लोग टूट जाते हैं इक घर बनाने में अग्नि देव तरस नहीं खाते बस्तियां जलाने में
संदर्भ : सावधानी हटी दुर्घटना घटी
होनी तो होकर ही रहती है । मगर उसे टालने का प्रयास या उपाय अवश्य करने चाहिए । पटना जंक्शन के पास गुरुवार की सुबह हुए होटल पाल अग्निकांड में 6 लोगों की मौत हो गयी और कई लोग घायल हो गये।
बताया जाता है कि दोनों होटलों का फायर ऑडिट एक साल पहले हुआ था। उस समय खामियां पाये जाने पर होटल मालिकों को निर्देश दिया गया था कि फायर अलार्म और आग बुझाने के उपकरणों की व्यवस्था जल्द से जल्द करें। मगर दोनों होटल मालिकों द्वारा आदेश की अनदेखी करते हुए फायर सेफ्टी मानकों की व्यवस्था नहीं की गयी। दोनों होटल में कॉरिडोर नहीं होने के कारण आग बुझाने में परेशानी हुई।
राजधानी पटना में हजारों लोग कुछ न कुछ काम से आते ही रहते हैं। जंक्शन के पास लाज, रेस्टोरेंट, होटलों की भरमार है। ट्रेन से उतर कर बाहर निकल लोग होटल ही जाते हैं। पर इन होटलों में सुविधाओं की काफी कमी होती है।
अगलगी की घटनाएं किसी भी मौसम में हो सकती हैं लेकिन गर्मियों में उनके बढने की कई वजहें हैं जैसे एसी , पंखे , कूलर और इलेक्ट्रिक उपकरणों का ज्यादा उपयोग होने के कारण लोड बढ़ता जाता है । इसके कारण स्पार्किंग और शॉर्ट सर्किट होने का खतरा बढ़ता जाता है ।
ज्यादातर मामले उपरोक्त वजहों से ही सामने आते हैं । एनसीआरबी की एक रिपोर्ट के अनुसार अगलगी की होने वाली घटनाओं में हर साल करीब 10 हजार की लोगों मौत हो जाती है। अग्निकांडों मौतों की संख्या बढ़ाने की यही वजह बतायी जाती है ।
इनमें बड़ी-बड़ी बिल्डिंगों और कॉम्प्लेक्सों में वेंटिलेशन की कमी, सीढियों का कम चौड़ा होना या जगह की कमी होना , आने और जाने के लिए एक ही रास्ता होना, वायरिंग या इलेक्ट्रिक बोर्ड का जर्जर होना , वार्निंग या अलार्म सिस्टम का ना होना और बिल्डिंग में क्षमता से अधिक लोगों का मौजूद होना शामिल है।
वहीं गुरुवार को ही दरभंगा में भी हुए अग्निकांड में एक ही परिवार के छह लोगों की जान चली गयी।
और अंत में भीषण गर्मी, तापमान में वृद्धि और तेज पछुआ हवा के कारण आग लगने की घटनाओं में बढ़ोतरी होती जा रही है। कोई भी दिन ऐसा नहीं जाता जब कहीं न कहीं आग लगने की घटनाएं न होती हों। सावधानी बरत कर ही हम जान माल के नुकसान से बच सकते हैं।
Apr 29 2024, 12:13