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निर्वाचन क्षेत्र पर नजर: कांग्रेस भाजपा के गढ़ हमीरपुर में सेंध लगाने की कर रही है कोशिश

हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के लिए चुनावी मुकाबला गंभीर रहा है, जहां मुख्यमंत्री (सीएम) सुखविंदर सिंह सुक्खू की मौजूदगी से उत्साहित कांग्रेस उस सीट पर कब्जा करना चाहती है जो लंबे समय से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का गढ़ रही है। केंद्रीय मंत्री और मौजूदा सांसद अनुराग ठाकुर पिछले चार बार से चुनाव जीत रहे हैं और कांग्रेस ने इस सीट पर उनके प्रभुत्व को चुनौती देने के लिए ऊना के पूर्व विधायक सतपाल रायजादा को जिम्मेदारी सौंपी है।

रायजादा सुक्खू के साथ घनिष्ठ संबंध साझा करते हैं, जिनके लिए यह सीट प्रतिष्ठा की लड़ाई साबित होगी क्योंकि उनका गृह विधानसभा क्षेत्र नादौन भी हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। दरअसल, हरोली के रहने वाले डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री की जड़ें भी इसी क्षेत्र से जुड़ी हैं।

हालाँकि, भाजपा से मुकाबला करना एक बड़ा काम होगा क्योंकि पार्टी हमीरपुर पर अपनी मजबूत पकड़ बनाए रखना चाहती है। अनुराग से पहले, उनके पिता और पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल ने पहली बार 1989 में और फिर 2007 में इस सीट से जीत हासिल की थी। तब से, कांग्रेस केवल एक बार सीट जीतने में कामयाब रही है, 1996 में पार्टी के उम्मीदवार विक्रम सिंह ने जीत हासिल की थी। 2019 के चुनाव में अनुराग ने कांग्रेस के राम लाल ठाकुर को लगभग चार लाख वोटों के अंतर से हराकर जीत हासिल की थी। उन्होंने 2014 में भी राजिंदर सिंह राणा के खिलाफ 4.4 लाख वोटों के अंतर से शानदार जीत दर्ज की थी।

इस बीच, सतपाल रायज़ादा ने 2017 में चुनावी सफलता का स्वाद चखा, जब उन्होंने ऊना विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के दिग्गज सतपाल सिंह सत्ती को 3,196 मतों के अंतर से हराया। हालाँकि, वह 2022 के विधानसभा चुनावों में 1,736 वोटों के मामूली अंतर से उसी प्रतिद्वंद्वी से हार गए। 1 जून को, हमीरपुर न केवल संसदीय क्षेत्र के लिए, बल्कि उन छह विधानसभा क्षेत्रों में से चार के लिए भी एक उच्च-स्तरीय प्रतियोगिता का गवाह बनेगा, जिनके लिए उपचुनाव निर्धारित थे - सुजानपुर, गगरेट, बड़सर और कुटलेहड़।

सुक्खू और अग्निहोत्री, जो क्रमशः नादौन और हरोली निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं, ने अपना खुद का दांव लगा दिया है क्योंकि वे न केवल लोकसभा सीट जीतने के लिए अच्छा प्रदर्शन करना चाहते हैं, बल्कि जीतकर राज्य सरकार की स्थिरता भी सुनिश्चित करना चाहते हैं। अनुराग के अलावा, उन्हें बिलासपुर के मूल निवासी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के रूप में एक और दुर्जेय प्रतिद्वंद्वी का सामना करना पड़ता है। नेता ने बिलासपुर (सदर) विधानसभा सीट का तीन बार प्रतिनिधित्व किया है, जो हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आती है। 

 विकास का दशक या अधूरे वादे?

जबकि भाजपा ने अपने नवीनतम अभियान को मुख्य रूप से प्रधान मंत्री मोदी के दशक लंबे कार्यकाल पर केंद्रित किया है, कांग्रेस ने एक अलग दृष्टिकोण अपनाया है, मतदाताओं से अपने वादों को पूरा करने में कथित रूप से विफल रहने के लिए अनुराग पर निशाना साधते हुए एक आक्रामक अभियान शुरू किया है। भाजपा ने ऊना में बल्क ड्रग पार्क और बिलासपुर में एम्स की स्थापना जैसी परियोजनाओं का आह्वान किया है। अनुराग, बदले में, हाल के वर्षों में अपने निर्वाचन क्षेत्र में शुरू की गई विकासात्मक परियोजनाओं पर प्रकाश डालते हैं - ऊना से हिमाचल की पहली वंदे भारत ट्रेन की शुरुआत और मोबाइल चिकित्सा इकाइयों का कार्यान्वयन किया ।

इस बीच, सीएम सुक्खू ने उन छह पूर्व कांग्रेस विधायकों पर निशाना साधा है, जिन्होंने भाजपा में शामिल होने से पहले फरवरी में राज्यसभा चुनाव के दौरान पार्टी के खिलाफ मतदान किया था और भगवा पार्टी पर हिमाचल में "खरीद-फरोख्त" शुरू करने का आरोप लगाया था। उन्होंने अनुराग पर झूठा श्रेय लेने का आरोप लगाते हुए जोल सप्पर मेडिकल कॉलेज जैसी राज्य सरकार की परियोजनाओं पर भी जोर दिया है।

हमीरपुर से भी भारतीय रक्षा बलों में काफी संख्या में सैनिक भेजे जाते हैं, इस बेल्ट में पूर्व सैनिकों की भी बड़ी संख्या है। इसके बाद कांग्रेस ने अग्निवीर योजना को लेकर बीजेपी को घेरा है, जिसे उनका कहना है कि यह युवाओं के भविष्य के लिए हानिकारक है। इस बीच, भाजपा वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी) योजना को लागू करने के अपने प्रयासों को बेचने की कोशिश कर रही है।

इसके अलावा, महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजनाएं अभी भी पूरी होने के लिए लंबित हैं, यह भी चुनाव में प्रमुख मुद्दों में से एक है। ऊना जिले में पीजीआई सैटेलाइट अस्पताल का निर्माण, इसकी स्थापना के एक दशक बाद देहरा में केंद्रीय विश्वविद्यालय परिसर का विकास उन मुद्दों में से हैं जिनका चुनावी भाषणों में उल्लेख होने की संभावना है क्योंकि दोनों पक्षों के लिए प्रचार अभियान चरम पर है।

ज्योतिरादित्य सिंधिया की मां राजमाता माधवी राजे सिंधिया का निधन, 15 फरवरी से एम्स में थीं भर्ती

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केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की मां माधवी राजे सिंधिया का निधन हो गया है। उन्होंने बुधवार को दिल्ली के एम्स में अंतिम सांस ली। वह 70 वर्ष की थीं। माधवी राजे लंबे समय से बीमार चल रही थीं। पिछले कुछ महीने से उनका इलाज चल रहा था। वह निमोनिया के साथ-साथ सेप्सिस से भी पीड़ित थीं और पिछले कुछ दिनों से वेंटिलेटर पर थीं।

माधवी राजे को सांस में तकलीफ होने पर 15 फरवरी को दिल्ली के एम्स में भर्ती किया गया था। वह लाइफ सपोर्ट सिस्टम (वेंटिलेटर) पर थीं। खुद ज्योतिरादित्य ने गुना में चुनाव प्रचार के दौरान राजमाता के बीमार होने की जानकारी दी थी।उन्होंने बताया था कि राजमाता पिछले कुछ दिनों से बीमार है। आप लोगों में भी तो मेरा भाई, बहन, मां-पिता हैं। मैं परिवार को परेशानी में नहीं देख सकता। ओलावृष्टि ने फसलों को बर्बाद किया है। ऐसे दुख के समय में मुझे भी आपसे मिलने आना ही था। 

सिंधिया कार्यालय से यह बयान किया गया जारी

केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के कार्यालय से जारी बयान में कहा गया है कि "बड़े दुःख के साथ ये साझा करना चाहते हैं कि राजमाता साहब नहीं रहीं। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की माता व ग्वालियर राज घराने की राजमाता माधवी राजे सिंधिया जी का इलाज पिछले दो महीनों से दिल्ली के एम्स अस्पताल में चल रहा था। पिछले दो सप्ताह स्थिति बेहद क्रिटिकल थी। आज सुबह 9.28 बजे उन्होंने दिल्ली के एम्स अस्पताल में आखिरी सांस ली। 

माधवी राजे सिंधिया के बारे में जानें

माधवी राजे नेपाल के राजघराने से थीं। ग्वालियर के तत्कालीन महाराज माधवराव सिंधिया से उनकी शादी 8 मई 1966 को हुई थी। माधवराव सिंधिया की गिनती देश के ताकतवर नेताओं में होती थी। उनका निधन एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में हो गया था। माधवी सिंधिया नेपाल के शाही परिवार से थीं। उनके दादा शमशेर जंग बहादुर नेपाल के प्रधानमंत्री रहे हैं। माधवी राजे को प्रिंसेज किरण राज्य लक्ष्मी देवी के नाम से भी जाता था।

न घर है और न ही कार... पीएम मोदी के पास इतनी है संपत्ति, जानिए, चुनावी हलफनामे में बताया सबकुछ!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव के लिए वाराणसी से अपना नामांकन दाखिल कर दिया है. मंगलवार को उन्होंने वाराणसी से लगातार तीसरी बार अपना नॉमिनेशन फाइल करते हुए इलेक्शन कमीशन के सामने अपने संपत्ति का ब्योरा पेश किया. PM Modi के द्वारा चुनाव आयोग में दाखिल किए गए हलफनामे के मुताबिक, उनकी नेटवर्थ 3,02,06,889 रुपये है. 2 करोड़ रुपये से ज्यादा बैंक डिपॉजिट चुनाव आयोग को दिए गए हलफनामे में अपनी संपत्ति की जानकारी देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया है कि 31 मार्च 2024 तक उनके पास 52,920 रुपये कैश थे, इसमें से 28,000 रुपये उनके द्वारा चुनावी खर्च के लिए निकाले गए. जबकि सेविंग अकाउंट, एफडी समेत तमाम डिपॉजिट 2.85 करोड़ रुपये है. इसमें एसबीआई की गांधीनगर ब्रांच में खुले अकाउंट में 73,304 रुपये और चुनाव क्षेत्र वाराणसी स्थित एसबीआई के अकाउंट में 7000 रुपये जमा हैं. पीएम मोदी के नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (NSC Deposite) 9,12,000 रुपये है. इसके अलावा उनकी अन्य संपत्तियों में सोने की चार अंगूठियां भी शामिल हैं, जिनकी कीमत 2,67,750 रुपये लाख रुपये बताई गई है. पीएम मोदी के पास कोई भी अचल संपत्ति नहीं है. ना तो उनके नाम पर कोई घर है और ना ही जमीन है. इसके अलावा Pm Narendra Modi के नाम पर कोई भी कार नहीं है. 1 जून को EVM में कैद होगी किस्मत प्रधानमंत्री मोदी वाराणसी में कलेक्ट्रेट ऑफिस में अपना नॉमिनेशन करने से पहले दशाश्वमेध घाट पर पहुंचे और इसके बाद उन्होंने काल भैरव मंदिर के दर्शन किए. नॉमिनेशन के दौरान उनके साथ गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के अलावा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व चिराग पासवान सहित कई दिग्गज नेता मौजूद रहे. गौरतलब है कि यहां पर 1 जून को लोकसभा चुनाव की वोटिंग होनी है. प्रधानमंत्री को मिलती है इतनी सैलरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साल 2014 से वे लगातार देश की सत्ता की कमान संभाले हुए हैं. पीएम मोदी को मिलने वाले वेतन की बात करें, तो प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस बारे में कई बार जानकारी शेयर की है. भारत के प्रधानमंत्री का वेतन करीब 20 लाख रुपये सालाना होता है. इस हिसाब से देखें तो पीएम मोदी की सैलरी प्रतिमाह लगभग 2 लाख रुपये के आसपास होती है. प्रधानमंत्री को मिलने वाले इस वेतन में बेसिक पे के अलावा डेली अलाउंस, सांसद भत्ता समेत अन्य कई भत्ते शामिल होते हैं.
खतरे में है स्वाति मालीवाल की जान... पूर्व पति नवीन जयहिंद ने सीएम केजरीवाल पर लगाए आरोप, कहा, उनके खिलाफ दर्ज हो FIR

आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल से मारपीट का मामले ने अब तूल पकड़ लिया है। बीजेपी इसके विरोध में प्रदर्शन कर रही है। इस बीच मालीवाल के पूर्व पति नवीन जयहिंद ने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की है। उन्होंने सांसद संजय सिंह को केजरीवाल का तोता बताते हुए कहा कि उन्हें घटना के बारे में पहले से पता था। नवीन जयहिंद ने कहा कि दिल्ली का सीएम निवास वास्तव में गटर हाउस है। स्वाति मालीवाल के साथ हुई घटना खतरनाक है। सीएम अरविंद केजरीवाल के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए क्योंकि यह उनके घर पर हुआ था। स्वाति की जान खतरे में: नवीन जयहिंद उन्होंने कहा कि स्वाति की जान खतरे में है। उन्होंने स्वाति मालीवाल के पुलिस स्टेशन से वापस आने पर सवाल उठाते हुए कहा कि स्वाति को धमकी दी गई, वरना मारपीट के बाद कौन पुलिस को फोन नहीं करेगा? उन्हें चुप नहीं कराया जा सकता है, इसलिए उस पर दबाव डाला जा रहा है। जयहिंद ने कहा कि इस मामले में गृह मंत्रालय, दिल्ली पुलिस और महिला आयोग को कार्रवाई करना चाहिए। पूर्व आप नेता ने कहा कि अगर स्वाति मालीवाल उनसे मदद मांगती हैं तो वह जरूर सहायता करेंगे। स्वाति मालीवाल के पूर्व पति नवीन जयहिंद आए सामने, बोले-केजरीवाल पर केस करे दिल्ली पुलिस। संजय सिंह को बताया केजरीवाल का तोता संजय सिंह पर हमला बोलते हुए नवीन जयहिंद ने कहा कि संजय सिंह खुद किस तरह से राज्यसभा गए हैं ये बात वह भी जानते हैं। वह केवल अरविंद केजरीवाल के 'तोते' हैं, जो उनके इशारे पर काम करते हैं। जयहिंद ने आरोप लगाया कि संजय सिंह को पहले ही इस घटना के बारे में पता था कि सीएम हाउस में स्वाति के साथ मारपीट होगी। अब वह एक्टिंग कर रहे हैं। ये भाजपा-कांग्रेस या AAP का मामला नहीं है। संजय सिंह खुद स्वाति मालीवाल को छोटी बहन कहते थे, जब ये घटना हुई तो केजरीवाल के बचाव में उतर गए। उन्होंने घटना के दौरान वहां मौजूद सभी लोगों पर एफआईआर दर्ज करने की मांग की।
राहुल और सोनिया गांधी ने जारी किया वीडियो, बताया-रायबरेली और अमेठी से कैसा है उनके परिवार का रिश्ता*
#rahul_gandhi_video_with_sonia_gandhi कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया है। जिसमें राहुल गांधी मां सोनिया गांधी के साथ बैठकर अमेठी और रायबरेली से उनके परिवार का रिश्ता कैसा रहा वो बताते नजर आ रहे हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बताया है कि उनका रायबरेली और अमेठी के लोगों के साथ एक भावनात्मक पारिवारिक रिश्ता है और जब भी आवश्यकता होगी, वे दोनों के साथ खड़े रहेंगे। इसमें वह अमेठी और रायबरेली में पारिवारिक तस्वीरें देखते नजर आ रहे हैं और उन्होंने अमेठी और रायबरेली दोनों के लोगों साथ अपने जुड़ाव को याद किया। सोनिया गांधी और राहुल गांधी छह मिनट 12 सेकेंड की अवधि वाले इस वीडियो में रायबरेली और अमेठी से जुड़ी इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की तस्वीरें वाले अलबम को पलटते और दोनों क्षेत्रों से पुराने रिश्तों के बारे में बात करते देखे जा सकते हैं।राहुल गांधी ने यह वीडियो सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा, “रायबरेली और अमेठी हमारे लिए सिर्फ चुनाव क्षेत्र नहीं, हमारी कर्मभूमि है, जिसका कोना कोना पीढ़ियों की यादें संजोए हुए है। मां के साथ पुरानी तस्वीरें देखकर पापा और दादी की याद भी आ गई, जिनकी शुरू की गई सेवा की परंपरा मैंने और मां ने आगे बढ़ाई।”उन्होंने कहा, “प्रेम और विश्वास की बुनियाद पर खड़े 100 वर्षों से भी पुराने इस रिश्ते ने हमें सब कुछ दिया है।अमेठी और रायबरेली जब भी हमें पुकारेंगे, हम वहां मिलेंगे।” उनका कहना है कि वह रायबरेली में इंदिरा गांधी एवं सोनिया गांधी के कार्यों को आगे ले जाएंगे। सोनिया गांधी इस वीडियो में रायबरेली और अमेठी के अपने कई दौरों और कार्यों का उल्लेख करते हुए कहती हैं कि इन दोनों क्षेत्रों के लोगों के साथ उनका रिश्ता बेटी-बहू वाला रहा है।वीडियो में सोनिया गांधी ने कहा कि उन्होंने 1982 में अमेठी का दौरा करना शुरू किया था जब वे चिकित्सा शिविर आयोजित करने के लिए वहां जाती थीं। उन्होंने कहा कि पंडित जी ने 1921 में इस क्षेत्र से अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया था। राहुल के दादा फिरोज गांधी 1952 में रायबरेली से सांसद थे। उनके निधन के बाद इंदिरा गांधी ने रायबरेली का प्रतिनिधित्व करना शुरू कर दिया। सोनिया गांधी ने कहा कि हम शादियों या मौतों के दौरान गांव-गांव जाते थे और यहां तक कि बाढ़ या सूखे के दौरान भी जाते थे और गांवों में लोगों से मिलते थे। उन्होंने मुझे तुरंत स्वीकार कर लिया और हमारे बीच एक बेटी और बहू जैसा रिश्ता था। बता दें कि राहुल गांधी इस बार अमेठी की बजाय रायबरेली लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं और उनका मुकाबला भाजपा के दिनेश प्रताप सिंह से है, जिन्होंने पिछला लोकसभा चुनाव सोनिया गांधी के खिलाफ लड़ा था और हार गए थे। राहुल गांधी पहले अमेठी से सांसद थे लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में स्मृति ईरानी से हार गए थे। इस बार उनके कंधों पर अपने गढ़ को बचाने की जिम्मेदारी है। परदादा, दादा, दादी, पिता और मां के बाद अब वो इस जगह का जिम्मा उठा रहे हैं।
पाकिस्तान को मोदी जैसे नेता की जरूरत, पाकिस्‍तानी अमेरिकी अरबपति साजिद तरार का बड़ा बयान

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देश में लोकसभा चुनाव चल रहे हैं। बीजेपी को इस चुनाव में भी बंपर जीत का भरोसा है। बीजेपी पूरी तरह से आश्वस्त है कि नरेन्द्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने वाले हैं। बीजेपी ही नहीं पाकिस्तान मूल के अमेरिकी कारोबारी ने भी दावा किया है कि भारत में चल रहे चुनाव में लगातार तीसरी बार भारतीय जनता पार्टी को जीत मिलेगी और फिर से नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बनेंगे। यही नहीं, साजिद तरार ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक मजबूत नेता हैं जिन्होंने भारत को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है और मोदी जैसे नेता की पाकिस्तान को भी जरूरत है।

पीएम मोदी की जमकर की तारीफ

पाकिस्तानी मूल के बिजनेसमैन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लीडरशिप की जमकर तारीफ की है।बाल्टीमोर में रहने वाले पाकिस्तानी अमेरिकी कारोबारी साजिद तरार ने कहा कि मोदी न केवल भारत के लिए अच्छे हैं बल्कि क्षेत्र और दुनिया के लिए भी अच्छे हैं।साजिद तरार ने कहा कि मोदी जैसे नेता की पाकिस्तान को भी जरूरत है। उन्होंने उम्मीद जताई कि पाकिस्तान को भी उनके जैसा कोई नेता मिलेगा। तरार ने पीटीआई-भाषा से कहा, मोदी एक शानदार नेता हैं। वह ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में पाकिस्तान का दौरा किया। मैं उम्मीद कर रहा हूं कि मोदी जी पाकिस्तान के साथ संवाद और व्यापार शुरू करेंगे।

भविष्य में लोग भारतीय लोकतंत्र से सीखेंगे-तरार

साजिद तरार ने कहा कि हर जगह यही कहा जा रहा है कि नरेंद्र मोदी भारत के अगले प्रधानमंत्री बनेंगे। उन्होंने कहा, यह चमत्कार से कम नहीं है कि भारत में 97 करोड़ लोग अपने मताधिकार का प्रयोग कर रहे हैं। भारत सबसे बड़ा लोकतंत्र है। मैं वहां मोदी जी की लोकप्रियता देख रहा हूं और 2024 में भारत का शानदार उदय होते देख रहा हूं। आप भविष्य में देखेंगे कि लोग भारतीय लोकतंत्र से सीखेंगे।

पाकिस्तान के आर्थिक हालात का किया जिक्र

एक सवाल के जवाब में तरार ने कहा, पाकिस्तान इस समय आर्थिक संकट से जूझ रहा है, इसके चलते पीओके समेत देश के कई हिस्सों में सामाजिक तनाव भी हो रहा है। तरार ने कहा पाकिस्तान में महंगाई बहुत है। पेट्रोल के दाम उच्च स्तर पर हैं। बिजली भी महंगी हो गई है। हम निर्यात नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने कहा, पीओके में मुख्यता महंगी बिजली को लेकर प्रदर्शन हो रहे हैं। इतना ही नहीं तरार ने कहा, जमीनी मुद्दों को हल नहीं किया जा रहा है. कैसे निर्यात बढ़ाया जाए? कैसे आतंकवाद पर कंट्रोल किया जाए और कानून व्यवस्था सुधारी जाए।

अमेरिका को चीन ने दिया बड़ा झटका, चीनी उत्पादों पर भारी आयात शुल्क लगाने का एलान

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अमेरिका चीन पर निर्भरता कम करने के लिए सक्रिय कदम उठा रहे हैं। इसी क्रम नें यूएस ने ड्रैगन को बड़ा झटका दिया है। अमेरिका ने चीन से इंपोर्ट होने वाले तमाम सामानों पर 100 प्रतिशत तक का टैक्‍स लगा दिया है।इनमें इलेक्ट्रिक वाहन, बैटरी, स्टील, सौर सेल और एल्यूमीनिय शामिल हैं। इलेक्ट्रिक वाहनों पर 100 फीसदी, सेमीकंडक्टर पर 50 फीसदी और इलेक्ट्रिक वाहन बैटरी पर 25 फीसदी शुल्क लगाने की घोषणा की गई है। राष्ट्रपति जो बाइडन ने व्हाइट हाउस के रोज गार्डन में राष्ट्र को संबोधित करते हुए इसका एलान किया।

व्हाइट हाउस के रोज गार्डन से राष्ट्र को संबोधित करते हुए, जो बाइडेन ने कहा कि अमेरिकी श्रमिकों को अनुचित व्यापार प्रथाओं से रोका न जाए और देश अपनी इच्छानुसार किसी भी प्रकार की कार खरीदना जारी रख सके।उन्होंने पीटीआई के हवाले से कहा कि मैं चीन के साथ निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा चाहता हूं, संघर्ष नहीं। हम चीन के खिलाफ 21वीं सदी की आर्थिक प्रतिस्पर्धा जीतने के लिए किसी अन्य की तुलना में अधिक मजबूत स्थिति में हैं क्योंकि हम फिर से अमेरिका में निवेश कर रहे हैं।

बाइडन ने आरोप लगाया कि वर्षों से चीन की सरकार ने इस्पात और एल्यूमीनियम, इलेक्ट्रिक वाहन, सौर पैनल और दस्ताने व मास्क जैसे महत्वपूर्ण स्वास्थ्य उपकरण जैसे उद्योगों में सरकारी पैसे का इस्तेमाल किया है। चीन ने इन सभी उत्पादों को भारी सब्सिडी दी, जिससे चीनी कंपनियों को दुनिया के बाकी हिस्सों की तुलना में कहीं अधिक उत्पादन के लिए प्रेरित किया गया। फिर अतिरिक्त उत्पादों को गलत तरीके से कम कीमतों पर बाजार में डंप किया गया और दुनियाभार के अन्य निर्माताओं को व्यवसाय से बाहर किया गया। 

बाइडन ने कहा, चीन प्रतिस्पर्धा विरोधी रणनीति पर भरोसा करता है, जैसे अमेरिकी कंपनियों को चीन में व्यापार करने के लिए अपनी तकनीक स्थानांतरित (टेक्नोलॉजी ट्रांसफर) करने के लिए मजबूर करना।

*चाबहार डील पर भारत पर भड़के अमेरिका को जयशंकर की दो टूक, जानें क्या कहा?*
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भारत और ईरान के बीच हुई चाबहार डील के बाद अमेरिका की नाराजगी सामने आई है। अमेरिका को यह करार पसंद नहीं आ रहा है। चाबहार बंदरगाह को लेकर डील होने के बाद बौखलाए अमेरिका ने भारत पर प्रतिबंध लगाने की चेतावनी दी है। इस पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिका को दो टूक जवाब दिया है। एस जयशंकर ने ये भी साफ कर दिया कि इस परियोजना से पूरे क्षेत्र को फायदा होगा, इसके लिए छोटी सोच को लोगों को स्वीकार नहीं करना चाहिए। विदेश मंत्री ने मंगलवार को कोलकाता में अपनी किताब 'व्हाई भारत मैटर्स' के बांग्ला संस्करण के विमोचन के बाद एक बातचीत के दौरान जब अमेरिका की रुख के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, मैंने कुछ टिप्पणियां देखीं, जो की गई थीं, लेकिन मुझे लगता है कि यह लोगों को संवाद करने, समझाने और समझाने का सवाल है कि यह वास्तव में यह सभी के फायदे के लिए है। मुझे नहीं लगता कि लोगों को इसके बारे में छोटी सोच रखना चाहिए। एस जयशंकर ने कहा, अमेरिका ने पहले ऐसा नहीं किया है, इसलिए, अगर आप चाबहार में बंदरगाह को लेकर अमेरिका के रवैये को देखें, तो पहले वह पोर्ट की व्यापक प्रासंगिकता की सराहना करता रहा है। उन्होंने कहा कि हम इस पर काम करेंगे। *चाबहार डील पर अमेरिका की भारत को चेतावनी* बता दें कि अमेरिका ने मंगलवार को चेतावनी दी थी कि तेहरान के साथ व्यापारिक डील पर विचार करने वाले "किसी को" भी प्रतिबंधों के संभावित जोखिम के बारे में पता होना चाहिए। अमेरिकी विदेश विभाग के उप-प्रवक्ता वेदांत पटेल ने एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा, "मैं बस यही कहूंगा...ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध लागू रहेंगे और इनको जारी रखा जाएगा।" जब उनसे यह पूछा गया कि इन प्रतिबंधों के दायरे में क्या भारतीय कंपनियां भी आ सकती हैं, इस पर वेदांत पटेल मे कहा कि जो कोई भी ईरान के साथ व्यापारिक सौदे पर विचार कर रहा है, उस पर संभावित जोखिम का खतरा बना रहेगा। *भारत-ईरान के बीच चाबहार पोर्ट डील* बता दें कि भारत ईरान, अफगानिस्तान, कजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान जैसे मध्य एशियाई देशों तक अपनी पहुंच आसान बनाने के लिए चाबहार पोर्ट पर एक टर्मिनल विकसित कर रहा है। भारत और ईरान ने चाबहार के शाहिद बेहश्ती बंदरगाह के टर्मिनल के संचालन के लिए एक समझौता किया है। 10 साल के लिए एक डील पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड और ईरान के पोर्ट्स एंड मेरिटाइम ऑर्गनाइजेशन ने समझौते पर हस्ताक्षर किए। *चाबहार डील आखिर है क्या? * पहले भारत से अफगानिस्तान को भेजा जाने वाला कोई भी सामान पाकिस्तान के रास्ते होकर जाता था। लेकिन इस डील से भारत को अब व्यापार के लिए पाकिस्तान की जरूरत नहीं होगी। अफगानिस्तान और सेंट्रल एशिया से बिजनेस के लिए भारत को नया रूट मिल जाएगा। अब तक इन देशों तक पहुंचने के लिए पाकिस्तान का सहारा लेना पड़ता था। यह बंदरगाह भारत के लए रणनीतिक और कूटनीति के लिहाज के भी अहम है।
PoK में आधी रात को लगे ‘आजादी’ के नारे, अब तक 3 की मौत..इंडियन आर्मी से लोग लगा रहे मदद की गुहार





पाक अधिकृत कश्मीर में चौथे दिन भी हिंसक झड़पें जारी हैं। PoK की सड़कों पर आधी रात को आजादी के नारे लगे हैं तो गलियां धूं-धूं करके जलती नजर आ रही हैं। मंगलवार की सुबह PoK के कई वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आए हैं।


हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। PoK में हिसंक हुए विरोध प्रदर्शन का आज चौथा दिन है। वहीं PoK से हिंसा के कई वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आए हैं, जिनमें लोग आजादी के लिए आवाज बुलंद करते नजर आ रहे हैं।

PoK में लगे आजादी के नारे

PoK में पाकिस्तान के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कोई नई बात नहीं है। हालांकि शुक्रवार को ये प्रदर्शन हिंसा में तब्दील हो गया। अब तक एक पुलिस अफसर समेत 3 लोगों की जान चली गई तो 100 से भी ज्यादा लोग घायल हैं। पिछले चार दिनों से PoK के लोग आजादी की मांग कर रहे हैं। ऐसे में आधी रात को भी पीओके में आजादी के नारे लग रहे थे, जिसका वीडियो काफी वायरल हो रहा है।

भारतीय सेना से की गई मदद की मांग

PoK में लगातार बढ़ रहे हिंसक विरोध प्रदर्शन के सामने पाकिस्तान सरकार ने भी घुटने टेक दिए हैं। पाक सरकार ने PoK के लिए फंड के रूप में 23 अरब रुपए जारी किए हैं। मगर पाकिस्तानी सरकार का ये कदम PoK पर मरहम लगाने के लिए काफी नहीं है। PoK की गलियों पर बमबारी और गोलीबारी की घटनाएं हो रहीं हैं, जिन्हें देखने के बाद कई लोग भारतीय आर्मी से एक्शन लेने की मांग कर रहे हैं। खासकर कश्मीर में बैठे लोग PoK में अपने कश्मीरी भाईयों को आजादी दिलाने के लिए भारतीय सेना से मदद की गुहार लगा रहे हैं।


आवामी एक्शन कमेटी ने रखी मांग

PoK में चौथे दिन भी चक्का जाम जारी है। इसी बीच आवामी एक्शन कमेटी ने पाकिस्तान सरकार के सामने कई मांगें रखी हैं। इन मांगों में मंगला बांध से टैक्स फ्री बिजली समेत गेहूं के आटे पर सब्सीडी जैसी चीजें शामिल हैं। बता दें कि मुजफ्फराबाद ददयाल और  मीरपुर सहित पीओके की कई जगहों पर प्रशासन और प्रदर्शनकारियों के बीच में हिंसक झड़पें देखने को मिल रही हैं।
गाजा में रिटायर्ड भारतीय कर्नल की हत्या, संयुक्त राष्ट्र में थे तैनात*
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दक्षिणी गाजा के रफाह शहर के खान यूनिस इलाके में हुई गोलीबारी से संयुक्त राष्ट्र के एक कर्मचारी की मौत हो गई, जबकि एक अन्य कर्मचारी जख्मी हो गया।गाजा के रफाह में अस्पताल जाते समय भारतीय सेना के पूर्व कर्नल वैभव अनिल काले इजरायली हवाई हमले में मारे गए हैं। उन्होंने तीन सप्ताह पहले ही बतौर सुरक्षा सेवा समन्वयक संयुक्त राष्ट्र के लिए काम शुरू किया था। घटना के वक्त संयुक्त राष्ट्र का झंडा लेकर एक वाहन से जा रहे थे। को इजरायल-हमास संघर्ष शुरू होने के बाद संयुक्त राष्ट्र के किसी अंतरराष्ट्रीय कर्मी की मौत का यह पहला मामला बताया जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र के उप प्रवक्ता फरहान हक की तरफ से जारी आधिकारिक बयान के मुताबिक, 46 वर्षीय वैभव अनिल काले एक महीने पहले ही गाजा में संयुक्त राष्ट्र डिपार्टमेंट ऑफ सेफ्टी एंड सिक्योरिटी (डीएसएस) विभाग में बतौर सिक्योरिटी सर्विस कॉर्डिनेटर के तौर पर शामिल हुए थे। अनिल काले संयुक्त राष्ट्र के स्टीकर लगी गाड़ी में सफर कर रहे थे, उनकी गाड़ी पर संयुक्त राष्ट्र का झंडा भी लगा था। संयुक्त राष्ट्र के बयान के मुताबिक यह हमला उस वक्त हुआ जब सुबह को अनिल काले अपने सहयोगी के साथ यूएन की गाड़ी में रफाह स्थित यूरोपियन अस्पताल जा रहे थे। संयुक्त राष्ट्र के सेक्रेटरी जनरल एंटोनियो गुटेरेस ने संयुक्त राष्ट्र कर्मी पर हुए हमले की कड़ी निंदा की और मौत पर दुख जताया है। साथ ही, मामले की जांच की मांग की है। उन्होंने मृतक परिवार को भी अपना शोक संदेश भेजा है। संयुक्त राष्ट्र से जुड़ीं एजेंसियों के हवाले से पता लगा है कि काले के वाहन पर गोलियां बरसाई गईं। ये गोलियां किसने मारीं, अभी इस बारे में जानकारी नहीं मिली है। आईडीएफ की ओर से कहा गया है कि हमले की जांच की जा रही है। हमला सक्रिय युद्ध वाले इलाके में हुआ। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के महानिदेशक टेड्रोस अदनोम घेबियस ने काले की मौत के बाद दुख जाहिर किया है। उन्होंने कहा कि शांति और युद्ध रोकने की कोशिश होनी चाहिए। काले से पहले भी कई जिंदगियां यहां तबाह हो चुकी हैं। कर्नल काले में 2022 में भारतीय सेना से रिटायरमेंट ली थी। इसके बाद दो महीने पहले वे संयुक्त राष्ट्र के सुरक्षा और सुरक्षा विभाग (डीएसएस) में गए थे। काले 11 जम्मू और कश्मीर राइफल्स में सेवाएं दे चुके थे। इजराइल पर हमास ने 7 अक्टूबर को आतंकवादी हमला किया था। उसके बाद से दोनों में भीषण जंग चल रही है। गाजा में अब तक 190 से ज्यादा संयुक्त राष्ट्र कर्मी मारे जा चुके हैं। वहीं, 35,091 फिलिस्तीनी नागरिक मारे गए हैं, जबकि 78827 लोग घायल हुए हैं। इजराइल के 33 बच्चों सहित 1200 से अधिक लोग मारे गए हैं।