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अगर आप भी सुबह उठते के साथ पीते है दूध वाली चाय तो हो जाए सावधान अनजाने में दे रहे है कई समस्याओं को न्योते


दूध वाली चाय हमारे दैनिक जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुकी है। सुबह की शुरुआत बिना चाय के अधूरी सी लगती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सुबह उठते ही खाली पेट दूध वाली चाय पीना आपके स्वास्थ्य के १लिए हानिकारक हो सकता है? आइए जानते हैं कैसे:

1. पाचन तंत्र पर असर

सुबह उठते ही खाली पेट चाय पीने से आपके पाचन तंत्र पर बुरा असर पड़ता है। चाय में मौजूद टैनिक एसिड और कैफीन आपके पेट की एसिडिटी को बढ़ा सकते हैं, जिससे आपको एसिडिटी, गैस, और पेट दर्द जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

2. वजन बढ़ना

दूध और चीनी वाली चाय में कैलोरी की मात्रा अधिक होती है। इसे नियमित रूप से खाली पेट पीने से आपका वजन बढ़ सकता है। इसके अलावा, चाय में मौजूद चीनी आपके ब्लड शुगर लेवल को भी प्रभावित कर सकती है।

3. न्यूट्रिएंट्स का अब्सॉर्प्शन

चाय में मौजूद टैनिन्स आपके शरीर में आयरन और कैल्शियम जैसे महत्वपूर्ण न्यूट्रिएंट्स के अब्सॉर्प्शन को कम कर सकते हैं। इससे आपके शरीर में न्यूट्रिएंट्स की कमी हो सकती है, जो कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है।

4. नींद पर असर

चाय में मौजूद कैफीन आपके नींद के पैटर्न को भी प्रभावित कर सकता है। अगर आप सुबह उठते ही चाय पीते हैं, तो यह आपके स्लीप साइकिल को डिसरप्ट कर सकता है और आपको रात में नींद आने में समस्या हो सकती है।

5. दांतों पर असर

चाय में मौजूद टैनिन्स और चीनी आपके दांतों पर नेगेटिव असर डाल सकते हैं। इससे दांतों में पीलापन आ सकता है और कैविटीज की समस्या भी हो सकती है।

उपाय

अगर आपको सुबह-सुबह चाय पीने की आदत है, तो इसे बदलने का प्रयास करें। आप इसके बजाय गुनगुना पानी, नींबू पानी, या हर्बल चाय का सेवन कर सकते हैं। अगर आपको दूध वाली चाय ही पीनी है, तो इसे नाश्ते के साथ या नाश्ते के बाद पीने का प्रयास करें।

निष्कर्ष

दूध वाली चाय का सेवन सही समय पर और सही मात्रा में करना बहुत महत्वपूर्ण है। अपनी सेहत का ध्यान रखते हुए अपनी आदतों में बदलाव करना हमेशा फायदेमंद होता है। तो अगली बार जब आप सुबह उठें, तो एक स्वस्थ विकल्प चुनें और अपने दिन की शुरुआत एक नई ऊर्जा के साथ करें।

अगर वजन कम करना चाहते है तो अपनी डाइट में शामिल कीजिए ये साउथ इंडियन फूड


वजन कम करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य हो सकता है, लेकिन सही खान-पान से इसे सरल बनाया जा सकता है। साउथ इंडियन फूड एक स्वादिष्ट और स्वास्थ्यवर्धक विकल्प हो सकता है, जो आपको वजन कम करने में मदद कर सकता है। आइए जानते हैं कुछ साउथ इंडियन फूड जो आपकी डाइट में शामिल किए जा सकते हैं:

1. इडली

इडली एक लो-केलोरी फूड है जो चावल और उड़द दाल से बनती है। यह स्टीम्ड होने के कारण फैट कम होता है और यह आसानी से पच जाती है। इसे सांभर और नारियल चटनी के साथ खाने से यह और भी पौष्टिक हो जाता है।

2. डोसा

डोसा भी चावल और दाल से बनता है, और इसे कम तेल में तवे पर पकाया जाता है। आप मसाला डोसा के बजाय सादा डोसा चुन सकते हैं, जिसमें कैलोरी कम होती है। इसे सांभर और टमाटर चटनी के साथ खाया जा सकता है।

3. उपमा

रवा उपमा सूजी से बनती है और यह वजन घटाने में मददगार होती है। इसमें सब्जियां डालकर इसे और पौष्टिक बनाया जा सकता है। उपमा प्रोटीन और फाइबर का अच्छा स्रोत है।

4. सांभर

सांभर एक दाल और सब्जियों से बना सूप है, जो प्रोटीन, फाइबर और विटामिन से भरपूर होता है। यह कम कैलोरी वाला होता है और इसे चावल, इडली या डोसा के साथ खाया जा सकता है।

5. रसम

रसम एक पतला सूप है जो टमाटर, इमली और मसालों से बनता है। यह डाइजेशन को सुधारता है और वजन घटाने में मदद करता है। इसे चावल के साथ खाया जा सकता है।

6. पोंगल

पोंगल एक हल्की और पौष्टिक डिश है जो चावल और मूंग दाल से बनती है। इसमें काजू और काली मिर्च का तड़का लगाया जाता है। यह पेट भरने वाला और ऊर्जा देने वाला फूड है।

7. अवियल

अवियल एक मिश्रित सब्जी की डिश है जो नारियल और दही के साथ बनाई जाती है। यह वजन घटाने में मददगार होती है क्योंकि इसमें सब्जियों का उच्च मात्रा में उपयोग होता है।

8. कर्ड राइस

कर्ड राइस दही और चावल का मिश्रण है। यह पेट के लिए हल्का और पाचन में मददगार होता है। दही में प्रोटीन और प्रोबायोटिक्स होते हैं जो वजन घटाने में सहायक होते हैं।

निष्कर्ष

साउथ इंडियन फूड न केवल स्वादिष्ट होता है बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है। यदि आप वजन कम करना चाहते हैं, तो इन खाद्य पदार्थों को अपनी डाइट में शामिल करें और एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं। नियमित व्यायाम और सही खान-पान से आप आसानी से अपने वजन घटाने के लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।

कंसीव करने में हों रही है परेशानी तो रोजाना करे ये योगासन,बढ़ेगी प्रजनन क्षमता


महिलाओं में प्रजनन क्षमता की कमी का कारण तनाव और चिंता है। जिसकी वजह से वो मां बनने के सुख से वंचित रह जाती हैं। तमाम तरह के इलाज के साथ ही सही खानपान और जीवनशैली की मदद से भी इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। योग प्रजनन क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है। इस बात का दावा तमाम शोध में भी किया जाता है। 

महिलाओं की प्रजनन क्षमता को बढ़ाने के लिए योग एक प्रभावी और प्राकृतिक तरीका हो सकता है। यहां पांच ऐसे योगासन दिए जा रहे हैं जो प्रजनन क्षमता को बढ़ाने में सहायक हो सकते हैं:

1. भ्रामरी प्राणायाम

 ;(Bhramari Pranayama)

भ्रामरी प्राणायाम एक ऐसा प्राणायाम है जो मानसिक तनाव को कम करने में मदद करता है। यह मस्तिष्क को शांति प्रदान करता है और प्रजनन तंत्र को सुधारता है।

विधि: आरामदायक स्थिति में बैठें। आंखें बंद करें और अपने कानों को अंगूठों से बंद करें। अब गहरी सांस लें और छोड़ते समय मधुमक्खी की आवाज निकालें।

लाभ: तनाव को कम करता है, हार्मोनल संतुलन बनाता है।

2. बद्ध कोणासन (Baddha Konasana)

यह आसन हिप्स और जांघों को खोलता है, जिससे ब्लड सर्कुलेशन में सुधार होता है और प्रजनन अंगों को मजबूत बनाता है।

विधि: फर्श पर बैठें और पैरों को सामने की ओर फैलाएं। दोनों पैरों के तलवों को एक साथ लाएं और उन्हें हाथों से पकड़ें। अपनी एड़ी को शरीर के पास लाएं और धीरे-धीरे अपने घुटनों को नीचे दबाएं।

लाभ: जांघों और हिप्स की मांसपेशियों को मजबूत करता है, रक्त प्रवाह में सुधार करता है।

3. विपरीत करनी (Viparita Karani)

विपरीत करनी एक रिवर्स पोज है जो प्रजनन अंगों में रक्त प्रवाह को बढ़ाता है और मानसिक तनाव को कम करता है।

विधि: दीवार के पास लेटें और पैरों को दीवार के साथ ऊपर की ओर उठाएं। अपने हाथों को बगल में रखें और आराम से सांस लें।

लाभ: रक्त प्रवाह में सुधार करता है, तनाव कम करता है।

4. मालासन (Malasana)

यह आसन हिप्स और पेल्विक क्षेत्र को खोलता है, जो प्रजनन क्षमता के लिए लाभदायक होता है।

विधि: खड़े होकर अपने पैरों को चौड़ा करें। धीरे-धीरे नीचे की ओर बैठें, जैसे कि एक स्क्वाट पोजिशन में। अपने हाथों को सामने की ओर जोड़ें।

लाभ: हिप्स और पेल्विक क्षेत्र को खोलता है, लचीलेपन में सुधार करता है।

5. शिशुआसन (Balasana)

यह आरामदायक आसन तनाव को कम करने और प्रजनन अंगों को आराम देने में मदद करता है।

विधि: घुटनों के बल बैठें और अपने पैरों को पीछे की ओर फैलाएं। अपने शरीर को आगे की ओर झुकाएं और माथे को फर्श पर रखें। अपने हाथों को सामने की ओर फैलाएं।

लाभ: मानसिक शांति और आराम देता है, तनाव को कम करता है।

इन योगासनों को नियमित रूप से करने से महिलाओं की प्रजनन क्षमता में सुधार हो सकता है। ध्यान रखें कि किसी भी योगासन को करने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लें, खासकर यदि आपको कोई स्वास्थ्य समस्या है।

क्या आप जानते है दोने और पत्तलों में खाना स्वास्थ के लिए है कितना लाभकारी,यह पर्यावरण से लेकर मनुष्य तक की करती है सुरक्षा


पत्तल और दोना के पत्ते प्रकृति में पर्यावरण के अनुकूल हैं जो साल के पत्तों से बने होते हैं।प्लेट एक गोलाकार आकार में होती है जिसमें छह से आठ पत्तियाँ एक संकीर्ण लकड़ी की छड़ियों से जुड़ी होती हैं।

भारत मुख्य रूप से अपनी समृद्ध संस्कृति और पारंपरिक मूल्यों के लिए जाना जाता है। पुराने जमाने में दामाद की चपलता की परख पत्तल और कटोरी बनाकर की जाती थी, तभी उसे उसका होने वाला ससुर स्वीकार करता था।

एक बहुत छोटी सी बात है पर हमने उसे विस्मृत कर दिया हमारी भोजन संस्कृति, इस भोजन संस्कृति में बैठकर खाना और उस भोजन को "दोने पत्तल" पर परोसने का बड़ा महत्व था कोई भी मांगलिक कार्य हो उस समय भोजन एक पंक्ति में बैठकर खाया जाता था और वो भोजन पत्तल पर परोसा जाता था जो विभिन्न प्रकार की वनस्पति के पत्तो से निर्मित होती थी।

क्या हमने कभी जानने की कोशिश की कि ये भोजन पत्तल पर परोसकर ही क्यो खाया जाता था? नही क्योकि हम उस महत्व को जानते तो देश मे कभी ये "बुफे"जैसी खड़े रहकर भोजन करने की संस्कृति आ ही नही पाती।

जैसा कि हम जानते है पत्तल अनेक प्रकार के पेड़ो के पत्तों से बनाई जा सकती है इसलिए अलग-अलग पत्तों से बनी पत्तलों में गुण भी अलग-अलग होते हैतो आइए जानते है कि कौन से पत्तों से बनी पत्तल में भोजन करने से क्या फायदा होता है? 

एक बार आजमा कर देखें

लकवा से पीड़ित व्यक्ति को अमलतास के पत्तों से बनी पत्तल पर भोजन करना फायदेमंद होता है।

जिन लोगों को जोड़ो के दर्द की समस्या है ,उन्हें करंज के पत्तों से बनी पत्तल पर भोजन करना चाहिए।

जिनकी मानसिक स्थिति सही नहीं होती है ,उन्हें पीपल के पत्तों से बनी पत्तल पर भोजन करना चाहिए।

पलाश के पत्तों से बनी पत्तल में भोजन करने से खून साफ होता है और बवासीर के रोग में भी फायदा मिलता है।

केले के पत्ते पर भोजन करना तो सबसे शुभ माना जाता है , इसमें बहुत से ऐसे तत्व होते है जो हमें अनेक बीमारियों से भी सुरक्षित रखते है।*

पत्तल में भोजन करने से पर्यावरण भी प्रदूषित नहीं होता है क्योंकि पत्तल आसानी से नष्ट हो जाते है।

पत्तलों के नष्ट होने के बाद जो खाद बनती है वो खेती के लिए बहुत लाभदायक होती है।

पत्तल प्राकतिक रूप से स्वच्छ होते है इसलिए इस पर भोजन करने से हमारे शरीर को किसी भी प्रकार की हानि नहीं होती है|अगर हम पत्तलों का अधिक से अधिक उपयोग करेंगे तो गांव के लोगों को रोजगार भी अधिक मिलेगा क्योंकि पेड़ सबसे ज्यादा ग्रामीण क्षेत्रो में ही पाये जाते है।

अगर पत्तलों की मांग बढ़ेगी तो लोग पेड़ भी ज्यादा लगायेंगे जिससे प्रदूषण कम होगा। डिस्पोजल के कारण जो हमारी मिट्टी, नदियों ,तालाबों में प्रदूषण फैल रहा है ,पत्तल के अधिक उपयोग से वह कम हो जायेगा।

जो मासूम जानवर इन प्लास्टिक को खाने से बीमार हो जाते है या फिर मर जाते है वे भी सुरक्षित हो जायेंगे ,क्योंकि अगर कोई जानवर पत्तलों को खा भी लेता है तो इससे उन्हें कोई नुकसान नहीं होगा सबसे बड़ी बात पतला डिस्पोजल से बहुत सस्ती भी होती है, ये बदलाव आप और हम ही ला सकते हैं अपनी संस्कृति को अपने से हम छोटे नहीं हो जाएंगे बल्कि हमें इस बात का गर्व होना चाहिए कि हमारी संस्कृति का विश्व में कोई सानी नहीं है।

आईए जानते है अगर रोजाना रात में एक ही समय पर आपकी आंख खुलती है तो इसकी कुछ वजह हो सकती है
स्वस्थ रहने के लिए अच्छी नींद आवश्यक है। बिना बाधा रात की नींद लेने से सेहतमंद रह सकते हैं। लेकिन अक्सर कई लोग रात में किसी कारण से जाग जाते हैं। कभी पेशाब जाने या फिर कभी प्यास लगने पर नींद टूटना आम बात है। इस तरह के नींद खुलना कोई चिंता की बात नहीं है लेकिन अगर रोजाना रात में एक ही समय पर आपकी आंख खुलती है तो इसकी कुछ वजह हो सकती है। रोज रात में एक तय समय पर नींद खुलने की समस्या कई लोगों में देखने को मिलती है। कई लोग एक फिक्स समय पर जाग जाते हैं, हालांकि हर व्यक्ति के लिए रात में उठने का समय अलग अलग ही होता है।

रात में नींद टूटने की वजह मनोचिकित्सक के मुताबिक, रात में सोते समय नींद खुलने के कई कारण हो सकते हैं। लोग नींद खुलने की एक वजह इंसोमनिया की समस्या मान लेते हैं। लेकिन इंसोमनिया में नींद ही नहीं आती है। वहीं रोजाना एक ही समय पर नींद खुलने की समस्या में आपको दोबारा नींद आ जाती है।

रात में जागने का असर अगर रोजाना रात में जागने की समस्या से परेशान है तो यह स्थिति चिंताजनक तब हो जाती है जब एक बार जागने के बाद आपको दोबारा नींद न आए। ऐसी स्थिति में एंग्जाइटी, निराशा, थकान जैसी शिकायत हो जाती है और सिंपैथेटिक नर्वस सिस्टम एक्टिवेट जा सकता है। इस तरह की स्थिति में नींद खुलने के बाद दिमाग काफी ज्यादा सक्रिय हो जाता है और हृदय गति तेज हो जाती है। इस वजह से दोबारा नींद आने में दिक्कत होने लगती है। चिंता के कारण इंसोमनिया की समस्या हो जाती है।

स्लीप एपनिया की समस्या इसके अलावा आपको स्लीप एपनिया भी हो सकता है। स्लीप एपनिया में आपको नींद में सांस लेने में दिक्कत आने लगती है। इस बीमारी में सांस की दिक्कत के कारण आपकी अचानक नींद खुल जाती है। फेफड़ों और शरीर के बाकी हिस्सों में ऑक्सीजन का फ्लो काफी कम होने लगते है। स्लीप एपनिया के लक्षणों में अचानक नींद खुलना, सांस न आना, खर्राटे मारना, थकान और दिन भर सुस्ती आना शामिल है।

रोजाना रात में नींद खुलने पर क्या करें? नींद की समस्या होने पर किसी स्लीप एक्सपर्ट से संपर्क करें।  स्लीप एपनिया या इंसोमनिया का सही समय पर इलाज न होने के कारण हृदय संबंधी समस्या, डायबिटीज, मोटापा जैसी बीमारी हो सकती है।

अगर रात में अचानक नींद खुल जाए तो फिर से सोने की कोशिश करें। 10 से 15 मिनट का समय खुद को दें। इस बीच फोन को खुद से दूर रखें, न ही टीवी या अन्य गतिविधियों में व्यस्थ हों।

सोने की कोशिश करने के बाद भी अगर आपको दोबारा नींद न आए तो बिस्तर पर लेटे रहने के बजाए उठ कर बैठ जाएं।

विशेषज्ञों के मुताबिक, बिना नींद के लंबे समय तक बिस्तर पर लेटे रहने से दिमाग में अधिक सक्रिय हो जाता है और कई बातों को लेकर चिंता शुरू हो जाती है। इसलिए बिस्तर से उठकर बैठ जाएं ताकि दिमाग शांत रहे।





Note: स्ट्रीट बज लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

इन पांच योगासन कामकाजी महिलाओं के लिए है फायदेमंद,


चाहे घर की जिम्मेदारियां हों या ऑफिस का कामकाज, महिलाऐं अपनी हर जिम्मेदारी को बखूबी निभाती हैं। लेकिन इन सभी कामों की व्यस्तता के बीच वे अक्सर अपनी सेहत का ध्यान नहीं रख पाती हैं। जो महिलाऐं जॉब करती हैं, उनका अधिकतर समय डेस्क पर बैठकर गुजरता है। ऐसे में उन्हें अपने आप को फिट, हेल्दी और एक्टिव रखने के लिए योग जरूर करना चाहिए। दिनभर एक ही जगह बैठे रहने से पीठ में दर्द, मोटापा, डायबिटीज और दिल से संबंधी समस्याओं का जोखिम बढ़ सकता है। 

इन सभी समस्याओं से छुटकारा पाने और बचाव करने के लिए नियमित रूप से योग का अभ्यास करना बहुत जरूरी है। योग करने से न सिर्फ शरीर स्वस्थ रहता है, बल्कि मन भी चुस्त रहता है। रोजाना योग अभ्यास करने से तनाव, अवसाद और चिंता जैसी समस्याएं भी दूर होती हैं। आज इस लेख में हम आपको ऐसे 5 योगासनों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो कामकाजी महिलाओं को जरूर करने चाहिए -

1. पश्चिमोत्तानासन

इस आसन को करने के लिए सबसे पहले सुखासन में बैठ जाएं। 

अब अपने दोनों पैरों को सामने की ओर सीध में खोलकर बैठ जाएं, दोनों एड़ी और पंजे मिले रहेंगे। 

अब सांस छोड़ते हुए और आगे की ओर झुकते हुए दोनों हाथों से दोनों पैरों के अंगूठे पकड़ लें। 

माथे को घुटनों से लगाएं और दोनों कोहनियां जमीन पर लगी रहेंगी, जैसा कि आप तस्‍वीरों में देख सकते हैं।

इस पोजिशन में आप खुद को 30 से 60 सेकेंड तक रखें, धीमी सांसें लेते रहें। 

अब अपने पूर्व की मुद्रा में वापस आ जाएं और आराम करें।

 

फायदे

इस आसान को करने से हड्डियों में लचीलापन आता है। नियमित रूप से इसका अभ्यास करने से पाचन-तंत्र दुरुस्त रहता है और पेट से जुड़ी समस्याएं दूर होती हैं। वजन घटाने और पेट की चर्बी को कम करने के लिए भी यह आसन बहुत फायदेमंद माना जाता है।

2. मार्जरी आसन 

इस आसन को करने के लिए वज्रासन की मुद्रा में बैठ जाएं। 

अब अपने दोनों हाथों को फर्श पर आगे की ओर रखें। 

अपने दोनों हाथों पर थोड़ा सा भार डालते हुए, अपने हिप्स को ऊपर उठाएं। 

अपनी जांघों को ऊपर की ओर सीधा करके पैर के घुटनों पर 90 डिग्री का कोण बनाएं। 

अब सांस भरते हुए, अपने सिर को नीचे की ओर झुकाएं और मुंह की ठुड्डी को अपनी छाती से लगाने का प्रयास करें। 

इस स्थिति में अपने घुटनों के बीच की दूरी को देखें। 

अब फिर से अपने सिर को पीछे की ओर करें और इस प्रक्रिया को दोहराहएं। 

इस प्रक्रिया को आप 10-20 बार दोहराएं।

 

फायदे

इस आसन के नियमित अभ्यास से रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है और पीठ के दर्द से राहत मिलती है। यह आसान पेट की चर्बी को कम करने में मददगार साबित हो सकता है। इस आसन करने से तनाव को दूर करने में बहुत मदद मिलती है।

3. भुजंगासन  

इस आसान को करने के लिए जमीन पर पेट के बल लेट जाएं। 

अपनी कोहनियों को कमर से सटा के रखें और हथेलियां ऊपर की ओर रखें। 

अब धीरे-धीरे सांस भरते हुए, अपनी छाती को ऊपर की ओर उठाएं। 

उसके बाद अपने पेट वाले हिस्से को धीरे-धीरे ऊपर उठा लें। इस स्थिति में 30 सेकंड तक रहें। 

अब सांस छोड़ते हुए, अपने पेट, छाती और फिर सिर को धीरे-धीरे जमीन की ओर नीचे लाएं।

 

फायदे

कंप्यूटर और लैपटॉप पर काम करने वाली महिलाओं को अक्सर कमर और गर्दन में दर्द की शिकायत रहती है। इस आसान को करने से मांसपेशियों को आराम मिलता है, जिससे दर्द से राहत मिलती है।

4. बालासन

इस आसान को करने के लिए सबसे पहले योगा मैट पर घुटनों के बल बैठ जाएं।

अपने शरीर का सारा भार एड़ियों पर डाल दें। 

अब गहरी सांस भरते हुए आगे की ओर झुकें। ध्यान रहे कि आपका सीना जांघों से छूना चाहिए। 

फिर अपने माथे से फर्श को छूने की कोशिश करें। 

कुछ सेकंड तक इस स्थिति में रहने के बाद वापस सामान्‍य अवस्‍था में आ जाएं।

आप इस प्रक्रिया को 3-5 बार कर सकते हैं।

 

फायदे

इस आसन को को करने से पीठ और कमर के दर्द से आराम मिलता है। इसके अभ्यास से मन को शान्ति मिलती है और नींद अच्छी आती है।

5. वीरभद्रासन  

इस आसान को करने के लिए सबसे पहले योग मैट पर सीधे खड़े हो जाएं।

अब अपने दोनों पैरों को फैलाएं। पैरों के बीच 2-3 फीट की दूरी रखें। 

अब दोनों हाथों को कंधे के समानांतर रखें।

फिर अपने दाएं पैर को 90 डिग्री के कोण पर घुमाएं। यानी घुटने से मोड़ते हुए तलवे के जमीन पर रखें। 

बाएं पैर को पीछे की तरफ स्ट्रेच करें।

अपने सिर को दाएं पैर और हाथ की तरफ रखें। फिर सामने की तरफ देखें।

इस अवस्था में 50-60 सेकेंड्स तक रुकें।

फिर प्रारंभिक स्थिति में आ जाएं।

आप इस प्रक्रिया को 3-5 बार कर सकते हैं।

 

फायदे

इस आसान को करने से कंधे, सीने, हिप्स और जांघों की मांसपेशियों में खिंचाव पैदा होता है। यह योगासन शरीर में संतुलन और स्थिरता बनाने में मदद करता है।

मिश्री और सौंफ को एक साथ खाने से होते कई आर्युवेदिक फायदे,जाने इसके कुछ महत्वपूर्ण फायदे


मिश्री और सौंफ का मिश्रण आयुर्वेद में कई स्वास्थ्य लाभों के लिए जाना जाता है। इसे अक्सर भोजन के बाद सेवन किया जाता है और इसके कुछ प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं:

पाचन में सुधार: सौंफ और मिश्री का मिश्रण पाचन को सुधारने में मदद करता है। यह गैस, अपच और एसिडिटी को कम करने में सहायक होता है।

मुँह की ताजगी: मिश्री और सौंफ का सेवन मुँह की दुर्गंध को दूर करता है और ताजगी बनाए रखता है।

आँखों की रोशनी: सौंफ में विटामिन ए होता है, जो आँखों की रोशनी के लिए अच्छा माना जाता है। मिश्री के साथ सेवन करने से इसके लाभ और बढ़ जाते हैं।

श्वसन समस्याओं में राहत: सौंफ और मिश्री का मिश्रण श्वसन तंत्र को शांत करने में मदद करता है और खाँसी व सर्दी जैसी समस्याओं से राहत दिलाता है।

मस्तिष्क के लिए फायदेमंद: यह मिश्रण मस्तिष्क को शांत करता है और तनाव को कम करने में मदद करता है।

एनर्जी बूस्टर: मिश्री और सौंफ का सेवन शरीर में ताजगी और ऊर्जा बनाए रखता है।

इन लाभों के कारण मिश्री और सौंफ का मिश्रण भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व रखता है और इसे विभिन्न प्रकार के भोजन के बाद सेवन किया जाता है।

हमारी कई आदतें ऐसी हैं जिनके दुष्प्रभावों के कारण आप समय से पहले बूढ़ा दिखने लगते हैं? 30 की ही उम्र में आप 50 की आयु वालों जैसे हो सकते हैं?
उम्र बढ़ना प्रकृति का नियम है। जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती जाती है, त्वचा से लेकर पूरे शरीर पर इसका असर दिखना शुरू हो जाता है। 50 की उम्र आते-आते त्वचा की कसावट कम होने लगती है, चेहरे पर झुर्रियां हो जाती हैं, बाल सफेद होने लगते हैं, मसलन आप बूढ़े दिखने लगते हैं। इसे रोका नहीं जा सकता है पर जीवनशैली के कुछ उपाय हैं जो इन लक्षणों को कुछ साल के लिए आगे बढ़ा सकते हैं।

पर क्या आप जानते हैं कि हम रोजाना कई ऐसे काम करते हैं, हमारी कई आदतें ऐसी हैं जिनके दुष्प्रभावों के कारण आप समय से पहले बूढ़ा दिखने लगते हैं? 30 की ही उम्र में आप 50 की आयु वालों जैसे हो सकते हैं?

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, जल्दी बूढ़ा दिखने से बचना चाहते हैं तो जरूरी है कि इसके लिए निरंतर प्रयास किए जाते रहें। हमारी जीवनशैली की कई चीजें न सिर्फ लाइफ एक्सपेक्टेंसी को कम कर रही हैं साथ ही शरीर को इस तरह से प्रभावित करती हैं जिससे कम उम्र में ही बूढ़े दिखने लग सकते हैं।

आप कितने स्वस्थ हैं, कैसे दिखते हैं इन सभी के लिए आहार का स्वस्थ और पौष्टिक रहना सबसे आवश्यक माना जाता है। अनियमित और अस्वास्थ्यकर आहार कई प्रकार की बीमारियों का कारण बन सकते हैं जिससे आप कम उम्र में ही बुढ़ापे का शिकार हो सकते हैं। आहार में गड़बड़ी मोटापे, मधुमेह, और हृदय रोग का कारण बन सकती है, जिसका सीधा असर आपकी त्वचा पर दिखने लगता है। इसलिए संतुलित और पोषक तत्वों से भरपूर आहार का सेवन करें। फलों, सब्जियों, अनाज और प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ आपको स्वस्थ और जवां बनाए रखने में सहायक हैं।

धूम्रपान और अल्कोहल दो ऐसी आदतें हैं जिनसे हमारी सेहत को अनगिनत नुकसान हो सकते हैं। धूम्रपान त्वचा को नुकसान पहुंचाता है, हृदय रोग और फेफड़ों के कैंसर का जोखिम बढ़ाता है। इसी तरह से अल्कोहल के कारण लिवर को क्षति होती है और त्वचा कोशिकाएं अस्वस्थ होने लगती हैं।जो लोग धूम्रपान और अल्कोहल पीते हैं उनके समय से पहले बूढ़ा दिखने का खतरा, इनका सेवन न करने वालों की तुलना में कहीं ज्यादा होता है। शारीरिक गतिविधि की कमी जैसे लंबे समय तक बैठे रहने, व्यायाम की कमी और कम चलने की आदत कई प्रकार की क्रोनिक बीमारियों की प्रमुख वजह मानी जाती है। इससे मोटापा, हृदय रोग, और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है। ये बीमारियां शरीर को अंदर-अंदर खोखला बनाती जाती हैं जिसका असर आपकी लुक पर भी दिखने लगता है।

यही कारण है कि  नियमित योग-व्यायाम करने वाले लोग ज्यादा स्वस्थ और जवां बने रहते हैं। हर दिन कम से कम 30 मिनट की शारीरिक गतिविधि जैसे कि चलना, साइकिलिंग, दौड़ना, योग या व्यायाम करना बहुत महत्वपूर्ण है।

बहुत अधिक तनाव मानसिक और शारीरिक समस्याओं दोनों का कारण बन सकती है। तनाव के कारण स्ट्रेस हार्मोन कोर्टिसोल रिलीज होता है जो न सिर्फ कई बीमारियों के जोखिमों को बढ़ा देता है साथ ही इससे आपकी त्वचा पर भी नकारात्मक असर हो सकता है। ध्यान, योग, और मानसिक आराम के अन्य तरीके अपनाएं। गड़बड़ आदतों से बचाव करके आप न केवल अपनी उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा कर सकते हैं, बल्कि एक स्वस्थ और लंबा जीवन भी जी सकते हैं।

note: स्ट्रीट बज लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
क्या आप जानते हैं किस ब्लड ग्रुप वालों को हृदय रोग और कैंसर का कम होता है खतरा

हमारे पूरे शरीर को ठीक तरीके से काम करते रहने के लिए पर्याप्त मात्रा में रक्त की आवश्यकता होती है। रक्त कोशिकाओं के ही माध्यम से शरीर के सभी अंगों तक ऑक्सीजन का संचार होता है। हमारे खून में कई तरह कोशिकाएं होती हैं और इनके कार्य भी काफी महत्वपूर्ण हैं। जैसे लाल रक्त कोशिकाएं शरीर के विभिन्न ऊतकों तक ऑक्सीजन पहुंचाती हैं, श्वेत रक्त कोशिकाएं संक्रमण की स्थिति में रोगजनकों को नष्ट करती हैं। खून के मामले में इसके समूहों (ब्लड ग्रुप) की भी महत्वपूर्ण भूमिका मानी जाती है।

अध्ययनकर्ताओं ने पाया कि हमारा ब्लड ग्रुप इस बात पर निर्भर करता है कि हमारी लाल रक्त कोशिकाओं की सतह पर कौन से एंटीजन हैं? कुछ खास ब्लड ग्रुप वाले लोगों में विशेष क्वालिटी हो सकती है। जैसे एक अध्ययन  में शोधकर्ताओं ने बताया कि जिन लोगों का ब्लड ग्रुप ओ होता है, वह अन्य ब्लड ग्रुप वालों की तुलना में अधिक जाते हैं। ऐसे लोगों में कई तरह की क्रोनिक और गंभीर बीमारियों का जोखिम कम पाया गया है। क्या आपका भी 'ब्लड ग्रुप ओ' है? ब्लड ग्रुप मुख्यरूप से चार प्रकार का- ए, बी, एबी और ओ होता है। ब्लड ग्रुप ओ को यूनिवर्सल डोनर भी माना जाता है। यानी कि इस ब्लड ग्रुप वाले लोग किसी दूसरे ब्लड ग्रुप वाले लोगों को रक्तदान कर सकते हैं। दुर्घटनाओं के समय जब समान ब्लड ग्रुप नहीं मिल पाता है तो ब्लड ग्रुप ओ वाला रक्त देकर किसी भी रोगी की जान बचाई जा सकती है।

इसके अलावा अध्ययनकर्ताओं ने पाया कि ओ ब्लड ग्रुप वाले लोगों में अन्य की तुलना में कोलेस्ट्रॉल, पेट के कैंसर, तनाव सहित कई प्रकार की बीमारियों का खतरा भी कम होता है।
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के विशेषज्ञों ने एक अध्ययन में पाया क टाइप ए, टाइप बी या टाइप एबी रक्त वाले लोगों में ब्लड ग्रुप ओ वाले लोगों की तुलना में दिल का दौरा पड़ने या हार्ट फेलियर की आशंकाअधिक होती है। ओ ब्लड ग्रुप वालों की तुलना में ब्लड ग्रुप ए या बी में दिल का दौरा पड़ने का जोखिम 8%  और हार्ट फेलियर का जोखिम 10% अधिक था। शोधकर्ताओं ने बताया कि अध्ययन में टाइप ए और बी लोगों में डीप वेन थ्रोम्बोसिस विकसित होने की आशंका 51% अधिक थी जो रक्त के थक्के बनाने का कारण बनते हैं और हार्ट फेलियर के जोखिमों को भी बढ़ा सकते हैं। ब्लड ग्रुप ओ वालों में इसका जोखिम कम देखा गया।

एक अन्य अध्ययन में स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बताया कि ब्लड ग्रुप ओ वाले लोगों को कई प्रकार के कैंसर का भी जोखिम कम हो सकता है। ब्लड ग्रुप ए, एबी और बी वाले लोगों में ओ ब्लड ग्रुप की तुलना में पैट के कैंसर का अधिक जोखिम देखा गया हैं। शोधकर्ताओं का मानना है कि ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि एच. पाइलोरी संक्रमण ए रक्त समूह वाले लोगों में अधिक आम है। यह एक बैक्टीरिया है जो आमतौर पर पेट में पाया जाता है और यह सूजन और अल्सर का कारण बन सकता है।

इसी तरह से टाइप ए और बी वालों में एच. पाइलोरी बैक्टीरिया आंतों में भी देखे गए हैं, इससे अग्नाशय कैंसर होने की आशंका भी अधिक हो सकती है। पेन मेडिसिन के हेमेटोलॉजिस्ट डॉ. डगलस गुगेनहेम कहते हैं, ब्लड ग्रुप ओ वाले लोगों के पास वरदान जैसा कुछ होता है जो उन्हें कई बीमारियों से बचाकर लंबी आयु प्रदान कर सकता है। ब्लड ग्रुप ओ वाले लोगों का मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं का जोखिम भी कम देखा जाता रहा है। अध्ययन में पाया गया कि टाइप ए ब्लड वाले लोगों के शरीर में कॉर्टिसोल (स्ट्रेस हार्मोन) का स्तर अधिक होता है, जबकि टाइप ओ वाले लोगों में कॉर्टिसोल की मात्रा सबसे कम पाई गई है। जब एड्रेनल ग्रंथि रक्त में अधिक मात्रा में कॉर्टिसोल रिलीज करती है तो लोगों की तनाव की समस्या अधिक होती है। ब्लड ग्रुप ओ वाले लोगों को इससे भी सुरक्षित पाया गया है।

स्ट्रीट बज लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
बरसात के पानी में भीगने से स्किन पर हो रही है खुजली और फोड़े,तो नहाने के पानी में मिलाए ये चीज मिलेगी राहत

बारिश में भीगने के बाद स्किन पर खुजली और फोड़े की समस्या हो सकती है, जो अक्सर बैक्टीरियल या फंगल इन्फेक्शन के कारण होती है। इस समस्या से राहत पाने के लिए नहाने के पानी में नीम के पत्ते मिलाना बहुत फायदेमंद हो सकता है।

नीम में एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल और एंटीसेप्टिक गुण होते हैं, जो त्वचा के संक्रमण को ठीक करने में मदद कर सकते हैं। इसके अलावा, यह खुजली और सूजन को कम करने में भी सहायक होता है।

इस्तेमाल करने का तरीका:

एक बर्तन में पानी गर्म करें।

इसमें कुछ नीम के पत्ते डालें और कुछ समय के लिए उबालें।

जब पानी ठंडा हो जाए तो इसे अपने नहाने के पानी में मिलाएं।

इस पानी से नहाएं और ध्यान रखें कि प्रभावित क्षेत्रों पर अच्छे से पानी डालें।

नियमित रूप से ऐसा करने से आपको राहत मिल सकती है। अगर समस्या बनी रहती है, तो डॉक्टर से परामर्श जरूर करें।