आज है अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस आइए जानते है परिवार का जीवन में क्या महत्व है और क्यों जरूरी है फैमली के साथ बॉडिंग
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नयी दिल्ली : किसी भी समाज की परिकल्पना परिवार के बिना अधूरी है. परिवार एक-दूसरे को जोड़ कर रखने में अहम भूमिका निभाता है. ये हर खुशी और गम के मौकों में साथ होता है।परिवार ही इंसान को जीवन जीने की सही राह दिखाता है.
अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस हर साल 15 मई को मनाया जाता है. इसका मकसद, दूर होते परिवार को जोड़ना. दरअसल किसी भी समाज की परिकल्पना परिवार के बिना अधूरी होती है. परिवार एक-दूसरे को जोड़ कर रखने में अहम भूमिका निभाता है. ये हर खुशी और गम के मौकों में साथ होता है।
परिवार ही इंसान को जीवन जीने की सही राह दिखाता है. हालांकि आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में अपनों से दूर रहने से परिवार की अहमियत कम हुई है. समाज में कई ऐसे परिवार हैं, जिनमे आपसी तनाव के चलते दूरियां बढ़ गई हैं. इन्हीं दूरियों कम करने के लिए परिवार दिवस मनाया जाता है, ताकि युवा पीढ़ी में परिवार के प्रति जागरूकता लाई जा सके.
आइए इंटरनेशनल डे ऑफ फैमलीज पर जानते हैं परिवार का जीवन में क्या महत्व है और क्यों जरूरी है फैमली के साथ बॉडिंग.
कब से शुरू हुआ परिवार दिवस मनाने का चलन
संयुक्त राष्ट्र जनरल एसेंबली ने वर्ष 1993 में हर साल अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस मनाने की घोषणा की थी. इसके बाद इसको मनाने के लिए 15 मई की तारीख तय की गई थी. इसके बाद से लगातार इस दिन को मनाया जा रहा है. इसका मकसद था कि बिखड़े परिवारों में फिर से जोड़ना. लोगों में जागरूकता लाना, ताकि परिवार टूटे नहीं और परिवार की अहमियत को समझें.
सुख-दुख में परिवार होता है साथ
दुनियाभर में परिवार दिवस इसलिए मनाया जाता है, ताकि परिवारों को जोड़कर रखा जा सके. परिवार ही इंसान को सही रास्ता दिखाता है. किसी भी तरह की दिक्कत-परेशानी होने पर परिवार का ही साथ मिलता है. परिवार में बेशक कई उतार-चढ़ाव भी आ सकते है, लेकिन इस दौरान आपकी समझदारी ही बेहतर विकल्प होगा. क्योंकि जब कोई साथ नहीं होता तब परिवार होता है.
अवसाद में होगा सुधार
कई परिवारों में मतभेद होने से लोग दूर चले जाते हैं. ऐसे में वहां आने वाले कष्टों को सहन करते-करते वह अवसाद का शिकार होने लगते हैं. क्योंकि यहां उन्हें ढांढस बधाने वाला कोई नहीं होता है. यदि आप परिवार के साथ होते हैं तो बेशक कुछ अनबन हो जाए पर आपसी संवाद से दिमाग को रिलेक्स मिलता है. हालांकि कुछ लोगों को मजबूरी में घर से बाहर जाना होता है. ऐसे वह मोबाइल का सहारा लेते हैं, लेकिन यह परिवार के साथ रहने के मुकाबले नाकाफी है.
बिहेवियर में होगा सुधार
बच्चे जब परिवार के साथ होते हैं तो माता-पिता उन्हें अच्छी सीख देते है. उनके हर दुख को दूर करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते हैं. लेकिन जब यही बच्चे छोटी-छोटी बातों में परिवार से दूर हो जाते हैं तो इसके बिहेवियर लगत हो जाता है. हालांकि परिवार के साथ रहने पर बिहेवियर प्रॉब्लम का चांस कम होता है.
आत्मविश्वास में होती है बढ़ोतरी
परिवार में रहने वाले हर सदस्य में आत्मविश्वास तब बढ़ता है, जब वह परिवार के साथ होता है. ऐसे में बच्चे खुद को महफूज समझते हैं और घर में बड़ों के होने से खुद टेंशन फ्री रहते हैं. इसके साथ बच्चे बेहतर पेरेंटिंग भी सीखते हैं.


May 15 2024, 17:18
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