नवीन के उत्तराधिकारी माने जा रहे वीके पांडियन का सक्रिय राजनीति से संन्यास, जानें बीजेपी के हार पर क्या कहा
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ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के करीबी और बीजेडी नेता वीके पांडियन ने सक्रिय राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा कर दी है।वीके पांडियन ने एक वीडियो संदेश में कहा कि राजनीति छोड़ने का ऐलान किया है।ओडिशा में इस बार के विधानसभा चुनाव में राज्य की सत्ताधारी पार्टी बीजेडी को करारी हार का सामना करना पड़ा है। चुनाव के वक्त वीके पांडियन राजनीति के केंद्र में भी रहे थे। ऐसे में बीजेडी की हार के लिए वीके पांडियन को जिम्मेदार ठहराया जा रहा था।
वीके पांडियन ने एक वीडियो संदेश में कहा कि राजनीति में आने का उनका मकसद केवल पटनायक की सहायता करना था। हालांकि, अब वे सक्रिय राजनीति से अलग हो रहे हैं। पांडियन ने कहा कि अगर उन्होंने अपनी राजनीतिक यात्रा के दौरान किसी को ठेस पहुंचाई हो तो मुझे खेद है। उन्होंने कहा कि अगर उनके खिलाफ चले अभियान के कारण बीजू जनता दल को हार का सामना करना पड़ा है तो उन्हें खेद है। पांडियन ने कहा कि वे पार्टी कार्यकर्ताओं समेत पूरे बीजद परिवार से माफी मांगते हैं।
वीके पांडियन ने अपने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर कर कहा, मेरा बचपन से IAS बनने का सपना था और वो सच भी हुआ। आज से 12 साल पहले में नवीन पटनायक से जुड़ा और उनसे बहुत कुछ सीखा, उन्होंने अपने विजन को आगे बढ़ाने के लिए मेरे ऊपर भरोसा किया था। पांडियन ने ये भी कहा कि मैंने राज्य की जनता के लिए बहुत मेहनत से काम किया है।
बता दें कि विधानसभा चुनाव 2024 में करारी हार का स्वाद चखने के साथ-साथ बीजू जनता दल इस बार के लोकसभा चुनाव में एक भी लोकसभा सीट नहीं जीत सकी। कमजोर होते जनाधार के बीच बीजद के कई बड़े नेता अपने किले बचाने में भी कामयाब नहीं रहे। भाजपा ने 78 सीटें जीतकर बीजद की ढाई दशक पुरानी सरकार को उखाड़ फेंका। पटनायक के नेतृत्व वाली पार्टी को केवल 51 विधानसभा सीटें मिलीं। कांग्रेस को 14, जबकि वाम दल- सीपीआईएम को एक सीट मिली। तीन निर्दलीय उम्मीदवार भी जीतने में सफल रहे।
अधिकांश मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, वीके पांडियन को ओडिशा विधानसभा और लोकसभा चुनावों में बीजेडी की हार का मुख्य कारण माना जा रहा है। प्रेक्षकों की मानें तो उनकी हार का सबसे बड़ा कारण था आईएएस की नौकरी छोड़कर राजनीति में प्रवेश करने वाले उनके पूर्व निजी सचिव वीके पांडियन को पार्टी की कमान पूरी तरह थमा देना। पांडियन जो पिछले अक्टूबर तक उनके निजी सचिव थे, वो नौकरी से इस्तीफ़ा देकर बीजेडी में शामिल हो गए थे। चुनाव के दौरान उन्होंने न केवल प्रत्याशियों का चयन किया, बल्कि पार्टी की ओर से प्रचार का पूरा ज़िम्मा अपने हाथों में लिया।
हालांकि, ओडिशा में भाजपा के हाथों मिली करारी हार के बाद पांडियन की आलोचना को पूर्व सीएम पटनायक ने 'दुर्भाग्यपूर्ण' करार दिया था। उन्होंने कहा था कि पांडियन ने बीजद में शामिल होने के बाद 'शानदार काम' किया।
Jun 09 2024, 19:56