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अगर आपके बच्चे भी हारने से डरते हैं,तो उन्हें सीखाएं सुधा मूर्ति की ये बातें ना रहेगा हार का डर,ना जीत का घमंड, खुश रहेगा मन

नई दिल्ली:- सुधा मूर्ति एक प्रसिद्ध भारतीय लेखिका, समाज सेविका और इंजीनियर हैं जो अपने सामाजिक कार्यों, विशेष रूप से सामाजिक मुद्दों और मानवीय मूल्यों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने भारत में शिक्षा, ग्रामीण विकास और महिला सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

उनका जीवन किसी प्रेरणा से कम नहीं है। छात्र और बच्‍चे उनसे कड़ी मेहनत, विनम्रता और दृढ़ता सीख सकते हैं। इस आर्टिकल में हम आपको सुधा मूर्ति की कही कुछ ऐसी बातें बताने जा रहे हैं, जो हर बच्‍चे को छात्र को आगे बढ़ने के लिए प्रेरिंग करेंगी। अगर आपके बच्‍चे का आत्‍मविश्‍वास कम है या उसे हिम्‍मत की जरूरत है, तो आप उसे सुधा मूर्ति की कही इन बातों के बारे में जरूर बताएं।

सीखना बंद नहीं करना है

सुधा मूर्ति का कहना है कि सीखना बंद नहीं करना है। ये दुनिया लगातार बदलती रहती है इ‍सलिए आपका अप-टू-डेट रहना जरूरी है। आपको लेटेस्‍ट जानकारी और ट्रेंड से अवगत होना चाहिए। आप जितना ज्‍यादा सीखेंगे, उतने ही बेहतर बनेंगे और जिंदगी में आगे बढ़ेंगे। बच्‍चों के आगे तो सीखने के लिए बहुत कुछ है इसलिए सुधा मूर्ति का यह कोट उनके बहुत काम आने वाला है।

सपनों को छोड़ें नहीं

आपको कभी भी अपने सपनों को छोड़ना नहीं चाहिए। सपने को पूरा करना कितना ही मुश्किल क्‍यों न लग रहा हो, आपको हिम्‍मत नहीं हारनी है। अगर आप कड़ी मेहनत करते हैं और हिम्‍मत नहीं हारते हैं, तो आज नहीं तो कल आपको अपनी मंजिल जरूर मिल जाएगी। बच्‍चे कम उम्र से ही इस बात काे सीख लें, तो वो अपनी जिंदगी में काफी कुछ हासिल कर सकते हैं।

फेल होने से डरो मत

बच्‍चों को सिखाएं कि फेल होने से डरना नहीं बल्कि अपनी फेलियर से सीखना चाहिए। सुधा मूर्ति भी यही कहती हैं कि फेलियर सीखने और आगे बढ़ने का एक हिस्‍सा है। आप जितने ज्‍यादा फेल होंगे, उतना ही बेहतर अपनी गलतियों से सीख पाएंगे। बच्‍चों को फेलियर से डरने के बजाय उनसे सीखने की सीख दें।

तुलना न करें

सुधा मूर्ति कहती हैं कि आपको अपनी तुलना दूसरों से नहीं करनी चाहिए। अगर आपकी क्‍लास में किसी बच्‍चे के आपसे ज्‍यादा नंबर आए हैं, तो आप दुखी न हों। हो सकता है कि वो पढ़ाई में अच्‍छा हो और आप स्‍पोर्ट्स में माहिर हों। हर बच्‍चे की काबिलियत अलग-अलग होती है इसलिए खुद की दूसरों से तुलना नहीं करनी चाहिए।

खुद पर भरोसा करें

आप अपने ऊपर और अपनी काबिलियित एवं क्षमता पर भरोसा करें। अगर आप खुद पर भरोसा नहीं करते हैं, तो फिर कोई और भी आप पर भरोसा नहीं करेगा। अपने लक्ष्‍यों को पाने के लिए अपनी योग्‍यता पर भरोसा करें और आत्‍मविश्‍वास रखें। आपको अपने बच्‍चे को यही सिखाना है और उसका आत्‍मविश्‍वास बढ़ाना है। इसके अलावा आपको अपने बच्‍चे के अंदर दयालुता का भाव भी डालना है। उसे अपने और दूसरों के लिए दया का भाव रखने के लिए कहें।

आज 51वें जन्मदिन पर विशेष : वो गाना जिसने खोल दिए सोनू निगम की किस्मत के बंद ताले, दिल टूटने पर आज भी यही सुनते हैं लोग


नयी दिल्ली : सोनू निगम हिंदी सिंगिंग इंडस्ट्री के सबसे पॉपुलर और सफल सिंगर्स में से हैं। देश ही नहीं, विदेश में भी उनकी तगड़ी फैन फॉलोइंग है। बचपन से ही स्टेज पर अपनी सुरीली आवाज का जादू बिखेरने वाले सोनू निगम को संगीत की दुनिया में अपना नाम-पहचान बनाने के लिए खूब पापड़ बेलने पड़े, लेकिन आखिरकार वह उस मुकाम तक पहुंचने में सफल रहे।

सोनू निगम हिंदी सिंगिंग इंडस्ट्री के ऐसे कलाकार हैं जो आज किसी परिचय का मोहताज नहीं हैं। उनकी आवाज आज हिंदुस्तान की भी पहचान बन चुकी है। उनकी आवाज के देश में ही नहीं दुनियाभर में कद्रदान हैं। आज भले ही सोनू निगम इंडस्ट्री के सबसे सफल और महेंगे सिंगर्स में से एक हैं, लेकिन एक दौरा था जब उन्हें काबिलियत होने के बाद भी काफी संघर्षों से होकर गुजरना पड़ा। 

सिंगिंग तो सोनू निगम को विरासत में मिली थी, लेकिन यहां तक पहुंचने में उन्हें काफी मेहनत करनी पड़ी। 

सोनू निगम का बर्थडे आज

कभी शादी-ब्याह में स्टेज शो करने वाले सोनू निगम आज उस मुकाम पर हैं, जहां पहुंचना हर किसी के बस की बात नहीं है। शोहरत के सातवें आसमान पर काबिज सोनू निगम का आज यानी 30 जुलाई को जन्मदिन है। तो चलिए उनके बर्थडे पर आपको उनके उस गाने के बारे में बताते हैं, जिसने उनकी सफलता में खास भूमिका निभाई है और साथ ही उनसे जुड़े भी कुछ दिलचस्प किस्सों से आपको रूबरू कराते हैं।

सोनू निगम ने पिता के साथ गाना शुरू किया था

सोनू निगम का जन्म 30 जुलाई 1973 को हरियाणा के फरीदाबाद में हुआ था। उनके पिता अगम कुमार निगम भी एक सिंगर थे और इनसे सोनू निगम को विरासत में सिंगिंग मिली। उन्होंने बहुत कम उम्र में ही पिता के साथ स्टेज पर गाना शुरू कर दिया था। जब वह सिर्फ चार साल के थे, उन्होंने पहली बार मंच पर 'क्या हुआ तेरा वादा' गाना गाया। इसके बाद उन्होंने कई बार अपने पिता के साथ स्टेज पर परफॉर्म किया।

करियर के लिए मुंबई की पकड़ी ट्रेन

पिता के साथ स्टेज पर गाने के बाद सोनू निगम ने गायकी में करियर बनाने और संगीत की शिक्षा के लिए मुंबई का रुख कर लिया। हालांकि, मुंबई में उन्हें कई साल तक संघर्ष करना पड़ा। काबिलियत होते हुए भी कुछ साल उन्हें कोई काम नहीं मिला, इसके बाद भी वह पीछे नहीं हटे और 1990 की दशक के शुरुआत में टी-सीरीज के कई भजनों और कवर सॉन्ग्स में अपनी आवाज दी।

जब सोनू निगम के करियर को लगे पंख

सोनू निगम ने पहला गाना 'जानम (1990)' फिल्म के लिए गाया था, लेकिन ये फिल्म कभी रिलीज नहीं हो सकी। इसके बाद उन्होंने दूरदर्शन के शो 'तलाश' के लिए 'हम तो छैला बन गए' गाया। फिर उनका पहला फिल्मी गाना 'ओ आसमान वाले' रिलीज हुआ जो उन्होंने 'आज मेरी जान' के लिए गाया था। इसके बाद भी उन्हें कोई खास पहचान नहीं मिल पाई। हालांकि, 1992 में आया उनका एल्बम 'रफी की यादें' काफी मशहूर रहा, लेकिन उन्हें सफलता दिलाई 'बेवफा सनम (1995)' के सुपरहिट गाने 'अच्छा सिला दिया' ने, जिसने उनके सिंगिंग करियर को पंख लगा दिए।

सोनू निगम के हिट गाने

अच्छा सिला दिया, सोनू निगम के करियर के लिए मील का पत्थर साबित हुआ। ये वो गाना था जिसके बाद कभी सोनू निगम को पलटकर पीछे देखने की जरूरत नहीं पड़ी। इसके बाद उन्होंने एक से बढ़कर एक हिट सॉन्ग दिए, जिनमें 1997 में रिलीज हुई ब्लॉकबस्टर 'बॉर्डर' का गाना 'संदेशे आते हैं' भी शामिल है। ये गाना उनके करियर को एक नई ऊंचाई पर ले गया। सोनू निगम ने अपने करियर में 'अभी मुझमें कहीं', 'सूरज हुआ मद्धम', 'जिंदगी मौत ना बन जाए', 'मुझे रात दिन', 'ये दिल', 'कल हो ना हो', 'तुमसे मिल के दिल का', 'भगवान है कहां रे तू' और 'जाने नहीं देंगे' जैसे सुपरहिट गाने गए हैं।

जब 'हनुमान चालीसा' ने बचाई थी जान, पाकिस्तान में उड़ गए थे गाड़ी के परखच्चे

हिंदू धर्म में हनुमान जी को सर्वशक्तिशाली देवता माना जाता है. हनुमान चालीसा को लेकर हिंदू धर्म को मानने वालों का विश्वास है कि इससे हर संकट दूर हो जाता है. सोनू निगम का भी मानना है कि हनुमान जी में बहुत शक्ति है. उन्होंने बताया था कि इस वजह से उनके ऊपर से काफी बड़ी मुसीबत टली थी. टाइम्स नाऊ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ये किस्सा है 10 अप्रैल 2004 का जब सोनू निगम पाकिस्तान के जियो टीवी के एक कॉन्सर्ट में फैमिली के साथ गए थे.

वो जगह आर्मी एरिया में थी और सोनू कॉन्सर्ट पूरा होने के बाद वापस जा रहे थे, तभी वहां एक धमाका हुआ और उनकी पास की एक गाड़ी के परखच्चे उड़ गए. 

सोनू निगम ने बताया था कि जब उनके सामने गाड़ी के परखच्चे उड़े तो हो डर गए और तुरंत हनुमान चालीसा पढ़ने लगे और तब पढ़े जब तक वो एयरपोर्ट तक नहीं पहुंच गए.'न्यूज फास्ट' से साभार। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस ब्लास्ट का निशाना सोनू निगम पर ही था लेकिन वो बाल-बाल बचे. वहीं सोनू निगम ने कहा था कि हनुमान जी ने उन्हें बचाया था और उसके बाद से हनुमान जी में उनकी श्रद्धा और बढ़ गई थी।

संसद में उठा छात्रों की सुरक्षा का मुद्दा जिम्मेदार आप.. जिम्मेदार आप ' के लगे नारे; BJP ने लगाए गंभीर आरोप


नई दिल्ली:- दिल्ली में जलभराव से कोचिंग में तीन छात्रों की मौत का मामला सोमवार को संसद के दोनों सदनों में गूंजा। राज्यसभा में कार्य स्थगन प्रस्ताव लाकर इस पर अल्पकालिक चर्चा कराई गई तो लोकसभा में शून्यकाल में इसे उठाया गया। छात्र-छात्राओं की मुत्यु पर दुख तो सभी ने जताया, लेकिन जब जिम्मेदारी पर बात आई तो बजबजाते नालों और गंदे जलभराव में भी दलीय निष्ठा की धारा साफ दिखाई दी।

भाजपा ने कुछ शिकायतों का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि आम आदमी पार्टी के स्थानीय विधायक सहित अधिकारियों ने शिकायतों का संज्ञान नहीं लिया। नालों की सफाई नहीं कराई गई, जिसकी वजह से घटना हुई। 

वहीं, आम आदमी पार्टी ने तर्क दिया कि अधिकारी उपराज्यपाल के प्रभाव में हैं, सरकार के मंत्रियों के कहने पर भी नाला सफाई नहीं कराई। वहीं, कांग्रेस बहुत सधे अंदाज में चर्चा करती नजर आई। जलभराव के लिए किसी को जिम्मेदार ठहराने की बजाए बढ़ते को¨चग कल्चर पर घटना का ठीकरा फोड़ने का प्रयास किया।

'सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंगी'

राज्यसभा में कार्य स्थगन के लिए नोटिस देने वालों में भाजपा सदस्यों के साथ ही आम आदमी पार्टी की सांसद स्वाति मालीवाल भी शामिल थीं। सभापति जगदीप धनखड़ ने इसे स्वीकार किया। चर्चा की शुरुआत भाजपा की ओर से सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने की। कहा कि तीन छात्रों की मृत्यु हो गई, लेकिन जिम्मेदारों की आंखों में आंसू क्या, माथे पर शिकन तक नहीं है। 

उन्होंने कहा कि 26 जून से 22 जुलाई तक शिकायतें और रिमाइंडर दिए गए कि उक्त कोचिंग संस्थान की लाइब्रेरी अवैध रूप से बेसमेंट में चल रही है। घटना हो सकती है, लेकिन सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंगी। शिकायतों के इस क्रम के बीच नौ जुलाई को इमारत को फायर की एनओसी दे दी गई।

'दिल्ली सरकार नहीं, केंद्र सरकार जिम्मेदार'

भाजपा सांसद ने आरोप लगाया कि सरकार जल निकासी और नालों की सफाई की बजाए प्रचार और वक्फ बोर्ड पर पैसा खर्च कर रही है। तृणमूल सांसद डेरेक ओ ब्राइन ने सवाल उठाया कि क्या इस तरह की चर्चा मणिपुर, नीट, चीन के कब्जे जैसे मुद्दों पर कराई जाएगी। यही बात डीएमके सांसद तिरुचि शिवा ने कही। आप का समर्थन करते हुए कहा कि चूंकि एलजी फैसले लेते हैं, इसलिए दिल्ली सरकार नहीं, केंद्र सरकार जिम्मेदार है। 

आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने कहा कि कोचिंग और लाइब्रेरी को रेगुलेट केंद्र सरकार करेगी। यह संस्थान 25-30 साल से चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार दिल्ली सरकार के पास नहीं है। अधिकारी सिर्फ एलजी की बात सुनते हैं। मंत्री अफसरों से कहते रहे, लेकिन उन्होंने नाला सफाई की बात नहीं सुनी।

'आप सरकार काम नहीं कर रही, सत्ता भोग रही'

कांग्रेस सदस्य रणदीप सुरजेवाला ने भी इसी तरह की चर्चा नीट, चीन, मणिपुर आदि पर कराने की मांग की। कहा कि भाजपा सरकार ने शिक्षा का निजीकरण और व्यवसायीकरण कर दिया है। रोजगार की कमी है। सरकारी स्कूलों की संख्या घटी है।

स्कूल-कालेजों में शिक्षकों के पद रिक्त हैं, इसलिए कोचिंग संस्थान बढ़े हैं। इसी कारण यह घटना हुई है। वहीं, लोकसभा में शून्यकाल में भाजपा सांसद बांसुरी स्वराज ने इस मुद्दे को उठाया और कहा आप सरकार काम नहीं कर रही, सत्ता भोग रही है। समिति बनाकर घटना की जांच होनी चाहिए।

'जिम्मेदारों पर कार्रवाई होनी चाहिए'

कांग्रेस के शशि थरूर ने पीड़ित परिवारों को क्षतिपूर्ति की मांग उठाई। निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने निष्पक्ष जांच कराने की बात कही तो अखिलेश यादव ने भी जोर दिया कि जिम्मेदारों पर कार्रवाई होनी चाहिए। अधिकारियों ने ही एनओसी दी होगी। यूपी में जैसे अवैध इमारतों पर बुल्डोजर चलता है, वैसा यहां भी चलेगा या नहीं? कांग्रेस के केसी वेणुगोपाल ने कहा कि को¨चग संचालक माफिया की तरह काम कर रहे हैं।

कोचिंग के लिए स्पष्ट है कानून, राज्यों को लेनी होगी जिम्मेदारी

प्रधान केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने इस चर्चा पर दोनों सदनों में अपना पक्ष रखा। उन्होंने बताया कि 2017 से अब तक समय-समय पर कई बार कोचिंग संस्थानों के संचालन के संबंध में मार्गदर्शिका राज्यों को भेजी गई है। इस वर्ष की जनवरी में एडवाइजरी भेजी थी। अगर उसका पालन होता तो यह घटना नहीं होती। कोचिंग संस्थान पर सवाल उठाए जाने पर किसी का नाम लिए बिना बोले कि कुछ लोगों के मन में मैकालेवाद का भूत अभी तक चढ़ा हुआ है। प्रधान ने कहा कि कोचिंग सेंटर संचालन के लिए कानून स्पष्ट है। राज्यों को जिम्मेदारी लेनी पड़ेगी। सरकार शिक्षा में सुधार चाहती है। इसके लिए समिति बनाई है, सभी सांसद उसमें सुझाव दें। वहीं, नीट और पेपर लीक के मुद्दे पर उन्होंने गैर भाजपा शासित राज्यों की घटनाएं गिनाईं और कहा कि मोदी सरकार पूरी पारदर्शिता चाहती है और हर विषय पर चर्चा के लिए तैयार है।

आपकी पर्सनालिटी को कमजोर बनाती हैं ये आदतें

दिल्ली:- हमारी पर्सनालिटी का हमारे करियर और पर्सनल लाइफ पर भी बहुत प्रभाव पड़ता है. जब भी हम किसी से मिलते हैं, तो सामने वाले सबसे पहले हमारे बात करने के तरीका, ड्रेसिंग सेंस और उठने-बैठने के तरीके को नोटिस करता है. लेकिन कई बार हमारी कुछ आदतें ऐसी होती हैं जिसके कारण हमारी पर्सनालिटी लोगों को सामने कमजोर लगने लगती है. लेकिन करियर में किसी मुकाम पर पहुंचने के लिए पर्सनालिटी बेहतर होना बेहद जरूरी है.लेकिन अनजाने में हमारी कई आदतें सामने वाले के सामने हमारी पर्सनालिटी का डाउन कर देती हैं. इसलिए हमें उन्हें बदलने का प्रयास करना चाहिए. चलिए जानते हैं उन आदतों के बारे में

1. आत्म-संकोच (Self-Doubt): आत्म-संकोच आपके आत्मविश्वास को कमजोर करता है। जब आप लगातार खुद पर संदेह करते हैं, तो आप अपने कौशल और क्षमताओं को कमतर समझने लगते हैं। इससे आप नए अवसरों को अपनाने और अपने लक्ष्य प्राप्त करने में संकोच करने लगते हैं। आत्म-संकोच को दूर करने के लिए अपने सकारात्मक पक्ष को पहचानें और अपने ऊपर विश्वास बनाए रखें।

2. नकारात्मक सोच (Negative Thinking): नकारात्मक सोच आपकी मानसिक स्थिति और व्यक्तित्व पर गहरा प्रभाव डालती है। नकारात्मक विचार आपके आत्म-सम्मान को कम करते हैं और आपको हमेशा चिंता और तनाव में रखते हैं। सकारात्मक सोच विकसित करने के लिए, अपनी सोच को बदलें और हर स्थिति में सकारात्मक पहलू को देखें।

3. आलस्य (Procrastination): आलस्य और कार्यों को टालना आपकी उत्पादकता और प्रगति को बाधित करता है। जब आप अपने कामों को समय पर नहीं करते, तो इससे आपके पेशेवर और व्यक्तिगत जीवन में समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। समय प्रबंधन और अनुशासन से आलस्य पर काबू पाएं और अपने कामों को प्राथमिकता दें।

4. नकारात्मक संबंध (Negative Relationships): आपके जीवन में नकारात्मक और विषाक्त संबंध आपकी ऊर्जा और आत्मविश्वास को कमजोर कर सकते हैं। ऐसे लोग जो आपको नीचा दिखाते हैं या आपका समर्थन नहीं करते, वे आपके विकास में बाधा बन सकते हैं। स्वस्थ और सकारात्मक संबंध बनाएं, जो आपके व्यक्तित्व को बढ़ावा दें और आपको प्रोत्साहित करें।

इन आदतों से बचकर और सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाकर आप अपनी पर्सनालिटी को मजबूत बना सकते हैं और अपने जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।

आज 51वें जन्मदिन पर विशेष:सिर्फ 5000 लेकर पहुंच गया मुंबई,आज करोड़ों का मालिक है‘मजबूरों का मसीहा’


 

नयी दिल्ली : एक्टर सोनू सूद अब किसी परिचय के मोहताज नहीं रह गए हैं. अभी के समय में उन्हें दूर-दराज के गांवों में भी बच्चे जान गए हैं. उनकी यह ख्याति अकारण भी नहीं है. मजबूर लोगों की मदद कर उन्होंने यह अनोखी लोकप्रियता हासिल की है.

कोविड का समय था. लॉकडाउन से लाखों का रोजगार छिन गया था. कइयों के पास इलाज और दवाओं के पैसे नहीं थे. ऐसे में उनकी मदद करने मसीहा के रूप में सामने आए सोनू सूद।

सोनू सूद की टीम सोशल मीडिया से लेकर जमीन पर सक्रिय हो गई. उन्होंने हजारों जरूरतमंद लोगों को दवा से लेकर भोजन ओर इलाज तक मुहैया कराया. महामारी के मुश्किल समय में वह बहुत सारे लोगों के लिए उम्मीद की किरण बन गए।

सोनू सूद का चैरिटी वाला यह काम अभी भी बंद नहीं हुआ है. सोनू सूद फाउंडेशन के जरिए एक्टर आज भी जरूरतमंद लोगों के लिए सहारा बनकर उपस्थित हो रहे हैं. यही कारण है कि उन्हें बॉलीवुड के कई नामी सितारों से भी ज्यादा लोकप्रियता हासिल हो गई है।

हिन्दी से लेकर पंजाबी और कन्नड़ से लेकर तमिल व तेलुगु जैसी फिल्म इंडस्ट्री में काम करके नाम कमा चुके एक्टर सोनू सूद आज के समय में करोड़ों के मालिक हैं, लेकिन उनकी जर्नी की शुरुआत बेहद आम रही है।

हिन्दी से लेकर पंजाबी और कन्नड़ से लेकर तमिल व तेलुगु जैसी फिल्म इंडस्ट्री में काम करके नाम कमा चुके एक्टर सोनू सूद आज के समय में करोड़ों के मालिक हैं, लेकिन उनकी जर्नी की शुरुआत बेहद आम रही है.

बताया जाता है कि जब वह एक्टिंग का सपना लेकर मुंबई पहुंचे थे, तब उनकी जेब में महज 5,500 रुपये थे. आज उनकी नेटवर्थ 18 मिलियन डॉलर यानी करीब 140 करोड़ रुपये बताई जाती है.

बताया जाता है कि जब वह एक्टिंग का सपना लेकर मुंबई पहुंचे थे, तब उनकी जेब में महज 5,500 रुपये थे. आज उनकी नेटवर्थ 18 मिलियन डॉलर यानी करीब 140 करोड़ रुपये बताई जाती है.

सोनू सूद की प्रॉपर्टी की बात करें तो उनके पास सिर्फ मुंबई में ही तीन फ्लैट हैं. वह लोखंडवाला में एक 4BHK अपार्टमेंट में अपने परिवार के साथ रहते हैं. उनके पास अपने गृहराज्य पंजाब के मोगा में एक आलीशान बंगला है. मुंबई के जुहू में उनका होटल भी चलता है, जो कोविड के समय मरीजों के लिए आइसोलेशन सेंटर के रूप में काम कर रहा था.

एक्टर के पास कई महंगी कारों का कलेक्शन भी है. उनके पास 66 लाख रुपये की मर्सिडीज बेंज MLक्लास 350 कार, 80 लाख रुपये की ऑडी क्यू7 और 2 करोड़ रुपये की पोर्श पनामा जैसी कारें हैं.

दिल्ली कोचिंग हादसा: छात्रों के मौत के मामले को लेकर गृह मंत्रालय ने गठित की जांच समिति,30 दिनों में पेश करेगी रिपोर्ट


नयी दिल्ली : दिल्ली के राजेंद्र नगर में एक कोचिंग सेंटर में पानी भर जाने के बाद, सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे तीन छात्रों की मौत के मामले में सोमवार (29 जुलाई) को गृह मंत्रालय ने एक समिति का गठन किया है.

इस बात की जानकारी गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने एक बयान जारी करके दी.

बयान में कहा गया, "गृह मंत्रालय ने नई दिल्ली के पुराने राजिंदर नगर में एक कोचिंग सेंटर में हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना की जांच के लिए एक समिति गठित की है. समिति कारणों की जांच करेगी, जिम्मेदारी तय करेगी, उपाय सुझाएगी और नीतिगत बदलावों की सिफारिश करेगी. 

इस समिति में अतिरिक्त सचिव, प्रमुख सचिव (गृह), दिल्ली सरकार, विशेष सीपी, दिल्ली पुलिस, अग्निशमन सलाहकार और संयुक्त सचिव, गृह मंत्रालय संयोजक होंगे. ये समिति 30 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट पेश करेगी." 

न्यायिक हिरासत में भेजे गए आरोपी

उधर, मामले में सोमवार को गिरफ्तार किए गए पांच आरोपियों को एक अदालत ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया. कोचिंग सेंटर के चार सह-मालिकों तजिंदर सिंह, परविंदर सिंह, हरविंदर सिंह और सरबजीत सिंह और कार चालक मनुज कथूरिया को अदालत में पेश किया गया. 

न्यायिक मजिस्ट्रेट विनोद कुमार ने उन्हें 12 अगस्त तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया. आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर मंगलवार को सुनवाई होगी.

जमानत के लिए कल दी जाएगी दलील

गिरफ्तार किए गए पांच लोगों में, बारिश के पानी से भरी सड़क से गुजरने वाला स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हीकल (एसयूवी) का चालक भी शामिल है. आरोप है कि वाहन के वहां से गुजरने के कारण पानी तीन मंजिला इमारत के बेसमेंट में घुस गया. 

वाहन चालक के वकील ने अदालत में कहा कि उनके मुवक्किल का किसी की जान लेने का इरादा नहीं था. हालांकि, अदालत ने वकील से मंगलवार को जमानत के लिए लिखित दलीलें दाखिल करने को कहा. कोचिंग सेंटर के बेसमेंट के चार सह-मालिकों के वकील ने अदालत को बताया कि किसी इमारत को पट्टे पर देने पर, लापरवाही से मौत और गैर इरादतन हत्या समेत ऐसे अपराधों का कोई दायित्व तय नहीं होता है. अदालत ने वकील को लिखित दलीलें पेश करने के लिए कहा.

आज का इतिहास:1909 में आज ही के दिन राइट ब्रदर्स ने सेना के लिए बनाया था पहला विमान,

नयी दिल्ली : देश और दुनिया में 30 जुलाई का इतिहास कई महत्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी है और कई महत्वपूर्ण घटनाएं इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो गई हैं।

30 जुलाई का इतिहास काफी महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि 1909 में 30 जुलाई के दिन ही राइट ब्रदर्स ने सेना के लिए पहला विमान बनाया था। 1932 में आज ही के दिन अमेरिका के लास एंजिल्स में 10वें आधुनिक ओलंपिक खेल की शुरुआत हुई थी।

2000 में आज ही के दिन संयुक्त राष्ट्र ने इजरायल द्वारा खाली किए क्षेत्रों में शांति सेना की तैनाती शुरू की थी। 2002 में 30 जुलाई के दिन ही कनाडा ने अलकायदा सहित 7 संगठनों को आतंकवादी संगठन घोषित किया था।

2012 में आज ही के दिन भारत में पावर ग्रिड की बड़ी खराबी के कारण 30 करोड़ लोगों को बिना बिजली के रहना पड़ा था।

2010 में 30 जुलाई के दिन ही सायना नेहवाल (बैडमिंटन) को राजीव गांधी खेल रत्न, सुनील छेत्री (फुटबॉल), झूलन गोस्वामी (क्रिकेट), राजीव तोमर (कुश्ती) सहित 15 खिलाड़ियों को अर्जुन पुरस्कार देने की घोषणा की गई थी।

2007 में आज ही के दिन चीनी वैज्ञानिकों ने झेंगझाऊ में लगभग 50 लाख साल पुरानी चट्टानों की खोज की थी।

2002 में 30 जुलाई के दिन ही कनाडा ने अलकायदा सहित 7 संगठनों को आतंकवादी संगठन घोषित किया था।

2000 में आज ही के दिन संयुक्त राष्ट्र ने इजरायल द्वारा खाली किए क्षेत्रों में शांति सेना की तैनाती शुरू की थी।

1989 में 30 जुलाई के दिन ही चिली ने अपने संविधान में संशोधन किया था।

1982 में आज ही के दिन सोवियत संघ ने भूमिगत परमाणु परीक्षण किया था।

1957 में 30 जुलाई के दिन ही एक्सपोर्ट रिस्क इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (प्राइवेट) लिमिटेड की स्थापना हुई थी।

1932 में आज ही के दिन अमेरिका के लॉस एंजिल्स में 10वें आधुनिक ओलंपिक खेल की शुरुआत हुई थी।

1909 में 30 जुलाई के दिन ही राइट ब्रदर्स ने सेना के लिए पहला विमान बनाया था।

1836 में आज ही के दिन अमेरिका के हवाई में अंग्रेजी भाषा का पहला अखबार प्रकाशित हुआ था।

30 जुलाई का को जन्मे प्रसिद्ध व्यक्ति

1923 में 30 जुलाई के दिन ही 20वीं सदी के चिंतक, इतिहासवेत्ता और सौंदर्यशास्त्री गोविन्द चंद्र पांडे का जन्म हुआ था।

1947 में आज ही के दिन हॉलीवुड अभिनेता और कैलिफोर्निया के पूर्व गवर्नर आरनोल्ड श्वार्जनेगर का जन्म हुआ था।

1886 में आज ही के दिन भारत की प्रसिद्ध महिला चिकित्सक, सामाजिक कार्यकर्ता और पद्म भूषण सम्मानित मुत्तू लक्ष्मी रेड्डी का जन्म हुआ था।

30 जुलाई को हुए निधन

1771 में आज ही के दिन 18वीं शताब्दी के प्रसिद्ध अंग्रेज़ी कवि थॉमस ग्रे का निधन हुआ था।

दुखद:फरीदाबाद में करेंट के चपेट में आने से 9 कांवड़िये झुलसे, एक की मौत


फरीदाबाद में बड़ा हादसा हुआ है। गांव तिगांव में कावड़ लेने जाने की तैयारी में जुटे नौ कांवड़िये करंट की चपेट में आ गए। जिसमें एक कांवड़िये की मौत हो गई, जबकि आठ गंभीर रूप से झुलस गए हैं। सभी का निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है। 

जानकारी के अनुसार, रविवार सुबह तिगांव निवासी नितिन (18), भाई नवीन और हर्ष, मन्नू, निशू, मोनू, शिवम, ऋतिक, अभिषेक हरिद्वार से डाक कांवड़ के लिए जाने से पहले बल्लभगढ़ से कैंटर में डीजे लगवा कर वापस अपने गांव लौट रहे थे, तिगांव स्थित शिव कॉलेज के पास कैंटर ऊपर से गुजर रही बिजली की तारों को चपेट में आ गया। 

जिससे उसमें सवार लोगों को करंट लग गया। जैसे ही आस-पास के लोगों ने देखा तुरंत 

बिजली कटवाई और करंट की चपेट में आए लोगों को अस्पताल में भर्ती करवाया। नितिन की गंभीर हालत देखते हुए डॉक्टरों ने उसे सेक्टर 8 स्थित एक निजी अस्पताल रेफर कर दिया। रास्ते में नितिन की मौत हो गई। सूचना पाकर मौके पर पहुंची तिगांव पुलिस मामले की जांच कर रही है।

सावन के दूसरा सोमवार आज,शीघ्र पढ़े ये व्रत कथा,बनेंगे विवाह के योग


दिल्ली:- फिलहाल सावन का पवित्र महीना चल रहा है. 22 जुलाई को सावन माह का पहला सोमवार व्रत रखा गया था. सोमवार व्रत का सावन महीने में खास महत्व है. सावन सोमवार व्रत में भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की विशेष पूजा की जाती है. महिलाएं अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना के लिए सावन सोमवार व्रत करती हैं, जबकि अविवाहित युवतियां भोलेनाथ की विशेष पूजा करती हैं जिससे वे एक अच्छा वर पा सकें।

हिंदू कलेंडर में श्रावण महीने का बहुत महत्व है. यह महीना भगवान शिव को समर्पित है क्योंकि यह मास उन्हें बहुत प्रिय है।यह महीना देवों के देव महादेव भगवान शिव को समर्पित है. धार्मिक मान्यता है कि इस महीने शिवजी की पूजा करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है.पुरुष और महिलाएं दोनों ही सावन सोमवार को व्रत रखकर भगवान शिव की पूजा करते हैं. सावन के पांच सोमवार पड़ रहे हैं. हिंदू धर्म में उपवास का बहुत धार्मिक महत्व है. पुराणों के अनुसार, हर देवता को समर्पित एक कथा है, जिसे पढ़े बिना उपवास का महत्व समाप्त हो जाता है।

सोमवार भगवान शिव को समर्पित है, इसलिए सावन के दौरान उपवास करना महत्वपूर्ण है. ऐसा माना जाता है कि सावन सोमवार व्रत में भगवान शिव की कथा पढ़ना और सुनना बहुत महत्वपूर्ण है, अन्यथा व्रत अधूरा रह सकता है.

आज सावन सोमवार का दूसरा व्रत है और इस व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और अपार सुख की प्राप्ति होती है. सावन सोमवार के व्रत को करने वाले भक्तों के लिए इस कथा का पाठ करना अनिवार्य है।

ऐसी मान्यता है कि सावन सोमवार के व्रत में कथा का पाठ किए बिना व्रत का पूर्ण फल नहीं मिलता है. अगर आप भी सावन के दूसरे सोमवार के दिन व्रत रख रहे हैं, तो इस दिन व्रत कथा को जरूर पढ़ें.

सावन के दूसरे सोमवार पर पढ़ें यह व्रत कथा

एक बार मृत्युलोक में महादेव जी पार्वती के साथ अमरावती नगरी में आए. राजा ने वहां एक भव्य और मनोरम शिव मंदिर बनाया, जो मन को शांत करता था. यात्रा के दौरान शिव-पार्वती भी वहीं ठहर गए.

पार्वती जी ने शिव जी से कहा, हे नाथ! आओ, आज इसी स्थान पर चौसर-पांसे खेलें. इसके बाद खेल शुरू हुआ. भगवान शिव ने कहा कि इसमें मैं जीतूंगा. इस तरह वे आपस में बोलने लगे. तब पुजारी पूजा करने आए. ब्राह्मण ने पुजारी से पूछा, “पुजारीजी, आप बताइए किसकी जीत होगी?” पुजारी ने कहा कि महादेवजी ही जीतेंगे क्योंकि वे इस खेल में सबसे निपुण हैं. लेकिन पार्वती जीत गईं. पुजारी की इस टिप्पणी से आहत होकर माता पार्वती ने पुजारी को कोढ़ी होने का श्राप दिया.

अब पुजारी कोढ़ी हो गया. फिर भगवान शिव और माता पार्वती दोनों वापस चले गए. इसके बाद एक दिन अप्सराएं उस मंदिर में पूजा करने आईं. अप्सराओं ने पुजारी से कोढ़ी होने का कारण पूछा. पुजारी ने सब कुछ बताया.

अप्सराओं ने पुजारी से कहा कि पुजारीजी, आप सावन सोमवार का व्रत करें. इससे शिवजी प्रसन्न होकर आपका संकट दूर करेंगे. पुजारी ने अप्सराओं से व्रत करने का तरीका पूछा. अप्सराओं ने व्रत करने और उद्यापन करने की पूरी प्रक्रिया बताई. पुजारी ने व्रत को विधिपूर्वक श्रद्धापूर्वक शुरू किया और अंत में इसका उद्यापन भी किया. इस व्रत के प्रभाव से पुजारीजी बीमार नहीं होते थे.

कुछ दिनों बाद शंकर-पार्वतजी फिर से उस मंदिर में आए. पुजारी को बीमारी से मुक्त देखकर पार्वतीजी ने पूछा कि उन्होंने मेरे दिए हुए श्राप से बचने के लिए क्या किया? पुजारी ने कहा, “हे प्रभु! अप्सराओं द्वारा बताए गए 16 सोमवार के व्रत करने से मेरा यह कष्ट दूर हुआ है. ” कार्तिकेय जी भी इससे प्रसन्न हुए और सोमवार को पार्वती जी के लिए व्रत किया.

कार्तिकेय जी ने माता से पूछा कि मेरा मन हर समय आपके चरणों में लगा रहता है. कार्तिकेय जी को माता पार्वती ने सोमवार के व्रत का माहात्म्य और विधि बताई. कार्तिकेय जी ने भी इस व्रत को किया. इस व्रत के प्रभाव से उनका खोया हुआ दोस्त मिल गया. इसके बाद उस दोस्त ने भी सावन सोमवार व्रत को विवाह होने की इच्छा से पूरा किया.

इसके बाद वह दोस्त बाहर गया. वहां राजा की कन्या का विवाह था. राजा ने वादा किया था कि जिस हथिनी के गले में वरमाला डाल दी जाएगी, उसी से राजकुमारी का विवाह होगा. यह ब्राह्मण दोस्त भी स्वयंवर देखने के लिए वहां एक ओर जाकर बैठ गया. राजा ने अपनी राजकुमारी को इसी ब्राह्मण मित्र से विवाह कर दिया. जब हथिनी ने उसे माला पहनाई. तब से दोनों खुश रहने लगे.

एक दिन हथिनी ने नाथ के गले में वरमाला पहनाकर राजकन्या से पूछा, “हे नाथ! आपने कौन-सा पुण्य किया?” ब्राह्मण पति ने कहा कि कार्तिकेय जी के कहने पर मैंने सावन सोमवार को पूरी विधि-विधान सहित श्रद्धा-भक्ति से व्रत किया, जिसके फलस्वरूप मुझे तुम्हारे जैसी सौभाग्यशाली पत्नी मिली. अब राजकन्या ने सत्य-पुत्र पाने के लिए यह व्रत पूरा किया और उन्होंने सर्वगुण संपन्न पुत्र प्राप्त किया. जब वह बड़ा हो गया, तो उस पुत्र ने भी राज्य पाने की इच्छा से सावन सोमवार का व्रत लिया

राजा के देवलोक होने पर भी इसी ब्राह्मण पुत्र को राजगद्दी मिली, फिर भी वह इस व्रत को करता रहा. एक दिन उसने अपनी पत्नी से पूजा सामग्री शिवालय ले चलने को कहा, लेकिन उसने अपनी दासियों को भेजा. राजा ने पूजन पूरा करने के बाद आकाशवाणी से कहा कि अगर वह इस पत्नी को नहीं त्यागता तो उसे राजपाट से धोना पड़ेगा.

दूतों ने राजा को आश्रम में रानी को देखकर बताया. तब राजा वहां गया और गुसांईजी से कहा कि यह मेरी पत्नी है, महाराज. मैंने इसे छोड़ दिया था. इसे मेरे साथ चलने की कृपा करें. शिवजी की कृपा से वे हर वर्ष साल सोमवार का व्रत करते हुए खुश रहने लगे और अंत में दोनों को मोक्ष (स्वर्ग) की प्राप्ति हुई.

इस प्रकार, जो व्यक्ति सावन में सोमवार के व्रत को श्रद्धापूर्वक करता है, भगवान शिव की कृपा से उसी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस कथा को सुनने या पढ़ने के बाद ॐ जय शिव ओंकारा आरती करें.

आईए जानते है ब्राइडल लहंगा के लिए फेमस दिल्ली की ये मार्केट जहां सस्ती और डिजाइनर लहंगा मिलता है किफायती दामों में


शादी का सीजन आने से पहले ही ब्राइड टू बी अपने स्पेशल डे के लिए तैयारी शुरू कर देती हैं। अपने मेकअप, ज्वैलरी, वेडिंग आउटफिट हर चीज को ब्राइड्स परफेक्ट रखना चाहती है। इन सभी चीजों में दुल्हनों के लिए सबसे खास उनका लहंगा होता है। हर दुल्हन में वेडिंग लहंगे को लेकर एक अलग ही क्रेज देखने को मिलता है। सभी ब्राइड्स अपने लहंगे का कलर और डिजाइन सबसे अलग चुनना पसंद करती हैं। लेकिन ब्राइडल लहंगा एक बार पहनने के बाद दोबारा पहनने से पहले सोचना पड़ता है। ऐसे में महंगे ब्राइडल लहंगा खरीदने से पहले लड़कियां काफी सोचती हैं। ऐसे में आज हम इस लेख के जरिए आपको दिल्ली की कुछ ऐसी मार्केट के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां से आप 20 से 25 हजार तक के कम बजट में भी ट्रेंडी और खूबसूरत ब्राइडल लहंगा खरीद सकती हैं।

ब्राइडल लहंगे के लिए दिल्ली की फेमस मार्केट्स

1. चांदनी चौक मार्केट

 दिल्ली की चांदनी चौक मार्केट एशिया की सबसे बड़ी मार्केट है। इतना ही नहीं ये दिल्ली की सबसे पुरानी मार्कट्स में से एक है, जहां आपको सस्ते और अच्छे ब्राइडल लहंगे आसानी से मिल जाएंगे। इस मार्केट में आपको ब्राइड्ल लहंगे अधिकतर दुकानों पर मिल जाएंगे। आप अपने बजट में अपने पसंद का लहंगा भी आसानी से खरीद सकती है। इस मार्केट में आपको न सिर्फ ब्राइडल लहंगा बल्कि ब्राइडल ज्वैलरी, सैंडल से लेकर छोटी-छोटी एक्सेसरीज भी मिल जाएगी।

2.करोल बाग मार्केट 

कम बजट में अच्छा लहंगा लेने के लिए दिल्ली की करोल बाग मार्केट भी काफी मशहूर है। इस मार्केट में आपको कम बजट में भी अच्छे लहंगे आसानी से मिल जाएंगे। यहां आपको महंगे से लेकर सस्ते हर तरह के लहंगे मिलेंगे, लेकिन कुछ लोकल दुकानों पर आपको आपके कम बजट के डिजाइनर ब्राइडल लहंगे भी मिल जाएंगे।

3 तिलक नगर मार्केट

 दिल्ली की तिलक नगर मार्केट भी अपने कम रेंज के लिए काफी मशहूर है। यहां से आपको ब्राइड्स के लिए सस्ती ब्राइडल लहंगे के साथ दुल्हन के लिए साड़ी सूट भी आसानी से मिल जाएगा। इतना ही नहीं दुल्हन के लिए चुड़ी सेट, ब्राइडल सैंडल्स, ज्वैलरी कलेक्शन भी आपको यहां बहुत अच्छे मिलेंगे।

4. लक्ष्मी नगर मार्केट

लक्ष्मी नगर मार्केट आपके लिए बजट फ्रेंडली लहंगे के लिए सबसे अच्छा ऑप्शन है। यहां आपके पसंद के लहंगे की तलाश आसानी से पूरी हो जाएगी। दिल्ली की लक्ष्मी नगर मार्केट कपड़ों के लिए काफी फेमस है। यहां आपको ब्राइडल लहंगे से लेकर ब्राइडल एक्सेसरीज तक सब एक ही जगह पर आसानी से मिल जाएगी। लेकिन सिर्फ ब्राइडल लहंगा लेने के लिए अगर आप इस मार्केट में आ रहे हैं, तो एक बार किसी जानकार से यहां की दुकानों के बारे में जानकारी जरूर ले लें। ताकि अपना समय बर्बाद करने से आप बच सकें।

5. सीलमपुर मार्केट

दिल्ली की सीलमपुर मार्केट में आपको लहंगे के फेब्रिक आसानी से मिल जाएंगे। आगर आप खुद के लिए लहंगा डिजाइन करना चाहती हैं। या किसी डिजाइनर लहंगे को रिक्रिएट करना चाहती हैं, तो इस मार्केट से अपने लहंगे के लिए फेब्रिक, लेस, लटकन ले सकती हैं। यहां आपको लहंगे के लिए कई डिजाइन के फेब्रिक कम दामों में आसानी से मिल जाएंगे।