जयपुर, बेंगलुरु के बाद अब कानपुर के 10 स्कूलों को मिली धमकी
बुधवार को कानपुर के कम से कम 10 स्कूलों को धमकी भरे ईमेल मिले, जिससे शहर में दहशत फैल गई। यह बात दिल्ली समेत भारत के कई शहरों में स्कूलों और अस्पतालों को बम विस्फोटों से उड़ाने की धमकी देने वाले ऐसे कई ईमेलों के बीच आई है। ईमेल रूस स्थित सर्वर के माध्यम से आए हैं। शुरुआती रिपोर्टों के मुताबिक, ईमेल में स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी दी गई है। जिला प्रशासन ने परिसर को साफ करने के लिए बम निरोधक दस्ते को स्कूलों में भेजा है।
संयुक्त पुलिस आयुक्त (कानून एवं व्यवस्था) हरीश चंदर ने कहा कि पुलिस की साइबर सेल मामले की जांच कर रही है।
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"कानपुर पुलिस को विभिन्न स्कूलों में बम की धमकी के बारे में सूचना मिली। साइबर सेल मामले की जांच कर रही है। सभी अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे इस धमकी और पिछले बम धमकियों के बीच एक लिंक स्थापित करने के लिए सीसीटीवी फुटेज की पूरी तरह से निगरानी करें, जो कई स्कूलों, हवाई अड्डों और अस्पताल, मौजूद है।
उन्होंने अभिभावकों से भी आग्रह किया कि वे घबराहट की स्थिति पैदा न करें।
मंगलवार को बेंगलुरु के आठ स्कूलों को बम विस्फोट की धमकी वाले ईमेल मिले। पिछले हफ्ते, शहर की लोकप्रिय अस्पताल श्रृंखला, सेंट फिलोमेना को बम से उड़ाने की धमकी मिली थी। ये सभी धमकी भरे ईमेल बाद में अफवाह निकले। बेंगलुरु स्कॉटिश स्कूल, भवन बेंगलुरु स्कूल, जैन हेरिटेज स्कूल, दीक्षा हाई स्कूल, एडिफाई स्कूल, चित्रकोटा स्कूल, गंगोत्री इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल और गिरिधन्वा स्कूल उन लोगों में शामिल थे, जिन्हें एक ही डोमेन 'बीबल डॉट कॉम' से धमकी भरा ईमेल मिला था।
दिल्ली की तिहाड़ जेल को भी कल ईमेल के जरिए ऐसी ही धमकियां मिलीं। दिल्ली के दीप चंद बंधु अस्पताल, जीटीबी अस्पताल, दादा देव अस्पताल और हेडगेवार अस्पताल को भी ईमेल के जरिए बम से उड़ाने की धमकी मिली। शहर के प्रशासन ने बम निरोधक दस्ते, बम का पता लगाने वाली टीम, अग्निशमन विभाग और स्थानीय पुलिस को तलाशी के लिए लगाया।
पिछले एक महीने में, इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे, 20 से अधिक अस्पतालों और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के 100 से अधिक स्कूलों को ऐसी धमकियाँ मिली हैं; वे सभी झूठ निकले। सोमवार को जयपुर के 50 से अधिक स्कूलों को इसी तरह के ईमेल मिले। जिन डोमेन के माध्यम से इनमें से अधिकांश ईमेल उत्पन्न होते हैं, वे रूस में होस्ट किए जाते हैं।
दिल्ली पुलिस की एफआईआर के अनुसार, बम संबंधी अफवाह वाले ईमेल का उद्देश्य राष्ट्रीय राजधानी में बड़े पैमाने पर दहशत पैदा करना और सार्वजनिक व्यवस्था को बिगाड़ना था। ये ईमेल कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए खतरा बन गए हैं क्योंकि ये दहशत फैलाते हैं, बड़े पैमाने पर निकासी, ट्रैफिक जाम और संसाधनों की बर्बादी का कारण बनते हैं। गृह मंत्रालय ने ऐसी स्थितियों से निपटने के संबंध में विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए हैं।






कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया है। जिसमें राहुल गांधी मां सोनिया गांधी के साथ बैठकर अमेठी और रायबरेली से उनके परिवार का रिश्ता कैसा रहा वो बताते नजर आ रहे हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बताया है कि उनका रायबरेली और अमेठी के लोगों के साथ एक भावनात्मक पारिवारिक रिश्ता है और जब भी आवश्यकता होगी, वे दोनों के साथ खड़े रहेंगे। इसमें वह अमेठी और रायबरेली में पारिवारिक तस्वीरें देखते नजर आ रहे हैं और उन्होंने अमेठी और रायबरेली दोनों के लोगों साथ अपने जुड़ाव को याद किया। सोनिया गांधी और राहुल गांधी छह मिनट 12 सेकेंड की अवधि वाले इस वीडियो में रायबरेली और अमेठी से जुड़ी इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की तस्वीरें वाले अलबम को पलटते और दोनों क्षेत्रों से पुराने रिश्तों के बारे में बात करते देखे जा सकते हैं।राहुल गांधी ने यह वीडियो सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा, “रायबरेली और अमेठी हमारे लिए सिर्फ चुनाव क्षेत्र नहीं, हमारी कर्मभूमि है, जिसका कोना कोना पीढ़ियों की यादें संजोए हुए है। मां के साथ पुरानी तस्वीरें देखकर पापा और दादी की याद भी आ गई, जिनकी शुरू की गई सेवा की परंपरा मैंने और मां ने आगे बढ़ाई।”उन्होंने कहा, “प्रेम और विश्वास की बुनियाद पर खड़े 100 वर्षों से भी पुराने इस रिश्ते ने हमें सब कुछ दिया है।अमेठी और रायबरेली जब भी हमें पुकारेंगे, हम वहां मिलेंगे।” उनका कहना है कि वह रायबरेली में इंदिरा गांधी एवं सोनिया गांधी के कार्यों को आगे ले जाएंगे। सोनिया गांधी इस वीडियो में रायबरेली और अमेठी के अपने कई दौरों और कार्यों का उल्लेख करते हुए कहती हैं कि इन दोनों क्षेत्रों के लोगों के साथ उनका रिश्ता बेटी-बहू वाला रहा है।वीडियो में सोनिया गांधी ने कहा कि उन्होंने 1982 में अमेठी का दौरा करना शुरू किया था जब वे चिकित्सा शिविर आयोजित करने के लिए वहां जाती थीं। उन्होंने कहा कि पंडित जी ने 1921 में इस क्षेत्र से अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया था। राहुल के दादा फिरोज गांधी 1952 में रायबरेली से सांसद थे। उनके निधन के बाद इंदिरा गांधी ने रायबरेली का प्रतिनिधित्व करना शुरू कर दिया। सोनिया गांधी ने कहा कि हम शादियों या मौतों के दौरान गांव-गांव जाते थे और यहां तक कि बाढ़ या सूखे के दौरान भी जाते थे और गांवों में लोगों से मिलते थे। उन्होंने मुझे तुरंत स्वीकार कर लिया और हमारे बीच एक बेटी और बहू जैसा रिश्ता था। बता दें कि राहुल गांधी इस बार अमेठी की बजाय रायबरेली लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं और उनका मुकाबला भाजपा के दिनेश प्रताप सिंह से है, जिन्होंने पिछला लोकसभा चुनाव सोनिया गांधी के खिलाफ लड़ा था और हार गए थे। राहुल गांधी पहले अमेठी से सांसद थे लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में स्मृति ईरानी से हार गए थे। इस बार उनके कंधों पर अपने गढ़ को बचाने की जिम्मेदारी है। परदादा, दादा, दादी, पिता और मां के बाद अब वो इस जगह का जिम्मा उठा रहे हैं।

May 15 2024, 14:36
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