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आइए जानते है 370 साल पुराना चांदनी चौक का इतिहास आखिर शाहजहा ने क्यों रखा ये नाम


दिल्ली का चांदनी चौक, देश के सबसे पुरानी और प्रसिद्ध बाजारों में से एक है। इसकी स्थापना 1650 में मुग़ल सम्राट शाहजहाँ द्वारा की गई थी। इसके नाम की उत्पत्ति और इसके इतिहास से जुड़े कई रोचक तथ्य हैं।

चांदनी चौक की स्थापना

शाहजहाँ ने अपने शासनकाल में कई भव्य इमारतों और संरचनाओं का निर्माण किया। चांदनी चौक को उन्होंने अपनी बेटी जहाँआरा बेगम के निर्देश पर बनवाया था। इस बाजार की डिज़ाइन और निर्माण का प्रमुख उद्देश्य था एक ऐसा केंद्र स्थापित करना जहाँ शहर के लोग खरीदारी कर सकें और सामाजिक गतिविधियों में भाग ले सकें।

नामकरण का रहस्य

चांदनी चौक का नाम एक विशेष तालाब से प्रेरित था जो बाजार के बीचों-बीच स्थित था। इस तालाब में चांद की रोशनी प्रतिबिंबित होती थी, जिससे रात में यह जगह और भी आकर्षक दिखती थी। इसी वजह से इस बाजार का नाम "चांदनी चौक" रखा गया। "चांदनी" का मतलब चांदनी रात की रोशनी और "चौक" का मतलब चौक या बाजार होता है। यह तालाब आज तो नहीं है, लेकिन इसका नाम चांदनी चौक में आज भी जिंदा है।

व्यापार और संस्कृति का केंद्र

चांदनी चौक सिर्फ एक बाजार नहीं था, बल्कि यह व्यापार और संस्कृति का प्रमुख केंद्र था। यहां विभिन्न प्रकार के व्यापार और वाणिज्यिक गतिविधियां होती थीं। कपड़ा, गहने, मसाले, और भोजन यहां के प्रमुख व्यापारिक उत्पाद थे। यहाँ की गलियों में विभिन्न संस्कृतियों और धर्मों के लोग बसते थे, जिससे यह जगह एक सांस्कृतिक संगम बन गई थी।

ऐतिहासिक धरोहर

आज, चांदनी चौक अपने समृद्ध इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर के कारण एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। यहां की गलियों में आज भी वही पुरानी रौनक है, और बाजार के अंदर स्थित पुरानी हवेलियाँ, मंदिर, और मस्जिदें यहाँ की ऐतिहासिक महत्ता को जीवंत रखती हैं।

वर्तमान में चांदनी चौक

आज भी चांदनी चौक दिल्ली के दिल में बसा हुआ है। यहां के बाजारों में आज भी वैसा ही उत्साह और रौनक है जैसे 370 साल पहले हुआ करती थी। चांदनी चौक का हर कोना, हर गली अपने आप में एक कहानी कहती है और यह दिल्ली के समृद्ध इतिहास और संस्कृति का प्रतीक है।

निष्कर्ष

चांदनी चौक सिर्फ एक बाजार नहीं, बल्कि यह एक ऐतिहासिक धरोहर है जो शाहजहाँ के शासनकाल की शानदार वास्तुकला और सांस्कृतिक विविधता को दर्शाता है। इस बाजार का नाम और इसका इतिहास हमेशा दिल्ली और भारत के दिल में बसा रहेगा।

आज का इतिहास:1979 में आज ही के दिन देश के 5वें प्रधानमंत्री बने थे ‘किसान नेता’ चौधरी चरण सिंह


नयी दिल्ली : देश और दुनिया में 28 जुलाई का इतिहास कई महत्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी है और कई महत्वपूर्ण घटनाएं इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो गई है।b

28 जुलाई का इतिहास काफी महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि 1914 में आज ही के दिन प्रथम विश्‍व युद्ध की शुरुआत हुई थी। इस विश्व युद्ध को ग्रेट वार या ग्लोबल वार भी कहा जाता है। इस युद्ध के 20 साल बाद द्वितीय विश्व युद्ध भी हुआ था।

हर साल 28 जुलाई को दुनियाभर में विश्व हेपेटाइटिस दिवस मनाया जाता है। 

1979 में आज ही के दिन चौधरी चरण सिंह देश के 5वें प्राइम मिनिस्टर बने थे। 1995 में 28 जुलाई को ही वियतनाम आसियान का सदस्य बना था। हर साल 28 जुलाई को दुनियाभर में विश्व हेपेटाइटिस दिवस मनाया जाता है।

28 जुलाई का इतिहास (28 July Ka Itihas) इस प्रकार हैः

2014 में आज ही के दिन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने इजरायल और हमास के बीच मानवता के आधार पर संघर्ष विराम के लिए आपात बैठक बुलाई थी।

2005 में आज ही के दिन सौरमंडल के 10वें ग्रह की खोज का दावा किया गया था।

2005 में 28 जुलाई को ही आयरिश रिपब्लिकन आर्मी ने अपने सशस्त्र संघर्ष को रोकने का ऐलान और लोकतांत्रिक तरीके से अपना अभियान चलाने के लिए कहा था।

1995 में आज ही के दिन वियतनाम आसियान का सदस्य बना था।

1979 में 28 जुलाई को ही चौधरी चरण सिंह देश के 5वें प्राइम मिनिस्टर बने थे।

1983 में आज ही के दिन नासा ने वाणिज्यिक संचार उपग्रह टेल्सटार-3ए का प्रक्षेपण किया था।

1964 में 28 जुलाई को ही चंद्रमा की तरफ रेंजर-7 का प्रक्षेपण हुआ था।

1959 में आज ही के दिन ग्रेट ब्रिटेन में डाक कोड का प्रयोग शुरू हुआ था।

1928 में 28 जुलाई को ही नीदरलैंड के एम्सटर्डम में नौवें ओलंपिक खेल का शुभारंभ हुआ था।

1925 में आज ही के दिन से विश्‍व हेपेटाइटिस डे मनाया जाता है।

1914 में 28 जुलाई को ही प्रथम विश्‍व युद्ध की शुरुआत हुई थी।

1821 में 28 जुलाई के दिन ही पेरू ने स्पेन से स्वतंत्रता की घोषणा की थी।

1742 में आज ही के दिन प्रशिया और ऑस्ट्रिया ने शांति समझौते पर साइन किए थे। 

28 जुलाई का इतिहास जन्मे प्रसिद्ध व्यक्ति

1858 में आज ही के दिन उंगलियों के निशान को पहचान बनाने वाले ब्रिटिश विलियम जेम्‍स हर्शेल का जन्म हुआ था।

1925 में 28 जुलाई के दिन ही हेपेटाइटिस का टीका खोजने वाले बारुक ब्‍लमर्ग का जन्‍म हुआ था।

1957 में आज ही के दिन हिंदी के कवि, लेखक और रूसी तथा अंग्रेज़ी भाषाओं के साहित्य अनुवादक अनिल जनविजय का जन्म हुआ था।

1983 में 28 जुलाई के दिन ही भारतीय कलाकार, चित्रकार और उद्यमी सुविज्ञ शर्मा का जन्म हुआ था।

28 जुलाई को हुए निधन

2017 में 28 जुलाई के दिन ही भारतीय हिंदी सिनेमा के प्रसिद्ध सहायक अभिनेताओं में से एक इंद्र कुमार का निधन हुआ था।

2016 में आज ही के दिन भारत की सामाजिक कार्यकर्ता और लेखिका महाश्वेता देवी का निधन हुआ था।

28 जुलाई को प्रमुख उत्सव

विश्व हेपेटाइटिस दिवस ‎

विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस।

अगर इन कारणों से आ गए आपके रिश्ते में दरार ,तो ऐसे बचाए अपने प्यार भरे रिश्ते को


दिल्ली:- प्यार के रिश्ते में बंधना तो आसान होता है लेकिन इस रिश्ते को संभाल कर रखना बेहद मुश्किल भरा काम होता है। व्यस्त जीवनशैली के कारण कई बार चाहकर भी पार्टनर के लिए समय नहीं निकल पाता है। और इसी वजह से अक्सर रिश्ते जल्दी टूट जाते हैं। वहीं कई बार पार्टनर का किसी अनजान लोगों से घुलना मिलना भी रिश्ते में दरार का कारण बनता है। लेकिन रिश्ता टूटने से दोनों लोगों की जिंदगी पर बहुत असर पड़ता है।

प्यार भरे रिश्ते में दरार आना एक आम बात है, लेकिन इसे समय रहते पहचानकर और सुधार कर रिश्ते को बचाया जा सकता है। यहां कुछ प्रमुख कारण और उनके समाधान दिए गए हैं:

कारण:

संचार की कमी:

 एक दूसरे के साथ सही तरीके से संवाद न करना रिश्ते में दरार का मुख्य कारण हो सकता है।

विश्वास की कमी:

 अगर किसी भी कारण से एक दूसरे पर विश्वास नहीं है, तो यह रिश्ते को कमजोर कर सकता है।

समय की कमी:

 एक दूसरे के लिए पर्याप्त समय न निकाल पाना भी रिश्ते में दूरियाँ ला सकता है।

अलग-अलग प्राथमिकताएँ:

 जीवन की प्राथमिकताओं में अंतर भी रिश्ते को प्रभावित कर सकता है।

इगो और आत्मसम्मान: एक दूसरे के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाना या अपनी इगो को ऊपर रखना रिश्ते को नुकसान पहुँचा सकता है।

बाहरी हस्तक्षेप: परिवार, दोस्त या अन्य बाहरी लोग भी रिश्ते में तनाव ला सकते हैं।

समाधान:

संचार में सुधार करें: खुलकर बात करें और अपने विचारों को स्पष्ट रूप से साझा करें। एक दूसरे की बातें ध्यान से सुनें और समझें।

विश्वास बनाए रखें

एक दूसरे पर विश्वास बनाए रखें और किसी भी समस्या का समाधान साथ मिलकर करें। ईमानदारी से काम लें।

समय निकालें:

 व्यस्त जीवनशैली में भी एक दूसरे के लिए समय निकालें। साथ में बिताए गए छोटे-छोटे पल भी महत्वपूर्ण होते हैं।

सामंजस्य बैठाएं:

 एक दूसरे की प्राथमिकताओं को समझें और उन पर चर्चा करें। मिलकर समझौते करें।

सम्मान और समझ:

 एक दूसरे के आत्मसम्मान का ध्यान रखें और इगो को बीच में न आने दें।

बाहरी हस्तक्षेप को सीमित करें: रिश्ते में बाहरी लोगों का हस्तक्षेप कम से कम रखें और महत्वपूर्ण निर्णय खुद मिलकर लें।

अन्य सुझाव:

रोमांस को बनाए रखें: रिश्ते में रोमांस और प्यार को बनाए रखना महत्वपूर्ण है। छोटे-छोटे सरप्राइज, गिफ्ट्स और तारीफों से प्यार को ताज़ा रखें।

साथ में गतिविधियाँ करें:

 एक साथ कुछ नए और मजेदार गतिविधियों में शामिल हों, जैसे कि ट्रिप पर जाना, कुकिंग करना, या किसी हॉबी को साथ में करना।

सहयोग और समर्थन:

 एक दूसरे के सपनों और लक्ष्यों में सहयोग और समर्थन दें।

इन सुझावों को अपनाकर आप अपने प्यार भरे रिश्ते को दरार से बचा सकते हैं और इसे मजबूत बना सकते हैं।

बिहार की लड़की की बेंगलुरु के PG में हत्या,रात के अंधेरे में चाकू लेकर घुसा और काट दिया गला


बेंगलुरु : कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में एक खौफनाक मामला सामने आया है। मंगलवार को बेंगलुरु के कोरमंगला में एक पेइंग गेस्ट हाउस (पीजी) में एक 22 साल की लड़की की गला काटकर हत्या कर दी गई। 

लड़की पीजी में कटे हुए गले के साथ मृत पाई गई। पुलिस ने बताया कि लड़की का नाम कृति कुमारी है और वह बिहार की रहने वाली थी। कृति एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करती थी और कोरमंगला में वीआर लेआउट में एक पीजी में रह रही थी।

वारदात के बाद से आसपास के लोगों में दहशत का माहौल व आक्रोश है। शुरुआती रिपोर्ट के अनुसार आरोपी मृतका को जानने वाला हो सकता है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।

पीजी में घुसकर उतारा मौत के घाट

मंगलवार रात 11.10 से 11.30 बजे के बीच संदिग्ध व्यक्ति चाकू लेकर पीजी परिसर में घुस गया। उसने तीसरी मंजिल पर एक कमरे के पास कृति पर हमला किया जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। 

घटना की खबर मिलते ही साउथ ईस्ट डिवीजन की डीसीपी सारा फातिमा कोरमंगला पुलिस के साथ घटनास्थल पर पहुंची और शव कब्जे में लिया।

CCTV में कैद हुई क्रूरता

 हत्या के मामले सनसनीखेज CCTV फुटेज सामने आया है ।इस फुटेज में हत्या की बेरहमी और हॉस्टल में रहने वालों की संवेदनहीनता साफ दिखाई देती है। 

मृतका का नाम कृति कुमारी था और उसकी हत्या मंगलवार को कोरमंगला इलाके में उसके पेइंग गेस्ट (PG) हॉस्टल में हुई थी। शुरुआती जांच में पता चला है कि हत्यारा मध्य प्रदेश के भोपाल का रहने वाला अभिषेक है। जो कि कृति कुमारी की दोस्त का सहकर्मी था और उसके साथ प्रेम संबंध में था। 

अभिषेक की प्रेमिका महाराष्ट्र की रहने वाली थी। अभिषेक अक्सर PG हॉस्टल आता था और अपनी प्रेमिका से मिलने के लिए भोपाल से बेंगलुरु आता-जाता रहता था।

प्रेमिका से दूरी का बदला

हालांकि बाद में उनके रिश्तों में खटास आ गई और पीड़िता और उसकी सहेलियों ने उससे दूरी बना ली। कुछ समय पहले अभिषेक PG हॉस्टल आया था और हंगामा किया था। इसके बाद कृति कुमारी ने अपनी दोस्त को दूसरे PG हॉस्टल में शिफ्ट करने में मदद की और दोनों ने उसका फोन उठाना बंद कर दिया। इससे नाराज होकर अभिषेक मंगलवार की रात उस PG हॉस्टल में आया जहां कृति कुमारी रहती थी और उसने इस वारदात को अंजाम दिया।

ताबड़तोड़ चाकू से हमला करता है अभिषेक

CCTV फुटेज में अभिषेक हाथ में प्लास्टिक की थैली लिए कृति के कमरे की ओर जाता हुआ दिखाई दे रहा है। अभिषेक दरवाजा खटखटाता है और कमरे में घुस जाता है। इसके तुरंत बाद अभिषेक उसे घसीटते हुए बाहर ले जाता है और कृति उसके चंगुल से छूटने के लिए संघर्ष करती हुई दिखाई देती है।

अभिषेक एक हाथ में चाकू लिए हुए था। वह कृति के गले पर वार करता है। कृति खुद को बचाने की कोशिश करती है, लेकिन हत्यारा उसे चाकू मार देता है। जैसे ही कृति की ताकत कम होने लगती है, हत्यारा उसे फिर से निशाना बनाता है। कृति के गिरने के बाद भी हत्यारा उसे बालों से पकड़कर चाकू मारता है। इसके बाद वह उससे एक कदम दूर हट जाता है और उसे अभी भी सांस लेते हुए देखकर भागने से पहले उसका गला रेतने की कोशिश करता है।

लड़की मांगती रही मदद, कोई नहीं आया आगे

CCTV फुटेज में दिख रहा है कि बेरहमी से हुए हमले के बाद कृति उठकर बैठ जाती है और मदद के लिए चिल्लाती है। PG हॉस्टल के लोग धीरे-धीरे अपने दरवाजे खोलते हैं लेकिन कोई भी कृति की मदद करने की हिम्मत नहीं करता। वे फोन करने की कोशिश करते हुए दिखाई दे रहे हैं। वे आपस में बातें करते हैं क्योंकि कृति काफी देर तक बैठने की कोशिश करती है, जिससे उसका खून बह रहा होता है। एक लड़की धीरे-धीरे दरवाजा खोलती है, बाहर झांकती है और फिर अपने कमरे में वापस चली जाती है। कृति कुछ दूरी पर खड़ी एक और लड़की से विनती करती है। जैसे ही वह लड़की उसकी ओर कदम बढ़ाती है, कृति गिर जाती है।

आरोपी को पकड़ने में जुटी पुलिस

बेंगलुरु के पुलिस आयुक्त बी दयानंद ने शुक्रवार को कहा कि पुलिस ने आरोपी को पकड़ने के लिए तीन विशेष टीमों का गठन किया है। सूत्रों ने बताया कि टीमें भोपाल और मध्य प्रदेश के अन्य इलाकों में गई हैं। सूत्रों ने बताया कि आरोपी अभिषेक ने अपना फोन बंद कर लिया है और फरार हो गया है।

दिल्ली: आइए जानते है दिल्ली की प्रसिद्ध अक्षरधाम मंदिर के बारे में जो विश्व भर में अपनी पहचान बना रहा है।


दिल्ली:- अक्षरधाम मंदिर, जिसे स्वामिनारायण अक्षरधाम के नाम से भी जाना जाता है, भारत के प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्रों में से एक है। यह मंदिर अपने अद्वितीय वास्तुकला, भव्यता और आध्यात्मिक महत्व के कारण दुनियाभर में प्रसिद्ध हो रहा है। यहाँ हम अक्षरधाम मंदिर से जुड़ी कुछ खास बातों पर प्रकाश डाल रहे हैं।

1. इतिहास और स्थापना

अक्षरधाम मंदिर का निर्माण स्वामिनारायण संप्रदाय द्वारा किया गया था। इसका उद्घाटन 6 नवंबर 2005 को दिल्ली में किया गया। यह मंदिर स्वामिनारायण भगवान को समर्पित है और इस मंदिर के निर्माण में लगभग 5 साल का समय लगा था।

2. वास्तुकला

मंदिर की वास्तुकला भारतीय शिल्पकला का उत्कृष्ट उदाहरण है। इसमें 234 नक्काशीदार खंभे, 9 गुंबद, 20,000 से अधिक मूर्तियाँ और कई जलकुंड शामिल हैं। मंदिर का प्रमुख शिखर 141 फीट ऊंचा है और इसमें 148 हाथियों की मूर्तियाँ हैं।

3. प्रदर्शनियाँ और शो

अक्षरधाम मंदिर में कई आकर्षक प्रदर्शनियाँ और शो आयोजित किए जाते हैं जो भारतीय संस्कृति, परंपरा और स्वामिनारायण भगवान के जीवन के बारे में बताते हैं। इनमें प्रमुख हैं:

सहज आनंद वॉटर शो

यह शो भारत के प्राचीन कथाओं और संदेशों को एक जल, लेजर और संगीत के माध्यम से प्रस्तुत करता है।

सहज आनंद दर्शन: यह एक विशाल स्क्रीन पर एक मल्टीमीडिया शो है जो स्वामिनारायण भगवान के जीवन और उपदेशों को दर्शाता है।

संस्कृति विहार:

यह एक बोट राइड है जो भारत की प्राचीन संस्कृति और धरोहर की यात्रा कराती है।

4. गार्डन और फाउंटेन

मंदिर परिसर में विभिन्न सुंदर बगीचे और फाउंटेन हैं। यज्ञपुरुष कुंड, जो कि दुनिया का सबसे बड़ा यज्ञ कुंड है, मंदिर के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है। इसके अलावा, भारत उपवन नामक गार्डन में देश के विभिन्न महान व्यक्तियों की प्रतिमाएँ स्थापित की गई हैं।

5. आध्यात्मिक अनुभव

अक्षरधाम मंदिर न केवल एक वास्तुकला का चमत्कार है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक अनुभव भी प्रदान करता है। यहाँ की शांतिपूर्ण वातावरण, भक्ति संगीत और प्रार्थनाओं के माध्यम से श्रद्धालुओं को एक दिव्य अनुभव प्राप्त होता है।

6. टेक्नोलॉजी और नवाचार

अक्षरधाम मंदिर में आधुनिक तकनीक का भी व्यापक उपयोग किया गया है। यहाँ के शो और प्रदर्शनियों में अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग किया गया है जो दर्शकों को एक अनूठा और यादगार अनुभव प्रदान करता है।

निष्कर्ष

अक्षरधाम मंदिर न केवल भारत में बल्कि विश्वभर में अपनी अद्वितीयता और भव्यता के कारण प्रसिद्ध हो रहा है। यह मंदिर भारतीय संस्कृति, वास्तुकला और आध्यात्मिकता का प्रतीक है और इसे देखने के लिए हर साल लाखों पर्यटक आते हैं।

अक्षरधाम मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक धरोहर भी है जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा।

सावन के व्रत में बनाएं फलाहारी लच्छा पकौड़ी,आइए जानते हैं बनाने की विधि


सावन के महीने में सोमवार का व्रत बहुत सारी महिलाएं रहती हैं।सावन का दूसरा सोमवार 29 जुलाई को है। शिवभक्त सावन के सोमवार में व्रत जरूर रहते हैं और शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं। ज्यादातर घरों में पूरी फैमिली व्रत रहती है। ऐसे में फलाहार में ऐसा क्या बनाएं जिसे सब आसानी से खा सकें और पसंद भी करें। 

व्रत में आप लच्छा पकौड़ी बना सकती हैं। जिसे बनाना बहुत आसान है और एक साथ ढेर सारी पकौड़ी को बनाया जा सकता है। साथ ही नोट कर लें फलाहारी ग्रीन चटनी की आसान सी रेसिपी।

फलाहारी लच्छा पकौड़ी की सामग्री

2-3 बड़े आकार के आलू

1-2 सिंघाड़े का आटा

बारीक कटी हरी धनिया

नींबू का रस दो चम्मच

तलने के लिए फलाहारी तेल या देसी घी

फलाहारी लच्छा पकौड़ी बनाने की रेसिपी

सबसे पहले आलूओं को अच्छी तरह से छीलकर धो लें। फिर इन्हें पतले-पतले आकार में काट लें। चिप्स कटर की मदद से या चाकू से आलू के पतले और लंबे आकार के लच्छे निकाल लें।

इन आलू के लच्छों को पानी में डुबोएं और तीन से चार पानी से धो दें।

पांच मिनट के लिए पानी में छोड़ दें। फिर अच्छी तरह से छन्नी में छानकर रख लें।

किसी बड़े बाउल में इन सारे लच्छा आलूओं को निकाल लें।

ऊपर से सिंघाड़े का सूखा आटा छिड़कें।

फिर स्वादानुसार सेंधा नमक, बारीक कटी हरी मिर्च, हरी धनिया बारीक कटी हुई, जीरा पाउडर, लाल मिर्च, कुटी काली मिर्च, बारीक कटा अदरक, नींबू का रस दो चम्मच मिला दें।

हाथों पर हल्का सा पानी लेकर छिड़कें और उंगलियों की मदद से मिक्स करें। जिससे सारे लच्छों पर सिंघाड़े का आटा अच्छी तरह से कोट होकर चिपक जाए।

अब कड़ाही में तेल या देसी घी की अच्छी मात्रा को खूब गर्म कर लें।

कड़ाही में तेल इतना गर्म हो कि इन लच्छों को तेल में डालें तो अलग-अलग होकर ऊपर आ जाए।

अगर तेल ठंडा होगा तो पकौड़े चिपक जाएंगे। बस गर्म तेल में डालकर सुनहरा करें और गर्मागर्म निकालकर क्रिस्पी लच्छा पकौड़ियां सर्व करें।

फलाहारी हरी चटनी बनाने की रेसिपी

फलाहारी हरी चटनी बनाने के लिए मिक्सी के जार में धनिया और पुदीना का बराबर मात्रा लें। इसमे हरी मिर्च और नींबू का रस डालें। स्वादानुसार नमक डालकर पीस लें। आप चाहें तो इसमे थोड़ा सा भुना जीरा मिला सकते हैं। इन सारी चीजों को पीस लें और बस तैयार है फलाहारी ग्रीन चटनी। लच्छेदार पकौड़ी के साथ हरी चटनी का मजा लें।

आस्था:घुष्मेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से होती है संतान सुख की प्राप्ति,भक्त के बेटे को भोलेनाथ ने कर दिया था जिन्दा


ऐसा माना जाता है कि भारत की पावन भूमि में भगवान शिव ने 12 जगह स्वयं प्रकट होकर अपने भक्तों को कष्ट से निकाला था। इसके बाद से भारत की इन सभी 12 जगहों पर 12 ज्योतिर्लिंग की स्थापना की गई है। इन सभी 12 ज्योतिर्लिंग की अपनी अलग-अलग विशेषताएं हैं। भारत दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है जहां मंदिरों की संख्या हजारों नहीं, बल्कि लाखों में है। इन सभी में बारह ज्योतिर्लिंग की अपनी एक अलग ही पहचान है।

भगवान शिव के सभी 12 ज्योतिर्लिंगों से जुड़ी चमत्कारी कहानियां आज भी लोगों को यहां खीच लाती है. ऐसी ही एक कहानी शिवजी के इस आखिरी ज्योतिर्लिंग की है जो प्रभु भक्ति की सच्ची मिसाल के रूप में जाना जाता है।

यहां भगवान शिव ने प्रसन्न होकर भक्त के बेटे को दोबारा जिंदा कर दिया था, जिसकी वजह से कहा जाता है कि जो भी निसंतान दंपति यहां संतान प्राप्त की इच्छा लेकर आता है भगवान शिव उसकी मनोकामना पूरी करते हैं.

कहां है ज्योतिर्लिंग

भगवान शिव का यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के दौलताबाद के बेरलगांव के घुष्मेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर स्थित है. मंदिर को घृष्णेश्वर के नाम से भी जाना जाता है. अजंता और एलोरा की गुफाओं के पास स्थित यह शिवलिंग भगवान शिव के प्रति उनकी भक्त की सच्ची श्रद्धा का प्रतीक है. उसी के नाम पर ही इस शिवलिंग का नाम घुष्मेश्वर पड़ा था.

ज्योतिर्लिंग की पौराणिक कथा

घुष्मेश्वर ज्योतिर्लिंग की स्थापना से जुड़ी एक पौराणिक कथा के अनुसार, दक्षिण देश में देवगिरि पर्वत के पास सुधर्मा नाम का ब्राह्मण अपनी पत्नी सुदेहा के साथ निवास करता था. उनकी कोई संतान नहीं थी, जिसके कारण दोनों चिंतित रहते थे. ब्राह्मण की पत्नी ने अपने पति का विवाह सुदेहा ने छोटी बहन घुष्मा से करवा दिया. घुष्मा शिव जी की परम भक्त थी. भगवान शिव की कृपा से उसे एक स्वस्थ पुत्र की प्राप्ति हुई लेकिन घुष्मा का हंसता खेलता परिवार देखकर सुदहा को अपनी बहन से ईर्ष्या होने लगी. क्रोध में आकर उसने घुष्मा की संतान की हत्या कर उसे कुंड में फेंक दिया.

भक्त के बेटे को किया जीवित

घुष्मा को जब इस बात का पता लगा तो वह दुखी तो हुई लेकिन उसके बाद वह शिव की पूजा में रोज की तरह फिर से लीन हो गई. महादेव उसकी भक्ति से बेहद प्रसन्न हुए और शिव जी के वरदान से घुष्मा का पुत्र दोबारा जीवित हो उठा. घुष्मा ने भगवान शिव से प्रार्थना की किलोक-कल्याण के लिए वो इसी स्थान पर हमेशा के लिए निवास करें. शिवजी ने घुश्मा की दोनों बातें मान लीं और ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट होकर वहां निवास करने लगे और कहा कि मैं तुम्हारे ही नाम से घुश्मेश्वर कहलाता हुआ सदा यहां निवास करूंगा.

मिलता है संतान सुख

घुष्मेश्वर ज्योतिर्लिंग के पास एक सरोवर भी स्थित है. यह वही तालाब है जहां पर घुष्मा बनाए गए शिवलिंगों का विसर्जन करती थी और इसी के किनारे उसने अपना पुत्र जीवित मिला था, जो शिवालय के नाम से जाना जाता है. इस सरोवर जुंड़ी यह मान्यता है कि ज्योतिर्लिंग के साथ जो भक्त इस सरोवर के भी दर्शन करते हैं. भगवान शिव उनकी सभी इच्छाएं पूर्ण करते हैं साथ ही जिस दंपत्ति को संतान का सुख नहीं मिल पाता उन्हें यहां दर्शन करने से संतान की प्राप्ति होती है.

आज का इतिहास:1994 में आज ही के दिन निशानेबाज जसपाल राणा ने विश्व शूटिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता था,जाने 27 जुलाई की महत्वपूर्ण घटनाएं


नयी दिल्ली : 27 जुलाई का इतिहास काफी महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि 1994 में आज ही के दिन निशानेबाज जसपाल राणा ने विश्व शूटिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता था। 1987 में 27 जुलाई में आज ही के दिन खोजकर्ताओं ने टाइटैनिक का मलबा खोजा था।

1982 में आज ही के दिन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की लगभग 11 साल में पहली अमेरिकी यात्रा हुई थी। 

1922 में 27 जुलाई को ही ब्रूसेल्स मेंअंतरराष्ट्रीय भौगोलिक संघ का गठन हुआ था।

2008 में आज ही के दिन CPN-UML नेता सुभाष नेमवांग को नेपाली राष्ट्रपति रामबरन यादव ने नवर्निवाचित संविधान सभा के अध्यक्ष पद की शपथ दिलाई थी।।

2006 में 27 जुलाई को ही रूसी प्रक्षेपण यान नेपर जमीन पर गिरा था। 2003 में आज ही के दिन संयुक्त राज्य अमेरिका ने यमन को स्कड मिसाइल बेचने वाली उत्तर कोरियाई कंपनी पर नए प्रतिबंध लगाए थे।

1994 में आज ही के दिन निशानेबाज जसपाल राणा ने विश्व शूटिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता था।

1987 में 27 जुलाई को आज ही के दिन खोजकर्ताओं ने टाइटैनिक का मलबा खोजा था।

1982 में आज ही के दिन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की लगभग 11 साल में पहली अमेरिकी यात्रा हुई थी।

1922 में 27 जुलाई को ही ब्रुसेल्स में अंतरराष्ट्रीय भौगोलिक संघ का गठन हुआ था।

1897 में 27 जुलाई को ही बाल गंगाधर तिलक पहली बार गिरफ्तार किए गए थे।

1888 में 27 जुलाई को ही फिलिप प्राट ने पहला इलेक्ट्रिक ऑटोमोबाइल का प्रदर्शन किया था।

1836 में 27 जुलाई को ही दक्षिण ऑस्ट्रेलिया में एडिलेड की स्थापना हुई थी।

1789 में आज ही के दिन पहली फेडरल एजेंसी द डिपार्टमेंट ऑफ फॉरेन अफेयर्स की स्‍थापना हुई थी.

27 जुलाई का इतिहास को जन्मे प्रसिद्ध व्यक्ति

1969 में आज ही के दिन दक्षिण अफ्रीका के टेस्‍ट क्रिकेटर और अब तक के सबसे धमाकेदार फील्‍डर जॉन्‍टी रोड्स का जन्म हुआ था।

1940 में 27 जुलाई के दिन ही भारतीय मूल की प्रसिद्ध लेखिका भारती मुखर्जी का जन्म हुआ था।

1913 में आज ही के दिन महिला क्रांतिकारियों में से एक कल्पना दत्त का जन्म हुआ था।

27 जुलाई को हुए निधन

2015 में आज ही के दिन भारत के राष्ट्रपति और मिसाइलमैन डॉ. अब्दुल कलाम का निधन हुआ था।

2006 में आज ही के दिन जाने-माने कवि शिवदीन राम जोशी का निधन हुआ था।

1992 में 27 जुलाई के दिन ही प्रसिद्ध अभिनेता फिल्म शोले के गब्बर अमजद ख़ान का निधन हुआ था।

1987 में 27 जुलाई के दिन ही एक भारतीय पक्षी विज्ञानी और प्रकृतिवादी सालिम अली का निधन हुआ था।

1944 में 27 जुलाई के दिन ही हिंदी के ख्यातिप्राप्त साहित्यकार और विद्वान आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के सहयोगी पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल का निधन हुआ था।

1933 में आज ही के दिन नौवीं लोकसभा के सदस्य कल्याण सिंह कालवी का निधन हुआ था।

1891 में 27 जुलाई के दिन ही प्रख्यात विद्वान राजेन्द्रलाल मित्रा का निधन हुआ था।

27 जुलाई को प्रमुख उत्सव

केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल स्थापना दिवस।

दिल्ली:अब ऑनलाइन ठगी करने वाले की खैर नहीं 379 वेबसाइट पर लगाया बैन, फेक ऐप पर कसी नकेल


नयी दिल्ली : सरकार ने 379 गैरकानूनी वेबसाइट को बंद किया है। भारत में लगातार बढ़ रहे साइबर क्राइम पर नकेल कसने के लिए भारत सरकार नए कदम उठा रही है। इसमें सबसे बड़ा हाथ उन स्कैमिंग ऐप्स का है जो लोगों को लालच देकर या बेवकूफ बनाकर उनकी मेहनत कमाई लूट ले रहे हैं। अब सरकार ने ऐसे घोटालेबाज ऐप्स के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी है।

राज्यसभा में सरकार ने जानकारी दी कि इंडियन साइबर क्राइम कॉर्डिनेशन सेंटर (भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र) (I4Cs) ने उन 379 वेबसाइट को बंद कर दिया है जो पिछले सात महीनों से गैरकानूनी लोन के लिए आवेदन दे रहे थे।I4Cs द्वारा यह कार्रवाई अक्टूबर 2023 से मई 2024 के बीच किया गया है।

बता दें कि साइबर क्राइम कॉर्डिनेशन सेंटर, गृह मंत्रालय के तहत काम करती है।

फ्लाईओवर लेना है या नीचे जाना है? गूगल मैप्स के इस फीचर से कन्फ्यूजन खत्म, मेट्रो टिकट भी होगा बुक।

गृह राज्य मंत्री बंदी संजय कुमार ने एक सवाल के जवाब में कहा कि कई दूसरे स्टेकहोल्डर्स के साथ मिलकर I4Cs ने 91 फिशिंग और फेक वेबसाइट पर भी निशाना साधा है। सरकार का इरादा साइबर अपराधियो पर नकेल कसना है।

बता दें कि ये प्रयास सरकार द्वारा ;(NIXI)के साथ साझेदारी में किए जा रहे हैं ताकि .in वाले डोमेन के गलत इस्तेमाल को रोका जा सके.

उन्होंने कहा, ‘अक्टूबर 2023 और मई 2024 के बीच, 310 मैलिशियस/फिशिंग डोमे को NIXI की मदद से बंद किया गया। इसके अलावा, 91 फिशिंग/फेक वेबसाइट्स और 379 गैरकानूनी लोन/स्कैम ऐप्स को भी 14C ने दूसरे स्टेकहोल्डर्स की मदद से बंद किया है।’

साइबर क्राइम की शिकायत से 2400 करोड़ की बचत

राज्य मंत्री ने कहा कि 14C सिटीजन फाइनेंशियल साइबर फ्रॉड रिपोर्टिंग एंड मैनेजमेंट सिस्टम लॉन्च किया है। यह एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जिसे फाइनेंशियल फ्रॉड की तुरंत शिकायत करने और अपराधियों द्वारा फंड का इस्तेमाल ना कर पाने के इरादे से डिजाइन किया गया है।

इस सिस्टम ने पहले ही अपनी उपयोगिता साबित कर दी है और 7.6 लाख शिकायतकर्ताओं के 2400 करोड़ रुपये इससे बचे हैं।

राज्य मंत्री ने कहा कि 31 जनवरी से NCRP पर एक नया फीचर ‘Report Suspect’ जोड़ा गया है ताकि संदिग्ध वेबसाइट URLs के जरिए होने वाले साइबर अपराधों की झटपट शिकायत की जा सके।

पुण्यतिथि: "मिसाइल मैन" एवम् देश के प्रथम वैज्ञानिक राष्ट्रपति ए पी जे कलाम साहब की आज पुण्य तिथि,जानते है उनसे जुड़ी कुछ रोचक बातें

मिसाइल मैन के नाम से मशहूर रहे देश के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का आज के ही दिन निधन हुआ था. देश सेवा के मिशन में ही लगे रहे कलाम का निधन 27 जुलाई 2015 को मेघालय के शिलॉन्ग में उस वक्त हुआ था, जब वो आईआईएम में लेक्चर दे रहे थे. शिलांग में जब छात्र-छात्राओं के बीच मंच से भाषण देने पहुंचे तो किसी ने ये अंदाजा भी नहीं लगाया होगा कि ये संबोधन उनका अंतिम होगा.

संबोधन के दौरान उन्होंने न सिर्फ मानवता को लेकर चिंता जाहिर की थी बल्कि धरती पर फैले प्रदूषण को लेकर भी चिंता जताई थी. पूर्व राष्ट्रपति कलाम एक परमाणु वैज्ञानिक, शानदार लेखक, कवि और शिक्षाविद थे. 27 जुलाई 2015 को 83 साल की उम्र में निधन होने तक देश की सेवा की थी.

पुण्यतिथि पर कलाम जी से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

 – पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वर में हुआ था. वो मछुआरों के परिवार में जन्मे थे.

– साल 1992 से 1999 तक एपीजे अब्दुल कलाम रक्षा मंत्री के रक्षा सलाहकार भी रहे हैं.

– एपीजे अब्दुल कलाम के “हिंदी गुरु” मुलायम सिंह यादव थे. उन्हें जो कुछ भी थोड़ी बहुत हिंदी आती थी वो मुलायम सिंह यादव ने ही सिखाई थी. इस बात को खुद उन्होंने ने सैफई में एक रैली के दौरान स्वीकार भी किया था.

– भारत अमेरिका न्यूक्लियर डील को लेकर के जो समाजवादी पार्टी का हृदय परिवर्तन हुआ, उसके पीछे भी एपीजे अब्दुल कलाम और मुलायम की मित्रता थी. एपीजे अब्दुल कलाम ने मुलायम सिंह को मनाया था कि ये या डील भारत के हित में है.

– एपीजे अब्दुल कलाम अपने पूरी प्रोफेशनल जिंदगी में केवल 2 छुट्टियां ली. एक अपने पिता की मौत के समय और दूसरी अपनी मां की मौत के समय.

– एपीजे अब्दुल कलाम धर्म से मुस्लिम थे, लेकिन दिल से वो किसी भी धर्म को नहीं मानते थे. वो कुरान और भगवत गीता दोनों ही पढ़ा करते थे.

– 27 जुलाई 2015 को आईआईएम शिलांग में एक कार्यक्रम में अचानक कार्डियेक अरेस्ट से उनकी मौत हो गई थी. उनके एक सहयोगी ने बताया कि उनके आखिरी शब्द थे ‘फनी गाएज, आर यू डूइंग वैल?’

– एपीजे अब्दुल कलाम देश के ऐसे तीसरे राष्ट्रपति थे, जो राष्ट्रपति पद मिलने से पहले ही भारत रत्न से सम्मानित हो चुके थे. एपीजे अब्दुल कलाम को साल 1997 में भारत रत्न मिला. साल 2002 में वो राष्ट्रपति पद के लिए चुने गए. इससे पहले डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन और डॉ. जाकिर हुसैन राष्ट्रपति पद पर आने से पहले भारत रत्न से सम्मानित हो चुके थे.

– वो भारत के इकलौते राष्ट्रपति थे, जो कुंवारे थे और साथ ही शाकाहारी थे।

डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम, जिन्हें "मिसाइल मैन" के रूप में भी जाना जाता है, देश के 11वें राष्ट्रपति थे और उनकी वैज्ञानिक उपलब्धियाँ बहुत महान हैं। उनकी प्रमुख उपलब्धियों में शामिल हैं:

मिसाइल प्रौद्योगिकी में योगदान:

 कलाम ने भारत के मिसाइल विकास कार्यक्रम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने अग्नि और पृथ्वी मिसाइलों के विकास में प्रमुख योगदान दिया।

पोखरण-II परमाणु परीक्षण:

1998 में हुए पोखरण-II परमाणु परीक्षणों में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी, जिसने भारत को एक पूर्ण परमाणु शक्ति बनाने में मदद की।

इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन 

(ISRO): कलाम ने ISRO के साथ मिलकर कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स पर काम किया, जिसमें भारत के पहले स्वदेशी सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SLV-III) का विकास शामिल है।

राष्ट्रपति के रूप में सेवा:

 2002 से 2007 तक उन्होंने भारत के राष्ट्रपति के रूप में सेवा की, और वे अपने सरलता, विनम्रता और बच्चों के प्रति प्रेम के लिए बहुत लोकप्रिय हुए।

लेखन और प्रेरणा:

 उन्होंने कई किताबें लिखीं, जिनमें "विंग्स ऑफ फायर", "इंडिया 2020" और "इग्नाइटेड माइंड्स" शामिल हैं। उनके लेखन ने अनगिनत युवाओं को प्रेरित किया।

डॉ. कलाम का जीवन और योगदान

 आज भी देशवासियों के लिए प्रेरणास्त्रोत है। उनकी पुण्यतिथि पर हम उनके महान कार्यों और विचारों को याद करते हैं और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।