आईए जानते हैं फतेह सागर झील का इतिहास और घूमने की जानकारी
फतेह सागर झील उदयपुर के उत्तर-पश्चिम में स्थित एक बहुत ही शानदार झील है जो इस शहर के सबसे खास पर्यटन स्थलों में से एक है। अरावली पहाड़ियों से घिरे शहर उदयपुर में यह दूसरी सबसे बड़ी मानव निर्मित झील है। यह झील अपनी सुंदरता के लिए जानी जाती है और अपने शांत वातावरण से यहां आने वाले पर्यटकों को एक अद्भुद शांति का एहसास कराती है। यहाँ मोती मगरी रोड पर पर्यटक गाड़ी से फतेह सागर झील की परिधि में आसानी से जा सकता है और यहां से पूरी झील के आकर्षक नजारे को देख सकता है। इस खास पर्यटन स्थल में दोपहर में शांत सुंदरता का आनंद लेने के बाद आप इसके अलवा बोटिंग भी कर सकते हैं और यहां पर्यटकों के लिए उपलब्ध अन्य पानी के खेलों में भी भाग ले सकते हैं।
फतेह सागर झील शहर की शहर की चार झीलों में से एक होने की वजह से यहाँ पर पर्यटकों की काफी भीड़ आती है। इस जगह पर लोग नीले पानी में बोटिंग का मजा लेने और यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता को देखने जरुर आते हैं। फतेह सागर झील की प्राकृतिक सुंदरता और आकर्षण ने इसको एक खास पर्यटन स्थल बना दिया है।
बता दें मूल रूप से फतेह सागर झील का निर्माण महाराणा जय सिंह ने वर्ष 1687 में किया था। हालांकि, लगभग 200 साल बाद 1888 में बाढ़ में नष्ट हो जाने के बाद महाराणा फतेह सिंह ने 1889 में कनॉट बांध बनाया, जिसने वर्तमान झील को आकार दिया और उन्हें सम्मानित करने के लिए इसका नाम बदलकर फतेह सागर झील रखा गया। फतेह सागर झील तीन अलग- अलग द्वीपों में विभाजित है। जिसमें से सबसे बड़ा द्वीप नेहरु पार्क कहलाता है। इस जगह पर नाव के आकार का एक रेस्टोरेंट और बच्चों के लिए एक छोटा चिड़ियाघर भी स्थित है जो एक पिकनिक स्पॉट के रूप में काफी लोकप्रिय है। इस झील के दूसरे द्वीप में एक सार्वजनिक पार्क है जिसमें वाटर-जेट फव्वारे लगे हुए हैं। तीसरे द्वीप में उदयपुर सौर वेधशाला स्थित है।
फतेह सागर झील में बोटिंग करे बिना आपकी यहां की यात्रा पूरी नहीं हो सकती इसलिए अगर आप इस झील को घूमने के लिए आ रहे हैं तो आपको यहाँ के खास वाटरस्पोर्ट्स जैसे झील के पानी बोटिंग का मजा जरुर लेना चाहि
शहर का खास पर्यटन स्थल होने की वजह से फतेह सागर झील की यात्रा करने के लिए हर तरह के पर्यटक आते हैं। इस प्राकृतिक जगह पर आकर आप यहाँ नाव से सैर कर सकते हैं और यहां दोपहर के समय बैठकर झील के पास स्थानीय पक्षियों को देख सकते हैं। आप यहां की फोटोग्राफी भी कर सकते हैं और अपने परिवार के लोगों के साथ सैर सपाटा भी कर सकते हैं। यहां झील के पास से सूर्यास्त को देखना काफी खास साबित हो सकता है। यहाँ कई संगीत कार्यक्रम और त्योहार भी आयोजित किये जाते हैं जिनमें शामिल होना बेहद यादगार साबित हो सकता है।
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गर्मियों का मौसम फतेह सागर झील की यात्रा करने के लिए अनुकूल नहीं होता क्योंकि इस मौसम में उदयपुर का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाता है। इसलिए मार्च से लेकर जून के बीच यहां की यात्रा करने से आपको बचना चाहिए। मानसून का मौसम जलाई से शुरू होता है और सितंबर तक रहता है। इस मौसम में आप फतेह सागर झील के शानदार नजारों का मजा ले सकते हैं। मानसून के मौसम में उदयपुर का तापमान 25 से 35 डिग्री सेल्यिस के बीच रहता है, इसलिए यह समय झील की यात्रा करने का एक आदर्श समय है। झील के पास जाने का सबसे अच्छा समय शाम का है क्योंकि इस दौरान आप यहां सूर्यास्त के लुभावने दृश्य को देख सकते हैं।




पिछोला झील का निर्माण 1362 ई में महाराणा लाखा के शासन के दौरान अनाज परिवहन करने वाले एक जिप्सी आदिवासी पिच्छू बंजारा ने बनवाया था। पिछोला’ शब्द का मलतब होता है ‘पिछवाड़े’ है और झील का नाम पास के एक गांव ‘पिछोली’ के नाम पर रखा गया था। बता दें कि महाराणा उदय सिंह इस झील की सुंदरता से मंत्रमुग्ध थे, इसलिए उन्होंने पिछोला झील के किनारे उदयपुर शहर का निर्माण करवाया था। झील के परिवेश में महल, संगमरमर के मंदिर, हवेली, चबूतरा या स्नान घाट स्थित हैं जो कई सदियों पहले बनाये गए थे। इस झील के पास कुछ प्रसिद्ध पैलेस में जग निवास, मोहन मंदिर और जग मंदिर महल हैं।
गर्मियों का मौसम पिछोला झील की यात्रा करने के लिए अनुकूल नहीं होता क्योंकि इस मौसम में उदयपुर में का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाता है। इसलिए मार्च से लेकर जून के बीच इस पर्यटक स्थल की यात्रा करने से आपको बचना चाहिए। यहां मानसून का मौसम जलाई के महीने से शुरू होता है और सितंबर तक रहता है। इस मौसम में आप पिछोला झील के शानदार नजारों का मजा ले सकते हैं। मानसून के मौसम में उदयपुर का तापमान 25 से 35 डिग्री सेल्यिस के बीच रहता है इसलिए यह समय झील की यात्रा करने का एक आदर्श समय है। झील के पास जाने का सबसे अच्छा समय शाम का है, क्योंकि इस दौरान आप यहां सूर्यास्त के लुभावने दृश्य को देख सकते हैं।
उदयपुर रेलवे स्टेशन से पिछोला झील की दूरी लगभग 3 किलोमीटर है। उदयपुर रेल के विशाल नेटवर्क पर स्थित है जो इसे भारत के प्रमुख शहरों जैसे जयपुर, दिल्ली, कोलकाता, इंदौर, मुंबई और कोटा से जोड़ता है। उदयपुर के लिए कई ट्रेन प्रतिदिन चलती हैं। जब आप स्टेशन पहुंच जाते है तो आप एक टैक्सी या एक ऑटो-रिक्शा किराए पर ले सकते हैं और पिछोला झील की यात्रा कर सकते हैं।
बागोर की हवेली पिछोला झील के पास स्थित कुंभलगढ़ किले के पास के सबसे खास पर्यटन स्थलों में से एक है। इस हवेली का निर्माण 18 वीं शताब्दी में मेवाड़ के शाही दरबार में मुख्यमंत्री अमीर चंद बड़वा द्वारा किया गया था। इसके बाद यह हवेली वर्ष 1878 में बागोर के महाराणा शक्ति सिंह का निवास स्थान बन गई जिसकी वजह से इसका नाम बागोर की हवेली पड़ा। इस हवेली को संग्रहालय में परिवर्तित कर दिया गया है जो मेवाड़ की संस्कृति को प्रस्तुत करता है, यहां के एंटीक संग्रह में राजपूतों द्वारा इस्तेमाल किये जाने वाले कई सामान जैसे कि आभूषण बक्से, हाथ के पंखे, तांबे के बर्तन शामिल हैं। इस विशाल संरचना में 100 से अधिक कमरे हैं और यह अपनी वास्तुकला की अनूठी शैली के साथ शानदार दृश्य प्रस्तुत करता है। अगर आप कुंभलगढ़ किले या उदयपुर की यात्रा करने जा रहे हैं तो इस पर्यटन स्थल को देखने के लिए जरुर जाएँ।
मोती मगरी फतेह सागर झील की एक अनदेखी पहाड़ी की चोटी पर स्थित है जिसका निर्माण महाराणा प्रताप और उनके प्रिय घोड़े चेतक की स्मृति में एक श्रद्धांजलि करवाया गया है। यहां जगह आपको कई आकर्षक दृश्यों को देखने के लिए लुकआउट प्वाइंट प्रदान करता है। अगर आप महाराणा प्रताप से जुड़ी घटनाओं की आश्चर्यजनक विरासत को जानना चाहते हैं तो मोती मगरी की यात्रा जरुर करें। मोती मगरी फतेह कुंभलगढ़ किले के पास के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है जहां आपको एक बार जरुर जाना चाहिए।
यहां के स्थनीय लोगों का मानना है कि किले में बाणमाता देवी मौजूद थी जो इस किले की रक्षा करती थी, जिनके मंदिर को अहमद शाह ने नष्ट कर दिया था। इसके बाद मोहम्मद खिलजी ने 1458-59 और 1467 में इस किले को हासिल करने के लिए कई प्रयास किये गए। लेकिन अकबर के सेनापति शंभाज खान ने 1576 में किले पर अधिकार हासिल कर लिया था। इसके बाद मराठों और भवनों के साथ मंदिरों पर भी कब्जा कर लिया गया था।
जनवरी के बाद क्षेत्र के पर्यटन में एकदम सुस्ती छा गई, जिसमें गत 15 मई के बाद फिर रौनक लौटती दिखाई दे रही है। वर्तमान में क्षेत्र की अधिकांश होटलें, नेशनल पार्क, दुर्ग, फिश प्वाइंट सहित अन्य पर्यटन स्थल पर्यटकों से गुलजार हैं। होटल व्यवसाइयों का मानना है कि, जनवरी और फऱवरी तो फिर भी ठीक था, लेकिन मार्च और अप्रेल तो बिल्कुल खाली गए हैं। इस दौरान पर्यटन बाजार वीरान सा रहा। हालांकि जहां ब्याव-शादी का अयोजन था वहां फिर भी चहल-पहल बनी रही। लेकिन, शेष जगहों पर सूनापन ही दिखाई दिया।
यूं तो विश्व विरासत कुंभलगढ़ किसी पहचान का मोहताज नहीं है। लेकिन, इसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के साथ ही कुंभलगढ़ क्षेत्र अरावली पर्वतमालाओं के बीच होने से इसका प्राकृतिक सौंदर्य भी लोगों को बरबस अपनी ओर खींचता है। क्षेत्र की इसी सुंदरता और ठंडक के चलते पर्यटक गर्मी के दौर में भी यहां खींचे चले आते हैं। वे यहां आने के बाद सिर्फ दुर्ग ही नहीं, बल्कि यहां के अन्य रमणीय स्थलों तक भी पहुंचते हैं।
*यहां के प्रमुख पर्यटन स्थल*
वैसे तो सालभर पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है। लेकिन, गत जनवरी से अप्रेल तक क्षेत्र के पर्यटन में सुस्ती कुछ ज्यादा रही, लेकिन इस माह से क्षेत्र में पर्यटकों की चहल-पहल बढऩे से क्षेत्र की होटलें भी पर्यटकों से गुलजार होने लगी है।
महाबलेश्वर महाराष्ट्र का एक बहुत ही खूबसूरत हिल स्टेशन है। जुलाई की रिमझिम बारिश में घूमने के लिए यह देश की सबसे अच्छी जगह में से एक है ।महाराष्ट्र के सतारा जिले में मौजूदिया जगह बेस्ट टूरिस्ट डेस्टिनेशन है। यहां पर आपको पहाड़ जंगल और झरनों की खूबसूरत नजारे देखने को मिलेंगे।यहां पर कुछ खूबसूरत स्थान है जहां का दीदार आपको जरूर करना चाहिए।
उदयपुर राजस्थान का एक बहुत ही खूबसूरत शहर है जो अपने ऐतिहासिक स्थलों और खूबसूरत झीलों के लिए पहचाना जाता है।विश्व भर में इसे झीलों की नगरी के नाम से पहचान मिली हुई है। मानसून के समय कई सारे लोग यहां पर प्राकृतिक सुंदरता का दीदार करने के लिए पहुंचते हैं। आपके यहां फतेह है सागर झील, लेक पैलेस और पिछोला झील जरूर जाना चाहिए।
Jul 22 2024, 09:54
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