत छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों से 9 लाख राखियों को संग्रहित कर औरंगाबाद आया और यहां से भी पांच सौ राखियां प्राप्त हुई। सभी राखियां लेकर टीम औरंगाबाद से पटना, बलिया, अयोध्या, लखनऊ, आगरा, मथुरा होते हुए सेना मुख्यालय नई दिल्ली पहुंचेगी और वहां से राखियों को देश के अलग अलग हिस्से में तैनात इंडियन आर्मी, एयर फोर्स, नेवी एवं पैरामिलिट्री फोर्स के जवानों को भेजी जाएगी ताकि रक्षाबंधन के दिन किसी भी सैनिक को बहन की कमी महसूस न हो और उन्हे यह एहसास हो कि पूरे देश में उनकी बहन है और उनके रक्षा की कामना कर रही हैं। इस कार्यक्रम में तेजनारायण सिंह, उपेन्द्र सिंह, कारू सिंह, अभिषेक सिंह, अनिल सिंह, भूत पूर्व सैनिक देवबली सिंह, सुरेंद्र जी, मुन्ना सिंह, अक्षय सिंह,सुरेंद्र मनोज सिंह सहित इत्यादि मौजूद रहे। औरंगाबाद से धीरेन्द्र
एन.एच 139 के चार लेन सड़क निर्माण कार्य हेतु केन्द्र के प्रस्तावित मामले को लेकर जिलाधिकारी से मिले पूर्व सांसद सुशील सिंह

औरंगाबाद : पूर्व सांसद सह भाजपा नेता सुशील कुमार सिंह ने पटना अरवल एवं औरंगाबाद के जिला पदाधिकारी से वार्ता कर कहा कि एन.एच 139 (पुराना एन.एच.-98) नौबतपुर से हरिहरगंज भाया विक्रम कनपा महाबलीपुर-अरवल-कलेर मेहन्दिया,ओबरा,औरंगाबाद,अम्बा,को चार लेन सड़क निर्माण कार्य हेतु सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय भारत सरकार नई दिल्ली द्वारा प्रस्तावित किया गया है। जिसका विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन तैयार करने संबंधित कार्य डी.पी.आर के द्वारा संपादित कराया जा रहा है। 

अवलोकनिया है कि उच्च प्रस्तावित सड़क चौड़ीकरण कार्य से संबंधित सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय नई दिल्ली के समक्ष दिनांक 28.6.2024 को मार्ग रेखन से संबंधित रखे गए प्रस्ताव पर सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय नई दिल्ली द्वारा दिशा निर्देश दिया गया है कि प्रस्तावित सरेखन पर भविष्य में किसी भी प्रतिरोध से बचने के लिए प्रस्तावित मार्ग रेखन पर जनप्रतिनिधि से सार्वजनिक परामर्श प्राप्त कर लिया जाए।

पटना,अरवल एवं औरंगाबाद के जिला पदाधिकारी ने पूर्व सांसद के अनुरोध पर अग्रतर कार्रवाई करने का शीघ्र से शीघ्र आश्वासन दिया पूर्व सांसद ने कहा कि इस सड़क को फोरलेन बन जाने से आम जनता को राजधानी पटना आना-जाना सुगम हो जाएगा।

बताते चले कि पूर्व सांसद ने लोकसभा में कई बार इस सड़क को फोरलेन बनाने के लिए आवाज उठाया है और संबंधित मंत्रालय के मंत्री से लगातार संपर्क किया है। पत्र लिखा तब जाकर यह काम धरातल पर नजर आ रहा है और यह सड़क पूर्ण होने के कगार पर है।

औरंगाबाद से धीरेन्द्र

शर्मनाक : बिहार में रेल पुलिस ने पोस्टमार्टम कराकर दो शवों को सोन नदी में दिया फेंक*

रोहतास : बिहार में पोस्टमार्टम के बाद अज्ञात शवों की दुर्गति की जाती है। उन्हें डिस्पोजल नहीं किया जाता बल्कि उसे कुत्तों को खाने के लिए फेंक दिया जाता है। मानवता को शर्मसार करने वाली यह खबर रोहतास जिले से सामने आई है। दरअसल बिहार के रोहतास में सोन नदी में एक साथ दो शवों की बरामदगी होने से सनसनी फैल गई। शवों के मिलने के बाद कुछ लोग इसे हत्या तो कुछ आत्महत्या करार दे रहे थे। वहीं पुलिस भी परेशान रही कि आखिर डेड बॉडी आई कहां से? किसी ने हत्या कर फेंक दिया या फिर किसी थाना क्षेत्र से अपराधियों ने वारदात के बाद बॉडी को सोन या नहर में फेंक दिया? जिसके बाद बह कर शव यहां पिलर में आ फंसा। *रोहतास में पोस्टमॉर्टम के बाद दो शवों को पानी में फेंका* बता दें कि डालमियानगर इलाके के मकराईन के नजदीक सोन पुल के पाया नं. 87 के पास एक प्लास्टिक में लिपटा हुआ एक साथ दो शव पानी में पड़ा मिला। सुबह-सुबह जब स्थानीय लोगों ने देखा तो इसकी सूचना डायल 112 को दी। जिसके बाद डेहरी नगर, डालमियानगर व रेल पुलिस भी मौके पर पहुंची। किसी तरह स्थानीय लोगों की मदद से शव को पानी से निकाला गया। *मौके पर पहुंचे एएसपी शुभांक मिश्रा, FSL की टीम भी कर रही है जांच* वहीं मौके पहुंचे एएसपी शुभांक मिश्रा ने बताया कि जानकारी मिलने के बाद तुरंत डेहरी नगर थानाध्यक्ष शिवेंद्र कुमार व डालमियानगर थानाध्यक्ष खुशी राज को मौके पर भेजा गया। जहां से शव को किसी तरह से निकाल कर बाहर लाया गया और उसकी जांच की गई। प्रथम दृष्टया में पता चला कि यह दोनों शवों का पोस्टमार्टम किया हुआ है। अभी तक जो जानकारी सामने आई है उसमें एक शव भिखारी का है दूसरा शव ट्रैक पर रन ओवर के बाद मिला था। संभवतः दोनों शव यही हो। मामले की जांच की जा रही है। अभी तक पहचान नहीं हो पाई है। मामले में यूडी केस दर्ज कर आगे की कार्रवाई की जाएगी। *लोगों में है गुस्सा* स्थानीय लोगों का कहना था कि, बिना सामाजिक प्रक्रिया अपनाए हुए दोनों शवों को पानी में फेंक दिया गया। कहते हैं कि बड़े भाग्य के बाद मनुष्य का तन मिलता है लेकिन जिस तरह से पुलिस ने इन लावारिस शवों की दुर्गति की है, यह मानवता को मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ा है। धीरेन्द्र की रिपोर्ट
औरंगाबाद में वज्रपात की चपेट में आकर किसान की मौत, खेत में काम करने के दौरान हुआ हादसा
औरंगाबाद : जिले में वज्रपात की चपेट में आने से एक किसान की मौत हो गई।

प्राप्त जानकारी के अनुसार किसान मंगलवार की दोपहर में गांव से सटे अपने अपने खेत में काम करने गया था। इसी दौरान अचानक बारिश शुरू हो गई और तेज आवाज के साथ वज्रपात हुई जिसके चपेट में किसान आ गया। जिससे उसकी जान चली गई।

खेत में धान की फसल देखने गया था

मृतक किसान की पहचान माली थाना क्षेत्र के बसौरा गांव निवासी  40 वर्षीय केदार यादव के रूप में की गई है।

बताया जा रहा गांव के सभी लोग दोपहर में गांव से सटे अपने अपने खेत की तरफ धान रोपने के लिए काम करने गए हुए थे। केदार भी उनलोगों से कुछ दूरी पर स्थित खेत में  कुदाल चला रहे थे । इसी दौरान अचानक बारिश शुरू हो गई और तेज आवाज के साथ वज्रपात हुई जिसके चपेट में आकर केदार गंभीर रूप से झुलस गए।

लोगों ने आपदा राहत कोष से मुआवजा दिलाने की मांग

आस पास रहे किसानों ने इसकी सूचना उनके बेटा विनय को दी और इलाज के लिए सदर अस्पताल लाया। लेकिन डॉक्टर ने देखते ही केदार को मृत घोषित कर दिया। चिकित्सक की बात सुनकर परिजन का रो रोकर बुरा हाल हो गया।

केदार की मौत के बाद इसकी सूचना नगर थाना पुलिस को दी गई। सूचना मिलने पर नगर थाना पुलिस शव के पोस्टमार्टम की कार्रवाई में जुट गई।

इधर, मृतक किसान के साथ आए ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से मुख्यमंत्री आपदा राहत कोष से
मुआवजा दिलाने की मांग की है।

औरंगाबाद से धीरेन्द्र
औरंगाबाद जिले में इस पुल की स्थिति जर्जर, जान जोखिम में डालकर लोग इससे गुजरने को मजबूर

औरंगाबाद :  जिले के ओबरा प्रखंड के खरांटी के पास स्थित एनएच-139 के ऊपर बने पुनपुन नदी पुल कभी भी किसी बड़े दुर्घटना का कारण बन सकता है। इसका डर इस मार्ग पर आवागमन करने वाले राहगीरों और वाहन चालकों को लगा रहता है।

सड़क दुर्घटना रोकथाम फाउंडेशन चैरिटेबल ट्रस्ट के सदस्य पुष्कर अग्रवाल, सहजानन्द डिक्कू, रॉकी दूबे, मुकेश कुमार, गुड्डू सिंह, चंदन सिंह, आनंद विश्वकर्मा, नवलेश मिश्रा सहित अन्य ने पुल की मरम्मती की मांग करते हुए कहा कि पुल की स्थिति बहुत ही खराब है कभी भी कुछ भी हो सकता है।

बताया कि आज से लगभग एक वर्ष पहले भी पुल पर एक बड़ा गड्डा उभर आया था जिसके कारण 10-12 घंटे तक वाहनों का परिचालन बंद करा दिया गया था। पुनः संबंधित अधिकारियों द्वारा मरम्मत कर वाहनों का परिचालन शुरू किया गया था।

लोगों ने भी बताया कि जब बड़े वाहन आते हैं तो डर सा लगता है। बारिश का समय है, अभी तो कुछ भी हो सकता है। इस पुल से हम लोग प्रतिदिन आते जाते हैं डर सा लगा रहता है कि यहां भी कुछ हो न जाए।

औरंगाबाद से धीरेन्द्र