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यूक्रेन के लिए स्विट्जरलैंड में एक मंच पर आये दुनिया के 80 देश, जानें क्या रहा भारत का रूख ?*
#eighty_countries_jointly_called_territorial_integrity_ukraine_two_day_conference_switzerland
फरवरी 2022 से रूस-और यूक्रेन के बीच जंग जारी है। दो साल से अधिक का समय बीत चुका है लेकिन दोनों देशों में से कोई भी पीछे हटने को तैयार नहीं है।फरवरी 2022 में पूरी तरह से युद्ध की शुरुआत में रूस का सामना करने की यूक्रेन की क्षमता ने कई लोगों को आश्चर्य में डाल दिया। इसका प्रमुख कारण यह था कि यूक्रेन के अंतरराष्ट्रीय साझेदारों ने उसे हथियारों की आपूर्ति शुरू कर दी थी। अमेरिका जैसे ताकतवर देशों का साथ मिलने के कारण ही यूक्रेन रूस के खिलाफ दो सालों से अदिक वक्त खड़ा है। इस बीच स्विट्जरलैंड के ल्यूसर्न में यूक्रेन संकट पर शांति शिखर सम्मेलन हुआ। यूक्रेन युद्ध की समाप्ति का रास्ता तलाशने के उद्देश्य से स्विट्जरलैंड में हुए शांति शिखर सम्मेलन में 80 से अधिक देशों ने एक सुर में कहा कि यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता शांति वार्ता के केंद्र में होनी चाहिए। हालांकि सम्मेलन में कुछ प्रमुख विकासशील देश इसमें शामिल नहीं हुए हैं। 2 दिवसीय सम्मेलन के आखिरी दिन रविवार को साझा बयान जारी किया गया, जिस पर भारत व कुछ देशों ने हस्ताक्षर नहीं किए। संयुक्त विज्ञप्ति पर भारत ने हस्ताक्षर करने से मना कर दिया। भारत के अलावा सऊदी अरब , दक्षिण अफ्रीका, संयुक्त अरब अमीरात और ब्राजील के मंत्रियों ने फाइनल डॉक्यूमेंट पर साइन नहीं किया। भारतीय विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) पवन कपूर ने यूक्रेन संकट पर ‘शांति शिखर सम्मेलन’ में भारत का प्रतिनिधित्व किया। कपूर ने कहा, ‘हमारा मानना है कि इस तरह की शांति के लिए सभी हितधारकों को एक साथ लाना और संघर्ष में शामिल दोनों पक्षों के बीच ईमानदारी और व्यावहारिक जुड़ाव की आवश्यकता है।’ कपूर ने आगे कहा, ‘हमारे विचार में, केवल वे विकल्प ही स्थायी शांति की ओर ले जा सकते हैं जो दोनों पक्षों को स्वीकार्य हों। इस दृष्टिकोण के अनुरूप, हमने शिखर सम्मेलन से निकलने वाले संयुक्त विज्ञप्ति या किसी अन्य दस्तावेज़ से जुड़ने से बचने का फैसला किया है। स्विट्जरलैंड के बर्गेनस्टॉक रिसॉर्ट में दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। बुर्गेनस्टॉक रिसॉर्ट में हुए सम्मेलन के अंतिम दिन साझा बयान जारी किया गया। सम्मेलन में लगभग 100 प्रतिनिधिमंडल आए, जिनमें से अधिकांश पश्चिमी देशों से थे। रूस को आमंत्रित नहीं किया गया था और चीन ने भी इससे दूरी बनाए रखी। साझा बयान में यूक्रेन युद्ध की समाप्ति व शांति स्थापना के लिए संयुक्त राष्ट्र चार्टर व क्षेत्रीय अखंडता की बात कही गई है। यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने सम्मेलन को शांति की ओर पहला कदम करार दिया और उसकी सराहना की। दो दिवसीय सम्मेलन के बाद विश्लेषकों का कहना है कि युद्ध को समाप्त करने की दिशा में शायद ही कोई ठोस प्रभाव होगा, क्योंकि इसका नेतृत्व करने वाले और इसे जारी रखने वाले देश, रूस को अभी आमंत्रित नहीं किया गया है। इसका प्रमुख सहयोगी, चीन, जो इसमें शामिल नहीं हुआ। ब्राजील, जो “पर्यवेक्षक” के रूप में बैठक में मौजूद था, ने संयुक्त रूप से शांति की दिशा में वैकल्पिक मार्ग तलाशने की कोशिश की है।वहीं, इस अवसर पर इतालवी प्रधान मंत्री जियोर्जिया मेलोनी ने कहा कि वे रूस के साथ बातचीत के लिए “न्यूनतम शर्तें” हैं, जो इस बात का संकेत है कि कीव और मॉस्को के बीच असहमति के कितने अन्य क्षेत्रों को दूर करना कठिन होगा।
एलन मस्क ने निकाला कमाई का एक और जरिया, अब एक्स पर पोस्ट, लाइक और रिप्लाई करने के लिए देने होंगे पैसे*
#elon_musk_says_new_x_users_will_need_to_pay_for_posting_on_platform एलन मस्क ने जब से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स को खरीदा है, तब से लगातार इस प्लेटफॉर्म पर बदलाव देखने को मिल रहा है। एलन मस्क ने ना केवल ट्विटर को बदल कर एक्स कर दिया, बल्कि उसके जरिए पैसे कमाने में लगे हुए हैं। मस्क ने अब एक्स के जरिए पैसे बनाने का नया तरीका ढूंढ निकाला है।पता चला है कि एक्स जल्द अपने नए यूज़र्स से पैसे लेना शुरू कर देगा। मस्क ने बताया कि कंपनी नए एक्स यूजर्स से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग करने के लिए एक छोटा सा शुल्क लेने की योजना बना रही हैं। एलन मस्क के मुताबिक एक्स से जुड़ने वाले नए यूज़र्स को ट्वीट को लाइक करने, पोस्ट करने, रिप्लाई करने और यहां तक कि बुकमार्क करने के लिए ‘छोटा’ शुल्क देना होगा।हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया है कि इसकी फीस क्या होगी।बता दें कि शुरू से अब तक एक्स प्लेटफॉर्म मुफ़्त रहा है। एलन मस्क का मानना है कि फीस लगाने के बाद बॉट और फेक अकाउंट्स से होने वाले पोस्ट में कमी आएगी, क्योंकि फिलहाल कोई भी नया अकाउंट बनाकर किसी के भी पक्ष में पोस्ट कर रहा है। एलन मस्क ने कहा है कि बॉट को रोकने का यही एकमात्र तरीका है। कैप्चा जैसे टूल का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वर्तमान एआई (और ट्रोल फार्म) 'क्या आप एक बॉट हैं' को आसानी से पास कर सकते हैं। एक अन्य यूजर के उत्तर में, उन्होंने कहा कि नए खाते बनाने के तीन महीने बाद बिना शुल्क चुकाए पोस्ट किए जा सकेंगे। एलन मस्क ने लिखा कि दुर्भाग्य से, नए यूजर्स को राइटिंग एक्सेस के लिए एक छोटा सा शुल्क बॉट्स के निरंतर हमले को रोकने का एकमात्र तरीका है। यह केवल नए यूजर्स के लिए है। वे 3 महीने के बाद मुफ्त में लेखन कार्य कर सकेंगे।
ईरान के खिलाफ मिडिल ईस्ट में अकेला नहीं इजराइल, ये मुस्लिम देश खड़े हैं साथ*
#muslim_countries_altercation_over_iran_attack_on_israel ईरान के अचानक ड्रोन और मिसाइल हमले के बाद अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे पश्चिमी देश इजराइल के समर्थन में खड़े नजर आ रहे हैं। यही नहीं, कुछ मुस्लिम देशों ने भी खुलकर इजरायल का साथ दिया है। ईरान की तरफ से सैकड़ों ड्रोन और मिसाइलों को इजरायल की तरफ दागे हैं, जिनमें से अधिकांश को इजरायल ने हवा में मार गिराने का दावा किया है। अब द वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि इजरायल पहले से ही ईरान के हमलों के लेकर तैयार था, क्योंकि अरब देशों ने चुपचाप तेहरान की हमले की योजनाओं के बारे में खुफिया जानकारी दे दी थी। इजरायल के पड़ोसी जॉर्डन ने ईरानी हमले को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है तो क्षेत्र के बड़े और प्रभावशाली मुस्लिम देश सऊदी अरब ने भी इसमें मदद की है। इजरायल की सेना करीब 7 महीने से गाजा के मैदान में युद्ध लड़ रही है। मुस्लिम देशों की आंख की किरकिरी बन चुके इजरायल को शायद ही कोई मुस्लिम देश साथ देने की सोचता हो। लेकिन जिस तरह का हमला ईरान ने इजरायल पर बोला है, उसके बाद अब मुस्लिम देश दो फाड़ दिखाई दे रहे हैं। ईरान के हमले का मुस्लिम देश समर्थन कर रहे हैं तो कुछ मुस्लिम देश ऐसे भी हैं जिन्होंने ईरान के हमले की निंदा भी की। इनमें सबसे बड़ा और पहला नाम जॉर्डन है और दूसरा सऊदी अरब। द वॉल स्ट्रीट जर्नल ने अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से बताया है कि अरब देशों ने अपने हवाई क्षेत्र को लड़ाकू विमानों के लिए खोल दिया, रडार निगरानी जानकारी साझा की और कुछ मामलों में, मदद के लिए अपनी सेनाओं की सेवाएं भी प्रदान कीं। सऊदी और मिस्र के अधिकारियों ने बताया कि ईरान के हमला करने का निर्णय लेने के बाद, अमेरिकी अधिकारियों ने क्षेत्रीय अरब सरकारों पर तेहरान की योजनाओं के बारे में खुफिया जानकारी साझा करने के साथ-साथ इजरायल की ओर लॉन्च किए गए ड्रोन और मिसाइलों को रोकने में सहायता करने के लिए दबाव डालना शुरू कर दिया था। टाइम्स ऑफ इजरायल ने इजरायली सेना के सूत्र के हवाले से बताया है कि जॉर्डन के जेट विमानों ने उत्तरी और मध्य जॉर्डन से होकर इजरायल की ओर आने वाले दर्जनों ड्रोन को मार गिराया। जॉर्डन की तरफ से इजरायल की मदद के लिए अपने जेट भेजना एक बड़ा कदम है, क्योंकि अम्मान इसके पहले गाजा में अभियान के लिए इजरायल की भारी आलोचना की है। सूत्रों का कहना है कि ड्रोन जॉर्डन घाटी की ओर हवा में उतारे गए थे और यरूशलम की ओर जा रहे थे। अन्य को इराकी-सीरियाई सीमा के करीब रोक लिया गया। वे कोई और विवरण नहीं देते। इजरायल की मीडिया के मुताबिक, जॉर्डन के जेट विमानों ने उत्तरी और मध्य जॉर्डन से होकर इजरायल की ओर आने वाले दर्जनों ड्रोन को मार गिराया। जबकि इससे पहले गाजा युद्ध के दौरान जॉर्डन इजरायल के खिलाफ खड़ा रहा। जानकार मानते हैं कि अब स्थिति बदली हुई है। सऊदी अरब ने भी ईरान के हमले की निंदा करते हुए कहा है कि इससे संघर्ष बढ़ेगा जो दुनिया के लिए अच्छा नहीं है। इससे भी स्पष्ठ है कि ईरान की कार्रवाई से सऊदी अरब खफा है। इसके अलावा बाकी मुस्लिम देशों ने भी ईरान के इस हमले की कार्रवाई पर चुप्पी साध रखी है। इस हमले के बाद मुस्लिम देशों में फूट पड़ना ईरान के लिए अच्छा संकेत नहीं है। जिससे ईरान की टेंशन जरूर बढ़ेगी।
इजराइल-हमास संघर्ष: सऊदी अरब ने बुलाई इस्लामिक देशों के संगठन ओआईसी की बैठक

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इजरायल और हमास के बीच एक महीने से ज्यादा वक्त से जंग जारी है। इस युद्ध में दोनों तरफ से लोगों की जानें जा रही हैं।इजराइल और हमास के बीच जारी संघर्ष के दौरान गाज़ा पर चर्चा के लिए सऊदी अरब ने ऑर्गेनाइज़ेशन ऑफ़ इस्लामिक कोऑपरेशन (ओआईसी) की बैठक बुलाई है।जेद्दा में होने वाली इस आपात बैठक में गाजा पर इजराइल की सैन्य कार्रवाई को लेकर चर्चा होगी।

ओआईसी के वरिष्ठ सूत्रों के मुताबिक संगठनों के सभी सदस्यों को निमंत्रण दे दिए गए हैं। फिलिस्तीन में मौजूदा हालात की गंभीरता को देखते हुए अधिकांश इस्लामी देशों के नेताओं के इस सम्मेलन में हिस्सा लेने की उम्मीद है।ओआईसी के सदस्य देशों के नेता इजरायल से गाजा पर अपने हमले तुरंत बंद करने, घेराबंदी हटाने, सहायता वितरण की अनुमति देने और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का सम्मान करने की सामूहिक तौर पर मांग कर सकते हैं। इस्लामी देशों का संगठन इस बात पर भी जोर दे सकता है कि अंतरराष्ट्रीय प्रस्तावों के आधार पर संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान के अलावा और कोई दूसरा विकल्प नहीं हो सकता है।

ईरान के राष्ट्रपति भी सऊदी अरब जाएंगे

इस बैठक में शामिल होने के लिए ईरान के राष्ट्रपति भी सऊदी अरब जाएंगे। कुछ समय पहले तक ईरान और सऊदी अरब के रिश्ते तल्ख थे लेकिन चीन की मध्यस्थता के बाद सऊदी अरब और ईरान के रिश्तों में गर्मजोशी बढ़ी है। ईरान के मीडिया के अनुसार, राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी शनिवार को रियाद के लिए उड़ान भरेंगे। ओआईसी की बैठक में गाजा संकट पर चर्चा की जाएगी। ओआईसी की इस बैठक को लेकर ईरान कितना गंभीर है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ईरान ने अपने विशेषज्ञों की एक टीम रियाद भेज दी है, जो सम्मेलन के दौरान जारी होने वाले प्रस्ताव का विश्लेषण करेगी।

57 मुस्लिम बहुल देशों का संगठन

मालूम हो कि ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक का मुख्यालय सऊदी अरब के जेद्दा शहर में है। यह 57 मुस्लिम बहुल देशों का संगठन है। ओआईसी में गल्फ कंट्री सऊदी अरब और उसके सहयोगी देशों का दबदबा माना जाता है। इसका मुख्य मकसद अंतरराष्ट्रीय शांति और सद्भाव बनाते हुए मुसलमानों की सुरक्षा करना है। चार महाद्वीपों के 57 देशों वाला यह संगठन करीब 1.5 अरब की आबादी का प्रतिनिधित्व करता है और इसके सदस्य देशों की कुल जीडीपी करीब 7 ट्रिलियन डॉलर है।

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन ने इजरायल से किया युद्धविराम का आग्रह, नेतन्याहू ने दिया ये जवाब

#israel_hamas_war_french_president_emmanuel_macron_requested_israel_for_ceasefire

इजरायल और हमास के बीच जारी जंग को एक महीने से अधिक का समय हो चुका है। हालांकि, युद्ध में विराम लगता दिख नहीं रहा है। इस जंग में इजराइल का साथ दे रहे अमेरिका पहले ही जंग को बंद करने का आह्वान कर चुका है। अब फ्रांस ने इजरायल से गाजा में नागरिकों पर हमला बंद करने के आह्वान किया है। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन द्वारा गाजा में बढ़ती मौतों के बीच नागरिकों पर बमबारी रोकने का आह्वान किया गया है।मैक्रॉन ने कहा कि बमबारी का "कोई औचित्य नहीं" था और युद्धविराम से इजरायल को फायदा होगा।

अब तक इसराइली हमलों में गाजा पट्टी में मरने वालों की संख्या 11,078 पहुंच गई है, जिनमें अधिकांश बच्चे हैं। ऐसे में गाजा की ताजा हालात को देखते हुए दुनिया भर के देश युद्ध विराम की अपील कर रहे हैं। इसी बीच फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने भी इजरायल हमास के बीच जारी संघर्ष को रोकने की अपील की है।इमैनुएल मैक्रों ने एक इंटरव्यू में बीबीसी को बताया कि इजरायल को गाजा पर बमबारी करना और नागरिकों को मारना बंद करना चाहिए। उन्होंने कहा कि बमबारी का कोई औचित्य नहीं था और युद्धविराम से इजरायल को फायदा होगा। उन्होंने कहा कि फ्रांस हमास की आतंकवादी कार्रवाइयों की "स्पष्ट रूप से निंदा" करता है। इसके साथ ही हमारा मानना है कि इजरायल को अपनी रक्षा करने का भी पूरा अधिकार है लेकिन हम गाजा में होने वाली बमबारी को रोकने का आग्रह करते हैं।

इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन के इजरायल से गाजा में नागरिकों पर हमला बंद करने के आह्वान का जवाब दिया है। फ्रांस के राष्ट्रपति को दिए जवाब में बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि इन मौतों के लिए हमास जिम्मेदार है, न कि इजरायलय और इसलिए पूरी दुनिया को हमास और आईएसआईएस की निंदा करनी चाहिए न कि इजरायल की। उन्होंने आगे कहा कि इजराइल गाजा के नागरिकों को नुकसान पहुंचाने से बचने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है, जबकि हमास उन्हें सुरक्षित क्षेत्रों में जाने से रोकने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है।

गाज़ा पर फ़ौरन हमला रोके इजराइल..', UNGA में जॉर्डन लाया प्रस्ताव, पढ़िए, भारत ने वोट डालने से किया इंकार करते हुए ये बताया कारण

भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में जॉर्डन द्वारा प्रस्तुत एक मसौदा प्रस्ताव पर मतदान से परहेज किया, जिसमें इज़राइल-हमास संघर्ष में तत्काल मानवीय संघर्ष विराम का आह्वान किया गया था, और इसमें फिलिस्तीनी आतंकवादी समूह हमास का कोई जिक्र नहीं किया गया था। मसौदा प्रस्ताव में गाजा पट्टी में निर्बाध मानवीय पहुंच का भी आह्वान किया गया था और इसे बांग्लादेश, मालदीव, पाकिस्तान, रूस और दक्षिण अफ्रीका सहित 40 से अधिक देशों द्वारा सह-प्रायोजित किया गया था। भारत के अलावा, अनुपस्थित रहने वाले देशों में ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जर्मनी, जापान, यूक्रेन और ब्रिटेन शामिल थे।

"नागरिकों की सुरक्षा और कानूनी और मानवीय दायित्वों को कायम रखना" शीर्षक वाले प्रस्ताव को भारी बहुमत से अपनाया गया, जिसमें 120 देशों ने इसके पक्ष में मतदान किया, 14 ने इसके खिलाफ वोट किया और 45 ने मतदान ही नहीं किया। प्रस्ताव पर आम सभा के मतदान से पहले, 193 सदस्यीय निकाय ने कनाडा द्वारा प्रस्तावित और संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा सह-प्रायोजित, पाठ में एक संशोधन पर विचार किया गया। संशोधन में प्रस्ताव में एक पैराग्राफ डालने के लिए कहा गया, जिसमें कहा गया कि महासभा "7 अक्टूबर 2023 को इजरायल में हुए हमास के आतंकवादी हमलों और बंधकों को ले जाने की घटना को स्पष्ट रूप से खारिज करती है और इसकी निंदा करती है, सुरक्षा और कल्याण की मांग करती है। इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुपालन में बंधकों के साथ मानवीय व्यवहार, और उनकी तत्काल और बिना शर्त रिहाई का आह्वान करती है।''

इस प्रस्ताव के लिए भारत ने 87 अन्य देशों के साथ संशोधन के पक्ष में मतदान किया, जबकि 55 सदस्य देशों ने इसके खिलाफ मतदान किया और 23 अनुपस्थित रहे। इसके अलावा, UNGA के 78वें सत्र के अध्यक्ष डेनिस फ्रांसिस ने घोषणा की कि मसौदा संशोधन को अपनाया नहीं जा सकता है। 

भारत द्वारा वोट की व्याख्या

उप स्थायी प्रतिनिधि राजदूत योजना पटेल ने UNGA में कहा कि, "7 अक्टूबर को इजराइल में हुए आतंकी हमले चौंकाने वाले थे और निंदा के लायक थे। हमारी संवेदनाएं बंधक बनाए गए लोगों के साथ हैं। हम उनकी तत्काल और बिना शर्त रिहाई का आह्वान करते हैं।" उन्होंने कहा कि, "आतंकवाद एक घातक बीमारी है और इसकी कोई सीमा, राष्ट्रीयता या नस्ल नहीं होती है। दुनिया को आतंकी कृत्यों के औचित्य पर विश्वास नहीं करना चाहिए। आइए हम मतभेदों को दूर रखें, एकजुट हों और आतंकवाद के प्रति शून्य-सहिष्णुता का दृष्टिकोण अपनाएं।"

भारत ने UNGA में कहा कि, "मानवीय संकट को संबोधित करने की जरूरत है। हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय के तनाव कम करने के प्रयासों और गाजा के लोगों को मानवीय सहायता पहुंचाने का स्वागत करते हैं। भारत ने भी इस प्रयास में योगदान दिया है। हम पार्टियों से आग्रह करते हैं कि वे तनाव कम करें, हिंसा से बचें और सीधी शांति वार्ता की शीघ्र बहाली के लिए स्थितियां बनाने की दिशा में काम करें। हमें उम्मीद है कि इस सभा के विचार-विमर्श से आतंक और हिंसा के खिलाफ एक स्पष्ट संदेश जाएगा और कूटनीति और बातचीत की संभावनाओं का विस्तार होगा। 

प्रस्ताव में क्या 

बता दें कि, जॉर्डन द्वारा तैयार किए गए प्रस्ताव में शत्रुता की समाप्ति के लिए तत्काल, टिकाऊ और निरंतर मानवीय संघर्ष विराम का आह्वान किया गया था। इसने पूरे गाजा पट्टी में नागरिकों को आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं के तत्काल, निरंतर, पर्याप्त और निर्बाध प्रावधान की भी मांग की, जिसमें पानी, भोजन, चिकित्सा आपूर्ति, ईंधन और बिजली तक सीमित नहीं है। मसौदा प्रस्ताव में अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के तहत यह सुनिश्चित करने की अनिवार्यता पर जोर दिया गया था कि नागरिकों को उनके अस्तित्व के लिए अपरिहार्य वस्तुओं से वंचित नहीं किया जाए।

साथ ही जॉर्डन ने फिलिस्तीन शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र राहत और कार्य एजेंसी और अन्य संयुक्त राष्ट्र मानवीय एजेंसियों और उनके कार्यान्वयन भागीदारों के लिए "तत्काल, पूर्ण, निरंतर, सुरक्षित और निर्बाध मानवीय पहुंच" का भी आह्वान किया। मसौदा प्रस्ताव में रेड क्रॉस की अंतर्राष्ट्रीय समिति और अन्य सभी मानवीय संगठनों के लिए मानवीय पहुंच की भी मांग की गई। संकल्प के अनुसार, यह मानवीय सिद्धांतों को बनाए रखने और गाजा पट्टी में नागरिकों को तत्काल सहायता प्रदान करने, मानवीय गलियारों की स्थापना को प्रोत्साहित करने और नागरिकों को मानवीय सहायता के वितरण की सुविधा के लिए अन्य पहलों के द्वारा किया जाना चाहिए।

प्रस्ताव में शामिल सभी लोगों से अंतरराष्ट्रीय कानून के नियमों का पालन करने के लिए कहा गया, खासकर जब नियमित लोगों और उनकी चीजों की सुरक्षा की बात आती है, साथ ही मानवीय कार्यकर्ताओं की सहायता करने और गाजा में जरूरतमंद लोगों को आवश्यक आपूर्ति प्राप्त करने की बात आती है। इसमें यह भी कहा गया कि फ़िलिस्तीनी नागरिकों, संयुक्त राष्ट्र के कर्मचारियों और मानवीय कार्यकर्ताओं को उत्तरी गाजा से दक्षिणी गाजा में स्थानांतरित करने के लिए प्रभारी देश इज़राइल द्वारा दिए गए आदेश को रद्द किया जाना चाहिए। प्रस्ताव में यह भी मांग की गई कि बिना किसी उचित कारण के बंदी बनाए गए सभी लोगों को तुरंत मुक्त किया जाना चाहिए, और उनके साथ अच्छा व्यवहार किया जाना चाहिए और कानून के अनुरूप होना चाहिए। हालाँकि, भारत ने इस प्रस्ताव पर वोट करने से साफ़ इंकार कर दिया, क्योंकि, इसमें फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास का जिक्र नहीं किया गया था और न ही आतंकी हमले की निंदा की गई थी। भारत का संयुक्त राष्ट्र में स्पष्ट कहना था कि, कोई भी प्रस्ताव एकतरफा नहीं आना चाहिए और दुनियाभर को आतंकवाद को मानवता के सबसे बड़े खतरे के रूप में पहचानना होगा। वहीं, हमास अब भी इजराइल के 200 नागरिकों को बंधक बनाए हुए है और रह-रहकर इजराइल पर रॉकेट भी दाग रहा है, ऐसे में इजराइल जंग नहीं रोक सकता। 

 फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास को इस लड़ाई में लेबनानी आतंकी संगठन हिजबुल्लाह, फिलिस्तीन इस्लामिक जिहाद समेत कई आतंकी संगठनों और अधिकतर मुस्लिम देशों का खुला समर्थन मिल रहा है, ऐसे में ये भी संभव है कि, यदि मात्र 90 लाख आबादी वाला यहूदी देश इजराइल अभी रुकता है, तो उसपर चौतरफा हमला हो सकता है, यहाँ तक कि उसका अस्तित्व भी समाप्त हो सकता है। क्योंकि, 1967 में 6 मुस्लिम देश एक साथ मिलकर इजराइल पर हमला कर चुके हैं, तब इजराइल ने महज 6 दिनों में सभी देशों को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था, लेकिन आज परिस्थियाँ अलग हैं।

इजराइल-हमास जंग के बीच अमेरिका की बड़ी कार्रवाई, सीरिया में बड़ा हवाई हमला, ईरान समर्थित संगठनों को बनाया निशाना

#america_air_strike_in_syria

इजराइल हमास जंग के बीच अमेरिका ने सीरिया में बड़ा हवाई हमला किया है।अमेरिका ने पूर्वी सीरिया में स्थित ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) और उससे जुड़े समूहों के ठिकानों पर एयरस्ट्राइक की है। अमेरिका का कहना है कि इस हफ्ते की शुरुआत में अमेरिकी बेस पर ड्रोन और मिसाइल से किए गए हमलों के मद्देनजर जह जवाबी कार्रवाई की गई है।रॉयटर के मुताबिक हमले का आदेश राष्ट्रपति जो बाइडेन ने दिया था।

अमेरिका ने यह कदम इराक और सीरिया में अमेरिकी सेना के खिलाफ किए हमलों के जवाब में उठाया है। अमेरिकी रक्षा सचिव (रक्षा मंत्री) लॉयड जे. ऑस्टिन ने इस संबंध में आधिकारिक बयान जारी किया है। उन्होंने कहा, अमेरिकी सेना ने सीरिया में दो मिलिशिया ठिकानों पर कार्रवाई की है, ये संगठन ईरान के इस्लामिक इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) की मदद करते है।

पेंटागन ने कहा कि इराक में यूएस एयरबेस पर फिर से हमला किया गया। इरबिल एयरबेस पर हमले की कोशिश की गई। लेकिन कोई हताहत नहीं हुआ और केवल मामूली नुकसान हुआ।

पेंटागन के मुताबिक 17 अक्टूबर को इराक और सीरिया में अमेरिकी बेस पर कम से कम 12 हमले किये गए। इन हमलों में 21 अमेरिकी नागरिक घायल हुए। इराक में अमेरिका के बेस अल असद और सीरिया में अल-तनफ गैरिसन में ईरान से जुड़े संगठनों ने यह हमला किया था। अमेरिका का कहना है कि आज किया गया हमला उसी का जवाब है।

अफगानिस्तान में फिर भूकंप के झटके, केंद्र जमीन से 10 किोलमीटर की गहराई पर था, दो दिन पहले ही भूकम्प से 4000 लोगों की हुई थी मौत

अफगानिस्तान में बुधवार की सुबह भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। जर्मन रिसर्च सेंटर फॉर जियोसाइंसेज के मुताबिक भूकंप के झटके अफगानिस्तान के उत्तर-पश्चिमी हिस्से में यह कंपन महसूस की गई है। भूकंप की तीव्रता 6.3 बताई गई है। बताया जा रहा है कि भूकंप का केंद्र जमीन से 10 किोलमीटर की गहराई पर था।

 बता दें कि बीते शनिवार को ही अफगानिस्तान में बड़े स्तर पर भूकंप आने के चलते जानमान का नुकसान हुआ था। शनिवार को अफगानिस्तान के हेरात प्रांत में भूकंप के तेज झटके लगे थे। जिसमें 4000 लोगों की मौत हो गई। हालांकि अब तक तालिबान ने इसकी पुष्टि नहीं की है।

जंग और तेज होगीःहथियारों के जखीरे से लदा अमेरिकी विमान इजराइल पहुंचा

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इजरायल और हमास के बीच जारी युद्ध और तेज होने वाला है।दरअसल, अमेरिका इजरायल के समर्थन में खुलकर सामने आ गया है। अमेरिकी हथियारों से लदा पहला विमान मंगलवार की शाम दक्षिणी इजराइल में उतरा। इजराइल के रक्षा बल (आईडीएफ) ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर इस बात की जानकारी दी।इस विमान ने ऐसे समय में लैंडिंग की है जब अमेरिकी राष्‍ट्रपति जो बाइडन ने इजरायल को पूरा समर्थन देने की बात दोहराई है।बता दें कि गाजा में हमास के खतरनाक हमले में 14 अमेरिकी नागरिक भी मारे गए हैं। 

इजराइल के रक्षा बल (आईडीएफ) ने एक्‍स पर पोस्‍ट कर अमेरिकी मदद मिलने की बात बताई है। उन्होंने लिखा, 'यूएस हथियारों से लदा हुआ पहला विमान दक्षिणी इस्राइल के नेवाटिम एयरबेस में शाम को पहुंचा।' हालांकि, आईडीएफ ने हथियारों के प्रकार या सैन्य उपकरणों के बारे में कोई जानकारी नहीं दी है। इससे पहले अब तक अमेरिका इस जंग में इजरायल के लिए पूरा समर्थन तो जारी कर रहा था, लेकिन गोला-बारूद की सप्लाई शुरू नहीं की गई थी। अब माना जा रहा है कि इसके बाद भी कई अमेरिकी विमान गोला-बारूद लेकर इजरायल पहुंच सकते हैं।जो युद्ध के नजरिए से निर्णायक साबित हो सकते हैं।

नेतन्याहू ने दी है जंग खत्म करने की धमकी

इससे पहले इजराइल के पीएम नेतन्याहू ने हमास को धमकी देते हुए कहा, 'इस्राइल ने यह युद्ध शुरू नहीं किया है, लेकिन इस्राइल इसे खत्म करेगा। नेतन्याहू ने कहा कि ‘इजरायल जंग में है। हम यह जंग नहीं चाहते थे। इसे सबसे क्रूर और बर्बर तरीके से हम पर थोपा गया। हालांकि इजरायल ने इस जंग को शुरू नहीं किया, लेकिन इजरायल इसे खत्म करेगा।

बाइडन ने की नेतन्‍याहू की बात

इस बीच, इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने मंगलवार को अमेरिकी बाइडेन से तीसरी बार टेलीफोन पर बात की। बातचीत के बाद नेतन्याहू ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया, 'मैंने उन्‍हें बताया कि हमास आईएसआईएस से भी बदतर है और उनके साथ उसी तरह व्यवहार किया जाना चाहिए।' वहीं बाइडन ने दोहराया है कि अमेरिका इजरायल के साथ खड़ा है और अपनी रक्षा के उसके अधिकार का पूरी तरह से समर्थन करता है। इजरायल के पीएम ने बिना शर्त समर्थन के लिए बाइडन को धन्यवाद भी दिया।

इजराइल ने हमास के 1500 से ज्यादा आतंकियों को किया ढेर, कहा- 72 घंटे में ही बदला पूरा

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आतंकी संगठन हमास ने अचानक इज़रायल पर हजारों रॉकटों से हमला कर दिया था।हमास ने शनिवार को इजराइल पर रॉकेट दागे। इजराइल ने भी पलटवार करते हुए हमास पर बमबारी कर दी। इज़राइल, गाजा पट्टी में हमास के ठिकानों पर बड़े पैमाने पर हवाई हमले कर रहा है।अब इजराइल ने दावा किया है कि हमलों के 72 घंटों के भीतर ही उसने हमास से बदला ले लिया है। इजराइल की सेना ने कहा है कि हमने हमास के 1500 से ज्यादा आतंकियों को ढेर कर दिया है और अब हमारा बॉर्डर पूरी तरह से सुरक्षित है।

हमास के 1500 आतंकियों के मिले शव

समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक इजरायली सेना ने दक्षिण में बड़े पैमाने पर नियंत्रण हासिल कर लिया है और सीमा पर पूर्ण नियंत्रण भी बहाल हो गई है। प्रवक्ता रिचर्ड हेचट ने कहा कि इजरायली क्षेत्र में हमास आतंकवादियों के 1500 शव मिले हैं और सोमवार रात से कोई भी हमास लड़ाका इजरायल में नहीं घुसा है।हालांकि रिचर्ड हेक्ट ने घुसपैठ रुकने की संभावनाओं से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि घुसपैठ अभी भी हो सकती है।

इजरायली सेना ने 200 से अधिक ठिकानों पर किए हमले

उधर इजराइली डिफेन्स फोर्स ने सीजफायर की किसी भी संभावना इनकार कर दिया है। जंग के बीच इजरायली विमानों ने गाजा पट्टी में हमास के 200 से ज्यादा ठिकानों पर हमले किए हैं। इजरायली सेना ने बयान जारी करते हुए कहा कि उसने गाजा पट्टी में रात भर में 1200 से अधिक स्थानों पर हमले किए, जिनमें गाजा शहर के रिमल पड़ोस के साथ-साथ खान यूनिस शहर भी शामिल है। सेना ने कहा कि जिन स्थानों पर हमला किया गया उनमें एक मस्जिद के अंदर हथियार भंडारण स्थल के साथ-साथ हमास के एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल बलों द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला एक अपार्टमेंट भी शामिल है।

इजरायल ने हमास को दी धमकी

इजराइल के विदेश मंत्री अली कोहेन ने हमास को किसी भी बंधक को नुकसान पहुंचाने के खिलाफ चेतावनी देते हुए कहा, ‘‘इस युद्ध अपराध को भुलाया नहीं जाएगा।इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने राष्ट्रीय टेलीविजन पर दिए संबोधन में कहा, ‘हमने हमास पर हमला करना अभी तो शुरू ही किया है। हम आने वाले दिनों में अपने दुश्मनों के साथ जो करेंगे, उसकी गूंज कई पीढ़ियों तक सुनाई देगी।

इजरायली सैनिकों को एयरलिफ्ट किया

इजरायली वायु सेना ने गाजा पट्टी में हमास आतंकवादी समूह के खिलाफ चल रहे युद्ध में लड़ने के लिए पिछले दिनों यूरोप में मौजूद सैकड़ों इजरायली सैनिकों को एयरलिफ्ट किया है. इजरायली सेना का कहना है कि सी-130 और सी-130जे भारी परिवहन विमानों ने ऑफ-ड्यूटी सैनिकों को इजरायल वापस लाने के लिए यूरोप के विभिन्न देशों के लिए उड़ान भरी है.