आज हम यहाँ अपने भारत के सबसे खूबसूरत हवाई अड्डो के बारे में जानेंगे,जो की अनोखा माहौल और सुन्दरता के लिए यात्रियों को आकर्षित करता है
![]()
जब हम किसी देश या घरेलू यात्रा के लिए उड़ान भरते है तो हम अपना कुछ समय एयरपोर्ट पर व्यतीत करते हैं। देखा जाये तो एयरपोर्ट हमारी यात्रा का सबसे पहला हिस्सा होता है और हर पर्यटक चाहता है की उसकी यात्रा की शुरुआत आकर्षक नजारों के साथ हों। देखा जाये तो भारत के हवाई अड्डे है, न केवल यात्राओं के लिए बहुत जरूरी हैं, बल्कि उनका अनोखा माहौल और सुन्दरता घरेलू और अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के लिए भी आकर्षण पैदा करता है। और भारत के ये खूबसूरत एयरपोर्ट अपनी विष्टतायों, और सुन्दरता के साथ पर्यटकों और यात्रियों को मोहित करते है। हालाकि इनमे से कुछ हवाई अड्डे इतने बड़े और आलिशान नही है लेकिन फिर भी मंत्रमुग्ध करने वाले दृश्यों से चर्चा के बिषय बने हुए है।
कुशोक बकुला रिम्पोछे एयरपोर्ट, लद्दाखकुशोक बकुला रिम्पोछे एयरपोर्ट जम्मू कश्मीर और भारत के सबसे सुंदर हवाई अड्डो में से एक है। यह हवाई अड्डा भारत का एक मात्र हवाई अड्डा है जो पहाड़ी रेगिस्तान में स्थित है। जबकि कुशोक बकुला रिम्पोछे एयरपोर्ट दुनिया के सबसे ऊँचे हवाई अड्डों में से एक है, जो समुद्र तल से लगभग 3,256 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। एयरपोर्ट से आसपास के बर्फ से ढके सुंदर दृश्यों को देखा जा सकता है, इस हवाई अड्डे की सबसे खास बात यह है की दोपहर में पहाड़ी हवाओं के कारण, सभी उड़ानें सुबह उड़ान भरती हैं। लेह हवाई अड्डे से मुंबई, दिल्ली और चंडीगढ़ के लिए नियमित उड़ानें संचालित होती हैं।
लेंगपुई हवाई अड्डा मिजोरमसमुद्र तल से 504 मीटर की ऊंचाई पर और आइजोल से 32 किलोमीटर की दूरी पर स्थित लेंगपुई हवाई अड्डा भारत के सबसे आकर्षक हवाई अड्डो में से एक है। लेंगपुई हवाई अड्डा पूरी तरह से हरियाली और प्राकृतिक सुन्दरता से घिरा हुआ है। जैसे ही आप लेंगपुई हवाई अड्डा पर लेंड करते है तो हरे भरे रंगों से भरपूर मनमोहनीय सुन्दरता आपका स्वागत करने को तैयार मिलती है। हवाई अड्डे की इसी अविस्मरणीय सुन्दरता को देखते हुए इसे भारत के सबसे खुबसूरत हवाई अड्डो में से एक माना गया है। आपकी जानकरी के लिए बता दे लेंगपुई हवाई अड्डा देश का पहला बड़ा हवाई अड्डा था जो राज्य सरकार द्वारा बनाया गया था। इसके अलावा लेंगपुई हवाई अड्डा भारत के उन तीन हवाई अड्डो में से एक है जिसमे टेबल टॉप रनवे की सुविधा है।
वीर सावरकर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा पोर्ट ब्लेयरभारत के सबसे खूबसूरत हवाई अड्डो में शुमार वीर सावरकर अंतरराष्ट्रीय हवाई पोर्ट ब्लेयर के दक्षिण में 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जिसे आमतौर पर पोर्ट ब्लेयर हवाई अड्डे के रूप में भी जाना जाता है। यह एयरपोर्ट भारत के अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का मुख्य हवाई अड्डा है। बता दे यह हवाई अड्डा भारत के नवीनतम हवाई अड्डो में से एक है जो अपने यात्रियों के लिए कुछ न्यू टेक्नोलॉजी और अविश्वसनीय सुन्दरता की पेशकश करता है। पोर्ट ब्लेयर हवाई अड्डा निश्चित रूप से अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सदाबहार वर्षावनों के साथ यात्रियों का स्वागत करता है। इस जगह पर हरियाली का ऐसा प्रभाव है कि आप प्रकृति के साथ मनमोहनीय तालमेल महसूस करेंगे।
गग्गल एयरपोर्ट, कांगड़ागग्गल एयरपोर्ट भारत के सबसे सुंदर और प्रमुख पहाड़ी हवाई अड्डो में से एक है, जो हिमाचल की सीमा में 2492 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। गग्गल एयरपोर्ट धर्मशाला के दक्षिण-पश्चिम में लगभग 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जो 1269 एकड़ भूमि में फैला है,और प्रकृति के सुंदर दृश्यों को समेटे हुए है। गग्गल एयरपोर्ट शहर की भीड़-भाड़ से दूर एकांत पहाड़ी पर स्थित है जहाँ ठंडी ठंडी हवायों को महसूस किया जा सकता है और साथ पहाड़ी के सुंदर परिदृश्यो को देखा जा सकता है। बता दे गग्गल एयरपोर्ट से सिर्फ दिल्ली और चंडीगढ़ के लिए फ्लाइटे संचालित होती हैं।
इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, दिल्ली5,106 एकड़ के विशाल एरिया में स्थित इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, दिल्ली भारत के सबसे बड़े और व्यस्ततम हवाई अड्डो में से एक है जिसे किसी परिचय की आवश्यकता नही है। इस एयरपोर्ट की सुन्दरता और वस्तुकला भारतीय यात्रियों के साथ साथ विदेशी यात्रियों को भी खूब पसंद आती है। बता दे इस हवाई अड्डे का नाम भारत की पूर्व प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी के नाम पर, रखा गया है, और यह अड्डा 2009 के बाद से यात्री यातायात के मामले में भारत का सबसे व्यस्त हवाई अड्डा है। जबकि दुनिया का 12 वाँ सबसे व्यस्त हवाई अड्डा और एशिया का 6 वाँ व्यस्ततम हवाई अड्डा है।
![]()
भुज एयरपोर्ट, कच्छभुज एयरपोर्ट गुजरात राज्य के कच्छ जिले में स्थित एक घरेलू हवाई अड्डा है, जो 257 फीट (78 मीटर) की ऊँचाई पर स्थित है और कुल 832 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है। भुज एयरपोर्ट की प्रमुख आकर्षण इसके इमारते हैं जो पुरातन वास्तुकला से निर्मित है जो इस हवाई अड्डे के सुन्दरता में चार चाँद लगाने का कार्य करती है। यह हवाई अड्डा भारत-पाकिस्तान सीमा से 48 किमी की दूरी पर स्थित है और 1971 के युद्ध के दौरान कठोर अत्याचार सह चुका है।
![]()
अगाती एयरोड्रोम लक्षद्वीपकेंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप में अगाती द्वीप के दक्षिणी छोर पर स्थित अगाती हवाई अड्डा भारत के सबसे सुंदर और आकर्षक हवाई अड्डो में से एक है। अगाती एयरोड्रोम द्वीपसमूह में एकमात्र हवाई पट्टी है जो समुद्र के नीले पानी से घिरी हुई है और यही आकर्षण इसे भारत के सभी हवाई अड्डो से अलग और आकर्षक बनाती है। इस हवाई अड्डे से चारो ओर नीला पानी ही पानी दिखाई देता है। 45.9 एकड़ में फैला अगाती एयरोड्रोम में 1,291 मीटर लंबा डामर रनवे और एक यात्री टर्मिनल है, लेकिन अगाती हवाई अड्डे से सिर्फ कोच्ची के लिए उड़ाने संचालित की जाती है।
शिमला एयरपोर्ट, शिमलाभारत के सबसे सुंदर हवाई अड्डो मे शुमार शिमला एयरपोर्ट 1546 मीटर की ऊँचाई पर पहाड़ी पर स्थित है। जो चारो ओर हरी भरी घाटियों के नजारों और लुभावने दृश्यों से घिरा हुआ हैं। शिमला एयरपोर्ट की सबसे ख़ास बात यह है की इस एयरपोर्ट का निर्माण हिलटॉप को काटकर और भूमि को समतल करके किया गया था ताकि रनवे के मार्ग को प्रशस्त किया जा सके। शिमला से जबरहट्टी तक 22 किलोमीटर की यात्रा आपको इस शानदार हवाई अड्डे की शानदार झलक प्रदान करती है। जो वास्तव देखने और महसूस करने लायक है।
![]()

कुशोक बकुला रिम्पोछे एयरपोर्ट जम्मू कश्मीर और भारत के सबसे सुंदर हवाई अड्डो में से एक है। यह हवाई अड्डा भारत का एक मात्र हवाई अड्डा है जो पहाड़ी रेगिस्तान में स्थित है। जबकि कुशोक बकुला रिम्पोछे एयरपोर्ट दुनिया के सबसे ऊँचे हवाई अड्डों में से एक है, जो समुद्र तल से लगभग 3,256 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। एयरपोर्ट से आसपास के बर्फ से ढके सुंदर दृश्यों को देखा जा सकता है, इस हवाई अड्डे की सबसे खास बात यह है की दोपहर में पहाड़ी हवाओं के कारण, सभी उड़ानें सुबह उड़ान भरती हैं। लेह हवाई अड्डे से मुंबई, दिल्ली और चंडीगढ़ के लिए नियमित उड़ानें संचालित होती हैं।
समुद्र तल से 504 मीटर की ऊंचाई पर और आइजोल से 32 किलोमीटर की दूरी पर स्थित लेंगपुई हवाई अड्डा भारत के सबसे आकर्षक हवाई अड्डो में से एक है। लेंगपुई हवाई अड्डा पूरी तरह से हरियाली और प्राकृतिक सुन्दरता से घिरा हुआ है। जैसे ही आप लेंगपुई हवाई अड्डा पर लेंड करते है तो हरे भरे रंगों से भरपूर मनमोहनीय सुन्दरता आपका स्वागत करने को तैयार मिलती है। हवाई अड्डे की इसी अविस्मरणीय सुन्दरता को देखते हुए इसे भारत के सबसे खुबसूरत हवाई अड्डो में से एक माना गया है। आपकी जानकरी के लिए बता दे लेंगपुई हवाई अड्डा देश का पहला बड़ा हवाई अड्डा था जो राज्य सरकार द्वारा बनाया गया था। इसके अलावा लेंगपुई हवाई अड्डा भारत के उन तीन हवाई अड्डो में से एक है जिसमे टेबल टॉप रनवे की सुविधा है।
भारत के सबसे खूबसूरत हवाई अड्डो में शुमार वीर सावरकर अंतरराष्ट्रीय हवाई पोर्ट ब्लेयर के दक्षिण में 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जिसे आमतौर पर पोर्ट ब्लेयर हवाई अड्डे के रूप में भी जाना जाता है। यह एयरपोर्ट भारत के अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का मुख्य हवाई अड्डा है। बता दे यह हवाई अड्डा भारत के नवीनतम हवाई अड्डो में से एक है जो अपने यात्रियों के लिए कुछ न्यू टेक्नोलॉजी और अविश्वसनीय सुन्दरता की पेशकश करता है। पोर्ट ब्लेयर हवाई अड्डा निश्चित रूप से अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सदाबहार वर्षावनों के साथ यात्रियों का स्वागत करता है। इस जगह पर हरियाली का ऐसा प्रभाव है कि आप प्रकृति के साथ मनमोहनीय तालमेल महसूस करेंगे।
गग्गल एयरपोर्ट भारत के सबसे सुंदर और प्रमुख पहाड़ी हवाई अड्डो में से एक है, जो हिमाचल की सीमा में 2492 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। गग्गल एयरपोर्ट धर्मशाला के दक्षिण-पश्चिम में लगभग 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जो 1269 एकड़ भूमि में फैला है,और प्रकृति के सुंदर दृश्यों को समेटे हुए है। गग्गल एयरपोर्ट शहर की भीड़-भाड़ से दूर एकांत पहाड़ी पर स्थित है जहाँ ठंडी ठंडी हवायों को महसूस किया जा सकता है और साथ पहाड़ी के सुंदर परिदृश्यो को देखा जा सकता है। बता दे गग्गल एयरपोर्ट से सिर्फ दिल्ली और चंडीगढ़ के लिए फ्लाइटे संचालित होती हैं।
5,106 एकड़ के विशाल एरिया में स्थित इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, दिल्ली भारत के सबसे बड़े और व्यस्ततम हवाई अड्डो में से एक है जिसे किसी परिचय की आवश्यकता नही है। इस एयरपोर्ट की सुन्दरता और वस्तुकला भारतीय यात्रियों के साथ साथ विदेशी यात्रियों को भी खूब पसंद आती है। बता दे इस हवाई अड्डे का नाम भारत की पूर्व प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी के नाम पर, रखा गया है, और यह अड्डा 2009 के बाद से यात्री यातायात के मामले में भारत का सबसे व्यस्त हवाई अड्डा है। जबकि दुनिया का 12 वाँ सबसे व्यस्त हवाई अड्डा और एशिया का 6 वाँ व्यस्ततम हवाई अड्डा है।
भुज एयरपोर्ट गुजरात राज्य के कच्छ जिले में स्थित एक घरेलू हवाई अड्डा है, जो 257 फीट (78 मीटर) की ऊँचाई पर स्थित है और कुल 832 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है। भुज एयरपोर्ट की प्रमुख आकर्षण इसके इमारते हैं जो पुरातन वास्तुकला से निर्मित है जो इस हवाई अड्डे के सुन्दरता में चार चाँद लगाने का कार्य करती है। यह हवाई अड्डा भारत-पाकिस्तान सीमा से 48 किमी की दूरी पर स्थित है और 1971 के युद्ध के दौरान कठोर अत्याचार सह चुका है।
केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप में अगाती द्वीप के दक्षिणी छोर पर स्थित अगाती हवाई अड्डा भारत के सबसे सुंदर और आकर्षक हवाई अड्डो में से एक है। अगाती एयरोड्रोम द्वीपसमूह में एकमात्र हवाई पट्टी है जो समुद्र के नीले पानी से घिरी हुई है और यही आकर्षण इसे भारत के सभी हवाई अड्डो से अलग और आकर्षक बनाती है। इस हवाई अड्डे से चारो ओर नीला पानी ही पानी दिखाई देता है। 45.9 एकड़ में फैला अगाती एयरोड्रोम में 1,291 मीटर लंबा डामर रनवे और एक यात्री टर्मिनल है, लेकिन अगाती हवाई अड्डे से सिर्फ कोच्ची के लिए उड़ाने संचालित की जाती है।
भारत के सबसे सुंदर हवाई अड्डो मे शुमार शिमला एयरपोर्ट 1546 मीटर की ऊँचाई पर पहाड़ी पर स्थित है। जो चारो ओर हरी भरी घाटियों के नजारों और लुभावने दृश्यों से घिरा हुआ हैं। शिमला एयरपोर्ट की सबसे ख़ास बात यह है की इस एयरपोर्ट का निर्माण हिलटॉप को काटकर और भूमि को समतल करके किया गया था ताकि रनवे के मार्ग को प्रशस्त किया जा सके। शिमला से जबरहट्टी तक 22 किलोमीटर की यात्रा आपको इस शानदार हवाई अड्डे की शानदार झलक प्रदान करती है। जो वास्तव देखने और महसूस करने लायक है।

जयपुर का हवा महल किसने बनवाया
हवा महल एक ऐसी अनूठी अद्भुत इमारत है, जिसमें मुगल और राजपूत शैली स्थापित्य है। 15 मीटर ऊंचाई वाले पांच मंजिला पिरामिडनुमा महल के वास्तुकार लाल चंद उस्ताद थे। 5 मंजिला होने के बावजूद आज भी हवा महल सीधा खड़ा है। इमारत का डिजाइन इस्लामिक मुगल वास्तुकला के साथ हिंदू राजपूत वास्तुकला कला का एक उत्कृष्ण मिश्रण को दर्शाता है। बताया जाता है कि महाराज सवाई प्रताप सिंह कृष्ण के बड़े भक्त थे, उनकी भक्ति महल के ढांचे के डिजाइन से ही प्रतीत होती है, जो एकदम भगवान कृष्ण के मुकुट के समान दिखता है। महल में 953 नक्काशीदार झरोखे हैं, जिनमें से कुछ तो लकड़ी से बने हैं। इन झरोखों का निर्माण कुछ इस तरह किया गया था कि गर्मियों में ताजी हवा के माध्यम से पूरी इमारत ठंडी रहे।
यह भी बताया जाता है कि संत गालव ने तपस्या करते हुए सौ साल तक इस पवित्र स्थान पर सारा जीवन बिताया। उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान उसके सामने प्रकट हुए और अपने पवित्र स्थान को पवित्र जल से आशीर्वाद दिया। बता दें कि इस संत या ऋषि की वंदना करने के लिए, गलताजी मंदिर का निर्माण किया गया था और उसके नाम पर इस मंदिर का नाम रखा गया। ऐस भी बताया जाता है कि इस जगह पर तुलसीदास द्वारा पवित्र रामचरित्र मानस के खंड लिखे गए थे।
आपको बता दें कि गलतजी मंदिर अपने प्राकृतिक पानी के झरनों के लिए सबसे ज्यादा धार्मिक और पूजनीय है। इस मंदिर के परिसर में पानी स्वचालित रूप से फैलता है और टंकियों में इकट्ठा हो जाता है। इस प्राकृतिक झरने के सबसे खास बात यह है कि इसका पानी कभी नहीं सूखता जो यहां आने वाले पर्यटकों को चकित कर देता है। इसके साथ ही गलता कुंड, मंदिर परिसर में सात टंकियों में से सबसे पवित्र कुंड है। हर साल मकर संक्रांति के त्योहार के खास मौके पर इस पवित्र कुंड (Tank) में डुबकी लगाना बेहद शुभ माना जाता है।
इस मंदिर का निर्माण पंचतत्व यानी पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश के सही क्रम में किया गया है। मुख्य द्वार पर पृथ्वी तत्व है इसके बाद जल तत्व मौजूद है। जैसे ही आप मुख्य द्वार से आगे बढ़ेंगे एक फवारा है जो आपका मन खुश कर देगा। इसके बाद सीढ़ियां चढ़कर जब आप ऊपर जाएंगे तो यहां पर यज्ञ के लिए स्थान नजर आएगा। इसके आगे जाने पर एक बड़ा सा हाल है जो वायु तत्व का स्थान है। इसके बाद सर उठने से ही आपको एक विशाल गुंबद दिखेगा जो आकाश तत्व की ओर इशारा करता है। यहां पर शिखर के ठीक नीचे राधा कृष्ण विराजमान है। सब कुछ पांच तत्वों के हिसाब से बना हुआ है। इसमें पांच शिकार है और केंद्र शिखर सबसे ऊंचा है।
इस मंदिर की खासियत की बात करें तो यहां दिशाओं का तालमेल बहुत सही है। कानपुर गंगा के तट पर बसा हुआ है और जो सके इसके समानांतर बनी है उन पर बने भवनों का मुख्य उत्तर और पूर्व दिशा में है। जो सड़क गंगा जी को पार करती है उन पर बने भवनों का मुख्य उत्तर और पश्चिम की ओर है। अन्य मारुति से जवाब जेके मंदिर को देखेंगे तो यह तिरछा नजर आएगा। इसका कारण इन मकानों में दो दिशाओं का होना है। जब आप जेके मंदिर को देखेंगे तो आपको समझ आएगा कि यह सीधी दिशा में बना हुआ है। यानी कि पूर्व पश्चिम उत्तर और दक्षिण कहीं भी दो दिशाएं आपको एक साथ नजर नहीं आएगी। जेके मंदिर का मुख पूरी तरह से पूर्व दिशा में है। मंदिर के केंद्र में मौजूद राधा कृष्ण की मूर्ति भी पूर्व दिशा की ओर देख रही है। मूर्ति के पीछे पश्चिम दिशा है। बाएं हाथ पर उत्तर और दाहिने हाथ पर दक्षिण दिशा है। यही कारण है कि यहां पर अपार सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
सैर पर जाना हमेशा से काफी रोमांचक और आनंददायक होता है। खासकर तब जब आप थेक्कडी जैसी खूबसूरत जगह पर जा रहे हों। थेक्कडी केरल की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है और यहां हर साल काफी ज्यादा संख्या में टूरिस्ट आते हैं। अगर आप नेचर और वाइल्ड लाइफ लवर हैं तो थेक्कडी आपके लिए परफेक्ट हॉलिडे ऑप्शन हो सकता है क्योंकि यहां आपको बेहद खूबसूरत पहाड़, बड़े-बड़े पेड, एक से एक मनोरम दृश्य वाले झरने और बड़ी संख्या में हाथी और हिरण जैसे जानवर देखने को मिलेंगे।
थेक्कडी की सबसे लोकप्रिय जगहों में से एक है पेरियार नैशनल पार्क। यहां आप बैंबू राफ्टिंग के साथ-साथ जंगल सफारी के भी मजे ले सकते हैं। वैसे तो ये पार्क मुख्य शहर से थोड़ी दूरी पर है पर यहां हमेशा टूरिस्ट्स की भीड़ बनी रहती है।
26 स्क्वेयर किलोमीटर इलाके में फैला पेरियार लेक पेरियार टाइगर रिजर्व के बीच से होकर बहता है। 1895 में जब मुल्लापेरियार डैम का निर्माण किया गया था उसी वक्त इस लेक को भी बनाया गया था। आप चाहें तो इस लेक में डेढ़ घंटे की बोट राइड के जरिए भी नैशनल पार्क में घूम सकते हैं और बोट पर से बैठे-बैठे ही जानवरों को देख सकते हैं।
भारत में एक से बढ़कर एक धार्मिक स्थल मौजूद है जो अपने इतिहास और खासियत की वजह से पहचाने जाते हैं। चलिए आज आपको पहाड़ की चट्टान को काटकर बनाएंगे मंदिर के बारे में बताते हैं। देशभर में एक से बढ़कर एक पर्यटक स्थल और धार्मिक स्थान मौजूद है जहां अक्सर पर्यटक पहुंचते हैं। हिमाचल प्रदेश एक ऐसी जगह है जो अपने बर्फ से ढके हुए पहाड़ों और खूबसूरत नजारों के लिए पहचानी जाती है। हिमाचल प्रदेश में कई प्राचीन मंदिर भी मौजूद है जिनका हिंदू धर्म में काफी ज्यादा महत्व माना गया है। अगर आप भी उन लोगों में से हैं जो मंदिरों से जुड़े इतिहास में रुचि रखते हैं तो आपको मसरूर रॉक कट टेंपल के बारे में जरूर जानना चाहिए। यह मंदिर बहुत ही प्रसिद्ध है और पहाड़ के एक पत्थर को तराश कर इसे बनाया गया है। जब आप इसे देखेंगे तो सच में पड़ जाएंगे कि बिना किसी टेक्नालॉजी के पुराने समय में आखिरकार किस तरह से मंदिर का निर्माण किया गया था। चलिए जानते हैं कि यहां तक कैसे पहुंचा जा सकता है और इसकी खासियत क्या है।
अगर आप इस मंदिर का दीदार करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको टिकट लेनी होगी जिसे आप ऑनलाइन बुक कर सकते हैं या फिर यहां पहुंच कर भी टिकट लिया जा सकता है। इंडियन एडल्ट के लिए यहां ₹20 टिकट लगती है। समुद्र तल से यह 2535 फीट की ऊंचाई पर मौजूद है। इस मंदिर का निर्माण आठवीं शताब्दी में हुआ था और इसे बनाने में किसी भी मशीन का इस्तेमाल नहीं किया गया।
यह मंदिर वैसे तो बहुत खूबसूरत है लेकिन लगभग 120 साल पहले यानी की 1905 में एक भयंकर भूकंप आया था जिस वजह से इसकी दीवारें डैमेज हो गई थी। हालांकि भूकंप मंदिर का ज्यादा नुकसान नहीं कर पाया पर आज भी यहां पर भगवान शिव विष्णु की प्राचीन मूर्तियां मौजूद है।
अगर आप मसरूर रॉक टेंपल का दीदार करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको हिमाचल के कांगड़ जिले में जाना होगा। मंदिर तक पहुंचने के लिए हवाई, सड़क और रेल मार्ग का उपयोग किया जा सकता है। दिल्ली से यह 460 किलोमीटर दूर मौजूद है और धर्मशाला से इसकी दूरी 45 किलोमीटर पड़ती है। यहां का निकटतम एयरपोर्ट कांगड़ है जो मंदिर से 45 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद है। नजदीकी रेलवे स्टेशन नगरोटा सूरियां पड़ता है।
झील की विशेषता इसकी अद्वितीय अर्धचंद्राकार या गुर्दे की आकृति है, जो इसकी दृश्य अपील को बढ़ाती है। इसका क्षेत्रफल लगभग 48 एकड़ है और यह पहाड़ियों और इसके उत्तरी किनारे पर नैना देवी मंदिर से घिरा हुआ है। मल्लीताल झील के उत्तरी छोर का नाम है, जबकि तल्लीताल दक्षिणी छोर का नाम है। नैनी झील नैनीताल में एक प्रमुख आकर्षण है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता, मनोरंजन के अवसरों और सांस्कृतिक महत्व के साथ आगंतुकों को आकर्षित करती है। शांत पानी और सुंदर परिवेश इसे पहाड़ियों में शांतिपूर्ण विश्राम चाहने वालों के लिए एक आदर्श स्थान बनाते हैं।
पौराणिक कथा के अनुसार, नैनी झील को देवी पार्वती की पन्ना आंखों (नैना) में से एक माना जाता है जो भगवान शिव द्वारा किए गए ब्रह्मांडीय नृत्य तांडव के दौरान पृथ्वी पर गिरी थी। यही कारण है कि झील के किनारे नैना देवी मंदिर का भी निर्माण कराया गया है। नैना देवी मंदिर देश के 51 शक्ति पीठों में से एक है। यह मंदिर नैनी झील के उत्तर में स्थित है। मंदिर में पारंपरिक कुमाऊंनी वास्तुकला और डिजाइन है। इसमें लकड़ी की नक्काशी और पगोडा जैसी संरचना के साथ एक विशिष्ट शैली है। मंदिर के गर्भगृह में देवी नैना देवी की मूर्ति है। नैना देवी मंदिर एक प्रतिष्ठित तीर्थ स्थल है, और भक्त देवी नैना देवी का आशीर्वाद लेने के लिए मंदिर में आते हैं। देवी को नैनीताल की संरक्षक देवी के रूप में पूजा जाता है।
ठंडी सड़क, जिसका अनुवाद "ठंडी सड़क" है, नैनी झील के किनारे पेड़ों से घिरा एक रास्ता है। यह इत्मीनान से टहलने के लिए एक लोकप्रिय स्थान है, जहाँ से झील और आसपास की पहाड़ियों के सुंदर दृश्य दिखाई देते हैं। वहीँ मॉल रोड, दुकानों, कैफे और होटलों से सजी एक हलचल भरी सड़क, नैनी झील के किनारे चलती है। यह एक जीवंत क्षेत्र है जहां आगंतुक खरीदारी, भोजन और झील के दृश्यों का आनंद ले सकते हैं।
नैनीताल के दिल में बसी है खूबसूरत नैनी झील। नैनी झील में आसपास के सारे पहाड़ों का रिफ्लेक्शन पड़ता है जिससे इसका पानी बिल्कुल हरा दिखता है और यह दृश्य काफी मनोरम लगता है। इस झील में आप बोटिंग का भी लुत्फ उठा सकते हैं,इससे आप झील की खूबसूरती को करीब से महसूस कर पाएंगे।
नैनीताल के मुक्तेशवर मंदिर से सनसेट का खूबसूरत नजारा देखने को मिलता है। आप यहां शिवलिंग का दर्शन करने के बाद बाहर सनसेट का खूबसूरत नजारा भी देख सकते हैं। ज्यादातर लोग इस नजारे को अपने कैमरे में कैद कर लेते हैं ताकि एक खूबसूरत याद के तौर पर हमेशा इसे अपने साथ रखें।
जैसा कि सब जानते हैं कि नैनीताल को झीलों का शहर कहा जाता है। यहां आप घूमते घूमते थक जाएंगे लेकिन झीलों का सिलसिला खत्म नहीं होगा। यहां की नौकुचिया ताल काफी मशहूर है, भीमताल से 11 किमी. की दूरी पर स्थित नौकुचिया ताल की खूबसूरती देखते ही बनती है। इस झील की गहराई तकरीबन 160 फीट है। यहां आप सूकून के पल बिता सकते हैं।
राज भवन को गर्वनर हाउस के नाम से भी जाना जाता है। ये उत्तराखंड के गर्वनर का आवास है। हमारे देश में कुछ ही गर्वनर हाउस हैं जो आम जनता के लिए खुले हैं, ये भी उनमें से एक है। 220 एकड़ में फैला ये राज भवन देखने में बेहद खूबसूरत और भव्य है।
अगर आप भी सोच रहे हैं कि शारावती एक जगह है, तो आप गलत हैं, कर्नाटक में शारावती एक नदी है, जो भारत के पश्चिमी तट में कर्नाटक से शुरू होती है और जोग वाटरफॉल के नजदीक से गुजरती है। जोग वॉटरफॉल के 6 किलोमीटर दूर शारावती नदी के किनारे कैंपिंग के लिए यह जगह बहुत अच्छी है। हालांकि आपको वहां कैंपिंग की कोई सुविधा नहीं मिल सकती, इसलिए अपने साथ कैंपिंग बैग और उससे जुड़े सामान ले जाना न भूलें।
उत्तराखंड के कुमाऊं जिले में मौजूद नैनीताल झील के बारे में किसने नहीं सुना, लेकिन आपने कभी ये सुना है कि यहां कैंपिंग भी की जा सकती है। कैंपिंग बैग को ले जाएं और साफ पानी की नैनीताल झील के पास कैंपिंग का मजा लें। कैंपिंग के साथ-साथ आप सुबह राफ्टिंग के लिए भी जा सकते हैं। नैनीताल में कैम्पिंग करने के अलावा आप भीमताल झील, मुक्तेश्वर, सत्तल जैसी खूबसूरत जगह भी देख सकते हैं। साथ ही वहां कई एडवेंचर्स एक्टिविटीज भी करवाई जाती हैं जैसे रैपलिंग, फ्लाइंग फॉक्स, डबल रोप, टायर कोर्स आदि।
पैंगोंग झील, लेह की बहुत प्रसिद्ध झील है। 3 इडियट्स मूवी का आमिर खान और करीना कपूर का आखिरी सीन यहीं फिल्माया गया था। शायद आपको याद आ गया होगा। इस जगह का लुत्फ उठाने के लिए आप यहां कैंपिंग करने के लिए आ सकते हैं। बस इस बात का ध्यान रखें कि लेह में आधा साल ठंड रहती है, तो सोच समझकर ही यहां के लिए प्लानिंग करें।
Jul 26 2024, 12:42
- Whatsapp
- Facebook
- Linkedin
- Google Plus
1- Whatsapp
- Facebook
- Linkedin
- Google Plus
6.5k