आदेश का अनुपालन सुनिश्चित कराने के लिए उ.प्र. रेरा ने दिया प्रोमोटर्स को अंतिम अवसर
लखनऊ। लखनऊ / गौतमबुद्ध नगर: उ.प्र. रेरा पीठ द्वारा पारित आदेश का अनुपालन ना किए जाने पर मा. रेरा के पीठासीन अधिकारी संजय भूसरेड्डी द्वारा प्रदेश के दो प्रोमोटर्स- मेसर्स उप्पल चड्ढा हाई-टेक डेवलपर्स प्रा. लि. तथा मेसर्स हेबे इन्फ्रस्ट्रक्चर प्रा. लि. को कठोरतम कार्यवाही किए जाने की चेतावनी देते हुए पारित आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए अंतिम अवसर प्रदान किया गया है। ऐसा पहली बार हुआ है जब पीठ ने रेरा अधिनियम के प्राविधानों के अन्तर्गत दोनों प्रोमोटर्स के प्रतिनिधियों को भौतिक रूप से पीठ के समक्ष उपस्थित होकर आदेश के अनुपालन की स्थिति और अनुपालन में हो रहे विलम्ब के कारणों का स्पष्टीकरण देने का आदेश भी दिया है। पीठ 1 के पीठासीन अधिकारी संजय भूसरेड्डी द्वारा उक्त आदेश मेसर्स उप्पल चड्ढा हाई-टेक डेवलपर्स प्रा. लि. के प्रकरण में तथा मेसर्स हेबे इन्फ्रस्ट्रक्चर प्रा. लि. के प्रकरण में शिकायत की सुनवाई करते हुए पारित किया गया है।
उप्पल चड्ढा हाई-टेक डेवलपर्स प्रा. लि. के प्रकरण में धारा-31 के अन्तर्गत पारित दिनांक 31.01.2023 के आदेश का अनुपालन कराने के लिए शिकायतकर्ता द्वारा 11.04.2023 को आवेदन किया गया था। लगभग 11 माह व्यतीत हो जाने के बाद भी रेरा के आदेश का अनुपालन नहीं किया गया है एवं अनुपालन आख्या पोर्टल पर अपलोड नहीं की गई है। इसी प्रकार हेबे इन्फ्रस्ट्रक्चर प्रा. लि. के प्रकरण में दिनांक 19.06.2023 को पारित आदेश का अनुपालन सुनिश्चित कराने के लिए दिनांक 16.08.2023 को आवेदन प्रस्तुत किया गया था, लेकिन लगभग 07 माह व्यतीत हो जाने के बाद भी न तो रेरा के आदेश का अनुपालन नहीं किया गया है और न ही अनुपालन आख्या पोर्टल पर अपलोड की गई है। पीठासीन अधिकारी द्वारा इस बात का भी संज्ञान लिया कि दोनों प्रकरणों में प्रश्नगत परियोजनाएं पूर्ण हो चुकी हैं, उसके बावजूद भी प्रोमोटर्स द्वारा शिकायतकर्ताओं को न तो यूनिटस का कब्जा दिया जा रहा है और न ही सम्पर्क करने पर संतोषजनक उत्तर दिया जा रहा है।
इस कारण रेरा अधिनियम की धारा-35 व 36 में निहित शक्तियों का उपयोग करते हुए पीठ 1 द्वारा प्रोमोटर के प्रतिनिधि को सुनवाई में भौतिक रूप से उपस्थित होकर आदेश के अनुपालन की स्थिति स्पष्ट करने एवं विलम्ब का कारण बताने का आदेश दिया गया है। इस अवसर पर पीठासीन अधिकारी संजय भूसरेड्डी ने कहा कि प्रोमोटर्स को आदेश का अनुपालन करने के लिए पर्याप्त समय मिला था लेकिन उनका यह कृत्य जानबूझकर शियकायतकर्तागण को परेशान करने वाला तथा प्राधिकरण का समय व्यर्थ करने जैसा है, जो पूर्णतः गलत है। प्रोमोटर्स को अग्रिम सुनवाई की तिथि के पूर्व आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करने का अंतिम अवसर प्रदान किया गया है। यदि प्रोमोटर्स द्वारा धारा-31 के अन्तर्गत पारित आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करते हुए अनुपालन आख्या रेरा पोर्टल पर अपलोड नहीं की जाती है, तो पीठ द्वारा प्रोमोटर्स के विरुद्ध कठोरतम कार्यवाही करने हेतु धारा-63 के अन्तर्गत प्रकरणों को प्राधिकरण के समक्ष संदर्भित कर दिया जाएगा जिसमें प्रोमोटर्स पर परियोजना की अनुमानित लागत के 5 प्रतिशत तक की शास्ति आरोपित की जा सकती है।
Apr 18 2024, 17:55