हरी मिर्च खाने में भले ही तीखे लगते है पर इसे खाने से मिलते कई बीमारियों से छुटकारा आइए जानते है इससे मिलने वाले फायदे के बारे में
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दिल्ली:- बीमारियां किसी भी प्रकार की हो और उसे कंट्रोल करने के लिए आप किसी भी प्रकार की दवा ले रहे हों, डॉक्टर आपको डाइट सुधारने की सलाह जरूर देते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि शरीर की हर बीमारी से निपटने के लिए सही डाइट का होना बहुत जरूरी होता है। एक हेल्दी डाइट में बहुत सी ऐसी चीजें होती हैं, जो हमें अलग-अलग प्रकार के पोषक तत्व प्रदान करती हैं। अच्छी डाइट में हरी सब्जियों का अच्छा रोल माना जाता है, लेकिन बहुत ही कम लोग जानते हैं कि हरी पत्तेदार सब्जियों की तरह हरी मिर्च का सेवन करना भी सेहत के लिए बेहद फायदेमंद है।
हाई कोलेस्ट्रॉ़ल से लेकर डायबिटीज जैसी बीमारियों से निपटने के लिए भी हरी मिर्च का सेवन करना काफी फायदेमंद रहता है। चलिए जानते हैं किन बीमारियों को कंट्रोल करने में हरी मिर्च का सेवन करना ज्यादा फायदेमंद रहता है।
1. डायबिटीज के लिए फायदेमंद
डायबिटीज के मरीजों के लिए हरी मिर्च का सेवन करना काफी फायदेमंद रहता है और वे अपनी हेल्दी डाइट में हरी मिर्च को भी शामिल कर सकते हैं। हरी मिर्च में खूब मात्रा में ऐसे तत्व पाए जाते हैं, जो हाई ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद करते हैं। साथ ही जिन लोगों को डायबिटीज होने का खतरा है, उनके लिए भी हरी मिर्च काफी अच्छा ऑप्शन है, जो इसके होने के खतरे को कम करता है।
2. हाई कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल करे
हरी मिर्च का हार्ट के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है, क्योंकि इसमें हाई कोलेस्ट्रॉल, हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियां कंट्रोल करने के गुण पाए जाते हैं। हरी मिर्च में कई ऐसे खास तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर से बैड कोलेस्ट्रॉल यानी एलडीएल और ट्राइग्लिसराइड को कम करने में मदद करते हैं।
3. त्वचा रोगों को होने से रोके
स्किन प्रॉब्लम के लिए भी हरी मिर्च के बेहद फायदेमंद माना गया है। हरी मिर्च में कई स्किन हेल्दी पोषक तत्व होने के साथ-साथ इसमें एंटी-बैक्टीरियल गुण भी पाए जाते हैं, जो स्किन से जुड़ी बीमारियों को दूर करने में मदद करते हैं। जिन लोगों को स्किन से जुड़ी किसी प्रकार की बीमारी है या एलर्जी है, तो हरी मिर्च का सेवन करना सही हो सकता है।
4. मानसिक रोगों से छुटकारा
मानसिक बीमारियों को दूर करने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है, जिनमें से एक है डाइट का ध्यान रखना। अच्छी मेंटल हेल्थ के लिए डाइट में हरी मिर्च को शामिल जरूर करें। साथ ही हरी मिर्च में मौजूद कैप्सेसिन नाम का खास तत्व ब्रेन के हाइपोथैल्मस हिस्सो को शांत करने में मदद करता है।
5. आंख के रोगों का इलाज
आंखों से जुड़ी बीमारियों को दूर करने के लिए हरी मिर्च का सेवन आयुर्वेद में भी सदियों किया जा रहा है और मॉडर्न मेडिसिन सिस्टम ने भी हरी मिर्च को इसके लिए अच्छा बताया है। साथ ही हरी मिर्च में मौजूद विटामिन सी आंखों को स्वस्थ रखता है और कई प्रकार की बीमारियां होने के खतरे को कम करता है।


नीले रंग का अपराजिता का फूल भगवान शिव को प्रिय है। मान्यता है कि इस फूल को शिवलिंग पर चढ़ाने से आर्थिक दिक्कतें दूर होती है। अपराजिता के फूल से बनी चाय को ब्लू टी के नाम से लोग जानते हैं। जिसका इस्तेमाल अनिद्रा, माइग्रेन और शरीर में होने वाले दर्द के लिए किया जाता, अपराजिता एक लता अथवा बेल वाला पौधा है, जिसे आप अमूमन हर घरों में आसानी से देख सकते हैं। इसे वैज्ञानिक भाषा में Clitoria ternatea कहते हैं और अंग्रेजी में इसे Butterfly pea के नाम जाना जाता है। इसके अलावा विष्णुकांता, गोकर्णी, गिरिकर्णिका, विष्णुप्रिया, गोकर्ण, कृष्णकांता, योनिपुष्पा आदि अपराजिता के अन्य कई खुबसूरत नाम विविध क्षेत्रों में प्रचलित हैं।
चुकंदर पोषक तत्वों का भंडार होता है और इसका सेवन करना सेहत के लिए बेहद लाभकारी माना जाता है चुकंदर को अधिकतर लोग सलाद के तौर पर खाते हैं, लेकिन इसका जूस शरीर में नई जान फूंक सकता है। रोजाना 1 गिलास चुकंदर का जूस पीने से स्वास्थ्य को गजब के फायदे मिल सकते हैं। चुकंदर में कैलोरी की मात्रा कम होती है और यह भरपूर फाइबर प्रदान करता है, जिससे वजन घटाने में मदद मिलती है। चुकंदर में नेचुरल शुगर और नाइट्रेट्स होते हैं, जो शरीर को नई एनर्जी प्रदान करते हैं। यह जूस थकान से भी छुटकारा दिला सकता है।
चुकंदर आयरन और फोलिक एसिड से भरपूर होता है, जो एनीमिया या खून की कमी को दूर करने में मदद करता है। चुकंदर में नाइट्रेट्स होते हैं जो ब्लड प्रेशर को कम करने और हार्ट हेल्थ को बेहतर बनाने में सहायक होते हैं।चुकंदर के सेवन से यूरिनरी और किडनी की फंक्शनिंग को इंप्रूव करने में मदद मिल सकती है। चुकंदर का जूस यूरिन में मौजूद टॉक्सिक एलीमेंट्स को बाहर निकालने में मदद करता है। चुकंदर में विटामिन C, विटामिन B6, और मिनरल्स जैसे पोटेशियम, मैग्नीशियम व फास्फोरस जैसे तमाम मिनरल्स होते हैं, जो शरीर को लाभ पहुंचाते हैं।
चुकंदर के जूस में नाइट्रेट्स होते हैं, जो ब्लड वेसल्स को रिलैक्स करने में मदद करते हैं और ब्लड फ्लो को बेहतर करते हैं। हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए भी यह जूस बेहद लाभकारी हो सकता है, क्योंकि चुकंदर का जूस ब्लड प्रेशर को कम करने में असरदार हो सकता है
बीट जूस में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो त्वचा को सेहतमंद बनाने में मदद करते हैं। यह त्वचा के दाग-धब्बों को कम कर सकता है। चुकंदर का जूस लिवर को डिटॉक्स करने में मदद करता है। यह शरीर से टॉक्सिक पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है।
अध्ययनों में पाया गया है कि लहसुन में कई ऐसे औषधीय गुण होते हैं जो हृदय को स्वस्थ रखने और गंभीर हृदय रोगों के जोखिम को कम करने में आपके लिए सहायक है। इंसानों पर किए गए अध्ययन में पाया गया है कि लहसुन, रक्तचाप को कम करने में महत्वपूर्ण औषधि हो सकती है। शोधकर्ताओं ने पाया कि लहसुन का अर्क 24 सप्ताह की अवधि में रक्तचाप को कम करने में, ब्लड प्रेशर की दवा के समान ही प्रभावी है।
अध्ययनकर्ताओं ने पाया कि लहसुन के सेवन की आदत, विशेषरूप से सुबह खाली पेट इसका सेवन करना बैड कोलेस्ट्रॉल की समस्या को कम करने में सहायक है। हाई कोलेस्ट्रॉल को हृदय रोगों के प्रमुख कारक के तौर पर जाना जाता है। लहसुन का सेवन बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करके रक्त वाहिकाओं को स्वस्थ रखने में सहायक है। लहसुन का गुड कोलेस्ट्रॉल पर किसी प्रकार का असर होता है फिलहाल अध्ययनों में यह स्पष्ट नहीं है।
विशेषज्ञों ने पाया है कि लहुसन का सेवन करने से इम्युनिटी को बढ़ाने में मदद मिल सकती है। सर्दी और फ्लू जैसे वायरस के कारण होने वाली बीमारियों से सुरक्षा देने और खांसी, बुखार, सर्दी के लक्षणों को कम करने में लहसुन के सेवन के लाभ देखे गए हैं। रोजाना लहसुन की दो कलियां खाना सेहत को लाभ दे सकता है। विशेषकर बच्चों में बंद नाक और गले के संक्रमण को कम करने में इस औषधि को लंबे समय से घरेलू उपाय के तौर पर प्रयोग में लाया जाता रहा है।
बारिश के मौसम में खान-पान को लेकर बहुत सावधानी बरतने की जरूरत होती है। मानसून में खाद्य पदार्थों में बैक्टीरिया और विषाणुओं का विकास तेजी से होता है। बाहर का खाना खाने से पेट की बीमारियां, जैसे फूड पॉइजनिंग, गैस्ट्रोएंटेराइटिस आदि का खतरा बढ़ सकता है। इसी तरह से इस मौसम में पानी के दूषित होने का भी खतरा अधिक होता है जिससे टाइफाइड, हेपेटाइटिस, और दस्त की समस्या हो सकती है। इन समस्याओं से बचे रहने के लिए बाहर का खाना खाने से बचें और केवल उबला या फिल्टर किया हुआ पानी पीना चाहिए।
कई प्रकार के संक्रामक रोग हमारे हाथों के माध्यम से फैलते हैं। हाथों की स्वच्छता का ध्यान रखकर फ्लू, कंजंक्टिवाइटिस जैसी बीमारियों से बचाव किया जा सकता है। खाने से पहले और बाद में, शौच के बाद हाथों को अच्छी तरह से साफ करें। हाथों की साफ-सफाई का ध्यान रखकर भी आप संक्रामक बीमारियों के जोखिमों को कम कर सकते हैं। बारिश में भीगे कपड़े पहने रहने से बचना चाहिए।
बारिश में भीगे कपड़े पहने रहने से बचना चाहिए। गीले कपड़े त्वचा की समस्याएं जैसे रैशेज, फंगल इंफेक्शन आदि पैदा कर सकते हैं। गीले कपड़ों के कारण दाद और खुजली जैसी समस्याओं का भी खतरा रहता है। इसके अलावा बारिश के मौसम में ज्यादा भीगने से सर्दी-खांसी और साइनस जैसी समस्याएं हो सकती हैं। सुनिश्चित करें कि आप सूखे और साफ कपड़े ही पहनें।
मानसून का समय पाचन से संबंधित कई तरह की बीमारियों के जोखिमों को बढ़ा देता है। हेपेटाइटिस संक्रमण का खतरा भी इसमें काफी बढ़ जाता है। वैसे तो टीकाकरण अभियान के चलते अब इसमें कमी आई है पर अब भी हर साल बड़ी संख्या में लोगों में इस संक्रामक रोग का निदान किया जाता रहा है।
मानसून के दौरान पानी का दूषित होना एक आम समस्या है, विशेषतौर पर जिन इलाकों में बाढ़ आ जाती है वहां इसका खतरा और भी बढ़ जाता है, जिससे हेपेटाइटिस हो सकता है। हमेशा उबला हुआ या फिल्टर किया हुआ पानी पिएं। घर में वॉटर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें। यात्रा करते समय अपनी खुद की पानी की बोतल साथ रखें।
हेपेटाइटिस ए और ई जैसे संक्रमण का मुख्य कारण अस्वच्छता को माना जाता है। बरसात हो या कोई भी मौसम हाथ की स्वच्छता बहुत जरूरी है। खाने से पहले, शौचालय का इस्तेमाल करने के बाद और संभावित रूप से दूषित सतहों को छूने के बाद अपने हाथों को साबुन और पानी से अच्छी तरह धोएं। बार-बार मुंह को छूने से बचें। हाथों की स्वच्छता का ध्यान रखकर हेपेटाइटिस के खतरे को काफी कम किया जा सकता है।
मानसून का ये मौसम अपने साथ कई तरह की बीमारियां लेकर आता है, इसमें सबसे ज्यादा खतरा मच्छर जनित रोगों का होता है। डेंगू-मलेरिया और चिकनगुनिया जैसे रोगों के कारण हर साल बड़ी संख्या में लोगों को अस्पतालों में भर्ती होना पड़ता है। हालिया रिपोर्ट्स से पता चलता है कि महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल सहित कई राज्यों में डेंगू का खतरा बढ़ रहा है
टाइफाइड बुखार को एंटरिक बुखार भी कहा जाता है, ये साल्मोनेला बैक्टीरिया के कारण होता है। यहां जानना जरूरी है कि टाइफाइड मच्छरों के काटने से नहीं फैलता है।
इलाज न होने पर ये बीमारी कुछ सप्ताह बाद आंतों में भी दिक्कतें पैदा कर सकती है। इसके कारण पेट में सूजन, पूरे शरीर में फैलने वाले आंत के बैक्टीरिया के कारण संक्रमण (जिसे सेप्सिस कहा जाता है) और भ्रम की दिक्कत भी हो सकती है। टाइफाइड बुखार के कारण आंतों में क्षति और रक्तस्राव का भी जोखिम रहता है।
मानसून का ये मौसम अपने साथ कई तरह की बीमारियां लेकर आता है, इसमें सबसे ज्यादा खतरा मच्छर जनित रोगों का होता है। डेंगू-मलेरिया और चिकनगुनिया जैसे रोगों के कारण हर साल बड़ी संख्या में लोगों को अस्पतालों में भर्ती होना पड़ता है। हालिया रिपोर्ट्स से पता चलता है कि महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल सहित कई राज्यों में डेंगू का खतरा बढ़ रहा है
टाइफाइड बुखार को एंटरिक बुखार भी कहा जाता है, ये साल्मोनेला बैक्टीरिया के कारण होता है। यहां जानना जरूरी है कि टाइफाइड मच्छरों के काटने से नहीं फैलता है।
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Jul 31 2024, 11:06
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