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'आपके भाई के घर में आग लगी है और आप..', हिंसा पर बोले नोबल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस, कहा, बांग्लादेश सरकार की आलोचना करे भारत





बांग्लादेश में स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों के लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण समाप्त करने की मांग को लेकर छात्रों का विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया है। पिछले रविवार को प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग कर रहे प्रदर्शनकारी छात्रों और सरकार समर्थकों के बीच हिंसक झड़पों में कम से कम 100 लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों लोग घायल हो गए। नोबेल पुरस्कार विजेता और बांग्लादेशी अर्थशास्त्री मोहम्मद यूनुस ने स्थिति पर अपनी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने विरोध प्रदर्शनों पर भारत की प्रतिक्रिया की भी आलोचना की है और चेतावनी दी है कि बांग्लादेश में अशांति पड़ोसी देशों तक फैल सकती है।

पिछले महीने भारत ने बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शनों पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इसे बांग्लादेश का घरेलू मुद्दा बताया और साप्ताहिक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कोई भी बयान देने से परहेज किया। यूनुस ने अब भारत के रुख पर अपनी निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि इस मुद्दे को घरेलू मामले के रूप में देखना निराशाजनक है। उन्होंने तर्क दिया कि अगर आपके भाई के घर में आग लगी है, तो इसे केवल उनका आंतरिक मुद्दा मानकर खारिज नहीं किया जा सकता। यूनुस ने इस बात पर जोर दिया कि 170 मिलियन की आबादी वाले बांग्लादेश में संघर्ष में काफी हिंसा और बिगड़ती कानून व्यवस्था शामिल है, और इसका निश्चित रूप से पड़ोसी देशों पर असर पड़ेगा। हालाँकि, गौर करने वाली बात ये भी है कि, बांग्लादेश में अक्सर अल्पसंख्यक हिन्दुओं को निशाना बनाए जाने की खबरें आती रहती हैं, लेकिन उन पर नोबल प्राइज विजेता मोहम्मद यूनुस की प्रतिक्रिया देखने को नहीं मिलती। आज जब बांग्लादेश सरकार कह रही है कि, पाकिस्तानी साजिश से उनके देश में हिंसा भड़काई जा रही है और वो उसे रोकने का प्रयास कर रही है, तो यूनुस कह रहे हैं कि, भारत शेख हसीना सरकार की आलोचना करे। 


बता दें कि, यूनुस हसीना सरकार के मुखर आलोचक रहे हैं। शेख हसीना ने यूनुस पर गरीबों का शोषण करने का आरोप लगाया है, और वर्तमान में उन पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं, जिनके बारे में उनके समर्थकों का दावा है कि वे राजनीति से प्रेरित हैं। यूनुस ने भारत से बांग्लादेश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया का समर्थन करने और चुनावों में पारदर्शिता की कमी के लिए बांग्लादेशी सरकार की आलोचना करने का आग्रह किया। उन्होंने भारत की सफल चुनावी प्रक्रिया की प्रशंसा की और बांग्लादेश में लोकतांत्रिक उद्देश्यों के लिए भारत के समर्थन की कमी पर दुख व्यक्त किया। यूनुस ने इन मुद्दों पर भारत सरकार के साथ चर्चा करने की योजना बनाई है।

बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन पिछले महीने शुरू हुए, जो सरकारी नौकरियों में 1971 के स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों के लिए 30 प्रतिशत आरक्षण कोटा समाप्त करने की मांग पर केंद्रित थे। हिंसा के जवाब में न्यायालय द्वारा आरक्षण सीमा कम करने के बावजूद, छात्र पुलिस की बर्बरता और सरकार की असंवेदनशीलता को लेकर लगातार आक्रोशित होते गए, और अंततः प्रधानमंत्री हसीना के इस्तीफे की मांग करने लगे।

विरोध प्रदर्शनों के जवाब में, बांग्लादेशी सरकार ने इंटरनेट बंद कर दिया है। चल रहे विरोध प्रदर्शन प्रधानमंत्री हसीना के 20 साल के कार्यकाल के लिए सबसे बड़ी चुनौती हैं। आलोचकों और मानवाधिकार समूहों ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ अत्यधिक बल प्रयोग करने के लिए हसीना सरकार की निंदा की है, हालांकि सरकार इन आरोपों से इनकार करती है।

बांग्लादेश में हिंसा को देखते हुए भारत सरकार ने अपने नागरिकों के लिए एक सलाह जारी की है, जिसमें उन्हें पड़ोसी देश की यात्रा करने से बचने की सलाह दी गई है। सलाह में वर्तमान में बांग्लादेश में मौजूद भारतीयों से अत्यधिक सावधानी बरतने, घर के अंदर रहने और आपातकालीन फोन नंबरों के माध्यम से ढाका में भारतीय उच्चायोग से संपर्क बनाए रखने का भी आग्रह किया गया है।
गरीबों के इलाज वाली आयुष्मान योजना में भी घोटाला, बनाए फर्जी कार्ड ! दिल्ली, पंजाब और हिमाचल के 20 ठिकानों पर ED की रेड



केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने फर्जी आयुष्मान भारत एबी-पीएमजेएवाई आईडी कार्ड बनाने के मामले में दबिश दी है। कई अस्पतालों द्वारा योजना के उल्लंघन के मामलों के संबंध में दिल्ली, चंडीगढ़, पंजाब और हिमाचल प्रदेश में 20 स्थानों पर छापेमारी की है। ये तलाशी अभियान धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 के तहत किए गए। हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा, ऊना, शिमला, मंडी और कुल्लू जिलों में भी छानबीन की गई।


ईडी की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, तलाशी के दौरान कई अस्पतालों और प्रमुख प्रबंधन कर्मियों को निशाना बनाया गया, जिनमें श्री बांके बिहारी अस्पताल, फोर्टिस अस्पताल हिमाचल हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड, सिटी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, श्री बालाजी अस्पताल, श्री हरिहर अस्पताल, सूद नर्सिंग होम, नीलकंठ अस्पताल और डॉ. विजेंद्र मिन्हास, रघुबीर सिंह बाली, डॉ. प्रदीप मक्कड़, डॉ. राजेश शर्मा, मनीष भाटिया, डॉ. मनोज सूद और डॉ. हेमंत कुमार शामिल हैं। ईडी की जांच में पता चला कि इन अस्पतालों ने 373 फर्जी आयुष्मान कार्डों के जरिए करीब 40.68 लाख रुपये का दावा किया था। फर्जी लाभार्थियों में रजनीश कुमार और पूजा धीमान शामिल थे, जिन्होंने सत्यापन के बाद ऐसे किसी भी कार्ड या इलाज के बारे में जानकारी से इनकार किया। इसके अलावा, जांच में पाया गया कि अस्पतालों ने उन उपचारों और सर्जरियों के लिए दावे किए जो वास्तव में रोगियों को कभी प्रदान नहीं किए गए थे। इस मामले में लगभग 25 करोड़ रुपये की आपराधिक आय का पता चला है और 8,937 आयुष्मान भारत गोल्डन कार्ड रद्द किए जा चुके हैं।

ईडी की तलाशी में लगभग 88 लाख रुपये की नकदी, चार बैंक लॉकर और 140 संबंधित बैंक खाते मिले। इसके अतिरिक्त, तलाशी में अचल और चल संपत्तियां, खातों की किताबें और 16 डिजिटल डिवाइस जब्त किए गए, जिनमें एबी-पीएमजेएवाई, हिमकेयर और अन्य स्वास्थ्य योजनाओं से संबंधित दावों और दस्तावेजों की जानकारी थी। जब्त किए गए दस्तावेजों से 23,000 मरीजों के लिए 21 करोड़ रुपये के संदिग्ध लेनदेन का पता चला और गंभीर विसंगतियां भी सामने आईं, जिसमें मरीजों के नाम पर दावों से संबंधित कई फाइलें गायब पाई गईं।
वाल्मीकि और MUDA घोटाले पर कर्नाटक में गवर्नर ने मुख्यमंत्री से मांगा जवाब, कांग्रेस बोली- ये हमारी सरकार गिराने की साजिश



कांग्रेस ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया का समर्थन करते हुए कहा है कि वह राज्य सरकार को अस्थिर करने के प्रयासों के खिलाफ एकजुट होकर लड़ेगी। सीएम सिद्धरमैया वर्तमान में मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) और वाल्मीकि निगम घोटालों को लेकर विपक्ष के निशाने पर हैं। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने मंत्रियों के साथ एक बैठक में कहा कि सिद्धरमैया की ईमानदारी सर्वविदित है और वह लोगों को सच्चाई बताएंगे। बैठक में कर्नाटक प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला, मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार भी शामिल थे।


यह बैठक तब हुई जब राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने मुख्यमंत्री सिद्धरमैया को एक कारण बताओ नोटिस जारी किया। वेणुगोपाल ने कहा कि पिछली कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार को बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व की साजिश का शिकार होना पड़ा था और अब फिर से वे इसी तरह की साजिश रच रहे हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने गरीबों की चिंताओं को दूर करने के लिए कर्नाटक में गारंटी योजनाएं शुरू की हैं, जिससे सिद्धरमैया का कद बढ़ा है।

कांग्रेस महासचिव ने बीजेपी-जेडीएस पर सरकार को अस्थिर करने की साजिश का आरोप लगाया और कहा कि मुख्यमंत्री और कांग्रेस सरकार की गारंटी योजनाओं के कारण बीजेपी-जेडीएस को राजनीतिक नुकसान होगा। बीजेपी-जेडीएस ने एमयूडीए द्वारा जमीन खोने वालों को कथित धोखाधड़ी से भूखंड आवंटित करने के खिलाफ ‘मैसूर चलो’ पदयात्रा शुरू की है और मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग की है। राज्यपाल ने 26 जुलाई को अधिवक्ता-कार्यकर्ता टीजे अब्राहम की याचिका पर मुख्यमंत्री को कारण बताओ नोटिस जारी किया था, जिसे कर्नाटक सरकार ने संवैधानिक पद का दुरुपयोग बताते हुए वापस लेने की सलाह दी है।
असम में TATA का सेमीकंडक्टर प्लांट, 26000 लोगों को मिलेगा रोज़गार, समूह के चेयरमैन ने बताया देश के लिए इसका महत्व


टाटा समूह के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने असम के मोरीगांव में टाटा की नई सेमीकंडक्टर इकाई के लिए भूमि पूजन समारोह के दौरान सेमीकंडक्टर उद्योग के महत्व पर जोर देते हुए इसे भविष्य के लिए आधारभूत उद्योग बताया। यह इकाई 27,000 करोड़ रुपये के निवेश से स्थापित की जाएगी। चंद्रशेखरन ने भरोसा जताया कि 2025 तक कुछ सुविधाएं पूरी हो जाएंगी और उसके तुरंत बाद परिचालन शुरू हो जाएगा। इस समारोह में असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा भी शामिल हुए, जिन्होंने चंद्रशेखरन के साथ मिलकर 'भूमि पूजन' किया। इस इकाई से 15,000 प्रत्यक्ष और 11,000 से 13,000 अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होने की उम्मीद है।


चंद्रशेखरन ने मीडिया से कहा, "सेमीकंडक्टर उद्योग हमारे भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है। चिप्स हमारे दैनिक जीवन के हर पहलू का अभिन्न अंग होंगे, इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोबाइल से लेकर मोबाइल प्रौद्योगिकी, रक्षा और स्वास्थ्य सेवा तक। कृत्रिम बुद्धिमत्ता को तेजी से अपनाए जाने के साथ, चिप्स की मांग में वृद्धि ही होगी।" उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कई देश इस क्षेत्र में प्रवेश करने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन केवल कुछ ही देशों के पास यह क्षमता है। उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत ने एक साहसिक कदम उठाया है और टाटा समूह को इस पहल का हिस्सा बनने पर गर्व है। हम तमिलनाडु, कर्नाटक और अब असम में उन्नत सेमीकंडक्टर असेंबली और परीक्षण सुविधा के साथ संपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक्स मूल्य श्रृंखला का निर्माण कर रहे हैं। हम गुजरात के वलेरा में एक फैब और एक डिज़ाइन हाउस भी स्थापित कर रहे हैं।"

चंद्रशेखरन ने कहा कि असम में यह सुविधा सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम बनाने में मदद करेगी। उन्होंने कहा, "पूरी क्षमता पर, यह 27,000 लोगों को रोजगार देगा, जिसमें 15,000 प्रत्यक्ष नौकरियां और 12,000 अप्रत्यक्ष नौकरियां शामिल हैं। इसके अलावा, यह विभिन्न घटकों का उत्पादन करने वाली कंपनियों को आकर्षित करेगा, जिससे एक संपन्न इलेक्ट्रॉनिक्स हब बनेगा।" उन्होंने 2025 तक सुविधाओं के एक हिस्से के पूरा होने और परिचालन शुरू होने का अनुमान लगाया। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि इस इकाई के 18 महीनों के भीतर चालू होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा, "आज का 'भूमि पूजन' एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह इकाई भारत में कहीं भी स्थापित की जा सकती थी, लेकिन उन्होंने असम को चुना, जो हमारे राज्य के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है।"


केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्लांट की क्षमताओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह प्रतिदिन लगभग 4.83 करोड़ चिप्स का निर्माण करेगा। उन्होंने कहा, "इस प्लांट का अनूठा पहलू यह है कि इसमें इस्तेमाल की जाने वाली सभी प्रमुख तकनीकें भारत में विकसित की गई हैं। चिप्स का इस्तेमाल इलेक्ट्रिक वाहनों और संचार और नेटवर्क इंफ्रास्ट्रक्चर में किया जाएगा।"

अधिकारियों ने बताया कि भारत में सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम के विकास के लिए कार्यक्रम दिसंबर 2021 में 76,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ शुरू किया गया था। जून 2023 में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुजरात के साणंद में सेमीकंडक्टर इकाई स्थापित करने के माइक्रोन के प्रस्ताव को मंजूरी दी। असम में टाटा की सेमीकंडक्टर इकाई को दो अन्य इकाइयों के साथ इस साल 29 फरवरी को मंजूरी मिली। असम इकाई उन्नत सेमीकंडक्टर पैकेजिंग तकनीक विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करेगी, जिसमें फ्लिप चिप और आई-एसआईपी (पैकेज में एकीकृत प्रणाली) तकनीकें शामिल हैं। ये तकनीकें ऑटोमोटिव, संचार और नेटवर्क इंफ्रास्ट्रक्चर अनुप्रयोगों के लिए महत्वपूर्ण हैं।

सेमीकंडक्टर चिप डिजाइन में उद्योग के लिए तैयार लगभग 85,000 पेशेवरों को भारत भर के 113 शैक्षणिक संस्थानों में प्रशिक्षित किया जा रहा है, जिनमें पूर्वोत्तर क्षेत्र के नौ संस्थान भी शामिल हैं। टाटा संस की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स प्राइवेट लिमिटेड असम में इस सुविधा का निर्माण करेगी, जो भारत के सेमीकंडक्टर उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
हिंसा की आग में झुलस रहा बांग्लादेश, फिर भड़की आरक्षण विरोधी आग, अब तक 200 से ज्यादा मौतें
#bangladesh_violence


चंद दिनों की शांति के बाद बांग्लादेश एक बार फिर सुलग उठा हैं।बांग्लादेश में आरक्षण के खिलाफ छात्रों का बवाल जारी है।हजारों बांग्लादेशी छात्र एक बार फिर सड़कों पर उतर आए हैं। उनकी एक ही मांग है – प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनकी सरकार का इस्तीफा। इस दौरान देश के कई हिस्सों में हुई हिंसक झड़पों में कम से कम 72 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए।यह झड़पें भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन के बैनर तले असहयोग आंदोलन के कारण हुई। कई इलाकों में पुलिस को आंसू गैस के गोले दागने पड़े हैं और हवा में फायरिंग करनी पड़ी। हिंसा को बढ़ता देख बांग्लादेश की सरकार ने रविवार शाम 6 बजे से राष्ट्रव्यापी कर्फ्यू का ऐलान किया है।

बांग्लादेश में बड़ी मुश्किल से हिंसा थमी थी और तनाव कम हुआ था, लेकिन शुक्रवार को बांग्लादेश में जुमे की नमाज के बाद बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी सड़क पर उतर आए थे और सरकार के खिलाफ नारेबाजी और हंगामा शुरू किया था। शनिवार होते होते हजारों की संख्या में लोग सड़क पर उतर आए और जमकर विरोध प्रदर्शन किया। रविवार को बांग्लादेश की राजधानी ढाका में प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे लोगों और सत्तारूढ़ अवामी लीग के समर्थकों में झड़प हो गई।

विरोध प्रदर्शनों का यह नया दौर 15 जुलाई को देश में भड़की हिंसा के बाद आया है, जिसमें 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दिग्गजों के परिवारों के लिए आरक्षण को लेकर प्रदर्शनकारियों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच झड़प हुई थी। आपको बता दें कि बांग्लादेश में दोबारा हुए संग्राम में प्रदर्शनकारी उन छात्रों की रिहाई की मांग पर अड़े हुए हैं, जिन्हें आरक्षण की मांग को लेकर हुई हिंसा में गिरफ्तार कर लिया गया था।

बांग्लादेशी प्रधानमंत्री ने हिंसा को समाप्त करने के लिए प्रदर्शनकारी छात्रों को अपने निवास – ढाका में गोनो भवन – पर मिलने के लिए आमंत्रित किया और उन्होंने जुलाई के विरोध प्रदर्शनों के दौरान गिरफ्तार किए गए छात्रों को रिहा करने के लिए भी आदेश दिया। हालांकि, छात्रों ने प्रधानमंत्री शेख हसीना की वार्ता का निमंत्रण ठुकरा दिया। जिसके बाद छात्र और उग्र हो उठे।

द डेली स्टार ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने शनिवार को 15-सूत्री असहयोग आंदोलन की घोषणा की, जिसमें करों और बिलों का भुगतान न करना, सभी सरकारी और निजी कार्यालयों को बंद करना, सभी शैक्षणिक संस्थानों को अनिश्चित काल के लिए बंद करना, सभी सरकारी बैठकों, लक्जरी दुकानों, होटलों और मॉल का बहिष्कार करना और सभी सेवारत अधिकारियों को अपने संबंधित छावनी के बाहर ड्यूटी न करने देना शामिल है।

रविवार को प्रदर्शनकारियों की भीड़ ढाका के केंद्रीय शाहबाग़ स्क्वायर में जमा हो गई, जिसके बाद कई जगहों पर सड़कों पर झड़पें हुईं। प्रदर्शनकारियों में कई लाठी-डंडों से लैस थे और मुंह को स्कार्फ से ढंके हुए थे। उन्होंने राजधानी ढाका की कई सड़कों को जाम कर दिया। उनकी पुलिस और सत्तारुढ़ अवामी लीग के समर्थकों के साथ कई प्रमुख शहरों में भी झड़पें हुईं।

बता दें कि इस साल जून से ही दक्षिण एशियाई देश में विरोध प्रदर्शन जारी हैं, जब उच्च न्यायालय ने 2018 के सरकारी आदेश के खिलाफ फैसला सुनाया था, जिसमें सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों में प्रभावशाली के परिवारों के लिए 30 प्रतिशत कोटा खत्म कर दिया गया था। प्रदर्शनकारियों का तर्क है कि इस फैसले से सत्तारूढ़ अवामी लीग के समर्थकों को अनुचित लाभ होगा। हसीना के पिता शेख मुजीबुर्रहमान के नेतृत्व वाली अवामी लीग ने पाकिस्तान से बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई में अहम भूमिका निभायी थी।
दिल्ली नगर निगम में एल्डरमैन की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, एलजी को सरकार की सलाह मानना जरूरी नहीं

#supreme_court_decision_mcd_aldermen_nominate

दिल्ली नगर निगम में एल्डरमैन की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया है।जिससे दिल्ली की केजरीवाल सरकार को बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने कहा कि उपराज्यपाल (एलजी) सरकार से सलाह लिए बिना नगर निगम में एल्डरमैन की नियुक्ति कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कहा कि दिल्ली के उपराज्यपाल स्वतंत्र रूप से एमसीडी में 10 एल्डरमैन को नामित कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें दिल्ली सरकार के मंत्रीपरिषद की सलाह की जरूरत नहीं है।

बता दें कि आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह के बिना दिल्ली नगर निगम में 'एल्डरमैन' नॉमिनेट करने के उपराज्यपाल के फैसले को चुनौती दी थी। दिल्ली सरकार का कहना था कि उससे सलाह मशविरा के बिना एलजी ने मनमाने तरीके से इनकी नियुक्ति की है। ये नियुक्ति रद्द होनी चाहिए।इस पर सुनवाई करते हुए बीते वर्ष मई में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने पिछले साल 17 मई को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। अब जस्टिस पीएस नरसिम्हा की अध्यक्षता वाली पीठ ने फैसला सुनाया है।इस तरह दिल्ली सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने तकरीबन 15 महीने बाद अपना फैसला सुनाया।

कोर्ट ने माना कि नगर निगम अधिनियम के तहत उपराज्यपाल को वैधानिक शक्ति दी गई है। जबकि सरकार कार्यकारी शक्ति पर काम करती है। इसलिए उपराज्यपाल को वैधानिक शक्ति के अनुसार काम करना चाहिए, न कि दिल्ली सरकार की सहायता और सलाह के अनुसार। कोर्ट ने कहा कि नगर निगम अधिनियम में प्रावधान है कि उपराज्यपाल नगर निगम प्रशासन में विशेष ज्ञान रखने वाले दस व्यक्तियों को नामित कर सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि आज के फैसले के बाद एमसीडी में स्टैंडिंग कमेटी के गठन का रास्ता साफ हो पाएगा। दरअसल, एल्डरमैन को लेकर चल रहे मौजूदा विवाद के सुप्रीम कोर्ट में लंबित रहने चलते एमसीडी में अब तक स्टैंडिंग कमेटी का गठन नहीं हो पाया है, क्योंकि स्टैंडिंग कमेटी के चुनाव में एल्डरमैन कहलाने वाले मनोनीत पार्षद भी वोट देते हैं। यहां ये भी गौर करने लायक है कि 5 करोड़ से ज़्यादा के प्रोजेक्ट के लिए स्टैंडिंग कमेटी की मंजूरी जरूरी है। इसी के चलते मूलभूत सुविधाओं को दुरुस्त करने के लिए 5 करोड़ से अधिक के कई प्रोजेक्ट लटके पड़े हैं। एक ऐसे वक्त में जब जलभराव और नालों की सफाई और बुनियादी सुविधाओं के विस्तार में असफल रहने पर एमसीडी सवालों के घेरे में है।

जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने के 5 साल पूरे, जानें कितना हुआ बदलाव*
#five_years_after_abrogation_article_370 जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटे आज पूरे पांच साल हो गए। 5 अगस्त 2019 को संसद में आर्टिकल 370 हटने के बाद राज्य का स्पेशल स्टेटस खत्म हो गया था। साथ ही राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया गया था। धारा 370 हटाने की पांचवीं वर्षगांठ के मद्देनजर जम्मू-कश्मीर में शहर से लेकर गांव तक कड़ी निगरानी की जा रही है। जम्मू के अखनूर इलाके में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने अखनूर एलओसी इलाके में जगह-जगह चेकपोस्ट बनाई है और सुरक्षा बल के जवान गश्त कर रहे हैं। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर पुलिस के साथ-साथ अन्य सुरक्षा एजेंसियां भी अलर्ट मोड पर हैं। सुरक्षा बलों द्वारा वाहनों और दस्तावेजों की भी गहननता से जांच की जा रही है। केन्द्र की मोदी सरकार ने जब अनुच्छेद 370 को हटाया था तो कहा था कि कश्मीर में विकास और सुरक्षा के रास्ते में ये बाधक है। सरकार की मानें तो अनुच्छेद 370 के कारण कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववाद बढ़ रहा था और राज्य के लोगों को देश की मुख्यधारा से जोड़ने में मुश्किलें आ रही थी। ऐसे में अहम सवाल है कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद से अब तक इन पांच सालो में जम्मू-कश्मीर की तस्वीर कितनी बदली? सरकार की मानें तो पहले की तुलना में राज्य में आतंकवादी घटनाओं में कमी दर्ज की गई है। बीते महीने जुलाई में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने लोकसभा में जानकारी देते हुए बताया था कि इस साल 21 जुलाई तक 11 आतंकवाद से संबंधित घटनाओं और 24 मुठभेड़ों या आतंकवाद विरोधी अभियानों में नागरिकों और सुरक्षा कर्मियों सहित कुल 28 लोग मारे गए हैं। पिछले महीने, जम्मू और कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के मच्छल सेक्टर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर पाकिस्तान बॉर्डर एक्शन टीम के हमले को भारतीय सेना के जवानों ने नाकाम कर दिया था, जिसमें एक पाकिस्तानी घुसपैठिया मारा गया था। इस हमले में भारतीय सेना का एक जवान शहीद हो गया, जबकि मेजर रैंक के एक अधिकारी समेत चार अन्य घायल हो गए थे। आधिकारिक आंकड़ों की मानें को स्थानीय स्तर पर विरोध प्रदर्शन और पथराव की घटनाएं खत्म हो गई है। कानून-व्यवस्था की स्थिति में सुधार हुआ है। साथ ही निर्दोषों की हत्याओं पर भी रोक लगी है। नागरिक मृत्यु में 81 प्रतिशत की कमी आई है। साथ ही सैनिक की शहादत में भी यहां 48 प्रतिशत की कमी आई है। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद 2020 में राज्य में जिला विकास परिषद (डीडीसी) का चुनाव कराकर राज्य को लोकतंत्र से जोड़ने की पहल की गई। मोदी सरकार की ओर से वाल्मिकी समुदाय, माताएं, बहनें, ओबीसी, पहाड़ी, गुज्जर-बकरवाल आदि को आरक्षण का लाभ दिया गया। जम्मू-कश्मीर में बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य, पर्यटन, परिवहन, उद्योग, शिक्षा, हवाई अड्डे सहित लगभग हर क्षेत्र में विकास किया गया है। जो राज्य के विकास के लिए अहम कड़ी है। घारा 370 हटने के बाद राज्य में आर्थिक विकास को गति मिल रही है। निजी निवेशक कश्मीर में जमीन खरीदने और कंपनियां स्थापित करने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं। जम्मू कश्मीर में औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिल रहा है। जिससे रोजगार के अवसरों में वृद्धि होगी और इसका लाभ राज्य के लोगों को बड़े पैमाने पर मिलेगा। साथ ही जम्मू-कश्मीर में सदियों पुराने धार्मिक स्थलों का विकास राज्य के सांस्कृतिक पुनर्निर्माण की दिशा में अहम कदम है। जिससे पर्यटन के क्षेत्र में असीम संभावनाओं का द्वार खुल रहा है। इसी कड़ी में इस साल अमरनाथ श्रद्धालुओं की संख्या में रिकॉर्ड तोड़ इजाफा देखने को मिल रहा है। बता दें कि केंद्र सरकार ने 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 को रद्द कर दिया था। इसके जरिए जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा मिला था। अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जम्मू, कश्मीर और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश में बांट दिया गया था।
वक्फ एक्ट में बदलाव की तैयारी में मोदी सरकार, आज संसद में संशोधन बिल कर सकती है पेश

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संसद का मॉनसून सत्र जारी है। आज सत्र का 11वां दिन है। आज मोदी सरकार के कार्यकाल में एक और बड़ा फैसला हो सकता है। मोदी सरकार आज संसद में वक्फ एक्ट में संसोधन के लिए बिल पेश कर सकती है। हालांकि, सरकार की ओर से इसे लेकर कोई पुष्टि नहीं की गई है। वहीं विपक्ष हंगामा कर सकता है। इसको लेकर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने विरोध किया है। एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार पर हमला बोला है और उनका कहना है कि सरकार जमीन छीनना चाहती है। 

नए संशोधनों का मकसद क्या?

साल 2013 में, कांग्रेस सरकार ने वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधनों के माध्यम से वक्फ बोर्डों की शक्तियों का विस्तार किया था, जो मुस्लिम कानून के तहत धार्मिक या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए नामित संपत्तियों को विनियमित करता है। नए संशोधनों का मकसद केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य बोर्डों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाना, जिला मजिस्ट्रेटों के साथ संपत्तियों की निगरानी के लिए उपाय करना और संपत्ति सर्वेक्षण में देरी को दूर करने जैसी बात शामिल है।

वहीं, लोकसभा में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, विनियोग विधेयक और वित्त विधेयक पेश करेंगी। इसके अलावा कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, गोवा विधानसभा क्षेत्र में अनुसूचित जनजातियों के प्रतिनिधित्व को फिर से समायोजित करने के लिए विधेयक पेश करेंगे। राज्यसभा में मंगलवार को केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी तेल क्षेत्र (विनियमन और विकास) संशोधन विधेयक पेश करेंगे।

पेरिस ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम को सेमीफाइनल से पहले लगा बड़ा झटका, इस खिलाड़ी पर लग गया बैन

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पेरिस ओलंपिक 2024 में भारतीय हॉकी टीम ने कमाल का प्रदर्शन किया है। टीम ने ग्रेट ब्रिटेन को पेनाल्टी शूटआउट में 4-2 से हराकर सेमीफाइनल में जगह पक्की कर ली है। सेमीफाइनल मुकाबला 6 अगस्त को है, जहां भारत का मुकाबला जर्मनी से होगा। हालांकि, उस बड़े मुकाबले से पहले भारतीय टीम के लिए खबर अच्छी नहीं है। दरअसल, भारत के अमित रोहिदास पर एक मैच का प्रतिबंध लगाया है जिससे वह मंगलवार को जर्मनी के खिलाफ होने वाले पेरिस ओलंपिक के सेमीफाइनल मुकाबले में नहीं खेल सकेंगे।

भारतीय डिफेंडर अमित रोहिदास को ग्रेट ब्रिटेन के खिलाफ क्वार्टर फाइनल मुकाबले में रेड कार्ड दिखाया गया था। दरअसल, मैच के दौरान उनकी हॉकी स्टिक ग्रेट ब्रिटेन के खिलाड़ी के मुंह पर जा लगी थी, जिसके एवज में उन्हें रेड कार्ड मिला था। रेड कार्ड मिलने के बाद अमित रोहिदास उस पूरे मैच से तो बाहर रहे ही। अब सेमीफाइनल मुकाबले में भी नहीं खेलेंगे।

इंटरनेशनल हॉकी फेडरेशन ने अपनी प्रेस रिलीज में बताया है कि अमित रोहिदास को ग्रेट ब्रिटेन मैच के दौरान एफआईएच कोड आचरण के उल्लंघन के लिए एक मैच के लिए निलंबित कर दिया गया था। वह जर्मनी के खिलाफ सेमीफाइनल मैच में भाग नहीं लेंगे। भारत केवल 15 प्लेयर्स के साथ खेलेगा। 

अब, हॉकी इंडिया ने उनके फैसले को चुनौती दे दी है। लेकिन मौजूदा परिस्थिति में रोहिदास के सेमीफाइनल मैच में खेलने पर संशय है। माना जा रहा है कि एफआईएच इस अपील पर सोमवार को सुनवाई करेगा और अपना जवाब दाखिल करेगा।

“हिंद महासागर में अशांति पैदा करने वाले बदलाव की आशंका”, जानें एस जयशंकर के इस बयान के पीछे का संकेत

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हिंद महासागर क्षेत्र में चीनी नौसेना की बढ़ती उपस्थिति और गतिविधियां भारतीय नीति निर्माताओं और सुरक्षा विशेषज्ञों के लिए चिंता और चर्चा का विषय बनी हुई है। साल 2020 में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में हुई सैन्य झड़प के बाद से दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति बनी हुई। भारत और चीन के बीच लंबे समय से सीमा विवाद चला आ रहा है। पिछले तीन साल से ये और भी ज़्यादा गहरा गया है। जानकारों की मानें तो ये तनाव हिन्द महासागर में भी महसूस हो रहा है क्योंकि दोनों ही देश इस इलाक़े में अपना दबदबा बनाना चाहते हैं। हिंद महासागर में चीन की बढ़ती समुद्री गतिविधियों के बीच भारतीय विदेश मंत्री ने बड़ा बयान दिया है।एस जयशंकर का कहवा है कि हिंद महासागर में अशांति पैदा करने वाले बदलाव होने की आशंका है और भारत को इसके लिए तैयार रहने की जरूरत है।

एक विचारक संस्था (थिंक टैंक) के संवाद सत्र को संबोधित करते हुए जयशंकर ने किसी देश का नाम लिए बिना कहा कि भारत के पड़ोस में जो प्रतिस्पर्धा देखी गई है, वह निश्चित रूप से हिंद महासागर में भी होगी। विदेश मंत्री ने एक प्रश्न के उत्तर में पड़ोस में प्रतिस्पर्धा के बारे में बात की और कहा, ‘‘इस बारे में विलाप करने का कोई औचित्य नहीं है’’ क्योंकि भारत को प्रतिस्पर्धा करने की जरूरत है और वह वास्तव में यही करने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत हिंद महासागर में प्रतिस्पर्धा के लिए उसी तरह तैयार है, जिस तरह वह बाकी पड़ोस में प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार है

जयशंकर ने कहा, 'मुझे लगता है कि हिंद महासागर में समुद्री मौजूदगी नजर आ रही है, जो पहले नहीं थी। इसलिए यह एक विध्वंसकारी परिवर्तन के लिए तैयारी है। मुझे लगता है कि हमें इसका पूर्वानुमान लगाने (और) हमें इसके लिए तैयारी करने की जरूरत है।' 

बता दें कि पिछले कुछ दशकों में चीन ने तेज़ी से अपनी नौसैनिक क्षमताओं का आधुनिकीकरण किया है। चीनी नौसेना ने विमान वाहक जहाज़ों, सतही युद्धपोतों और सैन्य पनडुब्बियों को बड़ी संख्या में अपने बेड़ों में शामिल किया है। पिछले 20-25 वर्षों पर नज़र डालें तो हिंद महासागर में चीनी नौसैनिकों की मौजूदगी और गतिविधि में लगातार बढ़ोतरी हुई है।

हिंद महासागर में चीन की बढ़ती सैन्य उपस्थिति और बढ़ते प्रभाव को लेकर एस जशंकर ने ऐसा बयान पहली बार नहीं दिया है। इस बात को लेकर उन्होंने पहले भी आगाह किया है। जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि भारत और चीन के बीच मतभेद सीमा विवाद से कहीं आगे तक जाते हैं। यह निर्विवाद रूप से हिंद महासागर क्षेत्र तक विस्तृत है। पिछले साल सितंबर में, विदेश मंत्री ने कहा था, ‘चीनी नौसेना के आकार और हिंद महासागर क्षेत्र में तैनाती में बहुत तेज वृद्धि हुई है। हमारे लिए तैयारी करना बहुत उचित है। हमने पहले की तुलना में कहीं अधिक बड़ी चीनी उपस्थिति देखी है।