आखिर कब खुलेंगे ! पंचायत भवनों के ताले
गोला गोरखपुरI लाखों रुपये खर्च कर गांव में रहने के लिए सचिवों के लिए आवास व कार्यालय बनाए गए हैं। इन आवासों व कार्यालय पर हमेशा ताले लटकते रहते हैं। इससे पंचायती राज व्यवस्था की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
सरकार द्वारा गांव के लोगों का जीवन स्तर उठाने के लिए विभिन्न तरीकों से प्रयास जारी है लेकिन इसके लिए इस व्यवस्था को संचालित करने के लिए तैनात अधिकारी व कर्मचारी इसे नजर अंदाज कर खुले तौर पर मखौल उड़ा रहे हैं।सरकार द्वारा लाखों की लागत से हर ग्राम पंचायत स्तर पर आवास व कार्यालय बना है। कही-कहीं बनाया भी जा रहा है। इसके बाद भी इन अधिकारियों के पास अधिक काम है और एक अधिकारी को पांच, छह गांव का प्रभार दिया गया है, जबकि देखा जाए तो अधिक से अधिक गांव के प्रभार लेने के लिए इन अधिकारियों द्वारा हर संभव कोशिश की जाती है।
इसमें सबसे अहम बात यह है कि इन अधिकारियों के कार्य क्षेत्र वाले गांव एक दूसरे से सटे होते हुए भी कभी गांवों में नहीं रहते। कई ऐसे सचिव हैं जिनको गांव वाले देखना तो दूर नाम तक नहीं जानते।गोला ब्लॉक क्षेत्र के आदर्श ग्राम पंचायत पटौहा बरइपूरा उर्फ पडोली व गाजेगड़ा व सभी पंचायतों में ग्राम पंचायत सचिवालयों की स्थिति बदतर है। यहां काम का कोई सिस्टम नहीं है। कौन कर्मी कब आएगा और कौन नहीं इसकी जानकारी भी किसी को नहीं है।
पंचायत सचिवों व अन्य कर्मियों से मुलाकात करने के लिए ग्रामीणों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है।
इस मामले में गोला खंड विकास अधिकारी दिवाकर सिंह ने कहा कि मामले को सज्ञान में लेकर उचित कार्रवाई की जाएगी I
Jul 25 2024, 20:19