गांडेय उप चुनाव परिणाम तय करेगा कल्पना सोरेन का भविष्य,वह राजनीति में बनेगी किंग मेकर या ताजपोशी के बाद संभालेगी राज्य का कमान
-( विनोद आनंद)
झारखंड में पिछले 20 मई को हज़ारीबाग,चतरा,और कोडरमा में लोकसभा चुनाव के लिए मतदान के साथ गिरिडीह जिला स्थित कोडरमा लोकसभा क्षेत्र में पड़ने वाला गांडेय विधानसभा का भी उप चुनाव हुआ। लोकसभा के साथ इस विधानसभा का मतगणना भी 4 जून को होगा।
गांडेय विधानसभा चुनाव परिणाम पर देश भर की लोगों की निगाहें है। यह सीट इस लिए महत्वपूर्ण हो गया है कि यहाँ से झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री कल्पना सोरेन भी चुनाव मैदान में है। यह चुनाव परिणाम आने वाले दिनों के लिए कल्पना सोरेन के सियासी सफर का मार्ग तय करेगा।
पिछले कुछ दिनों में जिस तरह पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ईडी द्वारा गिरफ्तार किया गया और कल्पना सोरेन ने जिस तरह झारखंड मुक्ति मोर्चा की बागडोर संभाली,यह झामुमो के लिए भले ही अप्रत्याशित हो लेकिन सोरेन परिवार इस परिस्थिति से रूबरू होने की तैयारी कर ली थी।कल्पना सोरेन ने भी अपनी क्षमता और पोलटिकल नेतृत्व का शानदार प्रदर्शन् किया।जिस तरह उन्होने मुंबई,दिल्ली उड़ीसा और झारखंड में इंडी गठबंधन के मंच से संवोधन किया पुरा देश ने उसे देखा ओर सरहा भी।
अब गांडेय चुनाव परिणाम पर सारा निर्भर करता है कि राजनीति में कल्पना सोरेन के सियासी सफर को एक नई दिशा मिले। साथ ही इस सीट से जीत कर वे नई सियासी सफर की शुरुआत करे।
कल्पना की राजनीति में अप्रत्याशित आगमन ।
कल्पना सोरेन की राजनीति में आना एक आकस्मिक घटना थी।क्योंकि पहले भी इस बात की जिक्र उन्होंने मीडिया के सामने कर चुकी थी की उनकी राजनीति में आने की कोई मंशा नही है। उन्होंने कहा था कि उनके दो बच्चे, पति हेमंत और मां- बाबा(शिबू सोरेन रूपी सोरेन )की देखभाल हीं उनके लक्ष्य है।
लेकिन हेमंत सोरेन की घेराबंदी और फिर गिरफ्तारी ने उन्हे मैदान में उतरने को विवश कर दिया और वे सियासी समर में एक शेरनी की तरह कूद पड़ी,यह भी सच है कि इसकी पृष्टभूमि हेमंत सोरेन के उपर आसन्न संकट उस बाद बनना शुरु हो गया था।लेकिन आकस्मिक राजनीति में आगमन और तको काल उनका परफॉर्मेंस इतना शानदार रहेगा इसका अंदाजा किसी को नही था। उन्होंने एक सफल खिलाडी की तरह अपने कौशल का प्रदर्शन किया। और देश भर में अपना पहचान बनाया।
सोरेन परिवार की बहुओं को राज्य की जनता ने लिया सर आँखों पर
यूँ तो शिबू सोरेन की दो पुत्रबधु आज झारखंड की राजनीति के मज़बूत चेहरा बन गयी है।दो बेटे भी राजनीति में हैं।लेकिन दोनो बहु परिस्थिति बस राजनीति में आयी और उनका पैर मज़बूती के साथ जम गया।
बड़े बेटे दुर्गा सोरेन के आकस्मिक निधन के बाद बड़ी पुत्रबधु सीता सोरेन राजनीति में आयी।वह एक दुखद पल था। जब दुर्गा सोरेन के निधन के बाद जामा विधानसभा जहाँ से दुर्गा सोरेन विधायक रहे सीता सोरेन खड़ी हुई।लोगों ने बहुत ही उत्साह और संवेदना के साथ उनको चुना और विधानg सभा भेजा।जनता की सहानुभूति सीता के साथ था। वे वर्तमान में भी जामा से विधायक हैं और अब दुमका से भाजपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ रही है।
इधर पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पिछले एक साल से घेराबंदी की जा रही की। उन्हें अंतत:कथित जमीन घोटाले में जेल भेज दिया गया।हेमंत सोरेन ने स्थिति का आकलन करते हुए कल्पना सोरेन को मानसिक रूप से तैयार कर जमीन था। हेमंत सोरेन् की गिरफ्तारी के बाद् जब वह पहली बार जनता के बींच सार्वजनिक मंच पर आयी तो अपनी पीड़ा रोक नही रोक पायी और उसके आँखों से आँसू छलक पड़े।
कल्पना की आँसू बनी उसकी ताकत
स्वाभाविक है जब किसी की पीड़ा जब उसकी ताकत बन जाये तो वह बहुत ही ऊर्जावान हो जाता है। कल्पना सोरेन के साथ भी यही हुआ। कल्पना के आँसू का भी जनता पर असर हुआ।लोगों में उनके प्रति संवेदना जतायी,और उसके आँसू का उनकी सबसे बड़ी ताकत बन गयी।
वह पढ़ी लिखी है, परिवार के सियासी माहौल मे वक्त गुजारी है, पति राज्य के सीएम भी रहे तो यह माहौल ने भी उन्हे पहले ही प्रशिक्षित कर दिया।यही वजह है कि पति को जेल जाने के बाद उससे उपजी पीड़ा ने उसे और मज़बूत बना दिया।
बच्चे और बीमार सास-ससुर की जिम्मेबारी के साथ पार्टी की वागडोर को भी उन्होने उसी ताकत से संभाल लिया।आज वे बहुत ही मंजे हुए राजनीतिज्ञ की तरह एक के बाद एक कदम उठा रही है।बहुत ही कुशलता के साथ पार्टी की वागडोर को भी संभाल ली है।और राष्ट्रीय राजनीति में अपनी पहचान बना ली है।
गिरफ्तारी की थी अंदेशा इसी लोए गांडेय सीट करया गया खाली
हेमंत सोरेन को लगातार ईडी के नोटिस से यह अंदाजा हो गया था कि उसे जेल जाना ही पड़ेगा।इसी लिए गांडेय सीट को इस शर्त पर आनन-फानन में उन्होंने जेएमएम विधायक सरफराज अहमद को इस्तीफा दिलाकर खाली कराया कि उस सीट से कल्पना सोरेन को जरूरत पड़ने पर खड़ा किया जा सके।साथ ही इनाम स्वरूप सरफराज अहमद को जे एम एम राजयसभा भेजेगी। जिस शर्त को पुरा भी किया गया।
हलाकि विधायकी से इस्तीफा का कारण सरफराज आलम ने निजी बताया था।लेकिन राज्यसभा भेजे जाने के बाद तस्बीर साफ हो गयी।
गिरफ्तारी से पूर्व कल्पना सोरेन के लिए हेमंत की रणनीति
गिरफ्तारी से पहले ही हेमंत ने दो तरह की रणनीति बना रखी थी। पहली रणनीति यह कि कल्पना सोरेन को सीएम बना दें। उनकी यह रणनीति इसलिए फेल हो गई कि जेएमएम के अंदर ही इसे लेकर विरोध होने लगा।
जामा से जेएमएम की विधायक हेमंत सोरेन ओर बड़ी भाभी सीता सोरेन ही इसके विरोध में खड़ी हो गईं। उनका कहना था कि जब परिवार से ही किसी को सीएम बनाना है तो यह मौका उन्हें मिलना चाहिए। वे कई बार विधायक रह चुकी हैं और परिवार की बड़ी बहू हैं। हेमंत को इसकी आशंका थी, इसलिए उन्होंने दूसरी रणनीति यह बनाई थी कि आम राय न बन पाने की स्थिति में निर्विवाद छवि वाले जेएमएम विधायक चंपई सोरेन को सीएम बना दिया जाए। और वे इस तरह सीएम बनते-बनते रह गईं।
गांडेय चुनाव परिणाम ठीक रहा तो जून में होगी ताजपोशी
चूंकि हेमंत सोरेन ने कल्पना को सीएम बनाने के लिए ही गांडेय की सीट खाली कराई थी, इसलिए जब उपचुनाव की घोषणा हुई तो जेएमएम ने गांडेय सीट से कल्पना सोरेन को उम्मीदवार घोषित कर दिया। वैसे तो उपचुनाव के नतीजे भी चार जून को ही घोषित होंगे, लेकिन चुनाव के रुझान को देखते हुए कल्पना की जीत पक्की मानी जा रही है। इसी के साथ यह चर्चा भी जोर पकड़ने लगी है कि विधानसभा के मौजूदा कार्यकाल के बचे कुछ महीनों के लिए ही सही, पर कल्पना सीएम जरूर बनेंगी
पार्टी और गठबंधन का जीता कल्पना ने विश्वास
हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद कल्पना सोरेन की राजनीति में रुचि भी बढ़ने लगी है। वे इंडी अलायंस की सभाओं में शामिल होती रही हैं। चुनाव प्रचार में भी भाग लेती रही है। पति हेमंत के सोशल मीडिया अकाउंट को भी कल्पना खुद हैंडल करने लगी हैं। शायद वे पार्टी और गठबंधन क नेताओं को यह संदेश देना चाहती हैं कि सीएम बनने की उनमें पूरी क्षमता है। उम्होने इस मामले में पार्टी और गठबंधन का जीता कल्पना ने विश्वास
जेएमएम चूंकि परिवार केंद्रित पार्टी है, इसलिए सुप्रीमो शिबू सोरेन की बात मानना पार्टी के हर नेता की मजबूरी है। इसलिए माना जा रहा है कि चुनाव परिणाम की घोषणा के साथ ही उनके राजतिलक की भी तैयारी शुरू हो जाएगी।
कल्पना अगर दिखाती है त्याग की भावना तो बढ़ जाएगी राजनीति में कद
हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कल्पना ने अगर त्याग का भाव दिखाते हुए चंपई सोरेन को ही सीएम बनाए रखने की उदारता दिखाई तो उनका कद बढ़ जाएगा। सीएम न रहने पर ही उनकी बात तो सभी सुनते ही हैं। वे अपने और महागठबंधन के विधायकों के साथ बैठकें करती हैं तो सभी उनकी बात सुनते हैं। इंडी अलायंस के नेता के रूप में भी उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने की कोशिश की है। उनकी उदारता से पार्टी में खटपट की गुंजाइश ही खत्म हो जाएगी। पर, कुर्सी का मोह त्यागना किसी के लिए आसान नहीं है। कल्पना अपने लोभ का कितना संवरण कर पाती हैं,
यह देखने वाली बात होगी। वे शार्टकट पसंद करती हैं या अपने लिए दीर्घकालिक जमीन तैयार करती हैं, अब पूरी तरह उन पर ही निर्भर होगा। इसलिए जीत के बाद उनके सीएम बनने की बड़ी बाधा खत्म हो जाएगी।
May 24 2024, 03:39
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